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रविवार, 20 अगस्त 2017

जैसे बीपीएल रेखा है उसी तरह अमिरी की भी कोई सिमा जरुर हो

अमिरी गरिबी की खाई इतनी बड़ी होती जा रही है कि उसे सभी राज्यो की सरकार समेत पुरी केन्द्र सरकार भी अजादी के सत्तर सालो तक इतनी सारी गरिबी भुखमरी दुर करने की योजनायें बनाकर भी,देश अजादी के समय चालीस करोड़ अबादी थी,उतनी अबादी वर्तमान में गरिबी रेखा से भी निचे की बीपीएल जिवन जिने को मजबूर है!कांग्रेस की आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ का विकाश सफर की सुरुवात करके वर्तमान भाजपा सरकार की साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया विकाश सफर तक सिर्फ हर बार भारी बजट की चुनाव प्रचार करके जनता मालिक के बिच खुब सारा भाषन अश्वासन, उसके बाद जनता मालिक की वोट कृपा से सिर्फ भाजपा कांग्रेस युक्त सरकारे आती जाती रही है!पर इस समृद्ध देश से गरिबी दाग अबतक नही मिट पाई है!इसलिए मेरे ख्याल से देश में अब किसी तीसरी पार्टी की सरकार भारी बहुमत से चुनी जाने के बाद एक ऐसा नियम कानून बने की किसी भी नागरिक के पास तय से अधिक राशि इकठा हो तो वह सब देश की सम्पत्ती समझी जाएगी!सभी नागरिक चूँकि देश परिवार के सदस्य होते हैं,जिनका गरिब होना देश परिवार का गरिब होना है!और इस देश में कोई सदस्य अति गरिब कैसे हो सकता है,जबकि सोने की चिड़ियाँ की पहचान बना चुका देश जड़ से प्राकृतिक खनिज सम्पदा और इंसानी बल क्षमता से समृद्ध और ताकतवर देश है!इसलिए जाहिर है इस देश का कोई भी नागरिक जड़ से गरिब हो ही नही सकता यदि सरकार खुद चाहे!बल्कि गरिब उन्हे बनाया जाता रहा है जन्म से ही उनकी हक अधिकारो को मारकर!ताकि वह हमेशा ही लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत आर्थिक और समाजिक राजनैतिक समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो में पिछड़ा रहे और कमजोर होकर अपनी हक अधिकारो की ठीक से अवाज न उठा सके!जो दिनभर ज्यादेतर पेट की ही चिंता में लगा रहे,जिससे कि दुसरी तरफ मुठीभर लोग गरिबी भुखमरी से निफिकिर होकर भोग विलाश में भी लिप्त रह सके!जबकि सिर्फ यदि गरिबी और अमिरी के बिच जो असंतुलन बना हुआ है उसे दुर करने के लिए भी ये नियम कानून बने की अति गरिब जैसा की अभी बीपीएल को माना जाता है,उस दायरे में जो भी नागरिक आ जाता है,तो उसे सरकार तुरंत उस दायरे से बाहर निकालने के लिए आर्थिक मदत के रुप में हर महिने छोटी राशि के साथ साथ एकबार एकमुस्त मोटी राशि भी प्रदान करे,जैसे की धन्ना कुबेरो को हर साल छुट या माफी राशि के रुप में मोटी राशि मिलती है!मैं ये नही कह रहा हुँ कि धन्ना कुबेरो की तरह सभी बीपीएल को हजारो करोड़ की मदत मिले जो कि सरकार दे भी नही पायेगी यदि देना चाहे तो भी,बल्कि इस देश के तमाम धन्ना कुबेर भी मिलकर यदि इतनी मोटी राशि सभी चालीस करोड़ बीपीएल को देना चाहे तो भी वे दे नही पायेंगे और सभी कंगाल हो जायेंगे!चाहे तो मन में सिर्फ कल्पना करके ही सभी बीपीएल को एक एक को हजारो करोड़ की राशि देकर देख लें सभी धन्ना कुबेर,दे पायेंगे कि नही दे पायेंगे अपने हिसाब किताब की खाते में!