4 जी के नाम पर फर्जी विकास


 4 जी के नाम पर फर्जी विकास

Fake development in the name of 4G,फर्जी विकाश,भ्रष्टाचार,काला धन



विभिन्न प्रकार के दुर्घना और बदहाली हालात सोच समझकर पैदा करके इस देश के मुलनिवासियों को मारा जा रहा है | हलांकि मारने वालो की भी मौत एकदिन जरुर होती है , भले देर सही पर तड़प तड़पकर मरते तो वे लोग भी हैं , जो दुसरो को मारते हैं | मनुवादी शासन में 4G विकाश कहकर फर्जी विकाश स्पीट लक्ष साधने के बाद आई अव्यवस्था की वजह से निर्दोश प्रजा हादसो में भी भारी तादार में मर रही है | जिन मरने वालो में मुलनिवासियों की अबादी ही सबसे अधिक होगी जो की स्वभाविक है | क्योंकि अपनी सत्ता कायम रखने के लिये मनुवादी भले अपने डीएनए के लोगो को भी कभी कभार बली चड़ाते आ रहे हैं , पर अपनी फर्जी विकाश का सत्ता को कायम रखने के लिये वे अपने विरोधी जो की मनुवादियों के खिलाफ अजादी संघर्ष कर रहे हैं , उन मुलनिवासियों को ही सबसे अधिक बली देते आ रहे हैं | हलांकि अव्यवस्था कायम करने वाले भी बुढ़ापा या उससे भी पहले तड़प तड़पकर जरुर मरते आ रहे हैं | जैसे कि पिछले कई सालो में मरे और आनेवाले कई सालो में भी कई और तड़प तड़पकर मरेंगे जिसकी पाप का घड़ा वे खुद ही भरते जा रहे हैं | जिस पाप का घड़ा को फोड़कर प्रकृति भगवान द्वारा न्याय होगा | जो लोग बड़ी बड़ी गुनाह करके भी इंसानो द्वारा बनाया अदालत में आसानी से बच निकलकर भोग विलाश जिवन जी रहे होते हैं | क्योंकि इतिहास और वेद पुराण गवाह है कि जो लोग खुदको भगवान कहकर अपनी आरती उतरवाते रहे हैं , भगवान उनको भी सजा देते हैं तो फिर ये तो उनको अपना आदर्श मानने वाले वैसे लोग हैं , जिनके मरने के बाद भगवान नही बल्कि शोषण अत्याचार का शिकार हो रहे लोगो में ज्यादेतर अबादी द्वारा शैतान माना जायेगा | जिस तरह के शैतानो में बड़ौतरी बाहर से आए विदेशी मुल के कबिलई द्वारा होती है , जो इस कृषि प्रधान देश में समय समय पर गरिबी भुखमरी देकर निर्दोश गरिबो को बोझ समझकर जान बुझकर मारने की हालात पैदा किया जाता रहा है | जिन्हे उनके द्वारा देश गुलाम बनाकर गरिब किये हुए गरिबो की जिवन में खुशहाली नजारा देखना पसंद नही है | जिसके चलते वे गरिबी भुखमरी से मर रहे नागरिको की मौतो में बड़ौतरी होती रहे ऐसा अव्यवस्था हालात जान बुझकर पैदा करते रहते हैं | जो गरिबो को सिर्फ नौकर चाकर बनाकर अपनी सेवा कराते रहना चाहते हैं | अमिर देश के मुलनिवासी जिनके पुर्वज कभी गरिब नही थे , बल्कि जिन्होने कई भुखड़ घुमकड़ कबिलई को गोद लेकर अमिरी जिवन प्रदान किये हैं , उन्हे लुटकर गरिब बनाया गया है | जिन गरिब नौकर चाकरो के बच्चे जब गरिब बनाने वालो से आगे निकलने के लिए तैयार हो रहे हैं , तो उन्हे लंगी मारने अथवा उनकी टांग खिचने के लिए शोषण अत्याचार और अव्यवस्था में और अधिक बड़ौतरी की जा रही है | ताकि वे उसमे उलझकर पुर्ण अजादी रेश में आगे न निकल जाय | जो रेश तब लगती है जब गुलामी हालात कायम रहती है | जिससे अजाद होकर वापस अपनी मुल विरासत को हासिल करने की संघर्ष चल रही होती है | जैसे की मनुवादी शासन में मनुवादीयों के खिलाफ चल रही है | जिन मनुवादीयों के खिलाफ अजादी रेश न लगे इसके लिये मनुवादीयों को अपनी गलती स्वीकार करके मनुवादी सोच को त्यागना जरुरी है | बल्कि इस देश और दुनियाँ में मौजुद बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों के भितर इंसानियत का विकाश होना जरुरी है | क्योंकि खासकर गुलाम दास बनाने वाले , भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो की भ्रष्ठ बुद्धी में सुधार होकर वे भी अपने भितर इंसानियत का विकाश कर लेंगे तो चारो तरफ शोषण अत्याचार करने वाले ही नही रहेंगे | जिन भ्रष्टाचारियों को मानो उनकी मांसिक कमजोरी की वजह से बहुत बड़ी यह गलतफेमी किसी भुत चुड़ैल की तरह घुसी हुई है कि उनके भ्रष्ठ संस्कार ही भविष्य का विकसित संस्कार है | जिस गलतफेमी का भुत चुड़ैल को पुर्ण अजादी के बाद उतारना भी जरुरी है | वह भी खासकर उन्ही के सेहत के चलते ! क्योंकि ऐसे भ्रष्ठ लोग जिस गलतफेमी बिमारी से पिड़ित रहते हैं , उसे यदि विकसित बुद्धी माना जाय तो वे जो बड़े बड़े पाप कर रहे हैं , उनके