Manuwadi DNA is present in both BJP and Congress.

 


मनुवादी डीएनए बीजेपी और कांग्रेस दोनों में मौजूद है

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वर्तमान में सरकार चला रही चाहे भाजपा हो या फिर इससे पहले पचास साठ सालो तक सत्ता में बैठी कांग्रेस , इन दोनो ही पार्टी की सरकार बनने पर कबिलई मनुवादियो की खास दबदबा रही है | इसलिए इन दोनो ही पार्टी की सरकार इस कृषि प्रधान देश और मुलनिवासियो के साथ मुलता अन्याय अत्याचार ही करते आ रही है | जो आगे भी करती रहेगी जबतक कि इस देश में मनुवादियो की सत्ता इसी तरह कायम रहेगी | जो मनुवादि सत्ता हाथ से जाने के बाद मनुवादि खुदको उच्च कहकर छुवाछूत करने की काबिल ही नही रहेंगे | जैसे कि गोरो की हाथो से इस देश की सत्ता जाने के बाद अब वे इस देश को गुलाम बनाए रखने की काबलियत को खो दिया है | क्योंकि उन्हे किसी को गुलाम बनाने से कहीं बेहत्तर सोच इंसानियत कायम करने की काबलियत का विकास करना लगने लगा है | जो की उन सभी इंसानो को लगता है जो की किसी को गुलाम बनाना इंसानियत को बहुत बड़ा नुकसान मानते हैं | क्योंकि उन्हे पता है कि जब भी किसी को गुलाम बनाकर उसका शोषण अत्याचार होता है तो इंसानियत को बहुत बड़ा नुकसान होता है | जिसके चलते पुरी दुनियाँ में इंसानियत कायम करने के लिए शोषण अत्याचार करने वालो के खिलाफ कारवाई होती है | पर अफसोस किसी एक इंसान का शोषण अत्याचार होता है तो उसके साथ शोषण अत्याचार करने वाले के साथ कारवाई तो होती है पर इतना बड़ा देश को गुलाम बनाने वाले मनुवादियो के खिलाफ अबतक कोई भी खास कारवाई नही हो रही है | इस देश के मुलनिवासि गुलाम तो आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं | जो पुरी तरह से आजादी पाए बगैर मनुवादियो के खिलाफ कोई बड़ी कारवाई नही कर सकते बावजुद इसके कि वे मनुवादियो से आजाद होने के लिए कड़ी संघर्ष निरंतर करता रहे | कभी तो मनुवादियो से पुरी आजादी मिलेगी | उसके बाद इस देश के मुलनिवासि गुलाम बनाने वाले मनुवादियो के खिलाफ कारवाई ही नही बल्कि दुनियाँ के जो भी देश में अब भी गुलामी कायम है , उस देश को गुलाम करने वालो के खिलाफ भी इंसानियत के नाते अपनी तरफ से विशेष कारवाई करने के लिए सक्षम हो जाएंगे पुरी आजादी मिलने के बाद |


