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जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

A slave can be a person of any religion, not only a Hindu is a slave

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गुलाम किसी भी धर्म का व्यक्ति हो सकता है, सिर्फ हिन्दू ही गुलाम नहीं होता कहीं पर देख सुन रहा था , जिसमे एक व्यक्ती इस देश के शोषित  हिंदूओ के बारे में अपनी सुझाव दे रहा था कि इस देश का हिंदू गुलाम है | जिसे अपना हिंदू धर्म बदलकर आजाद होना चाहिए | जो व्यक्ती मुमकिन है वह भी पहले हिंदू रहा होगा , पर मनुवादीयो के चलते  उसने अपना हिंदू धर्म बदलकर कोई दुसरा धर्म अपना लिया होगा | क्योंकि मनुवादियो का इस देश में ही नही बल्कि इस देश का हिंदू धर्म में भी कब्जा है | गोरो से आजादी मिलने के बाद मनुवादियो द्वारा इस देश की सत्ता में कब्जा होना कोई नई बात नही है | मनुवादियो ने तो इस देश को गोरो से भी पहले और गोरो से भी कहीं ज्यादे समय से गुलाम करके शासन किया है | जिसके चलते स्वभाविक भी है कि आज भी जबकि गोरो से यह देश आजाद होकर आजाद भारत का संविधान भी लागू है , फिर भी अल्पसंख्यक मनुवादि इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च पदो में अपनी बहुसंख्यक दबदबा बनाए हुए हैं | बल्कि हिंदू धर्म में तो कब्जा करके उन्होने खुदको जन्म से ही हिंदू पंडित घोषित कर रखा है | जिसके चलते मनुवादी छोड़कर कोई भी द

Like the string of a kite, one day the string of everyone's life is also cut

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पतंग की डोर की तरह एक दिन सबके जीवन का भी डोर कट जाता है इस दुनियाँ में इंसान ही नही बल्कि सूर्य चाँद तारो को भी एकदिन प्रकृति में ही विलिन होकर अलग नया रुप धारन करना है | फिर भी इंसान अपने जिवित रहने तक खुदको धरती का सबसे श्रेष्ट प्राणी मानकर भी जिवित रहने के लिए अपने ही तरह के दुसरे प्राणी को आखिर क्यों गुलाम बनाता है ? हलांकि सभी इंसान जिवित रहने के लिए किसी को गुलाम बनाने की निच सोच को नही अपनाते हैं | बल्कि अभी के समय में तो मुमकिन है सिर्फ कथित मनुवादी कहलाने वाले इंसान ही इस धरती में इंसानियत कायम करने के मामले में सबसे अविकसित मांसिकता वाला इंसान बचा है | जो कि अबतक भी खुदको जिन्दा रखने के लिए किसी को गुलाम बनाने की सोच रखता है | बाकि सभी इंसान किसी को गुलाम बनाने की गंदी सोच से बाहर निकल चूके हैं | क्योंकि इंसानियत विकास की सफर में वे उस सोच से बाहर निकल चूके हैं , जिसमे की इंसान किसी दुसरे इंसान को गुलाम बनाकर दुसरो के हक अधिकारो पर कब्जा जमाकर किसी परजिवी की तरह पलता है | जिस तरह का परजिवि इंसान वे लोग होते हैं जो कि दुसरो के हक अधिकारो को छिन या कब्जा जमाकर पल रहे होते हैं

This profession is also called Bhadhwagiri

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  किसी को गुलाम बनाकर गरिब कमजोर करके शोषण अत्याचार करने वाले पेशे को भड़वागिरी भी कहते हैं  ये मनुवादि मुलता शोषण अत्याचार करने के लिए ही सत्ता पर कबिज होते आ रहे हैं | इतिहास में सायद ही यह जानकारी मिलेगी की मनुवादियो के शासन में मनुवादियो द्वारा शोषण अत्याचार करना समाप्त हुआ | जिस शोषण अत्याचार करने वाले पेशे को भड़वागिरी भी कहते हैं | जिस तरह का भड़वागिरी से न तो मानवता का विकाश होता है , और न ही पर्यावरण का विकाश होता है | क्योंकि ये भड़वागिरी करने वाले लोग जिधर भी जाते हैं , उधर वे  दुसरो के हक अधिकारो को छिना झपटी करके मानवता के साथ साथ पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुँचाते हैं | क्योंकि इस प्रकार के लोगो को मानवता और पर्यावरण से कोई खास लेना देना नही रहता है | जबकि कृषि से खास जुड़ाव जिन लोगो का भी होता है , वे लोग मानवता और पर्यावरण से खास तौर पर जुड़े रहकर दोनो का ही विकाश करते हैं | जो कि गुलाम करके शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादि कभी नही कर सकते | भले वे इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके थोड़ी बहुत खुदको कृषि भी समझते हैं | और खुदको किसान का औलाद भी लिखते हैं  | लेकिन उन्हे

