प्रचार

शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

A slave can be a person of any religion, not only a Hindu is a slave


गुलाम किसी भी धर्म का व्यक्ति हो सकता है, सिर्फ हिन्दू ही गुलाम नहीं होता

Khoj123,india


कहीं पर देख सुन रहा था , जिसमे एक व्यक्ती इस देश के शोषित  हिंदूओ के बारे में अपनी सुझाव दे रहा था कि इस देश का हिंदू गुलाम है | जिसे अपना हिंदू धर्म बदलकर आजाद होना चाहिए | जो व्यक्ती मुमकिन है वह भी पहले हिंदू रहा होगा , पर मनुवादीयो के चलते  उसने अपना हिंदू धर्म बदलकर कोई दुसरा धर्म अपना लिया होगा | क्योंकि मनुवादियो का इस देश में ही नही बल्कि इस देश का हिंदू धर्म में भी कब्जा है | गोरो से आजादी मिलने के बाद मनुवादियो द्वारा इस देश की सत्ता में कब्जा होना कोई नई बात नही है | मनुवादियो ने तो इस देश को गोरो से भी पहले और गोरो से भी कहीं ज्यादे समय से गुलाम करके शासन किया है | जिसके चलते स्वभाविक भी है कि आज भी जबकि गोरो से यह देश आजाद होकर आजाद भारत का संविधान भी लागू है , फिर भी अल्पसंख्यक मनुवादि इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च पदो में अपनी बहुसंख्यक दबदबा बनाए हुए हैं | बल्कि हिंदू धर्म में तो कब्जा करके उन्होने खुदको जन्म से ही हिंदू पंडित घोषित कर रखा है | जिसके चलते मनुवादी छोड़कर कोई भी दुसरा हिंदू पंडित नही बन सकता | और यदि मनुवादियो से अधुरी आजादी मिलने के बाद अब इस देश के मुलनिवासी थोड़े बहुत हिंदू पूजा स्थलो में पूजारी अथवा पंडित बने दिख जाएंगे तो वह सिर्फ दिखावे के लिए पंडित हैं | मनुवादियो के लिए वे शूद्र ही हैं | क्योंकि मनुवादि हिंदू धर्मग्रंथ नही बल्कि अपने पूर्वजो के द्वारा रची मनुस्मृति को सबसे खास धर्म ग्रंथ मानता है | जो मनुस्मृति वैसे तो मूल हिंदू धर्म ग्रंथ नही है , बल्कि गुलाम भारत का संविधान है , पर मनुवादि मनुस्मृति को ही हिंदू धर्म का सबसे अधिक खास धर्म ग्रंथ मानकर खुदको खास हिंदू भी कहता है | जबकि खास हिंदू वह है जो किसी को गुलाम नही बनाता , और न ही किसी के साथ छुवाछूत करता है | क्योंकि हिंदू धर्म किसी को गुलाम करना और छुवाछूत करना नही सिखलाता | और न ही हिंदू धर्म यह कहता है कि कोई जन्म से ही हिंदू पंडित कहलाएगा | छुवाछूत करना सिखलाता तो हिंदू धर्म में मिल जुलकर मनाए जानेवाला होली दीवाली और मकर संक्रांती जैसे पर्व त्योहार नही होते | जो पर्व त्योहार छुवाछूत और गुलाम बनाने वालो के लिए नही बना है | और न ही वर्ण व्यवस्था जन्म से उच्च निच भेदभाव करने के लिए बना है | क्या इस देश में लोकतंत्र के सभी प्रमुख स्तंभ जन्म से उच्च निच पद में बैठने के लिए बना है ? उसी तरह वर्ण व्यवस्था भी जन्म से उच्च निच भेदभाव के लिए नही बना है | जिसे दरसल मनुवादियो ने अपनी मनुवादि मांशिकता से संक्रमित करके वर्ण व्यवस्था को कर्म से नही बल्कि जन्म से घोषित करके उसका गलत उपयोग किया है | जैसे की वे वर्तमान में भी लोकतंत्र के सभी प्रमुख स्तंभो का गलत उपयोग करके अपनी दबदबा बनाए हुए हैं | जिनका वश चले तो मनुस्मृति को अपडेट करके और उसे फिर से लागू करके लोकतंत्र के सभी प्रमुख स्तंभो को भी जन्म से मात्र खुदके लिए घोषित कर देंगे | जैसे की वर्ण व्यवस्था को  मनुवादियो ने खुदके लिए घोषित किया था , जब उन्होने इस देश को पुरी तरह से गुलाम करके गुलाम भारत का संविधान मनुस्मृति कभी पूरी तरह से लागू किया था | जिसके लागू होने के बाद सिर्फ ब्राह्मण का बच्चा ही हिंदू पंडित बन सकता था | यहाँ तक की मनुस्मृति लागू होने के बाद मनुवादियो ने खुदको जिस ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य वर्ण का जन्म से घोषित किया उन तीनो वर्णो में मौजुद क्षत्रिय और वैश्य भी हिंदू पंडित नही बन सकता था | और इस देश का मुलनिवासि जिसे की मनुवादियो ने गुलाम भारत का संविधान मनुस्मृति लागू करके निच अथवा शूद्र घोषित किया हुआ है , वह तो हिंदू पंडित तो दुर हिंदू पूजा स्थलो में भी प्रवेश नही कर सकते थे | और न ही वे हिंदू वेद पुराण ज्ञान ले सकते थे | जिस तरह की निचता हिंदू धर्म में तब से प्रवेश किया है , जबसे मनुवादीयो का इस देश में प्रवेश करके इस देश की सत्ता ही नही बल्कि इस देश का हिंदू धर्म में भी कब्जा हुआ है | जो कब्जा मनुवादीयो ने जाहिर है अपना देश और अपना धर्म न होने की वजह से किया है | ताकि दुसरे का देश और दुसरे का स्थापित किया गया धर्म को कब्जा करके उसे खुदका देश और खुदका धर्म बना सके | जैसे कि कोई जमिन कब्जाधारी किसी और का जमिन को कब्जा करके उसे अपना बनाने में लगा रहता है | जिसके बाद वह यह कहता फिरता है कि वह जमिन उसका है | हलांकि चूँकि जमिन खरिद बिक्री की जा सकती है , इसलिए यदि कब्जाधारी यह साबित कर दे की वह जमिन उसने खरिदी है , तो लोग उस जमिन का मालिक उसे ही स्वीकार लेते हैं | पर देश और धर्म तो खरिदी और बेची नही जा सकती है | फिर यूरेशिया से आकर इस देश को गुलाम बनाने वाले मनुवादीयो का यह देश कैसे हुआ , और इस देश का हिंदू धर्म में यूरेशिया से आए मनुवादि खास धर्मगुरु कैसे बना ? क्योंकि मनुवादीयो ने इस देश को गुलाम बनाकर इस देश का हिंदू धर्म में भी कब्जा किया हुआ है | कब्जा करने के बाद उन्होने इस देश में मनुस्मृती लागू किया , और इस देश का हिंदू धर्म में भी कब्जा करके हिंदू वेद पुराणो में मिलावट और छेड़छाड़ किया है | 


हिंदू धर्म छुवाछूत और ढोंग पाखंड नही सिखलाता , बल्कि हिंदू धर्म में छुवाछूत और ढोंग पाखंड मनुवादियो के द्वारा दिया हुआ है


इस देश का मुलनिवासि हिंदू खुदको उच्च जाति का बताकर छुवाछूत क्यों नही करता है ? क्यों सिर्फ मनुवादि ही खुदको जन्म से उच्च जाति का मानकर इस देश के मुलनिवासियो के साथ छुवाछूत करता है ? क्यों मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो को निच अथवा शूद्र और खुदको उच्च ब्राह्मण क्षत्रिय व वैश्य कहता है ? जबकि हिंदू धर्म में होली दीवाली और मकर संक्रांती जैसे खास ऐसे हिंदू पर्व त्योहार मनाए जाते हैं , जिसमे उच्च निच छुवाछूत मानकर कोई भी हिंदू इन पर्व त्योहारो को मिल जुलकर कभी नही मना सकता | जो पर्व त्योहार हिंदूओ के लिए खास माने जाते हैं |  जिसे पुरी दुनियाँ जानती है | जो दुनियाँ क्या यह मानती है कि हिंदू धर्म का यह मिल जुलकर मनाए जानेवाले पर्व त्योहार छुवाछूत करने वाले मना सकते हैं | बिल्कुल नही , क्योंकि छुवाछूत करने वाला व्यक्ती कभी भी मिल जुलकर इस तरह का पर्व त्योहारो को कभी नही मना सकता | और खासकर वेद बोलने पर जीभ काटने और सुनने पर कान में गर्म पिघला लोहा व शीषा डालनेवाला मनुवादी होली और दीवाली जैसे पर्व त्योहार तो कभी मना ही नही सकता , भले क्यों न वह खुदको हिंदू कहकर खुदको जन्म से हिंदू पंडित मानता हो | क्योंकि सच्चाई तो यही है कि मनुवादियो के पूर्वज इस देश में आकर खुदको हिंदू धर्म का खास ठिकेदार बनाकर मिल जुलकर होली दीवाली मनाना तो दुर इस तरह के कोई भी ऐसे पर्व त्योहार कभी मनाते नही होंगे जिसे की मिल जुलकर मनाया जाता है | उन्होने यह पर्व त्योहार मिल जुलकर मनाना पहली बार तब सुरु किया होगा जब छुवाछूत को गलत मानकर उनके अंदर भी कहीं न कहीं मिल जुलकर रहने और आपस में भाईचारा बाटने की सोच इस कृषि प्रधान देश में लंबे समय से रहकर धीरे धीरे विकसित हो गया होगा | क्योंकि अच्छे संगत से अच्छे संस्कार और बुरे संगत से भ्रष्ठ संस्कार विकसित होते हैं | जिसके चलते इस कषि प्रधान देश में बाहर से आए लुटेरे कबिलई से बहुत से बुरे संस्कारो का भी प्रभाव इस देश और इस देश का धर्म में भी पड़ा है | साथ साथ बाहर से आए लुटेरे कबिलई में भी इस देश का अच्छे संस्कारो का प्रभाव पड़ा है | जैसे कि यूरेशिया से आए मनुवादियो के परिवार में अब बहुत से  लोग मिल जाएंगे जो की छुवाछूत को नही मानते , और खुदको हिंदू बताकर मिल जुलकर होली दीवाली भी मनाते हैं | जबकि मनुवादियो के संस्कारो में मूल रुप से गुलाम बनाना और छुवाछूत करना है | जो संस्कार उन्हे उनके खास संस्कारी ग्रंथ मनुस्मृति से मिलता है | जिसे ही वे अपने बच्चो को सिखलाते हैं | जिसके चलते पिड़ी दर पिड़ी हजारो सालो से अबतक भी छुवाछूत संस्कार मनुवादियो में देखा जा सकता है | जो की हिंदू धर्म द्वारा बतलाया गया संस्कार नही है | दरसल हिंदू धर्म में मनुवादियो ने अपना भ्रष्ठ संस्कार हिंदू वेद पुराणो में मिलावट और छेड़छाड़ करके छुवाछूत व ढोंग पाखंड संक्रमित किया है |


हिंदू धर्म छुवाछूत करना नही सिखलाता , और न ही हिंदू धर्म यह बतलाता कि किसी को गुलाम बनाया जाए  


किसी को गुलाम बनाना और छुवाछूत करना हिंदू संस्कार नही है | तभी तो आजतक इस देश के मुलनिवासि कभी भी किसी देश को गुलाम नही बनाए | यह संस्कार तो बाहर से आए मनुवादियो जैसे कबिलई लुटेरो का है | जिसे मनुवादियो ने इस देश और इस देश के हिंदू धर्म में संक्रमित किया है |  और मनुवादियो द्वारा हिंदू धर्म में किया गया मिलावट और छेड़छाड़ को मुल हिंदू ज्ञान मानने वाले इससे सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं | वैसे तो सभी मूल हिंदू मनुवादियो के संक्रमण से पिड़ित है , पर सबसे अधिक पिड़ित वे लोग हैं , जिसे यह अँधविश्वास होने लगता है कि मूल हिंदू मनुवादि है , और छुवाछूत व ढोंग पाखंड हिंदू धर्म का मूल सिद्धांत है | जिसके चलते ही इस देश का मुलनिवासि हिंदूओ में मनुवादियो द्वारा सबसे अधिक संक्रमित होकर अपने ही हिंदू धर्म का बुराई करके अपना हिंदू धर्म बदलते मिल जाएंगे | क्योंकि उनको मनुवादियो के द्वारा दिया संक्रमण से इतना अधिक बुरा प्रभाव पड़ जाता है कि वे यह समझने लगते हैं कि हिंदू धर्म मनुवादियो का है | खैर तो वे इस देश को भी मनुवादियो का देश है कहकर वे अपना देश नही बदले और यहीं पर डटे रहे | हलांकि यहीं पर डटे रहकर भी उन्हे मनुवादियो का संक्रमण सबसे अधिक बुरा प्रभाव डालते हुए अब भी यह देखने को मिल जाता है कि वे अब भी हिंदू धर्म को मनुवादियो का धर्म बताकर अपने जैसा ही धर्म बदलवाने में लगे रहते हैं | जो कि बाकि हिंदूओ को भी उसके जैसा अपना धर्म बदलकर दुसरे धर्म में चले जाने के लिए बड़बड़ाते रहते हैं | हलांकि वे ऐसा अपना धर्म बदलकर जिस धर्म को अपनाए रहते हैं , वे उस धर्म का प्रचार प्रसार करने के लिए भी करते हैं | जिसके लिए वे अपनाए गए अपने नए धर्म के बारे में तारिफ करते हुए अपने पूर्वजो के द्वारा स्थापित हिंदू धर्म के बारे में यह कहते फिरते हैं कि हिंदू धर्म में छुवाछूत ढोंग पाखंड मौजुद है | हिंदू धर्म मनुवादियो का धर्म है | यानी उनकी माने तो हिंदू वेद पुराण और होली दीवाली मकर संक्रांती जैसे हिंदू पर्व त्योहारो को मनुवादी इस देश में यूरेशिया से लाए हैं | यह सब उनके पूर्वजो का दिया हुआ नही है | इसलिए वे यह कहते फिरते हैं कि मनुवादीयो का धर्म और पर्व त्योहार छोड़ देना चाहिए | जबकि भितर से उन्हे भी पता है कि मनुवादी मूल हिंदू नही है , और न ही हिंदू धर्म और हिंदू वेद पुराण व होली दीवाली मकर संक्रांती मनुवादियो द्वारा यूरेशिया से लाया गया है | जबकि यह बात DNA प्रमाणित भी हो चूका है कि मनुवादी यूरेशिया से आया है | जो मनुवादी यूरेशिया से आकर इस देश को गुलाम बनाया है | और यदि कोई भी व्यक्ती इस देश को मनुवादियो द्वारा गुलाम मानता है तो वह यह भी जरुर मानता है कि इस देश में रहने वाले गुलाम चाहे क्यों न जिस भी धर्म से जुड़ा हुआ हो , वह गुलाम है | और यदि गोरो से आजादी मिलने के बाद पुरा आजाद है तो सिर्फ मनुवादी है , या तो फिर मनुवादीयो की तरह गुलाम करने की सोच रखने वाले बाहर से आए कबिलई लुटेरे ही मनुवादीयो की तरह आजाद हैं | क्योंकि पुरी दुनियाँ को पता है कि जब कोई देश गुलाम रहता है तो उस देश में मौजुद गुलाम चाहे जिस भी धर्म से जुड़े रहते हैं , वे सभी गुलाम ही कहलाते हैं | न कि कोई गुलाम खुदको यह कहकर आजाद घोषित किया हुआ रहता है कि वह फलाना डिमका धर्म का है , इसलिए वह आजाद है | 


