मोदी के डर से सभी विपक्षी दल एक साथ आए कहने वाले अमित शाह क्या ये बतायेंगे कि पिछली लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा का जो दो दर्जन केला के गुच्छे जितनी पार्टियो का गठबंधन हुआ था वह किसके डर से एकजुट हुए थे?या फिर तब मोदी नही थे भारत के जनता के बिच?वह मोदी जो कि जवानी से बुढ़ापा तक भाजपा रथ की सवारी कर रहे हैं|जो कि उसी समय से भाजपा के लिए काम कर रहे हैं जब आज के बहुत से युवा जन्म भी नही लिये होंगे|जिनमे से बहुत से युवा तो अजादी के उम्र जितने उम्र के मोदी के मुँह से पिछली लोकसभा चुनाव 2014 में युवा भारत सुनकर और नौकरी मिली सवाल मोदी के मुँह से अनगिनत बार सुनकर नही मिली जवाब देकर पिछली लोकसभा चुनाव प्रचार में मोदी मोदी करके चिल्लाने का रोजगार मुफ्त में किये थे|जो सायद साईनिंग इंडिया की हार दर्ज होते समय मोदी मोदी करके नही चिलाये होंगे इसलिये साईनिंग इंडिया की बुरी तरह से हार हुई थी!जो क्यों नही चिल्ला रहे थे साईनिंग इंडिया के समय?क्योंकि तब भी तो मोदी भाजपा के लिये वोट मांग रहे थे|पर असल में मोदी का जलवा 2014 में जो दिखी है वह दरसल कांग्रेस को हटाने का जलवा था,जो कि अब धिरे धिरे भाजपा को हटाने का जलवा में परिवर्तन हो रहा है|जो बात अमित शाह को भी पता हैे और उन युवा बेरोजगारो को भी पता है जो डीजिटल इंडिया की नारा से आर्कषित होकर पिछली लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा को भारी बहुमत से जिताये,लेकिन अब भी बेरोजगार होकर सिर्फ मोदी मोदी करने का रोजगार मुफ्त में कर रहे हैं|क्योंकि भाजपा हर साल दो करोड़ को रोजगार देने की भाषन अश्वासन देकर अबतक भी अपना वादा पुरा नही की गई है|और अब अगले साल यानी 2019 में फिर से लोकसभा चुनाव होनेवाले हैं|भाजपा ने जो साठ साल बनाम साठ महिने का समय मांगी थी वह अगले साल पुरा होने जा रहा है|हलांकि साठ महिना डीजिटल इंडिया की सरकार से पहले साठ महिना साईनिंग इंडिया के रुप में भाजपा की ही सरकार केन्द्र में पहले भी शासन कर चुकि है|जिसके बाद सबके अच्छे दिन लाने का जो अवसर फिर से साठ महिने का मांगा गया था वह अगले साल पुरा होकर बहुत जल्द अच्छे दिन नही बल्कि लोकसभा चुनाव आनेवाले हैं|जिसमे भी क्या पिछली लोकसभा चुनाव की तरह मोदी सभी बेरोजगार नौजवानो से पुछने वाले हैं कि हर साल दो करोड़ को रोजगार मिली?जो सवाल यदि सचमुच में पुछी भी जायेगी तो फिर जवाब में क्या आयेगा युवा बेरोजगारो की ओर से?
In order to bring about a balanced change in the humanity and environment of the whole world, I have given my views about politics, religion, Chunav Vagaira. पूरी दुनिया की मानवता और पर्यावरण में एक संतुलित बदलाव लाने के लिए, मैंने राजनीति, धर्म, सरकार चूनाव वगैरा के बारे में अपने विचार दिए हैं। pooree duniya kee maanavata aur paryaavaran mein ek santulit badalaav laane ke lie, mainne raajaneeti, dharm, choonav vagaira ke baare mein apane vichaar die hain.
प्रचार
शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018
यदि शोषित पीड़ित सांसद और मंत्री अपना समर्थन वापस ले ले
किसी घर का भेदी को अपडेट फंदा के रुप में इसलिए भी बली का बकरा बनाया जाता है,क्योंकि उसके जरिये उसके परिवार के लोगो के पिठ पिच्छे वार करके खुदको ताकतवर घोषित की जा सके|जैसे कि शैतान सिकंदर ने इस देश में घर का भेदी आंभिक राजा को अपना बलि का बकरा बनाकर इस देश में उस समय की प्राचिन राजधानी पाटलिपुत्र पर हमला करके पुरे हिन्दुस्तान को लुटने आया था|पर चूँकि घर का भेदी भी हिन्दुस्तान की भेद को उस समय अपनी वफादारी से नही भेद सका,जिसके चलते उसकी आका शैतान सिकंदर की हाफ मडर हिन्दुस्तान के बॉर्डर में ही पुरु महाराजा के द्वारा हो गया था|जिसके चलते उसे बाद में किसी तरह अपनी जान बचाकर देश पर बुरी नजर डालना छोड़कर वापस अपने देश पलायन करना पड़ा|हलांकि वापस लौटने के बाद भरी जवानी में उसकी मौत हो गई|जिसके बाद उसका विश्व विजय विश्व लुटेरा न०1 बनने का सपना अधुरा रह गया|क्योंकि पुरी दुनियाँ को वह लुटने निकला था, पर हिन्दुस्तान को लुटने के लिये हिन्दुस्तान में प्रवेश करने के बाद वह अपनी जान लुटवा बैठा|जिस शैतान सिकंदर को आज भी कई लोग जो सायद लुटपाट को अपना आदर्श मानते होंगे वे महान सिकंदर कहकर उसकी तारिफ ऐसे करते हैं,जैसे कि कोई चोर लुटेरो से रिस्ता जोड़ने के लिए उसकी लुटेरी गैंग का किसी बराती की तरह स्वागत करने के लिए फुल माला तैयार करके इंतजार करना चाहते हो|जैसे कि कोई घर का भेदी भी अपने ही घर का विनाश करने के लिए चोर लुटेरो का स्वागत करते हैं|जो अपने घर को ही लुटवाने और अपने परिवार के सदस्यो की प्राण हरण करवाने के लिए भी उछल कुद ऐसे करते रहते हैं,जैसे अपने ही घर का विनास करने की सुपारी देकर उसकी आरती उतारी जायेगी घर परिवार के बाकि बचे लोगो के द्वारा|जिसके बाद घर का भेदी का आका भी बहुत खुश होते हैं इस बात से कि उसे बिना ज्यादे बुद्धी बल लगाये ही मुफ्त में किसी घर का भेदी को अपना भक्त बनाकर बहुत ज्यादे का फायदा हो जाता है|जैसे की इस समय इस देश में शोषित पिड़ितो का शोषन अत्याचार करने वाले लोग किसी शोषित को ही घर का भेदी बनाकर उसे किसी बलि का बकरा की तरह चड़ाते आ रहे हैं|जिन्हे चड़ाकर इस बात के लिए निश्चित हो जाते हैं कि कभी यदि वे फसेंगे कानूनी या इंसानी झंझट में तो शोषित पिड़ितो में जो लोग भी भारी शोषन अत्याचार का शिकार हो रहे हैं,उनके नई पिड़ि को अपनी सफाई दे देंगे कि जब ये ये बहुत बड़े बड़े शोषन अत्याचार जैसे बड़े बड़े गलत कार्य हो रहे थे,उस समय शोषित पिड़ितो के अपने ही शोषन अत्याचार करने की सुपारी दे रहे थे|नही तो उनके पास ऐसी ताकत कहाँ की इतने बड़े देश और इतनी बड़ी अबादी के साथ शोषन अत्याचार कर पाते|जो बात कुछ हद तक सही भी है कि यदि इस देश के शोषित पिड़ित एकजुट हो जाय और एक भी शोषित घर का भेदी न बने तो इस देश में किसी भी शोषित पिड़ित के साथ शोषन अत्याचार होना तो दुर,इस देश की सत्ता में भी कोई पार्टी अपनी सरकार बना भी नही सकती है| और न ही कोई पार्टी सरकार बनने के बाद खुदको गिरने से बचा सकती है,यदि सभी शोषित पिड़ित सांसद और मंत्री अपना समर्थन खिच लें|जैसे कि यदि इस समय ये मान के चला जाय कि इस देश में अबतक जितने भी बड़े बड़े शोषन अत्याचार की घटना भाजपा और कांग्रेस के द्वारा अंदर अंदर मिली भगत से हो रही है,एक दुसरे की वोट और सत्ता पावर को युक्त करके,जिसके चलते ही कांग्रेस भाजपा चुनाव से पहले एक दुसरे को देश की सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी तो कहते हैं,और सत्ता पर आने के बाद एक दुसरे को जेल में भी डालने की बात करते हैं,पर सरकार बनते ही सीबीआई वगैरा का डंडा ज्यादेतर दुसरी पार्टियो पर ही बरसनी सुरु हो जाती है|जिन पार्टियो में ज्यादेतर वे पार्टियाँ होती हैं जिनके मुखिया शोषित पिड़ित होते हैं|जिससे शोषित पिड़ितो को ही भारी नुकसान हो रहा है कांग्रेस भाजपा पार्टी की सरकार शोषित पिड़ित सांसद और मंत्रियो से भरे होने के बावजुद भी|जिनको यदि भाजपा कांग्रेस में मौजुद भारी भेदभाव शोषन अत्याचार करने वाली ताकते सिर्फ बली का बकरा बनाकर सत्ता में बैठकर संवर्णो को ही भारी लाभ पहुँचाने की मकसद से बार बार शोषित पिड़ित को सिर्फ इस्तेमाल कर रही है आपस में फुट डालकर राज करने के लिए,जिससे की संवर्णो पर बड़े बड़े आरोप अनगिनत संख्या में अबतक लगते रहे हैं,पर भाजपा कांग्रेस सिर्फ ज्यादेतर भेदभाव की कारवाई ही करते आ रही है|जैसे की इस देश में कई कई हजार करोड़ लाख करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है,और कई तो विदेशी बैंको से और सरकारो से बड़े बड़े भ्रष्टाचार की भ्रष्ट लिस्ट भी आई है,जिन लिस्टो में कितने शोषित पिड़ितो का नाम है?