सभी इंसानो की जिवन प्रकृति या फिर कोई अदृश्य शक्ती की कृपा से चल रही है ?
सभी इंसानो की जिवन प्रकृति या फिर कोई अदृश्य शक्ती की कृपा से चल रही है ?
वैसे तो दुनियाँ के सभी धर्मो के भक्तो समेत नास्तिक कहलाने वाले लोग भी यह मानते हैं कि इंसान का जन्म प्रकृति वीर्य अंडाणु की वजह से होता है , और प्रकृति साँस रुकने से उसकी मौत भी होती है | जिसका प्रयोगिक उदाहरन रोजमरा जिवन में हर पल देखने को मिलती रहती है | क्योंकि चाहे किसी भी धर्म का भक्त हो या फिर कोई नास्तिक इंसान हर कोई के जिवन से प्रकृति हवा पानी वगैरा जुड़ा हुआ रहता है | जिसे खुदसे अलग करने का मतलब उसे पता है कि बिना हवा पानी के कोई इंसान एक पल भी जिवित नही रह सकता | बल्कि बिना हवा पानी के इस दुनियाँ में उसकी वजुद ही कायम नही रह सकती | इतनी कृपा उसपर प्रकृति की रहती है | जबकि बिना धर्म और पुजा पाठ के वह जिवित रहने के साथ साथ आधुनिक विकाश भी कर सकता है | जैसे की इंसानो ने लंबे समय तक बिना मानव निर्मित धर्मो के विकाश किया और कई विकसित सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया | जिसका अवशेष आज भी विश्व के कई अलग अलग जगहो में मौजुद है | जिस सभ्यता संस्कृति का विकाश किसी मानव निर्मित धर्म और किसी अदृश्य शक्ति की पुजा करने से नही बल्कि प्रकृति की कृपा से मुमकिन हो पाया है | जिसका प्रमाण इतिहास में मौजुद है कि जितने भी विकसित सभ्यता संस्कृति का निर्माण हुआ है , वे सभी किसी न किसी प्रकृति नदी के किनारे हुआ है | और आज भी यदि विकाश हो रहा है तो वह प्रकृति कृपा की वजह से ही हो रहा है | चाहे ग्राम हो या फिर शहर यदि वहाँ पर प्रकृति जल न हो तो इंसान विकाश करना तो दुर जिवित भी नही रह पायेगा , चाहे वह कितना ही पुजा पाठ कर ले और मंदिर मस्जित चर्च वगैरा में माथा टेक ले | लेकिन भी बहुत से लोगो का तब भी यह मानना है कि इंसान समेत साक्षात मौजुद पृथ्वी चाँद तारे समेत सारे जिव जंतुओं की जिवन कोई ऐसी शक्ती द्वारा संचालित हो रही है , जो न तो दिखता है , और न ही उसका कोई अता पता है | अथवा लापता और गायब होकर कोई शक्ती साक्षात मौजुद सृष्टी को संचालित कर रहा है | जिस तरह की बाते बतलाने वाले अभी तक इस सृष्टी में मौजुद इंसान जैसा दुसरा प्राणी और पृथ्वी जैसा दुसरा ग्रह के बारे में जानकारी भी पता नही कर पाये हैं , वे ये बड़बड़ाते रहते हैं कि उन्होने इस सृष्टी को बनाने वाले अदृश्य शक्ती को खोज लिया गया है | बल्कि सृष्टी रचने वाले खुद उनसे गायब होकर आवाज से संपर्क किया है | और अपनी अवाज के जरिये इंसानो को धर्म पुस्तक के रुप में अपना आदेश और संदेश भी दिया है | जो समय के अनुसार खुद ही विचार करता है और अपनी भाषा में उन विचारो व जानकारियों को खुद ही किताब के रुप में रचता है | जबकि कह देता है उन विचारो और जानकारियों को किसी अदृश्य शक्ति ने उन्हे प्रदान किया है | जो सारे विचार और जानकारी दरसल इंसान खुद ही अपनी भाषा में अपने उस दिमाक और बुद्धी से रचा है जो प्रकृति की कृपा द्वारा विकसित हुई है | जिस तरह की जानकारी हासिल करने वालो द्वारा ही तो आज अपने