गुलाम किसी विशेष धर्म का व्यक्ती को नही बनाया जाता



हिंदू धर्म के लोग ही गुलाम बनाए जाते हैं , यह कहना मांशिक विकृति का ही नतिजा है | वह भी यह जानते हुए कि इस देश ही नही बल्कि किसी भी देश में गुलाम किसी भी धर्म का व्यक्ती हो सकता है , न कि सिर्फ शोषित पिड़ित हिंदू गुलाम है | और फिर इस देश के मुलनिवासि जो अब चाहे जिस भी धर्म में मौजुद हो , उन्हे यह बात कभी नही भुलनी चाहिए कि शूद्र ये मनुवादि अपने गुलामो को मानते हैं | और गुलाम किसी भी धर्म का व्यक्ती हो सकता है | न कि इस देश में सिर्फ शोषित पिड़ित हिंदू ही मनुवादियो का गुलाम है | और बाकि सभी धर्म के लोग आजाद हैं | वे यदि आजाद होते तो लोकतंत्र के चारो स्तंभो में मैं गुलाम हिंदू नही हूँ कहकर मनुवादियो की तरह ही सबसे अधिक काबिज होते | जबकि लोकतंत्र के चारो स्तंभो में मनुवादि अपना दबदबा बनाए हुए हैं | क्यों नही बाकि लोग इस देश के शासन हो या फिर लोकतंत्र के बाकि सभी खास स्तंभो के उच्च पद हो , उसमे सबसे अधिक काबिज हैं ? क्योंकि मनुवादीयो ने इस देश को गुलाम बनाया हुआ है | जिन मनुवादियो का ही खास पार्टी है कांग्रेस भाजपा | एक खास पक्ष तो दुसरा खास विपक्ष , ताकि दोनो मिलकर आजाद भारत का संविधान लागू रहते भी अपने गुलामो की नजर और दुनियाँ की नजर में भी मनुवादि शासन को संवैधानिक रुप से कायम रखने के लिए पक्ष विपक्ष की झुठी बहस करके दोनो पलड़े को अपने कब्जे में किए रहे | जिन दोनो ही पार्टियो की मुल भितरी मांसिकता इस देश के मुलनिवासियो को हमेशा गुलाम बनाए रखना है | हलांकि बाहरी मन से दोनो ही पार्टी प्रत्येक चुनाव में हमेशा यह कहते रहती है कि उसके शासन में इस कृषि प्रधान देश और इस देश के किसानो का बेहत्तर भला होगा | जिस कथनी की सच्चाई उनके द्वारा सत्ता में लंबे समय से बैठने के बाद कितना बेहत्तर भला और विकाश हुआ है , यह तो इसी बात से ही पता चल जाता है कि गोरो से आजादी मिले हुए इस देश के नागरिको का औसतन उम्र अथवा 70 साल से भी अधिक का समय बित चुका है , और आजाद भारत का संविधान भी लागू है , लेकिन भी आजतक इस देशो को गोरो से आजादी मिलने के बाद भी गुलामी का माहौल कायम है | आज भी मनुवादियो द्वारा शोषण अत्याचार जारी है | गोरो से आजादी मिलते समय इस देश में जितनी आबादी मौजुद थी , उससे भी कहीं आबादी आज भी गरिबी भुखमरी रेखा से भी निचे अथवा बीपीएल जिवन यापन कर रही है  | इस देश के 99% से भी अधिक  के पास जितना धन मौजुद नही है , उससे कहीं अधिक धन सिर्फ 1% से भी कम आबादी के पास मौजुद है | एक तरफ बहुसंख्यक आबादी गरिबी भुखमरी से मर रहा है तो दुसरी तरफ मुठीभर लोग अति खा खाकर मर रहे हैं | ऐसा असंतुलन क्यों कायम है ? क्योंकि गुलामी कायम है | जिसके चलते यह देश सोने की चिड़िया कहलाते और आजाद भारत का संविधान लागू हुए कई दशक बित जाने के बावजुद भी गरिब देशो में गिना जाता है | क्योंकि इस देश को अबतक पुरी आजादी नही मिली है | 


एक गुलाम करने वाले से आजादी मिला तो दुसरा गुलाम करने वाला इस देश की सत्ता में काबिज हो गया है


गोरो से आजादी मिलने के बाद इस देश की सत्ता में 50-60 साल कांग्रेस तो 10 साल से अधिक समय तक भाजपा का शासन रहा है | जो भाजपा अब भी सत्ता में काबिज  है | जो 2014 ई० में यह कहकर भारी बहुमत से सत्ता में काबिज हुआ की कांग्रेस को 60 साल का अवसर दिया गया , भाजपा को सिर्फ 60 महिना का अवसर दिया जाय ! जबकि 2014 ई० से पहले भी भाजपा का शाईनिंग इंडिया सरकार को अवसर मिल चुका था , जो की अब शाईनिंग इंडिया के बाद डीजिटल इंडिया भाजपा सरकार को भी 60 महिना का अवसर देकर दुबारा भारी बहुमत से फिर से 60 महिना का अवसर मिलकर अब भी भाजपा सत्ता पर काबिज है | इस देश की सत्ता में कांग्रेस के बाद भाजपा आने से क्या भारी बदलाव आ गया ? या फिर अब भी गरिबी भुखमरी उसी तरह कायम है , जैसे कि आधुनिक भारत और गरिबी हटाओ की बाते करके भी कांग्रेस 50-60 सालो तक सत्ता में बैठे रहने के बाद भी कायम थी | जाहिर है यह इसी तरह कायम रहेगी , क्योंकि गोरो से आजादी मिलने के बाद मूल रुप से इस देश में मनुवादी सत्ता कायम है | और जैसा की इतिहास गवाह है कि गुलाम करने वाले कभी भी सत्ता में अपने गुलामो को हावि होने नही देते | जैसे की गोरे भी जब इस देश को गुलाम बनाए थे तो इस देश की सत्ता में अपने गुलामो को हावि कभी नही होने दे रहे थे | वे तो इस देश को गुलाम करके भी जज बनकर अपनी गुलामो से न्याय करने का दावा करते थे | 


मनुवादी भी अपने गुलामो से न्याय करने का दावा करते रहते हैं 


इतिहास गवाह है कि मनुवादियो ने इस देश के मुलनिवासियो को गुलाम बनाकर क्या क्या कुकर्म किए हैं | और अब भी शोषण , अन्याय अत्याचार कर रहे हैं ! बल्कि जब यह देश गोरो द्वारा गुलाम था उस समय भी मनुवादी अन्याय अत्याचार ही कर रहे थे | न कि इस देश के मुलनिवासियो का भला कर रहे थे |  जिनके मन में तब भी पाप था , जबकि वे गोरो से आजादी पाने के लिए इस देश के मुलनिवासियो का विशेष सहायता ले रहे थे | एक तरफ इस देश का मुलनिवासि बाहर से आए गोरो और मनुवादियो से पुरी आजादी पाने का संघर्ष कर रहा था , तो मनुवादी अपनी आजादी लड़ाई यह कहते हुए लड़ रहे थे कि " तेली , तंबोली , कुंभट , खाती , कूर्मी और पाटीदार विधिमंडल में जाकर क्या हल चलाएंगे ? क्योंकि मनुवादियो को यह डर सता रहा था कि गोरो से आजादी मिलने के बाद इस देश का मुलनिवासि सत्ता में न बैठ जाए ! और इस कृषि प्रधान देश में इस देश के मुलनिवासियो द्वारा सत्ता में बैठने का मतलब साफ था कि कबिलई सोच के बजाय कृषि सोच को बड़ावा मिलना | जबकी मनुवादियो की सोच सुरु से ही कृषि छोड़ कबिलई सोच की ओर ही प्रमुखता रहा है | जिसके चलते कबिलई गोरो से जब यह देश आजाद हुआ तो दुसरा कबिलई मनुवादि इस देश की सत्ता में बैठकर आधुनिक भारत शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया विकाश के नाम से कृषि का विनाश करना सुरु किया | क्योंकि कबिलई मनुवादियो की माने तो देश का विकाश कृषि का विनाश करके ही बेहत्तर होता है | जिसके चलते उन्होने किसानो की उपजाउ जमिन को छिनकर बंजर करना सुरु किया | जिस प्रकार की सोच मनुवादि इसलिए रखता है क्योंकि वह अब भी अपनी कबिलई मांशिकता से बाहर नही निकला है | जबकि वह इस कृषि प्रधान देश में हजारो सालो से रह रहा है | हलांकि यह सब स्वभाविक भी है , क्योंकि मनुवादियो को जन्म के बाद जैसे ही यह पता चलता है कि उसके पूर्वज इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियो को गुलाम बनाए हुए हैं , वैसे ही उनको अपने पूर्वजो की मूल मांशिकता के बारे में पता चल जाता है | जिसे जो भी मनुवादि परिवार के बच्चे अपना आदर्श मानकर अपने पूर्वजो की तरह परजीवि जिवन जिने के बारे में सोचते हैं वे निश्चित तौर पर यही सोचकर अपनी विकसित जिवन जिने के बारे में सोचना सुरु कर देते हैं कि विकाश का मतलब सागर जैसा स्थिर कृषि नही बल्कि घुमकड़ कबिलई जिवन है | ऐसा वह इसलिए भी सोचता है , क्योंकि वह इस कृषि प्रधान देश में बाहर से आया कबिलई लुटेरा है , जो कि इस देश में आकर इस देश के मुलनिवासियो को हजारो सालो से गुलाम बनाकर उन्हे शूद्र घोषित किया हुआ है | इसलिए वह इस देश के मुलनिवासियो को सत्ता में काबिज होते कभी भी देखना नही चाहता है | क्योंकि गुलाम बनाने वाला कभी भी अपने गुलामो को शासक बनते देखना नही चाहता | क्योंकि गुलाम यदि शासक बन गया तो वह कभी भी गुलाम करने वाले की सेवा शूद्र बनकर नही करेगा | और गुलाम शूद्र बनकर सेवा नही करेगा तो मनुवादि खुदको कभी यह नही समझ पाएगा कि वह सबसे उच्च है | क्योंकि उसके लिए सबसे उच्च बनने का मूल जरिया सत्ता है | जिसे खोकर वह अपनी सारी वह उच्चता खो देगा जिससे की वह खुदको जन्म से ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य भी कहता है | लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो पर कायम अपनी दबदबा तो वह खोयेगा ही पर सबसे बड़ी तो वह अपनी उस झुठी शान को खो देगा जिससे कि वह गुलाम करने वाला होते हुए भी सबसे उच्च बना बैठा है | जो उच्चता उससे छिन जाएगी यह बात बाल गंगाधर तिलक को पता था | जिसके चलते उसने इस देश के मुलनिवासियो को विधिमंडल में प्रवेश न करने देने के लिए गोरो की शासन के समय ही अपनी मनुवादि मांशिकता रखते हुए यह कहा कि " तेली , तंबोली , कुंभट , खाती , कूर्मी और पाटीदार विधिमंडल में जाकर क्या हल चलाएंगे ? 



