भ्रष्टाचारी को बंद करो तो बिमारी बंद
शौचालय के नाम से और योग के नाम से उछल कुद और शौच सफाई प्रचार यैसा कराया जा रहा है, जैसे इससे पहले ग्रामीण भारत में रहने वाले हमारे पुर्वज योग को करते ही नही थे| और प्राकृतिक जड़ी बुटियो से जुड़कर सेहतमंद रहना और साफ सफाई से हगना मुतना जानते ही नही थे|जबकि इस देश की हजारो साल पुरानी प्राचिन सभ्यता कृषि संस्कृति के खंडहर में भी, योग मुद्रा में बैठे लोग ऐतिहासिक चिन्हो में मिल जाते हैं| और तब भी इस देश में शौचालय की इतनी बेहत्तर इंतजाम थी की आज की इंजिनियर भी आश्चर्य करते हैं उस समय की साफ सफाई निर्माण को देखकर| जब पश्चिम के लोग सायद दरवाजा बंद करके नहाना और हगना मुतना भी नही जानते थे |जिस आधुनिक सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की सुख शांती और समृद्धी जिवन की कृषि योग को बाद में भंग करके कबिलई लुटपाट और गुलामी बिमारी देकर, दरवाजा बंद करके लुटपाट शोषन अत्याचार और गुलाम करके आज योग और शौच कराकर ये कहलवाया जा रहा है ,कि सब प्रकार का रोग ठीक किया जा सकता है योग करके और दरवाजा बंद करके शौच करके|भुखमरी कुपोषन से मर रहे नागरिको के लिए तो मानो पश्चिम के दरवाजे से घुसे चोर लुटेरो से हमे पुरी अजादी मिली ही नही है, और दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद प्रचार करके विकसित सेवा और साफ सफाई करने के नाम से, भुखा पेट ही शौच और उछल कुद योग दोनो ही कराया जा रहा है|वह भी करोड़ो लोगो के पास अधुरी अजादी और हकमारी,भ्रष्टाचारी की वजह से अपना रहने को छत नही, और उनके लिये फुटपाथ से लेकर सड़क चौक चौराहो पर भी शौचालय बनाया जा रहा है | करोड़ो को तो बाहर सुलाकर दरवाजा बंद करके अंदर शौच कराया जा रहा है|जबकि होना तो ये चाहिए था कि पहले कृषि को बाहरी कबिलई भेदभाव सोच से पुर्ण अजादी दिलाकर गरिबी भुखमरी और कुपोषन दुर की जाती, उसके बाद जमकर उछल कुद पुरे देश दुनियाँ में करायी जाती,ताकि सबके पास रहने को छत मौजुद हो जाती,और परिवार समाज में विकसित सुख शांती और समृद्धी वापस लौट आती| जिसमे की सभी अपने अपने घरो में पेटभर खाकर अपने अपने दरवाजा बंद करके, सोने के बाद ही सुबह शाम दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद कहते हुए खुदकी बंद शौचालय भी जाते, और खुले आसमान के निचे फुटपाथो में भी नही सोते|जिससे की सबसे बड़ी देश परिवार समाज की इज्जत भी बची रहती बिना छुवा छुत के और बिना सर में मैला ढोये|क्योंकि बिना भेदभाव की जिवन उस इज्जत से भी बड़ी होती है जो खुले आसमान के निचे शौच करके नही जाती है अपना पिछवाड़ा दिखाकर|पिछवाड़ा तो हर कोई दिखलाता है जन्म लेते ही,कोई सुटबुट लगाकर और रुप श्रृंगार करके अपनी माँ की कोख से जन्म नही लेता है कि ये कह दे कि सिर्फ रेल पटरी या खेत में पिछवाड़ा दिखलाने से देश की इज्जत चली जाती है|जो यदि इज्जत लुटने की बात हो रही है तो सबसे ज्यादा इज्जत लुटेरो द्वारा दरवाजा बंद करके लुटी जाती है और गांव से ज्यादा विकशित शहरो में लुटी जाती है, जिसकी विकसित खंडहर भरे पड़े हैं इतिहास में और वर्तमान में भी, ये बात हम सबको पता होनी चाहिए|क्योंकि बड़े बड़े लुटेरे सबसे अधिक लुटपाट खजाने की दरवाजा बंद अमिरी को ही देखकर करते रहे हैं ये इतिहास भी दर्ज है|यकिन न आये तो झांकी के रुप में सिर्फ गोरो की ही लुटपाट की इतिहास के बारे में पता कर लेनी चाहिए कि वे कहाँ कहाँ अपनी गंदी नजर रखकर दरवाजा बंद करके गेट में कुत्तो और इंडियनो का अंदर आना मना है बोर्ड टांगकर डेरा डाले हुए थे|बल्कि आज के भी सबसे बड़े बड़े लुटेरे शहरो में ही ज्यादे डेरा डाले हुए हैं कि गांवो में?और यदि शहरो में डाले हुए हैं तो किसकी इज्जत ज्यादे जा रही है शहर कि ग्राम की?जिस इज्जत को लुटने वाले किन लोगो की आस पास में उनके जैसे ही दरवाजा बंद करके रहते हैं,जिनसे सबसे अधिक खतरा है देश और प्रजा को?जिनके लिये सबसे अधिक पुलिस प्रशासन भी सबसे अधिक लगाई गयी है,चाहे तो पता करके जान लिया जाय कि पुलिस और जवानो को सबसे अधिक तैनाती दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद शहरो में ज्यादे की गयी है कि ग्राम पेड़ के निचे झाड़ के पिच्छे शौच करने वालो की सुरक्षा में पुलिस और जवान सबसे अधिक तैनात है|जो बात अबतक भी जिन्हे समझ में न आयी हो तो आगे जिसे भी दुसरो के साथ साथ अपनी भी पिछवाड़ा खुले में न देखनी हो तो वह अपनी पैंट पहने या खोले दरवाजा बंद करके बंद घर में ही हगे मुते नहाये धोये कुछ भी करे पर ग्रामीण भारत को ये कहकर बदनाम न करे कि खुले में शौच करने वाले लोग देश को बदनाम कर रहे हैं|क्योंकि सबसे अधिक बदनामी देश को भ्रष्टाचारी अथवा विदेशी बैंको में गुप्त खाता खोलकर कालाधन जमा करने वाली