गोरो से अजादी मिलने से पहले और बाद में भी अखंड सोने की चिड़ियाँ विश्वगुरु धर्म के नाम से कई टुकड़ों में बंटने से अच्छा होता कि..

Khoj123
गोरो से अजादी मिलने से पहले और बाद में भी अखंड सोने की चिड़ियाँ विश्वगुरु धर्म के नाम से कई टुकड़ों में बंटने से अच्छा होता कि,भारी भेदभाव करने वाले इस समय चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,उनको ही अलग से स्थान देकर यह कृषी प्रधान देश सिर्फ दो अलग देश के रुप में खंड होती|दुसरा में भारी भेदभाव करने वाले रहते और पहला में हजारो सालो से भारी भेदभाव का शिकार होते आ रहे नागरिक चाहे इस समय जिस धर्म में मौजुद हो वे सभी भेदभाव से पुर्ण अजादी पाने के लिए उनसे अलग होकर रहते|बजाय इसके कि गोरो से अजादी के पहले और बाद भी धर्म के नाम से कई देश का बंटवारा होता|क्योंकि पुरी दुनियाँ के किसी भी देश में एक साथ इतने सारे धर्म एक जगह मौजुद नही है,जितना की धर्म के नाम से कई देश का बंटवारा एक ही अखंड सोने की चिड़ियाँ विश्वगुरु को करने के बावजुद भी सभी धर्म हिन्दुस्तान में मौजुद है|जहाँ पर अब भी मुठिभर लोग छुवा छुत भारी भेदभाव करने वाले भ्रष्ट शक्तियो द्वारा हजारो सालो से इस अखंड कृषी प्रधान देश के उन बहुसंख्यक मुलवासियो को दबाते आ रहे हैं,जिसकी झांकी तुलसीदास के एक श्लोक में मिलती है,जिसमे लिखा हुआ है "ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी"जिसे पढ़कर कोई भी व्यक्ती जिनके पुर्वजो को शुद्र कहा गया है,भारी भेदभाव किया गया है,या फिर मदर इंडिया हो उसे समझ में आ जायेगा कि कौन लोग इस देश की मदर इंडिया और मुलवासी को ताड़ते हुए दबाते आ रहे हैं?जैसे कि अपनी मनुस्मृती मांसिकता से जन्म से उच्च घोषित करके दुसरो को निच घोषित करके ताड़कर हजारो सालो से छुवा छुत करना जारी है!जिस मनुस्मृती मांसिकता की वजह से ही मेरे ख्याल से अबतक इस देश में सबसे अधिक शोषन अत्याचार सबसे अधिक समय से होते आ रहा है|संवर्ण से मेरा मतलब पुरुष संवर्ण से है जो कि हजारो सालो से नारी और इस देश के मुलवासियो के साथ छुवा छुत भारी भेदभाव शोषन अत्याचार करते आ रहे हैं|जिनका डीएनए मदर इंडिया और फादर इंडिया से नही मिलता है,ये बात एक विश्वस्तरिय डीएनए रिपोर्ट में साबित हो चूका है|जो रिपोर्ट यदि सही नही होती तो फिर सायद भारी भेदभाव और छुवाछुत समाप्त होने की पुरी संभावना मौजुद थी,जो कि हजारो सालो कि छुवा छुत भारी भेदभाव इतिहास की झांकी के बारे में जानकर सौ प्रतिशत मैं ये दावे के साथ लिख सकता हुँ कि जिस तरह हाथी को चाहे जितना बोटी खिला खिलाकर उसके साथ मांसाहारी जिवन जिने की कोशिष करो वह मांसाहारी नही कहला सकता और भेड़िया को चाहे जितना चावल गेहूँ दुध दही खिलाओ वह शाकाहारी नही कहला सकता, उसी तरह संवर्णो से चाहे जितना उम्मीद करो कि ये लोग इस देश के मुलवासियो से छुवा छुत करना भारी भेदभाव करना छोड़ देंगे,ये सिर्फ गलतफेमी और झुठी उम्मीद ही होगी,जो कि हजारो सालो से इस देश के मुलवासियो के द्वारा की जा रही है|उससे तो अच्छा है चूँकि छुवा छुत करने वाले संवर्ण शुद्र को देव नही मानते हैं,जिसके चलते देव दास दासी बनाकर ताड़ते आ रहे हैं, इसलिए मेरे ख्याल से छुवा छुत करने वाले संवर्णो को अलग पाकिस्तान कि तरह अलग देवस्थान दे देना चाहिए था, जहाँ पर ये संवर्ण मनुस्मृती को संविधान बनाकर अपने छुवा छुत मांसिकता के साथ इंद्रदेव बनकर स्वर्ग की दुनियाँ धरती पर बसाकर खुद भी अपनी छुवा छुत मर्जी से