In order to bring about a balanced change in the humanity and environment of the whole world, I have given my views about politics, religion, Chunav Vagaira. पूरी दुनिया की मानवता और पर्यावरण में एक संतुलित बदलाव लाने के लिए, मैंने राजनीति, धर्म, सरकार चूनाव वगैरा के बारे में अपने विचार दिए हैं। pooree duniya kee maanavata aur paryaavaran mein ek santulit badalaav laane ke lie, mainne raajaneeti, dharm, choonav vagaira ke baare mein apane vichaar die hain.
प्रचार
सोमवार, 9 नवंबर 2020
जब देशी सरकार निकमी हो तो विदेशी प्यार मिलना स्वभाविक है
मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020
बिहार में झारखंड की तरह, कांग्रेस की सहयोगी सरकार का मुख्य कारण
बिहार में झारखंड की तरह, कांग्रेस की सहयोगी सरकार का मुख्य कारण
झारखंड में भाजपा को हराकर जिस तरह की कांग्रेस सहयोगी वाली सरकार बनी है , उसी तरह बिहार में भी भाजपा को हराकर कांग्रेस सहयोगी वाली सरकार बनने वाली है | जिस तरह की सरकार बनाने की सुझ बुझ दरसल मनुवादी सत्ता का दीया बुझने से पहले फिर से वही पुरीनी नीति के तहत मनुवादीयों की ही विशेष सोच से बनने वाली है | जिस नीति के अनुसार सभी राज्यो में जो भी क्षेत्रीय पार्टी कांग्रेस भाजपा को खास टक्कर दे सकती है , उसका सहयोग करके या सहयोग लेकर चुनाव लड़ने के बाद राज्य की सत्ता उसके हाथ दिलाकर उसे मानो देशी दारु पिलाकर सुला दो | उसके बाद उसके सहयोग से ही लोकसभा चुनाव जीतकर केन्द्र में बैठकर मनुवादी सत्ता को वापस बरकरार रखकर शोषित पीड़ितो के बुरे हालात को बरकरार रखते हुए देश में राज करते रहो , और मुठीभर अबादी भोग विलाश करते रहो | इस तरह कांग्रेस भाजपा के सहयोग से बनने वाली सरकार से न तो बिहार झारखंड या किसी अन्य राज्यो में बहुत बड़ा क्रांतीकारी बदलाव होनेवाले हैं , और न ही देश में बहुत बड़ा बदलाव होने वाले हैं | क्योंकि सहयोग लेने या सहयोग देने के बहाने मनुवादी बस किसी तरह उनकी मनुवादी सत्ता बरकरार रहे इसपर ज्यादे ध्यान देते हैं , न की अपनी सरकार बनाने या किसी क्षेत्रीय पार्टी की सरकार बनवाने के बाद प्रजा और देश सेवा में ज्यादे ध्यान देते हैं | ध्यान देते तो विभिन्न माध्यमो से इतिहास में गोरो से अजादी मिलने के बाद दुसरी अजादी के लिये संघर्ष हर रोज दर्ज नही होती ! जिस पुर्ण अजादी इतिहास में कांग्रेस का साथ देने वाली पार्टी या नेता चाहे जितना बड़ा हो और खुदको जितना बड़ा शोषित पीड़ित प्रजा का भला करने वाली पार्टी या नेता कह रहे हो , पर सच्चाई तो यही है कि वह भले वर्तमान या इससे पहले का बहुत बड़ी पार्टी या नेता कहला सकते हैं शोषित पीड़ितो को अन्याय अत्याचार और गरिबी भुखमरी जैसे मुल पीड़ा से पुर्ण अजादी दिलाने वालो में , पर यदि वे भाजपा कांग्रेस का साथ नही छोड़ें तो भविष्य में दर्ज होनेवाली पुर्ण अजादी इतिहास में वैसे नेता या पार्टी पुर्ण अजादी संघर्ष और क्रांतीकारी बदलाव के मुल पार्टी और नेता नही कहलायेंगे जो मरते दम तक भाजपा कांग्रेस का साथ देना या फिर तारिफ करना नही छोड़ पायेंगे चाहे वे बुढ़े हो या फिर जवान | भले चाहे वे कितनो बड़ा नेता या पार्टी हो | क्योंकि देश और देश के बुरे हालात जो कि मनुवादी सत्ता की वजह से अबतक कायम है , उसे समाप्त करने के लिए जिस तरह से क्रांतीकारी सुधार की ऐतिहासिक मांग भविष्य कर रही है , वह मांग पुरी ये नेता या पार्टी कभी भी नही कर सकते | और न ही ये नेता या पार्टी देश या देश की शोषित पीड़ित प्रजा के बुरे हालात में वह क्रांतीकारी सुधार कर सकते जैसा की पुर्ण अजादी के बाद होगा | और क्रांतीकारी सुधार तबतक नही हो सकता जबतक की मनुवादी सत्ता पुर्ण रुप से चली न जाय | जिस सत्ता को बरकरार रखने में मदत और सहयोग करने वाले नेता या पार्टी कहलायेंगे वे सभी जो अभी कांग्रेस भाजपा का साथ दे रहे हैं | जिन सभी नेता और पार्टी को भी भविष्य में जब मनुवादी सत्ता जायेगी तो अपनी क्षेत्रीय सत्ता से भी हाथ धोना होगा और उस झुठी शान से भी जिसका लेबल लगाकर वे मंच में कांग्रेस या भाजपा का हाथ पकड़कर ऐसा भाषण करते हैं , जैसे की ऐतिहासिक परिवर्तन ये मनुवादी सत्ता का जड़ पार्टी कांग्रेस भाजपा और उनका साथ देने वाले नेता या पार्टी ही लायेंगे | जबकि सच्चाई ये है की चुनाव में तो आमतौर पर सभी पार्टी प्रजा के मतलब अनुसार प्रचार करती है , और सकार बनने के बाद उसपर काम भी करने का दावा करती है | जैसे की कांग्रेस ने गरिब प्रजा के मतलब अनुसार करोड़ो गरिबो का वोट पाने के लिये गरिबी हटाओ चुनाव प्रचार किया और चुनाव जीतकर सरकार बनाने के बाद गरिबी हटाने का ऐसा काम किया कि अजादी के समय पुरे देश की अबादी जितनी थी उतनी अबादी अभी गरिबी रेखा से भी निचे का जिवन जिने को मजबुर है | जो गरिब बीपीएल हालात सिर्फ शाईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया के पिछवाड़े से पैदा किया हुआ नही है , बल्कि साठ सालो से कांग्रेस ने गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसे बुरे से बुरे हालात को अपने पिछवाड़े से पैदा करके सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश में भर दिया है | जो गरिबी भुखमरी कांग्रेस भाजपा के इन नेताओ के घर पैदा क्यों नही होती है ? ये नेता कभी बीपीएल कार्ड भी देखे या छुवे हैं क्या ? अथवा ये नेता चुनाव जीतने के बाद सरकार बनाकर कभी बीपीएल कार्ड से राशन उठाकर खाना पकाकर खयें हैं क्या ? अजादी से अबतक कांग्रेस भाजपा दोनो ही पार्टी को भारी बहुमत से मौका मिला है , बल्कि इन दोनो ही पार्टी को कई कई बार मौका मिला है | फिर भी ये ढोंगी पाखंडी हर चुनाव में ऐसा भाषण करते हैं , जैसे कि वे गरिब प्रजा के बिच जाकर पहलीबार एक मौका मांग रहे हो गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी हटाने के लिए | पाखंडियों शर्म करो ऐसे ही भाषण कर करके सत्ता सुख लंबे समय तक भोगकर और करोड़ो लोगो को गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी में छोड़कर जिस तरह कांग्रेस भाजपा की पुरानी खास पिड़ी खुद अमिरी सुख भोगकर हमेशा के लिए जा चुके हैं बिना गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी दुर किये , उसी तरह जाहिर है उनकी नई पिड़ी भी हमेशा के लिए जाने से पहले भरपुर सत्ता सुख भोगने के लिये आज फिर से वादा खिलाफी भाषण दे रही है | जिनकी अपडेट ढोंग पाखंड को समझकर खासकर शोषित पीड़ित बहुसंख्यक प्रजा अपने किमती वोट का उपयोग कांग्रेस भाजपा और उनके सहयोगियों के विरोध में ही इस्तेमाल करें | नही तो फिर से गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी वाले बुरे हालात गरिब बीपीएल परिवार की नई पिड़ी भी करोड़ो की संख्या में बुढ़ापे तक देखते हुए जानेवाली है | जैसे की पुरानी पिड़ी करोड़ो अबादी को गरिबी भुखमरी में गुजारा करते हुए देखकर जा रही है | ये गरिबी हटाओ और शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया का नारा देनेवाले नेता तो बिना गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी हटाये ही अमिरी सुख सुविधा का भरपुर लाभ लेते हुए जानेवाले हैं | बल्कि कई तो जा चुके हैं ! जिनमे ऐसे नेता भी हैं जिन्होने भाजपा कांग्रेस का भरपुर साथ देकर मनुवादी सत्ता को बरकरार रखने में अपनी खास भुमिका निभाकर यह सोचकर सायद हमेशा के लिये चले गए हैं कि उनका नाम पुर्ण अजादी की लड़ाई में जो कि मनुवादी सत्ता से छुटकारा पाने के लिये कठिन संघर्ष चल रही है , उसपर उनका नाम अजादी के वीर नायको में इतिहास दर्ज होगा | जबकि सच्चाई ये है कि जिस तरह अंग्रेज का साथ देनेवाले नेता बहुत बड़ा अजादी का वीर नायक नही कहला सकते , उसी तरह कांग्रेस भाजपा का साथ देनेवाले नेता बहुत बड़ा पुर्ण अजादी का वीर नायक नही कहला सकते | और वैसे भी यैसे नेता पुर्ण अजादी का वीर नायक कहलाना भी नही चाहते हैं , वे तो बस वर्तमान में जो धन दौलत मनुवादी सत्ता में खुब सारा इकठा किये हुए हैं , या फिर मनुवादीयों की सहयोग से सत्ता कुर्सी सुख भोग रहे हैं , उसे बरकरार रखने के लिए सारी जिवन बस वही करते रहना चाहते हैं , जो की अबतक करते आ रहे हैं भाजपा या फिर कांग्रेस का साथ देकर | जो लोग या पार्टी इतिहास में वह बदलाव कभी भी नही ला सकते , जिसकी मांग समय बार बार कर रहा है मनुवादी सत्ता से पुर्ण अजादी के रुप में | जो पुर्ण अजादी दिलाने वाले वीर नायक कांग्रेस भाजपा के सहयोगी नही हैं | बल्कि इन दोनो पार्टियों का सहयोग छोड़कर इन पार्टियों को मनुवादी पार्टी स्वीकार करके पुर्ण अजादी संघर्ष करने वाले भी पुर्ण अजादी का वीर नायक कहलायेंगे भविष्य में दर्ज होने वाली पुर्ण अजादी इतिहास में | और जो कांग्रेस भाजपा से चिपके रहेंगे वे तो गुलाम करने वालो का सहयोगी कहलायेंगे |
टिप्पणी : बहुसंख्यक शोषित पिड़ीत इस पोस्ट को ज्यादे से ज्यादे बांटकर पुर्ण अजादी संघर्ष में अपना खास योगदान दें !
सोमवार, 19 अक्टूबर 2020
कांग्रेस भाजपा दोनो ही लंबे समय तक गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी शासन दिया है
कांग्रेस भाजपा दोनो ही लंबे समय तक गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी शासन दिया है
वामन मेश्राम ने चुनाव से पहले ही कहा था की भाजपा कांग्रेस के बिच गुप्त समझौता हो चुका है कि अब दो बार तुम चुनाव घोटाला करके चुनाव जीतो , उसके बाद कांग्रेस की बारी आयेगी ! जो हुआ भी कि भाजपा के खिलाफ बहुसंख्यक प्रजा सड़को पर होते हुए भी 2014 और 2019 भाजपा दो बार चुनाव जीत चुकी है | जिसके बाद चूँकि अब कांग्रेस की बारी है , इसलिए कांग्रेस भाजपा के बिच रोम यूनान की तरह लुटेरी जंग होना स्वभाविक है | और फिर हमे यह नही भुलना चाहिए की कांग्रेस गरिबी हटाओ जुमला करके साठ साल शासन कर चुकी है , और भाजपा भी शाईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया जुमला करके साठ साल बनाम साठ महिना कहकर दस साल से अधिक शासन कर चुकि है | बल्कि अब भी कर रही है | दोनो ही पार्टी के शासन में न तो गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी हटी है , और न ही भ्रष्टाचार में लगाम लगा है | भाजपा सरकार आने से पहले कांग्रेस के हजारो करोड़ का घोटाला का प्रमाण दिखाकर कांग्रेस के बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को जेल में डालने की बात हुई थी , जो कि बाबा रामदेव तो कांग्रेस के खिलाफ प्रमाणो का भारी बस्ता ढोते हुए भाजपा से समझौता भी किया था कि जो कांग्रेस पार्टी रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाई जा रही आंदोलन में उसे सलवार सुट पहनने पर मजबुर किया था , उसके भ्रष्ट नेताओ को भाजपा सरकार आते ही जेल में डाला जायेगा | क्या कांग्रेस के भ्रष्ट नेता जेल गए ? नही गए और न ही भाजपा और रामदेव बाबा के बिच हुए एक दर्जन से अधिक का समझौता को कभी सिरियश लिया गया | जो समझौता मानो संडाश अथवा मुत्र पेटी में डालकर अबतक भी सिर्फ मत पेटी के तरफ ही ध्यान दिया जा रहा है कि बस वोट देते रहो बाकि सब जुमला है | कांग्रेस भाजपा दोनो को उखाड़ फैको देश में पाँच साल से पहले ही वह क्रांतीकारी सुधार आयेगी जिसका इंतजार देश और बहुसंख्यक प्रजा दोनो को है | हलांकि अब चूँकि इन दोनो ही पार्टियों ने मिलकर चुनाव मशीन को ही मुल सुत्र बना लिया है सरकार बनाने की , इसलिए बिना चुनाव मशीन हटाये ये दोनो पार्टी सत्ता से नही हटेगी | सिर्फ अदला बदली करके सत्ता सुख भोगती रहेगी | साफ बात जब सुप्रीम कोर्ट तक के पास हजारो लाखो करोड़ का घोटाला करने वाले और विदेशो में गुप्त खाता खोलने वालो का लिस्ट मौजुद रहने के बावजुद भी इन दोनो पार्टियों की भ्रष्ट सरकार को कुछ नही हो रहा है तो और किससे उम्मिद किया जाय भ्रष्टाचारियो को जेल भेजने और भ्रष्ट सरकारो को हटाने की !