लिस्टो, जैसे कि देश विदेश में जो पनामा लिस्ट,स्वीज,जर्मन लिस्ट,और देश में कथित आकाश पाताल जमिन अंतरिक्ष सब जगह घोटाला करने वालो की लिस्टो में जो नाम देश के बड़े बड़े कथित महानायको का भी नाम पनामा लिस्टो में आने से सबसे बड़ी बदनामी होती है |जिनमे से सायद ही कोई खुले में शौच करता हो रेल पटरी या फिर खेतो में|जाहिर है इन लिस्टो में जो भी सचमुच का बड़ा भ्रष्टाचारी है वह कम से कम रेल पटरी या खेतो में तो शौच नही करता है, बल्कि दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद कहकर विकाश की खाल ओड़े शहरी और ग्रामिन दोनो को ही सबसे बड़ी बदनामी दे रहा है गुप्त दरवाजा बंद करके कालाधन का सबसे बड़ा अंबार लगाकर |जिसका नकाब या खाल जिसदिन भी उतर जायेगी पुरी तरह से उसदिन सारे बड़े बड़े भ्रष्टाचारी जेल जायेंगे और उनका सारा चोरी और लुट का धन भी जब्ती होगी|उसके बाद दरवाजा बंद नही सबसे बड़े बड़े भ्रष्टाचारी को बंद करो तो सबसे बड़ी बिमारी बंद कहते हुए जन्म से लेकर मरन तक उसकी साफ सुथरी कपड़ा कभी उतरे ही न यैसी चमत्कारी सर्जरी कर दी जाय कुछ लंगटा राजा वाली कहानी की तरह|या फिर वह लंगटा राजा जहाँ कहीं से भी अपनी लुटपाट का नेतृत्व कर रहा है, वह अपनी आँख में ही ऐसा चमत्कारी चस्मा लगा ले कि उसे कोई नंगी चीज दिखाई ही न दे जैसे की लंगटा राजा को भी दिखाई ही नही दे रही थी की वह खुद नंगा होकर प्रजा के बिच सिना ताने घुम रहा है|जिसे सब चीजे ढकी ढकी दिखाई दे रही थी,और प्रजा राजा का सबकुछ देखकर भी अनदेखा करके मानो खुशी के मारे नाच गा रही थी|लेकिन तभी एक बच्चे ने उस लंगटा राजा को भिड़ के बिच टोक दिया कि उसने कुछ भी नही पहना है|जो काल्पनिक कहानी अब भले कभी भी मुमकिन नही है,पर इस कहानी से हमे सबक जरुर लेते रहनी चाहिए रोजमरा की जिवन में आस पास घट रही चीजो को सत्य की तराजू में तौलकर|जिस तरह बिना तौले मेरी बात जिनको भी समझ में न आ रहा हो वे जब कभी भी देश या विदेश कहीं भी अपने घर से बाहर जाये कुछ दिन के लिये तो वे जिस जगह भी खाना पीना हगना मुतना नहाना धोना और सोना करे वे अपने मन से खुद ही प्रयोगिक रुप से ये सोचकर अपने लिये चयन करे कि अभी की सेवा में उनको मुलता दो प्रकार की सुविधा मिली है मान ली जाय, जिसमे से किसी एक को उन्हे अपने लिये चुन लेनी है|एक तो दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद शौचालय और दुसरा उसे दरवाजा बंद करके सो जाने के लिए घर दी गयी है|जिन दोनो में एक को चुनना है|उसी तरह दुसरी सुविधा और सेहतमंद सहायता के लिए उससे पुछा जा रहा है कि एक तरफ योग की सारी व्यवस्था है और दुसरी तरफ खाने पिने की सारी व्यवस्था है|जिसमे से आपको योग या खाना पीना में से किसी एक को चुनना है,या तो रोज भोजन कोरो या फिर रोज भुखे पेट योग करो|क्योंकि दुसरा उपाय आपको खुद इंतजाम करनी है खाली जेब गरिबी भुखमरी में जिकर|क्योंकि अजादी के सत्तर साल बाद भी अब भी इस देश में चालीस करोड़ बीपीएल भारत भुखे पेट सोने को भी मजबूर है और करोड़ो तो खुले आसमान में भी सोने को मजबूर है|यानि या तो दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद सुनकर वहीं पर खाकर वहीं पर सो जाओ या फिर खा पीकर घर में बिना योग किये ही सो जाओ खुदकी रोजमरा जिवन की मेहनत मजदुरी किसान काम धंधा भागदौड़ वगैरा करके|जैसे कि करोड़ो गरिब लोग बिना रामदेव के साथ उछल कुद योग किये भी मेरे ख्याल से रोज जितना कम में गुजारा कर लेते हैं उस बजट के अनुसार उनसे ज्यादा सेहतमंद भी रहते हैं भुखे पेट या आधा पेट खाकर भी|जिनकी पुरी दिनचर्या ही कठिन मेहनत मजदुरी करके मानो योग में बितती है|जो यदि जमिन में सोते हैं और उनके खाता में बैलेंस नही है कहते हैं तो उन्हे बीपीएल कार्ड की मान्यता भी मिलती है, और उनकी सारी जिवन बिना हवाई सफर,बुलेट ट्रेन सफर और महंगी वाहन सफर के बिना ही कटती रही है|चाहे तो रामदेव अपनी रोज की निजि बजट से उनकी बजट से तुलना करके देख ले|रही बात उनके लिये इन बुरे दिन और बुरे हालातो में शौचालय या घर दोनो में से किसी एक को चुनने की तो इस देश की सभ्यता संस्कृति कृषि प्रधान रही है,जिसमे पशु पक्षी और बाकि जिव जंतुओ के साथ साथ इंसान द्वारा भी खेत में शौच करके कृषि हरियाली पैदा की जाती है,और इसके बाद भी सम्मान पुर्वक बिना किसी सिकंदर की तरह बाहर घुम घुमकर दुसरो की झांके बगैर घर में या गर्मियो के दिनो में प्राकृतिक एसी का अनंद लेने के लिए किसी घर आंगन पेड़ के निचे ही सोकर परिवार समाज बसाने को ज्यादा महत्व दी जाती है, न कि स्थिर कृषि घर आंगन ही न हो और पुरी दुनियाँ घुम घुमकर घर की नीव और पेड़ के बजाय टेंट गाड़ते फिरो, मानो चिड़ियाघर वाली पिंजरे की तरह अस्थाई शौचालय बनाते फिरो ,जिसमे सोना खाना