मनुवादि पार्टी की रैली में जाकर मानो नर्क प्रवेश के लिए प्रवेश पत्र मांगा जा रहा था कहकर दुःखी होना हास्यस्पद लगती है
मनुवादि पार्टी की रैली में जाकर मानो नर्क प्रवेश के लिए प्रवेश पत्र मांगा जा रहा था कहकर दुःखी होना हास्यस्पद लगती है
निचे है 29 दिसंबर 2013 को वर्तमान के प्रधानमंत्री का दिया गया भाषन का अंश
और जैसे उनका कोई लेना देना नही, महंगाई से जिम्मेवारी नही, भ्रष्टाचार से उनकी जिम्मेवारी नही, अचानक आकाशवाणी करके छुप जाते हैं!
आप मुझे बताये भाइयो बहनो,मंहगाई कम होनी चाहिए की नही होनी चाहिए? गरीब के घर में चुल्हा जलना चाहिए की नही जलना चाहिए? गरीब के बच्चो को रात को खाना मिलना चाहिए की नही मिलना चाहिए? क्या ऐ जिम्मेवारी सरकार की हैं की नही हैं? ऐ जिम्मेवारी दिल्ली सरकार की हैं की नही हैं?
लेकिन ऐसे कह रहे हैं जैसे उनकी जिम्मेवारी नही हैं! और अभी तो कह दिया कि हमने मुख्यमंत्रियो को कह दिया हैं!
भाइयों बहनो मैं हैरान हूँ ,झारखंड में इतनी वर्षा होती हैं, इतना पानी आता हैं परमात्मा की कृपा से,लेकिन झारखंड के लोगो को पीने का पानी उपलब्ध न होता हो,भाइयो बहनो इससे बड़ी दर्दनाक बात क्या हो सकती है?इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है?
आज दिनांक 12 सितंबर 2019 का पोस्ट वर्तमान की राजनैतिक हलचल पर लिखना इसलिए जरुरी समझा क्योंकि आज मुझे मानो एक हास्यस्पद जानकारी मिली की भाजपा द्वारा आज जो झारखंड की राजधानी रांची में रैली आयोजित की गई है , वहाँ पर खुद भाजपा के ही उन भक्तो को घुसने के लिए प्रवेश पत्र मांगा जा रहा था जिन्हे अब भी मनुवादि शासन में अच्छे दिन आने का इंतजार है | जिसे सुनकर मैने तो पहले अपने मन में यह विचार किया कि आखिर ऐसी नर्क में भी घुसने के लिए क्यों जाते हैं कुछ पिड़ित मुलनिवासी जिनकी जिवन को मनुवादि सत्ता पिड़ी दर पिड़ी खोखला बना रही है | जिसके बावजुद भी मनुवादि पार्टी की रैली में जाकर मानो नर्क प्रवेश के लिए प्रवेश पत्र मांगा जा रहा था कहकर दुःखी होना हास्यस्पद लगती है | जिन पिड़ित मुलनिवासियो को अबतक यह बात समझ जानी चाहिए थी की यदि मनुवादि शासन में मुलनिवासियो को लाभ पहुँचाने के लिए अनगिनत योजनायें बनाई भी जा रही है तो भी उससे ज्यादेतर लाभ मनुवादियो को ही हो रहा है | जैसे कि गोरे शासन द्वारा प्रजा को लाभ पहुँचाने के नाम से भी ज्यादेतर तो गोरे अपनी ही सुख सुविधा और खनिज संपदा को लुटपाट चोरी करने के लिए रेल पटरी बिछाते थे | जिस तरह मनुवादि भी गोरो के जाने के बाद इस देश और प्रजा को लाभ पहुँचाने के नाम से ज्यादेतर अपनी सुख सुविधा और खनिज संपदा लुटपाट चोरी के लिए चौड़ी चौड़ी सड़क वगैरा बिछा और बने हुए को ही बार बार बना रहे हैं | जिसकी एक छोटी सी झांकी है देश को लगभग अकेला आधा खनिज संपदा प्रदान करने वाला प्राकृति समृद्ध राज्य झारखंड की राजधानी रांची में आज जो वर्तमान की मनुवादी सरकार द्वारा मल्टीमॉडल बंदरगाह बनाने की लुट योजना बनाई जा रही है , वह