जिनमे से कई अंतराष्ट्रीय भ्रष्टाचार आरोपी तो मानो विदेशो में निश्चित होकर भोग विलाश कर रहे हैं,लेकिन शोषित पिड़ित पर यदि उन बड़े बड़े अंतराष्ट्रीय भ्रष्टाचार करने वाले आरोपियो से भी बहुत कम का लोकल भ्रष्टाचार आरोप लगता है,मानो कोहिनूर हीरा चोर के जगह खीरा चोर का आरोप भी लगता है तो उनको जेल में डालने के लिए ये भाजपा कांग्रेस दिन रात एक एक करके अंतिम में जेल में डलवा भी देती है|या फिर डरा धमकाकर अपने सामने सिर झुकवाकर अपने फायदे का काम करवा लेती है|जिसे मजबूर होकर कई शोषित पिड़ित कर भी रहे होंगे किसी बंधुवा मजदुर की तरह या फिर जैसा कि मैने बतलाया घर का भेदी बनकर!क्योंकि अजादी से लेकर अबतक मुलता भाजपा कांग्रेस का ही सत्ता की पावर मौजुद रही है|जिसे यदि कांग्रेस भाजपा की मिली भगत सत्ता पावर मानकर चला जाय शोषित पिड़ित द्वारा और ये बड़ा फैशला ले लिया जाय कि शोषित पिड़ित जो चाहे जिस धर्म पर मौजुद हो क्योंकि धर्म परिवर्तन से अपने एक पुर्वजो की डीएनए में परिवर्तन नही होता है और न ही शोषन अत्याचार में भारी परिवर्तन होता है|क्योंकि शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनके हक अधिकारो की छिना झपटी के साथ साथ उनका भारी शोषन अत्याचार लंबे समय से हो रहा है|बल्कि इस देश की मदर इंडिया जो चाहे जिस जाती धर्म में मौजुद हो उनके साथ तो सबसे अधिक शोषन अत्याचार हो रहा है|चाहे नारी भ्रुण हत्या हो या फिर नारी के साथ हर रोज होने वाली बलात्कार की घटना हो,जो हर रोज दर्ज हो रही है|सिर्फ अब नही होगा नारी के साथ अत्याचार झुठे भाषन अश्वाशन देकर सरकार बनाने के बाद इस साल कितने हजार बलात्कार की घटनायें पुरे देश में दर्ज हुई रिपोर्ट लेकर दुबारा से वोट मांगने ऐसे आती रही है भाजपा कांग्रेस की सरकार जैसे ओलंपिक का मेडल जैसा ही कोई बलात्कार न रोक पाने वाली मेडल प्राप्त करके वोट मांगने आ रहे हो|जिन दोनो ही पार्टी पर भले संवर्ण जाती के लोग वोटो की बौछावर करते रहे संवर्णो की विशेष घर दरबार समझकर,पर यदि शोषित पिड़ित जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे यदि एकबार ही सही भारी परिवर्तन का बड़ा फैशला लेकर मन में ये ठान ले की अब भाजपा कांग्रेस को कोई भी शोषित पिड़ित वोट नही करेगा,तो मैं दावे के साथ कह सकता हुँ कि भाजपा कांग्रेस कभी भी अपनी सरकार नही बना पायेगी,जबतक की वे ये साबित न कर दे कि उनके शासन काल में इस देश में एक भी ऐसी बड़ी भेदभाव की घटना घटित नही हुई है,जिससे की भाजपा कांग्रेस ये साबित कर सके कि दोनो ही संवर्ण युक्त डीएनए वाली पार्टी नही है,जिसकी बु नही आती है!जिसके बाद जो सरकार आयेगी उसमे मुलता शोषित पिड़ितो को मुल अवसर मिलेगा केन्द्र में मजबुती से बैठकर पुरे देश से शोषन अत्याचार को मिटाने की|जिस एक अवसर को कम से कम भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टी को केन्द्र से हटाकर जरुर मौका देनी चाहिए|अपकीबार दलित आदिवासी और पिछड़ी जाती जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,साथ साथ इस देश की मदर इंडिया भी यदि ये निश्चित कर ले कि ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी बुरे दिन अबतक भी कायम रहने के पिच्छे भाजपा कांग्रेस जैसी सरकार ही मुल कारन है,तो फिर भाजपा कांग्रेस को केन्द्र की सत्ता से जाने से कोई भी वोट ताकत नही रोक सकती है,सिवाय वोटिंग मशीन में गड़बड़ी करके नकली नोट की तरह फर्जी वोट छापकर|बल्कि ऐसी फर्जी सरकार बनने के बाद भी मानवता के नाते वोटिंग मशीन में गड़बड़ी करने की साजिश करने वाली सारी घटना के बारे में जानने वाले सांसद मंत्री बनने वाले लोग यदि चाहे तो गाँधी का तीन बंदर बनकर वोटिंग मशीन के साथ भारी गड़बड़ी होता हुआ देख सुनकर भी उसे अनसुना और अनदेखा करके सत्य बोलने के बजाय अपना मुँह बंद न करके सब पाप का भांडाफोड़ कर दे तो वोटिंग मशीन में गड़बड़ी करके नकली नोट की तरह नकली वोट छापकर बनी फर्जी सरकार भी एक झटके में गिर सकती है|जैसा कि मैने इससे पहले बतलाया कि यदि शोषित पिड़ित सांसद और मंत्री अपना समर्थन वापस ले ले भारी बहुमत की सरकार से तो इस समय की भारी बहुमत भाजपा सरकार भी एक झटके में गिर सकती है|इतनी वोट और समर्थन पावर तो जरुर मौजुद है इस देश के शोषित पिड़ित दलित आदिवासी और पिछड़ी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो|जिनको भले कमजोर पिड़ित और दबे कुचले कहकर अबतक दबाते रहे हैं,शोषन अत्याचार करने वाले पर ये सभी एकजुट होकर यदि इस समय भी देश की सत्ता कुर्सी को खिच दे अब नही सहनी शोषन अत्याचार तो चाहे जिस राज्य की सरकार हो या फिर केन्द्र की सरकार हो एक झटके में गिर सकती है|
आजाद भारत का संविधान की रक्षा
भारी भेदभाव करने की मानसिकता दरसल उन लोगो की उपज है,जो कि अपनी शिकारी सोच से अबतक भी खुदको बाहर निकाल नही पाये हैं|जिस तरह की मांसिकता कबिलई लोगो में उन बुरे लोगो की रही है जिनके खिलाफ उनके अपने भी लंबे समय तक कड़ी संघर्ष करते रहे हैं|खासकर उन लोगो के खिलाफ जो कि लंबे समय से किसी मच्छड़,खटमल और जू जैसे परजिवी की तरह घुम घुमकर किसी कृषी समाज से चिपककर हजारो सालो से दुसरे की हक अधिकारो को चुसते रहे हैं|जिनके अवगुणो को आज भी छुवा छुत करना नही छोड़ने वाले अपना आदर्श मानकर चल रहे हैं!क्योंकि उन्हे लगता है छुवा छुत करके ही सबसे विकसित बुद्धी बल का विकाश होता है|दुसरी तरफ छुवा छुत का शिकार मुल कृषि सभ्यता संस्कृती को हजारो साल पहले ही विकसित करने वाले लोगो को लगता है, कि छुवा छुत करना अपनी अविकसित मांसिकता को दर्शाना है|जिनको पुरा यकिन है कि भविष्य की नई पिड़ी कभी नही बहुत लाभकारी बतलाकर छुवा छुत जैसे भ्रष्ट संस्कार का अपनायेगी|जो मेरे ख्याल से सबसे विकसित विचार है|लेकिन भी ऐसी ज्ञान बांटने वाली बुद्धी बल को निच और कमजोर बतलाकर हजारो सालो से उच्च निच का भेदभाव करना जारी है|मानो ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी में ताड़ना मतलब सिखाना होता है कहकर कान में पिघला लोहा डालना ,जीभ काटना ,अँगुठा काटना जैसी बाते लंबे समय से सिखलाई जाती रही है अपने नई अपडेट छुवा छुत पिड़ी को|जो अपडेट 21वीं सदी में भी छुवा छुत कायम रखकर मानो अजाद भारत का संविधान रचना करने वालो को मानवता की सेवा करना सिखलाई जा रही है कि मनुस्मृती को लागू करके और कानून द्वारा खुदको जन्म से विद्वान पंडित घोषित करके मनुस्मृती की रचना करने वाले बहुत महान कार्य मानवता की भलाई के लिए कर रहे थे|जिसके चलते ही वे खुदको जन्म से ही उच्च विद्वान पंडित कहते रहे हैं|जिनके द्वारा रचित मनुस्मृती को गोरो से अजादी मिलने से पहले ही भष्म करके बाद में अजाद भारत का रचना किया गया है|वह भी उन्ही शुद्र कहलाने वालो में ही एक शोषित पिड़ित द्वारा जिसने मनुस्मृती की तुलना रोमराज से किया है|जाहिर है जन्म से ही छुवा छुत का शिकार होने वाले और जन्म से ही खुदको उच्च कहकर बाकियो को निच बतलाने वाले दोनो के बिच हिंसक और अहिंसक तरिके से लंबे समय से संघर्ष चलती रही हैं|छुवा छुत करने वाला मंदिरो में शुद्र का प्रवेश मना है बोर्ड लगाकर मंदिरो में एकाधिकार बनाकर और खुदको जन्म से उच्च विद्वान पंडित बतलाकर बाकियो को ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी सोच के जरिये हमेशा ताड़ते रहना चाहता है|जिसके चलते ही तो आजतक भी छुवा छुत जैसे शोषन अत्याचार करने वाले पिड़ि दर पिड़ि छुवा छुत को मानो पुर्वजो की खास विरासत समझकर उसे आज तक भी अपने पीठ में मनुस्मृती का भारी बस्ता ढोकर विशेष प्रकार की ताड़ने की हुनर अपनी नई पिड़ी को भी बहुत जरुरी है बतलाकर सिखलाते आ रहे हैं|जिसके चलते आज भी इस अजाद देश में छुवा छुत जैसी ऐसी अँधेरा कायम है|जैसे मानो सुर्य ग्रहण के समय हो जाती है|और इस समय अजाद भारत का संविधान यदि सुर्य है तो अजाद भारत का संविधान को ग्रहण लगाने वाला भष्म मनुस्मृती का भुत है|जिस अँधेरे के खिलाफ कड़ी संघर्ष करने वाला मनुस्मृती सोच के खिलाफ आवाज उठाकर हजारो सालो से छुवा छुत करने वालो को ये समझाने की कोशिष करने में लगे हुए हैं कि छुवा छुत करना इंसानियत और समाज लोकतंत्र सभी के लिए बहुत हानिकारक है|जैसे की सुर्य ग्रहण के समय उससे निकलने वाली रौशनी हानिकारक होती है|जिस तरह की ही इंसानियत की हानि से बचने के लिए आज भी कृषी समाज में अपने सर से सुख शांती और समृद्धी का ताज भी गवाकर सर में छुवा छुत जैसे शोषन अत्याचार का मैला ढोकर भी भारी भेदभाव के खिलाफ संघर्ष जारी है|बल्कि कभी कभी तो कई कबिलई समाज में भी अपने ही कबिलई मांसिकता के विरुद्ध दुसरे कबिलई मांसिकता के लोग कड़ी संघर्ष करते रहे हैं|जो लोग भी भारी शोषन अत्याचार और गुलामी के खिलाफ अपने ही दुसरे कबिलई लोगो से भिड़ते रहे हैं!