This profession is also called Bhadhwagiri



 

किसी को गुलाम बनाकर गरिब कमजोर करके शोषण अत्याचार करने वाले पेशे को भड़वागिरी भी कहते हैं 

कभी भी विकसित सोच का इंसान को शोषण अत्याचार करनेवाला भड़वा नही बनना चाहिए


ये मनुवादि मुलता शोषण अत्याचार करने के लिए ही सत्ता पर कबिज होते आ रहे हैं | इतिहास में सायद ही यह जानकारी मिलेगी की मनुवादियो के शासन में मनुवादियो द्वारा शोषण अत्याचार करना समाप्त हुआ | जिस शोषण अत्याचार करने वाले पेशे को भड़वागिरी भी कहते हैं | जिस तरह का भड़वागिरी से न तो मानवता का विकाश होता है , और न ही पर्यावरण का विकाश होता है | क्योंकि ये भड़वागिरी करने वाले लोग जिधर भी जाते हैं , उधर वे  दुसरो के हक अधिकारो को छिना झपटी करके मानवता के साथ साथ पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुँचाते हैं | क्योंकि इस प्रकार के लोगो को मानवता और पर्यावरण से कोई खास लेना देना नही रहता है | जबकि कृषि से खास जुड़ाव जिन लोगो का भी होता है , वे लोग मानवता और पर्यावरण से खास तौर पर जुड़े रहकर दोनो का ही विकाश करते हैं | जो कि गुलाम करके शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादि कभी नही कर सकते | भले वे इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके थोड़ी बहुत खुदको कृषि भी समझते हैं | और खुदको किसान का औलाद भी लिखते हैं  | लेकिन उन्हे किसान कभी कहा ही नही जा सकता | इन्हे किसान समझकर इनके हाथो में खेत सौपने का मतलब है जहर की खेती करने वालो के हाथो खेत सौपना है | क्योंकि खुद मनुवादि भी खुदको मुलता कृषि नही मानते हैं | जैसा कि ब्राह्मण बाल गंगाधर तिलक ने अपनी और अपने खास लोगो के लिए मन की बात गोरो की शासन के समय भी इस देश के मुलनिवासियो के लिए कह दिया था कि " ये लोग विधिमंडल में जाकर क्या हल चलाएंगे " | 


जाहिर है बाल गंगाधर तिलक जैसे कबिलई लोग इस कृषि प्रधान देश की सत्ता में बैठकर यहाँ के मुलनिवासियो का भला कभी कर ही नही सकते | 


खासकर जबतक कि उनके भितर भी इस देश के मुलनिवासियो की तरह कृषि के प्रति भला और सत्य न्याय सोच में मजबुती न आ जाए | जो मजबुती जिनके भी पास आ जाता है वह किसी को गुलाम बनाने के बारे में कभी सोच ही नही सकता | जैसे की इस देश और दुनियाँ के उन सभी देशो के मुलनिवासियो के पास मजबुती सैकड़ो हजारो साल पहले ही आ चूका है , जो कि आजतक कभी भी किसी देश को गुलाम नही बनाये हैं | जिस तरह की मजबुती मनुवादियो के पास अब भी विकसित नही हुआ है | जो मजबूती मनुवादियो में तबतक नही आ सकती जबतक की मनुवादि अपनी कबिलई लुटेरी सोच से पुरी तरह बाहर नही निकल जाते | जिनके मन में ही जहर मौजुद है | जिसका इस्तेमाल ये मनुवादि लोग खेत ही नही समाज को भी जहरिला करने के लिए इस्तेमाल करते आ रहे हैं | बल्कि आज यदि खेती में भी थोड़ी बहुत हानिकारक मिलावटी हो रही है , तो मनुवादियो के मन से ही फैशले लेकर जहरिली खेती हो रही है | समाज में तो ये लोग हजारो सालो से छुवाछूत का जहर फैलाते ही आ रहे हैं | 


जहर भी कई प्रकार के होते हैं | एक जहर प्राकृति को जहरिला बनाकर नुकसान करता है , तो दुसरा प्रकार का जहर परिवार समाज को जहरिला बनाकर इंसानियत को नुकसान करता है | 