खैर ये तो रही देने की बात कि सरकार किसे कितनी दे सकती है बिना कोई आर्थिक तंगी के,जबकि मुठीभर धन्ना कुबेरो को मोटी आर्थिक मदत हर साल देना सरकार के लिए आम बात है!जबकि सभी धन्ना कुबेर भी मिलकर सभी बीपीएल को एकबार भी इतना दे पाना नामुमकिन है!जो मानो किसी गणेष को बिना अन्नपुर्णा की हाथ से बनी चावल के धन्ना कुबेर के महलो की दावत में छप्पन भोग खिलाने जैसा है!इसलिए सभी बीपीएल को एक एक के खाते में हजारो करोड़ न सही पर लाखो रुपये तो जरुर दी जा सकती है!जो भी यदि नही दे सकती सरकार सभी गरिब बीपीएल के खाते में पन्द्रह से बिस लाख तो भी मेरे ख्याल से एक दो लाख रुपया तो प्रत्येक गरिब बीपीएल को दे ही सकती है सरकार!जो भी यदि नही दे पा रही है तो फिर जिस तरह एक एक धन्ना कुबेर को समृद्धी की खुदाई के लिए खनिज सम्पदा की माईंस गैरकानूनी तरिके से छुट प्रदान करती रही है,जो जमिन वगैरा भी किसी ने कहा टॉफी की किमत पर देती है सरकार,जो यदि सच है तो उसी तरह गैरकानूनी नही बल्कि नियम कानून बनाकर एक एक गरिब बीपीएल को दो चार लाख रुपये की खनिज सम्पदा और जमिन तो दे ही सकती है!ताकि उसे बेचकर या उससे अपनी आमदनी बड़ाकर जल्द अमिर बन सके गरिब बीपीएल!जिसे प्रयोगिक रुप से जानने के लिए धन्ना कुबेरो को जो हर साल आर्थिक छुट और माफी मिलती है उसे बंद करके हर महिने का उन्हे सिर्फ राशन पानी देकर देख ले सरकार पता चल जायेगा कि बीपीएल कार्ड बनवाकर सिर्फ आधा पेट राशन पानी देने से विकाश में तेजी नही आती है!बल्कि सिर्फ जिन्दा रहने की ऐसी बुरी हालात बनती है जिससे की गरिब बीपीएल का जो शारिरिक और वोट देने की क्षमता है उसका इस्तेमाल होने लगता है!जिसके बारे में मैं ये भी लिखने से नही हिचकिचाउँगा कि जिस तरह गुलामो को खटाने के लिए उन्हे सिर्फ जिन्दा रहने की भोजन दी जाती थी ताकि देश की तमाम संसाधनो का उपयोग करके सिर्फ मुठीभर गोरे अँग्रेज और उनके चाटूकार  सहयोगी मिल बांटकर भोग विलास कर सके गुलामो की शारिरिक बल का इस्तेमाल करके बड़ी बड़ी महल और महंगी महंगी तमाम तरह की भोग विलाश करने का निर्माण करने के लिए,जहाँ शारिरिक बल की जरुरत पड़ती है,वहाँ जिस तरह गुलामो की जन बल ताकत का इस्तेमाल की जाती है,उसी तरह ही मेरे ख्याल से अब भी कुछ मुठीभर गोरो के चाटूकार जो देश छोड़कर कहीं बाहर नही गए हैं,बल्कि यहीं पर हैं,क्योंकि सिर्फ गोरो से अजादी मिली है,गोरो की चाटूकार से नही!जाहिर है गोरो के गुलामी भक्त अपने आकाओ की ही नक्से कदम पर चलकर आज भी इस देश के मुलवासियो को दबाकर अन्याय अत्याचार करना नही छोड़े हैं!जिसके चलते यह कहा जा सकता है कि इस देश को अभी अधुरी अजादी मिली है!जिसे पुरी अजादी मिल गयी तब मानी जायेगी जब इस देश के लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो के प्रमुख पदो में इस देश के मुलवासियो की बहुसंख्यक दबदबा कायम हो जायेगी और सबकी गरिबी भुखमरी समाप्त हो जायेगी!उसके बाद ही किसी की भी शोषन अत्याचार करने कि हिम्मत नही होगी ये जानकर कि पुर्ण रुप से अजाद और मजबूत नागरिक का मान सम्मान हक अधिकार लुटकर शोषन अत्याचार करना मतलब मुँह कान तोड़वाने के साथ साथ बहुत कुछ तोड़वाना है!