जिसका सबसे बड़ा उदाहरन प्राचिन रोमराज के खिलाफ कड़ी संघर्ष चली है|जिस रोमराज की तुलना बाबा अंबेडकर ने मनुस्मृती से किया है|जिस तरह की रोमराज न तो प्राचिन में भले लोग चाहते थे और न ही वर्तमान के भी लोग रोमराज लाना चाहेंगे|बल्कि समय समय पर एक जगह ही जिन तीन धर्मो का उदय हुआ है यहूदी,मुस्लिम और इसाई धर्म के रुप में उन तीनो धर्मो के खास इंसानियत के लिए जन्मे इंसानो ने भी भारी भेदभाव और गुलामी के खिलाफ अजादी संघर्ष किये हैं|जैसे कि संदेश वाहक मुसा ने अपने ही परिवार के खिलाफ अजादी की लड़ाई लड़ने के लिए महल को त्यागा था और मसीह यीशु भी अजादी संघर्ष करते करते सुली पर चड़ाये गए थे!उसी तरह मोहम्मद पैगंबर भी भारी भेदभाव और गुलामी के खिलाफ हक अधिकार और अजादी के लिए जंग लड़े थे|जो जंग इंसानियत अमन को कायम करने अजादी प्रेम बांटने के लिये लड़ी गई थी|जिस इंसानियत को अँधेरा कायम करके गुलामी और भारी भेदभाव जैसे शोषन अन्याय अत्याचार करने वाले कोई कृषी मांसिकता के लोग नही थे,बल्कि कबिलई और शिकारी मांसिकता के लोग थे|जो कि दुसरे की हक अधिकारो को लुटकर और कब्जा करके भारी शोषन अत्याचार कर रहे थे!जिनकी शिकारी मांसिकता की वजह से उस समय अरब में नारी को पैदा होते ही खत्म करने जैसी नियम कानून बनाकर गुलामी और नफरत की शिकार की जा रही थी!जिस तरह के कबिलई शिकारी मांसिकता के लोग अपने ही लोगो को तो सताये ही हैं लंबे समय से,पर दुसरे लोगो को भी हजारो सालो से सताते रहे हैं|जिनके द्वारा दिए गए जख्म आज भी पुरे विश्व में भरे पड़े हैं|जो कि किसी नदी किनारे हजारो साल पहले ही विकसित कृषी सभ्यता संस्कृती के द्वारा नही दिए गए हैं,बल्कि उन घुमकड़ कबिलई द्वारा दिए गए हैं,जो कि आज भी अपनी फंदा लगाउ शिकारी सोच से बाहर नही निकल पाये हैं|जिसकी वजह से आज भी बस उसे अपडेट ही करते आ रहे हैं|जैसे की पुराने गोरे अपनी बेहत्तर बुद्धी और बल का विकाश करने की बाते करके इस्ट इंडिया कंपनी का गुलामी फंदा लगाकर यीशु अजादी प्रेम बांटने के बजाय लंबे समय तक कई देशो का शिकार करके गुलाम बनाकर मान सम्मान जान और धन वगैरा लुटते रहे|जो यदि अपना पेट पालने के लिए और कथित अपना विकाश करने के लिए भी मुलता घुमकड़ लुटपाट आदत छोड़कर अपने मुल स्थान पर ही स्थिर होकर कृषी सभ्यता संस्कृती को मुल रुप से अपना लेते,तो कभी भी किसी देश को गुलाम या दास बनाकर शोषन अत्याचार करने की नही सोचते!जो इतिहास में कई देशो को न्याय करने का जज बनकर भी गुलाम करने के लिए चर्चित हैं|जैसे की प्राचिन रोमराज कई देशो के साथ घोर अन्याय अत्याचार करने के लिए इतिहास में चर्चित है|उसी तरह हिन्दुस्तान में भी खुदको भगवान का सबसे बड़ा पुजारी बतलाकर छुवा छुत करने के लिए जो लोग चर्चित हैं,उनकी सोच कोई हिन्दुस्तान की सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती से नही जन्मी है,बल्कि किसी रोमराज जैसे किसी कबिलई सोच की ही उपज है|जिनकी वजह से इस कृषी प्रधान देश को न जाने कितने हजार साल छुवा छुत की जकड़न से खुदको छुड़ाने में बर्बाद हुए, और आज भी हो रहे हैं|और आगे भी और न जाने कितने ही साल इसी तरह छुवा छुत की जकड़न की वजह से बर्बाद होते रहेंगे|जिन छुवा छुत करने वालो के लिये तो अब छुवा छुत आधुनिक साईनिंग और डीजिटल अपडेट लेकर आई है|क्योंकि कहने को आज इंसान की सोच मंगल तक भी पहुँच चुकी है,पर फिर भी इस देश में छुवा छुत करने वालो की सोच हजारो साल पिच्छे प्राचिन रोमराज सोच को अपडेट करने में ही लगी हुई है|जो कोई भले या विकाश के लिए नही बल्कि शोषन अत्याचार और विनाश के लिए ही आज भी छुवा छुत की जा रही है|जिस तरह की भ्रष्ट मांसिकत वाली एक भी भ्रष्ट बुद्धी नई पिड़ी को छुवा छुत करना जबतक सिखलाती रहेगी तबतक हिन्दुस्तान से छुवा छुत मानो मनुस्मृती को भष्म करके अजाद भारत का संविधान रचना करके भी मनुस्मृती का भुत किसी शोषित पिड़ित के पिठ में लदे बैताल भुत की तरह इस कृषी सभ्यता संस्कृती परिवार समाज को जकड़कर छुवा छुत शोषन अत्याचार करता रहेगा|जिसे मोक्ष जबतक नही मिलेगा,तबतक मनुस्मृती की आत्मा इस कृषी प्रधान देश में छुवा छुत के रुप में भटकती रहेगी|जिसे मोक्ष तभी मिलेगी जब वह अपना गुनाह को पुरी तरह से स्वीकार कर लेगा कि उससे कौन कौन से बड़े पाप हुए हैं?जिसे जबतक छिपाने की प्रक्रिया चलती रहेगी तबतक ऐसी मोक्ष यात्रा चलती रहेगी जिसका कोई मंजिल ही नही है!जैसे कि शिकार पर निकले किसी शिकारी या फिर लुटपाट करने निकले कबिलई लुटेरो की कोई ऐसी स्थिर मंजिल नही होती है,जहाँ रुककर वे अपनी बुद्धी को स्थिर करके स्थिर सागर की तरह कृषी तप करके हजारो कृषी हुनर को प्रयोगिक रुप से सिखकर अपना परजिवी जिवन जिना छोड़ सके|जैसे कि हिन्दुस्तान में हजारो साल पहले ही स्थिर कृषी तप करके हजारो हुनर वरदान की खोज करके उसके जरिये विकसित सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती और मजबुत गणतंत्र की नीव डाली जा चुकी है|जिन हजारो विकसित हुनर को हजारो निच जाती बनाकर हजारो सालो से छुवा छुत शोषन अत्याचार करना जारी है|जैसे की आज स्थिर सागर में न जाने कितने ही अनगिनत प्रदुषन अंबार द्वारा सागर और सागर में रहने वाले जिव जंतुओ बल्कि चूँकि सागर से पुरे पृथ्वी का पर्यावरण निर्भर है,इसलिए पुरे पृथ्वी को ही नुकसान पहुँचाना जारी है|जैसे की हजारो सालो से इस विश्वगुरु कहलाने वाला कृषी प्रधान देश को भारी भेदभाव करने वाली कबिलई अँधेरा से नुकसान पहुँचाना जारी है|जिसके बारे में जाननी है तो जिन्हे हजारो निच जाती के रुप में बांटा गया है,उनमे से किसी एक जाती कि हुनर पुछकर पता किया जा सकता है कि वह जाती किसी खास हुनर के कार्यो में लगकर मजबुत गणतंत्र को विकसित करने में लगा हुआ था उसी समय जब इस देश में छुवा छुत और उच्च निच का भुत तो दुर मनुस्मृती की रचना करने वाले भी मौजुद नही होंगे!जो बाद में प्रवेश करके इस कृषी प्रधान देश के हजारो विकसित हुनर को हजारो शुद्र जाती बनाकर खुदको जन्म से ही विद्वान पंडित,वीर क्षत्रीय और धन्ना वैश्य जाती घोषित करने का नियम कानून मनुस्मृती रचना करके उसे प्रयोगिक रुप से लागू करके शोषन अत्याचार सुरु हो गया होगा,जैसे कि खुदको सबसे विकसित बतलाकर गोरो द्वारा अंदर इंडियन और कुत्ता का प्रवेश करना मना है बोर्ड लगाकर देश गुलाम करके लुटपाट अन्याय अत्याचार सुरु हुआ था|जिससे तो अजादी मिल गई है पर छुवा छुत से पुर्ण अजादी इस देश को नही मिली है|जाहिर है हिन्दुस्तान में छुवा छुत जबतक समाप्त नही होगी तबतक निश्चित रुप से भष्म मनुस्मृती की आत्मा इस देश में छुवा छुत के रुप में भटकती रहेगी|इसलिए सायद इस कृषी प्रधान देश में आजतक भी छुवा छुत समाप्त नही हो पा रही है|जिसके चलते हिन्दुस्तान में आजतक भी गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भारी भेदभाव करना जारी है|बल्की अजाद हिन्दुस्तान का संविधान लागू होकर भी शासन व्यवस्था में भी छुवा छुत ने अपना जकड़न बनाये रखकर इस देश के शोषित पिड़ितो को भारी भेदभाव से जकड़कर रखा गया है|जिससे अजादी मिलना अभी बाकी है|जिसके लिये कड़ी संघर्ष करना आजतक भी जारी है|क्योंकि हक अधिकारो की छिना झपटी हर रोज ही जारी है!