सोमवार, 12 अक्टूबर 2020
हाथरस जैसी घटना अपने ही घर के भेदियों की गद्दारी की वजह से जारी है
हाथरस जैसी घटना अपने ही घर के भेदियों की गद्दारी की वजह से जारी है
हाथरस की घटना करने और कराने वाले बल्कि घटना को अंजाम देने और लिपापोती करने में सहयोग करने वाले चाहे लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में बैठे कोई भी सेवक हो चुलूभर मूत में डूब मरो |
और साथ में वे सभी घर के भेदी भी चुलूभर मूत में डूब मरो जो मनुवादी का साथ अबतक देते आ रहे हैं | खासकर वे सब घर का भेदी चुलूभर मूत में डुब मरो जो की हाथरस जैसी घटना होने पर भी मनुवादीयों की पार्टी से चिपके रहते हैं | और उनकी फिर से सरकार बनाकर मनुवादीयों का गुलामी को बरकरार रखने में सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं | जैसे की हाथरस की घटना आगे भी और हो इसकी हालात बनाने के लिए मनुवादी सत्ता को बेहत्तर मानकर अबतक भी घर के भेदीयों द्वारा अपनी सदस्यता बरकरार रखना जारी है | जिस मनुवादी सत्ता को आगे बड़ाने में घर का भेदी ही सबसे महत्वपुर्ण भूमिका निभा रहे हैं | क्योंकि मनुवादी सरकार से बिना इनके इस्तीफा दिये और बिना इनकी पार्टी से चुनाव लड़ना बंद किये ही तो अल्पसंख्यक मनुवादीयों की सरकार अदला बदली करके लगातार बनी रहती है | और मनुवादी सरकार के बनते ही लोकतंत्र के चारो स्तंभो के उच्च पदो में बैठे मनुवादीयों को और अधिक अपराध करने का संरक्षण मनुवादी सरकार से मिलकर अपनी अपराधी छवि को पिड़ी दर पिड़ी और आगे बड़ाने का खास अवसर मिलते रहती है | बल्कि ये ढोंगी पाखंडी मनुवादी अपने पुर्वज देवता से भी उनकी आरती उतारकर अपराध करने के लिए ही सबसे ज्यादा अवसर मिलने का आशीर्वाद लेते रहते हैं | जिनके आका मानो मरने के बाद भी उनसे अपनी आरती उतरवाकर मनुवादी सरकार कैसे चलती रहे इसकी भ्रष्ट यज्ञ दिन रात कराते रहते हैं | जिसके चलते मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में हजारो सालो से रहते हुए भी कभी खुदको विकसित इंसान बनाने के लिए सायद आजतक ठीक से सोच ही नही पा रहे हैं | तभी तो इनकी भेदभाव शोषण अत्याचार भ्रष्ट यज्ञ पिड़ी दर पिड़ी आजतक भी जारी है | अथवा मनुवादी सेवा इसी तरह की भेदभाव शोषण अत्याचार करने की अपराधी छवि वाली बनी हुई है | जिसके बारे में खासकर इस देश के मुलनिवासि चाहे इस समय जिस धर्म में मौजुद हो , उनके पूर्वजो और उनको भी प्रयोगिक जानकारी मौजुद है कि जब जब भी इस देश में मनुवादी सेवक बनते आ रहे हैं , तब तब शासक के तौर पर चाहे महाभारत हो या फिर रामायण , इनका शासन इस देश के मुलनिवासियों के प्रति हमेशा भेदभाव शोषण अत्याचार अथवा अपराध का ही रहा है | हाथरस की घटना भी मनुवादी शासन में भेदभाव से लेकर बलात्कार तक जो अपराध हुआ है , वह पुरे देश में हो रहा है | पर उत्तरप्रदेश में खास चुनाव आहट के समय ही सबसे ज्यादे इसलिए होता आ रहा है , क्योंकि उस राज्य में मनुवादीयों की सरकार उखड़ने का सबसे बड़ा कमजोरी मौजुद है | जिस कमजोरी की वजह से अब मनुवादीयों के द्वारा इस देश में शासक बने रहने में उत्तर प्रदेश लगातार मजबुती से रुकावट बनते जा रही है | क्योंकि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है , जहाँ पर सबसे अधिक लोकसभा सीट है , जो जिसदिन मनुवादीयों के हाथ से खिसकी उसदिन पुरे देश से मनुवादीयों की सत्ता कुर्सी खिसक जायेगी | और चूँकि लोकसभा चुनाव के समय यूपी राज्य में किसकी सरकार है , इससे काफी प्रभाव पड़ता है , जैसे की इस समय जो मनुवादी सरकार देश में कायम है , उससे देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव के समय फिर से एकबार काफी लाभ हुआ है | क्योंकि किसी राज्य में मनुवादीयों की जितनी बड़ी जीत हो रही है , वहाँ पर उतने ही घर के भेदी भरे पड़े हैं | खासकर यदि चुनाव मशीन का गलत उपयोग करके चुनाव घोटाला नही हो रहा है | क्योंकि बहुसंख्यक मुलनिवासियों के अपेक्षा मनुवादी अबादी अल्पसंख्यक है , जो अपने दम पर केन्द्र या किसी राज्य में सरकार बनाना तो दुर पंचायत चुनाव भी नही जित सकती | पर फिर भी उनकी सरकार केन्द्र और सबसे अधिक राज्यो में लगातार इसलिए जितते आ रही है , क्योंकि घर के भेदी उनका तलवा चाटकर हर चुनाव में मनुवादीयों की मदत कर रहे हैं | और चूँकि फिर से उत्तर प्रदेश में अब चुनाव आहट हो रहा है , इसलिए मनुवादी यूपी के उन बहुसंख्यक मुलनिवासियों को टारगेट कर रहे हैं जो उन्हे वोट नही करते हैं और चुनाव के समय एकजुट रहते हैं | इसलिए ऐसे शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में भी मौजुद हो , उनका शोषण अत्याचार करने का यज्ञ अब और ज्यादे चला रहा है | साथ साथ चूँकि उत्तर प्रदेश से सटा राज्य बिहार में भी चुनाव हो रहा है , इसलिए मनुवादी अपने कुकर्मो को और अधिक कर रहे हैं | क्योंकि मनुवादी सेवा करके चुने नही जाते हैं , बल्कि ज्यादे से ज्यादे शोषण अत्याचार कुकर्म करके चुने जाते हैं | और चूँकि मनुवादी सत्ता का पाप घड़ा भरकर बिलबिला रहा है इसलिए अब पुरे देश से ही बहुत जल्द मनुवादी सत्ता जानेवाला है , जिसकी साँस को बस अभी चुनाव घोटाला सचमुच में यदि हो रहा है तो वोटिंग भ्रष्ट वायरस ग्रस्त मशीन वेंटिलिटर बनकर रोक के रखा हुआ है | जिसे हटा दो तो मनुवादी शासन का साँस कभी भी रुक सकता है | जिसे हटाने के लिए इस देश के शोषित पिड़ित मुलनिवासि चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , वे दिन रात संघर्ष कर रहे हैं | इसलिए अजादी संघर्ष को रोकने के लिए भी हाथरस की घटना जैसे कुकर्म करके मनुवादी संघर्ष करने वाले वीरो का मनोबल को कमजोर करने की कोशिष कर रहे हैं | जो कोशिष अब चुनाव माहौल के समय ही हाथरस जैसी घटना करके मनुवादीयों का भ्रष्ट आचरण यज्ञ जारी है | जिस भ्रष्ट आचरण यज्ञ का भष्म अग्नि देखकर दरसल मनुवादीयों का ही अति आत्मविश्वास के रुप में भ्रष्ट शासन का भष्म होने की प्रक्रिया में तेजी होना नजर आता है | जो कि मनुवादीयो के द्वारा किया गया हाथरस जैसी अपराध में साफ नजर आ रहा है कि मनुवादी कितने बौखलाये हुए हैं अपनी मनुवादी सत्ता जाने की संभावना को लेकर | खासकर तब जब मनुवादी अब अपराध करके उसकी सजा से बचने के लिए अपनी सारे ऐसे हथियार कहो या तंत्र मंत्र कुछ भी का प्रयोग सबसे उच्च स्तर का कर रहे हैं | जिसके बाद खुदको बचाने के लिए अब उनके पास कुछ नही बचने वाला है | अँत में मनुवादी लगता है यू ही मच्छड़ खटमल और जू की तरह आसानी से मसल दिये जायेंगे | चाहे चुनाव हो या फिर जातीय हिंसा और बहस सभी क्षेत्रो में मनुवादी अब कमजोर होते जा रहे हैं | जिसे देखकर तो यही लगता है कि मनुवादी अब आसानी से ही चुनाव हार जायेगा यदि चुनाव मशीन को हटाकर अब चुनाव घोटाला न हो | क्योंकि उसके पास जितने के लिए चुनाव मशीन के अलावे और कोई बड़ी ताकत बचेगा ही नही ! हलांकि खुदको बचाने के लिए मरता क्या न करता कहकर अक्सर सभी मनुवादी अपनी सबसे बड़ी ताकत में जो कुछ भी बचा है , उसका ही उपयोग सबसे अधिक कर रहे हैं | जैसे की मनुवादी अभी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो की बड़ी ताकत उच्च पदो का प्रयोग कर रहा है | हाथरस वाली घटना का लिपा पोती करने और मुलनिवासियों को डराने धमकाने में भी उच्च पदो का जमकर उपयोग हो रहा है | जिसे कहा जा रहा है उच्च अधिकारी द्वारा पुलिसिया गुंडो को लाड प्यार और विशेष आदेश देकर उसका हौशला बड़ाकर जमकर गलत उपयोग किया जा रहा है | वह भी उच्च पदो में बैठे ऐसे भ्रष्ट मनुवादीयों द्वारा जो कि देश का सबसे बड़ा सेवक के पदो में बैठकर दरसल सबसे बड़ा कुकर्म का नेतृत्व कर रहे हैं |
जिसे मैं गुंडो का भी गुंडा मनुवादी गुंडा कहूँगा |
जो कि इतने पढ़े लिखे होने का उच्च डिग्री और समाज सेवा करने का भी हुनर में बहुत बड़ा काबिल चुनाकर इन उच्च पदो में बैठे हुए हैं | पर उनके कुकर्मो के बारे में जानकर तो यही लगता है कि इनकी उच्च डिग्री और समाज सेवा हुनर किसी भष्मासुर को मिले वरदान की तरह है , जिसका गलत उपयोग ये उच्च पदो में बैठे भष्मासुर कर रहे हैं | क्योंकि जिन उच्च पदो में बैठकर वे शोषण अत्याचार को बड़ावा दे रहे हैं उन उच्च पदो की व्यवस्था करके उसका इस्तेमाल शोषण अत्याचार करने के लिए ही उन गोरो ने किया था जिन्होने पुरे विश्व के कई देशो को गुलाम बनाया था | जो व्यवस्था ज्यादेतर तो प्रजा सेवा नही बल्कि अपनी सेवा कराके शोषण अत्याचार करने के लिए ही बनाई गई है | इसलिए मेरे विचार से तो जैसे ही मनुवादीयों के हाथो से सत्ता जायेगी वैसे ही गोरो के द्वारा बनाया गया ये अधिकारी प्रथा को संविधान संशोधन करके समाप्त कर देना चाहिए | क्योंकि इस तरह की अधिकारी प्रथा में अधिकारी नेताओं से कहीं अधिक खुदको उच्च समझकर गरिबो से एक तो मिलते भी नही हैं , और बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके भी उन्हे सायद ही कभी जनता द्वारा जुता चप्पल पहनाया या मारा पिटा जाता है | जबकि भ्रष्ट नेता कभी कभी जुता चप्पल भी खाते हैं ,और पहनते भी हैं | वहीं वे इतना सबकुछ खा पीकर उन्ही पिटने वाली जनता से अधिकारियों से कहीं अधिक मिलते जुलते भी हैं | कोई नेता यदि सांसद या विधायक चुनाकर जनता का खुन चुस रहा है तो उसे पाँच साल के बाद ही हटाया जा सकता है | या फिर मुमकिन है उससे पहले भी हटाया जा सकता है | पर यदि फर्जी तरिके से घुस देकर या नकली सार्टिपिकेट वगैरा के जरिये कोई अधिकारी बनकर जनता का खुन चुसना सुरु कर दिया तो उसे कम से कम दस बीस साल तक तो हटाना मुश्किल है , सिर्फ नाम के वास्ते ट्रांसफर या फिर मानो कुछ दिनो तक घर बिठाकर खुन चुसने में ब्रेक लगाया जाता है | जिसके बाद फिर से उसका खुन चुसना चालू हो जाता है | जैसे की हाथरस की घटना में होगा यदि सीबीआई जाँच के बाद कुछ अधिकारियो में दिखावे के लिए कारवाई भी होगी | और फिर अधिकारियो को ज्यादेतर जनता भी पसंद नही करती है | जिसका प्रमाण चुनावो में दिख जाता है , जब बड़े बड़े अधिकारी रिटायर होने के बाद मोटी रकम खर्च करके चुनाव लड़ते हैं तो सायद ही वे कोई चुनाव जीत पाते हैं | क्योंकि जनता उन्हे सेवक के तौर पर न के बराबर पसंद करती है | फिर हम क्यों रखें इस तरह के अधिकारी प्रथा को जिसे देखा जाय तो गोरो ने लुटपाट सुविधा पूर्वक बेहत्तर तरिके से कैसे किया जा सके इसके लिए बनाया था | जैसे की उन्होने न्यायालय को भी ज्यादे से ज्यादे समय तक देश को गुलाम बनाये रखने के लिए बनाया था | जहाँ पर वे जज बनकर अजादी के वीर जवानो को सजा देकर कभी भी अजादी न देने के लिए सबसे बड़ा अन्याय करने का कार्य कर रहे थे | जहाँ पर अजादी की लड़ाई लड़ने वाले वीर जवानो को तो कठोर से कठोर सजा दी जा रही थी , पर देश गुलाम करके लुटपाट और भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो को बेहत्तर इंसान बताकर मानो फुल माला पहनाई जा रही थी | जिस न्यायालय को भी संविधान संशोधन करके बंद कर देना चाहिए | क्योंकि न्यायालय में भी भारी भेदभाव के तौर पर भी बहुत ज्यादे गलत हो रहा है | जहाँ पर गलत करने वालो को जनता नेताओ की तरह सजा भी नही दे सकती है | जैसा की नेताओ को चुनाव हराकर देती है | बल्कि जनता तो कभी कभी भ्रष्ट नेताओ को जुता चप्पल का माला पहनाने के साथ साथ जुता चप्पल से पिटती भी है | जिस जनता की सबसे बेहत्तर सेवा गोरो के द्वारा विकसित किया गया व्यवस्था नही कर सकती | क्योंकि गोरो के द्वारा बनाये गए व्यवस्था विकसित हुए या पैदा हुए बहुत कम समय हुए हैं | और साथ साथ गोरो के द्वारा विकसित किया हुआ व्यवस्था तब ज्यादेतर तो गुलाम करके शोषण अत्याचार करने और लुटपाट करने के लिए बनाया गया था | जिसे मनुस्मृती की तरह भष्म करके इस कृषी प्रधान देश में हजारो सालो से विकसित हुई ग्राम पंचायत व्यवस्था को ही पुर्ण रुप से पुरे देश में लागु करना चाहिए | जिसे शहरो में भी वार्ड पार्षदो के माध्यम से अपडेट करके सारे विकास का कार्य और न्याय का कार्य भी संविधान संशोधन करके फुल पावर देकर सौंप देनी चाहिए | जिन पंचायतो का पावर कम करने और न्यायालय को फुल पावर देने से गरिबो को न्याय न के बराबर मिल रहा है | गरिब तो न्याय पाने के लिए न उच्च अदालत का चक्कर काट पाता है , और न ही वह सरकारी सुख सुविधा और विभिन्न तरह का लाभ लेने के लिए ठीक से अधिकारियो का चक्कर काट पाता है | पर वह ग्राम पंचायत के मुखिया का चक्कर सुबह शाम और रात में भी जरुरत पड़ने पर आसानी से और खासकर बिना कोई खर्च के काटता है | जो की गोरो के द्वारा विकसित किया हुआ व्यवस्था में न्यायालय और अधिकारियों के यहाँ बिना कोई खर्च के चक्कर काटना सायद ही मुमकिन हो पाता है | वैसे तो मनुवादी शासन से पुर्ण अजादी मिलने के बाद वापस इस देश की हजारो साल से विकसित हुई ग्राम पंचायत गणतंत्र व्यवस्था ही अपडेट होकर ये सब बदलाव तो होनी ही होनी है | जो अभी इसलिए नही हो रही है , क्योंकि विदेशी DNA के गोरे और विदेशी DNA के मनुवादी दोनो ने ही विदेशी विदेशी भाई भाई गुप्त समझौता करके इस कृषि प्रधान देश को अभी भी भितर भितर मिल जुलकर गुलाम बनाये हुये है | जिस देश को अभी भी पुर्ण अजादी नही मिली है | और चूँकि दोनो विदेशी मुल के हैं , इसलिए मनुवादी और गोरे आज भी भितर ही भितर विशेष समझौता करके इस देश को जानबुझकर पुरी अजादी नही दे रहे हैं | जिनसे अजादी छिननी होगी इस देश के मुलनिवासियों को | क्योंकि कोई यदि किसी के हक अधिकार लुटकर लाख कोशिष करने के बावजुद भी बार बार समझाकर मांगने से भी नही दे रहा है तो यदि तुम्हारे पास उससे अधिक ताकत मौजुद है , तो उससे अपना हक अधिकार एक झटके में छिन लो | ताकि समय की भी बर्बादी न हो और हक अधिकार लुटने वाले को भी यह महसुश हो जाय कि यदि गुलाम करने वालो के पास गुलाम करके हक अधिकार लुटने की ताकत है , तो गुलाम हुए बहुसंख्यक पिड़ितो के पास अपने हक अधिकारो को वापस छिनकर पुर्ण अजादी पाने की ताकत है | जो पुर्ण अजादी सौ प्रतिशत बिल्कुल मुमकिन है | क्योंकि गुलाम करने वाले हमेशा कमजोर होते हैं , और संख्या में भी अल्पसंख्यक होते हैं | जिसके चलते वे ज्यादेतर तो दुसरो की ताकतो पर ही निर्भर रहना चाहते हैं | चाहे रोजमरा जिवन हो या फिर कोई युद्ध हो , दोनो में ही लगने वाली ताकत का इस्तेमाल वे ज्यादेतर दुसरो के जरिये ही करते हैं | इसलिए जाहिर है यदि उनका साथ कोई न दे तो न तो वे अपनी रोजमरा जिवन में ठीक से खाना पीना हगना मुतना नहाना धोना और कहीं पर जाना वगैरा भी अपनी ताकत और हुनर के जरिये ठीक से कर पायेंगे , और न ही वे लड़ाई होने पर बिना दुसरो का साथ लिए युद्ध जित पायेंगे | यकिन न आए तो रोजमरा जिवन और युद्ध को छोड़ो फिलहाल इस देश में सिर्फ होनेवाले किसी भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हैं , वे सभी चूँकि एक ही DNA के और एक ही पुर्वजो के वंसज हैं , जिन सबके साथ मनुवादीयों द्वारा शोषण अन्याय अत्याचार हुआ है , इसलिए वे सभी मिलकर अपने पुर्वजो और खुद के साथ भी हुए अन्याय अत्याचार को गंभीरता से लें | गुलाम बनाकर छुवा छुत भेदभाव शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादीयों का साथ कभी न दे | यकिन मानो लोकसभा में यदि मनुवादीयों की पार्टी से कोई मुलनिवासि चुनाव नही लड़ा और कोई भी मुलनिवासी उस पार्टी को वोट भी नही दिया तो मनुवादी सत्ता एक ही चुनाव में हमेशा हमेशा के लिए चली जायेगी और फिर कभी भी वापस नही आयेगी | क्योंकि उसके बाद मुलनिवासियों के पास इस देश की सत्ता आते ही वह अपनी ताकत को प्रयोगिक तौर पर अच्छी तरह से पहचान लेगा | जिसे वह लंबी गुलामी की वजह से धिरे धिरे भुलाता आ रहा है | जिसकी वजह से वह आज भी अल्पसंख्यक मनुवादीयों को ही सबसे ताकतवर समझकर खुद बहुसंख्यक होते हुए भी अल्पसंख्यको का सरकार बनाते आ रहा है |