ये मनुवादि दोनो प्रकार के जहरो का उद्योग अपने गंदे मन में लगाकर उसे चारो ओर घुम घुमकर स्थापित करने वाले लोग हैं | और जैसा कि इतिहास रहा है कि कबिलई मनुवादि  हजारो साल बाद भी अबतक अपनी कबिलई मांसिकता को नही छोड़ सके तो और अब कब छोड़ेंगे !  जिनके शासन को कभी भी यह नही कहा जा सकता कि इनके नेतृत्व में इस कृषि प्रधान देश में कभी बेहत्तर विकाश भी हो पाएगा | चाहे क्यों न वह कथित रामराज शासन हो , जिसको कि वे सबसे बेहत्तर अपना आदर्श शासन मानते हैं | जिस तरह के ही शासन को मनुवादि अपना आदर्श मानकर प्रजा शंभुक के साथ अन्याय अत्याचार करते आ रहे हैं | जाहिर है ये न तो प्रजा सेवा बेहत्तर कर पाते हैं , और न ही खुदकी जिवन को भी इतने महान बना पाते हैं कि बिना विवाद के रह सके | सिर्फ अपनी मुँह मिया मिठु होकर खुद ही खुदको उच्च बताकर अपनी तारिफ कर करके यह झुठ बांटते रहते हैं कि इनके शासन में दुनियाँ का सबसे बेहत्तर सेवा प्रदान किया जाता है | जैसे की कांग्रेस भाजपा शासन के बारे में भी बेहत्तर शासन का झुठ बांटा जाता है | जो झुठ बांटे बगैर ये अपनी झुठी शान को बचाकर रख भी नही सकते | जिस झुठी शान को बरकरार रखने के लिए ही तो ये हमेशा अपनी मुल लक्ष दुसरो को गुलाम बनाये रखने को लेकर रखते हैं | जिस तरह का लक्ष रखकर अन्याय अत्याचार शासन को विकाश नही बल्कि दुसरो के साथ साथ खुदका भी विनाश करने का लक्ष कहना सही होगा | क्योंकि गुलाम करने वाले लोग दुसरो के साथ साथ खुदका भी विनाश करने में ही मुल भूमिका अदा कर रहे होते हैं | हलांकि सत्य शिव को भी विनाशकारी माना जाता है , पर वे मुलता विनाश बुराई का करते हैं | क्योंकि शिव असत्य अथवा बुराई का विनाश करके सत्य अथवा अच्छाई को स्थापित करते हैं | जो शक्ती शिव ने भष्मासुर को भी दिया था , पर भष्मासुर ने उल्टे सत्य अथवा शिव का ही विनाश करने के लिए उसके पिच्छे पड़ गया था | जैसे की भाजपा कांग्रेस अपने शासन के दौरान सत्य अथवा अच्छाई का विनाश करने का मुल भुमिका अदा करते आ रही है | कांग्रेस गरिबी हटाओ का नारा देकर गरिबो को ही भुखमरी से मारकर हटाते आ रही है | जो अपनी सुटबुट झुठी शान की जिवन को बरकरार रखने के लिए गरिबो को हटाते आ रही है | जिस तरह के कुकर्मो को भाजपा शासन भी आगे बड़ा रही है | जबकि इन मनुवादियो को तो अपनी झुठी शान का विनाश करके सत्य को स्थापित करना चाहिए था | जो न होकर इनके शासन में गरिब भले क्यों न और अधिक गरिब बीपीएल होकर भोजन न मिलने से भुख से मर जाय पर इनकी सुटबुट झुठी शान में कोई भी कमी न हो इसके लिए ये धन्ना कुबेरो को विशेष छुट और कर्ज माफी देकर धनवान से और अधिक धनवान बनाते चले जाते हैं | भाजपा भी अपने चुनाव प्रचार में  कांग्रेस का शासन मर जवान मर किसान था कहकर भारी बहुमत से  सत्ता में आकर खुद भी कांग्रेस की तरह ही धन्ना कुबेरो को विशेष छुट और कर्ज माफी देकर इस देश के गरिब और किसानो का विनाश करने में लगी हुई है | वह किसान मजदूर जो की खेतो में दिन रात हल चलाकर व मजदुरी करके पुरे देश का पेट भी भरते हैं , और निर्माण कार्यो में भी मजदूरी करके अपना खुन पसिना बहाते रहते हैं | जिन्हे हर रोज कभी भुखमरी से तो कभी कर्ज वगैरा से मारने का प्लान बनना मनुवादि शासन में जारी है | जिसे मनुवादि लोग विकाश का नाम देते हैं | जबकि ये लोग भष्मासुर की तरह अच्छाई का ही विनाश करने वाले विनाशकारी लोग हैं |


दरसल इनकी सोच के मुताबिक विकाश का मतलब मुठीभर आबादी को उनकी झुठी शान को बरकरार रखने के लिए उन्हे सारी सुख सुविधा भोग विलाश प्रदान करना होता है | 


