SC ST एक्ट,सुप्रीम कोर्ट,अनुच्छेद 21,भस्म मनुस्मृति और अाजाद भारत का संविधान
अाजाद भारत का संविधान में सबको अवसर मिलने की बाते लिखी गई है|लेकिन संविधान में इस देश के दलित और आदिवासी को खास अधिकार प्राप्त होने के बावजुद भी प्रधानमंत्री बनने का अवसर अजादी से लेकर अबतक एकबार भी अवसर नही दिया गया है|सिर्फ ज्यादेतर संवर्ण प्रधानमंत्री ही अबतक लगातार क्यों बनाये जाते आ रहे हैं,सिवाय एक दो पिछड़ी जाती के?हलांकि अजादी से लेकर अबतक कोई दलित प्रधानमंत्री तो नही बनाये गये हैं,लेकिन अजादी के बाद दुसरी बार इसबार फिर से दलित राष्ट्रपति जरुर बनाये गये हैं|वह भी मेरे ख्याल से भारी भेदभाव को लेकर जब देश में चारो तरफ अधिक सोर गुल होने लगा है,तब जाकर भारी भेदभाव करने की सोच में अचानक से अब फिर से भारी परिवर्तन आनी सुरु हो गई है|खासकर ये साबित करने के लिए कि अजादी से लेकर अबतक शोषित पिड़ितो के साथ कोई भी भारी भेदभाव नही हो रहे थे!जिसे साबित करने कि कोशिषो के चलते ही पिछड़ी प्रधानमंत्री के बाद अचानक से दलित राष्ट्रपति बनाया गया है|लेकिन चूँकि इस देश में हजारो सालो से लेकर अबतक भी शोषित पिड़ित के हक अधिकारो को लेकर छिना झपटी किस तरह से होते आ रही हैं,ये बात देश के साथ साथ पुरी दुनियाँ के सामने भी छिपि नही है|जिसके चलते आये दिन विरोध प्रदर्शन होती ही रहती है|बल्कि अपकीबार तो ये विरोध प्रदर्शन और आंदोलन देश के कोने कोने में तेजी से फैल गई है|जो और भी अधिक तेजी से फैलते ही जा रही है|जिसका असर पुरे देश में ही नही बल्कि अब पुरी दुनियाँ में भी दिखने लगी है|वैसे तो ये पहले से ही दिखलाई दे रही थी लेकिन अब ये लाईव भी दिखने लगी है|जिसपर मेरे ख्याल से पुरी दुनियाँ की लाईव मीडिया को नजर रखनी चाहिए कि इस देश में आजकल क्या क्या खास बड़े बड़े परिवर्तन हो रहे हैं|जिसे कोई आम परिवर्तन बिल्कुल भी नही समझनी चाहिए|क्योंकि इस देश में लंबे समय से बहुत बड़ी अबादी भारी शोषन अत्याचार का शिकार होते आ रहे हैं|जो अपने हक अधिकारो के लिए कड़ी संघर्ष कर रहे हैं|जिसकी आवाज को दबाने के लिए किसी की गले दबाने के जैसा इस देश के शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो की आवाज को दबाने की कोशिषे जारी है|जैसे की वर्तमान में भी इस देश की कथित डीजिटल सरकार डीजिटल इंटरनेट में भी खास तरह की बंदी करके शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो की आवाज को दबाने के लिए तरह तरह की जाल बुन रही है|जिससे साफ जाहिर है कि यदि इस देश की सरकार बल्कि कोर्ट भी यदि ठीक से सहयोग नही कर रही है शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो को वापस पाने के लिए तो आगे कम से कम विश्व समाज की वह तमाम ताकते जरुर मदत के लिए सामने आएँ जो की विश्व मानवता और पर्यावरण सुधार में भारी भुमिका निभाने का काम करती रही है|वह चाहे क्यों न विश्व समाज की डीजिटल मीडिया हो या फिर विश्व का कोई समाजिक भलाई करने वाला संगठन हो,उनको इस देश में क्या कुछ हो रहा है शोषन अत्याचार से मुक्ती पाने को लेकर उसके बारे में खास लाईव नजर जरुर रखनी चाहिए|क्योंकि इस देश में शोषित पिड़ितो के साथ हर रोज ही ऐसे ऐसे शोषन अत्याचार हो रहे हैं,जिसकी आवाजे विश्व समाज में बाहर न निकलने देने के लिए दबा देने की कोशिषे लगातार हो रही है|जिन आवाजो को विश्व समाज में जो भी विश्व भलाई में लगे देश हो वे इसे अनसुना और अनदेखा न करें!