इस देश का बेहत्तर विकाश बाहर से आए कबिलई लुटेरे कभी नही कर सकते


यूरेशिया से आए कबिलई मनुवादियो की विकृत मांशिकता अनुसार इस कृषि प्रधान देश का विकास और भला सिर्फ मनुवादि ही कर सकते हैं | किसान भले पुरे देश को अन्न साग सब्जी वगैरा उगाकर खिलाने की मेहनत में दिन रात लगे रहते हैं , पर उनकी मेहनत का मोल जनता सेवा और देश का विकाश में कितना है यह तो गोरो से आजादी पाने और आजाद भारत का संविधान लागू होने के बाद इस देश में स्थापित मनुवादि सरकार के लंबे कार्यकाल को परखकर पता चल जाता है | जिस कार्यकाल के दौरान इस देश के किसानो का कितना भला हुआ यह तो इसे जानकर भी पता चल जाता है कि इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासि अपने ही देश में अपनी जमिन से बेदखल होकर सबसे अधिक जमिन मनुवादियो के पास क्यों चला गया है ? इस देश का बहुसंख्यक आबादी जो की खेती पर निर्भर है वह मानो जिंदा रहकर अपने ही खेत में गुलाम बनकर बंधुवा मजदुरी करके अपना जिवन यापन कर रहे हैं | जिनमे से यदि कोई मुलनिवासि किसान थोड़े बहुत जमिन का मालिक अब भी है और वह अपने खेत में हरियाली लाकर बेहत्तर फसल उगा भी रहा है तो भी वह अपने खेती से उतना बेहत्तर मुनाफा नही कमा पा रहा है जिससे की यह कहा जा सके कि इस कृषि प्रधान देश का किसान सबसे समृद्ध जिवन यापन कर रहा है |क्योंकि खेत में वह जितना मेहनत करता है उतना मोल कबिलई मनुवादि सत्ता में उसे कभी मिल ही नही सकती | बल्कि बहुत बार तो ये मनुवादि सरकार किसानो के फसलो का दाम लगाना तो दुर खरिदने से भी इंकार कर देती है | जिसके चलते बहुत से फसल सड़को पर फैंककर विरोध प्रदर्शन होता है या तो फिर रखे रखे सड़कर बर्बाद हो जाते हैं | जिसका उचित समय पर उचित मोल न मिलने से किसान एक तो कर्ज में भी डुब जाता है और दुसरा अपनी निजि जिवन में अपने बच्चो का पढ़ाई लिखाई , शादी विवाह वगैरा खर्च के लिए तनाव ग्रस्त हो जाता है | फिर तनाव में बहुत से किसान तो आत्महत्या तक कर लेते हैं | गोरो से आजादी मिलने से लेकर अबतक सरकार की नाकामी की वजह से लाखो किसान आत्महत्या कर चुके हैं | यही बुरी हालत मेहनती मजदूरो का भी है | 


जिनकी दुःख और पीड़ा को देखते हुए हमे यह बात कभी भी नही भुलनी चाहिए कि मनुवादि यूरेशिया से आए कबिलई हैं | जो मुलता कभी भी खेती और मजदूरी पर अपना जिवन यापन नही करते हैं 


कुछ मनुवादि जमिनदारी जरुर करते आ रहे हैं | जिनके पास देश का सबसे अधिक जमिन भी मौजुद है | जो इस देश के किसानो को उनके अपने ही खेत में बंधुवा मजदूरी कराकर खुदको सबसे बड़ा किसान का बेटा भी कहते हैं | जिन्हे ही लोन और लोन लेने के बाद माफी लाभ भी सबसे अधिक मिलता है | इस देश के मुलनिवासि किसानो को तो अठनी चवनी या फिर कुछ नही मिलता है | जबकि इस कृषि प्रधान देश की आधी से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है | ज्यादेतर किसान अपने खेत में नही बल्कि दुसरो के खेत में मजदुरी करते हैं | क्योंकि उनके पास अपना खेत नही है | ज्यादेतर जमिन और धन भी मनुवादियो के ही पास है | जबकि यदि प्रयोगिक रुप से देखा जाय तो अल्पसंख्यक मनुवादि मुल रुप से खेती पर नही बल्कि इस देश की सत्ता पर निर्भर है | जो जिसदिन जायेगी उनके उच्च जिवन के सभी क्षेत्रो में अँधेरा छा जाएगा | क्योंकि उनके पास जो भी जिवन यापन करने का मूल उच्च हुनर मौजुद है , वह तो मुलता दुसरो के हक अधिकारो को छिनकर अपनी भ्रष्ठ मांशिकता का विकाश करते रहना है | जिस उच्च हुनर में उन्हे सबसे खास अनुभव भी रहा है | जिसके बलबुते ही तो वे लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में सबसे बेहत्तर प्रदर्शन न कर पाने के बावजुद भी चारो स्तंभो में अपनी उच्च दबदबा बनाए हुए हैं | जिन सब जगहो पर उनकी उच्च हुनर की उच्चता उनकी मनुवादि सत्ता पर निर्भर है | यू ही नही  ब्राह्मण बाल गंगाधर तिलक ने अपनी मनुवादि मांसिकता का इजहार करते हुए इस देश के मुलनिवासियो के बारे में कहा था कि ये लोग विधिमंडल में जाकर क्या हल चलाएंगे ? जिनका एक खास नारा " आजादी मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है " जिसमे भी उनकी मनुवादि मांसिकता साफ नजर आता है कि आजादी का जन्मसिद्ध अधिकार वे किन लोगो को देना चाहते थे विधिमंडल में ! ये मनुवादि लोग भले कागज में यह लिखकर विधिमंडल जाते रहे हैं कि मैं भी किसान का औलाद हूँ , पर इनके DNA में कृषि प्रधान सोच नही बल्कि कबिलई प्रधान सोच मौजुद है | जिनसे इस कृषि प्रधान देश का भला कभी नही हो सकता | भला तब होगा जब मनुवादियो से पुरी आजादी मिल जाएगी | जिसके बाद इस देश का मुलनिवासि अपने दुःखो को बेहत्तर तरिके से समझते हुए अपने उन जख्मो में मलहम लगाकर ठीक करेगा जिसे मनुवादि जैसे कबिलई लुटेरे सैकड़ो हजारो सालो से गुलाम बनाकर देते आ रहे हैं | जो कबिलई लुटेरे इस देश के मुलनिवासियो का बेहत्तर भला करेंगे या कर रहे हैं , यह सोचनेवाला व्यक्ती दरसल मनुवादि जैसे मांशिकता को सबसे उच्च मांशिकता मानता है | जो या तो मनुवादि है या तो फिर मनुवादि का अँधभक्त है | जैसे की गोरो का भी बहुत से अँधभक्त थे जो की गोरो का शासन को बेहत्तर मानते थे | जबकि चाहे विदेशी मूल का गोरा हो या फिर विदेशी मूल का मनुवादि हो , दोनो का ही शासन गुलाम शासन है | और गुलामी के बारे में पुरी दुनियाँ यही विचार रखती है कि गुलामी से आजादी पाने के लिए संघर्ष करना चाहिए | न कि गुलाम करने वालो को सरकार बनाकर अपने ही पाँव में कुल्हाड़ी मारने का मुर्खता करनी चाहिए |

शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

Like the string of a kite, one day the string of everyone's life is also cut



पतंग की डोर की तरह एक दिन सबके जीवन का भी डोर कट जाता है


पतंग की डोर की तरह एक दिन सबके जीवन का भी डोर कट जाता है

इस दुनियाँ में इंसान ही नही बल्कि सूर्य चाँद तारो को भी एकदिन प्रकृति में ही विलिन होकर अलग नया रुप धारन करना है | फिर भी इंसान अपने जिवित रहने तक खुदको धरती का सबसे श्रेष्ट प्राणी मानकर भी जिवित रहने के लिए अपने ही तरह के दुसरे प्राणी को आखिर क्यों गुलाम बनाता है ? हलांकि सभी इंसान जिवित रहने के लिए किसी को गुलाम बनाने की निच सोच को नही अपनाते हैं | बल्कि अभी के समय में तो मुमकिन है सिर्फ कथित मनुवादी कहलाने वाले इंसान ही इस धरती में इंसानियत कायम करने के मामले में सबसे अविकसित मांसिकता वाला इंसान बचा है | जो कि अबतक भी खुदको जिन्दा रखने के लिए किसी को गुलाम बनाने की सोच रखता है | बाकि सभी इंसान किसी को गुलाम बनाने की गंदी सोच से बाहर निकल चूके हैं | क्योंकि इंसानियत विकास की सफर में वे उस सोच से बाहर निकल चूके हैं , जिसमे की इंसान किसी दुसरे इंसान को गुलाम बनाकर दुसरो के हक अधिकारो पर कब्जा जमाकर किसी परजिवी की तरह पलता है | जिस तरह का परजिवि इंसान वे लोग होते हैं जो कि दुसरो के हक अधिकारो को छिन या कब्जा जमाकर पल रहे होते हैं | जिसमे सबसे खतरनाक परजिवी वह इंसान होता है , जो कि गुलाम बनाता है | क्योंकि धरती का सबसे श्रेष्ट प्राणी का दर्जा जिस इंसान को खुद इंसानो के द्वारा ही दिया गया है , उसी प्राणी के योनी से जन्म लेकर जो इंसान किसी दुसरे इंसान को गुलाम बनाकर खुदको महान और सबसे उच्च कहता है , वह दरसल अपने ही प्रकार का प्राणी इंसान को गुलाम बनाकर इस धरती का परजिवियो में सबसे उच्च परजिवी खुदको साबित करता है | जिसे तो जिस योनी से वह पैदा लिया है , उसी योनी से निकलने वाली चूलुभर मुत में डुब मरना चाहिए | या तो फिर वापस उसी योनी में प्रवेश करके जन्म लेने का आवेदन भगवान को फिर से भरकर देने के बाद उसे दुबारा किसी सुवर के पिछवाड़े से पैदा लेने का आवेदन करना चाहिए | जो की मुमकिन नही है , क्योंकि यह प्राकृति नियम के विरुद्ध है |


 हलांकि मनुवादि जैसे लोग तो प्राकृति नियम को भी नही मानते हुए उल्टा सोच रखकर किसी पिछवाड़े से जन्म होने की प्रक्रिया तो क्या वे तो किसी पुरुष के मुँह कान नाक से भी बच्चा जन्म होने जैसी बातो में विश्वास करते हैं | वे भगवान से अप्राकृति जगहो से पैदा होने की आवेदन अपने मन में करते रहे हैं | तभी तो मनुवादियो की सोच अनुसार पुरुष ब्रह्मा के मुँह बांह जंघा और चरण जैसे अलग अलग अंगो में नौ महिना गर्भ ठहरने के बाद उच्च निच जाति का बच्चा पैदा हुआ है , मनुवादि इस तरह की अप्राकृति बातो को भी सत्य मानते हैं | साथ साथ यह भी मानते हैं कि उच्च निच जाति का इंसान पैदा तो लिया है एक ही पुरुष के शरिर से पर वह अलग अलग जाति का है | मानो ब्रह्मा के सारे अंग अलग अलग जाति का है | मुँह बाजु जंघा अलग है , और चरण अलग है | बल्कि मनुवादियो की माने तो ब्रह्मा का चरण अछुत है , जहाँ से निच जाति पैदा लिया है | क्योंकि यदि मनुवादि सोच अनुसार ब्रह्मा का चरण अछुत नही रहता तो वहाँ से निच जाति कैसे पैदा लेता | 


हलांकि जब एक ही ब्रह्मा का औलाद ब्राह्मण और शूद्र है फिर दोनो का DNA अलग अलग क्यों है 


दरसल उच्च निच छुवाछूत जैसे भेदभाव सोच मनुवादियो की मन में ही नही मानो DNA में ही घर बना लिया है | ढोंगी पाखंडी अँधविश्वास में डुबे मनुवादि का वश चले तो वह अपनी ढोंग पाखंड सोच से हिंदू वेद पुराणो के साथ मिलावट और छेड़छाड़ करके इनके द्वारा ब्रेनवाश हुए लोगो के बिच यह साबित कर दे कि किसी पुरुष के मुँह बाजु चरण आँख कान समेत शरिर के सभी अलग अलग अंगो में अलग अलग DNA मौजुद रहता है | जो की अप्राकृतिक सोच है कि एक ही प्राणी के अलग अलग अंगो में अलग अलग DNA भी मौजुद रह सकता है | जिस अप्राकृतिक सोच के चलते वह वर्ण व्यवस्था के बारे में अबतक यही झुठ बांटते आ रहा है कि एक ही ब्रह्मा के अलग अलग अंगो से जन्मे ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र अलग अलग DNA के औलाद पैदा लिए हैं | जबकि वर्ण व्यवस्था में दी गई जानकारी में ब्रह्मा कोई नर नारी नही है | और न ही वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र कोई नर नारी का बच्चा को कहा गया है | जैसे कि शासन व्यवस्था में मंत्री अधिकारी पुलिस वगैरा कोई उच्च निच जाति नही बल्कि पद है | जिस पद को अपनी काबलियत अनुसार नागरिक प्राप्त कर सकता है | जैसा कि प्राप्त करता भी है | क्या कोई दलित आदिवासी पिछड़ी मंत्री अधिकारी पुलिस सैनिक वगैरा नही बनता है | बिल्कुल बनता है , क्योंकि यह सब पद है , न कि यह सब जन्म से उच्च निच जाति है | वर्ण व्यवस्था भी तब के समय में विकसित किया हुआ शासन व्यवस्था की तरह ही काम करता था | जिसमे ब्राह्मण शिक्षक ,क्षत्रिय रक्षक , वैश्य आर्थिक से सबंधित पद है | जिस वर्ण व्यवस्था में इस देश के मुलनिवासियो को शूद्र घोषित करके मनुवादियो ने दरसल अपनी निच मांसिकता को परिभाषित किया है कि वे लोग किस तरह की गुलाम प्रजा अपने शासन के दौरान देखना चाहते हैं | जो सिर्फ उनकी दिन रात सेवा करने का काम करे | बल्कि मनुवादियो ने वर्ण व्यवस्था को अपनी विकृत सोच से मनुस्मृति रचना करके मानो बच्चा पैदा होने की व्यवस्था के रुप में गलत अपडेट कर रखा है | उनके मुताबिक तो सारे हिंदू वेद पुराणो में मौजुद ज्ञान प्राकृति विज्ञान नही बल्कि अप्राकृतिक सिद्धांत अथवा चमत्कार पर आधारित है | जिसके चलते वह अबतक हिंदू धर्म का ठिकेदार बनकर मनुस्मृति की रचना करने के बाद हिंदू वेद पुराणो के बारे में यह असत्य ज्ञान बांटते आया है कि ब्रह्मा के मुँह छाती जंघा और चरणो से अलग अलग जाति का इंसान पैदा हुआ है | वह भी एक ही पुरुष के अलग अलग अंगो से अलग अलग DNA लेकर पैदा हुआ है | जिसकी माने तो छाती में अलग DNA होता है , जंघा में अलग DNA होता है , और चरण में अलग DNA होता है | तभी तो एक ही ब्रह्मा से जन्मे कथित ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र इनका DNA अलग अलग है | जबकि DNA रिपोर्ट तो यह कहता है कि बाप का DNA उसके सभी औलादो में एक ही होता है | फिर DNA रिपोर्ट अनुसार ब्राह्मण का अलग DNA और शूद्र का अलग DNA कैसे है | जबकि कथित मनुवादियो की माने तो उच्च निच दोनो ही जाति के लोग एक ही ब्रह्मा के शरिर से जन्म लिए हैं | इसका सही जवाब वेद पुराणो को मनुवादियो की दृष्टी से नही बल्कि प्राकृतिक विज्ञान की दृष्टि से समझने बुझने से सत्य पता चल जाएगा कि वेद पुराण में मौजुद ब्रह्मा विष्णु महेश भगवान को आखिर पुरे सृष्टी का पालनहार क्यों बतलाया गया है ? क्योंकि हिंदू वेद पुराण दरसल प्रकृति विज्ञान सत्य पर आधारित है | जिसमे मौजुद जानकारी साक्षात मौजुद प्रकृति विज्ञान पर आधारित है | 