मुठीभर धन्ना कुबेरो और अपने रिस्तेदारो को उनकी झुठी शान की भुख से मरने देना नही है | भले क्यों न आजाद भारत का संविधान में सबको जीने का अधिकार मिला हुआ है , उसकी शपथ लेकर भी इस देश का गरिब मजदुर भुख से मर जाय | ये लोग बहुसंख्यक गरिब किसान मजदुर के लाशो पर अपनी झुठी शान को  बरकरार रखने की कुकर्म करते आ रहे हैं | जिस तरह का कुकर्म कांग्रेस भाजपा दोनो ही अपने शासन के दौरान करते आई हैं | क्योंकि दोनो ही पार्टी का DNA एक है | जिसका खास मन का रिस्ता के बारे में जानकारी मनुस्मृति में मौजुद है | जिस मनुस्मृति को जलाकर आजाद भारत का संविधान रचना करके उसे लागू करने के बावजुद भी इस देश को अबतक पुरी आजादी नही मिली है | क्योंकि एक गुलाम करने वाले गोरो से आजाद होकर दुसरे गुलाम करने वाले मनुवादियो के हाथ में इस देश का शासन चला गया है | और अबतक यह इतिहास दर्ज होता आ रहा है कि इस देश में जब जब भी मनुवादि शासन कायम हुआ है , तब तब भितर से मनुवादियो द्वारा अपनी मनुस्मृति सोच को ही अपना आदर्श मानते हुए बहुसंख्यक आबादी का जिवन नर्क बनाने की कोशिष बार बार किया जाता रहा है | बहुसंख्यको के हक अधिकारो को छिनकर मुठीभर लोगो की जिवन को सारी सुख सुविधा प्राप्त कराकर उनकी जिवन को मानो स्वर्ग बनाने की कोशिष किया जाता रहा है | हलांकि इन मनुवादियो को यह कभी नही भुलना चाहिए कि चाहे रोम हो या फिर यूनान के भ्रष्ट शासक जिन्होने ने भी कई देशो को गुलाम बनाकर मुठीभर आबादी को भोग विलास में डुबाए रखने के लिए बहुसंख्यक प्रजा के साथ अन्याय अत्याचार किया था , उन सभी का लुटपाट शासन का विनाश इतिहास में शर्मनाक दर्ज होता रहा है | जिसे जानकर उनकी नई पिड़ी भी जरुर शर्म महसुश करती होगी | खासकर वह पिड़ी जो अपने में आजादी सोच के अनुसार सुधार लाने की कोशिष करती रहती है | न कि वे भी शैतान सिकंदर कि तरह विश्व लुटेरा बनने की सपने अब भी देखते रहती है | क्योंकि जिस भी नई पिड़ी को अपने भितर मौजुद मनुवादि सोच में भारी बदलाव लाकर किसी को गुलाम बनाना और शोषण अत्याचार लुटपाट करना बहुत बड़ा अपराध लगता है , वे तो निश्चित तौर पर अपने लुटेरे पूर्वजो के गुलाम व छुवाछूत करने जैसे कुकर्मो को याद करके शर्म महसुश करते होंगे | जो कि स्वभाविक भी है |



पर मनुवादीयो की जो भी नई पिड़ि अपने पूर्वजो के द्वारा कायम किया हुआ छुवाछूत भेदभाव को बेहत्तर सोच बताकर अब भी अपने मन में भेदभाव का जहर को रखने का मन बना रखा है , वह तो निश्चित तौर पर आगे भी कभी नही सुधरेगी |


 बल्कि उल्टे अपने आनेवाली नई पिड़ी को भी भेदभाव का जहर देकर जाने की सोच रही होगी | जिस तरह के सोच की वजह से ही तो हजारो साल बाद भी अबतक मनुवादी द्वारा पिड़ी दर पिड़ी शोषण अत्याचार जारी है | जिससे आजादी तभी मिल सकती है , जब इस देश को जिस प्रकार गोरो से आजादी मिली उसी प्रकार मनुवादीयो से भी आजादी मिलेगी | जिससे पहले मनुवादीयो का गंदगी जारी रहेगा | क्योंकि मनुवादीयो के अंदर दुनियाँ का ऐसा छुवाछूत भेदभाव गंदगी भरा पड़ा है , जिससे कोई भी आजाद देश अपने परिवार समाज में देखना कभी नही चाहेगा | और न कभी अपने देश में मनुस्मृति लागू करना चाहेगा | मनुस्मृति लागू करके रामराज कायम करना तो ये मनुवादी लोग दिन रात सोचते रहते हैं | जो की अब कभी भी उस तरह से लागू नही हो सकता जैसे की कभी लागू करके इस देश के मुलनिवासियो को शूद्र घोषित करके उनके लिए शिक्षा और शासन दोनो पर रोक लगाया गया था | अब तो भले क्यों न यह देश अब भी मनुवादीयो से पुरी तरह आजाद नही है पर फिर भी इस देश के मुलनिवासि मंत्री प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी बन सकते हैं , और शिक्षित ही नही बल्कि उच्च शिक्षा भी ले सकते हैं | जिसे मनुवादी नही रोक सकते | बल्कि पुरी आजादी को भी नही रोक सकते | जिसदिन पुरी आजादी का समय आएगा उसदिन मनुवादी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो से बेदखल हो जाएगा | उसके बाद न तो गोदी मीडिया पैदा होगी और न ही देश में इतने भ्रष्टाचार कायम रहेगा | यह सब कायम इसलिए है , क्योंकि मनुवादी शासन कायम है | जिसे खरपतवार की तरह उखाड़ फैकना चाहिए |

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