पीना हगना मुतना सब करो पर कृषि घर और समाज मत बनाओ |जिन पिंजरो और टेंटो का कोई स्थिर ठिकाना नही की कब उसकी विस्थापन का समय आ जाय|जिस तरह की कबिलई घुमकड़ टेंट सोच वाली सरकार की वजह से ही तो इस स्थिर कृषि प्रधान देश में भी करोड़ो लोग आज इधर से उधर और उधर से उधर भटकते हुए फुटपातो में भी सोने को मजबूर हैं गोरे कबिलई घुमकड़ लुटेरो से अजादी के सत्तर साल बाद भी|क्योंकि पुरी अजादी नही मिली है इस कृषि प्रधान देश को|जिसके चलते मर जवान मर किसान बुरे हालात को बदलकर सबके अच्छे दिन लाने की बाते करने वाली ये झुठी भाजपा सरकार भी चूँकि कांग्रेस युक्त पहले से ही है भितर भितर ,इसलिये ये भी उसी कबिलई सोच की परंपरा को ही मानो नया अपडेट करके आगे बड़ा रही है|जिन दोनो ही पार्टी की दबदबा में अथवा इनकी कबिलई सोच की केन्द्र में सरकार रहते बल्कि इन दोनो के द्वारा प्रमुख पक्ष और प्रमुख विपक्ष की भुमिका निभाते हुए भी कभी ये कृषि प्रधान देश वापस सोने की चिड़ियाँ अपडेड होकर विकाश की न०1 उड़ान नही भर सकती|क्योंकि इन दोनो ही पार्टी की भितरी सोच कृषि प्रधान मुल रुप से कभी नही रही है | जिसके चलते एक तो आधुनिक भारत करके मुठिभर के लिये आधुनिक कृषि प्रधान देश की सारी सुख सुविधा साठ सालो तक प्रदान कराती रही थी मर जवान मर किसान बुरे हालात पैदा कराकर,बजाय इसके की इस कृषि प्रधान देश में सुख शांती और समृद्धी जिवन हरियाली पैदा कराती|जो न करके मुठिभर को हर साल एक एक को एक छोटी मोटी राज्य की बजट जितनी बड़ी राशि छुट और माफी के रुप देकर बहुसंख्यक अबादी के बिच भारी गरिबी भुखमरी पैदा करती रही है|क्योंकि टेंट गाड़ने वाली सोच एक छोटे से दायरे तक ही सारी सुख सुविधा प्रदान करने की होती है,इसलिए वे मुठिभर लोगो की ही फायदे के लिए ज्यादेतर सोचते रहते हैं अपनी कबिलई सोच से|जो सोच जो लोग मजबुरी की वजह से टेंट गाड़ रहे हैं उनके लिए मैं ये टेंटवाली बात नही लिख रहा हुँ|जो लोग तो अभी मेरे लिए मानो इस सागर कृषि प्रधान देश को मिली अधुरी अजादी की वजह से विस्थापित या बंजारा बनकर भटकने को मजबुर किये गये हैं, उन्हे मैं नही कह रहा हुँ ,जिन्हे तो ये कबिलई सोच की सरकार अजादी से अबतक मजबुर करती आ रही है|बल्कि उन्हे कह रहा हुँ जिनकी भितर में ही मुठिभर बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो की झुंड को लेकर बोरिया बिस्तर और टेंट धरे बस इधर उधर घुम घुमकर और फिर कृषि समृद्धी को चुसकरके अपनी कालाधन पोटली भरने की सोच अब भी रही है,जो कि कृषि प्रधान देश में भी अबतक रहकर नही गयी है|जो सायद अब तबतक जायेगी भी नही जबतक की वापस अब जो उन्हे कृषि प्रधान देश के मुलवासियो ने मानो अपनी कृषि सभ्यता संस्कृति की सत्ता ताज पहनाकर अपने सर में हजारो सालो से मैला तक भी ढोने को मजबुर हैं,वे अब वापस अपना कृषि प्रधान सत्ता ताज लेकर उन्हे अपनी पुरानी असली रुप प्रदान करके अथवा सोने की चिड़ियाँ वापस अपनी कृषि प्रधान ताज पहनकर अपडेट करे|क्योंकि कबिलई सोच को बदलने की कृषि ज्ञान देते देते मानो विश्वगुरु कबिलई द्वारा ही कैद होकर रह गया है ,और अबतक कैद से पुरी तरह अजाद भी नही हो पा रहा है कबिलई की कैद से|जिसे पुर्ण अजाद होना जरुरी है,तभी ये कृषि प्रधान देश फिर से विश्वगुरु की उपाधि को प्रयोगिक पुर्ण रुप से वापस ले पायेगा,और उसके बाद ही पुरी दुनियाँ से भी गरिबी भुखमरी मिटाने की ज्ञान पुर्ण अजाद विश्वगुरु पुर्ण रुप से ज्ञान बांटकर पुरे विश्व में सुख शांती और समृद्धी कायम होगी,जिससे की मानवता और पर्यावरण में भी स्थिर कृषि संतुलन आ जायेगी|जिस बात को यदि पुरी दुनियाँ यदि और भी अच्छी तरह से प्रयोगिक रुप से जानना चाह रही हो,खासकर योग से सब रोग खत्म की जा सकती है कहने वाले,जिसमे रामदेव बाबा भी एक है जो अगली विश्व योग दिवस आने से पहले इसबार एक सप्ताह भुखा जरुर रहे,जिसकी थाली में कई सारे विटामिन होते हैं | मैं उन्हे कोई भुख हड़ताल करने के लिये नही कह रहा हुँ,जैसा की भ्रष्टाचार और अन्य कई बड़ी बड़ी अपराध के खिलाफ चलाई गयी आंदोलन में रामदेव और अन्ना हजारे के अलावे भी कई अन्य लोग कई कई बार भुख हड़ताल कर चुके हैं|बल्कि मैं उस तरह की भुखा रहने के लिये कह रहा हुँ जैसा की इस देश में अजादी के सत्तर साल बाद भी आजतक लाखो करोड़ो नागरिक हर रोज गरिबी की वजह से भुखे पेट ही सोने को मजबूर हैं| बल्कि अगली सुबह भी उन्हे मालूम नही रहती की उसदिन भी भरपेट भोजन खाने को मिलेगी भी की नही मिलेगी? कहीं फिर से दुसरे दिन भी पैसे न रहने और काम न मिलने की वजह से उन्हे भुखा पेट तो नही सोना पड़ेगा घर का दरवाजा बंद करके|वह भी अगर घर है तो कम से कम भुखा पेट दरवाजा बंद करके पुटपाथ की डेंजर और अपमानित हालातो में तो सोने से बच जायेगा|नही तो कोई डीजिटल गाड़ी कुचल देगी और बदले में एक अपनी अलग ही सुर में ये कह देगा कि फुटपाथ में कुत्ते की मौत मारा गया|जिस तरह की डेंजर और अपमान भरी बुरे हालात से तो कम से कम बचेगा,भले उसके अच्छे दिन न आये भुखा पेट के बजाय भरपेट खाकर दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद वाली प्रचार देख सुनकर शौचालय जाने की|हलांकि कुत्ते की मौत मारा गया कहने वाले को अपने भितर की इंसानियत से एकबार जरुर पुछनी चाहिए की वह जिसकी रोटी खाता है सुर गुनगुनाकर सुनाकर उस लिस्ट में जिसे वह कुत्ता कहा है उसकी भी तो नाम नही है शामिल उसकी सुर सुननेवालो के लिस्ट में?