जैसे की वेद पुराण में मौजुद हवा पानी अग्नि सूर्य चाँद नदी वगैरा प्रकृति है , न की लिंग योनी वाले देवी देवता 


जैसा कि मनुवादि हवा को पवनदेव सूर्य को सूर्यदेव अग्नि को अग्निदेव वगैरा बताकर अबतक यह ज्ञान बांटते आ रहे हैं कि ये सभी लिंग योनी वाले देवी देवता हैं | जो की इस धरती में इंसानो से संभोग करने के लिए लिंग लहराते हुए विचरन भी करते हैं | और इंसानो के साथ संभोग करके अपना औलाद भी पैदा करते हैं | क्योंकि मनुवादियो की माने तो सूर्य चाँद मंगल बुद्ध वृहस्पति शुक्र वगैरा सभी ग्रहो के पास बिल्कुल इंसानो जैसा ही लिंग मौजुद है | और मनुवादियो द्वारा वे इंसानो से संभोग करते हुए भी बतलाये जाते हैं | जैसा कि वे यह बतलाते हैं कि सूर्य से कुंती ने संभोग करके कर्ण को कुँवारी समय ही जन्म दी थी | जिसके चलते कुंती ने परिवार समाज की डर से एकदिन का शिशु कर्ण को नदी में बहा दिया था | वह भी यह बतलाया जाता है कि कर्ण अपनी माँ के गर्भ में नौ महिना पलकर जन्म नही लिया था , बल्कि एकदिन में ही जन्म हुआ था | सूर्यदेव ने कुंवारी कुंती के साथ संभोग किया और कर्ण का जन्म उसी समय हो गया था | जिस तरह की अप्रकृति बातो में विश्वास करके कोई अँधभक्त कोई अप्रकृति संभोग करके एकदिन में ही माता पिता बनने की कोशिष कभी भी न करें !


यहाँ पर गौर करने वाली बात यह है कि मनुवादियो की माने तो सूर्य चाँद हवा नदी पेड़ पौधा अग्नि ब्रह्मा वगैरा जो कि हिंदू वेद पुराणो में प्रकृति के अलग अलग रुप के बारे में बतलाया गया है , वे सभी इंसानो की तरह लिंग योनी लेकर पैदा लेने वाले पुरुष स्त्री रुप में भी इस धरती में विचरन करते हैं | जो की इंसानो की तरह और इंसानो से संभोग भी करते हैं | और उनके पास भी इंसानो की ही तरह हाथ पैर मुँह नाक कान लिंग योनी वगैरा मौजुद रहता है | जिसके चलते जाहिर है कि मनुवादियो की माने तो ब्रह्मा ने अपने शरिर से ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र के रुप में इंसानो को जन्म दिया है | जो सभी ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य व शूद्र एक ही ब्रह्मा के औलाद हैं | यानी इस जानकारी के अनुसार एक ही ब्रह्मा के औलाद होने का मतलब साफ है कि प्रकृति विज्ञान अनुसार ब्रह्मा द्वारा जन्माये गए सभी औलादो में एक ही DNA मौजुद रहना चाहिए था | बल्कि DNA तो एक बाप से उसके बच्चे में ही नही , बल्कि बच्चे का बच्चे में भी एक ही DNA सफर पिड़ि दर पिड़ि तय करता चला जाता है | जो सफर चाहे क्यों न दादा परदादा से भी पहले से चला आ रहा हो | परदादा से दादा और फिर दादा से बाप फिर बाप से बच्चे सभी के अंदर एक ही DNA हमेशा स्थिर मौजुद रहता है | चाहे क्यों न परदादा दादा और उसके बाद बाप बेटा सभी अलग अलग धर्म को मानते हो , पर प्रकृति विज्ञान अनुसार इन सबका DNA एक ही होता है |


 दरसल मनुवादी चूँकि असल में ढोंगी पाखंडी लोग हैं इसलिए अबतक भी उन्हे यह समझ में नही आया है कि हिंदू वेद पुराण में मौजुद सूर्य पूजा , अग्नि पूजा , अन्न जल पूजा वगैरा कोई लिंग योनी वाले देवी देवताओ की पूजा नही बल्कि प्रकृति पूजा है |


जो की सबके लिए बराबर है , न कि अमेरिका में अलग सूर्य उगता है , और भारत में अलग सूर्य उगता है | बल्कि अलग से एक और सूर्य उगता भी तो वह सबके लिए उगता | क्योंकि प्रकृति सबके लिए है , न कि हवा पानी पर सिर्फ मनुवादीयो का अधिकार है कि वह अन्न जल की पूजा में यह कहकर रोक लगाये कि अन्न देवता , जल देवी की पूजा करना शूद्र के लिए मना है | हाँ यदि मनुवादी अपने पूर्वजो का नाम किसी प्रकृति से जुड़े नाम जैसे की प्रकृति हवा पर पवनदेव और सूर्य पर सूर्यदेव रखकर अपने पूर्वजो की मूर्ति मंदिरो में स्थापित करके उसकी पूजा करने से मना करे तो उसे वैसे भी मनुवादियो के उन पूर्वजो की पूजा कभी भी नही करनी चाहिए जो की इस देश में प्रवेश करके यहाँ के मुलनिवासियो के साथ लुटपाट भी करते रहे हैं , और गुलाम बनाकर शोषण अत्याचार भी करते रहे हैं | जिनकी पूजा करना मतलब गुलाम बनाने वालो की पूजा करना | याद रखना भगवान पूजा किसी मनुवादियो के पूर्वजो की पूजा नही है | मनुवादियो के पूर्वज तो लिंग योनी वाले इंसान ही थे , जो कि इंसान से ही संभोग करके अपना वंशवृक्ष बड़ाकर इंसानो की तरह ही जन्म लेकर मृत्यु को प्राप्त कर गए | जो अब जिवित नही हैं इस धरती में विचरन करने के लिए | मौजुद होते तो उनकी निर्जिव मूर्तियो और काल्पनिक तस्वीरो की पूजा नही होती | बल्कि मनुवादि अपने पूर्वजो को प्रेसवर्ता में बुलाकर पुरी दुनियाँ के सामने प्रमाणित करते कि उनके पूर्वज ही चमत्कारी देवी देवता हैं , जो कि पुरी दुनियाँ को चलाते हैं , जिनकी पूजा सारे धर्म के लोग करें |


दुनियाँ में बहुत सारे लोग भगवान या ईश्वर नाम रखे मिल जाएंगे तो क्या लोग उनकी पूजा करते हैं ? 


बिल्कुल नही , जैसे कि सूर्य पूजा हवा पानी और अन्न वगैरा पूजा किसी लिंग योनी वाले देवी  देवताओ की पूजा नही बल्कि प्रकृति पूजा है | जिस प्रकृति की कृपा से सभी की जिवन चल रहा है | जो प्रकृति न हो तो न कोई धर्म रहेगा और न ही कोई धर्म को मानने वाले लोग रहेंगे | मंदिर मस्जिद चर्च वगैरा तो वैसे भी पहले नही थे , जिसे इंसानो ने ईट पत्थर बालू वगैरा से बनाया है | वह भी प्रकृति की ही कृपा से प्रकृति में मौजुद पदार्थो से | जिसे इंसान अपने भितर से पैदा नही करता बल्कि कोई खोज या बनाता भी है तो वह प्रकृति में ही पहले से मौजुद पंचतत्वो को अलग रुप या नाम प्रदान करता है | इंसान द्वारा अलग से प्रकृति से अलग कोई अलग दुनियाँ पैदा कभी भी नही किया जा सकता | हाँ सिर्फ वह प्रकृति से अलग दुनियाँ की कल्पना अलग अलग तरिके से जरुर कर सकता है | जैसे कि वह हजारो सालो से प्रकृति से अलग किसी दुसरी दुनियाँ में स्वर्ग नर्क की बाते करता भी आ रहा है | पर उसकी काल्पनिक सोच में वही बाते सत्य साबित हो सकती है जो की प्रकृति में मौजुद है | जैसे कि यदि इंसानो द्वारा सोची गयी स्वर्ग नर्क यदि वाकई में मौजुद होगी तो वह प्रकृति में ही मौजुद होगी | और वहाँ मौजुद सारी व्यवस्था प्रकृति विज्ञान द्वारा प्रमाणित होगी तब जाकर वह सत्य साबित होगी | नही तो फिर इसी तरह सिर्फ कल्पना में ही लोग स्वर्ग नर्क की बातो पर विश्वास करके यह सोचते रहेंगे कि इंसान मरने के बाद स्वर्ग नर्क चला जाता है ! जबकि हिंदू धर्म के मुताबिक असल में वह प्रकृति पंचतत्व से जन्म लेकर मरने के बाद वापस पंचतत्व में ही विलिन हो जाता है , दुसरा रुप धारन करने के लिए | बल्कि इंसान ही नही सूर्य चाँद तारो को भी एकदिन प्रकृति में ही विलिन होकर अलग नया रुप धारन करना पड़ता है | जो की प्रकृति की प्रमाणित सच्चाई है , न कि कोई कल्पना है ! मरे हुए इंसान को चाहो दफन करो या जलाओ या फिर चाहे किसी भी विधि से अंतिम संस्कार करो वह वापस प्रकृति पंचतत्व में ही विलिन होता है |

गुरुवार, 13 जनवरी 2022

This profession is also called Bhadhwagiri



 

किसी को गुलाम बनाकर गरिब कमजोर करके शोषण अत्याचार करने वाले पेशे को भड़वागिरी भी कहते हैं 

कभी भी विकसित सोच का इंसान को शोषण अत्याचार करनेवाला भड़वा नही बनना चाहिए


ये मनुवादि मुलता शोषण अत्याचार करने के लिए ही सत्ता पर कबिज होते आ रहे हैं | इतिहास में सायद ही यह जानकारी मिलेगी की मनुवादियो के शासन में मनुवादियो द्वारा शोषण अत्याचार करना समाप्त हुआ | जिस शोषण अत्याचार करने वाले पेशे को भड़वागिरी भी कहते हैं | जिस तरह का भड़वागिरी से न तो मानवता का विकाश होता है , और न ही पर्यावरण का विकाश होता है | क्योंकि ये भड़वागिरी करने वाले लोग जिधर भी जाते हैं , उधर वे  दुसरो के हक अधिकारो को छिना झपटी करके मानवता के साथ साथ पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुँचाते हैं | क्योंकि इस प्रकार के लोगो को मानवता और पर्यावरण से कोई खास लेना देना नही रहता है | जबकि कृषि से खास जुड़ाव जिन लोगो का भी होता है , वे लोग मानवता और पर्यावरण से खास तौर पर जुड़े रहकर दोनो का ही विकाश करते हैं | जो कि गुलाम करके शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादि कभी नही कर सकते | भले वे इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके थोड़ी बहुत खुदको कृषि भी समझते हैं | और खुदको किसान का औलाद भी लिखते हैं  | लेकिन उन्हे किसान कभी कहा ही नही जा सकता | इन्हे किसान समझकर इनके हाथो में खेत सौपने का मतलब है जहर की खेती करने वालो के हाथो खेत सौपना है | क्योंकि खुद मनुवादि भी खुदको मुलता कृषि नही मानते हैं | जैसा कि ब्राह्मण बाल गंगाधर तिलक ने अपनी और अपने खास लोगो के लिए मन की बात गोरो की शासन के समय भी इस देश के मुलनिवासियो के लिए कह दिया था कि " ये लोग विधिमंडल में जाकर क्या हल चलाएंगे " | 


