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सितंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गांधी सूट बूट जिवन

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  गांधी सूट बूट जिवन गांधी की सूट बूट मूर्ति आखिर क्यों नही बनती है ? जबकि उसकी लगभग आधी जिवन सूट बूट में ही कटी है | क्योंकि सायद सूट बूट गांधी की मूर्ति देखने सुनने और बोलने से गांधी के तीन बंदर इंकार कर देंगे | बल्कि उसे पहचानने से भी सायद इंकार कर देंगे | इसलिए सायद अबतक जितनी भी गांधी मूर्ति बनती आ रही है , सभी धोती पहने हुए रहती है | और धोती ग्रामीण भारत की खास पहचान है | जो ग्रामीण जिवन सूट बूट गांधी ने धोती को इस कृषी प्रधान देश की खास मानकर कभी अपनाया ही नही | गांधी ने ग्रामीण धोती जिवन की खास सुरुवात तब किया जब गोरो के साथ रेल सफर करते समय उसे सूट बूट पहने गोरो ने लात मारकर रेल से निचे फैंक दिया | जिसके बाद गांधी को इतना झटका लगा कि उसने सूट बूट उतारकर धोती कपड़ा पहनकर विदेशी बहिष्कार का आंदोलन चलाना सुरु कर दिया | जिसके आंदोलन में बहुत से लोग सहयोग करके वे भी विदेशी कपड़ो को जलाने लगे  | जो आंदोलन चलाने के बारे में गांधी ने आधी जिवन सूट बूट पहनकर कभी सोचा भी नही होगा | क्योंकि उससे पहले दरसल गांधी भी सूट बूट धारन करके खुदको खास समझता होगा | जिसके चलते उसने गोरो की बराबरी का

हिंदू धर्म में भगवान पूजा का मतलब देव पूजा नहीं है, देव छुवा छुत शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादीयों के पुर्वज हैं , जो अब मर चुके हैं

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हिंदू धर्म में भगवान पूजा का मतलब देव पूजा नहीं है, देव छुवा छुत शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादीयों के पुर्वज हैं , जो अब मर चुके हैं होली दिवाली और मकर संक्राती जैसे दर्जनो प्रकृति पर्व त्योहार बारह माह मनाकर प्राकृति भगवान की पुजा करने वाले इस देश के मुलनिवासियों को उन मंदिर में प्रवेश नही करना चाहिए , जहाँ पर मनुवादी अपने मरे हुए पुर्वज देवो की पुजा करवाते हैं | बल्कि सिर्फ उन मंदिरो में जायें जहाँ पर सबको जिवन प्रदान करने वाले चारो ओर साक्षात मौजुद प्रकृति के प्रतिक की पुजा होती है | जैसे की प्रकृति सुर्य प्रकृति पत्थर वगैरा | जो पत्थर न रहे तो पृथ्वी एक पल भी नही टिक सकता | और सुर्य के बगैर पृथ्वी में मौजुद जिवन नही टिक सकता | बल्कि प्रकृति वायु जल के बगैर  तो इंसान एक पल भी नही टिक सकता | जिसके बगैर रहकर वह चाहे जिसकी पुजा कर ले | जिस प्रकृति की कृपा के बदले उसके आगे माथा टेककर उसकी प्रमाणित ताकतो को सत्य स्वीकारने में क्या हर्ज है | जिसकी पुजा करने के लिए धन दौलत और मंदिर की भी जरुरत नही है | जिस प्रकृति भगवान की पुजा करने के साथ साथ प्रकृति की ताकत को भी स्वीकारो |