विचारो और जानकारियों को किसी अदृश्य शक्ती द्वारा दी गई संदेश बताकर सृष्टी संचालन को लेकर कई अलग अलग विवादित विचार मानव निर्मित कई अलग अलग धर्म पुस्तको में मौजुद है | जिसे विद्यालयो में किसी प्रकृति विज्ञान , समाजिक विज्ञान , गणित वगैरा विषय की तरह छात्रो को नही पढ़ाया जा सकता | क्योंकि धर्म पुस्तको को इन विषयो की तरह ही यदि विद्यालयो में पढ़ाया गया तो धार्मिक पुस्तको में लिखी गई जानकारी के विवाद से धार्मिक दंगा विद्यालयो में भी सुरु हो जायेगी | जो फिलहाल तो विद्यालयो से बाहर वाद विवाद करके धार्मिक दंगा होती रहती है | जो विवाद आजतक समाप्त नही हुआ है | और अगर इसी तरह सभी धर्म अपने अपने धार्मिक विचारो को खुद ही अपनी भाषा में रचकर किसी अदृश्य शक्ति द्वारा दिए गए जानकारी व संदेश समझते रहे तो कभी समाप्त भी नही होंगे | क्योंकि सभी धर्मो के लोग अपने अपने धर्म पुस्तको में लिखी हुई बातो को कथित अदृश्य शक्ती की बाते मानकर अपने अपने हट में अड़े हुए हैं | जिनके बिच अपने अपने धार्मिक पुस्तको में अनगिनत ऐसे विवादित बाते लिखी गई है , जिसपर विवाद गहराने पर आयेदिन खुन खराबा होना समान्य बात हो गया है | जिसके बावजुद भी सभी मानव निर्मित धर्मो का मानना है कि उनकी धार्मिक पुस्तको में लिखी हुई सारी बाते और विचार सौ प्रतिशत सत्य है , जिसे अपडेट कभी नही किया जा सकता , भले क्यों न उन विवादो के चलते खुन की नदियाँ बह जाय और हर साल धार्मिक दंगा की वजह से से हजारो लाखो निर्दोश लोग मरते रहें | क्योंकि अपनी अपनी हठ में सभी मानव निर्मित धर्मो का आयेदिन आपस में बहस होता रहता है | क्योंकि धर्म पुस्तको में लिखी बाते उनके अनुसार इंसानो की नही बल्कि किसी अदृश्य शक्ती की है | फिर सभी धर्मो के बिच विवाद क्यों है जब एक ही अदृश्य शक्ती की है | जबकि प्रकृति को लेकर सबका प्रयोगिक प्रमाणित विचार यही होता है कि सभी इंसानो की जिवन प्रकृति हवा पानी वगैरा पर निर्भर है | जिसे विद्यालयो में भी पढ़ाया जाता है | क्योंकि प्रकृति विज्ञान प्रमाणित जानकारी का भंडार है | जिससे हर रोज नई नई जानकारी अपडेट होते रहती है | साथ साथ प्रकृति की कृपा से हर पल जिवन भी अपडेट होती रहती है | जिसके चलते चाहे नास्तिक हो या फिर आस्तिक सभी आजकल पर्यावरण के बारे में बहुत ज्यादे चिंता कर रहे हैं | क्योंकि सबको पता है कि चाहे सभी धर्म जो कहे पर इंसानी जिवन के बारे में प्रयोगिक प्रमाणित सत्य तो यही है कि प्रकृति पर ही सभी इंसानो की जिवन निर्भर है | जिसका असंतुलन होने पर किसी भी धर्म के पुजा स्थलो में जाकर नही बचा जा सकता | क्योंकि धर्म आस्था और विश्वास के उपर निर्भर है , जबकि प्रकृति विज्ञान प्रमाणित सत्य है | जिसकी प्रमाणिकता को हवा पानी लेना बंद करके साक्षात असर देखा जा सकता है कि बिना हवा पानी के इंसान के जिवन में क्या प्रमाणित प्रभाव पड़ता है | जबकि बिना पुजा स्थल और बिना मानव निर्मित धर्म के भी जिवन जिया जा सकता है यह बात नास्तिक और आस्तिक दोनो को पता है | जिसके बावजुद भी जिवन संचालन को लेकर विवादित जानकारी अलग अलग समय में अलग अलग कई इंसानो द्वारा