गोरो से तो अधुरी अजादी झांकी भर मिल गई पर छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव से पुरी अजादी मिलना बाकी है|जिस गुलामी के बारे में किसी छुवा छुत करने वालो को यदि ठीक से खुद ही समझनी हो तो जिन मंदिरो में शुद्र का मंदिरो में प्रवेश करना मना है लिखा हुआ बोर्ड रहता है,वहाँ पर प्रवेश करके उसका सचमुच में भितर से विरोध करके अपने ही डीएनए के लोगो के खिलाफ कभी अवाज उठाकर देखो पता चल जायेगा पुरी अजादी संघर्ष क्या होती है|जिस तरह का विरोध अब छुवा छुत करने वालो के घरो से भी अपने ही डीएनए के बहुत से नई पिड़ी द्वारा किसी शोषित पिड़ित को अपने से निचे दबाकर रखने और अपनी उच्च दबदबा बनाये रखने में जो लंबे समय से भारी भेदभाव होती रही है,उसके खिलाफ पहले से और ज्यादे सोर गुल होने लगी है|जिस आवाज को दबाने के लिए किसी दलित पिछड़ी और आदिवासी की आड़ लेकर छुवा छुत इतिहास को छिपाने की कोशिषे भी यदि संभवता हो रही है,ताकि बिना कोई शक के भितर भितर फिर से मनुस्मृती को अपडेट की जा सके|जिसके बावजुद भी मेरे ख्याल से ऐसी मनुस्मृती मांसिकता अपडेट मानो भष्म मनुस्मृती को अजाद भारत का संविधान से बेहत्तर बतलाने की मात्र कोशिष है| क्योंकि अब इतिहास में दुबारा से ऐसा कोई भी मौका न तो विश्व समाज ही देगी और न ही इस देश के शोषित समाज ही कोई ऐसा मौका अपने सर में छुवा छुत का मैला ढोकर देना चाहेगी जिससे की भविष्य में फिर से भष्म मनुस्मृती जैसी रचना अपडेट करके उसे इस कृषी प्रधान देश में लागू किया जा सके|जिसके जरिये ऐसी बड़ी दाग लग सके जिसे आनेवाली नई पिड़ी भी झेले अपने सर में छुवा छुत का मैला ढोकर खुदको उच्च जाती का सेवक मानकर|लेकिन भी चूँकि झुठी कोशिषे जारी है,जैसे की लोकतंत्र की हत्या करने की कोशिषे हो रही है ये बात यू ही नही कही जा रही है!जो बात यदि बाद में सत्य भी साबित हुई की लोकतंत्र की हत्या करने की सुपारी बार बार दी जा रही है,तो निश्चित तौर पर मेरे ख्याल से कोई नया बहुत बड़ा बलि का बकरा तलाशकर मनुस्मृती को जिन्दा करने के लिये चड़ाया जा रहा है|
SC ST एक्ट,सुप्रीम कोर्ट,अनुच्छेद 21,भस्म मनुस्मृति और अाजाद भारत का संविधान
अाजाद भारत का संविधान में सबको अवसर मिलने की बाते लिखी गई है|लेकिन संविधान में इस देश के दलित और आदिवासी को खास अधिकार प्राप्त होने के बावजुद भी प्रधानमंत्री बनने का अवसर अजादी से लेकर अबतक एकबार भी अवसर नही दिया गया है|सिर्फ ज्यादेतर संवर्ण प्रधानमंत्री ही अबतक लगातार क्यों बनाये जाते आ रहे हैं,सिवाय एक दो पिछड़ी जाती के?हलांकि अजादी से लेकर अबतक कोई दलित प्रधानमंत्री तो नही बनाये गये हैं,लेकिन अजादी के बाद दुसरी बार इसबार फिर से दलित राष्ट्रपति जरुर बनाये गये हैं|वह भी मेरे ख्याल से भारी भेदभाव को लेकर जब देश में चारो तरफ अधिक सोर गुल होने लगा है,तब जाकर भारी भेदभाव करने की सोच में अचानक से अब फिर से भारी परिवर्तन आनी सुरु हो गई है|खासकर ये साबित करने के लिए कि अजादी से लेकर अबतक शोषित पिड़ितो के साथ कोई भी भारी भेदभाव नही हो रहे थे!जिसे साबित करने कि कोशिषो के चलते ही पिछड़ी प्रधानमंत्री के बाद अचानक से दलित राष्ट्रपति बनाया गया है|लेकिन चूँकि इस देश में हजारो सालो से लेकर अबतक भी शोषित पिड़ित के हक अधिकारो को लेकर छिना झपटी किस तरह से होते आ रही हैं,ये बात देश के साथ साथ पुरी दुनियाँ के सामने भी छिपि नही है|जिसके चलते आये दिन विरोध प्रदर्शन होती ही रहती है|बल्कि अपकीबार तो ये विरोध प्रदर्शन और आंदोलन देश के कोने कोने में तेजी से फैल गई है|जो और भी अधिक तेजी से फैलते ही जा रही है|जिसका असर पुरे देश में ही नही बल्कि अब पुरी दुनियाँ में भी दिखने लगी है|वैसे तो ये पहले से ही दिखलाई दे रही थी लेकिन अब ये लाईव भी दिखने लगी है|जिसपर मेरे ख्याल से पुरी दुनियाँ की लाईव मीडिया को नजर रखनी चाहिए कि इस देश में आजकल क्या क्या खास बड़े बड़े परिवर्तन हो रहे हैं|जिसे कोई आम परिवर्तन बिल्कुल भी नही समझनी चाहिए|क्योंकि इस देश में लंबे समय से बहुत बड़ी अबादी भारी शोषन अत्याचार का शिकार होते आ रहे हैं|जो अपने हक अधिकारो के लिए कड़ी संघर्ष कर रहे हैं|जिसकी आवाज को दबाने के लिए किसी की गले दबाने के जैसा इस देश के शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो की आवाज को दबाने की कोशिषे जारी है|जैसे की वर्तमान में भी इस देश की कथित डीजिटल सरकार डीजिटल इंटरनेट में भी खास तरह की बंदी करके शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो की आवाज को दबाने के लिए तरह तरह की जाल बुन रही है|जिससे साफ जाहिर है कि यदि इस देश की सरकार बल्कि कोर्ट भी यदि ठीक से सहयोग नही कर रही है शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो को वापस पाने के लिए तो आगे कम से कम विश्व समाज की वह तमाम ताकते जरुर मदत के लिए सामने आएँ जो की विश्व मानवता और पर्यावरण सुधार में भारी भुमिका निभाने का काम करती रही है|वह चाहे क्यों न विश्व समाज की डीजिटल मीडिया हो या फिर विश्व का कोई समाजिक भलाई करने वाला संगठन हो,उनको इस देश में क्या कुछ हो रहा है शोषन अत्याचार से मुक्ती पाने को लेकर उसके बारे में खास लाईव नजर जरुर रखनी चाहिए|क्योंकि इस देश में शोषित पिड़ितो के साथ हर रोज ही ऐसे ऐसे शोषन अत्याचार हो रहे हैं,जिसकी आवाजे विश्व समाज में बाहर न निकलने देने के लिए दबा देने की कोशिषे लगातार हो रही है|जिन आवाजो को विश्व समाज में जो भी विश्व भलाई में लगे देश हो वे इसे अनसुना और अनदेखा न करें!जैसे की यदि किसी के पड़ौस में शोषन अत्याचार होने और चिखने चिलाने की आवाजे आ रही हो तो फिर मानवता के नाते किसी भी सभ्य समाज के लोगो को उस चिखने चिलाने में नजर रखकर जिसके साथ भी अन्याय अत्याचार हो रहा है,उसकी मदत के लिए सामने आनी चाहिए|जैसे कि इस देश के शोषित पिड़ितो की मदत के लिए विश्व समाज को सामने आनी चाहिए|खासकर यह जानते हुए की पल पल इस देश में अपने हक अधिकार को पाने के लिए शोषित पिड़ितो द्वारा जो कठिन संघर्ष हो रही है, उसमे लगातार मौते भी हो रही है|वह भी उन्ही के आदेशो का विरोध करने पर जिन्हे हक अधिकारो की रक्षा करने और शोषित पिड़ितो की खास सुरक्षा करने की खास जिम्मेवारी सौपी गई है|क्योंकि पिछड़ी प्रधानमंत्री और दलित राष्ट्रपति के रहते हुए भी हाल ही में जिस तरह के आदेश और फैशले सुप्रीम कोर्ट के जजो द्वारा शोषित पिड़ितो के हक अधिकार के खिलाफ लिये गए हैं,उससे तो साफ जाहिर हो जाता है कि भाजपा या कांग्रेस दोनो के ही द्वारा चाहे कोई शोषित पिड़ित प्रधानमंत्री चुनाये या फिर क्यों न राष्ट्रपति चुनाये,इन दोनो ही पार्टियो के द्वारा देश का नेतृत्व में शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो की छिना झपटी करने वालो को कोई प्रभाव नही होने वाला है|जिसका साक्षात उदाहरन सुप्रीम कोर्ट के जजो द्वारा लिए गए फैशलो के खिलाफ शोषित पिड़ितो द्वारा भारत बंद से साफ मिल जाता है|जिस बंद में कई शोषित पिड़ितो की जान भी चली गई है|शोषित पिड़ित अपने हक अधिकारो को पाने और बचाने के लिए कोर्ट के लिए गए फैशले और सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे थे किसी मंत्री और कोर्ट के जजो की हत्या करने की कोशिष नही कर रहे थे!कई देशो में तो अपने हक अधिकारो की लड़ाई में वहाँ के शोषित पिड़ित लोग बड़ी बड़ी हिंसक क्रांती करके सरकार की ही हत्या करके भारी परिवर्तन लाये हैं|पर यहाँ तो अहिंसक तरिके से विरोध प्रदर्शन करने पर भी उल्टे सरकार विरोध करने वालो की हत्या तक करा रही है|जिसके चलते शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो की रक्षा करने के लिए जो कोर्ट बैठाया गया है,उसपर भी अब सवाल उठने लगे हैं कि कोर्ट में बैठे हुए जज इस देश के शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो और उनकी प्राण की भी रक्षा करने के लिए चुनकर आ रहे हैं कि वहाँ पर भी उस भष्म मनुस्मृती का भुत मंडरा रहा है,जो किसी इंसान को जीते जी भी मार सकता है?