There are two types of slaves

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 गुलाम दो प्रकार के होते हैं  इतिहास रहा है कि गुलाम बनाने वाले चाहे गोरे हो या फिर मनुवादि दोनो ही अपने खास गुलामो की अँधभक्ती टोली तैयार करके शासन करते रहे हैं | गुलाम करने वाले इस कृषि प्रधान देश को गुलाम करने के बाद ऐसे अँधभक्तो की टोली अपनी सत्ता ठीक ढंग से कायम रखने के लिए बनाते रहे हैं | अथवा गुलाम भी दो प्रकार के होते हैं , एक गुलाम आजादी के लिए संघर्ष कर रहा होता है , और दुसरा गुलाम अपने गुलाम करने वाले आका की अँधभक्ती कर रहा होता है | जिस अँधभक्ती करने वाले खास गुलाम को घर का भेदि भी कहा जा सकता है | जिस तरह का खास गुलाम ये गुलाम करने वाले लोग इसलिए भी तैयार करते हैं , ताकि अपने से भी अधिक ताकतवर को उसी की ही ताकत से गुलाम बनाकर सत्ता सुख बेफिक्र होकर भोग सके | क्योंकि खास गुलामो में वे गुलाम भी आते हैं जो की असल गुलामो के परिवार में ही जन्मे होते हैं | जिनका परिवार आजादी के लिए संघर्ष कर रहा होता है तो ये घर के भेदि गुलाम बनाने वालो का अँधभक्ती करने में लगे रहते हैं | आजादी के लिए संघर्ष कर रहे परिवार में भी जन्म लेकर उनके भितर आजादी के लिए संघर्ष भावना मानो मर चुकि होती है

Manuwadi DNA is present in both BJP and Congress.

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  मनुवादी डीएनए बीजेपी और कांग्रेस दोनों में मौजूद है वर्तमान में सरकार चला रही चाहे भाजपा हो या फिर इससे पहले पचास साठ सालो तक सत्ता में बैठी कांग्रेस , इन दोनो ही पार्टी की सरकार बनने पर कबिलई मनुवादियो की खास दबदबा रही है | इसलिए इन दोनो ही पार्टी की सरकार इस कृषि प्रधान देश और मुलनिवासियो के साथ मुलता अन्याय अत्याचार ही करते आ रही है | जो आगे भी करती रहेगी जबतक कि इस देश में मनुवादियो की सत्ता इसी तरह कायम रहेगी | जो मनुवादि सत्ता हाथ से जाने के बाद मनुवादि खुदको उच्च कहकर छुवाछूत करने की काबिल ही नही रहेंगे | जैसे कि गोरो की हाथो से इस देश की सत्ता जाने के बाद अब वे इस देश को गुलाम बनाए रखने की काबलियत को खो दिया है | क्योंकि उन्हे किसी को गुलाम बनाने से कहीं बेहत्तर सोच इंसानियत कायम करने की काबलियत का विकास करना लगने लगा है | जो की उन सभी इंसानो को लगता है जो की किसी को गुलाम बनाना इंसानियत को बहुत बड़ा नुकसान मानते हैं | क्योंकि उन्हे पता है कि जब भी किसी को गुलाम बनाकर उसका शोषण अत्याचार होता है तो इंसानियत को बहुत बड़ा नुकसान होता है | जिसके चलते पुरी दुनियाँ में इंसानियत काय

freedom,अपना धर्म या अपना देश बदलने से आजादी नही मिलती

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 अपना धर्म या अपना देश बदलने से आजादी नही मिलती सबसे पहले तो मैं अपने बारे में यह बता दूं की मनुवादियो को वोट करने वालो को मैं आजादी के लिए संघर्ष कर रहा वीर नायक नही मानता | और मनुवादियो से आजादी पाने के लिए जो लोग भी मनुवादियो को वोट न करके मनुवादियो से आजादी पाने के लिए अपने क्षमता अनुसार योगदान देकर जिस हालत में भी जिवन संघर्ष कर रहे हैं , वे चाहे कितना ही गरिब या अमिर हो उन्हे मैं आजादी का वीर नायक मानता हूँ | क्योंकि मुझे पता है कि इस कृषि प्रधान देश को गुलाम बनाने वाले कबिलई मनुवादि इस देश और इस देश के मुलनिवासियो का बेहत्तर भला कभी कर ही नही सकते | क्योंकि यदि गुलामी से किसी का सबसे बेहत्तर भला होता तो कोई भी गुलाम देश कभी भी आजाद होना नही चाहता | और जैसा कि हमे पता है कि यह देश सिर्फ गोरो से ही गुलाम नही हुआ है , बल्कि मनुवादियो से भी गुलाम हुआ है | गोरो से जब यह देश गुलाम था तो गोरो से आजादी मिलने से पहले इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियो के बारे में ब्राह्मण बाल गंगाधर तिलक ने अपनी मनुवादि मांसिकता का इजहार करते हुए कहा था कि ये लोग विधिमंडल में जाकर क्या हल चलाएंगे ? जिसका