जाहिर है बाल गंगाधर तिलक जैसे कबिलई लोग इस कृषि प्रधान देश की सत्ता में बैठकर यहाँ के मुलनिवासियो का भला कभी कर ही नही सकते | 


खासकर जबतक कि उनके भितर भी इस देश के मुलनिवासियो की तरह कृषि के प्रति भला और सत्य न्याय सोच में मजबुती न आ जाए | जो मजबुती जिनके भी पास आ जाता है वह किसी को गुलाम बनाने के बारे में कभी सोच ही नही सकता | जैसे की इस देश और दुनियाँ के उन सभी देशो के मुलनिवासियो के पास मजबुती सैकड़ो हजारो साल पहले ही आ चूका है , जो कि आजतक कभी भी किसी देश को गुलाम नही बनाये हैं | जिस तरह की मजबुती मनुवादियो के पास अब भी विकसित नही हुआ है | जो मजबूती मनुवादियो में तबतक नही आ सकती जबतक की मनुवादि अपनी कबिलई लुटेरी सोच से पुरी तरह बाहर नही निकल जाते | जिनके मन में ही जहर मौजुद है | जिसका इस्तेमाल ये मनुवादि लोग खेत ही नही समाज को भी जहरिला करने के लिए इस्तेमाल करते आ रहे हैं | बल्कि आज यदि खेती में भी थोड़ी बहुत हानिकारक मिलावटी हो रही है , तो मनुवादियो के मन से ही फैशले लेकर जहरिली खेती हो रही है | समाज में तो ये लोग हजारो सालो से छुवाछूत का जहर फैलाते ही आ रहे हैं | 


जहर भी कई प्रकार के होते हैं | एक जहर प्राकृति को जहरिला बनाकर नुकसान करता है , तो दुसरा प्रकार का जहर परिवार समाज को जहरिला बनाकर इंसानियत को नुकसान करता है | 


ये मनुवादि दोनो प्रकार के जहरो का उद्योग अपने गंदे मन में लगाकर उसे चारो ओर घुम घुमकर स्थापित करने वाले लोग हैं | और जैसा कि इतिहास रहा है कि कबिलई मनुवादि  हजारो साल बाद भी अबतक अपनी कबिलई मांसिकता को नही छोड़ सके तो और अब कब छोड़ेंगे !  जिनके शासन को कभी भी यह नही कहा जा सकता कि इनके नेतृत्व में इस कृषि प्रधान देश में कभी बेहत्तर विकाश भी हो पाएगा | चाहे क्यों न वह कथित रामराज शासन हो , जिसको कि वे सबसे बेहत्तर अपना आदर्श शासन मानते हैं | जिस तरह के ही शासन को मनुवादि अपना आदर्श मानकर प्रजा शंभुक के साथ अन्याय अत्याचार करते आ रहे हैं | जाहिर है ये न तो प्रजा सेवा बेहत्तर कर पाते हैं , और न ही खुदकी जिवन को भी इतने महान बना पाते हैं कि बिना विवाद के रह सके | सिर्फ अपनी मुँह मिया मिठु होकर खुद ही खुदको उच्च बताकर अपनी तारिफ कर करके यह झुठ बांटते रहते हैं कि इनके शासन में दुनियाँ का सबसे बेहत्तर सेवा प्रदान किया जाता है | जैसे की कांग्रेस भाजपा शासन के बारे में भी बेहत्तर शासन का झुठ बांटा जाता है | जो झुठ बांटे बगैर ये अपनी झुठी शान को बचाकर रख भी नही सकते | जिस झुठी शान को बरकरार रखने के लिए ही तो ये हमेशा अपनी मुल लक्ष दुसरो को गुलाम बनाये रखने को लेकर रखते हैं | जिस तरह का लक्ष रखकर अन्याय अत्याचार शासन को विकाश नही बल्कि दुसरो के साथ साथ खुदका भी विनाश करने का लक्ष कहना सही होगा | क्योंकि गुलाम करने वाले लोग दुसरो के साथ साथ खुदका भी विनाश करने में ही मुल भूमिका अदा कर रहे होते हैं | हलांकि सत्य शिव को भी विनाशकारी माना जाता है , पर वे मुलता विनाश बुराई का करते हैं | क्योंकि शिव असत्य अथवा बुराई का विनाश करके सत्य अथवा अच्छाई को स्थापित करते हैं | जो शक्ती शिव ने भष्मासुर को भी दिया था , पर भष्मासुर ने उल्टे सत्य अथवा शिव का ही विनाश करने के लिए उसके पिच्छे पड़ गया था | जैसे की भाजपा कांग्रेस अपने शासन के दौरान सत्य अथवा अच्छाई का विनाश करने का मुल भुमिका अदा करते आ रही है | कांग्रेस गरिबी हटाओ का नारा देकर गरिबो को ही भुखमरी से मारकर हटाते आ रही है | जो अपनी सुटबुट झुठी शान की जिवन को बरकरार रखने के लिए गरिबो को हटाते आ रही है | जिस तरह के कुकर्मो को भाजपा शासन भी आगे बड़ा रही है | जबकि इन मनुवादियो को तो अपनी झुठी शान का विनाश करके सत्य को स्थापित करना चाहिए था | जो न होकर इनके शासन में गरिब भले क्यों न और अधिक गरिब बीपीएल होकर भोजन न मिलने से भुख से मर जाय पर इनकी सुटबुट झुठी शान में कोई भी कमी न हो इसके लिए ये धन्ना कुबेरो को विशेष छुट और कर्ज माफी देकर धनवान से और अधिक धनवान बनाते चले जाते हैं | भाजपा भी अपने चुनाव प्रचार में  कांग्रेस का शासन मर जवान मर किसान था कहकर भारी बहुमत से  सत्ता में आकर खुद भी कांग्रेस की तरह ही धन्ना कुबेरो को विशेष छुट और कर्ज माफी देकर इस देश के गरिब और किसानो का विनाश करने में लगी हुई है | वह किसान मजदूर जो की खेतो में दिन रात हल चलाकर व मजदुरी करके पुरे देश का पेट भी भरते हैं , और निर्माण कार्यो में भी मजदूरी करके अपना खुन पसिना बहाते रहते हैं | जिन्हे हर रोज कभी भुखमरी से तो कभी कर्ज वगैरा से मारने का प्लान बनना मनुवादि शासन में जारी है | जिसे मनुवादि लोग विकाश का नाम देते हैं | जबकि ये लोग भष्मासुर की तरह अच्छाई का ही विनाश करने वाले विनाशकारी लोग हैं |


दरसल इनकी सोच के मुताबिक विकाश का मतलब मुठीभर आबादी को उनकी झुठी शान को बरकरार रखने के लिए उन्हे सारी सुख सुविधा भोग विलाश प्रदान करना होता है | 


मुठीभर धन्ना कुबेरो और अपने रिस्तेदारो को उनकी झुठी शान की भुख से मरने देना नही है | भले क्यों न आजाद भारत का संविधान में सबको जीने का अधिकार मिला हुआ है , उसकी शपथ लेकर भी इस देश का गरिब मजदुर भुख से मर जाय | ये लोग बहुसंख्यक गरिब किसान मजदुर के लाशो पर अपनी झुठी शान को  बरकरार रखने की कुकर्म करते आ रहे हैं | जिस तरह का कुकर्म कांग्रेस भाजपा दोनो ही अपने शासन के दौरान करते आई हैं | क्योंकि दोनो ही पार्टी का DNA एक है | जिसका खास मन का रिस्ता के बारे में जानकारी मनुस्मृति में मौजुद है | जिस मनुस्मृति को जलाकर आजाद भारत का संविधान रचना करके उसे लागू करने के बावजुद भी इस देश को अबतक पुरी आजादी नही मिली है | क्योंकि एक गुलाम करने वाले गोरो से आजाद होकर दुसरे गुलाम करने वाले मनुवादियो के हाथ में इस देश का शासन चला गया है | और अबतक यह इतिहास दर्ज होता आ रहा है कि इस देश में जब जब भी मनुवादि शासन कायम हुआ है , तब तब भितर से मनुवादियो द्वारा अपनी मनुस्मृति सोच को ही अपना आदर्श मानते हुए बहुसंख्यक आबादी का जिवन नर्क बनाने की कोशिष बार बार किया जाता रहा है | बहुसंख्यको के हक अधिकारो को छिनकर मुठीभर लोगो की जिवन को सारी सुख सुविधा प्राप्त कराकर उनकी जिवन को मानो स्वर्ग बनाने की कोशिष किया जाता रहा है | हलांकि इन मनुवादियो को यह कभी नही भुलना चाहिए कि चाहे रोम हो या फिर यूनान के भ्रष्ट शासक जिन्होने ने भी कई देशो को गुलाम बनाकर मुठीभर आबादी को भोग विलास में डुबाए रखने के लिए बहुसंख्यक प्रजा के साथ अन्याय अत्याचार किया था , उन सभी का लुटपाट शासन का विनाश इतिहास में शर्मनाक दर्ज होता रहा है | जिसे जानकर उनकी नई पिड़ी भी जरुर शर्म महसुश करती होगी | खासकर वह पिड़ी जो अपने में आजादी सोच के अनुसार सुधार लाने की कोशिष करती रहती है | न कि वे भी शैतान सिकंदर कि तरह विश्व लुटेरा बनने की सपने अब भी देखते रहती है | क्योंकि जिस भी नई पिड़ी को अपने भितर मौजुद मनुवादि सोच में भारी बदलाव लाकर किसी को गुलाम बनाना और शोषण अत्याचार लुटपाट करना बहुत बड़ा अपराध लगता है , वे तो निश्चित तौर पर अपने लुटेरे पूर्वजो के गुलाम व छुवाछूत करने जैसे कुकर्मो को याद करके शर्म महसुश करते होंगे | जो कि स्वभाविक भी है |



पर मनुवादीयो की जो भी नई पिड़ि अपने पूर्वजो के द्वारा कायम किया हुआ छुवाछूत भेदभाव को बेहत्तर सोच बताकर अब भी अपने मन में भेदभाव का जहर को रखने का मन बना रखा है , वह तो निश्चित तौर पर आगे भी कभी नही सुधरेगी |


 बल्कि उल्टे अपने आनेवाली नई पिड़ी को भी भेदभाव का जहर देकर जाने की सोच रही होगी | जिस तरह के सोच की वजह से ही तो हजारो साल बाद भी अबतक मनुवादी द्वारा पिड़ी दर पिड़ी शोषण अत्याचार जारी है | जिससे आजादी तभी मिल सकती है , जब इस देश को जिस प्रकार गोरो से आजादी मिली उसी प्रकार मनुवादीयो से भी आजादी मिलेगी | जिससे पहले मनुवादीयो का गंदगी जारी रहेगा | क्योंकि मनुवादीयो के अंदर दुनियाँ का ऐसा छुवाछूत भेदभाव गंदगी भरा पड़ा है , जिससे कोई भी आजाद देश अपने परिवार समाज में देखना कभी नही चाहेगा | और न कभी अपने देश में मनुस्मृति लागू करना चाहेगा | मनुस्मृति लागू करके रामराज कायम करना तो ये मनुवादी लोग दिन रात सोचते रहते हैं | जो की अब कभी भी उस तरह से लागू नही हो सकता जैसे की कभी लागू करके इस देश के मुलनिवासियो को शूद्र घोषित करके उनके लिए शिक्षा और शासन दोनो पर रोक लगाया गया था | अब तो भले क्यों न यह देश अब भी मनुवादीयो से पुरी तरह आजाद नही है पर फिर भी इस देश के मुलनिवासि मंत्री प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी बन सकते हैं , और शिक्षित ही नही बल्कि उच्च शिक्षा भी ले सकते हैं | जिसे मनुवादी नही रोक सकते | बल्कि पुरी आजादी को भी नही रोक सकते | जिसदिन पुरी आजादी का समय आएगा उसदिन मनुवादी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो से बेदखल हो जाएगा | उसके बाद न तो गोदी मीडिया पैदा होगी और न ही देश में इतने भ्रष्टाचार कायम रहेगा | यह सब कायम इसलिए है , क्योंकि मनुवादी शासन कायम है | जिसे खरपतवार की तरह उखाड़ फैकना चाहिए |

There are two types of slaves



 गुलाम दो प्रकार के होते हैं 

freedom


इतिहास रहा है कि गुलाम बनाने वाले चाहे गोरे हो या फिर मनुवादि दोनो ही अपने खास गुलामो की अँधभक्ती टोली तैयार करके शासन करते रहे हैं | गुलाम करने वाले इस कृषि प्रधान देश को गुलाम करने के बाद ऐसे अँधभक्तो की टोली अपनी सत्ता ठीक ढंग से कायम रखने के लिए बनाते रहे हैं | अथवा गुलाम भी दो प्रकार के होते हैं , एक गुलाम आजादी के लिए संघर्ष कर रहा होता है , और दुसरा गुलाम अपने गुलाम करने वाले आका की अँधभक्ती कर रहा होता है | जिस अँधभक्ती करने वाले खास गुलाम को घर का भेदि भी कहा जा सकता है | जिस तरह का खास गुलाम ये गुलाम करने वाले लोग इसलिए भी तैयार करते हैं , ताकि अपने से भी अधिक ताकतवर को उसी की ही ताकत से गुलाम बनाकर सत्ता सुख बेफिक्र होकर भोग सके | क्योंकि खास गुलामो में वे गुलाम भी आते हैं जो की असल गुलामो के परिवार में ही जन्मे होते हैं | जिनका परिवार आजादी के लिए संघर्ष कर रहा होता है तो ये घर के भेदि गुलाम बनाने वालो का अँधभक्ती करने में लगे रहते हैं | आजादी के लिए संघर्ष कर रहे परिवार में भी जन्म लेकर उनके भितर आजादी के लिए संघर्ष भावना मानो मर चुकि होती है | जिसके चलते वे अँधभक्ती में यह भी नही समझ बुझ पाते कि गुलामी की वजह से ही तो आजाद भारत का संविधान लागू होते हुए भी अपने गुलाम परिवार रिस्तेदारो की हालत गरिबी भुखमरी हालत में हर रोज दो वक्त का खाना के लिए भी संघर्ष कर रहे होते हैं | 


