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सोने की चिड़ियाँ से चालीस करोड़ बीपीएल भारत का संक्षिप्त ज्ञान

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हिन्दुस्तान देश सोने की चिड़िया और विश्वगुरु के नाम से भी पहचाना जाता रहा है|जिसे जानकर कोई भी व्यक्ती जो किमती सोना और किसी गुरु के बारे में जानता है,वह इस देश के बारे में ये जरुर जान सकता है कि विश्वगुरु की पहचान का मतलब पुरे विश्व को ज्ञान बांटने वाला और सोने की चिड़िया का मतलब कोई सोने की तरह का वह किमती देश, जहाँ पर प्राकृतिक खनिज सम्पदा से लेकर तमाम तरह की वैसी समृद्धी मौजुद है, जहाँ पर की धन संपदा को कमाकर मांगकर,चुराकर,लुटकर कोई भी रातो रात अमिर बन सकता है|जैसे कि रोजमरा जिवन में खुब सारा सोना को कमाकर मांगकर चुराकर लुटकर कोई भी कंगाल से मालामाल हो सकता है|जिसके बारे में समान्य सी बात जिसे भी पता है, उसे जाहिर है यह भी जरुर पता होगा कि अमिर बनने के लिए ही तो अबतक जितने भी विदेशी हमलावर चोर लुटेरे या फिर कमानेवाले, हाथ फैलाने वाले आए हैं,वे तमाम लोग यहाँ प्रवेश करके अमिर बनने से पहले या तो सोने की चिड़ियाँ से गरिब थे या फिर उन्हे किसी बाहरी लुटेरो के द्वारा लुटकर,उनकी समृद्धी को चोरी करके या मांगकर उन्हे गरिब बनाया गया है|जैसे कि इस सोने की चिड़ियाँ को हजारो सालो

फुटपाथ में भी सोता है प्रधान सेवक के जनता मालिक

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 गरिबी भुखमरी और बदहाली वगैरा के बारे में अबतक का बांटा गया मेरा सत्य संदेश जिनको कुछ अलग तरह की ज्ञान वर्धक लगा होगा उन्हे तो जरुर अच्छा लगा होगा पर बाकि जिनको भी अच्छा नही लगा होगा वे तो इसे वैसे भी कभी नही पसंद करने वाले हैं,और न ही आगे भी इस तरह की मेरे विचारो पर यकिन करने वाले हैं| पर चूँकि वे भी मेरा ये सत्य ज्ञान ले चुके हैं यदि इसे पढ़े होंगे इसलिए मैं कह सकता हुँ कि यदि जिवन में कभी उन्हे मेरे द्वारा बांटी गयी यह सत्य संदेश को सत्य मानकर अपने भितर झांककर कड़वा सत्य को स्वीकार कर लिए तो उन्हे भी उस सागर दिल की गहराई के बारे में महसुस होगी जो उनके भितर भी कहीं न कहीं मौजुद है सत्य के रुप में|जो यहसास उन्हे जब हो जायेगा उसीदिन उनके भितर की वह असत्य अँधेरा मिटेगा जो उन्हे हर रोज हजारो नागरिको की गरिबी भुखमरी से मौत के बावजुद भी अच्छे दिन आ गए कहकर झुठ फैलाई जा रही है उन परिवारो के बिच भी जिनके अपनो की हर रोज गरिबी भुखमरी से मौत हो रही है|जो लोग भी एकदिन किसी मंत्री या उच्च अधिकारी की मौत गरिबी और भुखमरी से हो गयी है, जिसकी दो मिनट की मौन वर्त रखी जा रही है, लाईव खबर सु

बदहाली और गरिबी भुखमरी

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 गरिबी हटाओ के नाम से सरकारी जन धन खाता और सरकारी राशन कार्ड धराकर भी हजारो की हर रोज गरिबी भुखमरी से मौत की कतार नोटबंदी में हुई मौत की कतार लिस्ट से भी ज्यादे बड़ी लिस्ट हर रोज भुखमरी और गरिबी से होनेवाली मौत की कतार लिस्ट बड़ते ही जा रही है|दुसरी तरफ मुठीभर धन्ना कुबेरो को छुट और माफी के रुप में इतनी बड़ी राशि की जिससे की किसी छोटे मोटे पुरे राज्य का बजट बन जाय, जिस छुट और माफी को हर साल पाने के लिए धन्ना कुबेरो की भी कतार कुछ इसी तरह ही बड़ते ही जा रही है|पर इन दोनो के बिच अमिरी गरिबी के साथ साथ छुट और माफी की भी दिवार कितनी बड़ी है, उसे खुद भी गहराई से मंथन करके समझने की कोशिष करते हुए उसे अपनी नजरिये से मैं अपना विचार सत्य ज्ञान के रुप में बांट रहा हुँ|जिसके बारे में पाठको द्वारा एक तस्वीर को भी झांकी के रुप में उसपर लिखी गयी कड़वा सत्य को देख पढ़कर समझकर मेरे भितर की विचारो को समझने की कोशिष की जा सकती है|जिसके बारे में मैं अपना विचार व्यक्त करके वर्तमान के अच्छे दिन आने के बारे में जाहिर है मेरी तरफ से तो कड़वा सत्य का ही उजागर करुँगा| जिसे मात्र पढ़कर मेर