अनुसार उसी को विकाश कहा जाता है | जिनके अनुसार उनकी पाप को ही सबसे बड़ा विकसित सोच मानकर भविष्य की नई पिड़ी अपनाते जायेगी ऐसी गलतफेमी उनकी भ्रष्ठ बुद्धी में घुसी हुई है | जैसे चोर डागू लुटेरा भ्रष्टाचारी ढोंगी ठग वगैरा बनने के लिए नई पिड़ी खुदको हमेशा तैयार करते जायेगी और उसी से विकसित देश दुनियाँ का विकाश होगा ऐसी गलतफेमी भ्रष्टाचारियों ने अपने भ्रष्ठ बुद्धी में पाल रखा है | जिस गलतफेमी की बिमारी का इलाज होना जरुरी है | और साथ साथ पर्यावरण का विकाश होना भी जरुरी है | जो संभव तब तेजी से हो पायेगा जब भ्रष्टाचारियों की नई पिड़ि अपने पुरानी भ्रष्ट पिड़ियों के पापो को स्वीकार करके उसे मल मूत्र की तरह त्यागते चली जायेगी | न कि उसे फिल्म पिक्कू के मल मूत्र से मानो गर्भवती जैसा पेट लेकर पुरी जिवन कालाधन से अपने फुले हुए पेट को साथ में लेकर घुमती रहेगी | बल्कि कई और बड़ी बड़ी बिमारी को भी लेकर बड़े बड़े भ्रष्टाचारी देश विदेश के महंगे महंगे अस्पतालो में जेलो में कैद अपराधियों से भी ज्यादे तकलीफदेह जिवन तड़प तड़पकर बिता रहे हैं | क्योंकि सारी जिवन भोग विलाश करने के बाद अंतिम पड़ाव में आसानी से उन्हे मौत भी नही आ रही है | और दवा दारु में ही सिर्फ उनकी हर महिने इतना खर्च हो रही है , जितना की कोई गरिब सारी जिवन न ही कमा पाता है , और न ही उतने का खाना पिना भी खा पाता है | बल्कि भ्रष्टाचारियों के परिवार में अपने पुरानी पिड़ी के पापो की वजह से नई पिड़ी में भी कई युवा भरी जवानी में तड़पन जिवन जी रहे हैं | जिनमे से कई तो आत्महत्या भी कर रहे हैं , और कई तो अपने माता पिता के द्वारा जमा किया कालाधन से महंगे महंगे ड्रक्स के नशे का लत लगाकर मरने से पहले ही स्वर्ग का नशा समझकर नर्क दुनियाँ को जी रहे हैं | जिस तरह की जिवन भी बहुत तकलीफदेह होती है | काल्पनिक फिल्म पिक्कू में तो बिमारी का संतुलित इलाज संभव नही हो सका था , पर असल जिवन में बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों का संतुलित इलाज संभव है | जैसे की गोरो ने अपने पुर्वजो की सबसे बड़ी पाप को स्वीकार करके अपने भितर बहुत सारी संतुलित सुधार करना सुरु कर लिया है | जिस तरह की सुरुवात मनुवादीयों को गोरो से बहुत पहले ही सुरु कर देनी चाहिए थी | क्योंकि गुलाम दास दासी बनाकर शोषण अत्याचार और छुवाछुत भेदभाव करने का पाप मनुवादी हजारो सालो से करते आ रहे हैं | जिन मनुवादीयों को किसी महंगे ड्रक्स का नशा से भी ज्यादे खतरनाक नशा छुवाछुत भेदभाव शोषण अत्याचार का नशा है | जिसके बावजुद भी गोरो से अजादी मिलने के बाद मनुवादीयों को ही इस देश की सत्ता आखिर क्यों मिल गयी है ? जिन मनुवादीयों के शासन में भी समाज सेवा नही भेदभाव जैसे सबसे बड़ी भ्रष्ट सेवा हो रहा है | जिस तरह की भ्रष्ट सेवा में बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों को सबसे अधिक बड़ावा मिलता है | और भोले भाले लोगो की हक अधिकारो को लुटा और कब्जा किया जाता है | जैसे कि गोरे शासन करते समय देश और प्रजा को लुट रहे थे |  जो लुट आज भी जारी है , एक गुलाम करने वाले इस देश से लुटपाट बंद करके जहाँ से आये थे वहाँ चले गये तो दुसरे गुलाम बनाने वाले मनुवादी जो कि गोरो से भी पहले यूरेशिया से आये हैं , उन्होने लुटपाट और शोषण अत्याचार का कमान वापस सम्हाल लिया है | जिन्हे लुटपाट और शोषण अत्याचार करने का हजारो सालो का अनुभव अथवा टायलैंट है | जिनके लुटपाट शोषण अत्याचार करने का टैलेंट अथवा हजारो सालो का भ्रष्ठ अनुभव के बारे में जाननी हो तो उस मनुस्मृति को जरुर पढ़नी चाहिए जिसे अंबेडकर ने जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना किया है | पर चूँकि मनुवादी शासन में मानो अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे ठीक से पालन कराने कि जिम्मेवारी जिस न्यायालय को दिया गया है , वहाँ पर भी भष्म मनुस्मृति का भुत सवार है , इसलिए अजाद भारत का संविधान लागु होने के बावजुद भी बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों को सजा नही मिल रहा है , और बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो के पास कालाधन का भंडारन होता चला जा रहा है |