वह भी उस देश में जहाँ पर गुलाम करने वाले कई विदेशी कबिलई लुटेरे टोली सैकड़ो हजारो सालो तक भरपेट खा खाकर पले बड़े हैं |


 जो भले दुसरो के हक अधिकारो को अति खा खाकर पेट फटने से मरे हो पर उनकी मौत इस कृषि प्रधान देश में आकर सायद ही भुखमरी से हुई हो | और न ही भुखमरी से मौत इन गुलाम करने वालो की खास गुलामो की भी होती है | क्योंकि उनके उपर भी ये गुलाम करने वाले खास ध्यान रखकर उन्हे भी छप्पन भोग खाने की थाली और खास भोग विलाश गरिबी भुखमरी जैसे बुरे हालात में भी उपलब्ध कराते रहते हैं | जिन खास गुलामो की मदत से ही तो ये गुलाम करने वाले मनुवादि जैसे लोग अपने गुलामो का सारा भेद जानकर बेफिक्र होकर सत्ता सुख भोग रहे होते हैं | क्योंकि उनको पता होता है कि उनके द्वारा ब्रेनवाश किए हुए खास गुलाम भेदि आजादी के लिए संघर्ष कर रहे गुलामो के बिच जाकर सारा भेद और वोट भी ला लाकर गुलामी सत्ता कायम रखने में खास मदत करते रहते हैं | बल्कि अब तो इस कृषि प्रधान देश में कबिलई मनुवादियो की सत्ता आधुनिक डीजिटल अपडेट हो गयी है |


 मनुवादियो के उपर अब तो सत्ता प्राप्त करने के लिए चुनाव मशिनो को भी अपना खास गुलाम बनाने का आरोप लग रहा है |


 पहले तो ये मनुवादि सत्ता प्राप्त करने के लिए सिर्फ इंसानो को ही अपना खास गुलाम बनाते थे | और गुलाम बनाकर अपने खास गुलामो की मदत से आजादी के लिए संघर्ष कर रहे गुलामो को शूद्र घोषित करके छुवाछूत भेदभाव करते थे | अब तो यदि चुनाव मशीन गड़बड़ घोटाला आरोप सही साबित हुआ तो वे अब चुनाव मशीनो को भी अपना गुलाम बनाकर उससे भी अपनी खास सेवा करा रहे हैं | खास गुलाम अँधभक्तो की टोली से तो वे अपनी खास सेवा बहुत पहले से करा ही रहे हैं | जो चुनाव आते ही कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस की अँधभक्ती करते हुए ऐसे उछल कुद करने लगते हैं , मानो उनका वजुद ही कांग्रेस भाजपा सरकार पर निर्भर है | यही दोनो में ही कोई एक पार्टी की सरकार बनेगी तभी सरकार का कोई मतलब होगा | जिन दोनो ही पार्टियो की सरकार को कायम रहने देने के लिए वे कुछ भी अँधभक्ती भाजपा कांग्रेस के नाम से मंत्र जपते हुए दिन रात सोच विचार करते रहते हैं | भले क्यों न इनके भारी अँधभक्ती सरकार चुने जाने के बाद सड़को पर इनकी निकमी सरकार के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन होता रहा है | सरकार चुने जाने के बाद अपने कार्यकाल में भारी विरोध का सामना लगातार दोनो ही पार्टी करती आ रही है ! कांग्रेस के खिलाफ भी कभी जेपी आंदोलन अन्ना आंदोलन और रामदेव आंदोलन के रुप में भारी भीड़ मुहिम चलाती रही है | तो वर्तमान में मौजुद भाजपा के खिलाफ भी भारी भिड़ सड़को पर हर वक्त लगी रहती है | हलांकि इन भिड़ो में भी कांग्रेस भाजपा के खास गुलाम अँधभक्त जरुर रहे हैं | जो कि भेड़ चाल लिए कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा का अँधभक्ती करते रहे हैं | क्योंकि मनुवादियो ने इनका इतना अधिक ब्रेनवाश किया है कि ये चाहे जितना उच्च ज्ञान का डिग्री हासिल कर लें इन्हे कभी भी यह समझ में नही आनेवाला है कि कांग्रेस भाजपा दोनो ही पार्टी मनुवादियो की वह पार्टी है , जिसका मूल मकसद इस देश को गुलाम बनाए रखना है | जिस बात को नही समझने वाले चाहे क्यों न कोई शोषित पिड़ित परिवार में ही पैदा हुआ हो , वह चुनाव आते ही भाजपा या फिर कांग्रेस सरकार वापस लाने के लिए भांग खाये बंदर की तरह ऐसे उछल कूद करते रहते हैं , जैसे मानो कांग्रेस भाजपा को तो कभी देश की सरकार चलाने का मौका ही नही मिला है | 


जबकि यदि चुनाव एक विवाह की तरह माना जाता तो ये भाजपा कांग्रेस कई बार विवाह करके अबतक भी गरिबी भुखमरी बेरोजगारी जैसे मुल समस्या का समाधान जैसे अच्छे दिन को जन्म ही नही दे पाए हैं | 

यानि ये वैवाहिक जिवन तो कई बार सरकार बनाकर जी रहे हैं , पर मानो किसी बांझ या नपुंशक की तरह माता पिता ही नही बन पा रहे हैं | जिन्हे एक मौका और मिलना चाहिए कहकर इन्हे पुरी जवानी वोट करने वाले बहुत बड़े अँधभक्त लोग हैं | बावजुद इसके की अगर इन अँधभक्तो के भितर यदि जरा सा भी ब्रेनवाश होने की प्रक्रिया बाकि है तो ये मनुवादि पार्टी कांग्रेस भाजपा के लिए उछल कुद करना बंद करके इन दोनो ही पार्टियो पर लगे बड़े बड़े भ्रष्टाचार का आरोपो को बिना भेदभाव के जाँच कराने का अवसर आजादी के लिए संघर्ष कर रहे शोषित पिड़ितो की पार्टी को बहुमत सरकार चुनकर दें | कांग्रेस भाजपा की अँधभक्ती करना बंद करें | क्योंकि भाजपा कांग्रेस की अँधभक्ती करने वाले उस बिल्ली की भी खास भूमिका अदा करते आ रहे हैं जो कि खुदको बहुत चतुर समझकर हाथ में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नाम से तराजू लिए एक पलड़ा कांग्रेस की अँधभक्ती और दुसरा पलड़ा भाजपा की अँधभक्ती करते हुए सिर्फ दो दिशाओ में ही वोट की हवा बहाते रहते हैं | जो हवा बहाने वाले अँधभक्त मीडिया का इस्तेमाल सबसे अधिक करते हैं | बजाय इसके की इस देश में मौजुद बुरे हालात को देखते हुए मीडिया में भी उन पार्टियो की भारी बहुमत की सरकार बनाने की हवा बहनी चाहिए थी जो की सरकार बनाने के लिए अबतक तो सिर्फ कतार में ही लगी हुई है | जिन्हे सायद मनुवादि शूद्र पार्टी समझकर सरकार बनाने देना नही चाहती है |


 मानो देश में अपनी भारी बहुमत की सरकार बनाने के लिए इन्हे रोका जा रहा है यह लिखकर कि इस देश में शूद्र पार्टी की सरकार बनाना मना है | जिन पार्टियो को मनुवादि अपनी सत्ता का गलत उपयोग करके रोक लगाई हुई है यह भी नामुमकिन नही है | खासकर यह जानते हुए कि आजतक भी मनुवादि लोग बहुत से जगहो में यह लिखते हैं कि अंदर शूद्र का प्रवेश मना है | जिन सब बातो को जानते हुए भी आखिर यदि घर के भेदियो को जो कि मनुवादियो की खास ताकत बने हुए हैं , उनके भितर जरा सा भी मनुवादियो द्वारा ब्रेनवाश होना अब भी बाकि है तो अबतक भी कोई कांग्रेस भाजपा की अँधभक्ती क्यों कर रहा है | मनुवादि तो खैर अपनी सत्ता बचाने के लिए अपने उन पूर्वजो की अँधभक्ती करते हैं , जिनकी वजह से खुदको वे बचपन से ही गर्व से ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य कहते हुए सिना चौड़ा करते हैं | और बाकियो को वे शूद्र अथवा निच समझकर भेदभाव करते हैं | चाहे क्यों न वे राष्ट्रपति ही बन जाए | क्योंकि यह देश अब भी मनुवादियो से पुरी तरह आजाद नही है |

Manuwadi DNA is present in both BJP and Congress.

 


मनुवादी डीएनए बीजेपी और कांग्रेस दोनों में मौजूद है

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वर्तमान में सरकार चला रही चाहे भाजपा हो या फिर इससे पहले पचास साठ सालो तक सत्ता में बैठी कांग्रेस , इन दोनो ही पार्टी की सरकार बनने पर कबिलई मनुवादियो की खास दबदबा रही है | इसलिए इन दोनो ही पार्टी की सरकार इस कृषि प्रधान देश और मुलनिवासियो के साथ मुलता अन्याय अत्याचार ही करते आ रही है | जो आगे भी करती रहेगी जबतक कि इस देश में मनुवादियो की सत्ता इसी तरह कायम रहेगी | जो मनुवादि सत्ता हाथ से जाने के बाद मनुवादि खुदको उच्च कहकर छुवाछूत करने की काबिल ही नही रहेंगे | जैसे कि गोरो की हाथो से इस देश की सत्ता जाने के बाद अब वे इस देश को गुलाम बनाए रखने की काबलियत को खो दिया है | क्योंकि उन्हे किसी को गुलाम बनाने से कहीं बेहत्तर सोच इंसानियत कायम करने की काबलियत का विकास करना लगने लगा है | जो की उन सभी इंसानो को लगता है जो की किसी को गुलाम बनाना इंसानियत को बहुत बड़ा नुकसान मानते हैं | क्योंकि उन्हे पता है कि जब भी किसी को गुलाम बनाकर उसका शोषण अत्याचार होता है तो इंसानियत को बहुत बड़ा नुकसान होता है | जिसके चलते पुरी दुनियाँ में इंसानियत कायम करने के लिए शोषण अत्याचार करने वालो के खिलाफ कारवाई होती है | पर अफसोस किसी एक इंसान का शोषण अत्याचार होता है तो उसके साथ शोषण अत्याचार करने वाले के साथ कारवाई तो होती है पर इतना बड़ा देश को गुलाम बनाने वाले मनुवादियो के खिलाफ अबतक कोई भी खास कारवाई नही हो रही है | इस देश के मुलनिवासि गुलाम तो आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं | जो पुरी तरह से आजादी पाए बगैर मनुवादियो के खिलाफ कोई बड़ी कारवाई नही कर सकते बावजुद इसके कि वे मनुवादियो से आजाद होने के लिए कड़ी संघर्ष निरंतर करता रहे | कभी तो मनुवादियो से पुरी आजादी मिलेगी | उसके बाद इस देश के मुलनिवासि गुलाम बनाने वाले मनुवादियो के खिलाफ कारवाई ही नही बल्कि दुनियाँ के जो भी देश में अब भी गुलामी कायम है , उस देश को गुलाम करने वालो के खिलाफ भी इंसानियत के नाते अपनी तरफ से विशेष कारवाई करने के लिए सक्षम हो जाएंगे पुरी आजादी मिलने के बाद |


जैसे कि आजाद भारत का संविधान लागू होने के बाद भी भले क्यों न यह देश आज भी मनुवादियो से गुलाम है लेकिन भी जब इस देश के मुलनिवासि कोई उच्च संवैधानिक पदो में बैठ जाते हैं तो उनके साथ छुवाछूत करने की काबलियत विरले ही मनुवादि दिखा पाते हैं | और जो थोड़े बहुत दिखला पाते हैं भी तो उन्हे इसके लिए भारी हिम्मत जुटानी पड़ती है | जो कि वे किसी गरिब शोषित पिड़ित को गुलाम बनाकर आसानी से छुवाछूत कर पाते हैं | जैसे कि गोरे भी आसानी से भेदभाव तब कर पाते थे जब वे कई देशो को गुलाम बनाकर बहुसंख्यक आबादी को गरिब शोषित पिड़ित किए हुए थे | क्योंकि गरिब शोषित पिड़ित गुलाम बनने के बाद ज्यादेतर इंसानो के पास खाने के लिए भरपेट भोजन तक नसीब नही हो पाता है तो कोई गुलाम भुखा रहकर गुलाम बनाने वाले उन लोगो का विरोध कैसे प्रभावी तरिके से कर पाएंगे जिनके पास पुरे देश की सत्ता पावर होती है | यही वजह है कि कोई भी गुलामी के बाद आजादी मिलने में कम से कम सौ साल का समय जरुर लग जाता है | क्योंकि इतने समय में एक पिड़ी अपनी जान की बाजी लगाकर अपने नई पिड़ि को इतना तो आर्थिक रुप से मजबूत जरुर कर देता है कि उसकी नई पिड़ी यदि बाद में भुखा भी रहता है तो भी वह गुलामी के खिलाफ आजादी के लिए संघर्ष करना सुरु कर देता है | जैसे की इस समय की नई पिड़ी में खासकर जिन लोगो के जिवन में गरिबी भुखमरी नही हैं या फिर जिनके पास थोड़ी बहुत पहूँच मौजुद है , वे लोग मनुवादियो के द्वारा किए जा रहे शोषण अत्याचार का भी शिकार कम हो रहे हैं , और आजादी के लिए संघर्ष करने में भी ज्यादे समय देने में सक्षम हैं | 


