ये पोस्ट उस सुवर के लिए है जो टिप्पणी करते हुए मुझे माँ की चुत गाली दिया है



ये पोस्ट उस सुवर के लिए है जो टिप्पणी करते हुए मुझे माँ की चुत गाली दिया है 
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सुवरो तुमलोग तो अपनी माँ के चुत से पैदा ही नही हुए हो , फिर क्या जानो माँ की चुत क्या होती है ! क्योंकि  इस प्रकृति पुजा करने वाले कृषि प्रधान देश में आने से पहले तो तुम्हारे लंगटा लुचा भुखड़ घुमकड़ पुरुष झुंड पुर्वज कथित अपने परम पिता के मुँह छाती और जंघा से अप्रकृति तरिके से पैदा हुए थे | जिसके बारे में तुम्हारे पुर्वजो ने खुद मनुस्मृति लिखते समय बतलाया है | हलांकि साक्षात प्रकृति विज्ञान पर विश्वास करके भगवान के रुप में उसकी पुजा करने वाले हम जैसे मुलनिवासि इन सब बातो को अज्ञानता अँधविश्वास और ढोंग पाखंड ही मानते हैं | क्योंकि हमारे लिए प्रकृति विज्ञान सत्य प्रमाणित बाते विश्वास के लायक होती है | जिस सत्य की पुजा हम प्रकृति पत्थर अथवा उस शिव लिंग योनी के रुप में भी करते हैं , जिसके साथ भी तुम्हारे पुर्वजो ने भारी भेदभाव किया था | न कि तुम्हारे उन ढोंगी पाखंडी पुर्वजो के द्वारा बतलाई गई अप्रकृति बातो को सत्य मानकर आँख मुँदकर विश्वास करते हैं , जिन्हे खुद इस देश में आकर साक्षात प्रकृति के बारे में प्रमाणित और प्रयोगिक ज्ञान मिला की इंसान का जन्म नारी के योनी से होता है , पुरुष के मुँह से नही ! जिसके बाद ही तो वे इस देश की नारी से अपना वंशवृक्ष बड़ाना सुरु किये हैं | जो बात अब तो DNA रिपोर्ट से भी साबित हो चुका है कि तुम्हारे पुर्वज बिना परिवार और बिना स्त्री के यहाँ पर आए थे | जिन्हे यहाँ पर आने से पहले परिवार समाज के बारे में भी पता नही था , और न ही कृषि के बारे में कुछ पता था | जो इस कृषि प्रधान देश में आने से पहले सिर्फ बोटी खाकर गुजारा करते थे | जिस बोटी की पूर्ति करने के लिए वे किसानो के पशुओ को लुटते चुराते और खाते थे , जिसके बारे में वेद पुराणो में भी बहुत सारी जानकारी मौजुद है | क्योंकि तब उन्हे अन्न की खेती करना और चावल रोटी के बारे में तो जानकारी थी नही |

बल्कि हजारो साल बाद वर्तमान सदी में भी तुमलोगो में कितने लोग खेती बारी करते हो इसके बारे में गोरो से अजादी मिलने से पहले ही तुमलोग खुद ही बक दिये हो | जैसे कि गोरो के जाने के बाद जब इस कृषि प्रधान देश का अगला शासक बनने की बारी आयेगा तो शासक कौन बनेगा इसपर कथित ब्रह्मण बाल गंगाधर तिलक ने बका था कि " तेली ,तंबोली ,कुंभट ,खाती ,कूर्मी और पाटीदार , ये सब विधिमंडल में जाकर क्या हल चलाएंगे ? " जिसकी बातो से साफ पता चलता है कि मनुवादी हजारो साल बाद अब भी तुमलोग खुदको कृषि प्रधान सभ्यता संस्कृति का अंग के बजाय कबिलई ही मानते हो | और ज्यादेतर कबिलई हुनर ही जानते हो | जिसके चलते तुमलोग आजतक भी न तो छुवा छुत भेदभाव को पुरी तरह से छोड़ पाये हो और न ही मनुस्मृति को छोड़ पाये हो ! जिसके चलते तुम्हारे भितर अब भी खुदको सबसे उच्च और ताकतवर समझने का भुत सवार है |


सुवरो खैर करो मेरी सोच से इस देश के बहुंख्यक मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , वह अभी नही चल रहे हैं , नही तो तुम 15% अल्पसंख्यक लोगो की औकात 85% बहुसंख्यक लोगो के सामने झांट (लिंग का बाल) नोचकर फैंकने के बराबर भी नही है | क्योंकि जिसदिन तुमलोगो से पुर्ण अजादी मिल जायेगी उसदिन इस देश के मुलनिवासियों के झांट की किमत भी तुमलोगो से ज्यादे होगी | इस कृषि प्रधान देश का खेती बर्बाद करने वाले सुवरो यूरेशिया से आकर यहूदि DNA के होते हुए भी खुदको हिंदू की खाल ओड़कर इस गलतफेमी में मत रहना की अब ज्यादे दिनो तक तुम्हारी कबिलई गुलामी चलने वाली है | क्योंकि नई पिड़ी अब तुम्हारी गुलामी कतई बर्दाश्त करना नही चाहती है , भले पुरानी पिड़ी अंदर ही अंदर घुटते हुए जी हुजूरी करके पंडित जी,सिंह जी,सेठ जी कहकर उनको भी इज्जत देते आ रहे थे , जो भेदभाव करके अपने घर के अंदर उन्हे घुसने भी नही देते थे | और न ही पहनना चाहे भी तो पैंट सर्ट और जुता चप्पल पहनने देते थे | सिर्फ लंगोटी धोती लुंगी वगैरा में उनकी जिवन कटती थी | पर अब नई पिड़ि तुम्हारे उन भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो के घर ही नही घुसती , बल्कि सुट बुट जुता चप्पल पहनकर भी घुसती है | जो किसी दिन इस देश की संसद में भी सभी मुलनिवासि एकजुट होकर घुसेगी और अंदर जाकर अपनी सरकार बनाने के लिए बहुमत संख्या जुटायेगी | जो अभी आपस में फुट होकर अलग अलग होकर घुसती है | जिन चुनाकर संसद में घुसने वालो में अभी ज्यादेतर तो मानो बेहोशी में तुम मनुवादीयों की सरकार के लिए ही अबतक चुनाव लड़ने और बहुमत जुटाने में लगकर गुलामी करते आ रहे हैं | जिन्हे जिसदिन पुरी तरह से होश आकर अपनी खुदकी सत्ता बहुमत से हासिल करके सोने की चिड़ियां को अपडेट करने का जुनून सवार हो जायेगा , उसदिन इस देश के मुलनिवासि तुम्हारे जैसे लोगो को देश से उखाड़ फैकने का प्रक्रिया सुरु कर देगा , जैसे कि कभी गोरो को फैका गया | क्योंकि इस सोने की चिड़ियां कहलाने वाले कृषि प्रधान देश को तुम जैसे गुलाम करके लुटपाट करने वालो ने ही गरिबि दाग दिलवाया है | बल्कि इसकी सुरुवात तुम मनुवादीयों के पुर्वजो ने हजारो साल पहले किया है छल कपट और घर के भेदियो की सहायता से इस देश और इस देश के मुलनिवासियों को गुलाम करके | नही तो इस देश में न कोई और कबिलई लुटेरी झुंड बाद में गुलाम बनाने की मकसद से आते , और न ही आज यह देश गरिब कहलाता | जिस देश से गरिबी दाग को मिटाने की विकसित हुनर रखने वाले अभी गुलामी की वजह से आपस में फुट होकर या तो बंटे हुए हैं , या फिर उनमे से ज्यादेतर