और सरकार फिर से चुनाते ही फिर से वह अपने उन भ्रष्ट कार्यो में लग जाती है , जिसकी वजह से इस देश के मुलनिवासि खुदको गुलाम महसुश बार बार करता आ रहा है |
हलांकि फिर भी इस देश के मुलनिवासियों के ही बिच ऐसे अनगिनत घर का भेदि मौजुद हैं जो मानो अपने ही पाँव में कुल्हाड़ी मारकर खुद तो अपनी गुलामी को बरकरार रखे हुए हैं पर जो मुलनिवासी अजादी के लिए संघर्ष कर रहा है उसे भी गुलाम बनाये रखने में मनुवादीयों की मदत कर रहे हैं | जबकि घर के भेदियों को भी पता रहता है कि मनुवादी सरकार बनते ही मनुवादी अपने ही बिरादरी के उच्च पदो में बैठे अधिकारियो से मिलकर अपना गुंडागर्दी फिर से सुरु कर देता है | जिन मनुवादीयों के जेब में वैसे सारे कथित छोटे मोटे सरकारी सेवक जो सत्ता पावर में बैठे मनुवादीयों से डरते हैं , जैसे की बहुत से लोग गुंडो से डरते हैं , उनमे चाहे कोई छोटे अधिकारी हो या फिर घर का भेदि बनकर मंत्री सांसद विधायक बने मुलनिवासी ही क्यों न हो , वे सभी डरकर भी ऐसे गुंडागर्दी करने वाले मनुवादीयों का साथ दे रहे हैं | और जो मुलनिवासि साथ नही दे रहे हैं , वे या तो किसी न किसी माध्यम से मनुवादीयों के द्वारा दिन रात सताये जा रहे हैं , या फिर अपनी जान व नौकरी की चिंता किये बगैर मनुवादी शासन का अँतिम साँस रोकने में सबसे बड़ी टक्कर दे रहे हैं | जिस तरह के लोगो से ही मनुवादी गुंडा डरते हैं | और जरुरत पड़ने पर उनसे दुर भी भागते हैं | क्योंकि उनको पता रहता है कि इससे पंगा लेकर लड़ाई जितने पर भी युद्ध हारने जैसा रिजल्ट निकलता है | जिस तरह का रिजल्ट के बारे में वेद पुराणो में भी मौजुद है , जब खुदको भगवान कहलाने वाले देव जो की मनुवादीयों के पुर्वज माने जाते हैं , वे अपनी अपराधी सोच में कामयाबी होने पर भी सबसे बड़ी बड़ी श्राप सजा भोगते थे | बल्कि कभी कभी तो उन्हे सिधे भी सजा मिलते रहा है | मसलन ब्रह्मा देव के द्वारा सरस्वती की बलात्कार करने पर शिव द्वारा उसका सर काट दिया गया था | वहीं विष्णु देव द्वारा वृत्तासुर की पत्नी तुलसी का बलात्कार करने पर उसे पत्थर बन जाने की श्राप सजा मिला था | और हमे जैसा कि पता है कि कोई पत्थर बनकर अपनी जिवन में बलात्कार करना तो दुर मुत भी नही सकता है | और देवो का राजा इंद्रदेव को तो अहिल्या का बलात्कार करने पर हजार योनी को अपने शरिर में किसी घुँघरु की तरह टांगे रहने का श्राप सजा मिला था | जबकि ये तीनो देव मनुवादीयों के लिये सबसे खास देव हैं | पर इनसे भी खास चूँकि इन देवो में ब्रह्मा देव का सर काटने वाला शिव है , जिसके साथ भी ये देव भारी भेदभाव करते रहे हैं | क्योंकि शिव इनके जैसा नही थे | जाहिर है जो इनके जैसा नही रहते हैं , उनसे ही मनुवादी भेदभाव करते हैं | न कि एक मनुवादी दुसरे मनुवादी से भेदभाव करता है | पर मनुवादी शिव से भी देव शब्द इसलिए जोड़ते आ रहे हैं , ताकि सबसे बड़ी ताकत को अपनी बिरादरी का बताकर अपने विरोधियो में यह डर पैदा करते रह सके कि तुम हमसे कभी जीत ही नही सकते | जैसे की भारत पाकिस्तान का बंटवारा होते समय इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी हमारे साथ हैं , यह डर गोरो से अजादी मिलते समय मनुवादीयों द्वारा मुस्लिमो में पैदा किया गया था | खासकर चुनाव के बाद सरकार किसकी बनेगी यदि धर्म के नाम से देश का बंटवारा नही हुआ यह सोचने पर मजबुर किया गया था उन मुस्लिम नेताओ को जो गोरो से अखंड देश को अजादी मिलने के बाद खुद शासक बनने की बाते कर रहे थे | पर चूँकि जैसे ही मनुवादीयों ने उन मुस्लिम नेताओ को यह यहसाश कराया कि वे हिन्दुओं के अपेक्षा अबादी में अल्पसंख्यक हैं , इसलिए निश्चित तौर पर सरकार हिन्दुओं की ही बननी चाहिए , क्योंकि यह देश सुरु से होली दिवाली और मकर संक्रांती जैसे खुब सारे हिंदू पर्व त्योहार मनाने वाला देश रहा है , और वोटर के मामले में भी हिंदू बहुसंख्यक हैं , वैसे ही मुस्लिम नेता को अपनी मुस्लिम सरकार बनाने का विचारो पर पानी फिरते हुए नजर आने लगा | परिणाम स्वरुप मुस्लिम नेताओ को धर्म के नाम से भारत पाकिस्तान बंटवारा पर विचार करना पड़ा | जिसके बाद हजारो सालो से विकसित एक ही सिंधू घाटी सभ्यता संस्कृति वाला कृषि प्रधान देश को विदेशी मुल के मनुवादी और विदेशी मुल के मुस्लिम आपस में बांटकर उन्होने दो देश भारत पाकिस्तान किया | जिस बंटवारा में अपना धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बने मुलनिवासियों को भी सत्ता नही मिला और न ही अपने ही धर्म में कायम रहने वाले इस देश के मुलनिवासियों को सत्ता मिला | बल्कि जैसा की हमे पता है कि चूँकि यहूदि डीएनए का मनुवादी अपने आपको हिंदू पुजारी का खाल पहन रखा है , इसलिए जाहिर है वह हिंदू धर्म का सबसे खास खुदको बताकर इस देश का हिन्दु शासक बन बैठा है | जो जबतक हिन्दु शासक बना रहेगा तबतक हिंदूओ की सबसे बड़ी ताकत को अपनी बचाव ढाल भी बनाता रहेगा | जैसा की हाथरस घटना में भी खुदको हिन्दु धर्म का खास ठिकेदार बनाकर उच्च निच भेदभाव करते हुए शोषण अत्याचार करके बना रहा है | और चूँकि बहुत से मनुवादी मुलनिवासि गुलामी की वजह से यह समझते आ रहे हैं कि भेदभाव परंपरा हिन्दु धर्म में सुरु से ही होता है , जिसके चलते इस देश के मुलनिवासि बहुसंख्यक होते हुए भी खुदको निच जाति का कमजोर हिन्दु समझकर अल्पसंख्यक मनुवादीयों को ही उच्च हिन्दु मानकर बार बार देश का हिन्दु शासक चुनते आ रहा हैं | जबकि DNA रिपोर्ट से यह बात साबित हो चुका है की मनुवादी हिन्दु नही बल्कि यूरेशिया से आया यहूदि है , जिसके रगो में यहूदि DNA मौजुद है | और यहूदि हिन्दु तभी हो सकता है जब वह अपना धर्म परिवर्तन करके हिन्दु धर्म को अपना लेगा | जबकि मनुवादीयों के द्वारा कब अपना धर्म परिवर्तन किया गया इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नही है | बल्कि इतिहास में यह जानकारी जरुर उपलब्ध है कि मनुवादीयों को हिन्दु न मानकर मुस्लिम शासक कभी जजिया कर नही लेते थे |
सोमवार, 5 अक्टूबर 2020
इंसान भीम का पुत्र नरभक्षी दानव कैसे पैदा हुआ
इंसान भीम का पुत्र नरभक्षी दानव कैसे पैदा हुआ
राक्षसों ने युद्ध जीतने के बाद, क्या उन्होंने वास्तव में देवों के शरीर खाए और बाकी को सुखाया ताकि बाद में खा सके ?
(raakshason ne yuddh jeetane ke baad, kya unhonne vaastav mein devon ke shareer khae aur baakee ko sukhaaya?)
मनुवादी बेकार में अपना किमती समय उस झुठी शान को बरकरार रखने के लिए बर्बाद कर रहे हैं , जिसे भविष्य में उनकी नई जागरुक पिड़ी कभी भी यह स्वीकारने वाली नही है कि मनुस्मृति बुद्धी का विकाश किमती शान है , जिसे पिड़ी दर पिड़ी अपने पूर्वजो की आधुनिक सत्य बुद्धी बल समझकर आगे ले जाया जाय | बजाय इसके कि भेदभाव शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादियों को जिते जी खुद ही माफी मांगकर कान पकड़कर उठक बैठक करके आज के बाद भेदभाव शोषण अत्याचार फिर कभी नही करेंगे और न ही झुठी ज्ञान प्रवचन करके ढोंग पाखंड फैलायेंगे यह वचन खुदसे लेना चाहिए | क्योंकि विकाश का समयचक्र अनुसार सचमुच का विकाश प्रक्रिया में विकसित पिड़ी उन संस्कारो को अपनाती है , जिसे बहुसंख्यक अबादी विद्यालयो में प्रमाणित सत्य ज्ञान के रुप में अपनाती है | भले वे धार्मिक पुस्तको की पुजा पाठ ज्ञान को अपने विद्यालयो में नही पढ़ते हैं , पर उन जानकारियों को जरुर पढ़ते लिखते हैं , जिसका रिस्ता मानवता और पर्यावरण से जुड़ा हुआ रहता है | जिसे सभी धर्मो के साथ साथ नास्तिक लोग भी पढ़ते लिखते हैं | जिसका ज्ञान सभी इंसानो को जरुर लेते रहना चाहिए | क्योंकि इंसानो का भविष्य इंसानियत और पर्यावरण कायम करना है | न कि भुतकाल में पिच्छे लौटकर वापस परजिवी जानवर बन जाना है | जिस तरह का परजिवी जानवरपन अब भी अल्पसंख्यक इंसानो में मौजुद है | जैसे कि किसी को गुलाम बनाना , छुवा छुत करना , लुटमार करना , परजिवी जानवरपन ही तो है | जिस तरह के जानवरपन को विकसित सोच मानने वाले लोगो की अबादी कम है , लेकिन भी वे छल कपट और घर के भेदियो की सहायता से दुसरो का नोच चुसकर ही तो जिवन गुजारा करने के लिए लुटमार गुलाम बनाना जैसे कुकर्मो को अबतक करते आ रहे हैं | जिस तरह के पाप करने वालो की नई पिड़ी जैसे जैसे सच्चाई और प्रकृति विज्ञान प्रमाणित रास्तो में चलकर इंसानियत को ज्यादे महत्व देगी वैसे वैसे अपने पुर्वजो की जानवरपन को आधुनिक उच्च विकाश कहकर वापस नही अपनाने वाली है | और उनके भितर का जानवरपन को हटाने के लिए सत्यबुद्धी ज्ञान का विकाश होना जरुरी है , न कि मनुस्मृति ज्ञान लेकर छुवा छुत बुद्धी का विकाश होना जरुरी है | सत्यबुद्धी का विकाश ज्ञान ही तो इंसानी बुद्धी का मुल विकाश है , जो की हजारो सालो का वेद पुराणो में भी मौजुद है | जिसमे मनुवादीयों ने छेड़छाड़ और मिलावट करके अपनी मनुस्मृति बुद्धी की मिलावट कर दिया है | जैसे की वेद पुराणो में अप्रकृति सोच की मिलावट करके किमती हिरे मोती सोने चाँदी इत्यादि आभुषणो से लदे इस देश के मुलनिवासियों के पुर्वजो को बड़े बड़े दांतोवाला नर भक्षी और अपने पुर्वजो को भगवान बताकर मनुवादीयों ने अपनी अविकसित भ्रष्ट बुद्धी का परिचय खुद दिया है | क्योंकि हजारो साल पहले किमती आभुषणो से इस देश के मुलनिवासि लदे रहते थे इसका मतलब साफ है कि वे समृद्ध थे | जो कि सोने चाँदी के बर्तनो में खाना भी खाते थे न कि युद्ध जितने के बाद मनुवादीयों के पुर्वज देवो को मारकर सोने चाँदी के बर्तनो में बिरियानी और कोरमा बनाकर खाते थे | जो यदि खाते तो देव और असुरो के बिच कई युद्ध हुए हैं , जिसमे ज्यादेतर युद्ध असुर दानवो ने जिते हैं | बल्कि असुर दानवो ने तो देवो को कैद करके लगातार छोड़ भी दिया है , न कि किसी मांस की दुकान में कैद बोयलर मुर्गा मुर्गी की तरह उन्हे जबरजस्ती गर्दन पकड़कर कैदखाना से निकालने के बाद उसे काटकर चमड़ी उतारकर पिस पिस करके सोने की बर्तन में पकाकर चट कर गये हैं | जाहिर है यदि दानव असुर नर भक्षी होते तो निश्चित तौर पर युद्ध जितने के बाद जितने भी विरोधियो को बंधक बनाते थे , उन्हे युद्ध के मैदान में ही मौत के घाट उतारकर वहीं पकाकर खाते और बाकियो को अपने साथ ले जाकर पूरे परिवार समाज के साथ सार्वजनिक तौर पर जीत की खुशी में मिल बांटकर पार्टी मनाते | जहाँ पर उनकी बोटी बोटी करके सोने की कटोरा और थालियो में परोसकर खाया जाता | बल्कि बचे खुचे को भी सुखाकर रोटी की तरह सालोभर अचार की तरह खाते रहते | क्योंकि जबतक देवो की बुरी नजर असुरो में रहती तबतक प्रत्येक देव असुर संग्राम में मांस का का भंडारन किया जाता | युद्ध जितने के बाद मानो सालोभर खाने पिने का इंतजाम हो जाता | जैसे कि अच्छी फसल पैदावर होने पर किसान उसे खेतो से काटकर ट्रेक्टरो और बैल गाड़ियों में भर भरकर ले जाने के बाद सुखाकर अन्न भंडार करने के बाद सालोभर भोजन की व्यवस्था करते हैं | जाहिर है असुर दानव चूँकि नरभक्षी नही थे इसलिए एक भी युद्ध में ऐसी भंडारन करने और हारे या कैद हुए देवो का बिरयानी व कोरमा बनाकर खाने के बारे में जानकारी वेद पुराणो में मौजुद नही है | और यदि दुसरे माध्यम से है भी तो वह मनुवादीयों के द्वारा मिलावट और छेड़छाड़ करके बाद में झुठा ज्ञान बांटना सुरु किया गया है | जिसे सत्य समझकर लंबे समय तक विश्वास करना जारी इसलिए रहा क्योंकि मनुवादीयों ने वेद पुराणो में भी कब्जा करके इस देश के मुलनिवासियों को वेद पुराणो में मौजुद अपने पुर्वजो के इतिहास को ठीक से कभी समझ ही नही सके और मनुवादीयों के मिलावटी अप्रकृति बातो को सत्य मानकर अपने ही पुर्वजो को सबसे बड़ा शैतान समझने लगे | लेकिन आजकल नई पिड़ी अब धिरे धिरे इस बात को समझने लगी है कि वेद पुराणो में शैतान लुटने वाले लुटेरे हैं की जिनका धन संपदा बल्कि राज्य में कब्जा करके जान माल दोनो लुटा गया है वे हैं ? आज यदि कोई इंसान एक किलो का भी किमती सोने चाँदी हिरे मोती का जेवर पहनता है तो उसे देखकर कोई भी व्यक्ती तुरंत समझ जाता है कि किमती जेवरो से लदा हुआ व्यक्ती समृद्ध परिवार से है | जिसके पास खाने पिने की कोई कमी नही है | न कि किमती जेवरो से लदा होने के बावजुद भी उसके पास इतनी भुखमरी है कि कुछ नही तो वह मानव भक्षन करके गुजारा करने लगे | वह भी इतनी विकसित सभ्यता संस्कृति का निर्माण करके बड़ी बड़ी महलो में रहकर मानव भक्षण करते थे असुर दानव यह विचार विकृत बुद्धी का ही नतिजा है , जिसमे सुधार होना अब भी जारी है | बल्कि हकिकत में तो हजारो साल पहले नंगा पुंगा भुखड़ घुमकड़ जिवन जिने वाले कबिलई मनुवादी ये सब मुर्दाखोरी करते होंगे | क्योंकि उन्हे तब खेती करना और समाज परिवार के साथ रहना नही आता था | तभी तो उनके साथ कोई महिला नही आई है | और जिसके कारन यूरेशिया से आए मनुवादी इस देश की महिलाओं से ही अपना वंशवृक्ष बड़ाये हैं | जो कि dna प्रयोग से साबित भी हो चुका है | जिस dna प्रयोग के बारे में प्रमाणित सच्चाई जानकर अब तो सौ प्रतिशत यकिन के साथ कहा जा सकता है कि मनुवादीयों द्वारा अपनी अविकसित भ्रष्ठ बुद्धी का इस्तेमाल करके वेद पुराणो में मिलावट किया गया है | जिस मनुस्मृति वायरस को अपने भितर से हटाकर मनुवादीयो को उस सत्यबुद्धी ज्ञान को लेना चाहिए , जिससे की मानवता और पर्यावरण का विकाश होता है | जो प्रकृति ज्ञान वेद पुराणो में भरे पड़े हैं | बस उसमे से मनुवादी मिलावट की हुई वायरस को हटाकर या नजर अंदाज करके प्रकृति विज्ञान दृष्टी से समझना होगा | क्योंकि वेद पुराण में दरसल हजारो साल पहले खोजा गया प्रमाणित ज्ञान के तमाम विषयो का भंडार है | जिसे इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियों द्वारा लंबे समय से अलग अलग समय में खोजकर इकठा किया गया है | और चूँकि हजारो साल पहले लिखाई पढ़ाई मौजुद नही थी , इसलिए सुरुवात में वेद (आवाज,ध्वनि) अथवा मुँह से निकली बोली से ही ज्ञान बांटा जाता था | जो की मुँह से बोलकर और कान से सुनकर मन की मेमोरी में स्टोर किया जाता था | जैसे कि आज भी इंसानो के मन में अनेको जानकारी बोल सुनकर स्टोर किया जाता है | जिससे कि वह अपनी रोजमरा जिवन के बारे में बहुत कुछ जानते और पहचानते हुए वर्तमान भुत भविष्य के बारे में भी जानकारी तय करते हैं | और कौन क्या है , इसे भी सही से जान पाते हैं | मसलन आज के आधुनिक मानव के दिमाक में दोस्त रिस्तेदार , परिवार समाज वगैरा की जानकारी दिमाक में स्टोर होता रहता है | जैसे की इंसान बचपन में ही माँ पिताजी बोलना सुरु करके रिस्तो को अपने दिमाक में स्टोर करना सुरु कर देता है |बल्कि आज तो कम्प्यूटर किताब कॉपी वगैरा में भी अब ये सब जानकारी स्टोर रहता है | जो कि हजारो साल पहले जब लिखाई पढ़ाई और कम्प्यूटर वगैरा की खोज नही हुई थी , उस समय सारा इतिहास भुगोल नागरिक और विज्ञान वगैरा कई विषय की ज्ञान इंसान अपने मन में स्टोर करके रखता था | जिसे वह अपनी मुँह की बोली अथवा वेद से बांटता था और ज्ञान लेने के लिए कान से सुनकर स्टोर करता था | जिस जानकारी को इस देश के मुलनिवासियों को कान द्वारा लेने और मुँह द्वारा बांटने पर मनुवादीयो द्वारा रोक लगा दी गई थी | जैसे की मनुवादि आज भी यदि सचमुच में मनुस्मृति को अपडेट करके उसे लागु कर दे तो कथित उच्च जाति छोड़ बाकि सभी को विद्यालयो में ज्ञान लेना मना हो जायेगा | लेकिन चूँकि अभी का ज्ञान लेने और बांटने का माध्यम समय के साथ अपडेट हो चुका है , और साथ साथ बहुत कुछ मनुवादीयों के खिलाफ अपडेट हो चुका है | नही तो आज भी छुवा छुत करने और कान में गर्म लोहा डालने व जीभ काटने वाले मनुवादि खुदको जन्म से विद्वान पंडित फिर से संवैधानिक तौर पर घोषित करके सबको अनपढ़ बनाने की प्रक्रिया चलाने लग जाते | जैसे कि मनुवादियों ने हजारो साल पहले इस देश के