संवर्ण सायद मनुस्मृती सोच की अहंकार में चुर होकर खुदको जन्म से उच्च विद्वान पंडित और सबसे अधिक talented समझकर आरक्षण मुक्त की बाते कर रहे हैं!

 संवर्ण सायद मनुस्मृती सोच की अहंकार में चुर होकर खुदको जन्म से उच्च विद्वान पंडित और सबसे अधिक talented समझकर आरक्षण मुक्त की बाते कर रहे हैं!
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जबकि आरक्षण का विरोध करने वालो को जरुर पता होना चाहिए कि सिर्फ उच्च Degree प्राप्त करना और उच्च पद प्राप्त करना ही सबसे talented होना नही होता है|बल्कि उच्च ज्ञान की Degree या फिर उच्च पद प्राप्त करके उसे अमल पर लाना सबसे अधिक telent अथवा सबसे गुणवाण होने का प्रदर्शन प्रयोगिक रुप से होता है|जैसे कि डिग्री से तो अर्जुन भी विश्व का सबसे बेहत्तर लक्ष साधने अथवा सबसे बेहत्तर Aim रखने वाला टैलेंट रखता था,पर बिना डिग्री और बिना गुरु अथवा Teacher के भी एकलव्य अर्जुन से ज्यादे लक्ष साधने वाला प्रयोगिक रुप से ऐसा हुनरमंद वीर था,जिसे बिना लक्ष का ज्ञान दिए ही अर्जुन का गुरु भी उसके प्रयोगिक टैलेंट को देखकर ये स्वीकार कर लिया था कि एकलव्य बिना गुरु और बिना डिग्री के भी अर्जुन से ज्यादे सटिक लक्ष अथवा Aim साधने वाला हुनरमंद वीर है!जिस एकलव्य से ज्यादे लक्ष अर्जुन कभी भी नही साध सकता,जो बात मनुस्मृती टैलेंट रखने वाले संवर्णो को अच्छी नही लगती है|जिसके चलते द्रोणाचार्य द्वारा बिना गुरु ज्ञान दिए ही गुरु दक्षिणा के रुप में एकलव्य से उसका अँगुठा मांगा गया था|ताकि एकलव्य को कोई ऐसा अवसर ही नही मिले,जिससे कि वह पुरी दुनियाँ के सामने अपना लक्ष साधने की हुनर को दिखला सके|ताकि उसकी हुनर भारी भेदभाव के बिच छुपा रहे,और दुनियाँ ये सोचती रहे कि अर्जुन से ज्यादे लक्ष अथवा Aim को साधने वाला पुरी दुनियाँ में और कोई है ही नही!क्योंकि अवसर मिलने पर एकलव्य अर्जुन से आगे निकल सकता था|जैसे कि बाबा अंबेडकर को अवसर मिलने के बाद उन्होने संवर्णो को बतला दिया है कि उसके पास मनुस्मृती से भी बेहत्तर रचना अजाद भारत का संविधान रचना करने की टैलेंट मौजुद है|और साथ साथ देश विदेश की बड़ी बड़ी उच्च डिग्री हासिल करने का भी हुनर है|पर चूँकि एकलव्य को अवसर न देना दरसल भेदभाव करने वाली मनुस्मृती टैलेंट ही सबसे बड़ी वजह बनी थी,जैसे कि अभी भी भष्म मनुस्मृती का भुत सवार होकर ही आरक्षण का विरोध कराके अजाद भारत का संविधान में मिले हक अधिकार अँगुठा को  कटवाने का कोशिष किया जा रहा है|जिस मनुस्मृती सोच के लोगो का आरक्षण को दिलवाने में को योगदान भी नही रहा है|जैसे कि अर्जुन का गुरु द्रोणाचार्य द्वारा भी एकलव्य को लक्ष साधने की हुनर सिखलाने में कोई खास योगदान नही दिया गया था|पर फिर भी अपने मनुस्मृती विचार के टैलेंट हुनर का प्रदर्शन करते