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कर्नाटक में चाहे कांग्रेस की सरकार बने या फिर भाजपा की दोनो एक दुसरे के लिए सबसे भ्रष्ट पार्टी है

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कर्नाटक में चाहे कांग्रेस की सरकार बने या फिर भाजपा की दोनो एक दुसरे के लिए सबसे भ्रष्ट पार्टी है : अजादी के समय से ही कांग्रेस सरकार के द्वारा अजाद देश का पहला प्रधान सेवक नेहरु के नेतृत्व में आधुनिक भारत का नारा देते हुए साठ सालो तक शासन किया गया है|जिस कांग्रेस सरकार की विकाश नीति से गरिबी हटाओ का नारा देने के बाद 2014 ई. का लोकसभा चुनाव आते आते अजादी के समय की अबादी जितनी बीपीएल अबादी हो गई है|और अब साठ साल बनाम साठ महिने का अवसर मांगकर भाजपा सरकार के शासन में भी साठ महिना साईनिंग इंडिया के बाद साठ महिना डीजिटल इंडिया के लिए अवसर मांगकर आधुनिक बीपीएल भारत के बाद डीजिटल बीपीएल इंडिया होने जा रही है|जिसके साथ साथ नशे का व्यापार में भी विकाश मानो बीड़ी का आधुनिक अपडेट होकर डीजिटल सिगरेट हो गई है|ऐसी आधुनिक और डीजिटल विकाश सफर में चाहे कांग्रेस सरकार आये या फिर भाजपा सरकार आये,इन दोनो ही पार्टी की सरकार देश के सबसे अधिक राज्यो में भी है,और केन्द्र में भी जनता ने इन्हे ही एक एक बार तो भारी बहुमत से भी जिताया है|जिस तरह की भारी बहुमत से लोकसभा चुनाव जीत किसी अन्य पार्टी को अजादी से

संवर्ण सायद मनुस्मृती सोच की अहंकार में चुर होकर खुदको जन्म से उच्च विद्वान पंडित और सबसे अधिक talented समझकर आरक्षण मुक्त की बाते कर रहे हैं!

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 संवर्ण सायद मनुस्मृती सोच की अहंकार में चुर होकर खुदको जन्म से उच्च विद्वान पंडित और सबसे अधिक talented समझकर आरक्षण मुक्त की बाते कर रहे हैं! जबकि आरक्षण का विरोध करने वालो को जरुर पता होना चाहिए कि सिर्फ उच्च Degree प्राप्त करना और उच्च पद प्राप्त करना ही सबसे talented होना नही होता है|बल्कि उच्च ज्ञान की Degree या फिर उच्च पद प्राप्त करके उसे अमल पर लाना सबसे अधिक telent अथवा सबसे गुणवाण होने का प्रदर्शन प्रयोगिक रुप से होता है|जैसे कि डिग्री से तो अर्जुन भी विश्व का सबसे बेहत्तर लक्ष साधने अथवा सबसे बेहत्तर Aim रखने वाला टैलेंट रखता था,पर बिना डिग्री और बिना गुरु अथवा Teacher के भी एकलव्य अर्जुन से ज्यादे लक्ष साधने वाला प्रयोगिक रुप से ऐसा हुनरमंद वीर था,जिसे बिना लक्ष का ज्ञान दिए ही अर्जुन का गुरु भी उसके प्रयोगिक टैलेंट को देखकर ये स्वीकार कर लिया था कि एकलव्य बिना गुरु और बिना डिग्री के भी अर्जुन से ज्यादे सटिक लक्ष अथवा Aim साधने वाला हुनरमंद वीर है!जिस एकलव्य से ज्यादे लक्ष अर्जुन कभी भी नही साध सकता,जो बात मनुस्मृती टैलेंट रखने वाले संवर्णो को अच्छी नही लगती है|जिसके

आरक्षण का विरोध कहीं खुदको सबसे अधिक talented अथवा प्रतिभावान,कौशल,बुद्धिमान,गुणवान,शक्तीमान क्षमता संपन्न मनुष्य अपडेट करने के लिए तो नही होता है?

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 आरक्षण का विरोध यदि खुदको सबसे अधिक talented अथवा प्रतिभावान,कौशल,बुद्धिमान,गुणवान,शक्तीमान क्षमता संपन्न मनुष्य अपडेट करने के लिए करते हैं तो पहले वे छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव का जड़ को पुर्ण समाप्त करे,तब खुदको सबसे अधिक talented अथवा प्रतिभावान,कौशल,बुद्धिमान,गुणवान,शक्तीमान क्षमता संपन्न मनुष्य घोषित करे|क्योंकि आरक्षण पानेवालो के पुर्वजो ने इस देश को कृषी प्रधान घोषित करने की talent को हजारो साल पहले ही सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती का स्थापना करके अपने हजारो विकसित हुनरो का भी प्रयोगिक प्रमाण दे दिया है,जिसे संवर्ण द्वारा भारी भेदभाव की मनुस्मृती व्यवस्था करके हजारो शुद्र जातियो के रुप में पहचान दे दिया गया है|जिस हजारो हुनरो की असली पहचान दरसल किसी विकसित गणतंत्र की पहचान होती है,जिससे की विकसित सभ्यता संस्कृती की नीव पड़ती है|जिसे कमजोर करने के लिए हजारो हुनरो को हजारो शुद्र जाती के रुप में बांटकर संवर्णो ने खुदको जन्म से ही उच्च घोषित किया हुआ है|जिसकी बोर्ड भी लगाई जाती है आज भी कहीं कहीं पुजा स्थलो के बाहर कि अंदर शुद्रो का प्रवेश मना है|1901 जनगणा के अनुसार भारत म

