सबसे उचित हक अधिकार दरसल सबसे पहले इस देश के मुलनिवासियो को मास्टर चाभि कहे जानेवाली सत्ता में उचित अवसर मिलना है
सबसे उचित हक अधिकार दरसल सबसे पहले इस देश के मुलनिवासियो को मास्टर चाभि कहे जानेवाली सत्ता में उचित अवसर मिलना है
जिस सत्ता में इस समय मनुवादियो की दबदबा मौजुद है | जिनकी दबदबावाली सत्ता में लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनके हक अधिकारो की अँगुठा काटकर उच्च पदो में सबसे अधिक बहाली मनुवादियो की होना स्वभाविक है | क्योंकि हमे यह कभी नही भुलना चाहिए की गोरो द्वारा गुलाम भारत में भी गुलाम करने वाले गोरे की ही बहाली न्यायालय तक में भी जज के रुप में सबसे अधिक होती थी | क्योंकि मुठिभर अबादी के होते हुए भी उनके हाथो देश की सत्ता मौजुद थी | जिसके रहते वे अजादी का आंदोलन करने वालो को सबसे बड़ा अपराधी और गुलाम करने वालो को निर्दोश साबित करके न्याय करने वाला सबसे बड़ा जज खुद ही खुदको सबसे अधिक बना सकते थे | जैसे की इस समय मनुवादि सबसे अधिक जज उस न्यायालय में भी बने और बनाए हुए हैं , जिसे अजाद भारत संविधान की रक्षा और उसे बेहत्तर तरिके से लागू करने की जिम्मेवारी आरक्षण मुक्त करके दी गई है | जिस संविधान की रचना करने वाले अंबेडकर ने पहले मनुस्मृती को जलाया फिर जाके अजाद भारत का संविधान रचना किया था | जिसने कभी भी यह कल्पना नही कि होगी कि अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे बेहत्तर तरिके से लागू करने वाले न्यायालय का जज बहाल कथित उसी उच्च जाति के लोग सबसे अधिक होंगे जिनके द्वारा मनुस्मृती की रचना की गई थी | जिन मनुवादियो की उच्च निच छुवा छुत शोषन अत्याचार आज भी अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी बरकरार है | जो कथित उच्च जाति के लोग मनुस्मृती लागू करके इस देश के मुलनिवासियो को निच जाति घोषित करके वेद सुनने पर कान में गर्म पिघला लोहा डालना , वेद का उच्चारण करने पर जीभ काटना , अँगुठा काटना , कमर में झाड़ू टांगना , गले में थुक हांडी टांगना , जैसे न्याय करते थे | जो आज सबसे अधिक संख्या में न्यायालय में भी सबसे अधिक जज बनने कि काबिल खुदको साबित करके अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे बेहत्तर तरिके से लागू करने की जिम्मेवारी निभा रहे हैं | जिसकी झांकी पुर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई० के बारे में जानकर देख लिया जाय | जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमेब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं | हलांकि इस रिपोर्ट में अपना धर्म परिवर्तन करने वाले मुलनिवासियो की संख्या मौजुद है कि नही इसका जवाब तो रिपोर्ट बनाने वाले ही बेहत्तर बता सकते हैं | जिस रिपोर्ट में यदि वाकई में अपना धर्म परिवर्तन करने वाले मुलनिवासियो की संख्या हाईकोर्ट में 0 हुई तो फिर तो अपना धर्म परिवर्तन करने वाले मुलनिवासियो की हालत मनुवादि सत्ता में और भी अधिक खराब है |
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