मुलनिवासियों को वेद ज्ञान से वंचित करने के लिये मनुस्मृति लागु करके वेद बोलना और सुनना मना किया था | जिसके लिए मनुवादीयों द्वारा छल कपट और घर के भेदियों की सहायता से सबसे पहले तो इस कृषि प्रधान देश की सत्ता में कब्जा किया , उसके बाद घर के भेदियो की सहायता से मनुस्मृति रचना करने के बाद उसे लागु करके इस देश के मुलनिवासियों को जन्म से शुद्र और खुदको जन्म से उच्च घोषित किया | जिसके बाद ही इस देश के मुलनिवासियों को शुद्र कहकर वेद ज्ञान लेने और बांटने पर रोक लगा दी गई थी | वेद ज्ञान का मंदिर जो कि उस समय विद्यालय हुआ करता था , वहाँ पर मनुवादियों ने वेद पाठ करने के साथ साथ अपने पुर्वजो की मूर्ति स्थापित करके उसकी पुजा करना भी सुरु कर दिया था , जो कि आज भी पुजा और पाठ दोनो ही जारी है | बल्कि अब तो विज्ञान की सहायता लेकर लॉउडस्पीकर के जरिये पुजा पाठ सुबह शाम लाखो मंदिरो से सभी धर्मो के लोगो को सुनाया जाना जारी है | जिस तरह की विज्ञान सहायता दुसरे धर्म भी ले रहे हैं | जैसे कि हिंदू मंदिरो में लिया जा रहा है | जिन वेद पाठ होने वाले हिंदू मंदिरो में यूरेशिया से आए मनुवादीयों द्वारा इस देश के मुलनिवासियों को प्रवेश वर्जित कर कर दिया गया था | जो की आज भी कहीं कहीं मंदिरो में शुद्र का प्रवेश मना है का बोर्ड लगा मिल जाता है | क्योंकि आज भी मनुवादियों द्वारा छुवा छुत भेदभाव करना समाप्त नही हुआ है | हलांकि वर्तमान के छुवा छुत नियम कानून को उस तरह का संवैधानिक अधिकार प्राप्त नही है , जैसा की कभी मनुस्मृति लागु होने पर प्राप्त था | जिस समय मुलनिवासियों द्वारा वेद सुनने पर कान में गर्म पिघला लोहा डालने और वेद बोलने पर जीभ काटने जैसा क्रुर नियम कानून लागु कर दिया गया था | जो नियम कानून मनुवादियों पर लागू नही होता था | अथवा उनके द्वारा वेद सुनने या बोलने पर मनुवादीयों के कान में गर्म पिघला लोहा नही डाला जाता था , और न ही उनका जीभ काटा जाता था | बल्कि जीभ काटने और गर्म लोहा डालने वाले अपराधियो अथवा ऐतिहासिक पापियो को लाड प्यार देकर शैतान बनने के लिये प्रेरित किया जाता था | ये सब क्रुरता सिर्फ इस देश के मुलनिवासियों को शुद्र निच घोषित करके दास दासी बनाकर शोषण अत्याचार किया जाने लगा था | ताकि वेद ज्ञान लेने और बांटने पर रोक लगाकर इस देश के मुलनिवासियों का बुद्धी विकाश रुक जाय और वह कभी खुदको अजाद कराने के लिए संघर्ष करने के बारे में सोचे ही नही , और जन्म से ही खुदको सिर्फ मनुवादीयों का सेवक बनने के ही काबिल समझे | बल्कि रामराज में तो वेद ज्ञान हासिल करने पर राजा राम ने शोषित पिड़ित प्रजा शंभुक की हत्या तक कर दिया था | क्योंकि प्रजा शंभुक ने मनुस्मृति अनुसार शुद्र और निच होते हुए भी चोरी छिपे वेद ज्ञान हासिल कर लिया था | जो रामराज में शुद्र निच कहलाने वाले इस देश के मुलनिवासियों को वेद ज्ञान लेना और बांटना मना था | जिस रामराज को पुरी दुनियाँ का सबसे आदर्श शासन बतलाकर मनुवादीयों द्वारा बार बार यह प्रचारित किया जाता है की रामराज सबसे बेहत्तर शासन था | जिसे सभी शासको को अपना आदर्श मानना चाहिए और अपनी प्रजा का सेवा करना छोड़कर सरयू नदी में डुब मरना चाहिए | जिसे मनवाने के लिए रामराज को अपना सबसे बेहत्तर शासन और राजा राम को सबसे बेहत्तर शासक मानने वालो द्वारा ही तो हजारो करोड़़ का भव्य राम मंदिर का निर्माण कराने का प्रक्रिया चारो ओर गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी में भी धिरे धिरे आगे बड़ाया जाना जारी है | जिसका निर्माण प्रक्रिया लॉकडाउन में भी जारी था , भले लॉकडाउन में हजारो लाखो लोग बेघर और बेरोजगार हो गए हो , जिनकी जिवन बदहाल से और अधिक बदहाल हो गया हो पर राम मंदिर जरुर बने इसकी प्रक्रिया लॉकडाउन में भी जारी रहा है | जिस राम मंदिर का निर्माण यह कहकर किया जा रहा है की शंभुक की हत्या करने वाला राम हिंदू धर्म का सबसे आदर्श भगवान है | वह आदर्श भगवान जिसके रामराज में उसकी पत्नी सीता अग्नि परीक्षा पास होने के बावजुद भी राजा राम द्वारा उसे गर्भवती अवस्था में भी खुंखार बाघ भालु के बिच घने जंगल भेज दिया गया था | जो बाद में इतनी दुःखी हुई कि रोते रोते जिते जी धरती में समा गई | बल्कि रामराज में खुद राजा राम भी अपने ही शासन में इतना दुःखी हुआ की अपनी प्रजा की सेवा करना छोड़कर जीते जी सरयू नदी में समा गया | रामराज में खुद राजा राम रानी सीता और उनके दो बच्चे लव कुश को एक साथ हसी खुशी रहने का कभी नसीब ही नही हुआ | जिस संकट से सबका संकट मोचन कहलाने वाला हनुमान भी अपना सबसे बड़ा आदर्श राम सीता को इतने बड़े संकट से नही निकाल सका तो क्या हनुमान और राम भरोस से इस देश दुनियाँ में रामराज लाकर सुख शांती और समृद्धी आयेगी और सबकी संकट दुर होगी | बल्कि इस देश में तो सबसे खराब हालात जब रहता है , उस समय राम भरोसे शासन चल रहा है कहा जाता है | जैसे की गोरो से अजादी मिलने के बाद से लेकर अबतक भी तो इस देश का शासन राम भरोसे चल रहा कहा जाता है | जिसके चलते राम को अपना आदर्श मानने वाले शासक द्वारा राम भरोसे शासन करते हुए सरयू नदी में डुबे राम को विशेष याद करने के लिए भी राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है | जिस राम भरोसे शासन का मतलब यही होता होगा कि राम भरोसे रहना सबसे बुरे दिन चल रहे होते हैं | जिस बुरे दिनो में शंभुक प्रजा को सिर्फ यह अश्वासन मिलता रहता है कि गरिबी भुखमरी हटेगी और अच्छे दिन आयेंगे | जो बुरे दिन अच्छे दिन में तभी बदलते होंगे जब राम भरोसे के बजाय असुर दानव भरोसे का शासन स्थापित होता होगा | तभी तो असुर दानवो के शासन को इतना समृद्ध कहा जाता है कि वहाँ की प्रजा किमती सोने चाँदी हिरे मोती वगैरा जेवरो से भी लदे रहते थे और महलो में भी रहते थे | जिन महलो में सोने चाँदी के बर्तनो में खाना पकता था और खाया जाता था | जिसके बारे में वैसे तो अनेको उदाहरन भरे पड़े हैं पर उनमे से इस समय मैं दो उदाहरन देना चाहूँगा एक रामायण में बतलाया गया माली सुमाली और माल्यवान का राज्य लंका की , जिसके बारे में बतलाया जाता है कि लंका में सोने की महले तक हुआ करती थी | और दुसरा उदाहरन महाभारत में बतलाया गया जरासंघ के राज्य की जिसके राज्य में भी इतनी सुख शांती और समृद्धी थी की पांडव और कृष्ण के द्वारा लाख जोर जबरजस्ती कोशिष करने के बावजुद भी जरासंघ युद्ध लड़ने से यह कहते हुए इंकार करता रहा कि युद्ध से किसी का भला नही होगा और बेकार में अशांती फैलेगी , उससे तो अच्छा यदि तुमलोगो को धन संपदा की कमी है तो बिना युद्ध किये जितना चाहे धन संपदा मांगकर ले जाओ | जाहिर है दैत्य दानव असुर समृद्ध थे न की देवो को खाकर मुर्दाखोर जिवन जिते थे | क्योंकि जिसने राम रावण को इंसान जिवन दिया है उसी ने दैत्य असुर दानव को भी इंसान जन्म दिया है | तभी तो दोनो पारिवारिक रिस्ता भी जोड़ते थे | बल्कि प्रकृति भगवान ने बाकि भी सभी प्राणियों को इस धरती में जन्म होने का नसीब प्रदान किया है | जिस प्रकृति भगवान के भरोसे ही तो पुरी दुनियाँ कायम है , न कि किसी इंसान के भरोसे दुनियाँ कायम है | यह बात इसलिए फिर से बार बार दोहरा रहा हूँ , क्योंकि मनुवादि अपने पुर्वजो को दुनियाँ चलाने वाले चमत्कारी भगवान बतलाते आ रहे हैं | वे देव भगवान जो आज इस धरती पर विचरन करने के लिए एक भी जिवित नही हैं | कथित भगवान राम भी अपनी नेतृत्व में जिवित रहते रामराज की सुख शांती और समृद्धी को कायम नही कर सके तो क्या वे सरयू नदी में डुबने के बाद उसकी काल्पनिक मूर्ति शंभुक मुलनिवासियों की सुख शांती और समृद्धी कायम करेगी ! लेकिन भी राम को हिंदू धर्म का भगवान बतलाकर उसकी अलग अलग चेहरे में मौजुद काल्पनिक मूर्ती की आरती उतारी जाती है | जबकि यदि बाबा अंबेडकर द्वारा हिन्दू कोड बिल की रचना करते समय मनुवादीयों को हिंदू ही नही माना जाता तो रामराज को हिन्दूराज कहना तो दुर खुदको हिन्दूओं का धर्मगुरु बताकर मुल हिंदूओं से छुवाछुत करने वालो की मनुवादी सरकार ही फिर कभी कायम नही होती ! क्योंकि यूरेशिया से आए मनुवादीयों के अंदर यहूदि डीएनए मौजुद है | जो कि DNA रिपोर्ट से प्रमाणित हो चुका है | जिन मनुवादियों के डीएनए से इस देश के मुलनिवासियों का डीएनए नही मिलता है | और जैसा की पुरी दुनियाँ जानती है कि बारह माह प्रकृति पर्व त्योहार मनाते हुए प्रकृति भगवान की पुजा इस देश के मुलनिवासी हजारो सालो से करते आ रहे हैं | न कि यूरेशिया से आए यहूदि डीएनए का मनुवादी बारह माह मनाई जानेवाली प्रकृति पर्व त्योहार और प्रकृति भगवान पुजा करने की परंपरा को अपने साथ लाया है | फिर भी धर्म के नाम से भारत पाकिस्तान का बंटवारा करते समय मनुवादी खुदको हिन्दू बताकर भारत का शासक बन गए हैं | जबकि हिंदू कोड बिल की रचना करने वाले बाबा अंबेडकर समेत बहुसंख्यक मुलनिवासि मुल हिंदू होते हुए भी इस देश की सत्ता से वंचित रह गए | जो कपटी सोच मनुवादी दरसल उस मनुवादी सत्ता को हासिल करने के लिए किया था , जिसे वह गोरो द्वारा देश गुलाम के बाद खो चुका था | जाहिर है गोरो से अजादी मिलने के बाद मनुवादी को तो अजादी हासिल हो गया है पर इस देश के मुलनिवासियों को एक गुलाम करने वाले से अजादी मिलने के बाद दुसरे गुलाम करने वाले मनुवादीयों ने अपनी गुलामी जंजिरो में वापस जकड़ लिया है | क्योंकि गोरो का शासन समाप्ती के बाद मनुवादीयों का सत्ता फिर से कायम हो गया है | जो मनुवादी सत्ता आजतक भी कायम है | क्योंकि यहूदि डीएनए का मनुवादी द्वारा हिंदू धर्म की ठिकेदारी लेने से बहुसंख्यक हिन्दू का साथ मनुवादी को हासिल हो गया है | जबकि असल में या तो यहूदि डीएनए का मनुवादी ही होली दिवाली और मकर संक्राति जैसे हिन्दू पर्व त्योहार मनाने वाला मुल हिन्दू है , जो पर्व त्योहार यूरेशिया से लाए गए हैं ,या फिर इस देश के मुलनिवासी ही मुल हिन्दू है | जिनके द्वारा ही इस कृषि प्रधान देश में मौजुद बारह माह मनाई जानेवाली प्रकृति पर्व त्योहारो और इस देश के अनगिनत भाषा बोलियो वगैरा को विकसित किया गया है | और जैसा की हमे पता है कि हिंदू परिवार में ही अंबेडकर जैसे मुलनिवासियों का भी जन्म हुआ है | जिन्होने कभी भी छुवा छुत भेदभाव नही किया है | क्योंकि हिंदू धर्म में छुवा छुत नही होता है | जो यदि होता तो हिंदू होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे पर्व त्योहार मनाते समय एक दुसरे से गले मिलने नाचने गाने जैसी खुशियों का मेला मिल जुलकर मनाना तो दुर एक दुसरे से छुवा न जाय इसके लिए ऐसी पर्व त्योहार कभी मनाते ही नही ! जो पर्व त्योहार छुवा छुत करने वाले मनुवादीयों की नही है | क्योंकि वे तो होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे पर्व त्योहार मनाने वाले इस देश के मुलनिवासियों से छुवाछुत करते हैं | इसलिए जाहिर है इस देश के मुलनिवासियों से छुवाछुत करने वाले मनुवादी मुल हिंदू नही हैं | बल्कि मुल हिंदू इस देश के मुलनिवासी हैं | जैसे की बाबा अंबेडकर मुल हिंदू परिवार में जन्मे थे | जिन्होने हिन्दू रहते ही वह ऐतिहासिक मुकाम भी हासिल किया है , जो सायद वे यदि बौद्ध धर्म में रहते तो नही कर पाते | उन्होने हिन्दू रहते देश विदेश में तीस से अधिक उच्च डिग्री हासिल किया और हिंदू वेद पुराण भी पढ़े है | जितनी उच्च डिग्री सायद खुदको जन्म से विद्वान पंडित कहनेवाला किसी भी मनुवादी के पास आजतक हासिल नही हुआ है | और न ही ये कहने वाले झुठे और पाखंडी उन घर के भेदियो ने कभी इतनी कामयाबी हासिल किया है जो यह कहते फिरते हैं कि " हिंदू परिवार में जन्म लेने वाला मुलनिवासी कभी कामयाब नही हो सकता " | बल्कि मैं तो कहता हूँ ऐसी बाते करके मुल हिंदूओ को बरगलाने वाला घर के भेदी जबतक अपने घर का विनाश करने के लिए दुश्मनो से मिलते रहेंगे तबतक सुख शांती और समृद्धी कायम सत्ता को वापस लाने में सबसे बड़ी रुकावट घर के भेदी ही बनते रहेंगे | जिन घर के भेदियों की वजह से ही तो आजतक भी मनुवादी सत्ता कायम है | जिन घर के भेदियो को यह मालुम रहना चाहिए कि अंबेडकर ने हिन्दू रहते भेदभाव के खिलाफ आंदोलन चलाकर मनुस्मृति को जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना जैसे ऐतिहासिक बड़ी कामयाबी हिन्दु रहते ही हासिल किया है | जिस संविधान के लागु होने के बावजुद भी मनुवादीयों का हौशला आज भी शोषण अत्याचार करने के प्रति कायम है | क्योंकि अजाद भारत का संविधान की सुरक्षा और उसे ठीक से लागु करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को दिया गया है , वहाँ पर भी भष्म मनुस्मृति का भुत बसेरा है | जिसके चलते मनुवादीयों का भेदभाव हौशला बुलंद है | यही वजह है कि मनुवादी शासन में आज भी इस देश में भेदभाव शोषण अत्याचार खुले आम होता है | बल्कि अल्पसंख्यक मनुवादीयों द्वारा इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियों को नंगा करके मारा पिटा जाता है | जिस तरह की पिटाई जिसदिन मनुवादीयों की भी होने लगेगी उसदिन समझो मनुवादीयों को सायद धिरे धिरे यह समझ आने लगेगा की गुलामी हमेशा कायम नही रहती है | क्योंकि मनुवादीयों को यह बात समझनी चाहिए की सभी मुलनिवासि उनकी पिटाई खाकर भविष्य में छोड़ो कल की बाते कल की बात पुरानी गाना गाकर अपने पुर्वजो के साथ हुए शोषण अत्याचार को भुलने वाले नही हैं | जाहिर है जिसदिन अजादी मिलती है , उसदिन गुलाम करने वालो के द्वारा किये गए शोषण अत्याचार करने की सजा शोषण अत्याचार करने वालो की नई पिड़ी को भुगतनी पड़ती है | भले अपने पुर्वजो के द्वारा किये गए कुकर्मो की माफी मांगकर भुगतनी पड़ती है | जिस प्रक्रिया को इतिहास दोहराये उससे पहले गोरो की तरह अल्पसंख्यक होकर बहुसंख्यको को गुलाम करने वाले मनुवादियों को जिते जी खुद ही माफी मांगकर कान पकड़कर उठक बैठक करके आज के बाद भेदभाव शोषण अत्याचार नही करेंगे वचन खुदसे ले लेना चाहिए | न कि झुठी शान में अपने उन पुर्वजो की आरती उतारते रहना चाहिए , जिन्होने इस देश के मुलनिवासियों को ज्ञान से वंचित करने के लिए यह नियम कानून बनाया था कि शुद्र यदि वेद सुने तो उसके कान में गर्म पिघला लोहा डाल दो और वेद का उच्चारण करे तो उसका जीभ काट दो ! जिस तरह के नियम कानून उस मनुस्मृति में भरे पड़े हैं , जिसे बाबा अंबेडकर ने जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना किया था | जिसके चलते अंबेडकर को आज शोषित पिड़ितो का मसिहा तक भी कहा जाता है | जिस तरह की कामयाबी इतिहास रचने में उसके साथ मनुवादी जन्म से लेकर बुढ़ापा तक भारी भेदभाव करके भी नही रोक पाये | बल्कि मेरा तो मानना है यदि अंबेडकर जब हिन्दू कोड बिल की रचना कर रहे थे उस समय ही यदि वे मनुवादीयों को हिन्दू नही मानकर इस देश के मुलनिवासियों के लिए ही सिर्फ हिन्दू कोड बिल बनाते तो आज मनुवादी इस देश के शासक कभी नही बन पाते | हिंदू के साथ छुवाछुत करने वाले यहूदि डीएनए के मनुवादीयों को हिंदू नही माना जाता तो निश्चित तौर पर भारत पाकिस्तान का बंटवारा करते समय ही इस देश की सत्ता इस देश के मुलनिवासियों को प्राप्त हो जाती | जिसके बाद मनुवादी इस देश का शासक कभी भी दुबारा नही बन पाते | क्योंकि मनुवादी के पास यदि इस देश की सत्ता मौजुद है तो वह खुदको हिन्दू कहकर मौजुद है | जिस बात के लिए कोई मुझसे लिखवा ले या फिर किसी सार्वजनिक मंच से खुली चैलेंज कर ले कि यदि मनुवादी या तो खुदको हिन्दू मानने से इंकार कर दे या फिर वह दुसरा धर्म अपना ले और उसके बाद चुनाव लड़े तो मनुवादी सरकार क्या कभी बन पायेगी ? निश्चित तौर पर ऐसा होने पर ज्यादेतर हिन्दू उसे वोट ही नही देंगे और मनुवादी सरकार तो क्या सांसद सीट भी सायद बड़ी मुश्किल से जीत पायेगा | जैसे की बाकि धर्म की सरकार इस देश में कभी भी नही बन पाती है | क्योंकि उनकी अबादी अल्पसंख्यक है | जैसे की मनुवादियों की है | पर चूँकि अल्पसंख्यक मनुवादी खुदको बहुसंख्यक हिन्दू का चादर ओड़े हुए है , इसलिए धर्म के नाम से बहुसंख्यक हिन्दूओं की वोट से मनुवादी सरकार बहुमत से चुनी जाती है | जो सरकार यदि चुनाव मशिन के जरिये छेड़छाड़ से भी यदि बन रही होगी तो भी ज्यादेतर हिन्दू सांसद ही मनुवादी सरकार बनने में मदत कर रहे हैं | बाकि धर्म के लोग न तो ज्यादे सांसद बन सकते और न ही ज्यादे संख्या में वोट कर सकते हैं | जैसे कि धर्म के नाम से इस देश का बंटवारा करने के बाद एक अलग देश बना पाकिस्तान में हिन्दू सरकार बनना मुमकिन नही है | क्योंकि धार्मिक दृष्टी से वहाँ पर मुस्लिम अबादी ज्यादे है , और हिंदू अल्पसंख्यक हैं | जिसके चलते स्वभाविक है कि उस देश में मुस्लिम सांसद ही ज्यादे होंगे | हलांकि इस देश को सभी धर्मो को बराबर हक अधिकार देनेवाला देश कहा जाता है जो कि दरसल सफेद झुठ है | खासकर तब जबकि पुरी दुनियाँ जानती है कि इस देश से धर्म के नाम से कई अलग देश बन चुके हैं | क्योंकि उन धर्मो को पता था कि यदि वे खुदको अलग नही करते तो मनुवादी खुदको बहुसंख्यक हिन्दू बताकर इस देश का शासक उसी तरह बने रहते जैसा की अभी मुलनिवासियों का हक अधिकारो पर कब्जा करके बने हुए हैं | जिसकी पिछवाड़े से सत्ता अभी भी एक झटके में खिसक जायेगी यदि मनुवादी खुदको हिन्दू कहना छोड़ दे | या फिर इस देश के मुलनिवासी ही उसे हिंदू मानने से इनकार करके उसके हाथो से सत्ता ही नही बल्कि वेद पुराण और हिन्दू मंदिरो में मौजुद पुजारी का जन्म से मिला अधिकार यह कहकर छिन लें कि जिसके अंदर यहूदि का डीएनए मौजुद है , वह इस देश का मुल हिन्दु पुजारी हो ही नही सकता | जैसे की कोई हिंदू यहूदि या मुस्लिम पुजा स्थलो का पुजारी नही हो सकता | जिसे सत्य साबित करने के लिए जरुरत पड़े तो अंतराष्ट्रीय विद्वानो की मंच पर इस बात पर बहस भी हो कि होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे हिन्दू पर्व त्योहार मनाने वाले इस देश का मुल हिन्दू कौन है , यूरेशिया से आए मनुवादी की इस देश के मुलनिवासि ? और मनुवादीयों के पुर्वज देवता पुजा मुल हिन्दू भगवान पुजा है कि प्राकृति पुजा मुल हिन्दू भगवान की पुजा है ? जिस बात का फैशला होते ही मनुवादि यहूदि का बिछड़ा हुआ वह दुसरा कबिला साबित हो जायेगा जो कि पश्चिम से पुरब की ओर आकर गायब हो गया है | जाहिर है उसे न तो धरती ने निगल लिया है और न ही आसमान ने निगला है | और न ही उसे कोई ब्लेकहोल ने निगल लिया है | बल्कि वह इसी पृथ्वी में ही मौजुद है | जिस कबिला को वर्तमान के यहूदि कबिला से ज्यादे बड़ा बतलाया जाता है | और मनुवादी कबिला जनसंख्या के अनुसार यहूदि कबिला से ज्यादे बड़ा है यह बात सबको पता है | वैसे बहुत से मनुवादीयों ने हिन्दू कोड बिल का यह कहकर विरोध किया था कि हिन्दू कोड बिल से मुस्लिमो को क्यों नही जोड़ा गया है ? जो सवाल करना स्वभाविक था , क्योंकि हिन्दू सभ्यता संस्कृति से मनुवादीयों का आचरण संतुलित रुप से मेल नही खाता है | जैसे कि मनुवादी द्वारा जो खुदको हिंदू मानकर भी इस देश के मुल हिन्दूओं से छुवाछुत भेदभाव करता है , वह उसकी उस गैर हिन्दू आचरण को प्रमाणित करता है | जिस आचरण को कोई भी मुल हिन्दू कभी भी अपने पुर्वजो से हासिल नही किया है | उसे तो मनुवादी ही अपने उन पुर्वजो से हासिल किया है , जिन्होने मनुस्मृति लागु करके उच्च निच छुवाछुत भेदभाव जैसे भ्रष्ट आचरण सुरु किया है | जिस तरह का भ्रष्ट आचरण को हजारो साल बाद भी मनुवादी अबतक पुरी तरह से अपने रोजमरा जिवन में छोड़ नही पाया है तो क्या हिन्दू धर्म के उन मुल भावनाओं और विश्वासो को समझ पायेगा जो की मुलता साक्षात प्राकृति और मानवता से जुड़ी हुई है | खासकर तब भी जबकि मनुवादी खुदको यदि देव कहता है तो अपनी पत्नी को देव दासी कहकर कई जगह तो नारी योनी को उसने नर्क का द्वार तक कहा है | और ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी सकल ताड़ना के अधिकारी श्लोक को कौन नही जानता है ? जिस श्लोक के जरिये मनुवादी यह बतलाने की कोशिष किया है कि वह छोड़ बाकि सब ताड़न के अधिकारी हैं | क्योंकि मनुवादी तो जन्म से खुदको उच्च मानता है | जिसे जन्म से ही ताड़न की जरुरत नही होती है | जिस तरह की गंदी सोच वाली मांसिक विकृती को दुर करने के लिए भी इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासि अपने सर में मैला तक ढोकर मनुवादियों को अपना सर का ताज देकर मानो मनुवादीयों को अपने सर में चड़ाकर पुरी दुनिया का विनाश करने वाला उस जहर को शिव की तरह पी रखा है , जो मनुवादी यदि सिर्फ इस देश के मुलनिवासियों को शुद्र निच न मानकर पुरी दुनियाँ के लोगो को निच शुद्र घोषित करते तो आज मनुवादी पुरी दुनियाँ के लोगो का वैसा ही शोषण अत्याचार कर रहे होते जैसा कि वह इस देश के मुलनिवासियों के साथ हजारो सालो से कर रहा है | जिस मनुवादी को इस देश के मुलनिवासी हजारो सालो से झेलते हुए उन्हे हिन्दू पुजारी के रुप में भी झेलते हुए यह झुठी उम्मीद भी लगाये हुए है कि कभी तो छुवा छुत करने वाले सभी मनुवादीयों को इंसानियत की समझ आयेगी | जिस लंबे इंतजार में अपने सर में मल मूत्र तक उठाने की प्रक्रिया को जारी रखे हुए है , इस उम्मिद पर की सायद जिस तरह किसी शिशु को पैंट में शुशु पोटी करते और अपने आप को धुलवाते हुए एकदिन समय के साथ नहाना धोना और कपड़ा पहनना आ जाता है , उसी तरह मनुवादीयों को भी कभी तो समय के साथ यह समझ में आ जायेगी कि मानवता और पर्यावरण की मुल भावनाओं से किस तरह से इस देश का हिंदू बिना कोई भेदभाव के जुड़े हुए हैं हजारो सालो से | जो बारह माह हिन्दू कलैंडर अनुसार बिना कोई भेदभाव के प्राकृति पर्व त्योहार मनाकर मिल जुलकर खुशियों का मेला लगाते हैं , न की हिंदू धर्म छुवाछुत भेदभाव करने सिखाता है | क्योंकि मुल हिंदू वह मनुवादी नही है की मनुस्मृति रचना करके भेदभाव शोषण अत्याचार करें | जिस हिंदू के रचे वेद पुराण में कब्जा करके ही तो मनुवादीयों ने खुदको हिन्दू धर्म का पुजारी घोषित किया हुआ है | जिसके लिए पहले तो उन्होने इस देश की सत्ता को छल कपट और घर के भेदियो की सहायता से हासिल किया , उसके बाद सत्ता पावर का गलत उपयोग करके हिंदू वेद पुराणो में मिलावट किया गया | जिसके बाद उन्होने हिंदू धर्म में भगवान पुजा को देव पुजा साबित करने की कोशिष किया है | पर चूँकि मनुवादी अपनी छुवाछुत आचरण अबतक भी नही छोड़ पाया है , इसलिए उसकी छुवाछुत आचरण के बारे में जानकर पुरी दुनियाँ यह बात अच्छी तरह से समझ सकती है कि छुवाछुत करने वाले मनुवादी होली दीवाली और मकर संक्रांति जैसे आपसी मेलजोल का पर्व त्योहार मुल हिंदू भावना से कभी मनाते ही नही होंगे जबतक की वे खुदको छुवा छुत न करने वाला हिंदू नही बनाये होंगे | जिन्होने इस कृषि प्रधान देश की सत्ता में काबिज होकर खुदको हिंदू बनाकर खुदको हिंदू धर्म का पुजारी भी बनाया हुआ है | और धर्म के नाम से भारत पाकिस्तान बंटवारा होते समय खुदको हिंदूओं का शासक भी बनाया हुआ है | जबकि उसके अंदर यहूदि डीएनए दौड़ रहा है यह बात डीएनए रिपोर्ट से प्रमाणित हो चुका है | इसलिए जिस तरह यहूदि लोग हिंदू नही हैं उसी तरह यहूदि DNA का मनुवादी भी हिंदू नही है |
ये पोस्ट उस सुवर के लिए है जो टिप्पणी करते हुए मुझे माँ की चुत गाली दिया है
ये पोस्ट उस सुवर के लिए है जो टिप्पणी करते हुए मुझे माँ की चुत गाली दिया है
सुवरो तुमलोग तो अपनी माँ के चुत से पैदा ही नही हुए हो , फिर क्या जानो माँ की चुत क्या होती है ! क्योंकि इस प्रकृति पुजा करने वाले कृषि प्रधान देश में आने से पहले तो तुम्हारे लंगटा लुचा भुखड़ घुमकड़ पुरुष झुंड पुर्वज कथित अपने परम पिता के मुँह छाती और जंघा से अप्रकृति तरिके से पैदा हुए थे | जिसके बारे में तुम्हारे पुर्वजो ने खुद मनुस्मृति लिखते समय बतलाया है | हलांकि साक्षात प्रकृति विज्ञान पर विश्वास करके भगवान के रुप में उसकी पुजा करने वाले हम जैसे मुलनिवासि इन सब बातो को अज्ञानता अँधविश्वास और ढोंग पाखंड ही मानते हैं | क्योंकि हमारे लिए प्रकृति विज्ञान सत्य प्रमाणित बाते विश्वास के लायक होती है | जिस सत्य की पुजा हम प्रकृति पत्थर अथवा उस शिव लिंग योनी के रुप में भी करते हैं , जिसके साथ भी तुम्हारे पुर्वजो ने भारी भेदभाव किया था | न कि तुम्हारे उन ढोंगी पाखंडी पुर्वजो के द्वारा बतलाई गई अप्रकृति बातो को सत्य मानकर आँख मुँदकर विश्वास करते हैं , जिन्हे खुद इस देश में आकर साक्षात प्रकृति के बारे में प्रमाणित और प्रयोगिक ज्ञान मिला की इंसान का जन्म नारी के योनी से होता है , पुरुष के मुँह से नही ! जिसके बाद ही तो वे इस देश की नारी से अपना वंशवृक्ष बड़ाना सुरु किये हैं | जो बात अब तो DNA रिपोर्ट से भी साबित हो चुका है कि तुम्हारे पुर्वज बिना परिवार और बिना स्त्री के यहाँ पर आए थे | जिन्हे यहाँ पर आने से पहले परिवार समाज के बारे में भी पता नही था , और न ही कृषि के बारे में कुछ पता था | जो इस कृषि प्रधान देश में आने से पहले सिर्फ बोटी खाकर गुजारा करते थे | जिस बोटी की पूर्ति करने के लिए वे किसानो के पशुओ को लुटते चुराते और खाते थे , जिसके बारे में वेद पुराणो में भी बहुत सारी जानकारी मौजुद है | क्योंकि तब उन्हे अन्न की खेती करना और चावल रोटी के बारे में तो जानकारी थी नही |
बल्कि हजारो साल बाद वर्तमान सदी में भी तुमलोगो में कितने लोग खेती बारी करते हो इसके बारे में गोरो से अजादी मिलने से पहले ही तुमलोग खुद ही बक दिये हो | जैसे कि गोरो के जाने के बाद जब इस कृषि प्रधान देश का अगला शासक बनने की बारी आयेगा तो शासक कौन बनेगा इसपर कथित ब्रह्मण बाल गंगाधर तिलक ने बका था कि " तेली ,तंबोली ,कुंभट ,खाती ,कूर्मी और पाटीदार , ये सब विधिमंडल में जाकर क्या हल चलाएंगे ? " जिसकी बातो से साफ पता चलता है कि मनुवादी हजारो साल बाद अब भी तुमलोग खुदको कृषि प्रधान सभ्यता संस्कृति का अंग के बजाय कबिलई ही मानते हो | और ज्यादेतर कबिलई हुनर ही जानते हो | जिसके चलते तुमलोग आजतक भी न तो छुवा छुत भेदभाव को पुरी तरह से छोड़ पाये हो और न ही मनुस्मृति को छोड़ पाये हो ! जिसके चलते तुम्हारे भितर अब भी खुदको सबसे उच्च और ताकतवर समझने का भुत सवार है |
सुवरो खैर करो मेरी सोच से इस देश के बहुंख्यक मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , वह अभी नही चल रहे हैं , नही तो तुम 15% अल्पसंख्यक लोगो की औकात 85% बहुसंख्यक लोगो के सामने झांट (लिंग का बाल) नोचकर फैंकने के बराबर भी नही है | क्योंकि जिसदिन तुमलोगो से पुर्ण अजादी मिल जायेगी उसदिन इस देश के मुलनिवासियों के झांट की किमत भी तुमलोगो से ज्यादे होगी | इस कृषि प्रधान देश का खेती बर्बाद करने वाले सुवरो यूरेशिया से आकर यहूदि DNA के होते हुए भी खुदको हिंदू की खाल ओड़कर इस गलतफेमी में मत रहना की अब ज्यादे दिनो तक तुम्हारी कबिलई गुलामी चलने वाली है | क्योंकि नई पिड़ी अब तुम्हारी गुलामी कतई बर्दाश्त करना नही चाहती है , भले पुरानी पिड़ी अंदर ही अंदर घुटते हुए जी हुजूरी करके पंडित जी,सिंह जी,सेठ जी कहकर उनको भी इज्जत देते आ रहे थे , जो भेदभाव करके अपने घर के अंदर उन्हे घुसने भी नही देते थे | और न ही पहनना चाहे भी तो पैंट सर्ट और जुता चप्पल पहनने देते थे | सिर्फ लंगोटी धोती लुंगी वगैरा में उनकी जिवन कटती थी | पर अब नई पिड़ि तुम्हारे उन भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो के घर ही नही घुसती , बल्कि सुट बुट जुता चप्पल पहनकर भी घुसती है | जो किसी दिन इस देश की संसद में भी सभी मुलनिवासि एकजुट होकर घुसेगी और अंदर जाकर अपनी सरकार बनाने के लिए बहुमत संख्या जुटायेगी | जो अभी आपस में फुट होकर अलग अलग होकर घुसती है | जिन चुनाकर संसद में घुसने वालो में अभी ज्यादेतर तो मानो बेहोशी में तुम मनुवादीयों की सरकार के लिए ही अबतक चुनाव लड़ने और बहुमत जुटाने में लगकर गुलामी करते आ रहे हैं | जिन्हे जिसदिन पुरी तरह से होश आकर अपनी खुदकी सत्ता बहुमत से हासिल करके सोने की चिड़ियां को अपडेट करने का जुनून सवार हो जायेगा , उसदिन इस देश के मुलनिवासि तुम्हारे जैसे लोगो को देश से उखाड़ फैकने का प्रक्रिया सुरु कर देगा , जैसे कि कभी गोरो को फैका गया | क्योंकि इस सोने की चिड़ियां कहलाने वाले कृषि प्रधान देश को तुम जैसे गुलाम करके लुटपाट करने वालो ने ही गरिबि दाग दिलवाया है | बल्कि इसकी सुरुवात तुम मनुवादीयों के पुर्वजो ने हजारो साल पहले किया है छल कपट और घर के भेदियो की सहायता से इस देश और इस देश के मुलनिवासियों को गुलाम करके | नही तो इस देश में न कोई और कबिलई लुटेरी झुंड बाद में गुलाम बनाने की मकसद से आते , और न ही आज यह देश गरिब कहलाता | जिस देश से गरिबी दाग को मिटाने की विकसित हुनर रखने वाले अभी गुलामी की वजह से आपस में फुट होकर या तो बंटे हुए हैं , या फिर उनमे से ज्यादेतर भड़वागिरी और नामर्दगिरी करके तुमलोगो का साथ दे रहे हैं | तभी तो मनुवादीयों की सरकार बार बार बन रही है | वह भी मनुवादी अल्पसंख्यक होते हुए भी बहुसंख्यक मुलनिवासियों को भारी बहुमत से हराकर सरकार बना रहे हैं | जो बड़ी शर्म की बात है हम उन मुलनिवासियों के लिए जो तुमलोगो से कभी भी इमानदारी से सेवा की उम्मीद नही करते हैं | इसलिए याद रखना सब मुलनिवासि तुमलोगो की सरकार बनाने में मदत करने वालो में से नही हैं | जिनके सामने भविष्य में तुम अपनी गलती स्वीकारोगे तो नागरिकता मिलेगी नही तो उठाकर सिधे बाहर फैंकवा दिये जाओगे | क्योंकि तुम जैसे मनुवादीयों को इस देश में रखकर हानि ही हानि होने वाला है | जो तुम और तुम्हारे पुर्वजो ने इस देश और इस देश के मुलनिवासियों का पहले भी काफी जान माल , मान सम्मान वगैरा की हानि कर चुके हैं | जो दुबारा से अब कभी न हो इसके लिए ही तो करोड़ो गुलाम मुलनिवासि तुमलोगो से पुर्ण अजादी पाने का संघर्ष कर रहें हैं | जिनके सामने तुम्हारे बाप गोरे जब टीक नही सके तो तुम किस खेत की गाजर मुली हो | क्या लगता है तुम्हारे बाप गोरे तुमसे डरकर भागे हैं ? जिस तरह तुम भी भागोगे यदि यह नही स्वीकारोगे कि जिस मनुस्मृति को भष्म किया गया है वह गलत था | बल्कि इस बात को अबतक तुम जैसे लोग स्वीकार भी लेते यदि अभी मुलनिवासियों की सत्ता रहती | जो न स्वीकारके तुम जैसे कुछ सुवरो को अबतक भी लगता है कि मनुस्मृति दुनियाँ की सबसे बेहत्तर किताब है | जिसे संविधान के तौर पर लागू करके शासन चलानी चाहिए | वह तो कुछ हमारे अपने ही लोग हैं जो भड़वागिरी और नामर्द वाली हरकत करके अबतक भी तुमलोगो का साथ दे रहे हैं , जिसकी ताकत और सहयोग से तुम अबतक सत्ता में भी जमे हुए हो , और इस तरह की गाली ग्लोज भी बिना संकोच के बिना ठीक से सोचे विचारे कर रहे हो , बजाय इसके कि तुम्हे अपने पुर्वजो के कुकर्मो को स्वीकरनी चाहिए थी | जैसे की आज गोरे स्वीकारके अपने पुर्वजो के द्वारा किये गए पापो की माफी भी मांगते हैं | लेकिन तुम तो माँ बहन की गाली ग्लोज देकर भष्म मनुस्मृति के बारे में ऐसा तर्क दे रहे हो , जैसे कि यदि उसे दुनियाँ के सारे देश लागू कर दे तो चारो तरफ सुख शांती और समृद्धी आ जायेगी | बावजुद इसके की रामराज आने के बाद प्रजा को शंभुक बना दीया जायेगा | हलांकि मनुस्मृति को कोई देश लागू करना तो दुर कोई उसमे लिखे नियम कानून का समर्थन भी नही करेगा | यकिन न आये तो कोई दुसरे देश के लोगो से यदि संपर्क हो तो मनुस्मृति के बारे में उनसे राय लेकर देख लो पता चल जायेगा तुम्हारे पुर्वजो की बुद्धी कितनी गंदी और भ्रष्ट थी मनुस्मृती की रचना करते समय | पर हाँ संपर्क विदेशो में रहने वाले अपने ही DNA के लोगो से करके मनुस्मृति के बारे में उनकी राय मत पुछना !