सैकड़ो हजारो साल पहले उस समय रची जा चुकि है , जिस समय इंसान पृथ्वी में मौजुद सभी देश के बारे में भी नही जानता था | तभी तो सोने की चिड़ियां के बारे में जानने और उसकी समृद्धी से खुदको भी समृद्ध करने के लिए सैकड़ो हजारो सालो तक विदेशो से अनगिनत कबिलई झुंड इस देश में आते रहे हैं | विदेश यात्रा करने वाले इसी देश के यात्री या फिर पड़ौसी देश द्वारा इस कृषि प्रधान देश के बारे में तारिफ और चर्चा विदेशो में करने के बाद विदेशियो द्वारा भारत की खोज होती रहती थी | जिस तरह की खोज सैकड़ो हजारो साल तक करने वाले कई इंसानो को लगता है कि प्रकृति उसके द्वारा संचालित हो रही है , जो दिखाई ही नही देता | जिसके बारे में बतलाने वाले को तब पृथ्वी का भूगोल के बारे में यह भी पता नही था कि आखिर पृथ्वी में कहाँ कहाँ विकसित सभ्यता संस्कृति का निर्माण हुआ है , या हो रहा है | असल में सच्चाई यही है कि आज का अपडेट इंसान भी बतला नही सकता की प्रकृति में पृथ्वी जैसा दुसरा ग्रह और इंसान जैसा दुसरा प्राणी इस सृष्टी में और कोई है कि नही है तो सैकड़ो हजार साल पहले का इंसान जो बिना बिजली और बिना इंटरनेट की दुनियाँ में जीता था , वह खुदको सृष्टी रचनाकार और सृष्टी के बाहर दुसरी दुनियाँ के बारे में जानकार बतलाया और उसे सत्य मानकर उस समय मान भी लिया गया यह तो स्वभाविक था , पर आज का भी बहुत से इंसान अबतक ये मानते हैं कि उनकी जिवन प्रकृति के बजाय किसी ऐसी शक्ती द्वारा वजूद में है जो किसी को दिखाई ही नही देता है | जिस तरह के बातो में आज का अपडेट इंसानो द्वारा विश्वास करना मुझे तो अँधविश्वास लगता है | क्योंकि तब के समय में प्रकृति में मौजुद बहुत सी ऐसी जानकारी के बारे में इंसानो को पता नही था जो प्रकृति में विज्ञान प्रमाणित घटित होती थी | जैसे की भुकंप , ज्वालामुखी , सुनामी महामारी वगैरा | जिसे पहले किसी अदृश्य शक्ती का चमत्कार माना जाता था | जिस चमत्कार को आज का अपडेट इंसान कबका पता कर चुका है कि यह विज्ञान प्रमाणित चमत्कार प्रकृति का है , न की कोई अदृश्य शक्ती का है | जिसे समझने के लिए खुद ही एक सवाल का जवाब खोजकर पता किया जाय कि किसी दिन यदि दुनियाँ के सारे धर्म और धार्मिक स्थलो में बने पुजा स्थल लापता अथवा गायब हो जाय तो क्या ऐसे में सभी इंसानो का जिवन संचालन नामुमकिन हो जायेगा ? बिल्कुल नामुमकिन नही होगा , क्योंकि सारी सृष्टी का प्रमाणित जिवन संचालन प्राकृति द्वारा हो रहा है | इंसानो के द्वारा बनाया गया अलग अलग कई धर्म और मंदिर मस्जिद चर्च वगैरा से नही | बल्कि कई देश और राज्य तो प्रकृति में मौजुद इंसानो के द्वारा निर्माण किया गया है | जिसके बगैर क्या जिवन संचालन पहले नही होती थी ? क्या सुरु से जानवरो और पेड़ पौधे समेत निर्जिवो का भी शरिर और पुरी जिवन ही प्राकृति द्वारा संचालित नही हो रहा है | जिसका जिवन संचालन कोई अदृश्य शक्ति द्वारा हो रहा है यह तो मात्र सैकड़ो हजारो साल पहले मौजुद इंसानो के द्वारा की गई कल्पना है | जबकि प्रकृति द्वारा संचालित जिवन विज्ञान प्रमाणित है |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें