हाथरस जैसी घटना अपने ही घर के भेदियों की गद्दारी की वजह से जारी है



हाथरस जैसी घटना अपने ही घर के भेदियों की गद्दारी की वजह से जारी है
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हाथरस की घटना करने और कराने वाले बल्कि घटना को अंजाम देने और लिपापोती करने में सहयोग करने वाले चाहे लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में बैठे कोई भी सेवक हो चुलूभर मूत में डूब मरो | 


और साथ में वे सभी घर के भेदी भी चुलूभर मूत में डूब मरो जो मनुवादी का साथ अबतक देते आ रहे हैं | खासकर वे सब घर का भेदी चुलूभर मूत में डुब मरो जो की हाथरस जैसी घटना होने पर भी मनुवादीयों की पार्टी से चिपके रहते हैं | और उनकी फिर से सरकार बनाकर मनुवादीयों का गुलामी को बरकरार रखने में सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं | जैसे की हाथरस की घटना आगे भी और हो इसकी हालात बनाने के लिए मनुवादी सत्ता को बेहत्तर मानकर अबतक भी घर के भेदीयों द्वारा अपनी सदस्यता बरकरार रखना जारी है | जिस मनुवादी सत्ता को आगे बड़ाने में घर का भेदी ही सबसे महत्वपुर्ण भूमिका निभा रहे हैं | क्योंकि मनुवादी सरकार से बिना इनके इस्तीफा दिये और बिना इनकी पार्टी से चुनाव लड़ना बंद किये ही तो अल्पसंख्यक मनुवादीयों की सरकार अदला बदली करके लगातार बनी रहती है | और मनुवादी सरकार के बनते ही लोकतंत्र के चारो स्तंभो के उच्च पदो में बैठे मनुवादीयों को और अधिक अपराध करने का संरक्षण मनुवादी सरकार से मिलकर अपनी अपराधी छवि को पिड़ी दर पिड़ी और आगे बड़ाने का खास अवसर मिलते रहती है | बल्कि ये ढोंगी पाखंडी मनुवादी अपने पुर्वज देवता से भी उनकी आरती उतारकर अपराध करने के लिए ही सबसे ज्यादा अवसर मिलने का आशीर्वाद लेते रहते हैं | जिनके आका मानो मरने के बाद भी उनसे अपनी आरती उतरवाकर मनुवादी सरकार कैसे चलती रहे इसकी भ्रष्ट यज्ञ दिन रात कराते रहते हैं | जिसके चलते मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में हजारो सालो से रहते हुए भी कभी खुदको विकसित इंसान बनाने के लिए सायद आजतक ठीक से सोच ही नही पा रहे हैं | तभी तो इनकी भेदभाव शोषण अत्याचार भ्रष्ट यज्ञ पिड़ी दर पिड़ी आजतक भी जारी है | अथवा मनुवादी सेवा इसी तरह की भेदभाव शोषण अत्याचार करने की अपराधी छवि वाली बनी हुई है | जिसके बारे में खासकर इस देश के मुलनिवासि चाहे इस समय जिस धर्म में मौजुद हो , उनके पूर्वजो और उनको भी प्रयोगिक जानकारी मौजुद है कि जब जब भी इस देश में मनुवादी सेवक बनते आ रहे हैं , तब तब शासक के तौर पर चाहे महाभारत हो या फिर रामायण , इनका शासन इस देश के मुलनिवासियों के प्रति हमेशा भेदभाव शोषण अत्याचार अथवा अपराध का ही रहा है | हाथरस की घटना भी मनुवादी शासन में भेदभाव से लेकर बलात्कार तक जो अपराध हुआ है , वह पुरे देश में हो रहा है | पर उत्तरप्रदेश में खास चुनाव आहट के समय ही सबसे ज्यादे इसलिए होता आ रहा है , क्योंकि उस राज्य में मनुवादीयों की सरकार उखड़ने का सबसे बड़ा कमजोरी मौजुद है | जिस कमजोरी की वजह से अब मनुवादीयों के द्वारा इस देश में शासक बने रहने में उत्तर प्रदेश लगातार मजबुती से रुकावट बनते जा रही है | क्योंकि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है , जहाँ पर सबसे अधिक लोकसभा सीट है , जो जिसदिन मनुवादीयों के हाथ से खिसकी उसदिन पुरे देश से मनुवादीयों की सत्ता कुर्सी खिसक जायेगी | और चूँकि लोकसभा चुनाव के समय यूपी राज्य में किसकी सरकार है , इससे काफी प्रभाव पड़ता है , जैसे की इस समय जो मनुवादी सरकार देश में कायम है , उससे देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव के समय फिर से एकबार काफी लाभ हुआ है | क्योंकि किसी राज्य में मनुवादीयों की जितनी बड़ी जीत हो रही है , वहाँ पर उतने ही घर के भेदी भरे पड़े हैं | खासकर यदि चुनाव मशीन का गलत उपयोग करके चुनाव घोटाला नही हो रहा है | क्योंकि बहुसंख्यक मुलनिवासियों के अपेक्षा मनुवादी अबादी अल्पसंख्यक है , जो अपने दम पर केन्द्र या किसी राज्य में सरकार बनाना तो दुर पंचायत चुनाव भी नही जित सकती | पर फिर भी उनकी सरकार केन्द्र और सबसे अधिक राज्यो में लगातार इसलिए जितते आ रही है , क्योंकि घर के भेदी उनका तलवा चाटकर हर चुनाव में मनुवादीयों की मदत कर रहे हैं | और चूँकि फिर से उत्तर प्रदेश में अब चुनाव आहट हो रहा है , इसलिए मनुवादी यूपी के उन बहुसंख्यक मुलनिवासियों को टारगेट कर रहे हैं जो उन्हे वोट नही करते हैं और चुनाव के समय एकजुट रहते हैं | इसलिए ऐसे शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में भी मौजुद हो , उनका शोषण अत्याचार करने का यज्ञ अब और ज्यादे चला रहा है | साथ साथ चूँकि उत्तर प्रदेश से सटा राज्य बिहार में भी चुनाव हो रहा है , इसलिए मनुवादी अपने कुकर्मो को और अधिक कर रहे हैं | क्योंकि मनुवादी सेवा करके चुने नही जाते हैं , बल्कि ज्यादे से ज्यादे शोषण अत्याचार कुकर्म करके चुने जाते हैं | और चूँकि मनुवादी सत्ता का पाप घड़ा भरकर बिलबिला रहा है इसलिए अब पुरे देश से ही बहुत जल्द मनुवादी सत्ता जानेवाला है , जिसकी साँस को बस अभी चुनाव घोटाला सचमुच में यदि हो रहा है तो वोटिंग भ्रष्ट वायरस ग्रस्त मशीन वेंटिलिटर बनकर रोक के रखा हुआ है | जिसे हटा दो तो मनुवादी शासन का साँस कभी भी रुक सकता है | जिसे हटाने के लिए इस देश के शोषित पिड़ित मुलनिवासि चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , वे दिन रात संघर्ष कर रहे हैं | इसलिए अजादी संघर्ष को रोकने के लिए भी हाथरस की घटना जैसे कुकर्म करके मनुवादी संघर्ष करने वाले वीरो का मनोबल को कमजोर करने की कोशिष कर रहे हैं | जो कोशिष अब चुनाव माहौल के समय ही हाथरस जैसी घटना करके मनुवादीयों का भ्रष्ट आचरण यज्ञ जारी है | जिस भ्रष्ट आचरण यज्ञ का भष्म अग्नि देखकर दरसल मनुवादीयों का ही अति आत्मविश्वास के रुप में भ्रष्ट शासन का भष्म होने की प्रक्रिया में तेजी होना नजर आता है | जो कि मनुवादीयो के द्वारा किया गया हाथरस जैसी अपराध में साफ नजर आ रहा है कि मनुवादी कितने बौखलाये हुए हैं अपनी मनुवादी सत्ता जाने की संभावना को लेकर | खासकर तब जब मनुवादी अब अपराध करके उसकी सजा से बचने के लिए अपनी सारे ऐसे हथियार कहो या तंत्र मंत्र कुछ भी का प्रयोग सबसे उच्च स्तर का कर रहे हैं | जिसके बाद खुदको बचाने के लिए अब उनके पास कुछ नही बचने वाला है | अँत में मनुवादी लगता है यू ही मच्छड़ खटमल और जू की तरह आसानी से मसल दिये जायेंगे | चाहे चुनाव हो या फिर जातीय हिंसा और बहस सभी क्षेत्रो में मनुवादी अब कमजोर होते जा रहे हैं | जिसे देखकर तो यही लगता है कि मनुवादी अब आसानी से ही चुनाव हार जायेगा यदि चुनाव मशीन को हटाकर अब चुनाव घोटाला न हो  | क्योंकि उसके पास जितने के लिए चुनाव मशीन के अलावे और कोई बड़ी ताकत बचेगा ही नही ! हलांकि खुदको बचाने के लिए मरता क्या न करता कहकर अक्सर सभी मनुवादी अपनी सबसे बड़ी ताकत में जो कुछ भी बचा है , उसका ही उपयोग सबसे अधिक कर रहे हैं | जैसे की मनुवादी अभी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो की बड़ी ताकत उच्च पदो का प्रयोग कर रहा है | हाथरस वाली घटना का लिपा पोती करने और मुलनिवासियों को डराने धमकाने में भी उच्च पदो का जमकर उपयोग हो रहा है | जिसे कहा जा रहा है उच्च अधिकारी द्वारा पुलिसिया गुंडो को लाड प्यार और विशेष आदेश देकर उसका हौशला बड़ाकर जमकर गलत उपयोग किया जा रहा है | वह भी उच्च पदो में बैठे ऐसे भ्रष्ट मनुवादीयों द्वारा जो कि देश का सबसे बड़ा सेवक के पदो में बैठकर दरसल सबसे बड़ा कुकर्म का नेतृत्व कर रहे हैं | 


जिसे मैं गुंडो का भी गुंडा मनुवादी गुंडा कहूँगा | 


जो कि इतने पढ़े लिखे होने का उच्च डिग्री और समाज सेवा करने का भी हुनर में बहुत बड़ा काबिल चुनाकर इन उच्च पदो में बैठे हुए हैं | पर उनके कुकर्मो के बारे में जानकर तो यही लगता है कि इनकी उच्च डिग्री और समाज सेवा हुनर किसी भष्मासुर को मिले वरदान की तरह है , जिसका गलत उपयोग ये उच्च पदो में बैठे भष्मासुर कर रहे हैं | क्योंकि जिन उच्च पदो में बैठकर वे शोषण अत्याचार को बड़ावा दे रहे हैं उन उच्च पदो की व्यवस्था करके उसका इस्तेमाल शोषण अत्याचार करने के लिए ही उन गोरो ने किया था जिन्होने पुरे विश्व के कई देशो को गुलाम बनाया था | जो व्यवस्था ज्यादेतर तो प्रजा सेवा नही बल्कि अपनी सेवा कराके शोषण अत्याचार करने के लिए ही बनाई गई है | इसलिए मेरे विचार से तो जैसे ही मनुवादीयों के हाथो से सत्ता जायेगी वैसे ही गोरो के द्वारा बनाया गया ये अधिकारी प्रथा को संविधान संशोधन करके समाप्त कर देना चाहिए | क्योंकि इस तरह की अधिकारी प्रथा में अधिकारी नेताओं से कहीं अधिक खुदको उच्च समझकर गरिबो से एक तो मिलते भी नही हैं , और बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके भी उन्हे सायद ही कभी जनता द्वारा जुता चप्पल पहनाया या मारा पिटा जाता है | जबकि भ्रष्ट नेता कभी कभी जुता चप्पल भी खाते हैं ,और पहनते भी हैं | वहीं वे इतना सबकुछ खा पीकर उन्ही पिटने वाली जनता से अधिकारियों से कहीं अधिक मिलते जुलते भी हैं | कोई नेता यदि सांसद या विधायक चुनाकर जनता का खुन चुस रहा है तो उसे पाँच साल के बाद ही हटाया जा सकता है | या फिर मुमकिन है उससे पहले भी हटाया जा सकता है | पर यदि फर्जी तरिके से घुस देकर या नकली सार्टिपिकेट वगैरा के जरिये कोई अधिकारी बनकर जनता का खुन चुसना सुरु कर दिया तो उसे कम से कम दस बीस साल तक तो हटाना मुश्किल है , सिर्फ नाम के वास्ते ट्रांसफर या फिर मानो कुछ दिनो तक घर बिठाकर खुन चुसने में ब्रेक लगाया जाता है | जिसके बाद फिर से उसका खुन चुसना चालू हो जाता है | जैसे की हाथरस की घटना में होगा यदि सीबीआई जाँच के बाद कुछ अधिकारियो में दिखावे के लिए कारवाई भी होगी | और फिर अधिकारियो को ज्यादेतर जनता भी पसंद नही करती है | जिसका प्रमाण चुनावो में दिख जाता है , जब बड़े बड़े अधिकारी रिटायर होने के बाद मोटी रकम खर्च करके चुनाव लड़ते हैं तो सायद ही वे कोई चुनाव जीत पाते हैं | क्योंकि जनता उन्हे सेवक के तौर पर न के बराबर पसंद करती है | फिर हम क्यों रखें इस तरह के अधिकारी प्रथा को जिसे देखा जाय तो गोरो ने लुटपाट सुविधा पूर्वक बेहत्तर तरिके से कैसे किया जा सके इसके लिए बनाया था | जैसे की उन्होने न्यायालय को भी ज्यादे से ज्यादे समय तक देश को गुलाम बनाये रखने के लिए बनाया था | जहाँ पर वे जज बनकर अजादी के वीर जवानो को सजा देकर कभी भी अजादी न देने के लिए सबसे बड़ा अन्याय करने का कार्य कर रहे थे | जहाँ पर अजादी की लड़ाई लड़ने वाले वीर जवानो को तो कठोर से कठोर सजा दी जा रही थी , पर देश गुलाम करके लुटपाट और भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो को बेहत्तर इंसान बताकर मानो फुल माला पहनाई जा रही थी | जिस न्यायालय को भी संविधान संशोधन करके बंद कर देना चाहिए | क्योंकि न्यायालय में भी भारी भेदभाव के तौर पर भी बहुत ज्यादे गलत हो रहा है | जहाँ पर गलत करने वालो को जनता नेताओ की तरह सजा भी नही दे सकती है | जैसा की नेताओ को चुनाव हराकर देती है | बल्कि जनता तो कभी कभी भ्रष्ट नेताओ को जुता चप्पल का माला पहनाने के साथ साथ जुता चप्पल से पिटती भी है | जिस जनता की सबसे बेहत्तर सेवा गोरो के द्वारा विकसित किया गया व्यवस्था नही कर सकती | क्योंकि गोरो के द्वारा बनाये गए व्यवस्था विकसित हुए या पैदा हुए बहुत कम समय हुए हैं | और साथ साथ गोरो के द्वारा विकसित किया हुआ व्यवस्था तब ज्यादेतर तो गुलाम करके शोषण अत्याचार करने और लुटपाट करने के लिए बनाया गया था | जिसे मनुस्मृती की तरह भष्म करके इस कृषी प्रधान देश में हजारो सालो से विकसित हुई ग्राम पंचायत व्यवस्था को ही पुर्ण रुप से पुरे देश में लागु करना चाहिए | जिसे शहरो में भी वार्ड पार्षदो के माध्यम से अपडेट करके सारे विकास का कार्य और न्याय का कार्य भी संविधान संशोधन करके फुल पावर देकर सौंप देनी चाहिए | जिन पंचायतो का पावर कम करने और न्यायालय को फुल पावर देने से गरिबो को न्याय न के बराबर मिल रहा है | गरिब तो न्याय पाने के लिए न उच्च अदालत का चक्कर काट पाता है , और न ही वह सरकारी सुख सुविधा और विभिन्न तरह का लाभ लेने के लिए ठीक से अधिकारियो का चक्कर काट पाता है | पर वह ग्राम पंचायत के मुखिया का चक्कर सुबह शाम और रात में भी जरुरत पड़ने पर आसानी से और खासकर बिना कोई खर्च