जिस मनुस्मृती को अपना आदर्श मानने वाले लोग ही तो ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी को अपना आदर्श मानकर ताड़ना का मतलब सिखाना बतलाने के साथ साथ कभी मनुस्मृती की रचना करके अजाद भारत की रचना करने वालो को अपनी मनुस्मृती के द्वारा ताड़कर शुद्रो को मानवता की बेहत्तर सेवा कैसे करनी चाहिए ये बतलाने की कोशिषे हो रही है जो कि इससे पहले भी कोशिष करते रहे हैं|जिनकी बुद्धी से मानवता की बेहत्तर सेवा करने वाली रचना मनुस्मृती को भष्म करके बाबा अंबेडकर ने अजाद भारत की रचना करके बतला दिया है कि मनुस्मृती के द्वारा ताड़न करके रोमराज जैसी सेवा की जा सकती|जिस तरह की छुवा छुत जैसे सेवा न पाने के लिए ही तो एससी एसटी एक्ट जैसे कानून बनाया गया है|जिसमे और भी अधिक मजबुती लाने के बजाय उसे कमजोर करके असल में ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी सोच रखने वालो को बचाने की ढाल तैयार की जा रही है|जिस तरह के फैशले कोर्ट की आड़ में इसलिए भी ली जा रही है,क्योंकि अब एससी एसटी और ओबीसी और नारी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे सभी एकजुट होकर अपने हक अधिकारो को पाने के लिए एक साथ संघर्ष करने की तैयारी कर लिये हैं|जिनकी एकता को भी तोड़ने के लिए ये फैशले लिये गए हैं|ये जताने के लिए कि इससे ओबीसी और इस देश के संवर्ण परिवारो में मौजुद नारी में जो लोग निर्दोश हैं उनको लाभ पहुँचेगा|जैसे कि मानो ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी से लाभ पहुँच रहा था|जबकि कड़वा सत्य तो यह है कि अजाद भारत का संविधान की रक्षा करने और उसे ठीक से लागू करने के लिए जिस कोर्ट को जिम्मेवारी सौपी गई है,वहाँ पर भी मानो बाबा अंबेडकर ने भारत अजाद होने से पहले ही मनुस्मृती को भष्म करके जिस अजाद भारत का संविधान रचना करके उसकी रक्षा और उसे ठीक से लागू करने की खास जिम्मेवारी कोर्ट को सौपा है पुरे भरोसा और विश्वास के साथ वहाँ पर भी भष्म मनुस्मृती का भुत मंडरा रहा है|जो मेरे ख्याल से स्वभाविक है क्योंकि इस देश का कोर्ट उन प्राचिन अँग्रेजो के द्वारा बनाई गई है,जो जज बनकर इस देश में देश गुलाम का फैशला लंबे समय तक सुनाते आ रहे थे|जिस कोर्ट में कोई इस देश की हजारो सालो से चली आ रही पंचायती राज व्यवस्था कायम नही थी,बल्कि उन जजो के द्वारा सारी अँग्रेजी से न्याय व्यवस्था चलती है,जिनकी अबादी किसी एक ग्राम पंचायत की अबादी से भी कम है|जो एक सौ पचिस करोड़ से भी अधिक की अबादी वाला इतने बड़े देश में मुठीभर जजो की अबादी कोर्ट के अंदर बैठकर अपना फैशला सुनाते आ रहे हैं|उसमे भी ज्यादेतर जज पिड़ि दर पिड़ी गिने चुने खास परिवारो से ही चुनाते आ रहे हैं|जिससे कि भारी भेदभाव वंशवाद साफ झलकता है|भाजपा द्वारा बार बार कहा जाता है कि कांग्रेस सरकार में वंशवाद चल रहा है,जबकि मेरे ख्याल से तो इस देश के गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में ऐसा वंशवाद चल रहा है जिसे संवर्णवाद कहना गलत नही होगा|जिसमे भी कुछ खास संवर्ण परिवार के ही लोग बार बार पिड़ी दर पिड़ी जज बनते आ रहे हैं|जिन जजो द्वारा ही अँग्रेजो के शासन में बनाई गई उस कोर्ट में न्याय के फैशले और आदेश सुनाई जाती रही है, जिस कोर्ट के पैदा हुए एक हजार साल भी अभी पुरे नही हुए हैं|जिस कोर्ट के ही खास जिम्मेवारी में अजाद भारत का संविधान रक्षा कार्य को सौप दिया गया है|इसका मतलब साफ है अजाद भारत का संविधान ही खतरे में है|खासकर यदि न्यायालय आरक्षण मुक्त हो|जिस न्यायालय को भारत का संविधान की रक्षा करने और उसे मजबुती से लागू करने के लिए विशेष जिम्मेवारी मिली है|जिस जिम्मेवारी पदो पर भी मैं तो सिधे तौर पर कहुँगा आरक्षण का होना उतना ही जरुरी है जितना की किसी शोषित पिड़ित को बाकि सरकारी क्षेत्रो में जो अभी आरक्षण मौजुद है उसे बचाने की जरुरत है|क्योंकि इस देश में जबतक उच्च निच छुवा छुत जबतक मौजुद रहेगी,तबतक अजाद भारत का रक्षा करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को दिया गया है, उस कोर्ट में भी भष्म मनुस्मृती का भुत निश्चित रुप से मंडराता रहेगा,जैसे कि पुरे देश में अभी भी छुवा छुत मंडरा रहा है|कभी गोरो से अजादी पाने से पहले देश गुलामी के समय बोर्ड में गोरे जिस घर में रहते थे उसके बाहर गेट पर लिखकर रहते थे इंडियन और कुत्तो का अंदर प्रवेश मना है|और वर्तमान में कई मंदिरो में ये बोर्ड लगा मिल जायेगा कि मंदिर में शुद्र का प्रवेश मना है|जिस तरह के भेदभाव देख सुन और पढ़कर पुरे विश्व में किस देश के अजाद नागरिक ये मानने के लिए तैयार हो जायेंगे कि इस देश में जबतक भष्म मनुस्मृती का भुत मंडराता रहेगा तबतक इस देश के शोषित पिड़ित अपने हक अधिकारो को लेकर निश्चित होकर पुरी अजादी महसुश कर सकते हैं?जिसकी रक्षा कोर्ट भी नही कर पा रही है|इसका साक्षात परिणाम सुप्रीम कोर्ट में बैठे हुए जजो के द्वारा लिए गए हाल के फैशले के विरोध में शोषित पिड़ितो का भारत बंद करना और उस बंदी में कई शोषित पिड़ितो की जान जाना है|जिसकी जान की रक्षा न तो सरकार कर पाई और न ही जान लेने वालो को कोर्ट सजा दे पायेगी!वैसे भी कोर्ट में अबतक करोड़ो केश नोटबंदी लाईन की तरह कतार में पड़ी हुई है|जिसका फैशला आने से पहले कई पिड़ि के जज और कैदी भी गुजर चुके होंगे|जिस कोर्ट में शोषित पिड़ितो की उचित भागिदारी होना बहुत जरुरी हो गया है|जिसके बगैर अपने हक अधिकारो की रक्षा कर पाना वैसा ही है,जैसे कि किसी छेद घड़े में पानी भरने की उम्मीद करना है|और कोर्ट को आरक्षण मुक्त करके छेद कर दिया गया है|जाहिर है अपने हक अधिकारो की लड़ाई में शोषित पिड़ितो को पुरी अजादी पाने के लिए अब सबसे ज्यादे संघर्ष सत्ता के साथ साथ कोर्ट में भी अपनी मजबुत भागीदारी हासिल करना उतना ही जरुरी है,जितना की अपने हक अधिकारो की रक्षा करना जरुरी है|क्योंकि शोषित पिड़ित ये कभी न भुले की संविधान में जो हक अधिकार दिया गया है,उसपर भी अब हक अधिकार छिनने वालो की खास नजर है|जिस संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागू करने कि जिम्मेवारी न्यायालय को दिया गया है|जिस न्यायालय में आरक्षण मुक्त का मतलब साफ है कि शोषित पिड़ितो का कोर्ट के उच्च पदो में पहुँच पाना उतना हि कठिन है,जितना कि किसी छेद घड़े में पानी भर पाना कठिन है|और फिर भाजपा कांग्रेस सरकार के रहते हुए तो सबसे अधिक कठिन है|क्योंकि यही दो पार्टी उस छेद को कोई शोषित पिड़ित कभी भर ही न पाये इसकी निगरानी कर रहे हैं|जिसके चलते चाहे शोषित पिड़ित भाजपा कांग्रेस से प्रधानमंत्री बने या फिर राष्ट्रपति,देश में हक अधिकारो की छिना झपटी चलती ही रहेगी|जो भी शोषित पिड़ित प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति अबतक न के बराबर बनाये गए हैं|वह भी जैसा कि मैने बतलाया अब देश में चारो तरफ शोषित पिड़ितो की आवाजे गुंजने लगी है,अपने हक अधिकारो को लेकर|जो वैसे तो पहले भी ये संघर्ष चल रही थी पर अब ये मानो अपना फाईनल रुप में आ रही है|जिस फाईनल संघर्ष में पहले भी मैने कई बार बतलाया है कि शोषित पिड़ितो की लड़ाई अंतिम में सुप्रीम कोर्ट तक आकर सबसे बड़ी रुकावट के रुप में सामना करेगी,जिसमे जान भी जायेगी बहुत से शोषितो की|जो नही जाती यदि शोषित पिड़ितो की उचित भागीदारी कोर्ट और सत्ता समेत इस देश के गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में होती|जो भागीदारी तभी ठीक से होगी जब अजाद भारत का संविधान रक्षा और उसे ठीक से लागू करने की जिम्मेवारी जिस कोर्ट को सौंपा गया है,वहाँ पर शोषित पिड़ितो की उचित भागीदारी मौजुद रहेगी|जो भागीदारी होना फिलहाल तो बहुत ही कठिन है,क्योंकि कोर्ट आरक्षण मुक्त है|और आरक्षण मुक्त उस कोर्ट के पास संविधान रक्षा और उसे ठीक से लागू करने का जिम्मा सौंपा गया है|जिस कोर्ट में शोषित पिड़ितो की भागीदारी न के बराबर है|जिसका मतलब साफ है कि यदि संविधान का रक्षक पद में ही शोषित पिड़ित न के बराबर हो तो फिर संविधान द्वारा ही मिले हक अधिकारो की रक्षा करने वाला संविधान ही खतरे में है|जो यदि खतरे में न होती तो फिर हाल ही में जो सुप्रिम कोर्ट के फैशले आई है,वह फैशले मेरे विचार से यदि कोर्ट में शोषित पिड़ितो की भागीदारी उचित होती तो कभी भी शोषित पिड़ित अपने ही हक अधिकारो की गला घोटने के लिए ऐसे फैशले नही लिये गए होते!