 जिसके बारे में ठीक से समझने के लिये पुर्व लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई० के बारे में झांकी जरुर देख पढ़ लिया जाय |

जिस झांकी में सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!

(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे

ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )

(2) पटना में कुल जज 32

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )

(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )

(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )

(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )

(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )

(7) केरल में कुल जज 24

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )

(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )

(10) कर्णाटक में कुल जज 34

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )

(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(15) राजस्थान में कुल जज 24

जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(17) सिक्किम में कुल जज 2

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,

ओबीसी - 0 जज ,

SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )

कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC के 35 जज ,SC के 15 जज ,ST के 5 जज शामिल हैं |


जाहिर है न्यायालय में भी भष्म मनुस्मृती का भुत सवार होने के कारन अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे ठीक से पालन न कराने की वजह से इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला कृषि प्रधान देश में एक तरफ तो हर रोज अनगिनत लोग गरिबी भुखमरी से मर रहे हैं , और दुसरी तरफ कालाधन का भंडारन करने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले लोग दुसरो के हक अधिकारो को लुटकर अमिरो की तरह सारी सुख सुविधा के साथ जिवन यापन कर रहें हैं ? बल्कि विदेशो में कालाधन जमा करके विदेशी पर्यटन भी कर रहे हैं | क्योंकि ऐसे भ्रष्ठ लोगो के पास लुटपाट से जमा बहुत सारे अतिरिक्त धन होने की वजह से भले पेट से खाली नही होते हैं , पर मन से इतने अधिक खाली  होते हैं कि उनका मन कभी इस बात से संतुष्ठ ही नही हो पाता कि उन्हे क्या ऐसी कार्य करनी चाहिए जिससे की उनकी भ्रष्ठ बुद्धी में सुधार हो सके ! क्योंकि उनकी भ्रष्ठ बुद्धी उन्हे भ्रष्ठ रास्तो पर चलने के लिए दिन रात प्रेरित करता रहता रहता है | जिस भ्रष्ठ रास्तो में कभी नही चलना चाहिए , चाहे इसके लिए क्यों न माता पिता और शिक्षक ही अपनी यह राय दे कि अमिर बनना है तो भ्रष्टाचारी बनना चाहिए | क्योंकि अक्सर माता पिता ने यह करने को कहा है , गुरु शिक्षक ने यह करने को कहा है , यह सोचकर बुद्धी भ्रष्ठ होने लगता है | जिसकी वजह से जैसा माता पिता वैसे बच्चे को मुल आधार मानकर बड़े बड़े भ्रष्ट संस्कार पिड़ि दर पिड़ि आगे बड़ने वाली खानदानी अथवा जेनेटिक बिमारी की तरह बड़ता चला जाता हैं | जैसे कि यदि माता पिता रिस्वत लेते हैं या कोई बड़ा घुस देकर किसी के हक अधिकार का नौकरी में कब्जा करके भ्रष्ठ अधिकारी बनते हैं , तो बच्चे भी अपने माता पिता या गुरु घंटालो की तरह भ्रष्टाचारी बनना समान्य जिवन समझने लगते हैं | उन्हे लगता हैं उनके माता पिता भ्रष्टाचारी बनकर जिस तरह अमिरी जिवन जिते हुए अपने बच्चो को भी बड़ी बड़े बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले भ्रष्टाचारी बनाने के बारे में ही सारी जिवन सोचे उसी तरह वे भी बड़े बड़े भ्रष्टाचारी बनकर अपने बच्चो को भी भ्रष्टाचारी बनायेंगे | दरसल ऐसे लोगो की जिवन में अमिरी भोग विलाश का नशा की वजह से भी उन्हे यह लगने लगता है कि यही तो शान की जिवन है | जो शान दरसल झुठी शान है ! जो