हुए बिना ज्ञान दिए ही गुरु दक्षिणा के रुप में एकलव्य से उसका अँगुठा कटवा लिया था|और उसके बाद ही इस बात पर निश्चित हो सका कि अपने सिखाये हुए शिष्य को विश्व का सबसे बेहत्तर लक्ष साधने वाला हुनरमंद कहलाने का बेहत्तर श्रेय अब मिल गया है|जो विश्व का सबसे बेहत्तर लक्ष साधने वाला श्रेय का इनाम दिया भी तो भी समझने वाले समझ जायेंगे कि द्रोणाचार्य को अपने दिए गए ज्ञान में पुर्ण विशावास नही था जिसके चलते ही उसने एकलव्य के साथ भारी भेदभाव तो किया ही पर बिना गुरु ज्ञान दिए ही गुरु दक्षिणा के रुप में एकलव्य का अँगुठा भी माँग लिया|जो अंगुठा अर्जून से क्या मांगा जा सकता था सबसे बेहत्तर शिष्य बतलाकर?जिस तरह का भेदभाव लक्ष अथवा भेदभाव Aim को साधकर ही आरक्षण का विरोध संवर्णो द्वारा किया जा रहा हैं|क्योंकि उनको पता है कि उनका जबतक लोकतंत्र के चारो स्तंभो में हाउसफुल दबदबा रहेगी तबतक दबदबा में कोई कमी न आ जाय इसके लिए बाकियो को तो उच्च डिग्री भी ठीक से हासिल करने नही देंगे और न ही उच्च डिग्री हासिल करने के लिए आर्थिक रुप से मजबूत होने देंगे,क्योंकि मनुस्मृती जैसे अप्राकृतिक संविधान में यह भी नियम कानून बनाया गया था कि ज्ञान मंदिर में शोषित पिड़ितो को घुसने न दिया जाय,जिस तरह के नियम कानून आज भी कई मंदिरो में लागू है,जहां पर बाहर ये बोर्ड लिखा मिल जाता है कि अंदर शुद्र का प्रवेश मना है|भले ही क्यों न आज मनुस्मृती को भष्म करके अजाद भारत का संविधान रचना करके वह लागू हो पर छुवा छुत करने वालो के मन में भष्म मनुस्मृती का भुत जरुर सवार होकर आज भी भारी भेदभाव विभिन्न तरह की अपडेट के साथ भारी भेदभाव किया जाना जारी है|जैसे कि मनुस्मृती अनुसार उच्च जाति छोड़कर कोई और के द्वारा वेद सुनने पर कान में गर्म लोहा डालना और वेद बोलने पर जीभ काटना जैसे शोषन अत्याचार किया जाना है|जिसे नया अपडेट करके ही छुवा छुत करने वालो की नजर में सबसे अधिक टैलेंटेड होना माना जाता है|जिस तरह के टैलेंट हुनर के बारे में मनुस्मृती के अलावे और कई छुवा छुत ग्रंथो में भी लिखा गया है|और साथ साथ किसी शुद्र को कभी अमिर नही बनना चाहिए बल्कि उसे हमेशा गरिब बनकर उच्च जाती के लोगो की सेवा करते रहना चाहिए,ये भी लिखा है|जिसे ही ध्यान में रखकर नया डीजिटल अपडेट करने की सपने देखी जा रही है|जिसके लिए सायद Digital Update के रुप में एक नई प्रकार का Skill India अभियान अलग से खास चलाया जा रहा है|जिसके बारे में मैं तो आरक्षण का विरोध करने वालो का विरोध में यही कहुँगा कि चूँकि इस कृषी प्रधान देश में जिसकी सबसे बडी हुनर ही कृषी सभ्यता संस्कृती रही है,जिस कृषि तप से ही हजारो साल पहले ही हजारो हुनर अथवा Skill वरदान खोज Khoj करके उस हजारो हुनर जिसे आज हजारो जाती के रुप में जाना जाता है,उसके जरिये ही सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की स्थापना अथवा हजारो साल पहले ही इस अखंड कृषी प्रधान देश में विकसित गणतंत्र और पंचायत की स्थापना करके विकसित आधुनिक व्यवस्था आधुनिक समाज परिवार सुख शांती और समृद्धी कायम की गई थी,जिन हजारो हुनरो को आज आरक्षण का विरोध करके कोई मनुस्मृती टैलेंट की मांसिकता रखने वाली भ्रष्ट सोच शोषित पिड़ितो को क्या उच्च डिग्री टैलेंट के बारे में सिखलायेगा,जिनके पुर्वजो के पास हजारो साल पहले भी हजारो हुनरो कि प्रयोगिक टैलेंट मौजुद थी|जो कि आज भी हजारो शुद्र निच जाती के रुप में हजारो हुनर मौजुद मौजुद है|जिसे अनदेखा करके वर्तमान की भाजपा सरकार Skill India ऐसी चला रही है,जैसे कि इस देश के लोगो को नया स्किल सिखला रही है|जो यदि इस देश की Skill in India की सत्ता कुर्सी में बैठकर स्किल इंडिया योजना बनाकर पहले से ही हजारो हुनर को जानने वाले लोगो को बिना रोजगार दिए हुनरमंद बना भी रही है तो वह सिर्फ अपने हिसाब से विकाश अपडेट कर रही है,जिसे हर देश की सरकार अपने अपने तरिके से करती है|इसमे कोई नई बात नही है,बल्कि नई बात तब होती जब ये सरकार बनने के बाद सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु अपडेट करने की कृषी प्रधान प्रयोगिक Skill अथवा हुनर सिख पाती|जो कि न सिखकर ये सरकार पुरी दुनियाँ घुम घुमकर मानो सिर्फ दुसरे की अपडेट पुँच्छ पकड़कर कृषी प्रधान देश विश्वगुरु का नेतृत्व करके गुरु नही बल्कि गुरुघंटाल बनने निकली हो|जो अपने हिसाब से कृषी प्रधान देश में कबिलई प्रधान टैलेंट का प्रदर्शन करते हुए पुरी दुनियाँ घुम घुमकर एफडीआई विकाश ऐसी कर रही है,जैसे कि कभी कांग्रेस सरकार भी आधुनिक भारत गरिबी हटाओ का नारा देकर की थी|जिस तरह कि विकाश में निजि विकाश ज्यादे होता है|और सरकारी विकाश कम होता है|जिस तरह कि निजि विकाश के लिए भी आरक्षण का विरोध हो रहा है|क्योंकि अब निजि क्षेत्रो में भी आरक्षण की मांग जोर सोर से उठ रही है|जो कि स्वभाविक है,चूँकि ये मुमकिन है कि ईस्ट इंडिया कंपनी कि तरह एफडीआई के जरिये निजि कंपनी खोलकर भी इस कृषी प्रधान देश के कृषको की बहुत सी उपजाउ जमिने और प्राकृतीक धन संपदा अंग्रेजो की हड़प निति को अपडेट करके हड़पी जा रही है|जैसे कि कांग्रेस सरकार के समय में कोयला घोटाला जैसे बड़े बड़े घोटाले हुए हैं,उसे करने के लिए ज्यादेतर आरक्षण मुक्त निजि कंपनियो के साथ ही सांठगांठ करके हुए हैं|जिन निजि कंपनियो में कोई भी आरक्षण नही होती है,बल्कि ज्यादेतर काम निजि ठिके पर ही लिये जाते हैं|जिसमे वर्करो की हालत कैसी होती है इसे जानने के लिए ठिके पर लिए गए गरिब मजदूरो कि रोजमरा जिवन को विस्तार पूर्वक जानकर पता चल जाता है कि उनके साथ क्या क्या जुल्म और सितम हर रोज हो रहे हैं|बस वे सभी गरिब मजदूर मजबूर होकर उज्वल भविष्य का इंजार करते हुए अपना बदहाल जिवन किसी तरह जी रहे हैं|जो कभी कभी अति जुल्म सितम होने पर अपने हक इधिकारो को पाने के लिए सड़को में भी उतर जाते हैं,यह अवाज बुलंद करते हुए कि हम मेहनत करने वाले मजदूर हैं,किसी की गुलामी जैसे बुरे हालात में काम करने के लिए मजबूर नही हैं!