रविवार, 4 अक्टूबर 2020
भगवान का महल चाहिए की बेघरो को घर चाहिए
लाखों भव्य मंदिर मस्जिद चर्च और करोड़ो बेघर लोग
भूखे गरीबों को भोजन की आवश्यकता होती है,या भगवान को घी मक्खन दूध दही की आवश्यकता होती है?
(Lakhs grand temple mosque church and millions of homeless people
The hungry poor need food or does God require tons of ghee butter milk curd? Do people sleeping on the sidewalk need houses or does God want millions of homes?)
bhookhe gareebon ko bhojan kee aavashyakata hotee hai ya bhagavaan ko ghee makkhan doodh dahee kee aavashyakata hotee hai? kya phutapaath par so rahe logon ko gharon kee zaroorat hai ya bhagavaan ko laakhon ghar chaahie?
इस कृषि प्रधान देश में हजारो साल पहले जो प्राचिन सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण हुआ था , वहाँ पर कोई भी मंदिर मस्जिद चर्च मौजुद नही थी | हलांकि उस समय दुनियाँ के बाकि भी हिस्सो में कोई हिन्दू मुस्लिम ईसाई वगैरा धर्म के मंदिर मस्जिद चर्च मौजुद नही थी | क्योंकि तब न तो मुस्लिम धर्म का जन्म हुआ था , न ईसाई धर्म का जन्म हुआ था और न ही मंदिरो में देवता पुजा होता था | क्योंकि तब दुनियाँ के जो भी क्षेत्र कृषि अधारित सभ्यता संस्कृति का विकाश कर रहे थे , वहाँ ज्यादेतर या फिर सभी लोग प्रकृति पुजक थे | जैसा कि इस कृषि प्रधान देश में भी हजारो सालो से प्रकृति की पुजा भगवान के रुप में होती आ रही है | जिस प्रकृति से जुड़ी हुई पर्व त्योहार हिन्दू कलैंडर अनुसार आज भी बारह माह मनाई जाती है | जिस प्रकृति पुजा और प्रकृति पर्व त्योहार से न तो कोई दंगा फसाद होता है , और न ही प्राकृति पुजा के लिए कोई ऐसा मंदिर मस्जिद चर्च की आवश्यकता होती है , जहाँ पर कोई खास धर्म के लोग ही पुजा करने प्रवेश करते हैं | क्योंकि प्राकृति सभी धर्मो के लोगो के लिए बराबर है | जैसे की प्राकृति में मौजुद बिजली हवा पानी सबके लिए बराबर है , न कि बिजली किसी को झटका देते समय यह देखती है कि कोई यहूदि ईसाई है कि मुस्लिम ? रही बात फिर प्रकृति की पुजा करने वाला हिंदू मंदिरो में मुस्लिम यहूदि ईसाई वगैरा को प्रवेश मना क्यों है ? तो जिस तरह प्रकृति हवा पानी लेना और सुर्य की रौशनी लेना किसी भी धर्म के लोगो को मना नही है , उसी तरह जिसे भी यह लगता है कि ये हवा पानी और सुर्य की प्रकाश वगैरा प्रकृति की कृपा के द्वारा ही इंसानो की जिवन ही नही बल्कि सृष्टी में मौजुद जिव निर्जिव सबकी जिवन चक्र जुड़ा हुआ है , वह प्राकृति की पुजा अपनी आस्था और विश्वाश से कर सकता है | जो प्रकृति चारो और साक्षात मौजुद है , जिसकी पुजा करने के लिए कोई मंदिर मस्जिद चर्च जाने की भी जरुरत नही है | क्योंकि जैसा कि बतलाया कि इस कृषि प्रधान देश में प्रकृति भगवान की पुजा करने के लिए पहले कोई हिंदू मंदिर मौजुद नही थे | हिंदू मंदिरो का निर्माण तो दरसल मनुवादियों द्वारा बनवाना तब सुरु किया गया , जब उन्होने हिन्दू वेद पुराणो में कब्जा करके उसमे छेड़छाड़ और मिलावट करके , अपने पुर्वज देवो को भगवान घोषित करके देवो की मूर्ति पुजा करना सुरु किया है , इसलिए उन्होने उस प्रकृति पुजा स्थलो में देवता मंदिरो का निर्माण सुरु किया , जहाँ पर इस देश के मुलनिवासियों ने किसी प्रकृति का प्रतिक जैसे की पत्थर पेड़ पौधा वगैरा का पुजा करके प्रकृति पर्व त्योहार खुले में मनाया जाता है , न कि कमरो के अंदर मंदिरो में मनाया जाता है | लेकिन चूँकि मनुवादियों ने हिन्दू वेद पुराणो की हिन्दू मान्यताओं और हिन्दू सभ्यता संस्कृति को समाप्त करने की मकसद से भी प्राकृति पुजा स्थलो पर अपने पुर्वज देवता मंदिर का निर्माण करके ढोंग पाखंड का व्यापार सुरु किया | हलांकि उन बहुत से देवता मंदिरो में भी प्रकृति पुजक हिन्दूओं को आज भी प्रवेश मना है | मनुस्मृति पुरी तरह से लागू के समय तो वेद सुनना वेद का उच्चारण करना भी इस देश के मुलनिवासियों के लिए मना किया गया था , तो बाकि धर्म के लोग तो वैसे भी न तो देव मंदिरो में प्रवेश कर सकते थे , और न ही वेद सुन सकते थे | आज के समय में भी तो मनुवादी शासन में सरकार द्वारा अन्न जल में ध्यान न देकर ज्यादेतर मंदिर मस्जिद चर्च बनाने में ध्यान दिया जा रहा है | जिसके चलते लाखो मंदिर मस्जिद चर्च बनाने की विकाश इतनी तेजी से हो रही है कि आज चाहे शहर हो या ग्राम सभी जगह चाहे स्कूल अस्पताल बल्कि रहने के लिए करोड़ो लोगो के पास क्यों न अपना छोटा सा घर भी न हो , और वे खुले में सोकर मच्छरो और गाड़ियो का शिकार हो रहे हो , और ठंड और बारिस से भी बच्चे बुढ़े और महिलायें मर रहे हो , पर मंदिर मस्जिद और चर्च बनाने का विकाश आज भी तेजी से चल रहा है | जिन मंदिर मस्जिद और चर्चो में इतने भव्य मंदिरें भी है , जिसे बनाने वाले खर्च से हजारो लाखो बेघर लोगो की घर बनाई जा सकती थी | रही बात भगवान का घर का तो भगवान के लिए तो मानो पुरी सृष्टी ही घर है | जिसके लिए अनेको मंदिर मस्जिद और चर्च बनाकर भगवान हम तुम्हारे लिए अलग अलग से लाखो घर इस पृथ्वी में बना रहे हैं , जिसमे तुम रहना यह कहकर लाखो मंदिर मस्जिद चर्च बनाकर आपस में मंदिर मस्जिद चर्च के नाम से लड़कर अपनी प्राण गवाना मुझे तो बचपन में बच्चो के द्वारा मिट्टी या बालु का घरौंदा बनाकर घर घर खेलते समय आपस में लड़ाई लड़ने जैसे हालात से भी ज्यादे बचपना लगता है | जिस तरह की लड़ाई और मंदिर मस्जिद चर्च की बड़ौतरी और विकाश से गरिबी भुखमरी दुर नही हो सकती , और न ही बेरोजगारी दुर होगी | दुर होती तो पुरी दुनियाँ में एक आंकड़े के अनुसार जो हर रोज 25000 लोग गरिबी भुखमरी से मर जाते हैं , उनकी मौत को ये मंदिर मस्जिद और चर्च जरुर रोक सकती थी | क्योंकि मुझे पुरा यकिन है इन मंदिर मस्जिद और चर्चो में सबसे अधिक गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जिवन जी रहे लोग ही अपनी बुरे हालात में चमत्कारी सुधार हो इसकी उम्मीद करके भगवान से आशीर्वाद लेने जाते हैं | लेकिन अफसोस इन्ही लोगो की असमय मौत पुरी दुनियाँ में हर रोज सबसे अधिक हो रही है | हाँ यदि इन मंदिर मस्जिद और चर्च के नाम से जो धन संपदा जमा होता जा रहा है , उसे यदि गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी को दुर करने के लिए प्रजा का धन संपदा प्रजा के ही बुरे दिनो की सुधार के लिए खर्च कर दिया जाता तो निश्चित तौर पर न हर रोज पुरे विश्व में पचीस हजार लोग गरिबी भुखमरी से मरते , और न ही इतनी बेरोजगारी रहती | मसलन इस देश के हिन्दू मंदिरो के बारे में कहीं पर जानकारी ले रहा था कि एक एक मंदिरो में इतना सारा सोना मौजुद है कि उसे यदि राष्ट्रीय संपत्ती घोषित कर दिया जाय तो एक झटके में एक डॉलर एक रुपये के बराबर हो जायेगी | बल्कि रुपया डॉलर को भी पार कर जायेगी | वैसे तो मैं डॉलर और रुपये की प्रतियोगिता को विकाश का सही पैमाना नही मानता हूँ , क्योंकि यदि ये पैमाना सही होता तो देश जब गोरो से गुलाम था उस समय एक डॉलर और एक रुपया बराबर था | फिर तो गोरो के शासन में यह देश ज्यादे विकसित था | क्योंकि गुलामी से अजादी मिलने के बाद आज एक रुपये और एक डॉलर की दौड़ में औसतन उम्र 70 से भी अधिक मुल्य रुपये की तुलना में डॉलर पार कर गया है | क्योंकि एक डॉलर के लिए इस देश को अब 71₹ देना पड़ रहा है | यानि यदि यह देश या इस देश के लोगो द्वारा अजादी से पहले विदेशीयो से कर्ज लिया होगा तो अब वह कर्ज देने वाला विदेशी को कर्ज के बदले सुध अथवा ब्याज से ज्यादा मुल धन का 71 गुणा वसुली डॉलर का मुल्य बड़ने से कर रहा होगा | क्योंकि यदि कोई एक रुपया कर्ज लिया होगा और उसका ब्याज माफ हो जायेगा तो भी उसे बिना सुध अथवा ब्याज दिये भी 1₹ के बदले 71₹ वापस करना पड़ेगा | यानी आज यदि कोई भारतीय कोई विदेशी सामान खरिदने का मन बनाता है तो सरकार उस सामान को 71गुणा ज्यादे मुल्य चुकाकर विदेशो से आयात करती है | जो आयात करने के लिए सालोभर विदेशी दौरा में ज्यादा ध्यान देने के बजाय यह सरकार यदि जमिन से जुड़ी हुई कार्यो में ज्यादे ध्यान देती तो आज इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में हर रोज हजारो लोगो की मौत गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसे मुल समस्याओ से नही होती | ऐसे बुरे दिनो में सरकार द्वारा अपने किये गए गरिबी हटाओ और हर साल दो करोड़ को रोजगार देने जैसे वचनो को निभाने में यदि अपनी प्राण भी नौछावर कर देती तो भी इतिहास में कम से कम इसके लिये जरुर याद की जाती की प्राण जाय पर वचन न जाय विचारो को जो सरकार फोलो करने की बाते करती थी वह सचमुच में प्राण जाय पर वचन न जाय वाली सरकार सिद्ध हुई , भले लाखो करोड़ो प्रजा का प्राण भी नही बचा पाई गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसे मुल समस्याओ से बाहर न निकाल पाने की वजह से | पर ऐसे खास वचनो को भी न निभाने और इन सरकारो के वचन फर्जी अथवा झुठे साबित होने की वजह से चारो ओर गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसी मुल समस्याओ से हर रोज हजारो लोगो की प्राण जाना निश्चित है | क्योंकि ये सरकार प्राण जाय पर वचन न जाय नही बल्कि हर रोज हजारो की प्राण जाय पर सरकार न जाय इसके लिए ये सरकार चुनाव भी फर्जी तरिके से करा रही है यह आरोप खुद वर्तमान की सरकार में मौजुद प्रधान सेवक ने खुद कहा था कि "भाईयो बहनो ये दुनियाँ के पढ़े लिखे देश में भी जब चुनाव होता है न तो बैलेट पेप्पर पर नाम पढ़करके ठपा मारते हैं आज भी "
शनिवार, 3 अक्टूबर 2020
4 जी के नाम पर फर्जी विकास
4 जी के नाम पर फर्जी विकास
विभिन्न प्रकार के दुर्घना और बदहाली हालात सोच समझकर पैदा करके इस देश के मुलनिवासियों को मारा जा रहा है | हलांकि मारने वालो की भी मौत एकदिन जरुर होती है , भले देर सही पर तड़प तड़पकर मरते तो वे लोग भी हैं , जो दुसरो को मारते हैं | मनुवादी शासन में 4G विकाश कहकर फर्जी विकाश स्पीट लक्ष साधने के बाद आई अव्यवस्था की वजह से निर्दोश प्रजा हादसो में भी भारी तादार में मर रही है | जिन मरने वालो में मुलनिवासियों की अबादी ही सबसे अधिक होगी जो की स्वभाविक है | क्योंकि अपनी सत्ता कायम रखने के लिये मनुवादी भले अपने डीएनए के लोगो को भी कभी कभार बली चड़ाते आ रहे हैं , पर अपनी फर्जी विकाश का सत्ता को कायम रखने के लिये वे अपने विरोधी जो की मनुवादियों के खिलाफ अजादी संघर्ष कर रहे हैं , उन मुलनिवासियों को ही सबसे अधिक बली देते आ रहे हैं | हलांकि अव्यवस्था कायम करने वाले भी बुढ़ापा या उससे भी पहले तड़प तड़पकर जरुर मरते आ रहे हैं | जैसे कि पिछले कई सालो में मरे और आनेवाले कई सालो में भी कई और तड़प तड़पकर मरेंगे जिसकी पाप का घड़ा वे खुद ही भरते जा रहे हैं | जिस पाप का घड़ा को फोड़कर प्रकृति भगवान द्वारा न्याय होगा | जो लोग बड़ी बड़ी गुनाह करके भी इंसानो द्वारा बनाया अदालत में आसानी से बच निकलकर भोग विलाश जिवन जी रहे होते हैं | क्योंकि इतिहास और वेद पुराण गवाह है कि जो लोग खुदको भगवान कहकर अपनी आरती उतरवाते रहे हैं , भगवान उनको भी सजा देते हैं तो फिर ये तो उनको अपना आदर्श मानने वाले वैसे लोग हैं , जिनके मरने के बाद भगवान नही बल्कि शोषण अत्याचार का शिकार हो रहे लोगो में ज्यादेतर अबादी द्वारा शैतान माना जायेगा | जिस तरह के शैतानो में बड़ौतरी बाहर से आए विदेशी मुल के कबिलई द्वारा होती है , जो इस कृषि प्रधान देश में समय समय पर गरिबी भुखमरी देकर निर्दोश गरिबो को बोझ समझकर जान बुझकर मारने की हालात पैदा किया जाता रहा है | जिन्हे उनके द्वारा देश गुलाम बनाकर गरिब किये हुए गरिबो की जिवन में खुशहाली नजारा देखना पसंद नही है | जिसके चलते वे गरिबी भुखमरी से मर रहे नागरिको की मौतो में बड़ौतरी होती रहे ऐसा अव्यवस्था हालात जान बुझकर पैदा करते रहते हैं | जो गरिबो को सिर्फ नौकर चाकर बनाकर अपनी सेवा कराते रहना चाहते हैं | अमिर देश के मुलनिवासी जिनके पुर्वज कभी गरिब नही थे , बल्कि जिन्होने कई भुखड़ घुमकड़ कबिलई को गोद लेकर अमिरी जिवन प्रदान किये हैं , उन्हे लुटकर गरिब बनाया गया है | जिन गरिब नौकर चाकरो के बच्चे जब गरिब बनाने वालो से आगे निकलने के लिए तैयार हो रहे हैं , तो उन्हे लंगी मारने अथवा उनकी टांग खिचने के लिए शोषण अत्याचार और अव्यवस्था में और अधिक बड़ौतरी की जा रही है | ताकि वे उसमे उलझकर पुर्ण अजादी रेश में आगे न निकल जाय | जो रेश तब लगती है जब गुलामी हालात कायम रहती है | जिससे अजाद होकर वापस अपनी मुल विरासत को हासिल करने की संघर्ष चल रही होती है | जैसे की मनुवादी शासन में मनुवादीयों के खिलाफ चल रही है | जिन मनुवादीयों के खिलाफ अजादी रेश न लगे इसके लिये मनुवादीयों को अपनी गलती स्वीकार करके मनुवादी सोच को त्यागना जरुरी है | बल्कि इस देश और दुनियाँ में मौजुद बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों के भितर इंसानियत का विकाश होना जरुरी है | क्योंकि खासकर गुलाम दास बनाने वाले , भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो की भ्रष्ठ बुद्धी में सुधार होकर वे भी अपने भितर इंसानियत का विकाश कर लेंगे तो चारो तरफ शोषण अत्याचार करने वाले ही नही रहेंगे | जिन भ्रष्टाचारियों को मानो उनकी मांसिक कमजोरी की वजह से बहुत बड़ी यह गलतफेमी किसी भुत चुड़ैल की तरह घुसी हुई है कि उनके भ्रष्ठ संस्कार ही भविष्य