कि कभी भी ऐसा इतिहास नही रच सकता जैसे की कोई गरिब कमजोर भी इमानदारी से कोई बेहतर कार्य करके महान बनकर महान इतिहास रच डालता है | जिस तरह के इतिहास के बारे में विद्यालयो में छात्रो को पढ़ाया जाता है कि इस बड़े महान कार्य को इस व्यक्ती ने किया था | जिसका जन्म गरिब परिवार या अशिक्षित परिवार में हुआ था | जैसे की कोई बड़ी खोज जिसे खोजने वाले कितने लोग भ्रष्टाचारी थे , और कितने लोग अमिर थे ? जाहिर है होंगे भी तो न के बराबर होंगे , क्योंकि भ्रष्टाचारी लोग सचमुच का महान इतिहास रचने वाले महान नही बन पाते हैं , भले सारी जिवन ऐसी झुठी शान में डुबे रहते हैं , जैसे कि उन्होने ऐसा महान कार्य किया है कि उनकी महानता के बारे में नई पिड़ि को विद्यालयो में पढ़ाई जायेगी | हाँ झुठी मिलावटी इतिहास में वे महान जरुर बने रहते हैं | जैसे कि पुरी दुनियाँ को लुटने वाला और जहाँ पर लुटपाट किया वहाँ की बहु बेटियों के साथ अपने लुटेरे गैंग के द्वारा बलात्कार करवाने वाला शैतान सिकंदर को महान सिकंदर बताकर किसी ने तो जो जिता वही महान सिकंदर बताकर फिल्म भी बनाया है | जिसका वश चलता तो गोरो के बारे में भी एक फिल्म बनाता जो गुलाम किया वही महान अंग्रेज ! बल्कि लादेन भी यदि कई देशो को जितकर लुटपाट  करने में कामयाब होता तो उसे भी जो जिता वही लादेन कहकर फिल्म बनती | क्योंकि ऐसा फिल्म का टाईटल रखने वालो को महान बनने के लिए सायद सिर्फ जोर जबरजस्ती जितना ही महान बनना होता होगा | वैसे में तो शकुनी भी महान था , जिसने महाभारत में पांडवो को जुवा में कंगाल कर दिया था | हलांकि हिन्दी फिल्म जो जीता वही सिकंदर में जितने वाला लुटेरा नही बल्कि किसी गरिब परिवार का ऐसा किरदार निभाया गया है , जिसका सामना उन अमिरो से होता है जो उनसे घृणा करके उन्हे कभी भी रेस जितते हुए नही देखना चाहते हैं | जिसके चलते फिल्म का टाईटल जो जीता वही सिकंदर नही होना चाहिए था | क्योंकि सिकंदर ऐसा शैतान था जो राजा होते हुए भी पुरी दुनियाँ को लुटने का ऐसा हवश अपने भितर पाले हुए था कि उसने सबसे बड़ा शैतान बनने के लिए जिस देश को भी लुटा वहाँ की बहु बेटियों की भी इज्जत लुटी गई थी | जिस तरह की जीत को महान बताना नई पिड़ि को सिकंदर जैसे शैतान बनने के लिए प्रेरित करना है | जबकि असल में हार जीत में पहले यह देखना चाहिए की हार जीत किसके लिए हो रहा है ? और जीतने वाला क्या करके जीता है ? चुनाव भी यदि सचमुच का घोटाला करके जीता जा रहा है तो निश्चित तौर पर घोटाला करने वाला गैंग किसी शैतान सिकंदर का लुटेरा गैंग बनाकर झुठा महान बनने के लिए ऐसा भ्रष्ठ हरकत किया या अब भी कर रहा है , जिस भ्रष्ठ हरकत करने वालो को सत्य को पुज्यनीय मानने वाले लोग महान नही बल्कि शैतान मानते हैं | जैसे कि मैं भी सिकंदर को महान नही शैतान मानता हूँ | जिसके जैसा शैतान लाखो करोड़ो लोगो को लुटकर अपनी तिजोरी भरने के लिए ऐसी भ्रष्ठ हरकते करते हैं | जिस शैतान सिकंदर को ही अपना आदर्श मानकर बड़े बड़े भ्रष्टाचारी लुटपाट में लगे हुए हैं | जिस तरह का भ्रष्टाचारी बनने के लिए भ्रष्ठ संस्कार बांटने वाले चाहे क्यों न अपना माता पिता हो या फिर शिक्षक हो उनकी भ्रष्ट  संस्कारो को न अपनाकर अपने भ्रष्टाचारी माता पिता के भ्रष्ट विरासत अथवा पापो का प्राश्चित करनी चाहिए | जैसे की समझदार गोरे अपने पुरानी पिड़ी के द्वारा कई देशो को गुलाम करने जैसे पापो का प्राश्चित माफी मांगकर कर रहे हैं | उसी तरह कथित संवर्णो को भी अपने पुर्वजो के द्वारा मनुस्मृति रचना करके इस देश के मुलनिवासियों को दास दासी बनाकर हजारो सालो से जो छुवा छूत वगैरा  शोषण  अत्याचार किया या अब भी कर रहे हैं , उनके पापो की माफी मांगकर प्राश्चित करनी चाहिए | न कि अपनी नई पिड़ि को मांसिक विकृत छुवा छूत सोच को बहुत महान संस्कार है , यह झुठ बताकर उसे आगे बड़ाते चले जाना चाहिए  | क्योंकि