वर्तमान की न्याय व्यवस्था

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झुठी शान में डुबे हुए कुछ सेखी लोग अपनी नकामी या हार को मानो किसी भोदु की तरह सिर्फ कॉपी का पेज बर्बाद कर करके उसे अंतिम में अपनी भोदुपन को छिपाने के लिए फाड़ते मिटाते रहते हैं|जैसे की कई बुरे लोग अपने एक अपराध और एक झुठ को छिपाने के लिए दस झुठ और दस अपराध करते रहते हैं |क्योंकि उन्हे खुदके द्वारा किए गए कुकर्मो से इतनी शर्म या फिर डर महसुस होती है, कि बिना अपने गलतियो को छुपाये या मिटाये उन्हे दिन रात मानो निंद के साथ साथ चैन भी नही आती है|बजाय इसके कि वे अपनी पहली गलती पर ही उसे कबूल करके उसका प्राश्चित करते या फिर सजा काटते|उसके बाद शांती पुर्वक निश्चित होकर चैन की निंद सोते|पर चुँकि उनके द्वारा जान बुझकर की गई अपराध होती है,इसलिए उन्हे कबूल करके सजा पाने या फिर प्राश्चित करने के बाद भी ये डर और बेचैनी दिन रात सताती रहती है कि बिना कोई कसूर के उन्होने जिस निर्दोश को भी हानि पहुँचाया होगा या तकलिफ दिया होगा वे उनसे जरुर बदला ले सकते हैं, भले वे अपनी पाप करके गंगा में डुबकी मारे या फिर जेल में सजा काटे|जिसके चलते ऐसे मामले में ज्यादेतर लोग कोर्ट कचहरी का सरन लेकर और अपना

भ्रष्टाचार और भस्मासुर

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कालाधन का पाप अंबार अबतक बड़ते बड़ते इतना जमा हो गया है कि उनकी अगर जब्ती करके देश के सारे गरिब लोगो को बराबर बराबर हिस्से में बांट दिया जाय, तो जैसा कि इस देश के वर्तमान प्रधानमंत्री ने कभी मुख्यमंत्री रहते हुए चुनावी भाषन में कहा था,कि "इस देश की जनता मालिक के खातो से इतना सारा धन की चोरी हुई है,कि यदि उसकी जब्ती किया जाय तो सब गरिब के खाते में पंद्रह से बीस लाख यू ही मुफत में आ जायेंगे|"जो मुफ्त की क्यों उनके हक अधिकार का धन हैं|जिसे चोर लुटेरो ने चुराकर लुटकर गुप्त खातो में जमा करके छिपा रखा है|जो बात इस समय की विश्व आर्थिक विकाश की आंकड़ो में एक गरिब देश कहलाने वाले जड़ से समृद्ध देश के वर्तमान प्रधानमंत्री ने कहा है|जिसे जुमला कहकर मुख्यमंत्री से तरकी करके प्रधानमंत्री बनाया गया है|जाहिर है देश के लोकसभा चुनाव में किसी प्रधानमंत्री उम्मिदवार द्वारा इतनी बड़ी बात करके उसे बाद में जुमला करार देना,वह भी सबसे बड़ी अंतर से हार जीत का चुनाव जितकर,जो की जनता मालिक की वोट कृपा से अजादी के सत्तर सालो में दुसरी बार किसी पार्टी को इतनी भारी बहुमत से जिताकर मानो तीन सीट की जमिन