का विकसित संस्कार है | जिस गलतफेमी का भुत चुड़ैल को पुर्ण अजादी के बाद उतारना भी जरुरी है | वह भी खासकर उन्ही के सेहत के चलते ! क्योंकि ऐसे भ्रष्ठ लोग जिस गलतफेमी बिमारी से पिड़ित रहते हैं , उसे यदि विकसित बुद्धी माना जाय तो वे जो बड़े बड़े पाप कर रहे हैं , उनके अनुसार उसी को विकाश कहा जाता है | जिनके अनुसार उनकी पाप को ही सबसे बड़ा विकसित सोच मानकर भविष्य की नई पिड़ी अपनाते जायेगी ऐसी गलतफेमी उनकी भ्रष्ठ बुद्धी में घुसी हुई है | जैसे चोर डागू लुटेरा भ्रष्टाचारी ढोंगी ठग वगैरा बनने के लिए नई पिड़ी खुदको हमेशा तैयार करते जायेगी और उसी से विकसित देश दुनियाँ का विकाश होगा ऐसी गलतफेमी भ्रष्टाचारियों ने अपने भ्रष्ठ बुद्धी में पाल रखा है | जिस गलतफेमी की बिमारी का इलाज होना जरुरी है | और साथ साथ पर्यावरण का विकाश होना भी जरुरी है | जो संभव तब तेजी से हो पायेगा जब भ्रष्टाचारियों की नई पिड़ि अपने पुरानी भ्रष्ट पिड़ियों के पापो को स्वीकार करके उसे मल मूत्र की तरह त्यागते चली जायेगी | न कि उसे फिल्म पिक्कू के मल मूत्र से मानो गर्भवती जैसा पेट लेकर पुरी जिवन कालाधन से अपने फुले हुए पेट को साथ में लेकर घुमती रहेगी | बल्कि कई और बड़ी बड़ी बिमारी को भी लेकर बड़े बड़े भ्रष्टाचारी देश विदेश के महंगे महंगे अस्पतालो में जेलो में कैद अपराधियों से भी ज्यादे तकलीफदेह जिवन तड़प तड़पकर बिता रहे हैं | क्योंकि सारी जिवन भोग विलाश करने के बाद अंतिम पड़ाव में आसानी से उन्हे मौत भी नही आ रही है | और दवा दारु में ही सिर्फ उनकी हर महिने इतना खर्च हो रही है , जितना की कोई गरिब सारी जिवन न ही कमा पाता है , और न ही उतने का खाना पिना भी खा पाता है | बल्कि भ्रष्टाचारियों के परिवार में अपने पुरानी पिड़ी के पापो की वजह से नई पिड़ी में भी कई युवा भरी जवानी में तड़पन जिवन जी रहे हैं | जिनमे से कई तो आत्महत्या भी कर रहे हैं , और कई तो अपने माता पिता के द्वारा जमा किया कालाधन से महंगे महंगे ड्रक्स के नशे का लत लगाकर मरने से पहले ही स्वर्ग का नशा समझकर नर्क दुनियाँ को जी रहे हैं | जिस तरह की जिवन भी बहुत तकलीफदेह होती है | काल्पनिक फिल्म पिक्कू में तो बिमारी का संतुलित इलाज संभव नही हो सका था , पर असल जिवन में बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों का संतुलित इलाज संभव है | जैसे की गोरो ने अपने पुर्वजो की सबसे बड़ी पाप को स्वीकार करके अपने भितर बहुत सारी संतुलित सुधार करना सुरु कर लिया है | जिस तरह की सुरुवात मनुवादीयों को गोरो से बहुत पहले ही सुरु कर देनी चाहिए थी | क्योंकि गुलाम दास दासी बनाकर शोषण अत्याचार और छुवाछुत भेदभाव करने का पाप मनुवादी हजारो सालो से करते आ रहे हैं | जिन मनुवादीयों को किसी महंगे ड्रक्स का नशा से भी ज्यादे खतरनाक नशा छुवाछुत भेदभाव शोषण अत्याचार का नशा है | जिसके बावजुद भी गोरो से अजादी मिलने के बाद मनुवादीयों को ही इस देश की सत्ता आखिर क्यों मिल गयी है ? जिन मनुवादीयों के शासन में भी समाज सेवा नही भेदभाव जैसे सबसे बड़ी भ्रष्ट सेवा हो रहा है | जिस तरह की भ्रष्ट सेवा में बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों को सबसे अधिक बड़ावा मिलता है | और भोले भाले लोगो की हक अधिकारो को लुटा और कब्जा किया जाता है | जैसे कि गोरे शासन करते समय देश और प्रजा को लुट रहे थे | जो लुट आज भी जारी है , एक गुलाम करने वाले इस देश से लुटपाट बंद करके जहाँ से आये थे वहाँ चले गये तो दुसरे गुलाम बनाने वाले मनुवादी जो कि गोरो से भी पहले यूरेशिया से आये हैं , उन्होने लुटपाट और शोषण अत्याचार का कमान वापस सम्हाल लिया है | जिन्हे लुटपाट और शोषण अत्याचार करने का हजारो सालो का अनुभव अथवा टायलैंट है | जिनके लुटपाट शोषण अत्याचार करने का टैलेंट अथवा हजारो सालो का भ्रष्ठ अनुभव के बारे में जाननी हो तो उस मनुस्मृति को जरुर पढ़नी चाहिए जिसे अंबेडकर ने जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना किया है | पर चूँकि मनुवादी शासन में मानो अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे ठीक से पालन कराने कि जिम्मेवारी जिस न्यायालय को दिया गया है , वहाँ पर भी भष्म मनुस्मृति का भुत सवार है , इसलिए अजाद भारत का संविधान लागु होने के बावजुद भी बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों को सजा नही मिल रहा है , और बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो के पास कालाधन का भंडारन होता चला जा रहा है |
जिसके बारे में ठीक से समझने के लिये पुर्व लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई० के बारे में झांकी जरुर देख पढ़ लिया जाय |
जिस झांकी में सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC के 35 जज ,SC के 15 जज ,ST के 5 जज शामिल हैं |
जाहिर है न्यायालय में भी भष्म मनुस्मृती का भुत सवार होने के कारन अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे ठीक से पालन न कराने की वजह से इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला कृषि प्रधान देश में एक तरफ तो हर रोज अनगिनत लोग गरिबी भुखमरी से मर रहे हैं , और दुसरी तरफ कालाधन का भंडारन करने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले लोग दुसरो के हक अधिकारो को लुटकर अमिरो की तरह सारी सुख सुविधा के साथ जिवन यापन कर रहें हैं ? बल्कि विदेशो में कालाधन जमा करके विदेशी पर्यटन भी कर रहे हैं | क्योंकि ऐसे भ्रष्ठ लोगो के पास लुटपाट से जमा बहुत सारे अतिरिक्त धन होने की वजह से भले पेट से खाली नही होते हैं , पर मन से इतने अधिक खाली होते हैं कि उनका मन कभी इस बात से संतुष्ठ ही नही हो पाता कि उन्हे क्या ऐसी कार्य करनी चाहिए जिससे की उनकी भ्रष्ठ बुद्धी में सुधार हो सके ! क्योंकि उनकी भ्रष्ठ बुद्धी उन्हे भ्रष्ठ रास्तो पर चलने के लिए दिन रात प्रेरित करता रहता रहता है | जिस भ्रष्ठ रास्तो में कभी नही चलना चाहिए , चाहे इसके लिए क्यों न माता पिता और शिक्षक ही अपनी यह राय दे कि अमिर बनना है तो भ्रष्टाचारी बनना चाहिए | क्योंकि अक्सर माता पिता ने यह करने को कहा है , गुरु शिक्षक ने यह करने को कहा है , यह सोचकर बुद्धी भ्रष्ठ होने लगता है | जिसकी वजह से जैसा माता पिता वैसे बच्चे को मुल आधार मानकर बड़े बड़े भ्रष्ट संस्कार पिड़ि दर पिड़ि आगे बड़ने वाली खानदानी अथवा जेनेटिक बिमारी की तरह बड़ता चला जाता हैं | जैसे कि यदि माता पिता रिस्वत लेते हैं या कोई बड़ा घुस देकर किसी के हक अधिकार का नौकरी में कब्जा करके भ्रष्ठ अधिकारी बनते हैं , तो बच्चे भी अपने माता पिता या गुरु घंटालो की तरह भ्रष्टाचारी बनना समान्य जिवन समझने लगते हैं | उन्हे लगता हैं उनके माता पिता भ्रष्टाचारी बनकर जिस तरह अमिरी जिवन जिते हुए अपने बच्चो को भी बड़ी बड़े बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले भ्रष्टाचारी बनाने के बारे में ही सारी जिवन सोचे उसी तरह वे भी बड़े बड़े भ्रष्टाचारी बनकर अपने बच्चो को भी भ्रष्टाचारी बनायेंगे | दरसल ऐसे लोगो की जिवन में अमिरी भोग विलाश का नशा की वजह से भी उन्हे यह लगने लगता है कि यही तो शान की जिवन है | जो शान दरसल झुठी शान है ! जो कि कभी भी ऐसा इतिहास नही रच सकता जैसे की कोई गरिब कमजोर भी इमानदारी से कोई बेहतर कार्य करके महान बनकर महान इतिहास रच डालता है | जिस तरह के इतिहास के बारे में विद्यालयो में छात्रो को पढ़ाया जाता है कि इस बड़े महान कार्य को इस व्यक्ती ने किया था | जिसका जन्म गरिब परिवार या अशिक्षित परिवार में हुआ था | जैसे की कोई बड़ी खोज जिसे खोजने वाले कितने लोग भ्रष्टाचारी थे , और कितने लोग अमिर थे ? जाहिर है होंगे भी तो न के बराबर होंगे , क्योंकि भ्रष्टाचारी लोग सचमुच का महान इतिहास रचने वाले महान नही बन पाते हैं , भले सारी जिवन ऐसी झुठी शान में डुबे रहते हैं , जैसे कि उन्होने ऐसा महान कार्य किया है कि उनकी महानता के बारे में नई पिड़ि को विद्यालयो में पढ़ाई जायेगी | हाँ झुठी मिलावटी इतिहास में वे महान जरुर बने रहते हैं | जैसे कि पुरी दुनियाँ को लुटने वाला और जहाँ पर लुटपाट किया वहाँ की बहु बेटियों के साथ अपने लुटेरे गैंग के द्वारा बलात्कार करवाने वाला शैतान सिकंदर को महान सिकंदर बताकर किसी ने तो जो जिता वही महान सिकंदर बताकर फिल्म भी बनाया है | जिसका वश चलता तो गोरो के बारे में भी एक फिल्म बनाता जो गुलाम किया वही महान अंग्रेज ! बल्कि लादेन भी यदि कई देशो को जितकर लुटपाट करने में कामयाब होता तो उसे भी जो जिता वही लादेन कहकर फिल्म बनती | क्योंकि ऐसा फिल्म का टाईटल रखने वालो को महान बनने के लिए सायद सिर्फ जोर जबरजस्ती जितना ही महान बनना होता होगा | वैसे में तो शकुनी भी महान था , जिसने महाभारत में पांडवो को जुवा में कंगाल कर दिया था | हलांकि हिन्दी फिल्म जो जीता वही सिकंदर में जितने वाला लुटेरा नही बल्कि किसी गरिब परिवार का ऐसा किरदार निभाया गया है , जिसका सामना उन अमिरो से होता है जो उनसे घृणा करके उन्हे कभी भी रेस जितते हुए नही देखना चाहते हैं | जिसके चलते फिल्म का टाईटल जो जीता वही सिकंदर नही होना चाहिए था | क्योंकि सिकंदर ऐसा शैतान था जो राजा होते हुए भी पुरी दुनियाँ को लुटने का ऐसा हवश अपने भितर पाले हुए था कि उसने सबसे बड़ा शैतान बनने के लिए जिस देश को भी लुटा वहाँ की बहु बेटियों की भी इज्जत लुटी गई थी | जिस तरह की जीत को महान बताना नई पिड़ि को सिकंदर जैसे शैतान बनने के लिए प्रेरित करना है | जबकि असल में हार जीत में पहले यह देखना चाहिए की हार जीत किसके लिए हो रहा है ? और जीतने वाला क्या करके जीता है ? चुनाव भी यदि सचमुच का घोटाला करके जीता जा रहा है तो निश्चित तौर पर घोटाला करने वाला गैंग किसी शैतान सिकंदर का लुटेरा गैंग बनाकर झुठा महान बनने के लिए ऐसा भ्रष्ठ हरकत किया या अब भी कर रहा है , जिस भ्रष्ठ हरकत करने वालो को सत्य को पुज्यनीय मानने वाले लोग महान नही बल्कि शैतान मानते हैं | जैसे कि मैं भी सिकंदर को महान नही शैतान मानता हूँ | जिसके जैसा शैतान लाखो करोड़ो लोगो को लुटकर अपनी तिजोरी भरने के लिए ऐसी भ्रष्ठ हरकते करते हैं | जिस शैतान सिकंदर को ही अपना आदर्श मानकर बड़े बड़े भ्रष्टाचारी लुटपाट में लगे हुए हैं | जिस तरह का भ्रष्टाचारी बनने के लिए भ्रष्ठ संस्कार बांटने वाले चाहे क्यों न अपना माता पिता हो या फिर शिक्षक हो उनकी भ्रष्ट संस्कारो को न अपनाकर अपने भ्रष्टाचारी माता पिता के भ्रष्ट विरासत अथवा पापो का प्राश्चित करनी चाहिए | जैसे की समझदार गोरे अपने पुरानी पिड़ी के द्वारा कई देशो को गुलाम करने जैसे पापो का प्राश्चित माफी मांगकर कर रहे हैं | उसी तरह कथित संवर्णो को भी अपने पुर्वजो के द्वारा मनुस्मृति रचना करके इस देश के मुलनिवासियों को दास दासी बनाकर हजारो सालो से जो छुवा छूत वगैरा शोषण अत्याचार किया या अब भी कर रहे हैं , उनके पापो की माफी मांगकर प्राश्चित करनी चाहिए | न कि अपनी नई पिड़ि को मांसिक विकृत छुवा छूत सोच को बहुत महान संस्कार है , यह झुठ बताकर उसे आगे बड़ाते चले जाना चाहिए | क्योंकि छुवा छूत को अबतक भी अपनाने वाले मनुवादी लोग दरसल ऐसी भ्रष्ठ बिमारी से पिड़ित लोग हैं , जिनका इलाज किसी जेनेटिक बिमारी की तरह लंबा समय लग रहा है | और ये जेनेटिक बिमारी जबतक मनुवादीयों के एक भी परिवार में मौजुद रहेगी तबतक मनुवादी झुठी उच्च शान में डुबकर मानो इस देश में किसी गंभिर बिमारी का इलाज कराने आये हुए मरिज की तरह ही जिवन यापन कर रहे हैं | ऐसी गंभिर बिमारी जिसका इलाज दुनियाँ के किसी भी देश के पास नही है | और जैसा कि हमे पता है कि किसी बिमार मरिज को चाहे जितनी स्वादिष्ठ खाने पिने की व्यवस्था कर दो , चाहे सुबह शाम उनकी सेवा में किसी को लगा दो , चाहे जितनी दवा पिला दो , जबतक उसकी बिमारी में सुधार नही हो जाता तबतक उसके दिमाक को ठीक से समझ ही नही आता कि उसे निंद कैसे आयेगी और खुलकर खाने पिने का मन कैसे करेगा जो कि स्वभाविक भी है | क्योंकि जब मरिज अति बिमार रहते हैं , तो उन्हे न निंद ठीक से आती है , और न ही उनके मन को खाने पिने का मन करता है | चाहे जितनी स्वादिष्ठ व्यंजन और फल फूल का भंडार लगाकर उसे मुलायम मखमली गद्दे में सुला दो | हलांकि अति बिमार मरिज भी तो ठिक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी लेकर भरपुर तृप्त खाना पिना और भरपुर निंद लेने लगते हैं ! पर ये शोषण अत्याचार करने वाले भ्रष्टाचारियों को छुट्टी कब मिलेगी उनकी भ्रष्ट बिमारी से जिसकी वजह से मनुवादी शासन में कालाधन का अंबार लगाते जा रहा हैं ! और उनकी भ्रष्ठ बुद्धी को पता ही नही चल रहा है कि वे आखिर क्या करते जा रहे हैं ! सायद जिस तरह जेनेटिक बिमारी को ठीक होने में बहुत लंबा समय लगता है , उसी तरह बड़े बड़े भ्रष्टाचार को पिड़ि दर पिड़ी करते चले जाने वाली मानो जेनेटिक भ्रष्ठ बिमारी को भी ठीक होने में लंबा समय लग रहा है | जिनकी सेवा के लिए इस देश के मुलनिवासियो द्वारा अपने सर में मैला तक ढोया जा रहा है | रही बात खाने पिने की तो मनुवादी शासन में अन्न धन की बर्बादी कैसी हो रही है , इसका अंदाजा इसी उदाहरन से लगाया जा सकता है कि एक रिपोर्ट के मुताबिक जितना खाना ब्रिटेन देश के लोग एक साल में खाते हैं , उतना हर साल इस देश में बर्बाद हो रहा है | और मेरे विचार