गुलाम बनाने वाले मनुवादी के पूर्वजों की पूजा करने वाला मूलनिवासी फिल्म कोयला का गुंगा हिरो और मनुवादी प्रमुख बिलेन है



गुलाम बनाने वाले मनुवादी के पूर्वजों की पूजा करने वाला मूलनिवासी फिल्म कोयला का गुंगा हिरो और मनुवादी प्रमुख बिलेन है


इस देश के मुलनिवासियों को गुलाम बनाकर उनके साथ छुवा छूत जैसे शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादीयों के पुर्वज देव मूर्तियों की पूजा करने वाले मुलनिवासी दरसल फिल्म कोयला का वह गुंगा हिरो है , जो गुंगा बनाने वाले प्रमुख बिलेन की गुलामी तबतक करता है , जबतक की उसे यह सत्य मालुम नही हो जाता कि उसको गुंगा कौन बनाया है ? जबकि इस देश के मुलनिवासियों को बारह माह प्राकृति पर्व त्योहार मनाते और साक्षात प्राकृति की पुजा भगवान मानकर करते हुए साक्षात सत्य को जानकर भी अनजान बनकर साक्षात प्राकृति की पुजा करते समय बल्कि कभी भी मनुवादीयों के पुर्वज देवो की पुजा उन्हे भगवान मानकर नही करनी चाहिए थी , क्योंकि मनुवादीयों के पुर्वज देव जन्म लेकर मरने वाले इंसान ही थे , न की भगवान थे | तभी तो वे कथित धार्मिक धारावाहिको और फिल्मो में भी इंसानो की तरह इंसानो से संभोग करके अपना वंश बड़ाते दिखते हैं , और इंसानो की तरह धरती में विचरण करते रहते हैं | जैसे की देवो का राजा इंद्रदेव अपनी हवश मिटाने के लिए धरती में विचरण करते हुए विवाहित अहिल्या का बलात्कार किया था | देवो का अगर इंसानो की तरह लिंग नही होती तो वे इंसानो से संभोग कैसे करते और इंसानो से अपना वंशवृक्ष कैसे बड़ाते | 

मनुवादी कहाँ से पैदा लेते ? जाहिर है देव भी इंसानो की तरह संभोग करते थे इस बारे में दिखलाये और बतलाये तो जाते हैं पर वर्तमान में वे धरती के किसी भी कोने में भी विचरण करते क्यों नही दिखते हैं यह सत्य एक भी देव द्वारा जिवित अपने पुराने रुप में आकर प्रेस वर्ता करके नही बतलाई जाती है | क्योंकि वे सभी मर चुके हैं , जिसके चलते देवो के वंसज मनुवादीयों को उनके नाम से मुर्ति स्थापित करके उसकी पुजा करनी और करानी पड़ती है | जिन मूर्तियों की पूजा करने वाले मुलनिवासी दरसल जैसा की बतलाया फिल्म कोयला का वह गुंगा हिरो है जो गुंगा बनाने वाले प्रमुख बिलेन की गुलामी तबतक करता है , जबतक की उसे यह सत्य मालुम नही हो जाता कि उसको गुंगा कौन बनाया है ? जो सत्य जिन मुलनिवासियों को भी धिरे धिरे पता चलता जा रहा है , वे मनुवादीयों के पुर्वज देवो को भगवान नही मानते हैं | बल्कि साक्षात प्राकृति को अपना भगवान मानकर उसकी पुजा करते हैं | और बारह माह प्राकृति पर्व त्योहार भी मनाते हैं | न की अपने पुर्वज जिन्हे मनुवादीयों ने मानव भक्षी दानव असुर बतलाते आ रहे हैं , उनकी भारी तादार में देवो के द्वारा नर नारीयों की हत्या करने की खुशी में मनुवादीयों के साथ जस्न मनाते हैं | जिस सत्य के बारे में विस्तार पुर्वक पता करने के लिए मनुवादीयों के पुर्वज देवो को भगवान समझने और मनुवादीयों के कहने पर विश्वास करके अपने पुर्वजो को मानव भक्षी मानने वाले मुलनिवासी पहले कबिलई मनुवादियों के इस इतिहास को जाने कि जिस तरह गोरे अपने देश की आर्थिक मंदी को ठीक करने के लिए व्यापार के बहाने इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले प्राकृति समृद्ध देश में प्रवेश करके ईस्ट इंडिया