छुवा छूत को अबतक भी अपनाने वाले मनुवादी लोग दरसल ऐसी भ्रष्ठ बिमारी से पिड़ित लोग हैं , जिनका इलाज किसी जेनेटिक बिमारी की तरह लंबा समय लग रहा है | और ये जेनेटिक बिमारी जबतक मनुवादीयों के एक भी परिवार में मौजुद रहेगी तबतक मनुवादी झुठी उच्च शान में डुबकर मानो इस देश में किसी गंभिर बिमारी का इलाज कराने आये हुए मरिज की तरह ही जिवन यापन कर रहे हैं | ऐसी गंभिर बिमारी जिसका इलाज दुनियाँ के किसी भी देश के पास नही है | और जैसा कि हमे पता है कि किसी बिमार मरिज को चाहे जितनी स्वादिष्ठ खाने पिने की व्यवस्था कर दो , चाहे सुबह शाम उनकी सेवा में किसी को लगा दो , चाहे जितनी दवा पिला दो , जबतक उसकी बिमारी में सुधार नही हो जाता तबतक उसके दिमाक को ठीक से समझ ही नही आता कि उसे निंद कैसे आयेगी और खुलकर खाने पिने का मन कैसे करेगा जो कि स्वभाविक भी है | क्योंकि जब मरिज अति बिमार रहते हैं , तो उन्हे न निंद ठीक से आती है , और न ही उनके मन को खाने पिने का मन करता है | चाहे जितनी स्वादिष्ठ व्यंजन और फल फूल का भंडार लगाकर उसे मुलायम मखमली गद्दे में सुला दो | हलांकि अति बिमार मरिज भी तो ठिक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी लेकर भरपुर तृप्त खाना पिना और भरपुर निंद लेने लगते हैं ! पर ये शोषण अत्याचार करने वाले भ्रष्टाचारियों को छुट्टी कब मिलेगी उनकी भ्रष्ट बिमारी से जिसकी वजह से मनुवादी शासन में कालाधन का अंबार लगाते जा रहा हैं ! और उनकी भ्रष्ठ बुद्धी को पता ही नही चल रहा है कि वे आखिर क्या करते जा रहे हैं ! सायद जिस तरह जेनेटिक बिमारी को ठीक होने में बहुत लंबा समय लगता है , उसी तरह बड़े बड़े भ्रष्टाचार को पिड़ि दर पिड़ी करते चले जाने वाली मानो जेनेटिक भ्रष्ठ बिमारी को भी ठीक होने में लंबा समय लग रहा है | जिनकी सेवा के लिए इस देश के मुलनिवासियो द्वारा अपने सर में मैला तक ढोया जा रहा है | रही बात खाने पिने की तो मनुवादी शासन में अन्न धन की बर्बादी कैसी हो रही है , इसका अंदाजा इसी उदाहरन से लगाया जा सकता है कि एक रिपोर्ट के मुताबिक जितना खाना ब्रिटेन देश के लोग एक साल में खाते हैं , उतना हर साल इस देश में बर्बाद हो रहा है | और मेरे विचार से बर्बाद खाना में ज्यादेतर भ्रष्टाचार से जमा कालाधन से ही खरिदा हुआ खाना रहता है | या फिर भ्रष्टाचारियों के द्वारा खाने पिने की व्यवस्था ठीक से न करने की वजह से इतना सारा खाना बर्बाद हो रहा है | जिसकी वजह से इस देश में गरिबी भुखमरी होने के बावजुद भी खाना पिना ऐसा बर्बाद किया जाता है , जैसे कि कुछ हुआ ही न हो !  इससे तो अच्छा होता कि उन बर्बाद होने वाले खाने पिने को किसी खास व्यवस्था के जरिये उन करोड़ो जरुरतंदो के पास पहुँचाया जाता जो की भुखे पेट सोते हैं | जिन भुखे लोगो को लॉकडाउन में मैने करिब से  सड़को पर कटोरा लेकर गाड़ियों की तरफ भागते हुए देखा है | हलांकि लॉकडाउन में सरकार मानो खानापूर्ति के लिए तो छिटपुट खाना पिना और बिना राशन कार्ड के भी अन्नाज बांट रही थी , पर लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी क्या वह गरिबी भुखमरी से लड़ रहे करोड़ो लोगो को इसी तरह सड़को में खाना पिना और अन्नाज बांटकर देश और प्रजा की सेवा करेगी  ? जाहिर है ये मनुवादी सरकार गरिबी भुखमरी दुर नही कर सकती ! क्योंकि वह गरिबी भुखमरी को दुर करने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों की बिमारी को दुर नही कर सकती | क्योंकि मनुवादी सरकार खुद भी ऐसी भ्रष्ठ जेनेटिक बिमारी से पिड़ित है , जिसका इलाज हजारो साल बाद भी नही हो पाया है | जिसके चलते मनुवादी सरकार के शासन में बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो का कुकूरमुत्तो की तरह तेजी से उगना स्वभाविक भी है | जिन जेनेटिक भ्रष्टाचारियो द्वारा देश विदेश में जितना अधिक कालाधन का भंडारन हो रहा है , उतना अधिक मानवता और पर्यावरण दोनो को ही भारी नुकसान हो रहा है | क्योंकि बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो के मरने के बाद कालाधन उनकी लाश की तरह सड़ गल या जलकर मिट्टी में नही मिल रहा है , बल्कि भ्रष्टाचारियों द्वारा जमा किये गए धन की मोल का आर्थिक नुकसान हमेशा कायम होता जा रहा है | जैसे की यदि गोरो ने इस देश का धन संपदा लुटकर सागर के रास्ते सोना चाँदी ले जाते समय डुबकर धन संपदा को भी डुबो दिया होगा तो उस धन संपदा की किमत का नुकसान देश को अबतक हो रहा है | जो गोरे देश को लुटकर तो चले गए पर देश में अब भी मनुवादी भ्रष्टाचारी मौजुद हैं , जिससे कि यह सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश आज भी गरिब बीपीएल बना हुआ है | जबकि इस देश को गोरो से अजाद हुए इंसान की औसतन उम्र के बराबर हो चुका है | जितने समय में अजादी के समय जन्मे ज्यादेतर लोग गरिबी भुखमरी का नजारा सारी जिवन देखते हुए मर चुके हैं | और यदि मनुवादी शासन इसी तरह कायम रहा तो अजादी के समय जन्म लेकर बचे हुए लोग भी गरिबी भुखमरी भारत को ही देखते हुए अपनी जिवन यात्रा पुरी करने वाले हैं | क्योंकि गोरो के जाने के बाद भी इस देश में मनुवादी सोच की सरकार अबतक देश का नेतृत्व जिस तरह से कर रही है , उससे गरिबी भुखमरी हटना तो दुर गरिबी रेखा से भी निचे स्तर की जिवन जिने वालो की स्थिती में सुधार आए और बीपीएल जिवन जी रहे परिवारो के नसीब में भी अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान जैसी मुल जरुरत की पूर्ति हो सके ऐसी नेतृत्व मनुवादी सरकार में होना मुमकिन नही है | जिसके बारे में सबकुछ जानते हुए भी अबतक मानो अपने पाँव में ही कुल्हाड़ी मारकर मनुवादी सरकार बार बार चुनी क्यों जा रही है | क्योंकि गोरो के जाते समय मनुवादीयों को ही देश के लोकतंत्र का चारो प्रमुख स्तंभो का नेतृत्व थमाकर गोरे इसलिए गए हैं , ताकि वापस जाकर भी उन प्रमुख स्तंभो का भरपुर उपयोग करके विदेशी विदेशी अपनी मिली भगत से चुनाव आयोग समेत देश के तमाम प्रमुख संस्थाओं को अपनी फायदे के लिए अपनी मन मर्जी चलाते रहे , जिससे की उनकी झुठी शान में कमी न आ सके | जिसके चलते इनकी मिलीभगत का नेतृत्व में आज भी कालाधन का भंडारन बड़ता चला जा रहा है | मनुवादी बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके गोरो के देशो में ही तो संरक्षण प्राप्त करते हैं | जिससे सबसे अधिक नुकसान इस देश के मुलनिवासियों को ही हो रहा है , जो सोने की चिड़ियाँ का मुलनिवासी होते हुए भी सबसे अधिक गरिबी भुखमरी का सामना इसलिए कर रहे हैं , क्योंकि अब भी इस देश में विदेशी मुल के ही लोगो की दबदबा में शासन चल रहा है | जिनके अंदर इस देश और इस देश के मुलनिवासियों के प्रति विकाश की भावना में हिन भावना उत्पन्न होना स्वभाविक भी है | विदेशी गोरे भी हिन भावना रखते थे , और मनुवादी भी हिन भावना रखते हैं | और दोनो विदेशी मुल के हैं , जिन्होने इस देश में अपने फायदे के लिये प्रवेश किया है , न कि समाज सेवा के लिए | आज भी मनुवादी सरकार अपने फायदे के लिए ही सत्ता में हमेशा के लिए भाजपा कांग्रेस अदला बदली करके बने रहना चाहती है | जो एक दुसरे को सबसे बड़ा विरोधी बतलाकर अदला बदली करके सत्ता में कायम होकर निजि लाभ अर्जित करने में ही लगी हुई है | जिसकी वजह से इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में अब भी गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी कायम है | जिस गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी को कायम रखने में मनुवादी सरकार जिन भ्रष्टाचारियों को अपनी गोद में सहला रही है , वे सारी सुख सुविधाओं से युक्त होकर देश विदेश में भोग विलाशी जिवन यापन कर रहे हैं | किमती गाड़ी बंगला नौकर चाकर से युक्त जिवन जो की इस मनुवादी शासन में तो ज्यादेतर गरिबो के लिए