हलांकि चूँकि वे लोग भी गुलाम ही हैं जो कि आजादी के लिए सबसे मजबुती से संघर्ष कर रहे हैं | इसलिए उन्हे भी भुख गरिबी बेरोजगारी देकर ये मनुवादि सरकार उसके बाप दादाओ की तरह जी हुजूरी कराने के लिए सारे पैतरे अजमा रहे हैं | क्योंकि मनुवादि गरिब शोषित पिड़ितो के साथ साथ जो मुलनिवासि थोड़ा बहुत अमिर हो भी गया है उसे भी अलग अलग पैतरा अजमाकर शारिरिक और मांशिक और आर्थिक तौर पर कमजोर करने में लगा हुआ है | लेकिन यदि आजादी का सही समय आ गया है , जो की कभी न कभी तो आएगा ही , क्योंकि जिस देश में सूर्य हर रोज उगता हो वहाँ पर जिस तरह हर अँधेरा के बाद कभी न कभी सवेरा जरुर होता है , उसी तरह जिस देश में कभी पुरी आजादी कायम रहा है , उस देश में गुलामी के बाद आजादी का समय कभी न कभी तो जरुर आता है | जो समय इस देश के लिए यदि इस 21वीं सदी में आ गया है तो फिर अब मनुवादियो का सिंघासन डोलना सुरु  हो गया है | जो बहुत जल्द मनुवादियो की सत्ता उखड़ने के बाद हमेशा हमेशा के लिए मनुवादियो की सत्ता इस देश से चली जाएगी | क्योंकि कोई भी आजाद नागरिक किसी गुलाम बनाने वाले को फिर से अपना सेवक कभी भी नही बनाना चाहता है | कम से कम तबतक तो कभी भी नही बनाना नही चाहता है जबतक की वह फिर से किसी का गुलाम न हो जाए | और चूँकि अब पूरे विश्व में इतना तो आजादी के प्रति जागरुकता जरुर आ गयी है की कोई भी देश कम से कम अब खुलेआम अथवा प्रत्यक्ष रुप से तो अब पुरी तरह से गुलाम नही है | क्योंकि कोई देश को अब डायरेक्ट कोई कबिलई लुटेरा घोड़े पर सवार होकर शैतान सिकंदर की तरह गुलाम कभी भी नही बना सकता | ऐसा किया तो आजादी पसंद दुनियाँ के सभी देश उसे मानो पिछवाड़े में बांस करना सुरु कर देंगे | पहले तो सभी खुद ही गुलामी से आजादी पाने के लिए संघर्ष करते रहते थे | जो अब यदि करते भी होंगे तो वे आधा तो जरुर आजाद हो गए हैं | जैसे कि इस देश के मुलनिवासि आज के समय में आधा तो जरुर आजाद हैं | जबकि कभी पुरा गुलाम हुआ करते थे मनुवादियो का  | अभी तो वे पढ़ाई करके मनुवादियो से अधिक उच्च डिग्री भी ले सकते हैं , जैसा कि कई मुलनिवासि लिए भी हैं | और सत्ता में मंत्री वगैरा भी बनते हैं | उच्च अधिकारी से लेकर उद्योग और सेना का भी उच्च पदो में बैठते हैं | भले आजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी गुलाम बनाने वाले मनुवादियो की सत्ता अब भी कायम होने की वजह से भेदभाव बहाली करके लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो का ही भारी दबदबा अब भी कायम है | पर फिर भी मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो को अब ये लोग निच हैं , इन्हे शिक्षित नही होना चाहिए , इन्हे मंत्री और उच्च अधिकारी वगैरा नही बनना चाहिए , जैसे भारी भेदभाव सपने अब मनुवादियो के कभी भी पुरे नही होने वाले हैं | जैसे कि कभी मनुवादियो के पूर्वज इस देश के मुलनिवासियो को पुरी तरह से गुलाम बनाकर उन्हे कभी भी ज्ञानी न होने देने और न ही अमिर होने देने का सपना साकार सत्ता में बैठकर मनुस्मृति लागू करके करते थे | जो मनुस्मृति अब पुरी तरह से कभी भी लागू नही हो सकता | क्योंकि अब सबको पता है कि मनुस्मृति किसी को गुलाम बनाने के बाद गुलाम सत्ता में लागू किया जाने वाला ग्रंथ है | जिसका लागू होने का मतलब है गुलाम बनाने वाला शासक पिड़ि दर पिड़ी सत्ता सुख भोगने का संवैधानिक अधिकार लागू करता है | और गुलाम प्रजा संवैधानिक रुप से सिर्फ गुलामी करेगा जो कि उसका प्रमुख कार्य रहेगा | जैसा कि मनुस्मृति में बतलाया गया है कि शूद्र कभी भी शासक या अमिर व शिक्षित नही बन सकता | जिस तरह के मनुस्मृति को अंबेडकर द्वारा जलाकर ही तो आजाद भारत का संविधान रचना किया गया है | जो मनुस्मृति यदि पुरी दुनियाँ में रामराज कायम करने के लिए आज लागू हो जाय तो मनुवादि छोड़कर पुरी दुनियाँ के बाकि लोग शूद्र घोषित कर दिए जाएंगे | और मनुवादि खुदको उच्च घोषित करके पुरी दुनियाँ की सत्ता अपने कब्जे में कर लेगा | जिसके बाद यदि कोई भी गुलाम शिक्षित होगा तो उसकी भी हालत उसी तरह से कर दी जाएगी जैसे की राजा राम के हाथो शंभूक का हुआ था | 


हलांकि शोषित पिड़ित शंभूक के साथ राजा राम जो अन्याय किया उसके बाद भगवान ने राजा राम को भी अपनी तरफ से न्याय करके सजा दिया | जिसके चलते राजा राम भी अपने ही रामराज में न तो अपने बीवी बच्चो को सुखी देख पाया और न ही खुदको और अपने भाई लक्ष्मण समेत बाकि करिबियो को भी सुखी देख पाया | रानी सीता तो अपने पति के ही रामराज में इतनी दुःखी हुई की वह जिते जी रोते बिलखते धरती में समा गई | बल्कि राम भी अपने परिवार रिस्तेदार और प्रजा को छोड़कर जीते जी सरयू नदी में डुबकर आत्महत्या कर लिया | यह सब दुःखभरी रामलीला नही होता यदि राम ने शंभूक और सीता लव कुश बल्कि लंका की निर्दोश प्रजा के साथ भी अन्याय नही करता | खैर पहले जो हो गया सो हो गया पर अब भी रामराज लाना है कहकर बहुत से लोग उसी रामराज को दोहराना चाहते हैं , जिसमे प्रजा शंभूक के साथ तो अन्याय होता ही है ,पर राजा रानी भी दुःखी होकर आत्महत्या कर लेते हैं | 


बजाय इसके की मनुवादियो की नई पिड़ि को अपनी गलती को स्वीकार करने के बाद उसमे सुधार करते हुए आगे बड़ना चाहिए था 


लेकिन गोरो की सत्ता जाने के बाद इस देश में जिस तरह की सत्ता मनुवादियो की फिर से आई है , उनकी भी हालत राम सीता की तरह होनेवाली है | खासकर यदि वे इस देश के मुलनिवासियो के साथ भारी भेदभाव करते हुए अन्याय अत्याचार करते रहेंगे | क्योंकि गुलामी के समय शोषित पिड़ितो का यदि कोई नही होता न्याय करने वाला तो उसके साथ भगवान होता है | जो असल भगवान सभी के लिए एक होता है | जो खुदको भगवान कहने वालो को भी सजा देता है | खुदको सबसे विद्वान और बलवान समझने वाले आधुनिक शाईनिंग डीजिटल अपडेट करने वालो को भी भगवान सजा देने के लिए उचित समय का इंतजार कर रहा होगा | जिसके बाद वे न घर के रहेंगे और न ही घाट के | क्योंकि जिन्हे वे गुलाम बनाकर ऐसी हालत में रखे हुए हैं , उनके साथ तो भगवान न्याय करेगा | पर मनुवादियो के साथ कौन न्याय करेगा जब भगवान ही उन्हे सजा देंगे ! क्या वे खुदको भगवान समझकर विशेष कोर्ट कचहरी बनाकर उससे भी लड़ाई करेंगे हमे सजा क्यों दिया जाय सवाल जवाब करते हुए ? क्योंकि भगवान कि पूजा इस देश के मुलनिवासि प्रकृति पूजा के रुप में भी करते हैं , जिसके सामने मनुवादियो की सारी बुद्धी बल तब तुच्छ साबित हो जाएगी जब भगवान उन्हे सजा देंगे | जो कि मनुवादि और उनके पूर्वजो को भी देते आ रहे हैं | जिसे मनुवादि स्वीकार करके अपनी गलती को स्वीकार करके उसे दुबारा न करने की कस्मे खाए न कि अपने पापो को अपडेट करके फिर से खुदको सजा पाने के लिए भी अपडेट करते रहे |


 क्योंकि यदि उन्हे अपने पूर्वज भगवान के अलावे किसी दुसरे भगवान में विश्वास नही है तो कम से कम उस भगवान में तो उन्हे जरुर विश्वास है जिसकी पूजा इस देश में प्रकृति के रुप में भी होती है ! 


जो प्रकृति उन्हे बुढ़ा करके एकदिन मार डालेगी इसपर भी उन्हे विश्वास नही है क्या ? और यदि विश्वास नही है तो खुदको जंगल का राजा कहकर अपनी प्रजा का ही शिकार खुनी पंजो से करके खुंखार जबड़ो के जरिये अपने पेट में सुरक्षा करने वाले का बुढ़ापे में किस तरह की सजा प्रकृति भगवान उसे तड़पा तड़पाकर देती है , कभी फुरसत मिलेगी तो google सर्च मारकर पता कर लेना | गुलाम तो गुलाम करने वालो की वजह से गरिबी भुखमरी जैसे बुरे हालात का सामना करते हुए भुख से तड़पते हुए गुलामी मौत हर रोज मर रहा होता है , पर गुलाम करने वाले भी कभी न कभी तो दर्दनाक मौत प्रकृति भगवान के द्वारा न्याय करने के बाद जरुर मरते हैं | गुलाम तो मानो संघर्ष करते हुए शहिद की मौत मरता है , पर गुलाम करने वाले तो गुलामो की नजर में बुजदिली की मौत मारे जाते हैं | जिनके द्वारा गुलाम किए जाने के बाद गुलाम काल में हुई उनकी मौत को शहिद का दर्जा सायद ही कोई गुलाम आजाद होने के बाद देगा या देना चाहेगा | 


बल्कि मेरा तो वश चले तो गुलाम करने वालो की हाथो में जबतक सत्ता रहेगी तबतक का समय काल में इकठा हुई उनकी सारी पहचान१र इतिहास को जो चाहे ऑडियो विडियो या तस्वीर मूर्ति वगैरा ही क्यों न हो सभी को पुरी आजादी मिलने के बाद विशेष नियम कानून बनाकर हमेशा हमेशा के लिए डिलीट अथवा मिटा देना चाहिए | बल्कि उनके द्वारा निर्माण किए गए सारे निर्माणो को भी मिटा देनी चाहिए |


साथ ही पुरी दुनियाँ से विशेष समझौता करके दुनियाँ के जिन जिन देशो में भी गुलाम करने वालो का यह सब सामग्री मौजुद रहेगा उसे हासिल करके उसे भी डीलिट कर देना चाहिए | क्योंकि चोर लुटेरे जिसने कि जिसके घर को लुटा हो वह पिड़ित उसकी तस्वीर भी अपने घर में कभी नही रखना चाहता है | तो फिर ये गुलाम करने वाले तो चोर लुटेरे डाकुओ से भी कई हजार लाख गुणा ज्यादे चोट देने वाले लोग होते हैं | जो किसी का घर ही नही बल्कि पुरा का पुरा देश को ही गुलाम बनाकर लुटते हैं | जिनकी तस्वीर विडीयो मूर्ति और ऑडियो वगैरा तो पुरी दुनियाँ से ही हमेशा हमेशा के लिए डीलिट कर देना चाहिए | जिन्हे रखना मानो गुलाम बनाने वालो की झुठी शान को इतिहास में बरकरार रखना है | जो कभी नही होना चाहिए , क्योंकि गुलाम करने वाले इतिहास में अन्याय अत्याचार लुटपाट करके शान करे और गुलाम होने वाले अन्याय अत्याचार सहकर आजादी संघर्ष करते हुए आजादी पाने के बाद भी इनकी झुठी शान की इतिहास को अपने घर में रखकर उसे देख सुन पढ़कर हिन भावना महसुश करता रहे कि इन लोगो ने हमे कभी गुलाम बनाया था | जिस तरह का वर्तमान कभी भी नही कायम होना चाहिए | बल्कि पुरी आजादी मिलने के बाद गुलाम करने वालो की तस्वीर ऑडियो विडियो मूर्ति वगैरा को हमेशा हमेशा के लिए डिलिट मारकर नया वर्तमान की तस्वीर ऐसी होनी चाहिए जिसमे की गुलाम करने वालो की मानो कोई भी मौजुदगी न हो | और मौजुदगी सिर्फ उन्ही लोगो का हो जो कि किसी को गुलाम न किए हो या किसी को गुलाम न करते हो | जैसे कि हमे मनुवादियो के उन पूर्वजो का भी तस्वीर मूर्ति वगैरा नही रखनी चाहिए जिन्होने गुलाम बनाकर जीभ और अँगुठा वगैरा काटा है | जिस विचार से जो भी आजाद नागरिक सहमत नही होगा तो समझो उसे फिर से किसी को गुलाम होने देने के लिए सहमति अप्रत्यक्ष तौर पर है | इसलिए उसे गुलाम करने वालो की तस्वीर ऑडियो विडियो मूर्ति वगैरा रखे रहने पर कोई विरोध नही है | जो किसलिए है यह अगले पोस्ट में बतलाने की कोशिष करुँगा |