के काटता है | जो की गोरो के द्वारा विकसित किया हुआ व्यवस्था में न्यायालय और अधिकारियों के यहाँ बिना कोई खर्च के चक्कर काटना सायद ही मुमकिन हो पाता है | वैसे तो मनुवादी शासन से पुर्ण अजादी मिलने के बाद वापस इस देश की हजारो साल से विकसित हुई ग्राम पंचायत गणतंत्र व्यवस्था ही अपडेट होकर ये सब बदलाव तो होनी ही होनी है | जो अभी इसलिए नही हो रही है , क्योंकि विदेशी DNA के गोरे और विदेशी DNA के मनुवादी दोनो ने ही विदेशी विदेशी भाई भाई गुप्त समझौता करके इस कृषि प्रधान देश को अभी भी भितर भितर मिल जुलकर गुलाम बनाये हुये है | जिस देश को अभी भी पुर्ण अजादी नही मिली है | और चूँकि दोनो विदेशी मुल के हैं , इसलिए मनुवादी और गोरे आज भी भितर ही भितर विशेष समझौता करके इस देश को जानबुझकर पुरी अजादी नही दे रहे हैं | जिनसे अजादी छिननी होगी इस देश के मुलनिवासियों को | क्योंकि कोई यदि किसी के हक अधिकार लुटकर लाख कोशिष करने के बावजुद भी बार बार समझाकर मांगने से भी नही दे रहा है तो यदि तुम्हारे पास उससे अधिक ताकत मौजुद है , तो उससे अपना हक अधिकार एक झटके में छिन लो | ताकि समय की भी बर्बादी न हो और हक अधिकार लुटने वाले को भी यह महसुश हो जाय कि यदि गुलाम करने वालो के पास गुलाम करके हक अधिकार लुटने की ताकत है , तो गुलाम हुए बहुसंख्यक पिड़ितो के पास अपने हक अधिकारो को वापस छिनकर पुर्ण अजादी पाने की ताकत है | जो पुर्ण अजादी सौ प्रतिशत बिल्कुल मुमकिन है | क्योंकि गुलाम करने वाले हमेशा कमजोर होते हैं , और संख्या में भी अल्पसंख्यक होते हैं | जिसके चलते वे ज्यादेतर तो दुसरो की ताकतो पर ही निर्भर रहना चाहते हैं | चाहे रोजमरा जिवन हो या फिर कोई युद्ध हो , दोनो में ही लगने वाली ताकत का इस्तेमाल वे ज्यादेतर दुसरो के जरिये ही करते हैं | इसलिए जाहिर है यदि उनका साथ कोई न दे तो न तो वे अपनी रोजमरा जिवन में ठीक से खाना पीना हगना मुतना नहाना धोना और कहीं पर जाना वगैरा भी अपनी ताकत और हुनर के जरिये ठीक से कर पायेंगे , और न ही वे लड़ाई होने पर बिना दुसरो का साथ लिए युद्ध जित पायेंगे | यकिन न आए तो रोजमरा जिवन और युद्ध को छोड़ो फिलहाल इस देश में सिर्फ होनेवाले किसी भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हैं , वे सभी चूँकि एक ही DNA के और एक ही पुर्वजो के वंसज हैं , जिन सबके साथ मनुवादीयों द्वारा शोषण अन्याय अत्याचार हुआ है , इसलिए वे सभी मिलकर अपने पुर्वजो और खुद के साथ भी हुए अन्याय अत्याचार को गंभीरता से लें | गुलाम बनाकर छुवा छुत भेदभाव शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादीयों का साथ कभी न दे | यकिन मानो लोकसभा में यदि मनुवादीयों की पार्टी से कोई मुलनिवासि चुनाव नही लड़ा और कोई भी मुलनिवासी उस पार्टी को वोट भी नही दिया तो मनुवादी सत्ता एक ही चुनाव में हमेशा हमेशा के लिए चली जायेगी और फिर कभी भी वापस नही आयेगी | क्योंकि उसके बाद मुलनिवासियों के पास इस देश की सत्ता आते ही वह अपनी ताकत को प्रयोगिक तौर पर अच्छी तरह से पहचान लेगा | जिसे वह लंबी गुलामी की वजह से धिरे धिरे भुलाता आ रहा है | जिसकी वजह से वह आज भी अल्पसंख्यक मनुवादीयों को ही सबसे ताकतवर समझकर खुद बहुसंख्यक होते हुए भी अल्पसंख्यको का सरकार बनाते आ रहा है | 