सारी जिवन सपना ही बना रहता है | बल्कि वर्तमान में बहुत से गरिब तो गरिबी में पैदा होकर गरिबी में ही मर जाते हैं , लेकिन उन्हे अमिरो की तरह सुख सुविधा युक्त जिवन मसलन गाड़ी बंगला वगैरा तो दुर अपना घर भी कभी नसीब ही नही हो पाती है , और फुटपातो में पैदा होकर फुटपातो में ही मर जाते हैं | क्योंकि गोरो से अजादी मिलने के बाद भी फर्जी अमिरो को बड़ावा देनेवाली जो मनुवादी सरकार बनी है , वह गरिबी हटाओ और डीजिटल इंडिया का नारा देकर साठ सालो में भी गरिबी भुखमरी को दुर करने में फेल होते आ रही है | वर्तमान में भी वही मनुवादी सरकार का मानो दुसरा क्लोन सबकी जिवन में गाड़ी बंगला स्मार्ट सिटी जिवन लाना तो दुर मनुवादी सरकार का नेतृत्व में इस देश से गरिबी भुखमरी दुर होना भी मानो सात अजुबो में एक और अजुबा इस देश के लिए होगी | जिस मनुवादी सरकार के नेतृत्व में हर रोज गरिबी भुखमरी से अनगिनत लोगो की मौते हो रही है , जिसका दाग इतिहास में उन लोगो पर सबसे अधिक लगेगा जो की इमानदारी से अमिर बने हैं , इसका दावा तो करते हैं , पर इमानदार अमिरो की टोली में उस फर्जी अमिरो की टोली भी शामिल है , जिन्हे कथित गरिबो की सरकार हर साल हजारो करोड़ की छुट और माफी देकर अमिरो के उपर इतना सारा धन खर्च कर रही है , जितना की हर साल यह देश विदेशी कर्ज में डुबता चला जा रहा है | क्योंकि मनुवादी सरकार कर्ज लेकर आधुनिक डीजिटल घी पी रही है | और साथ साथ उन धन्ना कुबेरो को भी पिला रही है , जिनमे से कुछ अमिर यह कहते रहते हैं की गरिबो को सरकार खैरात में धन बांटती है , और अमिर खैरात नही लेते हैं | जबकि उनको यह मालुम होना चाहिए था कि यदि सरकारी धन किसी नागरिक को फ्री में मिल जाय और  वह खैरात कहलाये , तो धन्ना कुबेर हर साल सबसे अधिक खैरात सरकारी छुट और माफी के रुप में फ्री में लेकर यदि सबसे अधिक अमिर कहलाते हैं , तो सबसे बड़े भिखारी भी कहलायेंगे | जिन्हे गरिबी की ऐसी बड़ी गुप्त बिमारी है कि उनकी गरिबी को दुर करने के लिए मिलने वाला भिख एक एक धन्ना को हजारो करोड़ का होता है | जिसे सायद बड़ी गुप्त बिमारी को ठीक करने के लिए हजारो करोड़ का दवा हर साल ली जाती होगी | वह भी उस बुरे हालातो में धन्ना कुबेरो को हर साल सरकार छुट और माफी देती है , जब सरकार को हर साल विदेशी कर्ज लेना पड़ता है | इतना विदेशी कर्ज जितना की लगभग हर साल मुठीभर धन्ना कुबेरो को सरकार फ्री का खैरात बांट रही है | दुसरी तरफ हर साल विदेशी कर्ज में डुबते जा रही है | क्योंकि अबतक की मनुवादी सरकार बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके फर्जी अमिर बनने वालो से न तो कालाधन का भंडारन को जब्त कर पाई है , और न ही उनको सजा दिलवा पा रही हैं | जिसके चलते भ्रष्टाचारियों के द्वारा फर्जी तरिके से अमिर बनने से गरिबी भुखमरी बड़ती चली जाती है | जिन गरिबी भुखमरी को बड़ाने वाले फर्जी अमिरो के फर्जी अमिर बनने की जानकारी हर साल जरुर दोहराई जाती यदि मजदूर दिवस की तरह धन्ना दिवस भी मनाई जाती | धन्ना दिवस में किसी गरिब द्वारा इमानदारी से अमिर बनने की चर्चा होने के साथ साथ उन फर्जी धन्ना कुबेरो के बारे में भी चर्चा जरुर होती जो कि बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके जेलो में बंद होकर सजा काटने के बजाय आज भी AC कमरो में बैठकर पसिना बहाते हैं | जिस पसिने की किमत उन्हे इतनी ज्यादे मिलती है कि उसके आगे हजारो लाखो मजदूरो की मजदूरी अकेले उस एक फर्जी अमिर को मिलती है , जिसको एक एक सेकेंड में ही इतनी मेहनताना चोर लुटेरा सोच होने के बावजुद भी मिलता है कि उससे कोई गरिब महिनो या सायद सालोभर भरपेट खाना खा सकता है | जिस किमत को वसुलने वाले AC में बैठकर पसिना बहाने वाला फर्जी अमिर किसी गरिब मजदूर जैसा कड़ी धुप में पसिना तो नही बहाते हैं , लेकिन बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके अपनी ईमानदारी को हर रोज जरुर बहाते चले जाते हैं | क्योंकि वही उनका मुख्य हुनर और धरोवर है | जिस तरह के भ्रष्ट धरोहर को अपनी नई पिड़ी को भी भ्रष्ट संस्कार के रुप में देते हुए ऐसे बहुत सारे फर्जी धन्नाओं की काली लिस्ट दर्ज हो रही हैं , जो कि ज्यादे धन कमाने के लिए दिन रात अपनी  ईमानदारी को पानी की तरह बहाते चले जा रहे हैं | वह भी कोई छोटी मोटी चोरी और लुट नही बल्कि इतनी बड़ी चोरी और लुट की उससे हजारो लाखो गरिबो की गरिबी भुखमरी रातो रात समाप्त हो जाय | जो धन गरिबी भुखमरी को दुर करने में इस्तेमाल होने के बजाय मानो किसी कब्र की तरह बड़ते चली जा रही है | एक बड़ा भ्रष्टाचारी अपने लिए एक कालाधन का कब्र खोदता चला जा रहा है , जिसमे वह अपनी पाप की कमाई इकठा करके और फिर सारी जिवन उससे भोग विलाश करके मरने के बाद अपने पिच्छे कम से कम एक कालाधन का कब्र तो जरुर छोड़कर जा रहा है | जिस कालाधन के कब्रो की खुदाई करने में मनुवादी सरकार नकाम होते आ रही है | जो कालाधन किसी के हक अधिकारो को लुटकर या चोरी करके जमा किया जा रहा है | जिसके चलते ईमानदारी से सुबह शाम पसिना बहाने वाली बहुसंख्यक अबादी अपने हक अधिकारो के लुटे जाने से गरिब से और अधिक गरिब होते जा रही है | और हक अधिकारो की लुट और चोरी करके जमा किया गया कालाधन से बड़े बड़े अपराधो में भी बड़ौतरी हो रही है | और गरिबी भुखमरी से होने वाली मौतो में भी दिन रात बड़ौतरी हो रही है | जिसके बारे में जानते हुए भी मनुवादी सरकार के नाक के निचे अपनी ईमानदारी बहाने वाले भ्रष्टाचारियो की वजह से कालाधन का भंडार बड़ता चला जा रहा है | जो कालाधन ऐसी मौत का भंडारन को भी बड़ावा दे रहा है , जिसके बारे में आनेवाली नई पिड़ि निश्चित तौर पर शर्म महसुश करेगी कि कभी ऐसा भी आधुनिक डीजिटल विकाश यात्रा चल रहा था , जिसमे एक तरफ तो अति धन बटोरने की होड़ लगी हुई थी , जिसकी वजह से अति खा खाकर पेट फटने से भी मौत हो रही थी , और दुसरी तरफ गरिबी भुखमरी से होनेवाली मौतो में बड़ौतरी हो रही थी , बजाय इसके कि गरिबी भुखमरी से होनेवाली मौतो को अति इकठा हो रहे धन से रोका जाता और बहुसंख्यक अबादी को गरिबी भुखमरी से मरते हुए बचाकर संतुलन विकाश करके इंसानियत कायम किया जाता |  जो न होकर आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल विकाश के नाम से सायद हैवानियत कायम करने के लिए बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो द्वारा चोरी छिपे कालाधन का भंडार जमा होता जा रहा है | जिसकी वजह से गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी बड़ते जा रही है | जाहिर है गरिबी भुखमरी से होने वाली मौतो की आंकड़े में भी बड़ौतरी होते जा रही है | जिसके साथ साथ कालाधन का इस्तेमाल गलत तरिके से करने की वजह से बड़े बड़े ऐसे अपराधो में भी बड़ौतरी हो रही है , जिससे की मानवता और पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है | मसलन यदि आतंकवाद से पुरी दुनियाँ को भारी नुकसान हो रहा है , तो उस आतंकवाद को महिने की तनख्वा किस ईमानदारी से कमाये गए धन से मिल रही है ? जाहिर है आतंकवाद को भी सबसे अधिक बड़ावा कालाधन का भंडार लगाने वाले ही दे रहे हैं | साथ साथ कालाधन का भंडार में और अधिक बड़ौतरी करने के लिए कालाधन का निवेश करके गैर कानुनी रुप से बड़े बड़े अवैध उद्योग भी लगते जा रहे हैं , और प्राकृति खनिज संपदा की अवैध खुदाई भी हो रही है | जिससे भी तो मानवता और पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है | जिसका मतलब साफ है कि जितना अधिक कालाधन का भंडारन उतना अधिक मानवता और पर्यावरण दोनो को ही नुकसान हो रहा है | क्योंकि मनुवादी सरकार न तो देश का भला करने के लिये पैदा हुई हैं , और न ही प्रजा का भला करने के लिये पैदा हुई हैं |

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