अंबेडकर हिंदू परिवार की सफलता की कहानी

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अंबेडकर हिंदू परिवार की सफलता की कहानी ambedakar hindoo parivaar kee saphalata kee kahaanee अंबेडकर ने तीस से अधिक उच्च डिग्री और हिन्दू कोड बिल समेत अजाद भारत का संविधान रचना हिंदू रहते किये थे | अंबेडकर का जन्म हिंदू परिवार में हुआ था | और उन्होने हिंदू मंदिरो में प्रवेश पर रोक हटवाने के लिए मनुवादीयों के खिलाफ आंदोलन चलाया था | क्योंकि यहूदि DNA के मनुवादीयो ने खुदको हिंदू धर्म का पुजारी और हिंदू धर्म का सबसे बड़े ठिकेदार समझकर बहुत से हिंदू पुजा पाठ स्थलो में इस देश के उन मुल हिंदूओं को प्रवेश करने से रोक लगा रखा था , जिनकी तादार मनुवादीयों से अधिक है | इतना अधिक की मुलनिवासि हिंदूओ की अबादी के चलते ही हिंदू धर्म विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म कहलाता है | जो पहला कहलाता यदि यहूदि DNA के मनुवादीयों के द्वारा हिंदू बनकर मुल हिंदूओं के साथ छुवा छुत जैसे शोषण अन्याय अत्याचार करके दुसरे धर्मो में जाने के लिये बहुत से मुलनिवासियों के जिवन में अति बुरे हालात न पैदा किया जाता | जैसे की मनुवादीयो ने मनुस्मृति लागु करके कभी किये थे | जिस मनुस्मृति को अंबेडकर ने जलाकर अजाद भारत का

इतनी बड़ी साक्षात दुनियाँ बनाकर वह खुद छिपा हुआ क्यों है ?

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इतनी बड़ी साक्षात दुनियाँ बनाकर वह खुद छिपा हुआ क्यों है ?  इंसान और जानवर वगैरा ही बलात्कारी हो सकते हैं भगवान नही | और देव दानव दोनो ही इंसान थे न की देव भगवान थे की उनकी पुजा की जाय | क्योंकि यदि देव दानव दोनो ही अलग अलग प्राणी थे फिर अहिल्या का बलात्कारी इंद्रदेव का लिंग इंसान के लिंग जितना और दानव का बरगद का पेड़ जितना होने से देव दानव आपस में शारिरिक रिस्ता कैसे जोड़ते थे ? क्योंकि दानव असुर के दांत और शरिर यदि विशाल विशाल होते थे , जैसा की भक्ती धारावाहिको और फिल्मो में दिखलाया जाता रहा है , तो फिर उनके लिंग तो बरगद के पेड़ जितने होते होंगे और योनी दरवाजा जितने ! और यदि वाकई में ऐसा होता होगा फिर इंसान योनी से पैदा हुआ भीम आखिर दानव घटोत्कक्ष का पिता कैसे बना ? जबकि वह अपने शरिर और लिंग के आकार से दानव कन्या से संभोग करने के काबिल ही नही हो सकता था ? देव दानव जब एक दुसरे से पारिवारिक रिस्ता जोड़ते थे फिर दानव असुरो को देवो के आकार से कई गुणा बड़ा क्यों बतलाया और दिखलाया जाता रहा है ? क्योंकि दानव असुरो के दांत यदि बड़े बड़े और शरिर विशाल होते थे , फिर तो उनके लिंग भी

सभी इंसानो की जिवन प्रकृति या फिर कोई अदृश्य शक्ती की कृपा से चल रही है ?

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सभी इंसानो की जिवन प्रकृति या फिर कोई अदृश्य शक्ती की कृपा से चल रही है ? वैसे तो दुनियाँ के सभी धर्मो के भक्तो समेत नास्तिक कहलाने वाले लोग भी यह मानते हैं कि इंसान का जन्म प्रकृति वीर्य अंडाणु की वजह से होता है , और प्रकृति साँस रुकने से उसकी मौत भी होती है | जिसका प्रयोगिक उदाहरन रोजमरा जिवन में हर पल देखने को मिलती रहती है | क्योंकि चाहे किसी भी धर्म का भक्त हो या फिर कोई नास्तिक इंसान हर कोई के जिवन से प्रकृति हवा पानी वगैरा जुड़ा हुआ रहता है | जिसे खुदसे अलग करने का मतलब उसे पता है कि बिना हवा पानी के कोई इंसान एक पल भी जिवित नही रह सकता | बल्कि बिना हवा पानी के इस दुनियाँ में उसकी वजुद ही कायम नही रह सकती | इतनी कृपा उसपर प्रकृति की रहती है | जबकि बिना धर्म और पुजा पाठ के वह जिवित रहने के साथ साथ आधुनिक विकाश भी कर सकता है | जैसे की इंसानो ने लंबे समय तक बिना मानव निर्मित धर्मो के विकाश किया और कई विकसित सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया | जिसका अवशेष आज भी विश्व के कई अलग अलग जगहो में मौजुद है | जिस सभ्यता संस्कृति का विकाश किसी मानव निर्मित धर्म और किसी अदृश्य शक्ति