दरसल बंदरगाह के जरिये झारखंड की खनिज संपदा को देश विदेश में और भी अधिक सुविधा पूर्वक लुटाया जाने की योजना बनाई जा रही है | क्योंकि मनुवादि शासन में सिर्फ नाम मात्र के लिए इस तरह की योजनाओ से मुलनिवासी प्रजा को लाभ हो रहा है | जैसे की गोरो की शासन में भी प्रजा सेवा के नाम से बनाई जानेवाली योजनाओ से नाम मात्र का लाभ हो रहा था | जिसमे कितनी सच्चाई है इसे प्रयोगिक और उदाहरन के तौर पर इतिहास में दर्ज गोरो की शासन से अजादी पाने का संघर्ष आंदोलन है , और वर्तमान में भी जो मनुवादि शासन कायम है , उससे भी छुटकारा पाने का संघर्ष आंदोलन दर्ज हो रहा है | रही बात गोरो से अजादी पाने के बाद देश में कितनी खुशहाली आई है वह खुद मनुवादि शासन का बुराई मनुवादि पार्टी के ही नेता किस तरह से करते रहते हैं , इसकी झांकी वर्तमान के प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया पुराना भाषन है , जो कि उसी रांची के प्रभातारा मैदान में ही दिया गया था जहाँ पर आज फिर से भाषन दिया गया है | अंतर सिर्फ इतना है कि उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी जिसकी बुराई में भाषन दी जा रही थी और वर्तमान में चूँकि भाजपा सरकार है इसलिए स्वभाविक है कि खुदकी बड़ाई में भाषनबाजी हुई है |
निचे है 29 दिसंबर 2013 को वर्तमान के प्रधानमंत्री का दिया गया भाषन का अंश
"क्या देश में नही हो सकता हैं ? हो सकता हैं, इरादे चाहिए सिर्फ वादे नही, और इरादे भी नेक चाहिए, नेक इरादे तब जा करके होता हैं | लेकिन न इनके पास इरादे हैं,न इनके पास इरादो में नैतिकता हैं |"भाइयों बहनो पुराने जमाने में हम कथा सुनते थे, पुराने जो अपने पुराण है , उसमे आता था कि ऐसी ऐसी घटना घट रही थी, और अचानक एक आकाशवाणी हुई !
और उस आकाशवाणी से ये ये संदेश सुनने को मिला, ऐसा हमारे पुराणो में बहुत कथा आती हैं|भाइयो बहनो इन दिनों अगर हम गौर से देखें, ऐसा ही चल रहा हैं! जो खुद जिम्मेवार हैं, ऐ परिस्थिति पैदा करने के लिए जो जिम्मेदार हैं, परिस्थिति से बाहर निकालने की जिनकी जिम्मेवारी हैं, देश की जनता ने जिनको बागडोर दी हैं,
वे भी जैसे पुराने जमाने में आकाशवाणी हुआ करती थी, वैसे आकाशवाणी की तरह शब्दो को छोड़ देते हैं, कोई दाइत्व निभाने नही हैं, पत्रकारो को बुलाते हैं,
और जैसे उनका कोई लेना देना नही, महंगाई से जिम्मेवारी नही, भ्रष्टाचार से उनकी जिम्मेवारी नही, अचानक आकाशवाणी करके छुप जाते हैं!
भाइयों बहनो पुराणो में आकाशवाणी लोगो को सोचने के लिए मजबूर करती थी, आज के जमाने में आपकी आकाशवाणी, आपके छल कपट को प्रर्दशित करती हैं| जनता की आँख में धुल झोंकने का आपका प्रयास, साफ साफ दिखता हैं!
आप मुझे बताये भाइयो बहनो,मंहगाई कम होनी चाहिए की नही होनी चाहिए? गरीब के घर में चुल्हा जलना चाहिए की नही जलना चाहिए? गरीब के बच्चो को रात को खाना मिलना चाहिए की नही मिलना चाहिए? क्या ऐ जिम्मेवारी सरकार की हैं की नही हैं? ऐ जिम्मेवारी दिल्ली सरकार की हैं की नही हैं?