और  सरकार फिर से चुनाते ही फिर से वह अपने उन भ्रष्ट कार्यो में लग जाती है , जिसकी वजह से इस देश के मुलनिवासि खुदको गुलाम महसुश बार बार करता आ रहा है | 


हलांकि फिर भी इस देश के मुलनिवासियों के ही बिच ऐसे अनगिनत घर का भेदि मौजुद हैं जो मानो अपने ही पाँव में कुल्हाड़ी मारकर खुद तो अपनी गुलामी को बरकरार रखे हुए हैं पर जो मुलनिवासी अजादी के लिए संघर्ष कर रहा है उसे भी गुलाम बनाये रखने में मनुवादीयों की मदत कर रहे हैं | जबकि घर के भेदियों को भी पता रहता है कि मनुवादी सरकार बनते ही मनुवादी अपने ही बिरादरी के उच्च पदो में बैठे अधिकारियो से मिलकर अपना गुंडागर्दी फिर से सुरु कर देता है | जिन मनुवादीयों के जेब में वैसे सारे कथित छोटे मोटे सरकारी सेवक जो सत्ता पावर में बैठे मनुवादीयों से डरते हैं , जैसे की बहुत से लोग गुंडो से डरते हैं , उनमे चाहे कोई छोटे अधिकारी हो या फिर घर का भेदि बनकर मंत्री सांसद विधायक बने मुलनिवासी ही क्यों न हो , वे सभी डरकर भी ऐसे गुंडागर्दी करने वाले  मनुवादीयों का साथ दे रहे हैं | और जो मुलनिवासि साथ नही दे रहे हैं , वे या तो किसी न किसी माध्यम से मनुवादीयों के द्वारा दिन रात सताये जा रहे हैं , या फिर अपनी जान व नौकरी की चिंता किये बगैर मनुवादी शासन का अँतिम साँस रोकने में सबसे बड़ी टक्कर दे रहे हैं | जिस तरह के लोगो से ही मनुवादी गुंडा डरते हैं | और जरुरत पड़ने पर उनसे दुर भी भागते हैं | क्योंकि उनको पता रहता है कि इससे पंगा लेकर लड़ाई जितने पर भी युद्ध हारने  जैसा रिजल्ट निकलता है | जिस तरह का रिजल्ट के बारे में वेद पुराणो में भी मौजुद है , जब खुदको भगवान कहलाने वाले देव जो की मनुवादीयों के पुर्वज माने जाते हैं , वे अपनी अपराधी सोच में कामयाबी होने पर भी सबसे बड़ी बड़ी श्राप सजा भोगते थे | बल्कि कभी कभी तो उन्हे सिधे  भी सजा मिलते रहा है | मसलन ब्रह्मा देव के द्वारा सरस्वती की बलात्कार करने पर शिव द्वारा उसका सर काट दिया गया था | वहीं विष्णु देव द्वारा वृत्तासुर की पत्नी तुलसी का बलात्कार करने पर उसे पत्थर बन जाने की श्राप सजा मिला था | और हमे जैसा कि पता है कि कोई पत्थर बनकर अपनी जिवन में बलात्कार करना तो दुर मुत भी नही सकता है | और देवो का राजा इंद्रदेव को तो अहिल्या का बलात्कार करने पर हजार योनी को अपने शरिर में किसी घुँघरु की तरह टांगे रहने का श्राप सजा मिला था | जबकि ये तीनो देव मनुवादीयों के लिये सबसे खास देव हैं | पर इनसे भी खास चूँकि इन देवो में ब्रह्मा देव का सर काटने वाला शिव है , जिसके साथ भी ये देव  भारी भेदभाव करते रहे हैं | क्योंकि शिव इनके जैसा नही थे | जाहिर है जो इनके जैसा नही रहते हैं , उनसे ही मनुवादी भेदभाव करते हैं | न कि एक मनुवादी दुसरे मनुवादी से भेदभाव करता है | पर मनुवादी शिव से भी देव शब्द इसलिए जोड़ते आ रहे हैं , ताकि सबसे बड़ी ताकत को अपनी बिरादरी