जिये,और इस देश के शुद्र कहे गए मुलवासी भी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे सभी आपस में मिल जुलकर बिना छुवा छुत और बिना भेदभाव के जिये|बल्कि इसके अलावे भी इस अखंड कृषी प्रधान देश में बाहर से आए चाहे कोई धर्म हो,जिसे सबसे बेहत्तर समझकर यदि इस देश के मुलवासी अपना धर्म परिवर्तन करके वहाँ भी छुवा छुत और भारी भेदभाव का शिकार हो रहे हैं,तो फिर मैं तो ये भी कहना जरुर चाहुँगा कि उस धर्म में भी यदि जो लोग भी छुवा छुत और भारी भेदभाव कर रहे हैं,उनको भी डीएनए जाँच कराके दुसरे डीएनए के छुवा छुत और भारी भेदभाव करने वाले लोग साबित  कराके, जो कि होंगे भी जैसे की संवर्ण पुरुष हैं,अथवा उन्हे भी अलग से भारी भेदभाव और छुवा छुत जिवन यापन करने के लिए अलग से स्थान छुवा छुत भारी भेदभाव करने वालो के साथ ही दे देना चाहिए|मेरा कहने का मतलब साफ है कि यदि एक ही सोने की चिड़ियाँ से अखंड आठ दस देश का बंटवारा होना ही था तो छुवा छुत और भारी भेदभाव करने वालो की डीएनए जाँच कराकर जिन भी लोगो की भी डीएनए मदर इंडिया और फादर इंडिया की डीएनए से नही मिलती है,उन्हे और छुवा छुत भारी भेदभाव करने वाले लोग चाहे इस समय जिस धर्म में मौजुद हो इस अखंड सोने की चिड़ियाँ देश कि नागरिकता लेकर,उन सबके लिए अलग से स्थान दे देना चाहिए था,न कि पाकिस्तान और बाकि आठ दस देशो का बंटवारा अखंड सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु से खंड खंड करके होना चाहिए था|क्योंकि पाकिस्तान बंगलादेश से अधिक मुस्लिम अभी भी भारत में ही मौजुद है,न कि पाकिस्तान बंग्लादेश में मौजुद हैं|और सायद बौद्ध जैन भी भारत में ही ज्यादे मौजुद होंगे न कि भारत से अलग हुए श्रीलंका बर्मा वगैरा में मौजुद होंगे|बल्कि मुझे पुरा विश्वास है कि अखंड सोने कि चिड़ियाँ को खंड खंड आठ दस टुकड़ो में करके इसी देश से खंड हुए कोई भी देश की वह जनता जो कि छुवा छुत भारी भेदभाव का शिकार लंबे समय से होते आ रहे हैं,और जिनका डीएनए अखंड मदर इंडिया फादर इंडिया की डीएनए से  मिलता है,जिनके पुर्वज एक ही अखंड सोने की चिड़ियाँ में रहते थे वे सभी अभी खंड खंड होकर उतनी सुख शांती और समृद्धी जिवन नही जि रहे होंगे एक दुसरे से अलग होकर जितने की सायद सभी इस समय यदि एकजुट होकर जीते तो ये देश सुख शांती और समृद्धी सोने कि चिड़ियाँ और विश्वगुरु को अबतक अपडेट करने में कामयाब भी हो जाता!पर सर्त है जैसा कि मैने अपने राय दिये है,जिसे मैं पुर्ण सत्य भी मानता हुँ कि यदि छुवा छुत भारी भेदभाव करने वाले चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,और जिनका डीएनए इस देश के मुलवासी अखंड मदर इंडिया फादर इंडिया से नही मिलता है,उन सबको अलग स्थान देकर उनकी छुवा छुत शोषन अत्याचार की दुनियाँ बसाने के लिए अलग से एक ही देश दे दिया जाय जो कि सायद अभी जितना देश बंटा है,उतना भी बंटवारा करने की आवश्यकता नही पड़ेगी और न ही छुवा छुत भारी भेदभाव शोषन अत्याचार से पुर्ण अजादी पाने के लिए इतनी कठिन संघर्ष और कुर्बानी देनी पड़ेगी,वह भी किमती समय बर्बाद करके जिसे की उस सोने की चिड़ियाँ विश्वगुरु अपडेट करने में लगानी चाहिए थी हम सभी मुलवासियो को जिनके पुर्वजो ने कभी भी छुवा छुत और भारी भेदभाव कभी भी एक दुसरे के साथ नही किया है|और न ही किसी को गुलाम बनाकर भारी भेदभाव शोषन अत्याचार किया है|बल्कि विश्व के सारे देशो के मुलवासी जिन्होने भी कभी किसी के साथ भारी भेदभाव नही किया है,वे सभी भी यदि मेरे