जैसे कि आजाद भारत का संविधान लागू होने के बाद भी भले क्यों न यह देश आज भी मनुवादियो से गुलाम है लेकिन भी जब इस देश के मुलनिवासि कोई उच्च संवैधानिक पदो में बैठ जाते हैं तो उनके साथ छुवाछूत करने की काबलियत विरले ही मनुवादि दिखा पाते हैं | और जो थोड़े बहुत दिखला पाते हैं भी तो उन्हे इसके लिए भारी हिम्मत जुटानी पड़ती है | जो कि वे किसी गरिब शोषित पिड़ित को गुलाम बनाकर आसानी से छुवाछूत कर पाते हैं | जैसे कि गोरे भी आसानी से भेदभाव तब कर पाते थे जब वे कई देशो को गुलाम बनाकर बहुसंख्यक आबादी को गरिब शोषित पिड़ित किए हुए थे | क्योंकि गरिब शोषित पिड़ित गुलाम बनने के बाद ज्यादेतर इंसानो के पास खाने के लिए भरपेट भोजन तक नसीब नही हो पाता है तो कोई गुलाम भुखा रहकर गुलाम बनाने वाले उन लोगो का विरोध कैसे प्रभावी तरिके से कर पाएंगे जिनके पास पुरे देश की सत्ता पावर होती है | यही वजह है कि कोई भी गुलामी के बाद आजादी मिलने में कम से कम सौ साल का समय जरुर लग जाता है | क्योंकि इतने समय में एक पिड़ी अपनी जान की बाजी लगाकर अपने नई पिड़ि को इतना तो आर्थिक रुप से मजबूत जरुर कर देता है कि उसकी नई पिड़ी यदि बाद में भुखा भी रहता है तो भी वह गुलामी के खिलाफ आजादी के लिए संघर्ष करना सुरु कर देता है | जैसे की इस समय की नई पिड़ी में खासकर जिन लोगो के जिवन में गरिबी भुखमरी नही हैं या फिर जिनके पास थोड़ी बहुत पहूँच मौजुद है , वे लोग मनुवादियो के द्वारा किए जा रहे शोषण अत्याचार का भी शिकार कम हो रहे हैं , और आजादी के लिए संघर्ष करने में भी ज्यादे समय देने में सक्षम हैं | 