कंपनी स्थापित करके उसे लुट इंडिया कंपनी बनाकर इस देश को गुलाम बनाकर इस देश को दो सौ सालो तक लुटे , उसी तरह  घुमकड़ कबिलई मनुवादी भी भुखड़ अवस्था में अपना पेट पालने के लिये हजारो साल पहले यूरेशिया से इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद घर के भेदियो की सहायता और छल कपट से इस देश की सत्ता में कब्जा करके इस देश के मुलनिवासियों के हक अधिकारो को हजारो सालो से लुटकर खुदको उच्च जाति बल्कि भगवान घोषित किये हुए हैं | वैसे इतिहास पलटकर देखा पढ़ा और सुना जाय तो मनुवादीयों द्वारा खुदको उच्च और भगवान घोषित करना स्वभाविक बात लगती है | जैसे कि गुलाम बनाने वाला कोई क्रुर शासक खुदको सबसे उच्च कहकर अपने गुलामो का भगवान बना रहता है | कम से कम तबतक जबतक की उसकी क्रुर सत्ता का अंत नही हो जाता | जिस तरह के क्रुर शासको की शासन में शोषण अन्याय अत्याचार का सिलसिला कभी समाप्त नही होता | जैसे की गोरे भी कभी इस देश को गुलाम करके शोषण अन्याय अत्याचार किये हैं | जिसके बावजुद भी खुदको उच्च गुणो का इंसान बतलाने के लिए गेट में ये लिखते थे कि अंदर कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है | जैसे की मनुवादी भी मनुस्मृति लागु करके इस देश के मुलनिवासियों के कानो में गर्म पिघला लोहा डालकर और जीभ अँगुठा काटकर खुदको उच्च मानव घोषित करके बल्कि मंदिरो में अपने पुर्वजो की मूर्ति स्थापित करके ये लिखते थे कि अंदर निच जाति का प्रवेश मना है | गुलाम निच और गुलाम करने वाला सबसे उच्च ! जो उच्च निच छुवा छुत भेदभाव बोर्ड आज भी कहीं कहीं देखने पढ़ने को मिलते हैं | जिस तरह की छुवाछुत भेदभाव करने वाले मनुवादी आजतक भी इस तरह के शोषण अत्याचार करना इसलिए नही छोड़ पाया हैं , क्योंकि छल कपट और घर के भेदियो की सहायता से उनकी उच्च दबदबा अब भी कायम है | क्योंकि देश अजाद घोषित हो चुकने के बावजुद भी इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हैं , उनकी सत्ता अजाद घोषित देश में भी बहुसंख्यक होते हुए भी मुलता अबतक नही कायम हुई है | और उन मनुवादीयों की सत्ता अबतक भी कायम है जो अल्पसंख्यक हैं | जो मनुवादी अबादी में बहुसंख्यक मुलनिवासी से इतने कम हैं की यदि उनकी सहायता कोई भी घर के भेदि न करें तो देश का शासक बनने के लिए एक भी लोकसभा सीट जितना तो दुर शहरी पार्षद और ग्रामिण मुखिया चुनाव भी नही जीत सकते | क्योंकि देश अजाद घोषित होकर इस देश के मुलनिवासियों को खास अधिकार देने वाले संविधान लागू हो चुका है | लेकिन भी अबतक मनुवादी ही लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कब्जा करके खास उच्च पदो में बैठकर खास बने हुए हैं | वह भी तब जब इस अजाद घोषित देश में लागु संविधान उन्ही शोषित पिड़ित मुलनिवासियों के घर में जन्मे अंबेडकर ने लिखे हैं जिनके डीएनए के पुर्वजो को ही निच घोषित करके मनुवादीयों ने हजारो सालो तक छुवाछुत जैसे शोषण अत्याचार किया है | जो छुवाछुत गोरो की गुलामी के समय भी जारी थी | जो भेदभाव इतनी बुरी तरह से हावी थी की अंबेडकर द्वारा सुटबुट लगाकर उच्च सरकारी पदो में होने के बावजुद भी मनुवादी उसके साथ छुवाछुत करते थे | तब के सरकारी कार्यालयो में मनुवादी उसे सरकारी फाईल दुर से फैंककर देते थे , ताकि वे उससे छुवा न जाय | बल्कि आज भी तो कहीं न कहीं