का बताकर अपने विरोधियो में यह डर पैदा करते रह सके कि तुम हमसे कभी जीत ही नही सकते | जैसे की भारत पाकिस्तान का बंटवारा होते समय इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी हमारे साथ हैं , यह डर गोरो से अजादी मिलते समय मनुवादीयों द्वारा मुस्लिमो में पैदा किया गया था | खासकर चुनाव के बाद सरकार किसकी बनेगी यदि धर्म के नाम से देश का बंटवारा नही हुआ यह सोचने पर मजबुर किया गया था उन मुस्लिम नेताओ को जो गोरो से अखंड देश को अजादी मिलने के बाद खुद शासक बनने की बाते कर रहे थे | पर चूँकि जैसे ही मनुवादीयों ने उन मुस्लिम नेताओ को यह यहसाश कराया कि वे हिन्दुओं के अपेक्षा अबादी में अल्पसंख्यक हैं , इसलिए निश्चित तौर पर सरकार हिन्दुओं की ही बननी चाहिए , क्योंकि यह देश सुरु से होली दिवाली और मकर संक्रांती जैसे खुब सारे हिंदू पर्व त्योहार मनाने वाला देश रहा है , और वोटर के मामले में भी हिंदू बहुसंख्यक हैं , वैसे ही मुस्लिम नेता को अपनी मुस्लिम सरकार बनाने का विचारो पर पानी फिरते हुए नजर आने लगा | परिणाम स्वरुप मुस्लिम नेताओ को धर्म के नाम से भारत पाकिस्तान बंटवारा पर विचार करना पड़ा | जिसके बाद हजारो सालो से विकसित एक ही सिंधू घाटी सभ्यता संस्कृति वाला कृषि प्रधान देश को विदेशी मुल के मनुवादी और विदेशी मुल के मुस्लिम आपस में बांटकर उन्होने दो देश भारत पाकिस्तान किया | जिस बंटवारा में अपना धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बने मुलनिवासियों को भी सत्ता नही मिला और न ही अपने ही धर्म में कायम रहने वाले इस देश के मुलनिवासियों को सत्ता मिला | बल्कि जैसा की हमे पता है कि चूँकि यहूदि डीएनए का मनुवादी अपने आपको हिंदू पुजारी का खाल पहन रखा है , इसलिए जाहिर है वह हिंदू धर्म का सबसे खास खुदको बताकर इस देश का हिन्दु शासक बन बैठा है | जो जबतक हिन्दु शासक बना रहेगा तबतक हिंदूओ की सबसे बड़ी ताकत को अपनी बचाव ढाल भी बनाता रहेगा | जैसा की हाथरस घटना में भी खुदको हिन्दु धर्म का खास ठिकेदार बनाकर उच्च निच भेदभाव करते हुए शोषण अत्याचार करके बना रहा है | और चूँकि बहुत से मनुवादी मुलनिवासि गुलामी की वजह से यह समझते आ रहे हैं कि भेदभाव परंपरा हिन्दु धर्म में सुरु से ही होता है , जिसके चलते इस देश के मुलनिवासि बहुसंख्यक होते हुए भी खुदको निच जाति का कमजोर हिन्दु समझकर अल्पसंख्यक मनुवादीयों को ही उच्च हिन्दु मानकर बार बार देश का हिन्दु शासक चुनते आ रहा हैं | जबकि DNA रिपोर्ट से यह बात साबित हो चुका है की मनुवादी हिन्दु नही बल्कि यूरेशिया से आया यहूदि है , जिसके रगो में यहूदि DNA मौजुद है | और यहूदि हिन्दु तभी हो सकता है जब वह अपना धर्म परिवर्तन करके हिन्दु धर्म को अपना लेगा | जबकि मनुवादीयों के द्वारा कब अपना धर्म परिवर्तन किया गया इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नही है  | बल्कि इतिहास में यह जानकारी जरुर उपलब्ध है कि मनुवादीयों को हिन्दु न मानकर मुस्लिम शासक कभी जजिया कर नही लेते थे | 

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