और अगर शामिल है तो फिर वह रोज किसकी रोटी खाता है अपनी अलग ही भाषा में?क्योंकि मेरे ख्याल से तो गरिब ही सबसे अधिक मनोरंजन के लिये फिल्म भी देखता है और गाना भी सुनता है,भले भुखा पेट सोता है|चाहे तो पता कर लिया जाय सबसे अधिक मनोरंजन करने वाले दर्शक अमिर होते हैं कि गरिब?जो यदि फुटपाथ पर सो रहे गरिब बेघर नागरिको के उपर किसी अभिनेता की गाड़ी चड़ने पर हुई मौत को,और फिर एक गायक द्वारा कुत्ते की मौत बताकर अपमानित करने की विरोध में, फिल्म देखना और संगीत सुनना यदि बंद कर दे, तो फिल्म दिखाकर और संगीत सुनाकर अन्न रोटी खाने वालो की एक भी फिल्म न देखकर, और एक भी संगीत न सुनकर क्या हाल हो जायेगी मनोरंजन उद्योग की?मेरे ख्याल से तो सायद फिल्म और संगीत उद्योग ही नही बल्कि पुरे देश में ही तनाव छा जायेगी इस बात को लेकर|वैसे भी कुछ दिनो के लिए भी जितना कुछ तनाव छाया था फुटपाथ पर सोनेवालो को कुत्ते की मौत मारा गया कहने पर ये क्या कम थी|बल्कि मैं तो कहता हुँ इस तरह की विचार मन में रखकर मनोरंजन कराने वालो की जिवन में बहुतो के साथ फुटपाथ में भी सोने की नौबत आ जायेगी यदि गरिब मनोरंजन करनाऔर गाना सुनना बंद कर दे उनकी ये कभी नही भुलनी चाहिए कुत्ते की मौत मारा गया कहने वाले को|जिस तरह की बुरे हालातो में भी कैसे शांत मुद्रा में मर रहा है और निंद में भी कितनी बेदर्दी से मारा जा रहा है,ये तो वही जान सकता है जिसके परिवार में गरिबी भुखमरी से मौते हुई हो|जिस तरह की मौत को रामदेव को भी बेहत्तर तरिके से एक सप्ताह भुखा रहकर उछल कुद योग करने के बाद आगे भी कई कई दिनो तक बिना कुछ खास प्रकार की फल फुल और सब्जी वगैरा खाये कुपोषित होकर योग दिवस के दिन कपाल भाती और बाकि आसन, देश के उन करोड़ो कुपोषित बुढ़े जवान नर नारी,खासकर भुखमरी का शिकार बच्चो को कपाल भाती और उछल कुद रोज कराकर, उनकी भुखमरी से होनेवाली समस्या और बिमारी को भी ये कहकर दुर करने की प्रयाश करे, कि योग से भुखमरी और गरिबी कुपोषन भी दुर होगी और सबकी आर्थिक स्थिती भी ठीक होगी|और खुदकी उदाहरन देते समय सबको ऐ भी अश्वासन दे कि देखो मैं कुछ नही खाता पर किस तरह से सेहतमंद हुँ,और रोज घंटो उछल कुद करता रहता हुँ|मेरी तरह तुम भी रोज बिन खाये उछल कुद करने लगोगे अगर भुखमरी और गरिबी का शिकार होकर भी मेरे साथ खाली पेट सुबह शाम योग करोगे|जिस तरह की प्रवचन देनेवाले रामदेव बाबा को तमाम कुपोषित और गरिबी भुखमरी का शिकार लोगो की ओर से रामदेव और उनके उन तमाम संर्थको को,जो भी ऐ कहते हैं की योग से सब ठीक हो जायेगा,गरिबी और भुखमरी भी दुर होगी,तो उनको मैं भी अपनी तरफ से सुझाव और राय देता हुँ कि राजयोग के जरिये अच्छे दिन लाने की सरकार का तीन साल तो हो गया,जो कभी अजादी के समय पुरे देश की जब चालीस करोड़ जनसंख्या थी, उस समय कांग्रेस के नेतृत्व में आधुनिक भारत और बाद में गरिबी हटाओ का नारा देकर, वर्तमान में अब भाजपा नेतृत्व में भी साठ महिने साईनिंग इंडिया के बाद तीन साल डीजिटल इंडिया का नारा देते देते, देश और जनता के अच्छे दिन लाते लाते ,अजादी के समय पुरे देश की जनसंख्या चालीस करोड़ से अब चालीस करोड़ बीपीएल भारत विकाश सफर तय करते हुए अपडेट गरिबी भुखमरी डीजिटल बीपीएल कार्ड हो गई है,जिसके डीजिटल बीपीएल कार्डो का सुख दुःख में शामिल होकर रामदेव और तमाम मंत्रीगण और उच्च अधिकारी कम से कम एक महिना आधा पेट खाना उन्ही कार्डो से मिली राशन पानी खाकर और बिच बिच में भुखे पेट भी सोकर बिताने के बाद कुपोषित होकर उछल कुद और कपालभाती योग करके गरिबी और भुखमरी को दुर करने का प्रयाश करके देख ले उनके अच्छे दिन|क्योंकि तीन साल में कुछ नही हुआ तो अब दो साल में मर जवान मर किसान बुरे हालात को बदलकर सबके लिए अच्छे दिन लाने की जो भाषन अश्वासन रामदेव के भी मंच से हुई थी, वह सब वादे भी पुरे नही होने वाले हैं,और न ही रामदेव जो दुनियाँ की सबसे भ्रष्ट पार्टी कांग्रेस है कहकर कांग्रेस के भ्रष्ट नेतृत्व को भाजपा सरकार आने के बाद शीर्ष आसन कराकर जेल में डलवायेंगे कहकर बड़ी बड़ी बाते भाजपा के साथ मंच