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मेरी राय में सबकी गरिबी भुखमरी एक झटके में दुर करके उनकी ही बुद्धी बल से वापस सोने की चिड़ियाँ को अपडेट कैसे करें

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  मेरी राय में सबकी गरिबी भुखमरी एक झटके में दुर करके उनकी ही बुद्धी बल से वापस सोने की चिड़ियाँ को अपडेट कैसे करें अब इस देश के मुलनिवासी पहले जैसा कमजोर नही बल्कि ताकतवर हो चुका है , जो अब महंगी महंगी सुट बुट पहनने लगा हैं " वगैरा वगैरा प्रतिक्रिया क्या वाकई गरिब बीपीएल परिवार के उन लोगो में लागू होती है , जिनकी मौत इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में अन्न धन का भंडार होते हुए भी गरिबी भुखमरी से हो रही है ? क्योंकि इस देश के मुलनिवासी बुद्धी और शारिरिक बल से कमजोर तो हजारो लाखो साल पहले भी नही था , जिसका ऐतिहासिक प्रमाण हजारो साल पहले निर्माण की गई प्राचिन सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति और नालंदा जैसे कई विश्वविद्यालय है , पर मनुवादि शासन में भी अमिरी सुख सुविधा का लाभ उठा रहे गिने चुने ताकतवर मुलनिवासियो को यह बात भी जरुर हमेशा याद रखनी चाहिए कि सुट बुट पहनने वाले शोषित पिड़ितो से कई गुणा अबादी लंबे समय से जिवित रहने के लिए ताकतवर और सहनशील संघर्क सबसे अधिक करते हुए भी हजारो साल बाद विकसित से और अधिक विकसित होने के बजाय इस मनुवादि शासन में भुखा नंगा जिवन जिने क

सबसे उचित हक अधिकार दरसल सबसे पहले इस देश के मुलनिवासियो को मास्टर चाभि कहे जानेवाली सत्ता में उचित अवसर मिलना है

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सबसे उचित हक अधिकार दरसल सबसे पहले इस देश के मुलनिवासियो को मास्टर चाभि कहे जानेवाली सत्ता में उचित अवसर मिलना है  जिस सत्ता में इस समय मनुवादियो की दबदबा मौजुद है | जिनकी दबदबावाली सत्ता में लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनके हक अधिकारो की अँगुठा काटकर उच्च पदो में सबसे अधिक बहाली मनुवादियो की होना स्वभाविक है | क्योंकि हमे यह कभी नही भुलना चाहिए की गोरो द्वारा गुलाम भारत में भी गुलाम करने वाले गोरे की ही बहाली न्यायालय तक में भी जज के रुप में सबसे अधिक होती थी | क्योंकि मुठिभर अबादी के होते हुए भी उनके हाथो देश की सत्ता मौजुद थी | जिसके रहते वे अजादी का आंदोलन करने वालो को सबसे बड़ा अपराधी और गुलाम करने वालो को निर्दोश साबित करके न्याय करने वाला सबसे बड़ा जज खुद ही खुदको सबसे अधिक बना सकते थे | जैसे की इस समय मनुवादि सबसे अधिक जज उस न्यायालय में भी बने और बनाए हुए हैं , जिसे अजाद भारत संविधान की रक्षा और उसे बेहत्तर तरिके से लागू करने की जिम्मेवारी आरक्षण मुक्त करके दी गई है | जिस संविधान की रचना करने वाले अ

इस देश के मुलनिवासी अपने सर मैं मैला तक ढोकर मनुवादियो के सर में सत्ता ताज पहना रखा है , फिर भी मनुवादियो को किमती जुता चप्पल तक में जलन