से बर्बाद खाना में ज्यादेतर भ्रष्टाचार से जमा कालाधन से ही खरिदा हुआ खाना रहता है | या फिर भ्रष्टाचारियों के द्वारा खाने पिने की व्यवस्था ठीक से न करने की वजह से इतना सारा खाना बर्बाद हो रहा है | जिसकी वजह से इस देश में गरिबी भुखमरी होने के बावजुद भी खाना पिना ऐसा बर्बाद किया जाता है , जैसे कि कुछ हुआ ही न हो ! इससे तो अच्छा होता कि उन बर्बाद होने वाले खाने पिने को किसी खास व्यवस्था के जरिये उन करोड़ो जरुरतंदो के पास पहुँचाया जाता जो की भुखे पेट सोते हैं | जिन भुखे लोगो को लॉकडाउन में मैने करिब से सड़को पर कटोरा लेकर गाड़ियों की तरफ भागते हुए देखा है | हलांकि लॉकडाउन में सरकार मानो खानापूर्ति के लिए तो छिटपुट खाना पिना और बिना राशन कार्ड के भी अन्नाज बांट रही थी , पर लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी क्या वह गरिबी भुखमरी से लड़ रहे करोड़ो लोगो को इसी तरह सड़को में खाना पिना और अन्नाज बांटकर देश और प्रजा की सेवा करेगी ? जाहिर है ये मनुवादी सरकार गरिबी भुखमरी दुर नही कर सकती ! क्योंकि वह गरिबी भुखमरी को दुर करने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों की बिमारी को दुर नही कर सकती | क्योंकि मनुवादी सरकार खुद भी ऐसी भ्रष्ठ जेनेटिक बिमारी से पिड़ित है , जिसका इलाज हजारो साल बाद भी नही हो पाया है | जिसके चलते मनुवादी सरकार के शासन में बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो का कुकूरमुत्तो की तरह तेजी से उगना स्वभाविक भी है | जिन जेनेटिक भ्रष्टाचारियो द्वारा देश विदेश में जितना अधिक कालाधन का भंडारन हो रहा है , उतना अधिक मानवता और पर्यावरण दोनो को ही भारी नुकसान हो रहा है | क्योंकि बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो के मरने के बाद कालाधन उनकी लाश की तरह सड़ गल या जलकर मिट्टी में नही मिल रहा है , बल्कि भ्रष्टाचारियों द्वारा जमा किये गए धन की मोल का आर्थिक नुकसान हमेशा कायम होता जा रहा है | जैसे की यदि गोरो ने इस देश का धन संपदा लुटकर सागर के रास्ते सोना चाँदी ले जाते समय डुबकर धन संपदा को भी डुबो दिया होगा तो उस धन संपदा की किमत का नुकसान देश को अबतक हो रहा है | जो गोरे देश को लुटकर तो चले गए पर देश में अब भी मनुवादी भ्रष्टाचारी मौजुद हैं , जिससे कि यह सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश आज भी गरिब बीपीएल बना हुआ है | जबकि इस देश को गोरो से अजाद हुए इंसान की औसतन उम्र के बराबर हो चुका है | जितने समय में अजादी के समय जन्मे ज्यादेतर लोग गरिबी भुखमरी का नजारा सारी जिवन देखते हुए मर चुके हैं | और यदि मनुवादी शासन इसी तरह कायम रहा तो अजादी के समय जन्म लेकर बचे हुए लोग भी गरिबी भुखमरी भारत को ही देखते हुए अपनी जिवन यात्रा पुरी करने वाले हैं | क्योंकि गोरो के जाने के बाद भी इस देश में मनुवादी सोच की सरकार अबतक देश का नेतृत्व जिस तरह से कर रही है , उससे गरिबी भुखमरी हटना तो दुर गरिबी रेखा से भी निचे स्तर की जिवन जिने वालो की स्थिती में सुधार आए और बीपीएल जिवन जी रहे परिवारो के नसीब में भी अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान जैसी मुल जरुरत की पूर्ति हो सके ऐसी नेतृत्व मनुवादी सरकार में होना मुमकिन नही है | जिसके बारे में सबकुछ जानते हुए भी अबतक मानो अपने पाँव में ही कुल्हाड़ी मारकर मनुवादी सरकार बार बार चुनी क्यों जा रही है | क्योंकि गोरो के जाते समय मनुवादीयों को ही देश के लोकतंत्र का चारो प्रमुख स्तंभो का नेतृत्व थमाकर गोरे इसलिए गए हैं , ताकि वापस जाकर भी उन प्रमुख स्तंभो का भरपुर उपयोग करके विदेशी विदेशी अपनी मिली भगत से चुनाव आयोग समेत देश के तमाम प्रमुख संस्थाओं को अपनी फायदे के लिए अपनी मन मर्जी चलाते रहे , जिससे की उनकी झुठी शान में कमी न आ सके | जिसके चलते इनकी मिलीभगत का नेतृत्व में आज भी कालाधन का भंडारन बड़ता चला जा रहा है | मनुवादी बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके गोरो के देशो में ही तो संरक्षण प्राप्त करते हैं | जिससे सबसे अधिक नुकसान इस देश के मुलनिवासियों को ही हो रहा है , जो सोने की चिड़ियाँ का मुलनिवासी होते हुए भी सबसे अधिक गरिबी भुखमरी का सामना इसलिए कर रहे हैं , क्योंकि अब भी इस देश में विदेशी मुल के ही लोगो की दबदबा में शासन चल रहा है | जिनके अंदर इस देश और इस देश के मुलनिवासियों के प्रति विकाश की भावना में हिन भावना उत्पन्न होना स्वभाविक भी है | विदेशी गोरे भी हिन भावना रखते थे , और मनुवादी भी हिन भावना रखते हैं | और दोनो विदेशी मुल के हैं , जिन्होने इस देश में अपने फायदे के लिये प्रवेश किया है , न कि समाज सेवा के लिए | आज भी मनुवादी सरकार अपने फायदे के लिए ही सत्ता में हमेशा के लिए भाजपा कांग्रेस अदला बदली करके बने रहना चाहती है | जो एक दुसरे को सबसे बड़ा विरोधी बतलाकर अदला बदली करके सत्ता में कायम होकर निजि लाभ अर्जित करने में ही लगी हुई है | जिसकी वजह से इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में अब भी गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी कायम है | जिस गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी को कायम रखने में मनुवादी सरकार जिन भ्रष्टाचारियों को अपनी गोद में सहला रही है , वे सारी सुख सुविधाओं से युक्त होकर देश विदेश में भोग विलाशी जिवन यापन कर रहे हैं | किमती गाड़ी बंगला नौकर चाकर से युक्त जिवन जो की इस मनुवादी शासन में तो ज्यादेतर गरिबो के लिए सारी जिवन सपना ही बना रहता है | बल्कि वर्तमान में बहुत से गरिब तो गरिबी में पैदा होकर गरिबी में ही मर जाते हैं , लेकिन उन्हे अमिरो की तरह सुख सुविधा युक्त जिवन मसलन गाड़ी बंगला वगैरा तो दुर अपना घर भी कभी नसीब ही नही हो पाती है , और फुटपातो में पैदा होकर फुटपातो में ही मर जाते हैं | क्योंकि गोरो से अजादी मिलने के बाद भी फर्जी अमिरो को बड़ावा देनेवाली जो मनुवादी सरकार बनी है , वह गरिबी हटाओ और डीजिटल इंडिया का नारा देकर साठ सालो में भी गरिबी भुखमरी को दुर करने में फेल होते आ रही है | वर्तमान में भी वही मनुवादी सरकार का मानो दुसरा क्लोन सबकी जिवन में गाड़ी बंगला स्मार्ट सिटी जिवन लाना तो दुर मनुवादी सरकार का नेतृत्व में इस देश से गरिबी भुखमरी दुर होना भी मानो सात अजुबो में एक और अजुबा इस देश के लिए होगी | जिस मनुवादी सरकार के नेतृत्व में हर रोज गरिबी भुखमरी से अनगिनत लोगो की मौते हो रही है , जिसका दाग इतिहास में उन लोगो पर सबसे अधिक लगेगा जो की इमानदारी से अमिर बने हैं , इसका दावा तो करते हैं , पर इमानदार अमिरो की टोली में उस फर्जी अमिरो की टोली भी शामिल है , जिन्हे कथित गरिबो की सरकार हर साल हजारो करोड़ की छुट और माफी देकर अमिरो के उपर इतना सारा धन खर्च कर रही है , जितना की हर साल यह देश विदेशी कर्ज में डुबता चला जा रहा है | क्योंकि मनुवादी सरकार कर्ज लेकर आधुनिक डीजिटल घी पी रही है | और साथ साथ उन धन्ना कुबेरो को भी पिला रही है , जिनमे से कुछ अमिर यह कहते रहते हैं की गरिबो को सरकार खैरात में धन बांटती है , और अमिर खैरात नही लेते हैं | जबकि उनको यह मालुम होना चाहिए था कि यदि सरकारी धन किसी नागरिक को फ्री में मिल जाय और वह खैरात कहलाये , तो धन्ना कुबेर हर साल सबसे अधिक खैरात सरकारी छुट और माफी के रुप में फ्री में लेकर यदि सबसे अधिक अमिर कहलाते हैं , तो सबसे बड़े भिखारी भी कहलायेंगे | जिन्हे गरिबी की ऐसी बड़ी गुप्त बिमारी है कि उनकी गरिबी को दुर करने के लिए मिलने वाला भिख एक एक धन्ना को हजारो करोड़ का होता है | जिसे सायद बड़ी गुप्त बिमारी को ठीक करने के लिए हजारो करोड़ का दवा हर साल ली जाती होगी | वह भी उस बुरे हालातो में धन्ना कुबेरो को हर साल सरकार छुट और माफी देती है , जब सरकार को हर साल विदेशी कर्ज लेना पड़ता है | इतना विदेशी कर्ज जितना की लगभग हर साल मुठीभर धन्ना कुबेरो को सरकार फ्री का खैरात बांट रही है | दुसरी तरफ हर साल विदेशी कर्ज में डुबते जा रही है | क्योंकि अबतक की मनुवादी सरकार बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके फर्जी अमिर बनने वालो से न तो कालाधन का भंडारन को जब्त कर पाई है , और न ही उनको सजा दिलवा पा रही हैं | जिसके चलते भ्रष्टाचारियों के द्वारा फर्जी तरिके से अमिर बनने से गरिबी भुखमरी बड़ती चली जाती है | जिन गरिबी भुखमरी को बड़ाने वाले फर्जी अमिरो के फर्जी अमिर बनने की जानकारी हर साल जरुर दोहराई जाती यदि मजदूर दिवस की तरह धन्ना दिवस भी मनाई जाती | धन्ना दिवस में किसी गरिब द्वारा इमानदारी से अमिर बनने की चर्चा होने के साथ साथ उन फर्जी धन्ना कुबेरो के बारे में भी चर्चा जरुर होती जो कि बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके जेलो में बंद होकर सजा काटने के बजाय आज भी AC कमरो में बैठकर पसिना बहाते हैं | जिस पसिने की किमत उन्हे इतनी ज्यादे मिलती है कि उसके आगे हजारो लाखो मजदूरो की मजदूरी अकेले उस एक फर्जी अमिर को मिलती है , जिसको एक एक सेकेंड में ही इतनी मेहनताना चोर लुटेरा सोच होने के बावजुद भी मिलता है कि उससे कोई गरिब महिनो या सायद सालोभर भरपेट खाना खा सकता है | जिस किमत को वसुलने वाले AC में बैठकर पसिना बहाने वाला फर्जी अमिर किसी गरिब मजदूर जैसा कड़ी धुप में पसिना तो नही बहाते हैं , लेकिन बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके अपनी ईमानदारी को हर रोज जरुर बहाते चले जाते हैं | क्योंकि वही उनका मुख्य हुनर और धरोवर है | जिस तरह के भ्रष्ट धरोहर को अपनी नई पिड़ी को भी भ्रष्ट संस्कार के रुप में देते हुए ऐसे बहुत सारे फर्जी धन्नाओं की काली लिस्ट दर्ज हो रही हैं , जो कि ज्यादे धन कमाने के लिए दिन रात अपनी ईमानदारी को पानी की तरह बहाते चले जा रहे हैं | वह भी कोई छोटी मोटी चोरी और लुट नही बल्कि इतनी बड़ी चोरी और लुट की उससे हजारो लाखो गरिबो की गरिबी भुखमरी रातो रात समाप्त हो जाय | जो धन गरिबी भुखमरी को दुर करने में इस्तेमाल होने के बजाय मानो किसी कब्र की तरह बड़ते चली जा रही है | एक बड़ा भ्रष्टाचारी अपने लिए एक कालाधन का कब्र खोदता चला जा रहा है , जिसमे वह अपनी पाप की कमाई इकठा करके और फिर सारी जिवन उससे भोग विलाश करके मरने के बाद अपने पिच्छे कम से कम एक कालाधन का कब्र तो जरुर छोड़कर जा रहा है | जिस कालाधन के कब्रो की खुदाई करने में मनुवादी सरकार नकाम होते आ रही है | जो कालाधन किसी के हक अधिकारो को लुटकर या चोरी करके जमा किया जा रहा है | जिसके चलते ईमानदारी से सुबह शाम पसिना बहाने वाली बहुसंख्यक अबादी अपने हक अधिकारो के लुटे जाने से गरिब से और अधिक गरिब होते जा रही है | और हक अधिकारो की लुट और चोरी करके जमा किया गया कालाधन से बड़े बड़े अपराधो में भी बड़ौतरी हो रही है | और गरिबी भुखमरी से होने वाली मौतो में भी दिन रात बड़ौतरी हो रही है | जिसके बारे में जानते हुए भी मनुवादी सरकार के नाक के निचे अपनी ईमानदारी बहाने वाले भ्रष्टाचारियो की वजह से कालाधन का भंडार बड़ता चला जा रहा है | जो कालाधन ऐसी मौत का भंडारन को भी बड़ावा दे रहा है , जिसके बारे में आनेवाली नई पिड़ि निश्चित तौर पर शर्म महसुश करेगी कि कभी ऐसा भी आधुनिक डीजिटल विकाश यात्रा चल रहा था , जिसमे एक तरफ तो अति धन बटोरने की होड़ लगी हुई थी , जिसकी वजह से अति खा खाकर पेट फटने से भी मौत हो रही थी , और दुसरी तरफ गरिबी भुखमरी से होनेवाली मौतो में बड़ौतरी हो रही थी , बजाय इसके कि गरिबी भुखमरी से होनेवाली मौतो को अति इकठा हो रहे धन से रोका जाता और बहुसंख्यक अबादी को गरिबी भुखमरी से मरते हुए बचाकर संतुलन विकाश करके इंसानियत कायम किया जाता | जो न होकर आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल विकाश के नाम से सायद हैवानियत कायम करने के लिए बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो द्वारा चोरी छिपे कालाधन का भंडार जमा होता जा रहा है | जिसकी वजह से गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी बड़ते जा रही है | जाहिर है गरिबी भुखमरी से होने वाली मौतो की आंकड़े में भी बड़ौतरी होते जा रही है | जिसके साथ साथ कालाधन का इस्तेमाल गलत तरिके से करने की वजह से बड़े बड़े ऐसे अपराधो में भी बड़ौतरी हो रही है , जिससे की मानवता और पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है | मसलन यदि आतंकवाद से पुरी दुनियाँ को भारी नुकसान हो रहा है , तो उस आतंकवाद को महिने की तनख्वा किस ईमानदारी से कमाये गए धन से मिल रही है ? जाहिर है आतंकवाद को भी सबसे अधिक बड़ावा कालाधन का भंडार लगाने वाले ही दे रहे हैं | साथ साथ कालाधन का भंडार में और अधिक बड़ौतरी करने के लिए कालाधन का निवेश करके गैर कानुनी रुप से बड़े बड़े अवैध उद्योग भी लगते जा रहे हैं , और प्राकृति खनिज संपदा की अवैध खुदाई भी हो रही है | जिससे भी तो मानवता और पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है | जिसका मतलब साफ है कि जितना अधिक कालाधन का भंडारन उतना अधिक मानवता और पर्यावरण दोनो को ही नुकसान हो रहा है | क्योंकि मनुवादी सरकार न तो देश का भला करने के लिये पैदा हुई हैं , और न ही प्रजा का भला करने के लिये पैदा हुई हैं |
The chains of slavery
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