बातो से सहमत हो और साथ साथ मेरा वश चले तो इस देश का नेतृत्व करके विश्वगुरु अपडेट करके,पुरे विश्व में जो लोग भी भारी भेदभाव करके जिवन यापन करने को सबसे आधुनिक जिवन मानकर,आजतक भी भारी भेदभाव नही छोड़ पाये हैं,उन सबके लिए पुरे विश्व के सभी देशो के उन मुलवासियो से जो कि कभी भी किसी के साथ भारी भेदभाव नही किए हैं,उनसे आपसी सहमती बनाकर सारे भेदभाव करने वालो के लिए एक अलग से देश दे दिया जाता,जहाँ पर पुरे विश्व में कोने कोने में रह रहे जितने भी भारी भेदभाव करने वाले लोग रह रहे हैं,जो कि भारी भेदभाव करके जिवन यापन करने वाली जिवन को ही सबसे विकसित मांसिकता की जिवन बतलाकर आजतक भी भेदभाव करना नही छोड़े हैं,वे सभी आपस में मिल जुलकर भारी भेदभाव की जिवन जिते उन तमाम भेदभाव का शिकार हो रहे लोगो से अलग होकर जिनके पुर्वज और वे भी किसी के साथ भेदभाव  नही किए हैं|जाहिर है विश्व के कई देशो को गोरो की गुलामी से अजादी मिलना तो सिर्फ झांकी है,इस अखंड कृषी प्रधान विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश को छुवा छुत भारी भेदभाव से पुरी अजादी मिलना अभी बाकी है|और चूँकि जिस तरह नदी नाले सागर में समाकर वापस जहाँ से जिस रुप में बहकर आए थे उसी रुप में नही जा सकते, उसी तरह इस हिंद सागर अखंड उत्तम कृषी प्रधान देश में जो भी छुवा छुत और भारी भेदभाव करने वाले समाये हुए हैं, वे गोरो कि तरह अलग होकर वापस नही जा सकते|क्योंकि वे इसी अखंड सोने की चिड़ियाँ विश्वगुरु में सायद अपना छुवा छुत और भारी भेदभाव मांसिकता का पुर्ण इलाज कराने के लिए मानो अंतिम उपाय तलाशते हुए इस हिंद सागर देश के आईसीयू में समा चुके हैं|जिनका इलाज हजारो सालो बाद भी अबतक क्यों नही हो सका है,उसका अपडेट मुल कारन जैसा कि मैने बतला दिया है कि हाथी और भेड़िया की प्रमुख जिवनशैली अलग अलग होती है,चाहे उसे जितना एक करने कि कोशिष करो|इससे अच्छा है दोनो को अपना अपना स्थान दे दिया जाय जहाँ पर वे अपनी तरह कि जिवनशैली जिसे वे कभी भी भितर से पुरी तरह से छोड़ नही सकते,वह खुशी खुशी जी सके|जैसे कि मनुस्मृती को संविधान बनाकर उसे लागू करके जिने में जिन्हे स्वर्ग की दुनियाँ धरती पर उतरने की अनुभूती होती है,तो उन्हे उनका अलग से स्वर्ग स्थान दे दिया जाय,न कि धर्म के नाम से अलग से पाक स्थान दे दिया जाय|जहाँ पर अब भी नपाक हत्या बलात्कार और हक अधिकारो की छिना झपटी होती आ रही है,जो कि पुरी दुनियाँ के देशो में हो रही है|क्योंकि इंसानो कि मांसिकता पाक स्थान से नही बल्कि कर्म से होती है|जैसा वह कर्म करता है,उसी तरह का उसकी पहचान बनती है|स्थान नपाक नही होती बल्कि कुकर्म करने वाले नपाक होते हैं|जैसे कि छुवा छुत भारी भेदभाव करने वालो की असली आधुनिक पहचान छुवा छुत करने वालो के हिसाब से मनुस्मृती सुख शांती और समृद्ध जिवन देनेवाला संविधान बनती है|मेरे लिए तो सबसे अधिक सुख शांती और समृद्धी जिवन छुवा छुत करने वालो से पुर्ण अजादी संघर्ष करने से अच्छा है कि अपडेट सोने की चिड़ियाँ करके,मनुस्मृती की अपनी दुनियाँ बसाने के लिए छुवा छुत करने वालो को अलग से पाकिस्तान के बजाय अलग से भेदभाव स्थान दे देनी चाहिए|क्योंकि ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी श्लोक में ताड़ने की बाते जिन मुलवासियो के लिए भी कही गई है,वे खुदको छुवा छुत करने वालो से तड़वाते रहने और उससे अजादी का संघर्ष हजारो सालो से करते रहने के बजाय अच्छा होगा कि उनको खुदसे अलग कर देनी