जो कि स्वभाविक है ,क्योंकि अजाद भारत में भी उन्हे दिन रात खराब से खराब बुरे हालात में काम कराकर उन्हे उनका उचित श्रममोल अथवा काम के पैसे भी कम दिए जाते हैं,और उनसे जिवन जोखिम से भरा काम ऐसे कराये जाते हैं,जैसे उनके जिवन का कोई मोल ही नही है|जैसे कि गुलामो से काम कराते समय उनके जिवन का बस काम करने लायक जिंदा रहने तक मोल होता है,उसके बाद उनका भविष्य जाय अँधकार में, मानो उनकी जिवन को आम खाकर गुठली कि तरह चुसकर फैंक दी जाती है|जिन ठिके पर लिए गए मजदूरो के लिए ठीक से सुरक्षा इंतजाम और सेहत ख्याल भी नही रखा जाता है|और कई बार तो बहुत से मजदूरो को कोयले की खानो में जिंदा दफन तक कर दिया जाता है|जो निजि क्षेत्रो में यदि आरक्षण लागू हो जाय तो उनपर भी विशेष नियम कानून लागू होकर और विशेष नजर रखकर उनका जिवन मोल और उनका हक अधिकार भी कोयले की खानो से निकलने वाले किमती हीरे की तरह बड़ जायेंगे,साथ ही निजि क्षेत्रो में भी आरक्षण लागु होने पर बहुत सी शोषन अत्याचार की घटनाये भी रुकेगी जो बाते सोचकर भी निजि क्षेत्रो में भी उसी तरह की आरक्षण मांग उठ रही है,जैसे कि अभी सरकारी क्षेत्रो में आरक्षण लागु है|क्योंकि अजाद भारत का संविधान में विशेष अधिकार के साथ साथ आरक्षण भी इसलिए प्राप्त है,ताकि इस इस सोने कि चिड़ियाँ को प्रयोगिक नया अपडेट करने का बेहत्तर मालिकाना अवसर भी मिल सके,न कि कोई ईस्ट इंडिया गुलाम बनाने वाली कंपनी फिर से अपडेट होकर देश फिर से गुलाम दास हो जाय|क्योंकि मनुस्मृती टैलेंट रखकर खुदको जन्म से विद्वान पंडित,वीर क्षत्रिय और धन्ना वैश्य सिर्फ डिग्री दिखलाकर प्रयोगिक रुप से भी खुदको टैलेंटेड समझकर आरक्षण का विरोध गरने वाले लोगो की छुवा छुत जैसे टैलेंट से ये देश विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ नही कहलाया है|बल्कि हजारो हुनरो के जरिये जो प्रयोगिक विकाश बेहत्तर तरिके से नेतृत्व करने से होता है,उसके जरिये ही ये देश विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कहलाया है|जिन हजारो हुनरो को हजारो निच जाती घोषित करने की मनुस्मृती रचना संवर्णो द्वारा बहुत पहले ही करके इस देश को पिच्छे ढकलने कि कोशिष हजारो सालो से जारी है|जिसके चलते ही तो ये देश दुबारा आजतक विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ अपडेट नही हो पा रहा है|क्योंकि गोरे चले गए लेकिन इस देश में आज भी छुवा छुत जैसे टैलेंट कायम है|जो कि