वही छुवाछुत अपडेट होकर कई उच्च सरकारी पदो में बैठे मुलनिवासियों के साथ भारी भेदभाव होता रहता है |  क्योंकि मनुवादीयों की दबदबा अब भी इतनी कायम है कि वे अपने पुर्वजो को भगवान तक बताकर उनकी मूर्तियों की पुजा कराते हैं | हलांकि मनुवादीयों से पुर्ण अजादी मिलने के बाद मनुवादी भी सायद गोरो की तरह अपने किये गए कुकर्मो की माफी मांगेंगे | अभी तो फिलहाल गुलामी की वजह से यहूदि डीएनए का मनुवादी हिन्दु भी नही है लेकिन भी खुदको हिन्दुओं का भगवान बताकर हजारो सालो से मरकर भी अपनी मुर्ति की पुजा इस देश के उन्ही मुलनिवासियों से करवा रहा है , जिनके पुर्वजो की उन्ही देवो द्वारा बड़े पैमाने पर हत्या हुई है | क्योंकि जिवित रहने तक कथित देवो ने इस देश के मुलनिवासियों के पुर्वज असुर दानवो की हत्या करके और उनके राज्यो में कब्जा करके जमकर लुटपाट की यह बात वेद पुराणो में भी भरे पड़े हैं | जिन लुटेरे और हत्यारे देवो की मूर्ति पुजा भगवान कहकर बहुत से मुलनिवासियों द्वारा अनजाने और मनुवादीयों द्वारा झुठ का संक्रमण देने की वजह से की जाती है | जैसे की मनुवादी आज भी प्रवचन और भाषण करते समय भी यह बात बार बार दोहराते रहते हैं कि उनके पुर्वज देव ही पुरी दुनियाँ को रचने और चलाने वाले भगवान हैं | वह देव जो आज एक भी इस धरती में विचरण करते नही दिखते हैं , क्योंकि वे मर चुके हैं | जिसकी वजह से ही तो मनुवादी उनके मुर्तियों की पुजा करवाते हैं | जिन देवो ने इस देश के मुलनिवाससियों के पुर्वजो को मानव भक्षण करने वाला असुर दानव राक्षस कहकर शैतान घोषित करके बड़े पैमाने पर हत्या किया है | मनुवादीयों के पुर्वज देव बलात्कार भी करे तो भगवान और मुलनिवासियों के पुर्वज असुर दानव अपनी प्रजा और अपनी राज्य रक्षा करते हुए शहिद भी हो जाय तो वे शैतान ! जबकि वेद पुराणो में एक भी असुर दानव बतलाया जाय जिन्होने देवो का वंशवृक्ष बड़ाने वाली महिलाओं का बलात्कार किया है | जबकि कई देवो का उदाहरण वेद पुराणो में ही मौजुद है कि देवो ने कई मुलनिवासी महिलाओं का बलात्कार किया है | दानव असुरो का तो सिर्फ हरन अपहरण जानकारी मिलते हैं |दानव असुरो द्वारा हरन अपहरण करके बलात्कार करने की जानकारी नही मिलते हैं | बल्कि असुर दानवो द्वारा जितने भी देव असुर संग्राम लड़े गए हैं , उनमे सबसे अधिक युद्ध असुर दानव की जीत हुई है | जिसमे देवो को कैद करके ज्यादेतर उन्हे जिवनदान देकर जिवित छोड़ा गया है | न कि देवो की तरह ज्यादेतर हत्या किया गया है | लेकिन फिर भी जिन देवो के द्वारा जिनके पुर्वजो को शैतान घोषित करके नर नारी सभी को मानव भक्षण करने वाला राक्षस राक्षणी कहकर  बड़े पैमाने पर देवो द्वारा हत्या किया गया है , उन देवो की मुर्ति पुजा भगवान कहकर बहुत से मुलनिवासियों के द्वारा की जाती है | जबकि वेद पुराणो में भी जानकारी भरे पड़े हैं की मुलनिवासियों के पुर्वजो को मानव भक्षण करने वाला दानव असुर राक्षस राक्षसणी कहकर नर नारी सबकी बड़े पैमाने पर हत्या और बलात्कार भी किया गया है | जिन देवो को भगवान कहकर पुजा की जाती है यह गुलामी नही तो क्या है | जिस सत्य को समझते हुए इस देश के आधुनिक नई पिड़ी के मुलनिवासी मुल हिन्दुओं को यह बात हमेशा याद रखना चाहिए और इस सत्य को बांटते रहनी चाहिए कि यूरेशिया से आए कबिलई मनुवादी इस देश के