जिस फैशले से नाराज होकर शोषित पिड़ित ने जिस तरह पुरे देश में भारी विरोध प्रदर्शन करके भारत बंद किया और आज भी वह मामला गर्म है,उससे तो एक बात साफ हो जाता है कि इस देश में दुसरी अजादी की लड़ाई की आग भितर भितर ही सुलग रही है,जो किसी ज्वालामुखी की तरह लंबे समय से दबी हुई है|जो अब धिरे धिरे लावा बनकर बाहर निकल रही है|जो यू ही नही चारो तरफ अपनी धवक से भितर से पिघलाकर सभी शोषितो को एकजुट नही कर रही है|पुरे देश में शोषित पिड़ित दलित आदिवासी और पिछड़ी जाती जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,सभी को अब भितर से आ रही अपने पुर्वजो की दुःख की पीड़ा महसुश होने लगी है|जिसे दुर किए बगैर चाहे वे जितनी बड़ी बड़ी कागजी डिग्री ले लें जबतक इस देश में जन्म से ही खुदको विद्वान पंडित कहलाने की छुवा छुत जैसे डिग्री हासिल करके देश में भारी भेदभाव कायम रहेगी तबतक शोषित पिड़ित चाहे क्यों न किसी धर्म में चले जाएँ उनको बार बार भितर से ये आवाज आती रहेगी कि इस देश के गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भारी भेदभाव करने वाले लोगो की ही उच्च दबदबा कायम रहेगी|जिसमे अपनी उचित भागीदारी हासिल करने के लिए सभी शोषित पिड़ितो को एकजुट होकर अपने हक अधिकार को पाने के लिए कठिन संघर्ष करके उसे सही अंजाम तक पहुँचानी ही चाहिए!खासकर चूँकि सभी शोषित पिड़ितो के एक पुर्वज हैं,जो कि हजारो सालो से भारी भेदभाव का शिकार होते आ रहे हैं|क्योंकि जैसा कि मैने पहले भी बतलाया है कि धर्म परिवर्तन से किसी का भी डीएनए में परिवर्तन नही आ जाता है|और अमेरिका में हुए एक डीएनए जाँच रिपोर्ट बहुत पहले ही आ चुकि है कि इस देश की मदर इंडिया डीएनए से दलित आदिवासी और पिछड़ी जो चाहे जिस धर्म और दुनियाँ के जिस कोने में मौजुद हो,उन सभी का डीएनए मिलता है|जिस डीएनए से संवर्ण पुरुषो का डीएनए नही मिलता है|जिसके चलते ही तो संवर्ण हजारो सालो से भितर ही भितर ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी शकल ताड़न के अधिकारी ताड़ना मतलब सिखाना बतलाकर भारी भेदभाव करते आ रहे हैं|जिसके बारे में तुलसी दास ने अपने इस श्लोक में बहुत पहले तब के बुरे हालातो के बारे में भी बतला दिया है|जिसमे ताड़ना मतलब सिखाना बतलाकर मनुस्मृती की रचना करने वाले संवर्ण अजाद भारत की संविधान रचना करने वालो को शुद्र अथवा सेवक बतलाकर बुद्धी बतला रहे हैं कि सेवा कैसे की जाती है?जिनकी मनुस्मृती सेवा यदि लागू हो जाय पुरी दुनियाँ में तो मनुस्मृती की रचना करने वाले संवर्ण तो कानूनी रुप से खुदको जन्म से उच्च विद्वान पंडित,वीर क्षत्रीय और धन्ना वैश्य घोषित करके बाकियो को गले में थुक हांडी और कमर में झाड़ू लटकाकर मानवता की सेवा करने की ताड़न करने लगेंगे|जाहिर है विज्ञान द्वारा डीएनए की खोज से पहले ही ये बतला दिया गया था कि संवर्ण पुरुषो की डीएनए इस देश के शोषित पिड़ित जो इस समय चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उन सभी के साथ साथ मदर इंडिया की डीएनए से नही मिलती है|जिन संवर्ण पुरुषो की डीएनए उन विदेशी कबिलई लोगो से मिलती है,जो इस देश के निवासी नही हैं|जिस डीएनए रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट भी मानता है|जिसके बारे में ही समाजिक स्तर पर भी बहुत पहले ही इस देश के शुद्र कहे जाने वाले शोषित और मदर इंडिया से संवर्ण पुरुषो का अलग होने की मान्यता ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी श्लोक के रुप में प्राप्त हो चुकि है|जिसे छुवा छुत करने वाले भितर से मानते हैं|तभी तो वैज्ञानिक डीएनए रिपोर्ट आने से पहले भी बहुत पहले इस देश में समाजिक रिपोर्ट भी आ चुकि थी,जिसके बारे में तुलसी दास रचित श्लोक के जरिये बतलाई गई है जिसको मैने उपर लिख दिया है ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी|जिसे पढ़के कोई भी आसानी से समझ सकता है कि इस देश में लंबे समय से जब कोई डीएनए जाँच का आविष्कार अथवा खोज भी नही हुआ था उस समय से ही खुदको अलग करके किन लोगो ने खुदको जन्म से ही उच्च विद्वान पंडित,वीर क्षत्रीय और धन्ना वैश्य बनाकर रखा हुआ है!और किनके साथ लंबे समय से भारी भेदभाव होता आ रहा है?अथवा छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव करने वाले कौन लोग आज भी छुवा छुत करना नही छोड़ पा रहे हैं?बल्कि मैं तो इसके साथ साथ ये भी कहुँगा कि इस देश में नारी भ्रुन हत्या जो कि भारी संख्या में होता आ रहा है,उसका मुल कारन भी इसी भेदभाव से ही जुड़ा हुआ है|यानी मदर इंडिया का जो मडर करने की कोशिषे लंबे समय से हो रही है, उसके भी पिच्छे भारी भेदभाव ही मुल कारन है|जिसके चलते मैं तो यह भी कहुँगा कि इस देश में छुवा छुत और उच्च निच भारी भेदभाव से जिसदिन भी पुरी अजादी मिल गई, उस दिन समझो इस देश को पुरी अजादी मिल जायेगी सोने की चिड़ियाँ में मौजुद गरिबी भुखमरी से भी और हक अधिकारो की छिना झपटी करने वाली बुरे ताकतो से भी|जिस अजादी को पाने के लिए ही तो अपने हक अधिकारो को लेकर पुरे देश में आंदोलन और विरोध प्रदर्शन लगातार हो रहे हैं|जिन आंदोलन प्रदर्शन में शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो सभी एकजुट होकर अपने हक अधिकारो को वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं|जिसमे कई की तो जान भी जा रही है,जैसे की गोरो से अजादी पाने के लिए जो आंदोलन प्रदर्शन हो रहे थे उसमे भी जाने जाती थी|जिस अजादी की लड़ाई में तो गोरो के साथ सामना करना पड़ रहा था, पर इस अजादी की लड़ाई में अजाद भारत की सरकारो और कोर्ट के साथ भी सिधे सामना हो रहा है|हलांकि अपने हक अधिकारो की लड़ाई में चाहे सरकार सामने आए या फिर कोर्ट सामने आए सरकार और कोर्ट में भी अपना हक अधिकार खोने वाले शोषित पिड़ित मौजुद हैं|जैसे कि गोरो की फौज में इंडियन भी मौजुद थे|उसी तरह शोषित पिड़ित भी वर्तमान की सरकार और बहुत से सरकारी पदो में मौजुद हैं|जिन्हे भी अब अपने हक अधिकारो को लेकर एकजुट हो जानी चाहिए यदि उनको अपने आनेवाली नई पिड़ि के लिए ऐसा उज्वल भविष्य बनानी हो,जिसमे अपने हक अधिकारो को छिना झपटी से बचाने के लिए कड़ी संघर्ष करके किसी शोषित पिड़ित के नई पिड़ि को अपनी जान न देनी पड़े|जिस तरह की ऐतिहासिक घटना इन दिनो लगातार दर्ज होती चली जा रही है|जिसे आनेवाली नई शोषित पिड़ित पिड़ी सलाम तो करेगी ही पर उससे पहले मैं उन सभी शोषित पिड़ितो को सलाम करता हुँ जो लोग सभी शोषित पिड़ितो के हक अधिकारो की लड़ाई के लिए कड़ी संघर्ष कर रहे हैं|जिन्हे शोषित पिड़ितो की इतिहास में बल्कि इस देश और दुनियाँ की इतिहास में भी हक अधिकारो की लड़ाई में जो इतिहास दर्ज होती रही है,उसमे हमेशा के लिए जरुर दर्ज हो गई है|जैसे कि विश्व के कई देशो में जहाँ पर अपने हक अधिकारो को लेकर बड़ी बड़ी ऐतिहासिक क्रांतियाँ हुई है,उसे फाईनल अंजाम तक पहुँचाने से पहले संघर्ष की बहुत सी घटना दर्ज होती रही है इतिहास के पन्नो में|पुरे विश्व के साथ साथ हिन्दुस्तान के इतिहास में भी चूँकि हक अधिकारो को लेकर भारी भेदभाव की घटना भरी पड़ी है,इसलिए भेदभाव करने वाले चाहे जितना छिपाने की या भारी भेदभाव की चिथड़ो को सिने की कोशिष करें,जो कि इतने फटे हुए और उसपर इतने छेद है कि उसे कभी भी छिपाया या भुलाया नही जा सकता,न तो इतिहास के पन्नो में और न ही शोषित पिड़ित समाज परिवार में!और न ही विश्व समाज में भी!