साझा करके मीडिया और प्रजा दोनो के सामने लाईव कही गयी थी दोहरा दोहराकर,उसे यदी प्राण जाय पर वचन न जाय अब कहकर भी रामदेव और भाजपा पार्टी सारे वादो और बातो को पुरा करनी भी चाहे तो भी अब उनकी बातो और वचनो पर कम से कम मैं तो कतई भी विश्वास नही करुँगा और यही कहुँगा कि अब बचा समय में चाहे जितना रामदेव योग करा ले पुरी सरकार को भी अपने योग मंच पर लाकर और चाहे जितनी जड़ी बुटी और पतंजली की पोषन युक्त दवा दे खुदको और सारे मंत्री और उच्च अधिकारियो को|कपालभाती करे या भांती भांती का अपनी तर्क दे मीडिया या कोई अन्य माध्यम से कि दो साल और बचे हैं इस सरकार की जरुर अच्छे दिन आयेंगे, और कालाधन जब्ती के साथ सारे भ्रष्टाचारी जेल जायेंगे, और पनामा व स्वीज बैंक लिस्ट का फाईनल फैसला भी आऐगी|सच्चाई तो यही है कि कांग्रेस की तरह भाजपा सरकार भी फेल हो चुकी है|और रामदेव भी फेल हो चुका हैं अपने वादे और सलवार सुट पहनने को मजबुर करनेवाली कांग्रेस को जवाब देने की इरादो पर| जिस कांग्रेस के कई नेता और मंत्री भाजपा युक्त हो चुके हैं|जो यदि पहले कांग्रेस में रहकर दुध दही खाये होंगे तो अब भाजपा युक्त होकर मखन मलाई खा रहे होंगे|वैसे तो भाजपा के साठ महिने की साईनिंग सरकार पहले भी केन्द्र में शासन कर चुकि है इसलिये इसबार की भी चुनी गयी साठ साल बनाम साठ महिने की सरकार फिर से कोई खास बदलाव नही ला पायी गरिबी भुखमरी और मर जवान मर किसान के बुरे हालात मामले में,इस बात पर तो जरुर आश्चर्य नही होनी चाहिए उन लोगो को जिन्होने भाजपा को कभी भी अपनी पसंद माना ही नही है देश और प्रजा की अच्छे दिन लानेवाली पार्टी के रुप में|बल्कि जिन्होने भाजपा को वोट दिया है उनके सामने ही तो वापस वोट मांगने जाने के लिये भाजपा अब 2019 में होनेवाली लोकसभा चुनाव से पहले अपनी गलतियो की समीक्षा करेगी |जिसमे तो निश्चित तौर पर यही नतिजा मेरी तरफ से आयेगी कि ये सरकार अपने इसबार की शासन के दौरान झुठ बोलने में भी रिकार्ड तोड़ भाषन दी है|जो बिच बिच में आयी बाकि भी चुनाव प्रचार या जब भी ऐसी जुमलाबाजी करने का मौका मिली है,जिसमे की जनता को खुश करने और वोट बटोरने के लिए बाते की गई है,तो भाजपा की सरकार मानो चुनाव जितने की जस्न और फिर से वोट बटोरने की कुटनिति मोड में ही हमेशा भितर से रही है|जिसके कारन शासन के दौरान प्रजा की सेवा होने के बजाय शोषन अत्याचार ज्यादा हुए हैं|जिसका सबसे बड़ा प्रमाण तो मैं अपनी निजि अनुभव के हिसाब से खुदकी जिवन में ही पिछलीबार के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने जिस तरह अपनी शासन के दौरान शोषन के रुप में दुःखो का पहाड़ दिया था,और मैने अपने दोस्त रिस्तेदारो और घर के सारे सदस्यो को भी ऐ कहा था कि जिस तरह की दुःख इस परिवार को कांग्रेस सरकार ने दी है, उससे उसको इसबार अपनी कुकर्मो की सजा या प्राश्चित के लिए जाना निश्चित हो गया है|जो मेरी बात को नही माने थे भले चाहे जितने कांग्रेस विरोधी थे,जो अब मेरी जानते हुए भाजपा में चले गये हैं, जो कि स्वभाविक था,जिसके लिये मैं आश्चर्य कभी नही करता,क्योंकि मैं कांग्रेस भाजपा दोनो को ही एक ही सिक्के के दो अलग अलग ब्रांच पार्टी भी मानता हुँ,जिसका मोल एक का ही देता हुँ| वैसे भाजपा और कांग्रेस के भी ज्यादेतर समर्थक इन दोनो ही पार्टियो को मानो ब्राच पार्टी मानकर ही कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को ही वोट करते हैं|जिसकी चुनाव विश्लेषन में भी ये बात सामने आती है कि भाजपा के वोट कांग्रेस में गयी इसलिए वह चुनाव भारी बहुमत से जीत गयी या फिर कांग्रेस का वोट भाजपा में गयीइसलिए वह भारी बहुमत से चुनाव जीत गयी जैसा की 2014 के भी लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से भाजपा चुनाव जीती थी कांग्रेस का वोट लेकर|खैर पिछलीबार की कांग्रेस सरकार की तरह इसबार भी चुँकि मैं और मेरा परिवार भाजपा सरकार से दुःखो का हिमालय झेलें है,जो की स्वभाविक था ,क्योंकि भाजपा कांग्रेस का ही दुसरा रुप है जैसा की मैने पहले बतलाया|जिसके कारन जाहिर है कांग्रेस सरकार के समय दिए गए जख्मो वाली बुरे दिन में भाजपा की सरकार जख्मो में नमक छिड़कर बुरे दिन दिए हैं | इसलिए निजि तौर पर कह सकता हुँ कि इसबार भाजपा भी 2019 में कांग्रेस से भी बुरी हार का सामना करेगी यदि मेरी तरह इसबार भी बहुसंख्यक जनता अपने और अपने देश के जख्मो में नमक छिड़का महसुस कर रही होगी|पर दिए गए जख्मो में उम्मिदो का मलहम लगाने के लिये इसबार इन दोनो ही भाजपा और कांग्रेस पार्टी को सजा और प्राश्चित दिलवाने के साथ साथ ऐ सिख देना भी जरुरी हो गयी है कि सिर्फ कथनी भर कह देने से गरिबी नही हटती और न ही अच्छे दिन आते हैं|बल्कि सत्ता पावर मिलने के बाद उस कथनी