There are two types of slaves



 गुलाम दो प्रकार के होते हैं 

freedom


इतिहास रहा है कि गुलाम बनाने वाले चाहे गोरे हो या फिर मनुवादि दोनो ही अपने खास गुलामो की अँधभक्ती टोली तैयार करके शासन करते रहे हैं | गुलाम करने वाले इस कृषि प्रधान देश को गुलाम करने के बाद ऐसे अँधभक्तो की टोली अपनी सत्ता ठीक ढंग से कायम रखने के लिए बनाते रहे हैं | अथवा गुलाम भी दो प्रकार के होते हैं , एक गुलाम आजादी के लिए संघर्ष कर रहा होता है , और दुसरा गुलाम अपने गुलाम करने वाले आका की अँधभक्ती कर रहा होता है | जिस अँधभक्ती करने वाले खास गुलाम को घर का भेदि भी कहा जा सकता है | जिस तरह का खास गुलाम ये गुलाम करने वाले लोग इसलिए भी तैयार करते हैं , ताकि अपने से भी अधिक ताकतवर को उसी की ही ताकत से गुलाम बनाकर सत्ता सुख बेफिक्र होकर भोग सके | क्योंकि खास गुलामो में वे गुलाम भी आते हैं जो की असल गुलामो के परिवार में ही जन्मे होते हैं | जिनका परिवार आजादी के लिए संघर्ष कर रहा होता है तो ये घर के भेदि गुलाम बनाने वालो का अँधभक्ती करने में लगे रहते हैं | आजादी के लिए संघर्ष कर रहे परिवार में भी जन्म लेकर उनके भितर आजादी के लिए संघर्ष भावना मानो मर चुकि होती है | जिसके चलते वे अँधभक्ती में यह भी नही समझ बुझ पाते कि गुलामी की वजह से ही तो आजाद भारत का संविधान लागू होते हुए भी अपने गुलाम परिवार रिस्तेदारो की हालत गरिबी भुखमरी हालत में हर रोज दो वक्त का खाना के लिए भी संघर्ष कर रहे होते हैं | 


वह भी उस देश में जहाँ पर गुलाम करने वाले कई विदेशी कबिलई लुटेरे टोली सैकड़ो हजारो सालो तक भरपेट खा खाकर पले बड़े हैं |


 जो भले दुसरो के हक अधिकारो को अति खा खाकर पेट फटने से मरे हो पर उनकी मौत इस कृषि प्रधान देश में आकर सायद ही भुखमरी से हुई हो | और न ही भुखमरी से मौत इन गुलाम करने वालो की खास गुलामो की भी होती है | क्योंकि उनके उपर भी ये गुलाम करने वाले खास ध्यान रखकर उन्हे भी छप्पन भोग खाने की थाली और खास भोग विलाश गरिबी भुखमरी जैसे बुरे हालात में भी उपलब्ध कराते रहते हैं | जिन खास गुलामो की मदत से ही तो ये गुलाम करने वाले मनुवादि जैसे लोग अपने गुलामो का सारा भेद जानकर बेफिक्र होकर सत्ता सुख भोग रहे होते हैं | क्योंकि उनको पता होता है कि उनके द्वारा ब्रेनवाश किए हुए खास गुलाम भेदि आजादी के लिए संघर्ष कर रहे गुलामो के बिच जाकर सारा भेद और वोट भी ला लाकर गुलामी सत्ता कायम रखने में खास मदत करते रहते हैं | बल्कि अब तो इस कृषि प्रधान देश में कबिलई मनुवादियो की सत्ता आधुनिक डीजिटल अपडेट हो गयी है |


 मनुवादियो के उपर अब तो सत्ता प्राप्त करने के लिए चुनाव मशिनो को भी अपना खास गुलाम बनाने का आरोप लग रहा है |


 पहले तो ये मनुवादि सत्ता प्राप्त करने के लिए सिर्फ इंसानो को ही अपना खास गुलाम बनाते थे | और गुलाम बनाकर अपने खास गुलामो की मदत से आजादी के लिए संघर्ष कर रहे गुलामो को शूद्र घोषित करके छुवाछूत भेदभाव करते थे | अब तो यदि चुनाव मशीन गड़बड़ घोटाला आरोप सही साबित हुआ तो वे अब चुनाव मशीनो को भी अपना गुलाम बनाकर उससे भी अपनी खास सेवा करा रहे हैं | खास गुलाम अँधभक्तो की टोली से तो वे अपनी खास सेवा बहुत पहले से करा ही रहे हैं | जो चुनाव आते ही कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस की अँधभक्ती करते हुए ऐसे उछल कुद करने लगते हैं , मानो उनका वजुद ही कांग्रेस भाजपा सरकार पर निर्भर है | यही दोनो में ही कोई एक पार्टी की सरकार बनेगी तभी सरकार का कोई मतलब होगा | जिन दोनो ही पार्टियो की सरकार को कायम रहने देने के लिए वे कुछ भी अँधभक्ती भाजपा कांग्रेस के नाम से मंत्र जपते हुए दिन रात सोच विचार करते रहते हैं | भले क्यों न इनके भारी अँधभक्ती सरकार चुने जाने के बाद सड़को पर इनकी निकमी सरकार के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन होता रहा है | सरकार चुने जाने के बाद अपने कार्यकाल में भारी विरोध का सामना लगातार दोनो ही पार्टी करती आ रही है ! कांग्रेस के खिलाफ भी कभी जेपी आंदोलन अन्ना आंदोलन और रामदेव आंदोलन के रुप में भारी भीड़ मुहिम चलाती रही है | तो वर्तमान में मौजुद भाजपा के खिलाफ भी भारी भिड़ सड़को पर हर वक्त लगी रहती है | हलांकि इन भिड़ो में भी कांग्रेस भाजपा के खास गुलाम अँधभक्त जरुर रहे हैं | जो कि भेड़ चाल लिए कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा का अँधभक्ती करते रहे हैं | क्योंकि मनुवादियो ने इनका इतना अधिक ब्रेनवाश किया है कि ये चाहे जितना उच्च ज्ञान का डिग्री हासिल कर लें इन्हे कभी भी यह समझ में नही आनेवाला है कि कांग्रेस भाजपा दोनो ही पार्टी मनुवादियो की वह पार्टी है , जिसका मूल मकसद इस देश को गुलाम बनाए रखना है | जिस बात को नही समझने वाले चाहे क्यों न कोई शोषित पिड़ित परिवार में ही पैदा हुआ हो , वह चुनाव आते ही भाजपा या फिर कांग्रेस सरकार वापस लाने के लिए भांग खाये बंदर की तरह ऐसे उछल कूद करते रहते हैं , जैसे मानो कांग्रेस भाजपा को तो कभी देश की सरकार चलाने का मौका ही नही मिला है | 