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इस देश के मुलनिवासी अपने सर मैं मैला तक ढोकर मनुवादियो के सर में सत्ता ताज पहना रखा है , फिर भी मनुवादियो को किमती जुता चप्पल तक में जलन जबकि किमती जुता चप्पल गाड़ी बंगला वगैरा को देखकर मनुवादियो को जलने के बजाय खुश होना चाहिए था कि उनकी छुवा छुत शासन में अभी भी कम से कम चंद मुलनिवासी तो अमिरी जिवन जी रहे हैं | क्योंकि अगर इस देश के मुलनिवासियो को हजारो सालो तक लुटा नही जाता , और विदेशी मुल के कबिलई द्वारा बार बार लंबे समय तक उनकी सत्ता पर कब्जा किया नही जाता , तो निश्चित तौर पर मनुवादियो से अधिक अमिर इस देश के मुलनिवासी होते | मनुवादियो से ज्यादे धन किमती गाड़ी बंगला वगैरा इस देश के मुलनिवासियो के पास सबसे अधिक होती | जिससे इस देश के मुलनिवासियो की असली औकात मनुवादियो और अन्य उन विदेशि मुल के लोगो को भी पता चल जाता जिनके द्वारा इस देश में प्रवेश करके इस देश के मुलनिवासियो के हक अधिकारो को लंबे समय तक लुटा गया है | और जिनके द्वारा लुटने से पहले उनकी भी औकात क्या थी सारी दुनियाँ को आज के समय में भी  प्रयोगिक तौर पर पता चल जाती | अथवा जिसके बारे में वर्तमान के भी झुठी शा

निश्चित तौर पर एक बलात्कारी भी दुसरे बलात्कारी का पुजा करना कभी नही चाहेगा

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निश्चित तौर पर एक बलात्कारी भी दुसरे बलात्कारी का पुजा करना कभी नही चाहेगा जलन की वजह से ही तो मनुवादि इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद वेद पुराण में भी कब्जा करके उसमे ढोंग पाखंड की मिलावट किया है | जिसके बाद ढोंग पाखंड द्वारा सच्चाई को छिपाकर इंद्रदेव जैसे बलात्कारियो की भी पुजा ऐसे की जानी सुरु हुई है , जैसे कि उच्च ज्ञान की भाषा में बलात्कारी होना पुज्यनीय होना है | जबकि सच्चाई ये है कि खुद किसी बलात्कारी के भी परिवार में यदि उसके माँ बहन के साथ कोई बलात्कार कर दे तो निश्चित तौर पर एक बलात्कारी भी दुसरे बलात्कारी का पुजा करना कभी नही चाहेगा | लेकिन शर्म की भी हद होती है कि अति बेशर्मी से इंद्रदेव जैसे बलात्कारियो की पुजा कराई जाती है | मनुवादि तो खैर इंद्रदेव को अपने पुज्यनीय पूर्वज कहकर पुजा करते हैं , पर वे इस देश के बहुत से मुलनिवासियो से भी इंद्रदेव जैसे बलात्कारियो की पुजा हिन्दु पुजा बताकर करा रहे हैं | जबकि इंद्रदेव तो सिर्फ झांकी है पुरी गंदी फिल्म तो वेद पुराणो में भरे पड़े हैं | जैसे कि आधुनिक इतिहास में भी कबिलई लुटेरो , गुलाम दास बनाने वालो और ब

मनुवादि पार्टी की रैली में जाकर मानो नर्क प्रवेश के लिए प्रवेश पत्र मांगा जा रहा था कहकर दुःखी होना हास्यस्पद लगती है

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मनुवादि पार्टी की रैली में जाकर मानो नर्क प्रवेश के लिए प्रवेश पत्र मांगा जा रहा था कहकर दुःखी होना हास्यस्पद लगती है आज दिनांक 12 सितंबर 2019 का पोस्ट वर्तमान की राजनैतिक हलचल पर लिखना इसलिए जरुरी समझा क्योंकि आज मुझे मानो एक हास्यस्पद जानकारी मिली की भाजपा द्वारा आज जो झारखंड की राजधानी रांची में रैली आयोजित की गई है , वहाँ पर खुद भाजपा के ही उन भक्तो को घुसने के लिए प्रवेश पत्र मांगा जा रहा था जिन्हे अब भी मनुवादि शासन में अच्छे दिन आने का इंतजार है | जिसे सुनकर मैने तो पहले अपने मन में यह विचार किया कि आखिर ऐसी नर्क में भी घुसने के लिए क्यों जाते हैं कुछ पिड़ित मुलनिवासी जिनकी जिवन को मनुवादि सत्ता पिड़ी दर पिड़ी खोखला बना रही है | जिसके बावजुद भी मनुवादि पार्टी की रैली में जाकर मानो नर्क प्रवेश के लिए प्रवेश पत्र मांगा जा रहा था कहकर दुःखी होना हास्यस्पद लगती है | जिन पिड़ित मुलनिवासियो को अबतक यह बात समझ जानी चाहिए थी की यदि मनुवादि शासन में मुलनिवासियो को लाभ पहुँचाने के लिए अनगिनत योजनायें बनाई भी जा रही है तो भी उससे ज्यादेतर लाभ मनुवादियो को ही हो रहा है | जैसे कि ग