चाहिए|जैसे की गोरो को अलग अपनी विकसित दुनियाँ बसाने के लिए इस देश से अलग कर दिया गया|चूँकि गोरो कि अलग दुनियाँ पहले से ही बसी बसाई मौजुद थी|इसलिए भले मदर इंडिया और फादर इंडिया से छुवा छुत भारी भेदभाव करने वालो की डीएनए भी गोरो कि तरह नही मिलती है,पर वे गोरो की तरह बाहर जाना कभी भी स्वीकार नही करेंगे|क्योंकि जैसा कि मैने इससे पहले बतलाया कि सागर में मिले नदी नाले जिस तरह वापस जहाँ से आये थे वहाँ पर उसी रुप में नही जा सकते उसी तरह इस विशाल सागर देश अखंड सोने कि चिड़ियाँ विश्वगुरु में समाकर वापस उसी रुप में नही जा सकते जिस छुवा छुत रुप में जज्ब हुए हैं|बजाय इसके कि एक अलग स्थान देकर उन्हे अपनी छुवा छुत भारी भेदभाव का लहर मारने दिया जाय,चाहे जिस धर्म में छुवा छुत भारी भेदभाव करने वाले मौजुद हो|उन सभी को अपने छुवा छुत भारी भेदभाव कि मांसिकता पर छोड़ दिया जाय यदि वे उसी में ही सबसे अधिक सुख शांती और समृद्ध विकसित जिवन महसुश करते हैं|जिसके चलते आजतक भी छुवा छुत भारी भेदभाव को न छोड़कर पिड़ि दर पिड़ी किसी जेनेटिक विशेषता की तरह आगे बड़ाते चले जा रहे हैं|जिन्हे उनकी छुवा छुत विरासत को अपने छुवा छुत भारी भेदभाव करने वाले पुर्वजो की खास विरासत समझकर सम्हालने दिया जाय|और वैसे भी जैसा कि मैने बतलाया छुवा छुत और भारी भेदभाव करने वाले कभी भी उसे जड़ से नही छोड़ेंगे|इसलिए मैने ये ऐतिहासिक विचार जो कि सायद आजतक का सबसे नया अपडेट विचार है,जो कि कभी आजतक हुआ ही नही था सिवाय छुवा छुत और भारी भेदभाव करने वालो की छुवा छुत समाप्त हो जायेगी सोचकर हजारो सालो से छुवा छुत से पुर्ण अजादी पाने की संघर्ष भारी शोषन अत्याचार सहते हुए और मरते हुए छुवा छुत करने वाले और छुवा छुत का शिकार होने वाले दोनो ही एक साथ रहते हुए अपडेट करते रहने कि,जिसकी वजह से शोषन अत्याचार और सबसे अधिक मौते भी जारी है|क्योंकि मेरा ये भी मानना है कि ये भारी भेदभाव और छुवा छुत करने वालो के साथ रहकर ही अबतक ये सोने कि चिड़ियाँ विश्वगुरु अपडेट होने में जो देरी हो रही है,उसके चलते ही सबसे ज्यादा मौते छुवा छुत भारी भेदभाव का शिकार होने वालो का ही हो रही है|जैसे कि शिकारी और शिकार यदि जंगल राज की तरह एक साथ रहे तो फिर शिकार की ही मौत ज्यादे तादार में होगी शिकार होते समय|न कि शिकारी की मौत ज्यादे होगी|हलांकि बहुत सारे शिकार करने वाले ही जिस तरह लुप्त होते जा रहे हैं,उसी तरह छुवा छुत भारी भेदभाव करने वालो की भी तादार छुवा छुत भारी भेदभाव का शिकार करते खुद ही अपने अलग तरह की जिवन शैली का शिकार बनते जा रहे हैं|जिसके चलते मुझे पुरा विश्वास है कि जिस तरह लुप्त प्रजाती को एक जगह विशेष स्थान देकर उन्हे बचाने के लिए विशेष व्यवस्था कि जाती है,उस तरह यदि छुवा छुत भारी भेदभाव करने वालो को भी यदि अलग से स्थान देकर नही बसाया गया तो ये दुसरो को छुवा छुत भारी भेदभाव करके शोषन अत्याचार शिकार करके समाप्त करने के बजाय खुदको ही किसी भस्मासुर कि तरह समाप्त कर लेंगे|जिससे अच्छा है कि छुवा छुत भारी भेदभाव करने वाले और छुवा छुत भारी भेदभाव का शिकार होनेवाले दोनो ही अपनी अपनी सोच की खुशहाल दुनियाँ बसाकर बिना एक दुसरे को तकलिफ दिए ही सुरक्षित रह सके|जो कि मेरे ख्याल से अभी एक साथ रहकर उतना सुरक्षित नही हैं,जितना की अलग अलग रहकर,बजाय कि इतने सारे देश बिना खास कारन के अखंड सोने कि चिड़ियाँ विश्वगुरु से खंड खंड कर दिया गया है|जो पहले सभी प्राचीन अखंड हिन्दुस्तान