हलांकि चूँकि वे लोग भी गुलाम ही हैं जो कि आजादी के लिए सबसे मजबुती से संघर्ष कर रहे हैं | इसलिए उन्हे भी भुख गरिबी बेरोजगारी देकर ये मनुवादि सरकार उसके बाप दादाओ की तरह जी हुजूरी कराने के लिए सारे पैतरे अजमा रहे हैं | क्योंकि मनुवादि गरिब शोषित पिड़ितो के साथ साथ जो मुलनिवासि थोड़ा बहुत अमिर हो भी गया है उसे भी अलग अलग पैतरा अजमाकर शारिरिक और मांशिक और आर्थिक तौर पर कमजोर करने में लगा हुआ है | लेकिन यदि आजादी का सही समय आ गया है , जो की कभी न कभी तो आएगा ही , क्योंकि जिस देश में सूर्य हर रोज उगता हो वहाँ पर जिस तरह हर अँधेरा के बाद कभी न कभी सवेरा जरुर होता है , उसी तरह जिस देश में कभी पुरी आजादी कायम रहा है , उस देश में गुलामी के बाद आजादी का समय कभी न कभी तो जरुर आता है | जो समय इस देश के लिए यदि इस 21वीं सदी में आ गया है तो फिर अब मनुवादियो का सिंघासन डोलना सुरु  हो गया है | जो बहुत जल्द मनुवादियो की सत्ता उखड़ने के बाद हमेशा हमेशा के लिए मनुवादियो की सत्ता इस देश से चली जाएगी | क्योंकि कोई भी आजाद नागरिक किसी गुलाम बनाने वाले को फिर से अपना सेवक कभी भी नही बनाना चाहता है | कम से कम तबतक तो कभी भी नही बनाना नही चाहता है जबतक की वह फिर से किसी का गुलाम न हो जाए | और चूँकि अब पूरे विश्व में इतना तो आजादी के प्रति जागरुकता जरुर आ गयी है की कोई भी देश कम से कम अब खुलेआम अथवा प्रत्यक्ष रुप से तो अब पुरी तरह से गुलाम नही है | क्योंकि कोई देश को अब डायरेक्ट कोई कबिलई लुटेरा घोड़े पर सवार होकर शैतान सिकंदर की तरह गुलाम कभी भी नही बना सकता | ऐसा किया तो आजादी पसंद दुनियाँ के सभी देश उसे मानो पिछवाड़े में बांस करना सुरु कर देंगे | पहले तो सभी खुद ही गुलामी से आजादी पाने के लिए संघर्ष करते रहते थे | जो अब यदि करते भी होंगे तो वे आधा तो जरुर आजाद हो गए हैं | जैसे कि इस देश के मुलनिवासि आज के समय में आधा तो जरुर आजाद हैं | जबकि कभी पुरा गुलाम हुआ करते थे मनुवादियो का  | अभी तो वे पढ़ाई करके मनुवादियो से अधिक उच्च डिग्री भी ले सकते हैं , जैसा कि कई मुलनिवासि लिए भी हैं | और सत्ता में मंत्री वगैरा भी बनते हैं | उच्च अधिकारी से लेकर उद्योग और सेना का भी उच्च पदो में बैठते हैं | भले आजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी गुलाम बनाने वाले मनुवादियो की सत्ता अब भी कायम होने की वजह से भेदभाव बहाली करके लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो का ही भारी दबदबा अब भी कायम है | पर फिर भी मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो को अब ये लोग निच हैं , इन्हे शिक्षित नही होना चाहिए , इन्हे मंत्री और उच्च अधिकारी वगैरा नही बनना चाहिए , जैसे भारी भेदभाव सपने अब मनुवादियो के कभी भी पुरे नही होने वाले हैं | जैसे कि कभी मनुवादियो के पूर्वज इस देश के मुलनिवासियो को पुरी तरह से गुलाम बनाकर उन्हे कभी भी ज्ञानी न होने देने और न ही अमिर होने देने का सपना साकार सत्ता में बैठकर मनुस्मृति लागू करके करते थे | जो मनुस्मृति अब पुरी तरह से कभी भी लागू नही हो सकता | क्योंकि अब सबको पता है कि मनुस्मृति किसी को गुलाम बनाने के बाद गुलाम सत्ता में लागू किया जाने वाला ग्रंथ है | जिसका लागू होने का मतलब है गुलाम बनाने वाला शासक पिड़ि दर पिड़ी सत्ता सुख भोगने का संवैधानिक अधिकार लागू करता है | और गुलाम प्रजा संवैधानिक रुप से सिर्फ गुलामी करेगा जो कि उसका प्रमुख कार्य रहेगा | जैसा कि मनुस्मृति में बतलाया गया है कि शूद्र कभी भी शासक या अमिर व शिक्षित नही बन सकता | जिस तरह के मनुस्मृति को अंबेडकर द्वारा जलाकर ही तो आजाद भारत का संविधान रचना किया गया है | जो मनुस्मृति यदि पुरी दुनियाँ में रामराज कायम करने के लिए आज लागू हो जाय तो मनुवादि छोड़कर पुरी दुनियाँ के बाकि लोग शूद्र घोषित कर दिए जाएंगे | और मनुवादि खुदको उच्च घोषित करके पुरी दुनियाँ की सत्ता अपने कब्जे में कर लेगा | जिसके बाद यदि कोई भी गुलाम शिक्षित होगा तो उसकी भी हालत उसी तरह से कर दी जाएगी जैसे की राजा राम के हाथो शंभूक का हुआ था | 


हलांकि शोषित पिड़ित शंभूक के साथ राजा राम जो अन्याय किया उसके बाद भगवान ने राजा राम को भी अपनी तरफ से न्याय करके सजा दिया | जिसके चलते राजा राम भी अपने ही रामराज में न तो अपने बीवी बच्चो को सुखी देख पाया और न ही खुदको और अपने भाई लक्ष्मण समेत बाकि करिबियो को भी सुखी देख पाया | रानी सीता तो अपने पति के ही रामराज में इतनी दुःखी हुई की वह जिते जी रोते बिलखते धरती में समा गई | बल्कि राम भी अपने परिवार रिस्तेदार और प्रजा को छोड़कर जीते जी सरयू नदी में डुबकर आत्महत्या कर लिया | यह सब दुःखभरी रामलीला नही होता यदि राम ने शंभूक और सीता लव कुश बल्कि लंका की निर्दोश प्रजा के साथ भी अन्याय नही करता | खैर पहले जो हो गया सो हो गया पर अब भी रामराज लाना है कहकर बहुत से लोग उसी रामराज को दोहराना चाहते हैं , जिसमे प्रजा शंभूक के साथ तो अन्याय होता ही है ,पर राजा रानी भी दुःखी होकर आत्महत्या कर लेते हैं | 