को करनी में भी परिवर्तित करनी पड़ती है| तब जाकर गरिबी भी मिटेगी और सचमुच में देश और प्रजा की अच्छे दिन भी आयेंगे|सिर्फ प्रजा की कृपा से मंत्री पद की शपथ लेकर गाड़ी बंगला से लेकर सारी सुख सुविधा अपने लिए प्राप्त करने के अलावे अब तो पंद्रह से बिस लाख का सुटबुट भी पहन लेने से सबके अच्छे दिन नही आयेंगे,बल्कि सबके अच्छे दिन तब आयेंगे जब प्रजा ने जो भारी बहुमत वोट कृपा कि है उसे सेवा वापसी में सरकार की तरफ से भी सेवा और कृपा बरसाई जाय जिससे की गरिबी और भुखमरी भी मिटे और मर जवान मर किसान बुरे दिन भी जाकर सबके अच्छे दिन भी आए|जैसे कि यदि मुझे कोई मेरे ही बातो को वापस करके मुझसे यदि कहता कि मैं भी केन्द्र सत्ता में रहता तो यही करता तो उन लोगो को मैं अभी भी प्रयोगिक रुप से शपथ लेकर बतला सकता हूँ कि मुझे यदि यैसा कुछ मौका मिलता तो मैं गरिबी भुखमरी दुर करने के लिये अनगिनत नियम कानून बनाने के बजाय शपथ लेकर सबसे पहले प्रजा को जिस तरह क्या धन्ना क्या गरिब दोनो को ही एक एक वोट देने का अधिकार प्राप्त है,उसी तरह अभी जो भेदभाव बजट बनाकर एक तरफ तो एक एक धन्ना को एक छोटी मोटी राज्य के बजट जितनी बड़ी राशि छुट और माफी के रुप में दी जाती है जबकि बाकियो को नाम मात्र हजार बजार रुपये की सब्सिडी के नाम से छुट और माफी दी जाती है,उस भेदभाव निति को समाप्त करके सभी नागरिक को हर साल हजारो करोड़ न सही पर कम से कम एकबार तो एक एक लाख रुपया सबके खातो में जो की आधार कार्ड से लिंक रहती उसमे डालने जा रहा हुँ सार्वजनिक घोषना करके डाल भी देता और जिनका खाता आधार कार्ड से लिंक नही है या फिर बैंक खाता ही नही है उसे जल्द खोलने के लिये किसी जनगनणा की तरह घर घर विशेष पहुँच सुविधा प्रदान करता,ताकि उनको भी एक एक लाख मिल सके न कि सिर्फ धन्ना कुबेरो को ही हर साल एक एक को हजारो करोड़ की बड़ी राशि छुट और माफी के रुप में मिले|बल्कि हर साल धन्ना कुबेरो को जो कई कई लाख करोड़ रुपये की बड़ी राशि खर्च करती है सरकार,उसे न करके उन धन्ना कुबेरो को भी और गरिब मध्यम सबको एक समान राशि उनके खातो में डालता उनके हक अधिकार की हिस्से की राशि के रुप में|खैर बिना खुद सरकार बने इस तरह की बाते करना प्रजा को फिल्मो में ही मुमकिन लगती है इसलिए फिलहाल तो बाकि क्या करता विकाश के नाम से ये तो खुद प्रजा पता करे मेरे विचारो को जानकर और खुदकी विचारो को भी जानकर कि वे क्या करते यदि सरकार होते?मेरे लिये तो सबसे पहले गरिबी भुखमरी दुर करके उस सोने की चिड़ियाँ को अपडेट करना है, जो पहले से ही जड़ से अमिर है पर चालीस करोड़ बीपीएल भारत है|जिसकी गरिबी दुर करके सोने की चिड़ियाँ अपडेट करने के लिये साठ महिना साईनिंग इंडिया के बाद अब तीन साल डीजिटल इंडिया में भी ऐसा कुछ नही कर सकी सरकार तो बाकि बचे दो सालो से भी कम का समय में अब ऐसा क्या कुछ होने वाले हैं जिससे की देश और प्रजा की अच्छे दिन आने वाले हैं|बल्कि बचे हुए दिन में तो अब ये जुमलाबाजी सरकार अपनी नयी जुमलाबाजी की अपडेट तैयारी में जुट जायेगी और कैसे बुरे दिन को अच्छे दिन बताकर फिर से इसी तरह का अच्छे दिन लायेगी ये भाजपा सरकार इसकी चुनावी परिक्षण सुरु हो जायेगी|जिसमे प्रमुख रुप से इसबार फिर से दुबारा भाजपा को ही वोट करें इस प्रकार की वोट ठगने की नयी तैयारी सुरु हो जायेगी|क्योंकि जो गरिब सबके अच्छे दिन आयेंगे सुनकर भाजपा को वोट देकर भाजपा सरकार के आने के बाद डीजिटल इंडिया सुनते देखते गरिबी भुखमरी से मर गया उसका पुरा परिवार ही अब फिर से एक बार गरिबी हटाओ की कांग्रस सरकार की तरह भाजपा सरकार से भी खुदको ठगा ठगा सा महसुस कर रही होगी |जो यदि नही कर रही होगी तो और क्या कर रही होगी कि फिर से अपकीबार ऐसी ही गरिबी की मार कहकर भाजपा को ही 2019 में वोट देने की तैयारी में जुट जायेगी गरिब प्रजा?जिस सरकार के मंत्री और उच्च अधिकारी एक भी भुखमरी और कुपोषन से नही मर रहे हैं,जिनकी संसद में कभी किसी सेवक मंत्री और उच्च अधिकारी की भुखमरी और कुपोषन से मौत होने की वजह से दो मिनट की मौनवर्त नही रखी गयी हो कभी,जबकि कहने को तो चुनाव के समय गरिब जनता मालिक और खुदको नौकर बताकर वोट मांगते हुए सबके अच्छे दिन लाने की भाषन और अश्वासन होती है,पर सच्चाई ए है कि वही जनता मालिक हर रोज भुखमरी और कुपोषन से हजारो की तादार में मरते हैं,और हर रोज मर जवान मर किसान बुरे हालात भी कायम है|पर इन बुरे हालात में वही जनता मालिक झुगी झोपड़ियो और फुटपाथो में रहकर उधर बंगलो में रहनेवाला मंत्री और उच्च अधिकारी जैसे सेवको के गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत की खबर कभी भी मंत्री पद की शपथ लेने के बाद नही आने वाली है,भले ही क्यों न उससे पहले वे गरिबी में लड़ मरकर चुनाव जितने के बाद गरिबी को करिब से खुद भी जिने के बाद सबकी गरिबी दुर करने की भाषन अश्वासन पुरी जिवन देते रहे|जनता मालिक के अच्छे दिन लाने के लिए सिर्फ मंत्री पद की शपथ लेने या फिर उच्च अधिकारी बनते ही उनकी गरिबी और भुखमरी चंद दिनो या महिनो में ही क्यों दुर हो जाती है?