क्योंकि पुरी दुनियाँ को भी पता है कि हिन्दुस्तान में हजारो सालो से छुवा छुत होना अब भी जारी है|जैसे की खुदको सबसे विकसित बतलाकर भी गोरा काला का भेदभाव होना अबतक भी जारी है|जिस तरह की भेदभाव से तभी पुरी तरह से अजादी मिलेगी जब इस तरह के भेदभाव करने वालो को ये समझ में आ जायेगा कि उनके पास जो मनुष्य का लिंग योनी मौजुद है,वही लिंग योनी बाकि भी उन लोगो के पास मौजुद है, जिनके साथ वे लंबे समय से भारी भेदभाव ऐसे कर रहे हैं,जैसे कि उनके लिंग योनी कोई दुसरी दुनियाँ और दुसरे प्राणी का लिंग योनी है|जिसके साथ छुवा छुत और गोरा काला जैसे भारी भेदभाव के शिकार हुए लोग रिस्ता कभी जोड़ ही नही सकते,जिसके चलते ही लगता है भारी भेदभाव की जाती है|जो बात यदि सत्य होती तो दुनियाँ में जो कथित गोरा काला के बिच रिस्ता और उच्च निच के बिच रिस्ता भारी तादार में जोड़ी गई है,और जोड़ी जा रही है,वह कभी जोड़ी ही नई जा सकती थी|फिर तो हिन्दुस्तान में संवर्ण कभी भी मदर इंडिया से कोई भी रिस्ता नही जोड़ पाते,क्योंकि मदर इंडिया और फादर इंडिया से उनका डीएनए नही मिलता है,ये बात साबित हो चुका है|हाँ भारी भेदभाव को लेकर बार बार की भारी भेदभाव की घटना से एक बात जरुर सच साबित हो रही है कि एक ही डीएनए के लोग कभी भी एक दुसरे से छुवा छुत और गोरा काला जैसे समाजिक तौर पर भारी भेदभाव नही करते हैं|बल्कि दुसरे डीएनए के लोग छुवा छुत और गोरा काला जैसे भारी भेदभाव करते हैं|जो भेदभाव यदि समाजिक तौर पर प्रेम और शारिरिक रिस्ता जोड़ते समय भी करते तो वे सिर्फ उन्ही लोगो के साथ समाजिक और शारिरिक रिस्ता कायम कर पाते जिनका डीएनए उनके डीएनए से मिलता है|जैसे की संवर्णो का डीएनए इस देश के शोषित पिड़ित जो कि वर्तमान में चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,उन सभी का डीएनए और मदर इंडिया की डीएनए से संवर्ण पुरुषो की डीएनए नही मिलता है जिसके चलते ही ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी श्लोक बतलाई गई है बहुत पहले ही इस देश में हो रहे भारी भेदभाव के बारे में जिसके चलते ही सुप्रीम कोर्ट को माध्यम बनाकर भेदभाव को लेकर ताड़न मतलब सिखलाना होता है बतलाकर जिस तरह मनुस्मृती की रचना करने वाले अजाद भारत की रचना करने वालो को शुद्र को मानवता की सेवा किस तरह से करनी चाहिए बतलाते रहे हैं,जिसकी अब भारी अपडेट तैयारी की जा रही है|जिसके ही विरोध में इस देश के शोषित पिड़ितो ने भारत बंद करके बहुत से शोषित पिड़ितो ने अपना जान तक भी गवा दिया है|जिनको सलाम है उन तमाम लोगो की तरफ से जो सुप्रीम कोर्ट में बैठे हुए जजो के द्वारा लिये गए हाल के एससी एसटी एक्ट में बदलाव के फैशले का विरोध करते हैं|जिसमे बदलाव करके ये तर्क दी जा रही है कि निर्दोश को सजा न हो इसके लिए एससी एसटी कानून में बदलाव करके संतुलन कायम किया गया है|जबकि होना तो ये चाहिए था कि एससी एसटी कानून में और अधिक मजबुती प्रदान करने के लिए उसमे बदलाव करके एससी एसटी और ओबीसी समेत इस देश की मदर इंडिया नारी सभी शोषित पिड़ित जिनके बारे में कभी ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी जैसे श्लोक रचना करके बतलाया गया है कि इस देश में संवर्ण जाती किस तरह से शोषित पिड़ित जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनके साथ भारी भेदभाव और शोषन अत्याचार लंबे समय से करते आ रहे हैं,उन सभी एससी एसटी और ओबीसी समेत इस देश की मदर इंडिया को भी इस कानून के जरिये एफ आई आर करने का हक अधिकार प्राप्त हो,ऐसी मजबूत बदलाव कानून में होनी चाहिए थी,ताकि एससी एसटी ओबीसी और मदर इंडिया एक्ट के रुप में ऐसा कानून बन सके जिसके जरिये ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी सोच रखकर भारी भेदभाव करने वालो को सुधार घर में डालकर उनकी भ्रष्ट बुद्धी को ठीक करनी चाहिए|जैसे की बाबा अंबेडकर ने मनुस्मृती को भष्म करके मनुस्मृती को अपना सबसे आदर्श बेहत्तर संविधान मानने वाले लोगो की भ्रष्ट बुद्धी को समझाने की कोशिष किया था कि मनुस्मृती जैसे संविधान से ताड़न करके सिर्फ रोमराज कायम कि जा सकता है,जिसे पुरी दुनियाँ कभी भी अपने अजाद देश में कायम करना भुलकर भी नही चाहेगी|जिस रोमराज को वापस लाने की कोशिष हो रही है एससी एसटी एक्ट जैसे कानून को कमजोर करके,जैसे की शैतान सिकंदर को महान सिकंदर कहकर ये बतलाने की कोशिष होती रही है कि सिकंदर कई देशो को जबरजस्ती लुटपाट करके ही महान बन रहा था|जैसे की मनुस्मृती को अपना आदर्श मानने वाले भी भारी भेदभाव करके जन्म से उच्च विद्वान पंडित वीर क्षत्रीय और धन्ना वैश्य बनने की कोशिष करना अब भी नही छोड़ पा रहे हैं|जिनको ही असल में संरक्षण चाहिए एससी एसटी एक्ट में बदलाव करके|क्योंकि उन्हे पता है कि वही लोग ही इस देश में छुवा छुत करते हैं|न तो ओबीसी मंदिरो में छुवा छुत करते है,और न ही दुसरे धर्म के लोग ही इस देश के शोषित पिड़ितो के साथ छुवा छुत करते हैं|बल्कि अब तो अंग्रेज भी इस देश में आकर शोषित पिड़ितो के साथ गले मिलते हैं,उनके साथ नाचते गाते खाते पिते उठते बैठते हैं|बल्कि इस देश के शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो के लिए भी कई गोरे आज संघर्ष करते हुए मिल जाते हैं|लेकिन इस अजाद देश में आज भी छुवा छुत संवर्ण करते हैं|जो मंदिरो में भी ये बोर्ड लगाकर कि अंदर शुद्रो का प्रवेश मना है,इस देश के शोषित पिड़ितो को गुलामी का यहसाश कराना सायद तबतक चाहते हैं, जबतक की उनकी इस देश के गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा कायम रहेगी|जिसके चलते ही तो एससी एसटी एक्ट को कमजोर करके खुलकर छुवा छुत शोषन अत्याचार करना चाहते हैं|जैसा कि इस देश की मदर इंडिया को भी शनि मंदिर जैसे कई जगहो में प्रवेश मना नियम कानून ये संवर्ण ही बनाते आ रहे हैं|जिस तरह की ही नियम कानून बनाने की कोशिष में नकाम होने पर अब भारी भेदभाव करने वालो को दबोचने वाली कानून को कमजोर करके बचने की कोशिषे की जा रही है!बजाय इसके कि एससी एसटी कानून को और अधिक मजबुत करने के लिए उसका लाभ ओबीसी और इस देश की मदर इंडिया भी लाभ उठा सके ऐसी बदलाव होनी चाहिए थी|बल्कि मेरे ख्याल से तो उन सभी को इस कानून के जरिये लाभ मिले ऐसी बदलाव होनी चाहिए थी जिनके पुर्वज कभी दलित आदिवासी और पिछड़ी जाती थे जो अब धर्म परिवर्तन करके खुदको अलग महसुश करते होंगे जिनको अलग महशुष बिल्कुल भी नही करना चाहिए,क्योंकि धर्म परिवर्तन से उनके पुर्वजो की डीएनए में परिवर्तन नही हुआ है|सुप्रीम कोर्ट में बैठे जजो के द्वारा एससी एसटी एक्ट को लेकर लिए गए फैशले को अनुच्छेद 21 का उलंघन भी बतलाया जा रहा है!जिस अनुच्छेद 21 अनुसार मानवीय सम्मान और उससे जुड़े हुए शिक्षा और स्वस्थ जिवन का अधिकार जैसे अन्य पहलुओ पर भी विचार किया गया है|जिसे प्राकृतिक के द्वारा दिया गया अधिकार भी माना गया है|जिसका उलंघन करके फिर से अप्राकृतिक फैशले लिये जा रहे हैं|जैसे की मनुस्मृती में अप्राकृतिक फैशले लिये गए थे ये बतलाकर कि किसी नारी की योनी से पैदा न होकर पुरुष ब्रह्मा के मुँह से ब्रह्मण और क्षत्रीय छाती से और वैश्य जंघा से और शुद्र चरणो से पैदा हुआ है|साथ साथ उस समय चूँकि लिखा पढ़ी करके शिक्षा नही बल्कि मुँह से अथवा वेद ध्वनी से ज्ञान बांटने की प्रचलन थी|जो वैसे तो आज भी ज्ञान मंदिरो में लिखा पढ़ी के साथ साथ वेद ज्ञान अथवा मुँह से ज्ञान जरुर बांटी जाती है|जिसके बगैर सारे विद्यालय और ज्ञान बांटने की अनगिनत क्षेत्र जहाँ पर मुँह से ज्ञान जरुर बांटी जाती है,वह सब अधुरा है|सिवाय गुंगा स्कूलो के जिसमे भी मेरे ख्याल से गुँगा छात्र और शिक्षक भी थोड़ा बहुत अपने मुँह से अवाज अथवा वेद जरुर निकालते होंगे ज्ञान बांटने और लेते समय|जिस तरह के गुँगा और बहरा बनाने के लिए ही तो शुद्र वेद सुने तो उसके कान में गर्म पिघला लोहा डाल दिया जाय,वेद बोले तो उसका जिभ काट दिया जाय जैसे नियम कानून बनाते थे मनुस्मृती की रचना करने वाले खुदको जन्म से उच्च विद्वान पंडित बतलाने वाले ऐसे ताड़ने वाले जो कि अजाद भारत का संविधान रचना करने वालो को शुद्र बतलाकर उन्हे मानवता की सेवा करने के लिए बेहत्तर सेवक कैसे बना जाता है इसके लिए मनुस्मृती के जरिये ताड़कर बतलाते थे|जिसके बारे में तुलसी दास के द्वारा रचित एक श्लोक ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी शकल ताड़न के अधिकारी के बारे में जानकर पता चल जाता है कि किनको किनको संवर्ण लंबे समय से ताड़ते रहे हैं,खुदको जन्म से ही उच्च बतलाकर!जिनके ताड़ने की विद्या ऐसी कि कोई शोषित पिड़ित वीर रक्षक बनने के लिए धनुष विद्या सिखे तो उसका अँगुठा कटवा दिया जाय|जिस तरह की अमानवीय कार्य को बढ़ावा देने के लिए और मनुस्मृती को अपना आदर्श मानने वालो को ही दरसल संरक्षित करके कोर्ट की आड़ लेकर अमानवीय कुकर्म को बड़ावा देने की अपडेट प्रक्रिया चल रही है|जिस कोर्ट में किस तरह से जजो की बहाली होती आ रही है,जिसमे कि उच्च न्याय करने वाली हुनर किनके पास सबसे अधिक मौजुद है,इसकी रिपोर्ट की झांकी भी देख पढ़ लिया जाय,जो कि पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा जो कि एसटी से आते हैं उनकी रिपोर्ट 2000 ई०की है,जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमेब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं!