बजाय इसके की मनुवादियो की नई पिड़ि को अपनी गलती को स्वीकार करने के बाद उसमे सुधार करते हुए आगे बड़ना चाहिए था 


लेकिन गोरो की सत्ता जाने के बाद इस देश में जिस तरह की सत्ता मनुवादियो की फिर से आई है , उनकी भी हालत राम सीता की तरह होनेवाली है | खासकर यदि वे इस देश के मुलनिवासियो के साथ भारी भेदभाव करते हुए अन्याय अत्याचार करते रहेंगे | क्योंकि गुलामी के समय शोषित पिड़ितो का यदि कोई नही होता न्याय करने वाला तो उसके साथ भगवान होता है | जो असल भगवान सभी के लिए एक होता है | जो खुदको भगवान कहने वालो को भी सजा देता है | खुदको सबसे विद्वान और बलवान समझने वाले आधुनिक शाईनिंग डीजिटल अपडेट करने वालो को भी भगवान सजा देने के लिए उचित समय का इंतजार कर रहा होगा | जिसके बाद वे न घर के रहेंगे और न ही घाट के | क्योंकि जिन्हे वे गुलाम बनाकर ऐसी हालत में रखे हुए हैं , उनके साथ तो भगवान न्याय करेगा | पर मनुवादियो के साथ कौन न्याय करेगा जब भगवान ही उन्हे सजा देंगे ! क्या वे खुदको भगवान समझकर विशेष कोर्ट कचहरी बनाकर उससे भी लड़ाई करेंगे हमे सजा क्यों दिया जाय सवाल जवाब करते हुए ? क्योंकि भगवान कि पूजा इस देश के मुलनिवासि प्रकृति पूजा के रुप में भी करते हैं , जिसके सामने मनुवादियो की सारी बुद्धी बल तब तुच्छ साबित हो जाएगी जब भगवान उन्हे सजा देंगे | जो कि मनुवादि और उनके पूर्वजो को भी देते आ रहे हैं | जिसे मनुवादि स्वीकार करके अपनी गलती को स्वीकार करके उसे दुबारा न करने की कस्मे खाए न कि अपने पापो को अपडेट करके फिर से खुदको सजा पाने के लिए भी अपडेट करते रहे |


 क्योंकि यदि उन्हे अपने पूर्वज भगवान के अलावे किसी दुसरे भगवान में विश्वास नही है तो कम से कम उस भगवान में तो उन्हे जरुर विश्वास है जिसकी पूजा इस देश में प्रकृति के रुप में भी होती है ! 


जो प्रकृति उन्हे बुढ़ा करके एकदिन मार डालेगी इसपर भी उन्हे विश्वास नही है क्या ? और यदि विश्वास नही है तो खुदको जंगल का राजा कहकर अपनी प्रजा का ही शिकार खुनी पंजो से करके खुंखार जबड़ो के जरिये अपने पेट में सुरक्षा करने वाले का बुढ़ापे में किस तरह की सजा प्रकृति भगवान उसे तड़पा तड़पाकर देती है , कभी फुरसत मिलेगी तो google सर्च मारकर पता कर लेना | गुलाम तो गुलाम करने वालो की वजह से गरिबी भुखमरी जैसे बुरे हालात का सामना करते हुए भुख से तड़पते हुए गुलामी मौत हर रोज मर रहा होता है , पर गुलाम करने वाले भी कभी न कभी तो दर्दनाक मौत प्रकृति भगवान के द्वारा न्याय करने के बाद जरुर मरते हैं | गुलाम तो मानो संघर्ष करते हुए शहिद की मौत मरता है , पर गुलाम करने वाले तो गुलामो की नजर में बुजदिली की मौत मारे जाते हैं | जिनके द्वारा गुलाम किए जाने के बाद गुलाम काल में हुई उनकी मौत को शहिद का दर्जा सायद ही कोई गुलाम आजाद होने के बाद देगा या देना चाहेगा | 