भ्रष्टाचारी को बंद करो तो बिमारी बंद

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शौचालय के नाम से और योग के नाम से उछल कुद और शौच सफाई प्रचार यैसा कराया जा रहा है, जैसे इससे पहले ग्रामीण भारत में रहने वाले हमारे पुर्वज योग को करते ही नही थे| और प्राकृतिक जड़ी बुटियो से जुड़कर सेहतमंद रहना और साफ सफाई से हगना मुतना जानते ही नही थे|जबकि इस देश की हजारो साल पुरानी प्राचिन सभ्यता कृषि संस्कृति के खंडहर में भी, योग मुद्रा में बैठे लोग ऐतिहासिक चिन्हो में मिल जाते हैं| और तब भी इस देश में शौचालय की इतनी बेहत्तर इंतजाम थी की आज की इंजिनियर भी आश्चर्य करते हैं उस समय की साफ सफाई निर्माण को देखकर| जब पश्चिम के लोग सायद दरवाजा बंद करके नहाना और हगना मुतना भी नही जानते थे |जिस आधुनिक सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की सुख शांती और समृद्धी जिवन की कृषि योग को बाद में भंग करके कबिलई लुटपाट और गुलामी बिमारी देकर, दरवाजा बंद करके लुटपाट शोषन अत्याचार और गुलाम करके आज योग और शौच कराकर ये कहलवाया जा रहा है ,कि सब प्रकार का रोग ठीक किया जा सकता है योग करके और दरवाजा बंद करके शौच करके|भुखमरी कुपोषन से मर रहे नागरिको के लिए तो मानो पश्चिम के दरवाजे से घुसे चोर लुटेरो से ह

कुछ सदस्य खुब सारा धन की रुप श्रृंगार करके अपनी रोजमरा जिवन को रंगीन करते रहते हैं ,और ज्यादेतर तो रोज पेटभर खाने पिने के लिए भी तरसते रहते हैं

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गरिबी भुखमरी से अबतक पुर्ण रुप से अजाद न हो पाने की बजह से कुछ मुठिभर नागरिक तो देश के तमाम संसाधनो का भरपुर इस्तेमाल करके विदेशी भोग विलास में भी अक्सर लिप्त रहते हैं,जिसके चलते विदेशी बैंको में भी गुप्त खाता खुलती रहती है,जिसका कि कई लिस्ट आ भी चुकि है|जबकि दुसरी तरफ ज्यादेतर तो अपनी रोजमरा जिवन की मुल जरुरतो को भी पुरी नही कर पाते हैं!जाहिर है यदि किसी समृद्ध परिवार में सबके पास संतुलित हक अधिकारो का बंटवारा नही होता है तो आपसी तनाव या फिर आपसी बंटवारा की लड़ाई होती ही रहती है,जो परिवार विकाश की प्रक्रिया में भी बाधा डालती है!क्योंकि किसी संयुक्त परिवार में भी यदि आर्थिक बंटवारा के रुप में कुछ को मोटी रकम बार बार मिलती रहे और बहुतो को मानो अठनी चवनी तो फिर परिवार में जिसे भी बार बार अधिक धन मिलेगा वह अमिरी सेखी मारेगा,और बाकि यदि उसकी तरह अमिरी सेखी मारना भी चाहे मसलन इस देश का चालीस करोड़ बीपीएल में से ही कोई यदि मैं भी सोने की चिड़ियाँ का नागरिक हुँ कहकर अमिरी सुख संसाधन लेना चाहे तो भी बिना खुद धन इकठा किए बगैर सिर्फ भेदभाव बजट बंटवारा धन से कभी भी अमिर नही बन पाऐगा!क्योंकि ग

जैसे बीपीएल रेखा है उसी तरह अमिरी की भी कोई सिमा जरुर हो

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अमिरी गरिबी की खाई इतनी बड़ी होती जा रही है कि उसे सभी राज्यो की सरकार समेत पुरी केन्द्र सरकार भी अजादी के सत्तर सालो तक इतनी सारी गरिबी भुखमरी दुर करने की योजनायें बनाकर भी,देश अजादी के समय चालीस करोड़ अबादी थी,उतनी अबादी वर्तमान में गरिबी रेखा से भी निचे की बीपीएल जिवन जिने को मजबूर है!कांग्रेस की आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ का विकाश सफर की सुरुवात करके वर्तमान भाजपा सरकार की साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया विकाश सफर तक सिर्फ हर बार भारी बजट की चुनाव प्रचार करके जनता मालिक के बिच खुब सारा भाषन अश्वासन, उसके बाद जनता मालिक की वोट कृपा से सिर्फ भाजपा कांग्रेस युक्त सरकारे आती जाती रही है!पर इस समृद्ध देश से गरिबी दाग अबतक नही मिट पाई है!इसलिए मेरे ख्याल से देश में अब किसी तीसरी पार्टी की सरकार भारी बहुमत से चुनी जाने के बाद एक ऐसा नियम कानून बने की किसी भी नागरिक के पास तय से अधिक राशि इकठा हो तो वह सब देश की सम्पत्ती समझी जाएगी!सभी नागरिक चूँकि देश परिवार के सदस्य होते हैं,जिनका गरिब होना देश परिवार का गरिब होना है!और इस देश में कोई सदस्य अति गरिब कैसे हो सकता है,जबकि सोने की चिड़ियाँ