जैसे की यदि किसी के पड़ौस में शोषन अत्याचार होने और चिखने चिलाने की आवाजे आ रही हो तो फिर मानवता के नाते किसी भी सभ्य समाज के लोगो को उस चिखने चिलाने में नजर रखकर जिसके साथ भी अन्याय अत्याचार हो रहा है,उसकी मदत के लिए सामने आनी चाहिए|जैसे कि इस देश के शोषित पिड़ितो की मदत के लिए विश्व समाज को सामने आनी चाहिए|खासकर यह जानते हुए की पल पल इस देश में अपने हक अधिकार को पाने के लिए शोषित पिड़ितो द्वारा जो कठिन संघर्ष हो रही है, उसमे लगातार मौते भी हो रही है|वह भी उन्ही के आदेशो का विरोध करने पर जिन्हे हक अधिकारो की रक्षा करने और शोषित पिड़ितो की खास सुरक्षा करने की खास जिम्मेवारी सौपी गई है|क्योंकि पिछड़ी प्रधानमंत्री और दलित राष्ट्रपति के रहते हुए भी हाल ही में जिस तरह के आदेश और फैशले सुप्रीम कोर्ट के जजो द्वारा शोषित पिड़ितो के हक अधिकार के खिलाफ लिये गए हैं,उससे तो साफ जाहिर हो जाता है कि भाजपा या कांग्रेस दोनो के ही द्वारा चाहे कोई शोषित पिड़ित प्रधानमंत्री चुनाये या फिर क्यों न राष्ट्रपति चुनाये,इन दोनो ही पार्टियो के द्वारा देश का नेतृत्व में शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो की छिना झपटी करने वालो को कोई प्रभाव नही होने वाला है|जिसका साक्षात उदाहरन सुप्रीम कोर्ट के जजो द्वारा लिए गए फैशलो के खिलाफ शोषित पिड़ितो द्वारा भारत बंद से साफ मिल जाता है|जिस बंद में कई शोषित पिड़ितो की जान भी चली गई है|शोषित पिड़ित अपने हक अधिकारो को पाने और बचाने के लिए कोर्ट के लिए गए फैशले और सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे थे किसी मंत्री और कोर्ट के जजो की हत्या करने की कोशिष नही कर रहे थे!कई देशो में तो अपने हक अधिकारो की लड़ाई में वहाँ के शोषित पिड़ित लोग बड़ी बड़ी हिंसक क्रांती करके सरकार की ही हत्या करके भारी परिवर्तन लाये हैं|पर यहाँ तो अहिंसक तरिके से विरोध प्रदर्शन करने पर भी उल्टे सरकार विरोध करने वालो की हत्या तक करा रही है|जिसके चलते शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो की रक्षा करने के लिए जो कोर्ट बैठाया गया है,उसपर भी अब सवाल उठने लगे हैं कि कोर्ट में बैठे हुए जज इस देश के शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो और उनकी प्राण की भी रक्षा करने के लिए चुनकर आ रहे हैं कि वहाँ पर भी उस भष्म मनुस्मृती का भुत मंडरा रहा है,जो किसी इंसान को जीते जी भी मार सकता है?जिस मनुस्मृती को अपना आदर्श मानने वाले लोग ही तो ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी को अपना आदर्श मानकर ताड़ना का मतलब सिखाना बतलाने के साथ साथ कभी मनुस्मृती की रचना करके अजाद भारत की रचना करने वालो को अपनी मनुस्मृती के द्वारा ताड़कर शुद्रो को मानवता की बेहत्तर सेवा कैसे करनी चाहिए ये बतलाने की कोशिषे हो रही है जो कि इससे पहले भी कोशिष करते रहे हैं|जिनकी बुद्धी से मानवता की बेहत्तर सेवा करने वाली रचना मनुस्मृती को भष्म करके बाबा अंबेडकर ने अजाद भारत की रचना करके बतला दिया है कि मनुस्मृती के द्वारा ताड़न करके रोमराज जैसी सेवा की जा सकती|जिस तरह की छुवा छुत जैसे सेवा न पाने के लिए ही तो एससी एसटी एक्ट जैसे कानून बनाया गया है|जिसमे और भी अधिक मजबुती लाने के बजाय उसे कमजोर करके असल में ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी सोच रखने वालो को बचाने की ढाल तैयार की जा रही है|जिस तरह के फैशले कोर्ट की आड़ में इसलिए भी