बल्कि मेरा तो वश चले तो गुलाम करने वालो की हाथो में जबतक सत्ता रहेगी तबतक का समय काल में इकठा हुई उनकी सारी पहचान१र इतिहास को जो चाहे ऑडियो विडियो या तस्वीर मूर्ति वगैरा ही क्यों न हो सभी को पुरी आजादी मिलने के बाद विशेष नियम कानून बनाकर हमेशा हमेशा के लिए डिलीट अथवा मिटा देना चाहिए | बल्कि उनके द्वारा निर्माण किए गए सारे निर्माणो को भी मिटा देनी चाहिए |


साथ ही पुरी दुनियाँ से विशेष समझौता करके दुनियाँ के जिन जिन देशो में भी गुलाम करने वालो का यह सब सामग्री मौजुद रहेगा उसे हासिल करके उसे भी डीलिट कर देना चाहिए | क्योंकि चोर लुटेरे जिसने कि जिसके घर को लुटा हो वह पिड़ित उसकी तस्वीर भी अपने घर में कभी नही रखना चाहता है | तो फिर ये गुलाम करने वाले तो चोर लुटेरे डाकुओ से भी कई हजार लाख गुणा ज्यादे चोट देने वाले लोग होते हैं | जो किसी का घर ही नही बल्कि पुरा का पुरा देश को ही गुलाम बनाकर लुटते हैं | जिनकी तस्वीर विडीयो मूर्ति और ऑडियो वगैरा तो पुरी दुनियाँ से ही हमेशा हमेशा के लिए डीलिट कर देना चाहिए | जिन्हे रखना मानो गुलाम बनाने वालो की झुठी शान को इतिहास में बरकरार रखना है | जो कभी नही होना चाहिए , क्योंकि गुलाम करने वाले इतिहास में अन्याय अत्याचार लुटपाट करके शान करे और गुलाम होने वाले अन्याय अत्याचार सहकर आजादी संघर्ष करते हुए आजादी पाने के बाद भी इनकी झुठी शान की इतिहास को अपने घर में रखकर उसे देख सुन पढ़कर हिन भावना महसुश करता रहे कि इन लोगो ने हमे कभी गुलाम बनाया था | जिस तरह का वर्तमान कभी भी नही कायम होना चाहिए | बल्कि पुरी आजादी मिलने के बाद गुलाम करने वालो की तस्वीर ऑडियो विडियो मूर्ति वगैरा को हमेशा हमेशा के लिए डिलिट मारकर नया वर्तमान की तस्वीर ऐसी होनी चाहिए जिसमे की गुलाम करने वालो की मानो कोई भी मौजुदगी न हो | और मौजुदगी सिर्फ उन्ही लोगो का हो जो कि किसी को गुलाम न किए हो या किसी को गुलाम न करते हो | जैसे कि हमे मनुवादियो के उन पूर्वजो का भी तस्वीर मूर्ति वगैरा नही रखनी चाहिए जिन्होने गुलाम बनाकर जीभ और अँगुठा वगैरा काटा है | जिस विचार से जो भी आजाद नागरिक सहमत नही होगा तो समझो उसे फिर से किसी को गुलाम होने देने के लिए सहमति अप्रत्यक्ष तौर पर है | इसलिए उसे गुलाम करने वालो की तस्वीर ऑडियो विडियो मूर्ति वगैरा रखे रहने पर कोई विरोध नही है | जो किसलिए है यह अगले पोस्ट में बतलाने की कोशिष करुँगा |

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