में एकजुट थे|जिसका मैं कभी भी समर्थन नही करता यदि धर्म के नाम से देश का बंटवारा करने की मुझसे राय ली जाती|क्योंकि यदि धर्म के नाम से देश बंटे तो फिर तो पुरे विश्व में मात्र जितने धर्म उतने देश आज बंटे रहते|जो की देश बंटवारा की खास वजह कभी बन ही नही सकती जबतक कि धर्म परिवर्तन करना देश परिवर्तन करना नही समझा जायेगा|जबकि अभी तो मैं इतना खास कारन बतला रहा हुँ कि उससे जुड़ी हुई समस्या को दुर करने के लिए न जाने अबतक कितने ही लोग छुवा छुत भारी भेदभाव समाप्त करने के लिए एक साथ ही रहकर विचार किए और अपना छुवा छुत भारी भेदभाव का सपना अधुरा रखकर चले गए,जो कि उन सभी का अधुरा सपना छुवा छुत भारी भेदभाव मुक्त करके पुरा करने के साथ साथ छुवा छुत भारी भेदभाव का शिकार होकर भारी शोषन अत्याचार हजारो सालो से सहते आ रहे अखंड हिन्दुस्तान के मुलवासियो का भी सपना पुरा हो जायेगा,यदि जो कदम मैने उठाने के लिए कहा है उसे उठाकर इस सोने की चिड़ियाँ विश्वगुरु को अपडेट किया जाय|बजाय इसके कि इसे धर्म के नाम से खंड खंड करके कई देश बनाकर ये विचार किया जाय कि छुवा छुत भारी भेदभाव करने वालो को जो कि किसी भी धर्म में मौजुद हो सकते हैं,उन्हे सिर्फ एक खंड करके अलग से छुवा छुत भारी भेदभाव कि दुनियाँ अलग से बसाने के लिए देने कि बात कर रहा हुँ|जिससे की सोने की चिड़ियाँ विश्वगुरु सिर्फ दो खंड में बंटती न कि आठ दस टुकड़ो में बटती|और न ही छुवा छुत भारी भेदभाव की वजह से छुवा छुत भारी भेदभाव करने वाले भी लंबे समय से शोषण अत्याचार सहते हुए भी बदनाम होते इस तरह जैसे कि उन्होने हि छुवा छुत को जन्म दिया है|जो यदि छुवा छुत भारी भेदभाव को इसी देश के ही मुलवासी जन्म देते तो फिर छुवा छुत भारी भेदभाव उच्च निच जाती के रुप में उच्च जाती के कहलाने वाले ही क्यों छुवा छुत करते वह भी पुजा स्थलो में भी छुवा छुत का बोर्ड लगाकर?जिस तरह की बोर्ड सभी शुद्र जाती के कहलाने वाले नागरिको की परिवारो में भी लगती?खैर यह अपडेट विचार व्यक्त करके सबको अपनी अपडेट ज्ञान बांटकर अब इस बारे में मेरे ख्याल से ज्यादे मंथन करने की जरुरत नही कि छुवा छुत भारी भेदभाव आखिर किसलिए दोनो तरह के लोग एक साथ रहकर हजारो सालो से समाप्त नही हो रहा है?क्योंकि ये बात विश्व स्तरीय एक डीएनए रिपोर्ट से भी साबित हो चूकि है कि छुवा छुत भारी भेदभाव करने वाले और छुवा छुत भारी भेदभाव शोषन अत्याचार का शिकार होने वाले दोनो ही अलग अलग डीएनए के लोग हैं|जिसे पुरी दुनियाँ सत्य मानती है|जिस विज्ञान प्रमाणित सत्य को मैने अपडेट दोनो तरह की लोगो के खुशियो को मंथन करके वह सुख अमृत निकाला है जिसे यदि जबतक भेदभाव करने वाले और भेदभाव का शिकार होने वाले मिलकर बांटने कि कोशिष करने का प्रयाश जारी रहेगा तबतक न तो सुख अमृत ठीक से बंटेगी और न ही वेद पुराण अनुसार उपर निचे स्वर्ग में भी शांती रहेगी!क्योंकि दोनो की सुख शांती और समृद्ध दुनियाँ अलग है|जिसे एक साथ मिलाकर सिर्फ सागर मंथन की तरह मंथन में बल तो दोनो तरफ से एक साथ लगेगा पर उस बल से निकला अमृत छुवा छुत भेदभाव करके सिर्फ एक तरफ ही बंटेगी!