ली जा रही है,क्योंकि अब एससी एसटी और ओबीसी और नारी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे सभी एकजुट होकर अपने हक अधिकारो को पाने के लिए एक साथ संघर्ष करने की तैयारी कर लिये हैं|जिनकी एकता को भी तोड़ने के लिए ये फैशले लिये गए हैं|ये जताने के लिए कि इससे ओबीसी और इस देश के संवर्ण परिवारो में मौजुद नारी में जो लोग निर्दोश हैं उनको लाभ पहुँचेगा|जैसे कि मानो ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी से लाभ पहुँच रहा था|जबकि कड़वा सत्य तो यह है कि अजाद भारत का संविधान की रक्षा करने और उसे ठीक से लागू करने के लिए जिस कोर्ट को जिम्मेवारी सौपी गई है,वहाँ पर भी मानो बाबा अंबेडकर ने भारत अजाद होने से पहले ही मनुस्मृती को भष्म करके जिस अजाद भारत का संविधान रचना करके उसकी रक्षा और उसे ठीक से लागू करने की खास जिम्मेवारी कोर्ट को सौपा है पुरे भरोसा और विश्वास के साथ वहाँ पर भी भष्म मनुस्मृती का भुत मंडरा रहा है|जो मेरे ख्याल से स्वभाविक है क्योंकि इस देश का कोर्ट उन प्राचिन अँग्रेजो के द्वारा बनाई गई है,जो जज बनकर इस देश में देश गुलाम का फैशला लंबे समय तक सुनाते आ रहे थे|जिस कोर्ट में कोई इस देश की हजारो सालो से चली आ रही पंचायती राज व्यवस्था कायम नही थी,बल्कि उन जजो के द्वारा सारी अँग्रेजी से न्याय व्यवस्था चलती है,जिनकी अबादी किसी एक ग्राम पंचायत की अबादी से भी कम है|जो एक सौ पचिस करोड़ से भी अधिक की अबादी वाला इतने बड़े देश में मुठीभर जजो की अबादी कोर्ट के अंदर बैठकर अपना फैशला सुनाते आ रहे हैं|उसमे भी ज्यादेतर जज पिड़ि दर पिड़ी गिने चुने खास परिवारो से ही चुनाते आ रहे हैं|जिससे कि भारी भेदभाव वंशवाद साफ झलकता है|भाजपा द्वारा बार बार कहा जाता है कि कांग्रेस सरकार में वंशवाद चल रहा है,जबकि मेरे ख्याल से तो इस देश के गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में ऐसा वंशवाद चल रहा है जिसे संवर्णवाद कहना गलत नही होगा|जिसमे भी कुछ खास संवर्ण परिवार के ही लोग बार बार पिड़ी दर पिड़ी जज बनते आ रहे हैं|जिन जजो द्वारा ही अँग्रेजो के शासन में बनाई गई उस कोर्ट में न्याय के फैशले और आदेश सुनाई जाती रही है, जिस कोर्ट के पैदा हुए एक हजार साल भी अभी पुरे नही हुए हैं|जिस कोर्ट के ही खास जिम्मेवारी में अजाद भारत का संविधान रक्षा कार्य को सौप दिया गया है|इसका मतलब साफ है अजाद भारत का संविधान ही खतरे में है|खासकर यदि न्यायालय आरक्षण मुक्त हो|जिस न्यायालय को भारत का संविधान की रक्षा करने और उसे मजबुती से लागू करने के लिए विशेष जिम्मेवारी मिली है|जिस जिम्मेवारी पदो पर भी मैं तो सिधे तौर पर कहुँगा आरक्षण का होना उतना ही जरुरी है जितना की किसी शोषित पिड़ित को बाकि सरकारी क्षेत्रो में जो अभी आरक्षण मौजुद है उसे बचाने की जरुरत है|क्योंकि इस देश में जबतक उच्च निच छुवा छुत जबतक मौजुद रहेगी,तबतक अजाद भारत का रक्षा करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को दिया गया है, उस कोर्ट में भी भष्म मनुस्मृती का भुत निश्चित रुप से मंडराता रहेगा,जैसे कि पुरे देश में अभी भी छुवा छुत मंडरा रहा है|कभी गोरो से अजादी पाने से पहले देश गुलामी के समय बोर्ड में गोरे जिस घर में रहते थे उसके बाहर गेट पर लिखकर रहते थे इंडियन और कुत्तो का अंदर प्रवेश मना है|और वर्तमान में कई मंदिरो में ये बोर्ड लगा मिल जायेगा कि मंदिर में शुद्र का प्रवेश मना है|जिस तरह के भेदभाव देख सुन और पढ़कर पुरे विश्व में किस देश के अजाद नागरिक ये मानने के लिए तैयार हो जायेंगे कि इस देश में जबतक भष्म मनुस्मृती का भुत मंडराता रहेगा तबतक इस देश के शोषित पिड़ित अपने हक अधिकारो को लेकर निश्चित होकर पुरी अजादी महसुश कर सकते हैं?