freedom,अपना धर्म या अपना देश बदलने से आजादी नही मिलती


 अपना धर्म या अपना देश बदलने से आजादी नही मिलती



सबसे पहले तो मैं अपने बारे में यह बता दूं की मनुवादियो को वोट करने वालो को मैं आजादी के लिए संघर्ष कर रहा वीर नायक नही मानता | और मनुवादियो से आजादी पाने के लिए जो लोग भी मनुवादियो को वोट न करके मनुवादियो से आजादी पाने के लिए अपने क्षमता अनुसार योगदान देकर जिस हालत में भी जिवन संघर्ष कर रहे हैं , वे चाहे कितना ही गरिब या अमिर हो उन्हे मैं आजादी का वीर नायक मानता हूँ | क्योंकि मुझे पता है कि इस कृषि प्रधान देश को गुलाम बनाने वाले कबिलई मनुवादि इस देश और इस देश के मुलनिवासियो का बेहत्तर भला कभी कर ही नही सकते | क्योंकि यदि गुलामी से किसी का सबसे बेहत्तर भला होता तो कोई भी गुलाम देश कभी भी आजाद होना नही चाहता | और जैसा कि हमे पता है कि यह देश सिर्फ गोरो से ही गुलाम नही हुआ है , बल्कि मनुवादियो से भी गुलाम हुआ है | गोरो से जब यह देश गुलाम था तो गोरो से आजादी मिलने से पहले इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियो के बारे में ब्राह्मण बाल गंगाधर तिलक ने अपनी मनुवादि मांसिकता का इजहार करते हुए कहा था कि ये लोग विधिमंडल में जाकर क्या हल चलाएंगे ? जिसका प्रयोगिक नतीजा आजाद भारत का संविधान लागू होने के इतने दशक बित जाने के बाद सामने है कि गोरो से आजादी मिलने के बाद लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो ने किस तरह भेदभाव दबदबा बना रखा है | जिनकी भेदभाव सोच से जाहिर हो जाता है कि कबिलई मनुवादि इस कृषि प्रधान देश का भला कभी कर ही नही सकते | भले ही क्यों न वे खुदको गोरो से आजादी मिलते ही सत्ता पर बैठकर बार बार यह कहते रहते हो कि वे इस देश का आधुनिक विकाश , डीजिटल विकाश कर रहे हैं | 


क्योंकि हमे यह बात कभी नही भुलना चाहिए की मनुवादी इस देश को गुलाम बनाकर शासन कर रहे हैं | और मनुवादीयो की गुलाम शासन में इस देश के गुलामो का बेहत्तर भला होगा यह सोचना बहुत बड़ी मुर्खता है | और जो गुलाम लोग मनुवादियो को अपनी वोट से सरकार चुन रहे हैं , वे खुदको आजादी संघर्ष इतिहास में बहुत बड़ा मुर्ख दर्ज कर रहे हैं | क्योंकि गुलाम बनाने वाला मनुवादि अपने गुलामो का बेहत्तर भला कभी नही कर सकता | और न ही वे इस देश के मुलनिवासियो के साथ बेहत्तर न्याय कर सकते हैं | क्योंकि कोई अपने मन से भला करना चाहेगा तब तो करेगा ! और वह भी वे मनुवादि जिसके मन में सेवा नही भेदभाव का गंदगी हजारो सालो से भरा पड़ा हो | जिसके पास शोषण अत्याचार जैसे बड़े अपराध करने का हजारो सालो का अनुभव रहा है | जिस अनुभव को अपडेट करने का पिड़ि दर पिड़ि इनका इतिहास भी रहा है | तभी तो उच्च निच भेदभाव जैसे बड़े अपराध हजारो साल बाद अबतक भी बरकरार है  | जितना लंबा समय का अनुभव गोरो के पास भी नही था , जब वे इस देश को गुलाम बनाकर शोषण अत्याचार जैसे बड़े अपराध कर रहे थे | जो अब सायद ही किसी गेट में यह लिखते होंगे कि अंदर कुत्तो और भारतीयो का प्रवेश मना है | जो कि इस देश को गुलाम करके गेट में लिखते थे कि अंदर कुत्तो और भारतीयो का प्रवेश मना है | जिन गोरो से आजादी मिलते ही इस देश में वापस उन मनुवादियो की सत्ता स्थापित हो गया है , जिनके पूर्वज कभी मनुस्मृति लागू करके इस देश के मुलनिवासियो को शूद्र घोषित करके गेट में लिखते थे कि अंदर निच अथवा शूद्र का प्रवेश मना है | जो गंदी भेदभाव सोच अब भी मनुवादियो के अंदर मौजुद है | भले क्यों न मनुवादि कितना ही सुबह शाम कोई भी साबुन शैंपु से नहाता हो या हर समय नहा धोकर  नया नया किमती कपड़ा वगैरा बदलता हो , पर आज भी उसके भितर भेदभाव गंदगी का अंबार लगा हुआ है | जो की किसी सड़ी गली बेकार पड़ा कुड़ा कचड़ा गंदगी से भी ज्यादे खतरनाक होता है | क्योंकि कुड़ा कचड़ा गंदगी से होनेवाली बिमारी का तो इलाज संभव है , पर मनुवादियो के भितर मन में मौजुद गंदगी से होनेवाली छुवाछूत बिमारी का इलाज संभव नही है | जिससे सिर्फ दुरी बनाया जा सकता है | जिसके लिए सबसे पहले जरुरी है मनुवादियो से खुदको आजाद करना | तब जाकर मनुवादियो के भितर मौजुद गंदगी से होनेवाली छुवाछूत जैसे बिमारी से हमेशा के लिए दुर रहा जा सकता है | जैसे की गोरो से आजादी पाने के बाद गोरो से होनेवाली गुलामी बिमारी से हमेशा के लिए दुरी बन गया है | जो दुरी बिना आजादी पाए बिल्कुल मुमकिन नही था | चाहे इसके लिए कितना ही बुद्धी बल का प्रमाण पत्र इकठा कर लिया जाय या फिर कितनी ही बार अपना धर्म बदल लिया जाय  | बल्कि क्यों न इस देश में गुलामी कायम है यह सोचकर अपना देश ही बदलकर किसी आजाद देश में चले जाए , गुलामी वहाँ भी पिछा नही छोड़ेगा यदि गुलाम करने वाले की पहुँच वहाँ भी मौजुद है | और आज के समय में ही यदि देखा जाय तो मनुवादियो की पहूँच दुनियाँ के किस देश में नही है ! वे सभी जगह मौजुद हैं | विकसित देशो में तो मनुवादियो की दिलचस्पी ज्यादे रहती है | और फिर इस देश को पुरी आजादी मिले बगैर चाहे इस देश के मुलनिवासि जिस धर्म में रहे या फिर जिस देश में रहे , वह मनुवादियो की छुवाछूत बिमारी से पुरी तरह कभी भी आजाद नही है | क्योंकि मनुवादि अपने गुलामो से छुवाछूत करते हैं | और अपना गुलाम वे इस देश के मुलनिवासियो को मानते हैं , चाहे वे जिस धर्म को मानते हो या फिर जिस देश में रहते हो | मनुवादियो के लिए इस देश का सभी मुलनिवासि तबतक गुलाम ही है , जबतक कि यह देश मनुवादियो से पुरी तरह आजाद नही हो जाता | और जैसा कि बतलाया कि आजादी देश या अपना धर्म बदलने से नही मिलती है | मिलती तो गोरो से जो लोग भी गुलाम बनाए गए थे वे सभी अपनी आजादी पाने के लिए अपना धर्म ही क्यों नही बदल डालते | 


धर्म बदलने या देश बदलने से आजादी नही मिलती 


और जो लोग यह प्रचार प्रसार करते हैं की मनुवादियो से आजादी पाना है तो अपना मनुवादी धर्म बदलो वे दरसल भ्रम फैलाकर धर्म बदलवाने के लिए अपने धर्म की दलाली कर रहे हैं | जो दलाली करने का संस्कार उन्हे उन धर्म के ठेकेदारो से मिलता है , जिनके लिए धर्म का धँधा सबसे बड़ा धँधा है | जिनको लगता है कि इस देश के मुलनिवासि हो या फिर किसी भी देश के मुलनिवासि हो उनकी जिवन से सारे दुःख उनके धर्म को अपनाकर दुर हो जाएगा | जो धर्म के दलाल क्या यह साबित कर सकते हैं कि अपना धर्म बदलकर कोई गुलाम आजाद हो जाता है | और फिर यदि वे अपना धर्म बदलकर गुलामी से ही सिर्फ आजाद नही बल्कि सारे दुःख तकलीफो से सचमुच आजाद हो जाता हैं , तो फिर वे क्यों नही धर्म के दलाल अपनी सारी दुःख तकलीफ से आजाद होने के बाद खुशी से उछल कुद करते हुए आजाद भारत का सत्ता अपने हाथो प्राप्त कर लेते हैं ? आजाद भारत का संविधान लागू है ! उनके मुताबिक तो मनुवादि तो सिर्फ शोषित पिड़ित हिंदू को गुलाम बनाए हुए हैं , जो कि अपना धर्म बिना बदले गरिबी भुखमरी बेरोजगारी जैसे सारी दुःख तकलीफो से घिरकर आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं | जैसा की कभी अंबेडकर ने भी अपना धर्म बिना बदले संघर्ष किया था | जिन्होने अपना धर्म बिना बदले देश विदेश में कई उच्च डिग्री भी हासिल किया और आजाद भारत का संविधान रचना भी किया | क्या बिना धर्म बदले आजादी के लिए संघर्ष करने का उनका योगदान इतिहास में कोई मायने नही रखता है | बल्कि मैं तो कहूँगा बिना अपना धर्म  बदले आजादी के लिए संघर्ष करने वाले अंबेडकर का योगदान कहीं ज्यादे बड़ा है | इतना बड़ा कि धर्म बदलने के बाद का अंबेडकर और धर्म बदलने से पहले का अंबेडकर का आजादी संघर्ष में योगदान इतिहास के भी पन्नो में किसी सागर और छोटा तालाव जितना अंतर लगता है | जिसपर विश्वास न हो तो अंबेडकर के बारे में इतिहास खोलकर कभी फिर से तुलना कर लिया जाय कि इतिहास पढ़ते समय कोई व्यक्ती किस अंबेडकर के बारे में ज्यादे जानकारी लेता रहता है | अपना धर्म बदलकर संघर्ष करने वाले अंबेडकर के बारे में की अपना धर्म बदले बगैर आजादी के लिए जिवन संघर्ष करने वाले अंबेडकर के बारे में ?


और जैसा कि इस देश के सभी मुलनिवासियो जो चाहे जिस देश में भी रहते हो , या फिर जिस धर्म में मौजुद हो , उन सबको पता है कि इस देश को मनुवादियो से पुरी आजादी आजतक भी नही मिला है | जिसके चलते आज भी इस देश के कई जगह  यह लिखा हुआ मिल जाएगा कि अंदर शूद्र का प्रवेश मना है | जहाँ पर कोई मुलनिवासि क्या यह कहकर प्रवेश करने में कामयाब हो जाएगा कि पहले मैं शूद्र था पर अब मैने अपना धर्म बदल लिया है , इसलिए मुझे भी उच्च मानकर प्रवेश करने दिया जाए ! बल्कि ब्राह्मण बाल गंगाधर की मौजुदगी यदि आज के समय में भी रहता तो मनुवादियो की तरफ से वह जरुर यह खास आवाज उठाता कि " इस देश के मुलनिवासियो को गुलाम बनाना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है , इसलिए संसद के बाहर गेट में लिखा रहना चाहिए कि अंदर किसानो का प्रवेश मना है | गुलाम लोग शासक नही बन सकते | " जो लिखने के बाद क्या जो मुलनिवासि अपना धर्म बदलकर दुसरे धर्म अपना लिए हैं , उनके लिए मनुवादि विशेष छूट प्रदान करके सिर्फ अपना धर्म न बदलने वाले मुलनिवासियो को ही संसद में प्रवेश करने नही दिया जाता ? क्योंकि हमे यह नही भुलनी चाहिए की गोरो से आजादी मिलने के बाद इस कृषि प्रधान देश में आजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी भेदभाव शोषण अत्याचार जैसे अपराध आखिर क्यों जारी है | क्योंकि आज भी हमे मनुवादियो से पुरी आजादी नही मिली है | जो पुरी आजादी हमे मनुवादियो को वोट करने से तो कम से कम सौ प्रतिशत नही मिलने वाली है | इसलिए मनुवादियो को वोट करने वालो को मैं आजादी के लिए संघर्ष कर रहा वीर नायक नही मानता | और न ही मैं उन्हे भी आजादी का वीर नायक मानता हूँ जो धर्म का दलाल बनकर मुलनिवासियो के बिच यह भ्रम फैलाते रहते हैं कि तुम अपना धर्म बदलोगे तो मनुवादियो से आजाद हो जाओगे ! 

The chains of slavery

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