जैसे की वर्तमान में भी सिर्फ मुठीभर लोगो के लिए ही पुरे विश्व का समृद्धी बंट रही है,जिसके चलते जितना धन अभी सिर्फ 1% लोगो के पास सबके मिल जुलकर श्रम मंथन करने से बंट गई है,उतना धन 99% लोगो के पास भी सभी मिलकर श्रम मंथन करके भी नही बंटी है|जिस तरह का भारी अंतर इस देश के लोकतंत्र का चार प्रमुख स्तंभो में पदो की भागीदारी में भी भारी भेदभाव के रुप में देखा जा सकता है|जो भारी भेदभाव जड़ से ही समाप्त हो जायेगा यदि मेरे अपडेट बातो को माना जायेगा|जिसे न मानने पर चाहे जितना धर्म बदलो या फिर देश की नागरिकता बदलो,खुदको सबसे आधुनिक विकसित कहलाने वाले देश अमेरिका में भी गोरा काला के रुप में भारी भेदभाव मौजुद है|और हिन्दुस्तान में भी उच्च निच के रुप में भारी भेदभाव मौजुद है|जिस तरह के भारी भेदभाव से सबसे ज्यादे सुखी या फिर दुःखी वे लोग हैं,जो की गोरा काला और उच्च निच के बिच शारिरिक रिस्ता जोड़कर और परिवार बसाकर न तो इधर के न तो उधर के अथवा बिच का जिवन जी रहे हैं|जिस तरह की रिस्ता बनाकर यदि सबसे अधिक सुखमय जिवन जी जाती है तो फिर निश्चित रुप से सबको ऐसी ही जिवन को अपनानी चाहिए एक साथ रहकर संतुलित सुख शांती और समृद्धी जिवन की दुनियाँ बसाने की उम्मिद आगे भी हजारो सालो तक करते हुए!और यदि इस तरह कि रिस्ता बनाकर एक साथ रहकर सबसे अधिक कठिनाई और दुःखो का सामना भविष्य में भी होती रहती है,तो फिर छुवा छुत भारी भेदभाव को जड़ से समाप्त करने के लिए मेरे ही अपडेट विचार को दोनो तरह के लोगो को अपना लेना चाहिए|जिसमे दोनो को ही सबसे अधिक अपनी पसंद की दुनियाँ जिने को मिलेगी,जैसी दुनियाँ मुझे इस समय छुवा छुत भारी भेदभाव करने वालो के साथ रहकर सुख शांती और समृद्धी जिवन जिने को नही मिल पा रही है|जिसमे भारी बदलाव के लिए मैं ये केश दर्ज यदि कर भी दुँ भारी भेदभाव करने वालो की जन्म से उच्च जाती को बहुत बड़ा अपराधी जाती मानकर कि जिनके द्वारा छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव इस देश में हो रहा है,जिन्हे अपराधी घोषित करके सुधार घर में डाला जाय उस जन्म से उच्च जाती कहलाने वालो के भितर मौजुद भ्रष्ट बुद्धी में सुधार करने के लिए,तो क्या सभी उच्च जाती के कहलाने वाले छुवा छुत भारी भेदभाव शोषन अत्याचार जो कि पुरे देश में ही निच जाती कहलाने वालो के साथ लंबे समय से हो रहा है,जिनके साथ भारी भेदभाव करने वाले सजा पाने के लिए उस न्यायालय द्वारा सजा दिये जा सकते हैं?जहाँ पर आरक्षण मुक्त करके खुद ऐसी भेदभाव करके न्याय रक्षको कि बहाली हुई है,जो कि कभी नही होती यदि सभी भारी भेदभाव करने वाले सुधार घर में डाले जाते!जिसकी सिर्फ झांकी से ही पता चल जाता है कि मुझे ये सब अपडेट बाते करने की जरुरत ज्यादे सत्य मार्ग क्यों लग रही है?जो सत्य बाते मैं भारी भेदभाव करने वाले और भेदभाव का शिकार होनेवाले दोनो की भला के लिए लिख रहा हुँ|जिसे की मैं सौ प्रतिशत सत्य भी मानता हुँ|और साथ साथ मैं रिपोर्ट में मौजुद सबसे अधिक भागीदारी के काबिल जजो की बहाली को भी संवर्णो के सुख शांती और समृद्ध बहाली के लिए बेहत्तर तरिके से सोच समझकर हुआ है ये भी सत्य ही मानता हुँ|पर उनकी उस मनुस्मृती संविधान की दुनियाँ अनुसार जिसे बाबा अंबेडकर ने रोमराज से तुलना करने के बाद उसे भष्म करके अजाद भारत का संविधान लिखे हैं|जिसकी रक्षा और उसे ठीक से लागू करने की जिम्मेवारी उस न्यायायल को दिया गया है जहाँ पर न्याय रक्षक बहाली हाई कोर्ट जजो की झांकि 2000 ई० लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा की रिपोर्ट निचे है|जो कि मेरे अपडेट विचार को यदि अपनाई नही गई तो फिर आगे भी भारी भेदभाव होनी ही होनी है|जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं! जाहिर है बोये पेड़ बबूल का तो आम कहां से होगा?चाहे जितना भारी भेदभाव के खिलाफ केश किया जाय!
खैर मेरा अपडेट बात फिलहाल तो अनमोल के बजाय बिना कोई मोल के है इसलिए मेरे इस ब्लॉग की मकसद के बारे में कुछ जानकारी: के तौर पर मैं आगे ये बतलाना जरुर चाहुँगा कि यह ब्लॉग मैने मानवता और पर्यावरण में कैसे संतुलन बना रहे,और पुरे विश्व के सभी लोग कैसे सुख शांती और समृद्धी खुशहाल जिवन एक दुसरे की सुख दुःख में शामिल होकर व्यक्तीत कर सके,इसकी Khoj करने कराने  के लिए तैयार किया है|न कि एक दुसरे को दुःख देने के लिए ही दुसरो कि जिवन में शामिल होने के लिए तैयार किया है|जैसे कि मेरे जिवन में भारी भेदभाव शामिल है इस समय|जिसकी वजह से उससे खुदको रोजमरा जिवन में भारी भेदभाव देश दुनियाँ में महसुश करके मैने ऐसी ज्ञान बांटने कि कोशिष किया है,जिससे की पुरी दुनियाँ के लोगो को मेरे विचार अनुसार क्या क्या Khoj और बदलाव सबसे पहले करनी चाहिए,उसके बारे में उचित ज्ञान बांटने कि कोशिष किया है|जिसे यदि मेरे विचार अनुसार पुरी दुनियाँ में बांटकर मेरे बांटे हुए ज्ञान को पुरी दुनियाँ न सही पर यदि सिर्फ ये विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश के सभी नागरिक भी यदि मेरे द्वारा बांटे गए ज्ञान को गंभीरता से ले तो भी मुझे पुरा विश्वास है कि पुरी दुनियाँ में सबसे बेहत्तर सुख शांती और समृद्धी कायम हो जायेगी,साथ साथ असंतुलित हुई मानवता और पर्यावरण भी संतुलित हो जायेगी|जो कि मेरे ख्याल से स्वभाविक है यदि यह देश वाकई में कभी विश्वगुरु माना गया है|जहाँ पर बारह माह अनगिनत प्राकृती पर्व त्योहार के रुप में पर्यावरण की पुजा की जाती है|क्योंकि विश्वगुरु जबतक छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव का दुःख अशांती और गरिबी भुखमरी से संघर्ष करता रहेगा तबतक पुरा विश्व भी कैसे सुख शांती और समृद्ध खुशहाल हो सकता है?जाहिर है मेरे द्वारा बांटे ज्ञान को यदि इस देश में भी सुख शांती और समृद्धी कायम करने के लिए गंभीरता से लेकर और उसपर अमल करते हुए इस देश में सुख शांती और समृद्धी वापस लौट आई,जैसे कि इस देश में सायद विश्वगुरु और सोने कि चिड़ियाँ रोजमरा जिवन में प्रयोगिक पहचान लेते समय मौजुद थी,तो भी पुरे विश्व में सुख शांती और समृद्धी कायम हो जायेगी|क्योंकि यदि विश्वगुरु सुख शांती और समृद्धी खुशहाल जिवन तो पुरे विश्व में भी खुशहाल जिवन|और चूँकि मेरा ये भी मानना है कि सबमे कोई न कोई छोटी बुराई जरुर मौजुद होती है,जो मुझमे भी हो सकती है,इसलिए ये जरुरी नही कि मेरे द्वारा बांटे गए ज्ञान में सारी बाते अच्छी हो,जिसे भी मैं सुधारने की प्रयाश करता ही रहता हुँ,और आगे भी मुझे जैसे जैसे ज्ञान अपडेट होती रहेगी मैं उन बुरी चीजो में सुधार करता रहुँगा, जिससे अच्छी कोई हो सकती है|जैसे की प्राकृती ने भी इंसान के लिए पुँछ वाला इंसान से बिना पुँच्छ वाला इंसान के रुप में अच्छी से अच्छी अपडेट बदलाव किए हैं,जो कि अब भी प्राकृती द्वारा किसी न किसी में बदलाव होना जारी है|बल्कि यदि भगवान से भी उपर कोई और बड़ी शक्ती मौजुद है तो भी मैं उससे भी दुवा करने की अपडेट दुवा करना चाहुँगा कि इस पृथ्वी और सृष्टी को रचने वाले भगवान में भी यदि कोई भेजे गए सृष्टी की रचना करने वाले में बुराई मौजुद हो तो भगवान को भी बनाने वाले द्वारा उसमे भी अपडेट जरुर होनी चाहिए,खासकर इंसानो के लिए एक भगवान की मान्यता के लिए खास सुधार जल्दी से करें,क्योंकि इस पृथ्वी में इंसान के लिए एक भगवान तो सारे धर्मो में मौजुद है,पर एक ही इंसान कई अलग अलग धर्मो को बनाकर आपस में ही धर्म के नाम से लड़ मर रहे हैं!