लेकिन ऐसे कह रहे हैं जैसे उनकी जिम्मेवारी नही हैं! और अभी तो कह दिया कि हमने मुख्यमंत्रियो को कह दिया हैं!
मैं आज राँची की धरती पर मीडिया के मित्र गौर करें देश में महंगाई को लेकरके तूफान खड़ा हुआ, प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्रियो की मीटिंग बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा, तीन साल पहले मुख्यमंत्रियों की मीटिंग बुलाई गयी, उस मीटिंग में चर्चा हुई, आखिरकार प्रधानमंत्री ने कुछ कमीटियाँ बनाई, महंगाई कम करने के उपाय खोजने के लिए, एक कमीटि का चेयरमैन मुझे बनाया, मेरे साथ तीन और चीफ मिनिस्टर लगाये, वो तीनो चीफ मिनिस्टर यूपीए के और कांग्रेस के थे, हमने रिपोर्ट बनाई, रिपोर्ट दी, उनको रिपोर्ट दिए भी ढाई साल हो गए, और हमने कहा महंगाई कम करने के लिए ऐ 20 इनिसिटिप (पहल) लेनी चाहिए, और हमने उनको 62 एक्सट्रेबल (सुझाव) पोंइन्ट बताऐ, वो ड्राप मैं खुद प्रधानमंत्री को जा करके दे आया, प्रधानमंत्री जी ने कहा बहुत अच्छा काम हुआ हैं,
लेकिन भाइयों बहनो ढाई साल हो जाए दिल्ली की सरकार जिसको लकवा मार गया हैं, महंगाई के उपायो के लिए अनेक सुझाव देने के बाद भी कोई काम नही किया उसने! कोई काम नही किया और आज आकाशवाणी हो रही हैं!मुख्यमंत्री ऐ करेंगे, मुख्यमंत्री वो करेंगे, भाइयों बहनो जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, भ्रष्टाचार के उनको इतने दाग लगे हैं|
अगर विश्व के सामने झारखंड के पास,जो प्राकृतिक सम्पदा है,भू सम्पदा है,सामर्थवान मानव बल है,उसका व्यौरा दुनियाँ के आर्थिक पंडितो को दिया जाय,और अगर उनको पुछा जाय कि जिस राज्य के पाश इतनी अपार सम्पत्ती हो,उस राज्य की आर्थिक स्थिती क्या होगी,भाइयो बहनो मैं विश्वास से कहता हूँ,दुनियाँ के किसि भी पंडित के सामने,ये जानकारियाँ रखी जाय,तो जवाब एक ही आ जायेगा कि ये राज्य दुनियाँ के समृद्ध देशो की बराबरी में हो सकता हैं!दुनियाँ के समृद्ध देशो की बराबरी में हो सकता है,इतनी सम्पदा का ये राज्य गरिब क्यों है?अमिर राज्य की गोद में गरिबि क्यों पल रही है? भाइयो बहनो इतना सारा होने के बावजुद भी,झारखंड की गरिबी बड़ते ही जा रही है कारण क्या है?
भाइयों बहनो मैं हैरान हूँ ,झारखंड में इतनी वर्षा होती हैं, इतना पानी आता हैं परमात्मा की कृपा से,लेकिन झारखंड के लोगो को पीने का पानी उपलब्ध न होता हो,भाइयो बहनो इससे बड़ी दर्दनाक बात क्या हो सकती है?इससे बड़ी शर्म की बात क्या हो सकती है?
