मनुवादियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम बनी रहे इसके लिए मनुवादि सरकार द्रोणाचार्य बनने का कार्य कर रही है

मनुवादियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम बनी रहे इसके लिए मनुवादि सरकार द्रोणाचार्य बनने का कार्य कर रही है

इस कृषि प्रधान देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , सबके पुर्वज एक हैं | चाहे वे वर्तमान में जिस धर्म से जुड़े हुए हो | क्योंकि धर्म परिवर्तन करने से अपने पुर्वजो के डीएनए परिवर्तन नही हो जाते | जिनकी अबादी बहुसंख्यक है | जिन सबकी हक अधिकार अँगुठा काटा या कटवाया जा रहा है | जिसके चलते लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च पदो में मनुवादि ही भारी तादार में बहाल किए गए हैं | बहुसंख्यक मुलनिवासी जो चाहे तो जिस धर्म में भी मौजुद हो उनकी मौजुदगी न के बराबर है | बल्कि न्यायालय में भी मनुवादियो का ही दबदबा है | मुलनिवासि तो गिने चुने बहाल किए जा रहे हैं | जो चाहे तो वोट से या मिल जुलकर एकता द्वारा किए गए कड़ी संघर्षो की चोट से एक झटके में मनुवादियो की सत्ता को उखाड़ फैंककर अपने छिने हुए हक अधिकारो को वापस पा सकते हैं | पर फिलहाल तो इस कृषि प्रधान देश में मनुवादियो की सत्ता सिर्फ कायम ही नही बल्कि हर रोज हक अधिकारो की छिना झपटी द्वारा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो की दबदबा कायम है | जो दबदबा निश्चित तौर पर मनुवादि सत्ता द्वारा हक अधिकारो की अँगुठा काट या कटवाये जाने की वजह से ही कायम है | क्योंकि मनुवादियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम बनी रहे इसके लिए मनुवादि सरकार द्रोणाचार्य बनने का कार्य कर रही है | जो इस देश के एकलव्य मुलनिवासियो का हक अधिकारो का अँगुठा काट और कटवाकर मनुवादियो की दबदबा कायम करने में विशेष सहयोग कर रही है | जिसका सहयोग मुलनिवासी परिवारो में मौजुद घर के भेदि कर रहे हैं | इसलिए जाहिर है घर के भेदियो के द्वारा ही मनुवादि सरकार की सेवा से खुश होकर बार बार सहयोग करके यदि वाकई में मनुवादि सरकार चुनी जा रही है , तो निश्चित तौर पर मानो मनुवादियो के कुकर्मो को देखने और मनुवादि सत्ता को उखाड़ फैकने के बजाय आँख मुँदकर अपने ही पांव में बार बार कुल्हाड़ी मारने की गलति की जा रही है | जो गलति जिन मुलनिवासियो द्वारा भी की जा रही है , उनकी भले वर्तमान में मनुवादियो की कुसंगती की वजह से आँख कान सब बंद हो गए हो पर निश्चित तौर पर उनकी भी आने वाली नई पिड़ी मनुवादियो की सरकार चुनने को लेकर भविष्य में शर्म और पछतावा महसुश करेगी | खासकर उस समय जब उन्हे वर्तमान में चल रही मनुवादियो के द्वारा किए गए बड़े बड़े कुकर्मो के बारे में जानकर इस बात पर पुरा यकिन हो जायेगा कि लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो की दबदबा कायम रहने की वजह से ही इस कृषी प्रधान देश को अबतक मानो पुरी अजादी नही मिली है | और जो मुलनिवासी मनुवादि शासन को उखाड़ फैकने के लिए लंबे समय से कड़ा संघर्ष कर रहे हैं , उनकी नई पिड़ी उनपर गर्व करेगी | जिनपर मुझे भी गर्व है ! बल्कि तमाम उन मुलनिवासियो को गर्व होनी चाहिए जो मनुवादियो के शोषन अत्याचार से पुर्ण अजादी चाहते हैं | जिसके लिए मनुवादियो द्वारा अन्याय शोषन अत्याचार का मुख्य जड़ मनुवादि सरकार को उखाड़ फैकना प्रमुख लक्ष होनी चाहिए जो जरुरी भी है | जाहिर है गोरो से अजादी मिलकर अजाद भारत का संविधान लागू होने के बाद भी शोषन अत्याचार और घोर बदहाली का दिन शासन में मनुवादियो की मनुस्मृति मांसिकता की वजह से ही देखनी पड़ रही है | जिस शोषन अत्याचार मांसिकता और बदहाली को स्वीकार न करने वाले ही मनुवादि शासन को सिंचने का कुकर्म कर रहे हैं | दरसल शोषित पिड़ित परिवारो में मौजुद अपने ही घर के भेदि लोग वर्तमान में मनुवादि शासन की मदत करके  इस देश के मुलनिवासियो की सत्ता नही आने दे रहे हैं | जिसका सबसे बड़ा ऐतिहासिक प्रमाण मनुवादियो की पार्टी से आरक्षित सीटो से चुनाव जीतकर मनुवादी सरकार बनाने में सबसे महत्वपुर्ण भुमिका अदा करने वाले नेता | जिन्हे घर का भेदि कहा जा सकता है | जो कि मनुवादि शासन बरकरार रहने