मृत देवो को अब इस धरती पर जिवित विचरन करते हुए देखने की बाते करना दरसल भुत प्रेत की बाते करना है

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मृत देवो को अब इस धरती पर जिवित विचरन करते हुए देखने की बाते करना दरसल भुत प्रेत की बाते करना है | मनुवादियो की शासन को आनेवाली इस देश की नई पिड़ी अँधकारयुग ही मानेगी | जिसमे लगभग आधी अबादी बीपीएल और आधी अशिक्षित जिवन जिने को मजबूर है | क्योंकि मनुवादि सरकार के पास वह लक्ष ही नही जिसमे की प्रजा की बेहत्तर सेवा करके बेहत्तर शासन का इतिहास रचा जा सके | जिनके पास तो मनुस्मृती सोच से खुदगी सेवा कराने और बाकियो की शोषन अत्याचार करने में इतिहास रचने का लक्ष मौजुद रहती है | हलांकि वर्तमान के मनुवादि शासन में मनुवादियो के जिवन में भी असली खुशियाली मौजुद है कि नही यह तो उनकी आनेवाली नई पिड़ी तय करेगी | जैसे की गोरो की नई पिड़ी तय कर रही है कि गोरो के द्वारा कई देशो को गुलाम करके और करोड़ो लोगो का शोषन अत्याचार करके उनकी हक अधिकारो को छिनकर खुदकी सेवा कराने में सबसे अधिक खुशहाली जिवन थी की वर्तमान में खुशहाली जिवन है | वैसे मनुवादियो का सबसे आदर्श रामराज में भी सबसे अधिक दिल से खुशहाली जिवन मौजुद थी कि आत्महत्या करने वाली दुःखभरी जिवन थी , ये तो उस समय के हालात बयान करता है जब र

मनुवादियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम बनी रहे इसके लिए मनुवादि सरकार द्रोणाचार्य बनने का कार्य कर रही है

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मनुवादियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम बनी रहे इसके लिए मनुवादि सरकार द्रोणाचार्य बनने का कार्य कर रही है इस कृषि प्रधान देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , सबके पुर्वज एक हैं | चाहे वे वर्तमान में जिस धर्म से जुड़े हुए हो | क्योंकि धर्म परिवर्तन करने से अपने पुर्वजो के डीएनए परिवर्तन नही हो जाते | जिनकी अबादी बहुसंख्यक है | जिन सबकी हक अधिकार अँगुठा काटा या कटवाया जा रहा है | जिसके चलते लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च पदो में मनुवादि ही भारी तादार में बहाल किए गए हैं | बहुसंख्यक मुलनिवासी जो चाहे तो जिस धर्म में भी मौजुद हो उनकी मौजुदगी न के बराबर है | बल्कि न्यायालय में भी मनुवादियो का ही दबदबा है | मुलनिवासि तो गिने चुने बहाल किए जा रहे हैं | जो चाहे तो वोट से या मिल जुलकर एकता द्वारा किए गए कड़ी संघर्षो की चोट से एक झटके में मनुवादियो की सत्ता को उखाड़ फैंककर अपने छिने हुए हक अधिकारो को वापस पा सकते हैं | पर फिलहाल तो इस कृषि प्रधान देश में मनुवादियो की सत्ता सिर्फ कायम ही नही बल्कि हर रोज हक अधिकारो की छिना झपटी द्व