आप मुझे कहिए भाइयों अजादी के इतने सालो के बाद आपको पीने का पानी मिलना चाहिए की नही मिलना चाहिए?जितना पानी पिने के लिए चाहिए उतना मिलना चाहिए की नही मिलना चाहिए?जो सरकारें आपको पीने का पानी तक न दे, किसान को खेत में पानी न मिले,वो सरकार और क्या भला कर सकती है भाइयों बहनो,भाइयो बहनो मेरे गुजरात में इतनी वर्षा नही होती हैं, मेरे यहाँ नदियाँ भी नही हैं, लेकिन क्या उन गरीब लोगो को पानी के लिए तरसते रखेंगे हमने रास्ता खोजा, हमने छोटे छोटे चेक डेम बनाये, लाखो की तादार में बनाये, बरसात की बूंद बुंद रोकने की कोशिश की, जलस्तर उपर लाये,पाइप लाइन से पानी ले जाने की व्यवस्थायें की,
थैंक्यू दोस्तों थैंक्यू, और भाइयों बहनो गुजरात के हजारों गाँवो में कभी टैंकर से पानी जाता था,आज नलके में पानी पीने का मिल रहा हैं,ऐ झारखंड में भी हो सकता है,ऐ झारखंड में भी हो सकता है दोस्तों,और इसलिए मैं कहने आया हूँ कि भाइयों बहनो अगर हम निर्धार करें तो समस्याओं का समाधान कर सकते हैं,और मुझे याद हैं,यहाँ से हमारी एक कार्यकर्ता ने मुझे प्रभात खबर इस अखबार की कॉपियाँ भेजी थी,और सायद हफ्ते भर बहुत बारिकी से गुजरात में पानी का प्रबंधन कैसे हो रहा हैं,पानी बचाने की योजना कैसे हो रही हैं,उसका विस्तार से रिपोर्ट झारखंड की जनता की चरनो में रखा था,लेकिन भाइयो बहनो यहाँ की सरकारो को,कांग्रेस पार्टी को,दिल्ली में बैठी हुई सरकार को,लोगो की भलाई के लिए कुछ करना नही है,और उसी का परिणाम हैं की आज विकाश की स्थिति को स्वीकार नही करते,न ही उस दिशा में जाने का प्रयास करते हैं|
भाइयो बहनो मैं हैरान हुँ,क्या कारन हैं की जिस धरती पर एच०ई०सी०(हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन)का कारखाना,जो कभी बहुत गर्व किया जाता था,विकाश की धरोहर के रुप में माना जाता था,क्या कारन हुआ वो भी लड़खड़ा गया?बेरोजगारी का मंजर मंडराने लगा,क्यों?मुल कारण ये हैं भाईयों बहनो!न इनको विकाश की चिंता है,न इनको सुशासन की चिंता है|"
वैसे तो कांग्रेस भाजपा एक ही मनुवादि सिक्के के बस दो अलग अलग पहलू है | जिन दोनो पार्टियो की ही सरकार बारी बारी से इस देश में शासन कर रही है | क्योंकि यदि अबतक हुए तमाम लोकसभा चुनाव को इमानदारी से हुआ चुनाव माना जाय तो निश्चित तौर पर कांग्रेस भाजपा दोनो ही पार्टी को इस देश की पिड़ित मुलनिवासी प्रजा भारी संख्या में वोट करके बार बार अदला बदली करके चुन रही है | सायद कांग्रेस भाजपा को बार बार सरकार चुनने वाले मुलनिवासी वोटरो को यकिन है कि कांग्रेस या भाजपा ही उनकी जिवन में खुशहाली लायेगी | जो खुशहाली पिछली पुरानी पिड़ी तो नही देख सकी इसलिए अब भाजपा कांग्रेस को वोट करने वाली पिड़ित मुलनिवासियो की नई पिड़ी भी यह तय कर ले कि दोनो पार्टी में आखिर किसका शासन उनकी जिवन में बुढ़ापा आने से पहले वह खुशहाली लायेगी जो अबतक नही आई है | कांग्रेस साठ सालो में नही ला सकी और उनकी पुरानी पिड़ी को गरिबी हटाओ और आधुनिक भारत का नारा देकर बीपीएल भारत और बेघर भारत छोड़कर खुद अमिर से और अमिर बन गयी है | जिस नक्से कदम पर ही भाजपा भी शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया का नारा देकर गरिबी भुखमरी की खाई में ही ले जा रही है | जिसका प्रमाण खुद दोनो पार्टी एक दुसरे की बुराई के रुप में देती रहती है | जो दरसल एक दुसरे की कुकर्मो का पोल खोलती रहती है | क्योंकि दोनो पार्टियो के पास एक दुसरे के बड़े बड़े कुकर्मो की फाईले मौजुद है | जो कि दोनो पार्टी की पाप घड़ा के रुप में भी मौजुद है |
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