में खुलकर मनुवादियो का साथ दे रहे हैं | बजाय इसके कि उन्हे मनुवादियो के अन्याय शोषन अत्याचार से अजादी पाने के लिए मुलनिवासी सत्ता स्थापित होने में साथ देनी चाहिए थी | हलांकि मेरा मानना है कि गोरो का शासन समाप्त होने के बाद आई मनुवादी शासन में अबतक जितने भी लोकसभा चुनाव हुए हैं , वह सब इमानदारी से नही बल्कि मनुवादियो द्वारा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो का नेतृत्व करते हुए बेईमानी से हुए हैं | जैसे की 2019 ई० का लोकसभा चुनाव भी बेईमानी से हुआ हैं | जो न होती तो आरक्षित सीटो में मनुवादि पार्टी से चुनाव लड़ने वाले घर के भेदियो को भी जीत हासिल नही होती | क्योंकि निश्चित तौर पर मनुवादियो के साथ साथ घर के भेदियो को भी जित के लिए वोट नही मिल रहा होगा | पर चूँकि मनुवादि पार्टी द्वारा आरक्षित सीट में न चाहते हुए भी मनुवादियो को किसी न किसी आरक्षित उम्मीदवार को तो खड़ा करना ही करना है  , इसलिए मनुवादि पार्टी अपनी पसंद का चाटुकार उम्मीदवार चुनकर उन्हे किसी ढाल की तरह मनुवादि शासन की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं | और घर के भेदि भी चुनाव घोटाला द्वारा चुनाव जितकर सरकार बनाने के लिए सीटो का आंकड़ा जुटाने में सहयोग कर रहे हैं | जो कि मनुवादि दबदबा कायम रहने में सबसे महत्वपुर्ण भुमिका अदा कर रहे हैं | यानि चुनाव घोटाला और शोषन अत्याचार करने में घर का भेदि भी अपनी इच्छा से ही शामिल हैं | न कि मनुवादि कोई ढोंग पाखंड मंत्र मारकर घर के भेदियो को अपने वश में करके उन्हे अपने पार्टियो से चुनाव लड़ा रहे हैं | यानि घर का भेदि और मनुवादियो की मिली भगत से ही दुनियाँ का ऐसा अपराध हो रहा है जिसे करने वालो पर लोकतंत्र की हत्या करने तक का आरोप लग रहे हैं | जिस बेईमानी का भाण्डाफोड़ न हो जाय और बेईमानी का सजा न मिले इसके लिए चुनाव घोटाला करने वालो को लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो का भारी सहयोग मिल रहा है | जिस सहयोग के बिना मनुवादि सरकार बार बार चुनकर आना तो दुर किसी एक राज्य में भी मनुवादियो की शासन कायम नही रहेगी | पर फिलहाल तो देश और सबसे अधिक राज्यो में भी मनुवादियो की ही सरकार चल रही है | जिसे कायम रखने में लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो का खुलकर गलत उपयोग हो रहा है | क्योंकि मनुवादी कभी नही चाहते कि उनका देवराज शासन समाप्त हो जाय और इस देश के मुलनिवासि बलि दानव का शासन फिर से स्थापित हो जाय | जिसमे मनुवादियो को फिर से अपनी मनुवादी शासन बेईमानी से लाने और इस देश के मुलनिवासियो को छल कपट से वापस बंधक बनाने के लिए कटोरा धरकर बलिराज से भिख मांगनी पड़े | और भिख मिलने पर मौका देखकर छल कपट से वापस बंधक बनाकर मानो लंगटा लुचा सबसे उच्चा बनकर झुठी शान की उच्च जिवन वापस आ जाय | जैसे की गोरो का शासन समाप्त होने के बाद गाँधी के नेतृत्व में भी मानो सुटबुट गाँधी ने अपना सुटबुट उतारकर नये युग का आधा नंगा पुंगा वामन बनकर अंबेडकर के आगे हाथ फैलाकर वापस मनुवादियो की छुवा छुत शासन स्थापित कर दिया है | वैसे सुटबुट गाँधी के बाद कथित उच्च जातियो की दबदबा वाली मनुवादि पार्टी भी इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियो से मानो हाथ में कटोरा लिए वोट की भिख ही तो मांग रही हैं | बाकि पार्टियाँ तो अपने मुलनिवासी वोटरो से खुदकी शासन वापस स्थापित करने के लिए वोट मांग रही है | जिन्हे न चुनकर मनुवादि पार्टी को ही बार बार सबसे अधिक वोट देकर छल कपट की मनुवादि सरकार बनाकर आधुनिक भारत शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया झुठी उच्च शान की जिवन कायम होती चली गई है | जिस तरह की परिस्थिती अथवा मनुवादियो की झुठी शान की उच्च जिवन फिलहाल तबतक रहेगी जबतक की इस देश में मुलनिवासियो की सत्ता वापस स्थापित नही हो जाती | जिसे स्थापित होने में सबसे बड़ी बाधा घर का भेदि बने हुए हैं | जो मनुवादियो का ढाल बनकर हर चुनाव में मनुवादि पार्टी से खड़े हो जाते हैं | जिनके जैसा बेशर्म घर के भेदियो को पुरी अजादी का संघर्ष इतिहास कभी माफ नही करेगी |

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