जबकि यदि चुनाव एक विवाह की तरह माना जाता तो ये भाजपा कांग्रेस कई बार विवाह करके अबतक भी गरिबी भुखमरी बेरोजगारी जैसे मुल समस्या का समाधान जैसे अच्छे दिन को जन्म ही नही दे पाए हैं | 

यानि ये वैवाहिक जिवन तो कई बार सरकार बनाकर जी रहे हैं , पर मानो किसी बांझ या नपुंशक की तरह माता पिता ही नही बन पा रहे हैं | जिन्हे एक मौका और मिलना चाहिए कहकर इन्हे पुरी जवानी वोट करने वाले बहुत बड़े अँधभक्त लोग हैं | बावजुद इसके की अगर इन अँधभक्तो के भितर यदि जरा सा भी ब्रेनवाश होने की प्रक्रिया बाकि है तो ये मनुवादि पार्टी कांग्रेस भाजपा के लिए उछल कुद करना बंद करके इन दोनो ही पार्टियो पर लगे बड़े बड़े भ्रष्टाचार का आरोपो को बिना भेदभाव के जाँच कराने का अवसर आजादी के लिए संघर्ष कर रहे शोषित पिड़ितो की पार्टी को बहुमत सरकार चुनकर दें | कांग्रेस भाजपा की अँधभक्ती करना बंद करें | क्योंकि भाजपा कांग्रेस की अँधभक्ती करने वाले उस बिल्ली की भी खास भूमिका अदा करते आ रहे हैं जो कि खुदको बहुत चतुर समझकर हाथ में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नाम से तराजू लिए एक पलड़ा कांग्रेस की अँधभक्ती और दुसरा पलड़ा भाजपा की अँधभक्ती करते हुए सिर्फ दो दिशाओ में ही वोट की हवा बहाते रहते हैं | जो हवा बहाने वाले अँधभक्त मीडिया का इस्तेमाल सबसे अधिक करते हैं | बजाय इसके की इस देश में मौजुद बुरे हालात को देखते हुए मीडिया में भी उन पार्टियो की भारी बहुमत की सरकार बनाने की हवा बहनी चाहिए थी जो की सरकार बनाने के लिए अबतक तो सिर्फ कतार में ही लगी हुई है | जिन्हे सायद मनुवादि शूद्र पार्टी समझकर सरकार बनाने देना नही चाहती है |


 मानो देश में अपनी भारी बहुमत की सरकार बनाने के लिए इन्हे रोका जा रहा है यह लिखकर कि इस देश में शूद्र पार्टी की सरकार बनाना मना है | जिन पार्टियो को मनुवादि अपनी सत्ता का गलत उपयोग करके रोक लगाई हुई है यह भी नामुमकिन नही है | खासकर यह जानते हुए कि आजतक भी मनुवादि लोग बहुत से जगहो में यह लिखते हैं कि अंदर शूद्र का प्रवेश मना है | जिन सब बातो को जानते हुए भी आखिर यदि घर के भेदियो को जो कि मनुवादियो की खास ताकत बने हुए हैं , उनके भितर जरा सा भी मनुवादियो द्वारा ब्रेनवाश होना अब भी बाकि है तो अबतक भी कोई कांग्रेस भाजपा की अँधभक्ती क्यों कर रहा है | मनुवादि तो खैर अपनी सत्ता बचाने के लिए अपने उन पूर्वजो की अँधभक्ती करते हैं , जिनकी वजह से खुदको वे बचपन से ही गर्व से ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य कहते हुए सिना चौड़ा करते हैं | और बाकियो को वे शूद्र अथवा निच समझकर भेदभाव करते हैं | चाहे क्यों न वे राष्ट्रपति ही बन जाए | क्योंकि यह देश अब भी मनुवादियो से पुरी तरह आजाद नही है |

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