गर्मी के मौसम में उगने वाले ये केंद फल जीवन अमृत है और उसी फल का केंदू पत्ता का इस्तेमाल करके हर साल मौत का बरसात लाई जा रही है

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 तंबाकू धुम्रपान निषेध दिवस सरकार पुरे देश में मनाती है, और साथ साथ जनता भी मनाती है| पर फिर भी सरकार बिड़ी सिगरेट का उद्योग को आसानी से ही लाईसेंश दे देती है|जिसमे बनने वाले बिड़ी सिगरेट को पीकर हर साल लाखो लोगो की मौत मुँह का कैंसर अथवा ओरल कैंसर की वजह से हो जाती है|क्योंकि नशा से देश की जीडीपी तो बड़ती है,पर जिवन की जीडीपी घटती है|जिसकी वजह से एक रिपोर्ट के अनुसार सेहत को छोड़कर पैसे को ज्यादे महत्व देते हुए 2010 में 605 अरब बिड़ीयाँ बनाई गई थी|जिसे खपाने के लिए भारत में जो साठ प्रतिशत से भी अधिक युवा हैं,जिसके चलते इस देश को युवा देश कहा जाता है,जिसकी वोट की ताकत किसी भी सरकार को बना और बिगाड़ सकता है,उस युवा को ही नशे कि लत देकर खुब सारा धन बिड़ी सिगरेट बेचकर मुठिभर लोगो के द्वारा कमाया जा रहा है|वह युवा सबसे अधिक बुढ़ापा का शिकार बीड़ी सिगरेट तंबाकू से ही हो रहा है|जिसकी मौत भी इसी की वजह से सबसे अधिक हो रही है|जिसके बारे में सिर्फ यह जानकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत का युवा किस तरह से नशे की जंजिरो में कैद होकर धिरे धिरे जवानी में ही बुढ़ापा का शिकार

गोरो से अजादी मिलने से पहले और बाद में भी अखंड सोने की चिड़ियाँ विश्वगुरु धर्म के नाम से कई टुकड़ों में बंटने से अच्छा होता कि..

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गोरो से अजादी मिलने से पहले और बाद में भी अखंड सोने की चिड़ियाँ विश्वगुरु धर्म के नाम से कई टुकड़ों में बंटने से अच्छा होता कि,भारी भेदभाव करने वाले इस समय चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,उनको ही अलग से स्थान देकर यह कृषी प्रधान देश सिर्फ दो अलग देश के रुप में खंड होती|दुसरा में भारी भेदभाव करने वाले रहते और पहला में हजारो सालो से भारी भेदभाव का शिकार होते आ रहे नागरिक चाहे इस समय जिस धर्म में मौजुद हो वे सभी भेदभाव से पुर्ण अजादी पाने के लिए उनसे अलग होकर रहते|बजाय इसके कि गोरो से अजादी के पहले और बाद भी धर्म के नाम से कई देश का बंटवारा होता|क्योंकि पुरी दुनियाँ के किसी भी देश में एक साथ इतने सारे धर्म एक जगह मौजुद नही है,जितना की धर्म के नाम से कई देश का बंटवारा एक ही अखंड सोने की चिड़ियाँ विश्वगुरु को करने के बावजुद भी सभी धर्म हिन्दुस्तान में मौजुद है|जहाँ पर अब भी मुठिभर लोग छुवा छुत भारी भेदभाव करने वाले भ्रष्ट शक्तियो द्वारा हजारो सालो से इस अखंड कृषी प्रधान देश के उन बहुसंख्यक मुलवासियो को दबाते आ रहे हैं,जिसकी झांकी तुलसीदास के एक श्लोक में मिलती है,जिसमे

आज अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस अथवा 1 मई मजदूर दिवस के बारे में ये पोस्ट लिखते समय मुझे मिला है विशेष श्रममोल

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आज अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस है,जिसे अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के नाम से भी जाना जाता है,जिसे पुरे विश्व के 80 देशो में मनाया जाता है|हलांकि पुरे विश्व के सभी देशो में मजदूर हैं,जिनके दम पर हवा महल से लेकर ताजमहल तक खड़ा किया गया है|अथवा पुरे विश्व के तमाम अमिर जिनके पास आज वह सब कुछ मौजुद है,जिससे कि वे यह कहने में संकोच नही करते कि मेरे पास खुदका अपना कमाया हुआ धन मौजुद है,और जैसा कि हमे पता है कि पुरे विश्व में श्रम करने वालो की अबादी सबसे अधिक है,पर सिर्फ मुठीभर लोग ही पुरे विश्व में आज सबसे अमिर लोग कहलाते हैं,जिनके पास पुरे विश्व का इतना धन है,जितना कि पुरे विश्व की 99% अबादी के पास भी मौजुद नही है|यानि यदि लेन देन के रुप में धन की मुद्रा खोज न करके अन्न को न खाकर धन को ही खाया जाता तो फिर मानो अभी क्या 99 लोगो के पास जितना अन्न रोटी मौजुद नही रहती जितना कि 1 के पास मौजुद रहती|मतलब साफ है कि धन की खोज करके लोग अन्न और रोटी खाने के लिए सबसे अमिर नही बनते जा रहे हैं,बल्कि सबसे अधिक पैसे कमाने के लिए धनवान बनते जा रहे हैं|और जो लोग पैसे के लिए सबसे अधिक अमिर बनना पसंद नही करते,वे