बुधवार, 28 मार्च 2018
कांग्रेस भाजपा सरकार एक आधुनिक बीपीएल भारत दुसरा ऑनलाईन डिजिटल BPL इंडिया
किसी मोबाईल एप्प जल्दी जल्दी अपडेट होने की तरह सरकार के द्वारा बनाये गए नियम कानून में भी हमेशा सुधार और अपडेट होते रहते हैं|जिसमे पिछली कांग्रेस सरकार
अपनी डीजिटल निति से काम करने के लिए कांग्रेस की निति आयोग की आवश्यकता नही है!लेकिन असल में भाजपा कांग्रेस कि सारी नितियो से और कांग्रेस के नेताओ से भी खुदको युक्त करके कांग्रेस सरकार के ही नितियो को अपनाकर जैसे कि विदेशो से सुट बुट धुलकर आने के बाद पहनने वाले भारत के पहले प्रधान सेवक नेहरु के नेतृत्व में सुरुवात हुए कांग्रेस की आधुनिक भारत की कॉपी करके दुसरे सुट बुट मोदी द्वारा देश की जनता को पश्चिमी सभ्यता संस्कृती कॉपी पेस्ट कराने की कोशिष हो रही है बिना गरिबी भुखमरी दुर किए ही डीजिटल इंडिया का नारा देकर|जो दरसल आधुनिक भारत नारा को ही अपडेट किया जा रहा है|जो यदि सचमुच में सही निकला तो फिर अजादी के समय पुरे देश की जितनी अबादी थी उतनी सिर्फ बीपीएल भारत अबादी बसाकर कांग्रेस गरिबी हटाओ नारा देकर साठ सालो तक विकाश करने का दावा करके 2014 में केन्द्र की सत्ता से हटा दी गई है,उसी तरह साठ साल बनाम साठ महिने का अवसर मांगने के बाद यदि भाजपा कांग्रेस युक्त होकर आधुनिक भारत गरिबी हटाओ की तरह ही विकाश करने की मन की बात सोचकर उसे डीजिटल इंडिया के रुप में अपडेट की है,तो फिर वह भी साठ महिने बाद साईनिंग इंडिया की तरह ही हटा दी जायेगी और कोई ऐसी तीसरी सरकार आयेगी जिसे अजादी से अबतक कभी भी केन्द्र में बैठने को मौका नही मिला है|जिसमे बहुत सारी पार्टियाँ आती हैं जिन्हे कभी भी केन्द्र सरकार का नेतृत्व करना तो दुर बहुतो को तो एकबार भी अपने नेताओ को केन्द्र का एक मंत्री तक बनने का मौका नही मिला है|सिर्फ उनकी पार्टी किसी नोटबंदी कतार लगाने की तरह लंबे समय से जनता द्वारा एकबार केन्द्र में सरकार बनाने का मौका मिल सके,इसकी उम्मीद किये हर बार सिर्फ लोकसभा चुनाव लड़ती आ रही है|उसके बाद सिर्फ लोकसभा में जनता और देश के मुद्दो को केन्द्र के सामने लेकर आती जाती रही है|कांग्रेस भाजपा तो एक बार से भी अधिक बार केन्द्र में सरकार बना भी चुकि है,और वह भी दोनो को ही भारी बहुमत से जनता द्वारा चुनाने के बाद उन्हे देश और जनता का सेवा करने का बेहत्तर अवसर मिला है|
की निति आयोग को तो मानो वर्तमान की भाजपा सरकार द्वारा कांग्रेस मुक्त का नारा देकर निति आयोग को ही खत्म कर दिया है|जैसे की बहुत से एप्प खराब लगने पर उसे ऑनस्टाल कर दी जाती है|जिस भाजपा सरकार का मानना है कि उसे
अपनी डीजिटल निति से काम करने के लिए कांग्रेस की निति आयोग की आवश्यकता नही है!लेकिन असल में भाजपा कांग्रेस कि सारी नितियो से और कांग्रेस के नेताओ से भी खुदको युक्त करके कांग्रेस सरकार के ही नितियो को अपनाकर जैसे कि विदेशो से सुट बुट धुलकर आने के बाद पहनने वाले भारत के पहले प्रधान सेवक नेहरु के नेतृत्व में सुरुवात हुए कांग्रेस की आधुनिक भारत की कॉपी करके दुसरे सुट बुट मोदी द्वारा देश की जनता को पश्चिमी सभ्यता संस्कृती कॉपी पेस्ट कराने की कोशिष हो रही है बिना गरिबी भुखमरी दुर किए ही डीजिटल इंडिया का नारा देकर|जो दरसल आधुनिक भारत नारा को ही अपडेट किया जा रहा है|जो यदि सचमुच में सही निकला तो फिर अजादी के समय पुरे देश की जितनी अबादी थी उतनी सिर्फ बीपीएल भारत अबादी बसाकर कांग्रेस गरिबी हटाओ नारा देकर साठ सालो तक विकाश करने का दावा करके 2014 में केन्द्र की सत्ता से हटा दी गई है,उसी तरह साठ साल बनाम साठ महिने का अवसर मांगने के बाद यदि भाजपा कांग्रेस युक्त होकर आधुनिक भारत गरिबी हटाओ की तरह ही विकाश करने की मन की बात सोचकर उसे डीजिटल इंडिया के रुप में अपडेट की है,तो फिर वह भी साठ महिने बाद साईनिंग इंडिया की तरह ही हटा दी जायेगी और कोई ऐसी तीसरी सरकार आयेगी जिसे अजादी से अबतक कभी भी केन्द्र में बैठने को मौका नही मिला है|जिसमे बहुत सारी पार्टियाँ आती हैं जिन्हे कभी भी केन्द्र सरकार का नेतृत्व करना तो दुर बहुतो को तो एकबार भी अपने नेताओ को केन्द्र का एक मंत्री तक बनने का मौका नही मिला है|सिर्फ उनकी पार्टी किसी नोटबंदी कतार लगाने की तरह लंबे समय से जनता द्वारा एकबार केन्द्र में सरकार बनाने का मौका मिल सके,इसकी उम्मीद किये हर बार सिर्फ लोकसभा चुनाव लड़ती आ रही है|उसके बाद सिर्फ लोकसभा में जनता और देश के मुद्दो को केन्द्र के सामने लेकर आती जाती रही है|कांग्रेस भाजपा तो एक बार से भी अधिक बार केन्द्र में सरकार बना भी चुकि है,और वह भी दोनो को ही भारी बहुमत से जनता द्वारा चुनाने के बाद उन्हे देश और जनता का सेवा करने का बेहत्तर अवसर मिला है|
सोमवार, 26 मार्च 2018
अँग्रेजो द्वारा बनाये गए हजारो नियम कानून और न्यायालय आज भी देश सेवा और प्रजा सेवा करने के लिए उपलब्ध है
यदि जनता मालिक के बिच सिर्फ लंबे समय तक सत्ता में बैठे रहना ही बेहत्तर शासन करना है,फिर तो अँग्रेज दो सौ सालो से भी अधिक समय तक गुलाम देश में शासन किये हैं|जो न्याय की अदालत बैठाकर और सेवा करने की नियम कानून बनाकर जज भी बने थे|जिनके द्वारा बनाये गए हजारो नियम कानून और न्यायालय आज भी देश सेवा और प्रजा सेवा करने के लिए उपलब्ध है|जिन अँग्रेजो के शासन जितने समय तक चले थे,उतने समय तक तो कांग्रेस भी साशन नही कर सकी है| जिसे साठ साल में ही जनता ने भारी बहुमत से नकार भी दिया है|हलांकि बाकि भी बहुत सी पार्टी जनता द्वारा नकारी गयी है|जिसमे बहुजन समाज पार्टी को तो जनता ने एक भी सीट नही दिया है!जबकि बहुजन समाज पार्टी पिछले लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक वोट पाने के मामले में तीसरे स्थान में आई थी!जो कि प्रजा से भारी उम्मीद करके भाजपा कांग्रेस से भी ज्यादे लोकसभा सीट में चुनाव लड़ी थी|जिस पार्टी को यदि 0 सीट भी दिया जाता है तो भी वह बिना केन्द्र की स्टेरिंग में आए उतनी गलत पार्टी नही कहलायेगी जितनी की भाजपा कांग्रेस देश की जिम्मेवारी एक से अधिक बार लेकर भी जनता द्वारा विश्वास करके वोट देने के बाद जनता द्वारा नकारे जाने पर कहलायेगी !क्योंकि बहुजन समाज पार्टी द्वारा तो जनता से विश्वाश और उम्मीद बार बार करने के बाद भी एकबार भी उसे देश की जनता द्वारा केन्द्र की सरकार चुनाने का मौका नही मिला है|जिसके लिये वह हर बार बड़ी उम्मीद के साथ लोकसभा चुनाव लड़ती है|जिस तरह की उम्मीद और भी कई पार्टी देश की जनता से लगाये हुए हैं|जिन्हे भी एकबार देश का नेतृत्व करने का मौका नही मिला है|जिन्हे करोड़ो में वोट भी मिलते हैं पुरे देश से|पर आजतक उन्हे देश नेतृत्व का मौका नही मिला है|इसका मतलब ये नही कि उन्हे कोई समर्थन ही नही देता है|फिर भी वे आजतक भी कतार लगाकर इंतजार कर रही है| अपने नेतृत्व द्वारा केन्द्र स्टेरिंग में आने के लिए लोकसभा चुनाव में भाग लेती रहती है|जिनके बारे में हो सकता है बाकि जनता इन पार्टियो पर केन्द्र नेतृत्व से पहले ही शक कर रही है कि ये पार्टियाँ देश का स्टेरिंग पकड़ते ही भाजपा कांग्रेस से भी ज्यादा घोटाला करेगी,और ज्यादे दंगे करायेंगी,ज्यादे सरकारी मशिनरियो का दुरुपयोग करेगी,ज्यादे विदेश यात्रा करेगी,ज्यादे चंदा लेगी,गरिब और शोषित पिड़ितो के साथ ज्यादे शोषन अत्याचार होगा,ज्यादे छुवा छुत रविवार, 25 मार्च 2018
हिन्दुस्तान में हिन्दी अपनी माँ Mother India का दुध है और अँग्रेजी दुसरे की माँ का दुध है
अँग्रेजो से देश अजाद हुए कई दसक बित चुके हैं,पर अबतक भी अँग्रेजो की अँग्रेजी भाषा ही सारे प्रमुख क्षेत्रो में अपनी दबदबा बनाई हुई है|बजाय इसके कि कोई इसी देश की भाषा को अपनी दबदबा बनानी चाहिए थी|देशी लोग देशी भाषा कहकर लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में देशी भाषा ही हावी रहनी चाहिए थी!जो न होकर चारो तरफ अंग्रेजी को बड़ावा देकर मानो ऐसा हालात पैदा किया जा रहा है,जैसे इस देश में सैकड़ौ देशी भाषा बोलने वाले सब विदेशी अँग्रेजी बोलना चाहते हैं,इसलिए अँग्रेजी को ज्यादे मान्यता दी गई है|अपने माता पिता की भाषा को ज्यादे मोल न देकर मानो अँग्रेजी को ही अपना माता पिता की भाषा मानकर ऐसे अँग्रेजी बड़बड़ाते हुए जताना चाहते हैं,जैसे रुस जपान चीन जर्मनी वगैरा देश जो की अपनी देशी भाषा को ही ज्यादे बड़ावा दिये हैं,उससे भी ज्यादे तरक्की हिन्दुस्तान में सभी कर लेंगे यदि देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में सभी लोग अंग्रेजी बड़बड़ायेंगे!और अँग्रेजी को ही देश में हमेशा दबदबा बनाये रखने देंगे|जिसे सारांश में कहुँ तो गोरो से अजादी जस्न अँग्रेजी से मनाई जा रही है|और अजाद रहने का पाठ अँग्रेजी से पढ़ाई जा रही है|जिसके चलते ही आजतक भी अजाद कहलाने वाला इस देश में बहुत से नागरिक ये कहते हुए मिल जायेंगे कि पुरी अजादी मिलना अभी बाकी है,गोरो से अजादी तो सिर्फ झांकी है|क्योंकि जनता मालिक गरिबी भुखमरी से मर रहे हैं,और खुदको जनता मालिक का नौकर बतलाने वाले अच्छा खासा खा पीकर मर रहे हैं!जिसे अजादी से लेकर अबतक का मालिक नौकर का रिस्ता निभाने की इतिहास खोलकर बेहत्तर तरिके से जानी समझी जा सकती है कि कितने मंत्री और उच्च अधिकारियो की मौत गरिबी भुखमरी से अबतक हुई है,और कितनो के साथ बलात्कार और शोषन अत्याचार वगैरा हुए हैं?महिला बच्चे और बुढ़े बुजुर्ग भी भुख और कुपोषन से मरते रहे और हर रोज लुट हत्या और बलात्कार की घटना अनगिनत संख्या में होती रहे,ऐसे खराब हालत में सिर्फ भांग खाये बंदर की तरह उछल कुद करते रहने से कुछ भी ऐसा नही होनेवाला है जिसे औसतन भी बेहत्तर सेवा मान लिया जायेगा|बल्कि मेरे विचार से तो जो सेवक चुनाकर अपने सेवा कार्यकाल में औसतन सेवा भी यदि देने में कामयाब नही हो पाये अपने जनता मालिक को रोजमरा जिवन की जरुरत का कम से कम मुल अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान स्कूल अस्पताल वगैरा न दे पाकर गरिबी भुखमरी और कुपोषन से मरते हुए नागरिक को देखकर,तो उस सेवक पार्टी या व्यक्ती को दुबारा से कभी भी देश का शासक नही चुनना चाहिए,जबतक की देश में कोई दुसरी पार्टी और सेवक बहाली लाईन में मौजुद हो अपनी बेहत्तर सेवा देने के लिए|
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