मुलनिवासियों का भगवान नही है कि वे उनके पुर्वज जिन्हे देव कहा जाता है उनकी मुर्ति की पुजा उन मंदिरो में जाकर करें जिसमे पुर्ण रुप से भगवान की पुजा होनी चाहिए थी | क्योंकि मंदिर हो या खुले आसमान के निचे जंगल पहाड़ कहीं भी उस भगवान की पुजा होनी चाहिए जिसकी कृपा से सारे धर्मो के लोग समेत नास्तिक भी जिवित है | जैसे की प्राकृति हवा पानी वगैरा से विज्ञान प्रमाणित सारे धर्मो के भक्त और नास्तिक समेत सारे जिव जंतु पेड़ पौधे भी जिवित हैं | जो प्राकृति के द्वारा ही जन्मे हैं और प्राकृति की कृपा से ही जिवन यापन कर रहे हैं | जो सारे प्राकृति की वजह से ही जिवित हैं , जो सत्य विज्ञान प्रमाणित है | जिस साक्षात प्राकृति को ही भगवान के रुप में हिन्दु मुल रुप से पुजता है | प्राकृति की कृपा से जन्म लेकर मरने वाले उन देवो को नही जो इस देश के मुलनिवासियों के पुर्वजो की बड़े पैमाने पर हत्या किये हैं | और कई उच्च देव तो बलात्कार भी किये हैं | जिन देवो को मनुवादी गर्व से अपना पुर्वज मानते हैं | जो कथित देव दरसल इस देश की नारी से अपना वंश बड़ाने की वजह से ही उनकी पिड़ी हिंदु कहलाता है | जैसे की यदि कोई भारतीय किसी दुसरे देश में जाकर उस देश की नारी से परिवार बसाकर उस देश में मानो घर जमाई बनकर बस जाय , और उस देश की सभ्यता संस्कृति के बिच हजारो सालो से रहकर उस देश की नारी से अपना वंशवृक्ष बड़ाकर उस देश का मुल धर्म से जुड़कर खुदको भी उस देश का धर्म का भक्त कहे बल्कि गुलाम बनाकर खुदको भगवान भी कहे तो इसमे आश्चर्य नही होनी चाहिए | जैसे कि कबिलई मनुवादी का DNA कबिलई यहूदि DNA से मिलता है , लेकिन भी वह यूरेशिया से इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके खुदको कट्टर हिन्दु और उनके पुर्वज तो खुदको भगवान घोषित करके मरे हैं | जिसपर आश्चर्य नही होनी चाहिए | और इसपर भी आश्चर्य नही होनी चाहिए कि मनुवादी के परिवार में मौजुद इस देश की ही मुलनिवासी नारी कथित उच्च जाति कहलाती है | क्योंकि उसके अंदर मनुस्मृति लागु करके छुवा छुत उच्च निच जैसी संक्रमण देनेवाले यूरेशिया से आए मनुवादीयों का DNA दौड़ता है | हलांकि उसके अंदर भी वही M DNA दौड़ता है जो कथित निच जाति कहलाने वाली नारी में दौड़ता है | क्योंकि कथित उच्च निच कहलाने वाली दोनो नारी के भितर उसी मदर इंडिया का M DNA दौड़ता है जो कि मनुवादीयों के साथ यूरेशिया से नही आई है , बल्कि इसी कृषि प्रधान देश की मुलनिवासी हैं | हाँ चूँकि कथित उच्च जाति कहलाने वाली नारी के भितर चूँकि यूरेशिया से आए कबिलई मनुवादीयों का DNA दौड़ता है , इसलिए कथित उच्च जाति परिवार में जन्मी कंगना राणावत जैसी नारी को मनुवादीयों के पक्ष में और इस देश के मुलनिवासियों के विपक्ष में बयान देने में और खुदको उच्च जाति का राजपुत कहने में मानो गर्व महसुश होता है | जो गर्व महसुश नही होता यदि उसके रगो में मदर इंडिया का M DNA के साथ साथ  फादर इंडिया का भी DNA दौड़ता | पर चूँकि उसके अंदर फादर यूरेशिया का DNA दौड़ता है , इसलिए उसका फादर यूरेशिया DNA उसे बार बार गर्व कराता रहता है | खासकर उस समय जब खुदको उच्च जाति का राजपुत गर्व से महसुश करते हुए फादर इंडिया DNA के मुलनिवासियों के विरोध में वह बयान देती है |

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