जबकि अजादी से लेकर अबतक सत्तर सालो में भी आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ,और साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया का नारा देकर इतने साल जनता मालिक और देश की सेवा केन्द्र सरकार पर रहने के बाद भी क्यों नही गरिबी भुखमरी करोड़ो जनता मालिक और समृद्ध देश की नही दुर होती है?क्यों सिर्फ मंत्रियो और उच्च अधिकारियो की गरिबी चंद महिनो में ही छु मंतर करके गायब हो जाती है सेवक बनते ही?जिस तरह की जादुगरी ये सेवक जनता मालिक की गरिबी दुर करने में अपने पुरे कार्यकाल बल्कि जिवनभर भी क्यों नही छु मंतर कर पाते हैं?कभी किसी ने सुना है कि मालिक अपने सेवक को बंगला और जेड सुरक्षा देकर अपने लिए गरिबी और भुखमरी देनेवाली बुरे हालात चुनता है महंगी सेवक के रुप में?मेरे ख्याल से कोई भी ऐ कभी नही स्वीकारेगा कि असल जिवन में बंगला में रहने और जेड सुरक्षा वाला सेवक और भुखमरी कुपोषन से हर रोज हजारो की तादार में मरनेवाला जनता मालिक की असंतुलित रिस्ता के बिच में कभी भी अच्छे दिन आनेवाले हैं,जबतक की मंत्री और उच्च अधिकारी भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरने न लगे और रामदेव भी भुखमरी कुपोषन का शिकार होकर उछल कुद करते हुए कपालभाती करके जमिन पर रामलीला मैदान की तरह लेटकर डॉक्टरी इलाज के लिए जाने की स्थिति में योग करते हुए भुखमरी योग महसुस करके सबको योग के साथ साथ ये ज्ञान भी बांटने न लगे कि सरकार जबतक गरिबी और भुखमरी दुर नही कर देती तबतक दुनियाँ में कोई भी ऐसी योग वह सबको नही सिखला सकता जिससे की भुखमरी और कुपोषन से होनेवाली मौते रुक जाएगी योग करने से|चाहे जितना योग कर लो या जितनी बार कांग्रेस और भाजपा सरकार बदल लो|सबसे बड़ा योगी वही है जो सुख शांती और समृद्धी देश और प्रजा दोनो के लिये ला दे|जिसके बगैर सिर्फ युवा भारत कहते कहते बुढ़े होकर जाते और आते रहेंगे सरकार में मंत्री और उच्च अधिकारी,जैसे की आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ का नारा देने के बाद बने मंत्री और अधिकारी समय के युवा भारत अब बुढ़ा मंत्री और उच्च अधिकारी होकर एकबार फिर से युवा भारत साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया का नारा लगाने वाले कल के बुढ़ापा में चालीस करोड़ बीपीएल भारत को ही अपडेट करने वाले हैं, यदि इसी तरह झुठे भाषन और अश्वासन देने वालो को चुनकर सरकार बनाने की सिलसिला चलती रही|जिसके बारे में मीडिया में या कहीं पर भी चाहे जो तर्क दो की इसबार गरिबी और भुखमरी दुर होगी और देश और जनता मालिक के अच्छे दिन आने वाले हैं|यदि भाजपा और कांग्रेस में से किसी एक को अगली चुनाव में भी भारी बहुमत से जीत हासिल हुई तो भी मैं और मेरे समर्थक कभी भी ये नही मानेंगे की ये भाजपा और कांग्रेस सरकार कभी भी गरिबी और भुखमरी दुर कर पायेगी सिवाय मंत्री और उच्च अधिकारियो समेत मुठिभर को धन्ना कुबेर बनाकर उनकी गरिबी और भुखमरी दुर करेगी|जिससे पुरे देश परिवार की गरिबी और हर रोज गरिबी और भुखमरी से होनेवाली हजारो मौते नही रुकनेवाली है|और न ही मर जवान मर किसान के बुरे हालात बदलकर देश और करोड़ो जनता मालिक के लिए अच्छे दिन आने वाले हैं,जबतक कि गरिब जनता मालिक की सेवा करते हुए मंत्री और उच्च अधिकारी भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरने लगे,ऐसी खबरे रोज न आने लगे|या तो वे जिस तरह की अपनी गरिबी दुर करके भरपेट खाकर जिवन जी रहे हैं,उसी तरह सबकी गरिबी भी दुर हो और कोई गरिबी की वजह से भुखा पेट भी न सोये|अन्यथा रामदेव भी मेरे पास एक रुपये का बैंक बैलेंस नही है कहकर अपने लिये बीपीएल कार्ड बनाकर कभी कभी भुखा पेट सोकर भी गरिबी और भुखमरी का शिकार होकर उछल कुद और कपालभाती योग करते समय बिना कसकर सांस लिये और बिना सांस बाहर छोड़े ही उसकी पेट की सारी अतड़ी और पंजर दिखने लगे ऐसा भी योग मंच सजे|साथ साथ योग करते समय ये भी पुछना न भुले की योग करने के साथ साथ सरकार तुम्हे भरपेट खाना पिना खिला पिला रही है कि नही?