क्योंकि मुझे पुरा यकिन है,जो स्वभाविक भी है कि उच्च पदो में जिनकी भी दबदबा कायम हो जाती है और जो अमिर और ताकतवर बन जाता है,उसके साथ शोषन अत्याचार करने से पहले दिल की धड़कन शोषन अत्याचार करने वालो की इतनी बड़ जाती है कि कई बार तो वे हार मानकर दिल का दौरा का भी शोषन अत्याचार शिकारी होते हुए भी खुद शिकार हो जाते हैं!इसलिए सभी शोषन अत्याचार का शिकार होने वालो को पुरी अजादी मिलना बहुत जरुरी है,ताकि बुराई का खात्मा न भी हो सके तो बुराई किसी सुवर की तरह अपनी दायरे में रहे,जो किसी के पुर्ण अजाद साफ सुथरा माहौल में गु लगा अपना गंदी थुथन गु गु गु करते न मारे!जिससे दुर रहने के लिए गोरे भी सीट(गु) कहकर गंदगी से दुर रहने की शब्द कहते हैं,भले वे दो सौ सालो से भी अधिक समय तक कई देशो को गुलाम करके खुद शोषन अत्याचार गंदगी फैलाते रहे!जिस तरह की गंदगी फैलाने की सोच आज भी जिनकी भी थुथन में भरी हुई है उनसे पोलियो मुक्त अभियान की तरह शोषन अत्याचार मुक्त अभियान चलाकर दो टांग वाले भ्रष्ट सुवरो से पुर्ण अजादी पाना जरुरी है!जिसके लिए ही तो मैं और मेरे जैसे और भी अनगिनत पुर्ण अजादी के नायक इस तरह की सत्य ज्ञान संदेश किसी पोलियो मुक्त दवा की तरह शोषन अत्याचार मुक्त दवा बांटते रहे हैं!जिसे जो भी भितरी मन से पी लेगा उसके अंदर शोषन अत्याचार से लड़ने की क्षमता बड़ जायेगी और कुछ हद तक वह शोषन अत्याचार फैलाने वाले वैक्टिरिया से भी बचा रहेगा!जिससे संक्रमित होकर बहुत से लोगो के मान सम्मान और हक अधिकारो की भारी हानी हो रही है!जिस तरह की भारी हानी से मुक्ती पुर्ण अजादी पाना है!जिसका इंतजार हर वह व्यक्ती कर रहा है जो गोरो से अजादी मिलने के बावजुद भी शोषन अत्याचार का शिकार होता रहा है!जिन तमाम लोगो को एकजुट होकर और अपनी एकता शक्ती का इस्तेमाल करके एक साथ एक ही वार में पुर्ण अजादी पा लेनी चाहिए,अपनी सरकार बनाकर जो अबतक नही बनी है!वह सरकार जिसमे ज्यादेतर उच्च पदो में सेवक सिर्फ छुवा छुत और उच्च निच शोषन अत्याचार का शिकार होने वाले हो ताकि अपनी सरकार बनाकर सौ सोनार की तो एक लोहार कि वार से शोषन अत्याचार करने वाले शिकारी का ही शिकार हो जाय और दुबारा से वह शोषन अत्याचार शिकार करने वाली खुनी पंजा और खुंखार दांत समेत अपने पाँव और जबड़ा भी तुड़वा बैठे!क्योंकि जिस तरह जंगल राज में शेर राजा अपनी प्रजा की सेवा और रक्षा अपने खुनी पंजो से दबोचकर खुंखार जबड़ो के जरिये पेट में ले जाकर रक्षा और सेवा करता है,उसी प्रकार शोषन अत्याचार करने वालो की दबदबा यदी लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो में भी कायम है,तो निश्चित तौर पर शोषन अत्याचार कभी भी खत्म नही होने वाली है जबतक की शोषन अत्याचार का शिकार हो रहे लोगो की दबदबा कायम न हो जाय!दबदबा का मतलब सिर्फ एक दो प्रतिशत प्रमुख पदो पर दबदबा कायम करना नही है,बल्कि कम से कम पचास प्रतिशत से अधिक की दबदबा कायम करना है तमाम उच्च पदो में!जो वर्तमान में लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत तमाम प्रमुख उच्च पदो में कितनी प्रतिशत शोषन अत्याचार का शिकार होनेवाले लोगो की दबदबा कायम है इसके बारे में चाहे तो पता करके देख लो!पता करने पर कई जगह तो0%मौजुदगी दबदबा कायम मिलेगी!