इसलिए यदि भगवान से भी उपर कोई और बड़ा भगवान मौजुद है,तो जल्दी से ऐसा कोई सुधार जरुर हो जिससे की इंसान एक ही भगवान की पुजा करने के लिए कई अलग अलग धर्मो का उदय करके जो लड़ मर रहे हैं,वह बंद हो सके!और चुँकि इंसानो द्वारा खुद अलग अलग रचे गए सारे धर्मो के अनुसार भगवान से उपर कोई और मौजुद नही है,जिसे की सारे धर्मो के लोग अपना अपना धर्म छोड़कर एक साथ स्थिर अपना लें ,इसलिए सारे धर्मो में जिसे पुजा जाता है,और जिससे दुवा मांगी जाती है उस एक भगवान से ही मेरी दुवा है कि मानवता और पर्यावरण में संतुलन कायम हो,और साथ साथ मेरी वह तमाम दुवा भी कबूल हो जो कबूल न होने कि वजह से इस ब्लॉग के जरिए मैं उस संतुलित सुख की Khoj कर रहा हुँ,जिसकी सायद पुरे विश्व को सबसे अधिक तलाश है!जो अबतक न मिल पाने की वजह से पुरी दुनियाँ में सुख शांती और समृद्धी की कामना करने वाले लोगो की भिड़ मंदिर मस्जिद चर्च वगैरा पुजा स्थलो में भी बड़ती ही जा रही है|साथ साथ मेरा तो ये भी मानना है कि Khoj अधुरी होने पर निराश होकर लोग अपना धर्म भी बदल बदलकर एक धर्म से दुसरे धर्म फिर दुसरे से तीसरे धर्म बदल बदलकर उसकी Khoj कर रहे हैं,जिसकी सबको तलाश है!जो Khoj यदि आप मेरा ब्लॉग में आकर करना चाहते हैं,तो आप सभी का स्वागत है|और यदि मेरे द्वारा बांटे गए मेरे लिए तो अनमोल ज्ञान को मुफ्त में लेकर उसके बदले किसी पाठक को कोई दान दक्षिना के रुप में मुझे सहायता करने की जरुरत महशुस हो रही हो,तो वह मेरे इस पोस्ट को पुरे विश्व में ज्यादे से ज्यादे लोगो तक पहुँचाने के लिए अपनी इच्छा और क्षमता अनुसार योगदान दे सकते हैं|जिससे की मेरा इस ज्ञान को लेने के लिए जितने ज्यादे लोग मेरे इस ब्लॉगर पते में मौजुद पोस्ट को पढ़ने के लिए प्रवेश करते नजर आयेंगे जो कि ब्लॉगर द्वारा दिए गए विशेष आंकड़ो के जरिये भी मुझे नजर आयेगी,उसे देखकर हर रोज ही इस सहायता के लिए मैं आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद जरुर करना चाहुँगा!जो धिरे धिरे बड़ रही है,जिसके लिए फिर से एकबार तन मन दोनो से यही दुवा करना चाहुँगा कि मानवता और पर्यावरण संतुलित हो और पुरे विश्व में सुख शांती और समृद्धी खुशहाली जल्दी से कायम हो!"धन्यवाद"

https://zipansion.com/GD73

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गर्मी के मौसम में उगने वाले ये केंद फल जीवन अमृत है और उसी फल का केंदू पत्ता का इस्तेमाल करके हर साल मौत का बरसात लाई जा रही है

साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा हिन्दु धर्म में की जाती है , न कि मनुवादियो के पूर्वज देवो की पुजा की जाती है

गुलाम बनाने वाले मनुवादी के पूर्वजों की पूजा करने वाला मूलनिवासी फिल्म कोयला का गुंगा हिरो और मनुवादी प्रमुख बिलेन है