और अगर नही खिला पिला रही है तो फिर ये सरकार चुँकि रामदेव की सिफारिश सरकार भी है इसलिए सरकार के साथ रामदेव की भी हार है,कहकर रामदेव अपने मंच में भुखमरी और कुपोषन से हर रोज मर रहे लोगो की रिस्तेदारो के सामने ये स्वीकार करे की खासकर गरिब समर्थको को विश्वास में लेकर उनकी कही गयी बाते फेल साबित हुई है की कांग्रेस सरकार के जाने और भाजपा सरकार के आने से सबके अच्छे दिन आ जायेंगे और एक हजार लाख करोड़ कालाधन की जब्ती होकर उन्हे चुराकर रखनेवाले सारे भ्रष्टाचारी जेल जायेंगे|जो नही होने का मतलब साफ है कि इस फेल सरकार की जिम्मेवारी न तो भाजपा कभी लेनेवाली है और न ही रामदेव बाबा ही हर रोज गरिबी और भुखमरी से होनेवाली हजारो मौत और मर जवान मर किसान बुरे हालात को न बदलवा पाने की जिम्मेवारी लेनेवाले हैं,भले ही क्यों ना रामदेव और भाजपा के बिच मंच पर लाईव खास दो दर्जन समझौता हुई हो|न तो कांग्रेस गरिबी हटाओ का नारा देकर चालीस करोड़ बीपीएल भारत के साथ बार बार फेल सरकार साबित होकर भी दुबारा चुनाव में फिर से सत्ता में आने की सपने देखनी छोडनेवाली है़ कई दशक तक राज करने के बाद भी,और न ही भाजपा साठ महिने साईनिंग इंडिया के बाद तीन साल डीजिटल इंडिया सरकार का भी समय हो जाने के बाद ये अश्वासन देना छेड़ने वाले हैं कि और अभी दो साल बचे हैं,तबतक अच्छे दिन आ जायेंगे|काश की असल जिवन में इनकी कही गयी बाते काल्पनिक भारी बजट की फिल्म रुप की रानी चोरो का राजा की तरह भारी फ्लॉप सरकार साबित न होती मेरी नजर में|बाकि लोगो की नजर में ये सरकार कितनी हिट और सुपर हिट है ये तो वही लोग जाने पर मैं और मेरी बातो का समर्थन करनेवाले तमाम समर्थक कांग्रेस की तरह इस सरकार को भी सुपर फ्लॉप सरकार मानते हैं|जिसको चाहे जितनी मेकप कर लो जिस तरह गुलाब की सुगंध कोई अपने में छिड़ककर हमेशा गुलाब की तरह नही महक सकता उसी तरह ये सरकार भी अच्छे दिन लाने की सुगंध छिड़ककर अच्छे दिन आ गए हैं खुशबु की तरह लंबे समय तक नही महक सकती और न प्रजा को ज्यादा बहका सकती है अपने अपडेट जुमलाबाजी से|क्योंकी अच्छी सरकार जिस तरह किसी गुलाब को गुलाब की तरह महकने के लिए गुलाब की खुशबु लगाने की जरुरत नही पड़ती है उसी प्रकार कोई अच्छी सरकार को बार बार अच्छे दिन आ गए हैं की खुशबु फैलाने के लिए महंगी महंगी प्रचार और भाषन प्रवचन करने की जरुरत नही पड़ती है,बल्कि वह चारो तरफ अपनेआप ही अच्छेदिन आने की खुशबू आने लगती है|जो कि फिलहाल तो हर रोज मर जवान मर किसान और गरिबी भुखमरी से मौत की भी खबरे हर रोज आना बंद नही हुई है और न ही चालीस करोड़ बीपीएल के घर में अमिरी की खुशबु आने लगी है सिवाय मुठीभर लोग ही अमिर बन पा रहे हैं|जैसे की कोई लंगर बिठाकर मुठीभर को छपन भोग कराकर बाकियो को नोटबंदी की तरह कतार लगवाकर भुखे पेट सिर्फ अभी मिलेगा अभी मिलेंगे अभी आ रहा है भोजन अश्वासन का पत्तल धराकर भुखे पेट सब्सिडी गैस और भ्रष्टाचारियो की भ्रष्ट बदबू सुंघाकर मरने के लिए छोड़ दिया हो|गरिबी भुखमरी का शिकार जनता मालिक क्या करें बिना कुछ खाये दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद कहकर मिल रहा शौचालय में जाकर बैठा रहे ये सोचकर कि चलो इसबार कुछ नही निकला अगलीबार सायद बिना खाये निकल जाय|जो कतार लगाकर खाली पेट शौचालय में दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद कहकर भुखा पेट सेहतमंद जिवन और सरकार का इंतजार भी तो सभी के सभी नही कर सकते|क्योंकि भुखमरी और गरिबी से होनेवाली मौत इतिहास हर रोज दर्ज हो रही है|जिसके बिच मुठीभर को कतार लगाकर छप्पन भोग खिलाने की भी इतिहास दर्ज हो रही है|जिसे आनेवाली नई पिड़ि परिवार के दोस्त रिस्तेदार गरिबी और भुखमरी के साथ साथ मर जवान मर किसान बुरे हालातो के बारे में पढ़ेंगे वे जरुर एकबार ये सोचना नही भुलेंगे की किस तरह की आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ और साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया की नारा देकर भारी मतो से चुनकर आई भाजपा और कांग्रेस की सरकार के नेतृत्व में अच्छे दिन आते रहे लम्बे समय तक राज करने के बाद|जबकि बाकि पार्टियो को तो एकबार भी इस दौरान केन्द्र में नेतृत्व करना तो दुर प्रमुख विपक्ष दल कहलाने का भी मौका नही मिला सिवाय एक पार्टी को चंद समय तक सरकार बनाने का मौका मिलकर|जो भी अब भाजपा में खुदको विलय कर चुकी है अच्छे दिन आनेवाले हैं कहकर| फिलहाल बस इतना ही,चुँकि मैं लिखावट की साज सजा से ज्यादा ध्यान अपने विचारो को जल्दी से व्यक्त करने में ज्यादे ध्यान देता हुँ, इसलिए लिखने में पहले भी और आज भी अक्षर और चिन्ह वाली गलतियाँ बहुत सारी हुई होगी, जिनमे कि लगभग चौबीस हजार शब्द हैं,उन गलतियो के बावजुद भी मेरे विचारो को पढ़ने और समझने के लिए धन्यवाद!
मेरे आज के विचार सारांश जो मैं आज के बाद प्रत्येक पोस्ट में लिखुंगा:-"किसी के बिगड़ी भाषा और बिगड़ी अक्षरो में नही बल्कि उसके सोच विचारो से उनकी इंसानियत की पहचान करो क्योंकि बड़े बड़े बुरे लोग भी बड़ी बड़ी उच्च ज्ञान की डिग्री लिये हुए रहते हैं|"
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