जिस तरह की भेदभाव जाहिर है इस देश की परम्परा और विरासत नही है बल्कि ये परंपरा प्राचिन रोमराज से भेदभाव करने वालो ने या तो नकल करके प्राप्त किया है या फिर प्राचिन रोमराज को वे अपना आदर्श मानते हैं!जिसे ये कृषि प्रधान देश अपना आदर्श के रुप में छुवा छुत और उच्च निच का भेदभाव करने को आदर्श कभी नही मानेगा!तभी तो मनुस्मृती की तुलना रोमराज से करके उसे भष्म करने के बाद बाबा अंबेडकर ने अजाद हिन्दुस्तान की संविधान रचना करके उसे लागू किया गया,ताकि सभी नागरिक गोरो के साथ साथ छुवा छुत और उच्च निच का भेदभाव से भी अजाद हो सके!जो अबतक अजादी के सत्तर साल बित जाने के बावजुद भी पुरे देश समाज में अबतक भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत छुवा छुत और उच्च निच भेदभाव के रुप में मंडराना नही छोड़ा है!जो भष्म होकर भी मानो उसे मुक्ती नही मिली है,क्योंकि इतना पाप किया ही है कि उसे नर्क में भी जगह नही मिल रही है, और यमराज वापस उसकी भ्रष्ट बैताल आत्मा को इसी धरती पर वह भी खासकर भारत में मंडराने के लिए सायद इसलिए भी छोड़ दिया है,ताकि इसबार पुर्ण अजादी मिलते ही उस भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत को या तो माफी के रुप में नर्क में प्रवेश करने की सिफारिश मिल जाय या फिर वह शोषन अत्याचार का शिकार तमाम लोगो की हक अधिकारो को खुद ही सौंपकर अपने सारे अपराधो की इसी धरती में सजा काटकर और अपने पापो की प्राश्चित करके अंत में स्वर्ग जा सके!जिसके बाद ही सायद शोषन अत्याचार का शिकार होने वालो की दबदबा कायम होने के बाद पुर्ण अजादी सत्ययुग आयेगा!क्योंकि इस देश में अभी शोषन अत्याचार करने वालो की दबदबा से उनके द्वारा किए गए पापो का कलयुग चल रहा है!और चुँकि पुरे विश्व को सत्य ज्ञान बांटनेवाला विश्वगुरु ही पुर्ण अजाद नही है तो जाहिर है पुरे विश्व में कलयुग हावी रहेगी पुरे विश्व में गरिबी और भुखमरी देकर किसी न किसी तरिके से शोषन अत्याचार भ्रष्टाचार कायम करके!यानी इस देश को पुर्ण अजादी का मतलब पुरे विश्व को भी गरिबी भुखमरी से अजादी दिलाना है खासकर उन गोरा काला भेदभाव जैसे शोषन अत्याचारो से भी जिससे मुक्ती आजतक तमाम देशो की सरकारे मिलकर भी नही दिला पा रहे हैं!जैसे की गरिबी और भुखमरी से मुक्ती पुरे विश्व की ताकत विश्व बैंक की स्थापना करके भी सारी ताकत और बुद्धी बल इस्तेमाल करके पुरी दुनियाँ से गरिबी और भुखमरी अबतक नही मिट पा रही है,भले ही क्यों न पुरी दुनियाँ अपनी विकाश यात्रा करते हुए चाँद और मंगल तक पहुँच गयी हो!पर आज भी गरिबी और भुखमरी समाप्त करने की खोज नही हो पायी है!जिसे सिर्फ विश्वगुरु ही इस देश को पुर्ण अजादी मिलने के बाद खोज ही नही बल्कि एक झटके में जिस तरह विश्व लुटेरा शैतान सिकंदर से पुरा विश्व छुटकारा पा लिया था हिन्दुस्तान सागर की सिर्फ करवट लेने से उसी तरह विश्वगुरु को पुर्ण अजादी मिलने के बाद फिर से पुरे विश्व को गरिबी भुखमरी देने वाला शैतान सिकंदर का भुत उतारना भी बाकी है!गोरे अँग्रेजो से अधुरी अजादी तो सिर्फ झांकी है!जिसके बाद ही विश्वगुरु अपडेट होगा!
"धन्यवाद"

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