भड़वागिरी और नामर्दगिरी करके तुमलोगो का साथ दे रहे हैं | तभी तो मनुवादीयों की सरकार बार बार बन रही है | वह भी मनुवादी अल्पसंख्यक होते हुए भी बहुसंख्यक मुलनिवासियों को भारी बहुमत से हराकर सरकार बना रहे हैं | जो बड़ी शर्म की बात है हम उन मुलनिवासियों के लिए जो तुमलोगो से कभी भी इमानदारी से सेवा की उम्मीद नही करते हैं | इसलिए याद रखना सब मुलनिवासि तुमलोगो की सरकार बनाने में मदत करने वालो में से नही हैं | जिनके सामने भविष्य में तुम अपनी गलती स्वीकारोगे तो नागरिकता मिलेगी नही तो उठाकर सिधे बाहर फैंकवा दिये जाओगे | क्योंकि तुम जैसे मनुवादीयों को इस देश में रखकर हानि ही हानि होने वाला है | जो तुम और तुम्हारे पुर्वजो ने इस देश और इस देश के मुलनिवासियों का पहले भी काफी जान माल , मान सम्मान वगैरा की हानि कर चुके हैं | जो दुबारा से अब कभी न हो इसके लिए ही तो करोड़ो गुलाम मुलनिवासि तुमलोगो से पुर्ण अजादी पाने का संघर्ष कर रहें हैं | जिनके सामने तुम्हारे बाप गोरे जब टीक नही सके तो तुम किस खेत की गाजर मुली हो | क्या लगता है तुम्हारे बाप गोरे तुमसे डरकर भागे हैं ? जिस तरह तुम भी भागोगे यदि यह नही स्वीकारोगे कि जिस मनुस्मृति को भष्म किया गया है वह गलत था | बल्कि इस बात को अबतक तुम जैसे लोग स्वीकार भी लेते यदि अभी मुलनिवासियों की सत्ता रहती | जो न स्वीकारके तुम जैसे कुछ सुवरो को अबतक भी लगता है कि मनुस्मृति दुनियाँ की सबसे बेहत्तर किताब है | जिसे संविधान के तौर पर लागू करके शासन चलानी चाहिए | वह तो कुछ हमारे अपने ही लोग हैं जो भड़वागिरी और नामर्द वाली हरकत करके अबतक भी तुमलोगो का साथ दे रहे हैं , जिसकी ताकत और सहयोग से तुम अबतक सत्ता में भी जमे हुए हो , और इस तरह की गाली ग्लोज भी बिना संकोच के बिना ठीक से सोचे विचारे कर रहे हो , बजाय इसके कि तुम्हे अपने पुर्वजो के कुकर्मो को स्वीकरनी चाहिए थी | जैसे की आज गोरे स्वीकारके अपने पुर्वजो के द्वारा किये गए पापो की माफी भी मांगते हैं | लेकिन तुम तो माँ बहन की गाली ग्लोज देकर भष्म मनुस्मृति के बारे में ऐसा तर्क दे रहे हो , जैसे कि यदि उसे दुनियाँ के सारे देश लागू कर दे तो चारो तरफ सुख शांती और समृद्धी आ जायेगी | बावजुद इसके की रामराज आने के बाद प्रजा को शंभुक बना दीया जायेगा | हलांकि मनुस्मृति को कोई देश लागू करना तो दुर कोई उसमे लिखे नियम कानून का समर्थन भी नही करेगा | यकिन न आये तो कोई दुसरे देश के लोगो से यदि संपर्क हो तो मनुस्मृति के बारे में उनसे राय लेकर देख लो पता चल जायेगा तुम्हारे पुर्वजो की बुद्धी कितनी गंदी और भ्रष्ट थी मनुस्मृती की रचना करते समय | पर हाँ संपर्क विदेशो में रहने वाले अपने ही DNA के लोगो से करके मनुस्मृति के बारे में उनकी राय मत पुछना !

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