स्वभाविक है,क्योंकि गोरे गए हैं,लेकिन छुवा छुत कराने वाले भष्म मनुस्मृती का भुत अब भी देश में ही मौजुद कोने कोने में मंडरा रहा है|जिसके चलते ये देश सोने की चिड़ियाँ होते हुए भी Poor India अथवा गरिब बीपीएल है|जहाँ पर विश्व का सबसे बड़ा झुगी झोपड़ी मौजुद है|और विश्वगुरु होते हुए भी आज विश्व के टॉप दो सौ विश्वविद्यालयो में भी अपना नाम दर्ज नही करा पा रहा है|जिस तरह के बुरे हालात क्या तब भी मौजुद थी जब इस देश में विश्व के कोने कोने से नालंदा विश्वविद्यालय जैसे कई प्राचिन विश्वविद्यालय में दुमियाँभर के छात्र पढ़ने के लिए आते थे?जहाँ से आज इस देश के सेवक मंत्री और उच्च अधिकारी भी अपनी सेवा में बेहत्तर शिक्षा सेवा न रहने कि मानो कबूल करके कोने कोने से अपने बच्चो को विदेशो में पढ़ाने के लिए भेज रहे हैं|और कई तो खुद भी पढ़कर आए हैं|क्या ऐसी गरिब बीपीएल बुरे हालात तब भी मौजुद थे जब ये देश सोने कि चिड़ियाँ प्रयोगिक रुप से कही जाती थी,जब इस देश के ग्राम में भी इस देश की जनता मालिक सोने चाँदी के जेवरो से लदी रहती थी,और सोने चाँदी के बरतनो में खाना खाते थे,और सोने की मुद्रा भी चला करती थी,और इस उत्तम कृषी प्रधान देश की अन्न धान धन फसल सोने की फसले मानी जाती थी,जो कि सबकी जिवन में गरिबी भुखमरी दुर करके सुख शांती और समृद्धी लाकर कई और देशो की अनगिनत जनता को भी पालती थी|जिसका चिन्ह और उदाहरन आज भी देखने को मिलते हैं|क्योंकि लुटपाट करते समय भी चोर लुटेरे सबकुछ लुटकर नही ले जा पाते हैं|जैसे कि गोरे भी तो इस देश में कभी लुटपाट करने इस देश की अमिरी देखकर ही तो आए थे,न कि गरिबी भुखमरी देखकर शान से पलने आए थे|बल्कि इस देश की अमिरी में उससे पहले भी कई घुमकड़ विदेशी कबिलई पल रहे थे,जिनसे सांठगांठ करके बाद में गोरो ने आपस में ही गैंगवार करके अपना वर्चस्व कायम किया था|क्योंकि इतिहास गवाह है कि गोरो के आने से बहुत पहले से ही अथवा हजारो साल पहले से ही कई कबिलई देशो से घुमकड़ कबिलई इस स्थिर कृषी प्रधान देश में ऐसे समाते जाते रहे हैं,जैसे स्थिर सागर में अनगिनत नदी नाले समाते हैं|नदी उन्हे मान लिया जाय जिन्होने इस देश को कोई नुकसान नही किया और नाला उसे मान लिया जाय जो इस देश को हजारो सालो से लुटकर काफी नुकसान किए हैं|जैसे कि गोरो ने दो सौ सालो से भी अधिक समय तक इस देश को लुटा|और गोरो से अजादी मिलने के बाद आजतक भी इस देश में गरिबी भुखमरी और बदहाली कायम रहना वर्तमान का मुल कारन जैसा कि मैने पहले भी बतलाया इस देश में छुवा छुत उच्च निच जैसे भारी भेदभाव कायम अब भी रहना मानता हुँ|जिसे यदि आरक्षण का विरोध करने वाले संवर्ण ठीक से समझ ले तो उनको अच्छी तरह से पता चल जायेगा कि आरक्षण किसलिए जरुरी होता है?

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