जिसकी रक्षा कोर्ट भी नही कर पा रही है|इसका साक्षात परिणाम सुप्रीम कोर्ट में बैठे हुए जजो के द्वारा लिए गए हाल के फैशले के विरोध में शोषित पिड़ितो का भारत बंद करना और उस बंदी में कई शोषित पिड़ितो की जान जाना है|जिसकी जान की रक्षा न तो सरकार कर पाई और न ही जान लेने वालो को कोर्ट सजा दे पायेगी!वैसे भी कोर्ट में अबतक करोड़ो केश नोटबंदी लाईन की तरह कतार में पड़ी हुई है|जिसका फैशला आने से पहले कई पिड़ि के जज और कैदी भी गुजर चुके होंगे|जिस कोर्ट में शोषित पिड़ितो की उचित भागिदारी होना बहुत जरुरी हो गया है|जिसके बगैर अपने हक अधिकारो की रक्षा कर पाना वैसा ही है,जैसे कि किसी छेद घड़े में पानी भरने की उम्मीद करना है|और कोर्ट को आरक्षण मुक्त करके छेद कर दिया गया है|जाहिर है अपने हक अधिकारो की लड़ाई में शोषित पिड़ितो को पुरी अजादी पाने के लिए अब सबसे ज्यादे संघर्ष सत्ता के साथ साथ कोर्ट में भी अपनी मजबुत भागीदारी हासिल करना उतना ही जरुरी है,जितना की अपने हक अधिकारो की रक्षा करना जरुरी है|क्योंकि शोषित पिड़ित ये कभी न भुले की संविधान में जो हक अधिकार दिया गया है,उसपर भी अब हक अधिकार छिनने वालो की खास नजर है|जिस संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागू करने कि जिम्मेवारी न्यायालय को दिया गया है|जिस न्यायालय में आरक्षण मुक्त का मतलब साफ है कि शोषित पिड़ितो का कोर्ट के उच्च पदो में पहुँच पाना उतना हि कठिन है,जितना कि किसी छेद घड़े में पानी भर पाना कठिन है|और फिर भाजपा कांग्रेस सरकार के रहते हुए तो सबसे अधिक कठिन है|क्योंकि यही दो पार्टी उस छेद को कोई शोषित पिड़ित कभी भर ही न पाये इसकी निगरानी कर रहे हैं|जिसके चलते चाहे शोषित पिड़ित भाजपा कांग्रेस से प्रधानमंत्री बने या फिर राष्ट्रपति,देश में हक अधिकारो की छिना झपटी चलती ही रहेगी|जो भी शोषित पिड़ित प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति अबतक न के बराबर बनाये गए हैं|वह भी जैसा कि मैने बतलाया अब देश में चारो तरफ शोषित पिड़ितो की आवाजे गुंजने लगी है,अपने हक अधिकारो को लेकर|जो वैसे तो पहले भी ये संघर्ष चल रही थी पर अब ये मानो अपना फाईनल रुप में आ रही है|जिस फाईनल संघर्ष में पहले भी मैने कई बार बतलाया है कि शोषित पिड़ितो की लड़ाई अंतिम में सुप्रीम कोर्ट तक आकर सबसे बड़ी रुकावट के रुप में सामना करेगी,जिसमे जान भी जायेगी बहुत से शोषितो की|जो नही जाती यदि शोषित पिड़ितो की उचित भागीदारी कोर्ट और सत्ता समेत इस देश के गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में होती|जो भागीदारी तभी ठीक से होगी जब अजाद भारत का संविधान रक्षा और उसे ठीक से लागू करने की जिम्मेवारी जिस कोर्ट को सौंपा गया है,वहाँ पर शोषित पिड़ितो की उचित भागीदारी मौजुद रहेगी|जो भागीदारी होना फिलहाल तो बहुत ही कठिन है,क्योंकि कोर्ट आरक्षण मुक्त है|और आरक्षण मुक्त उस कोर्ट के पास संविधान रक्षा और उसे ठीक से लागू करने का जिम्मा सौंपा गया है|जिस कोर्ट में शोषित पिड़ितो की भागीदारी न के बराबर है|जिसका मतलब साफ है कि यदि संविधान का रक्षक पद में ही शोषित पिड़ित न के बराबर हो तो फिर संविधान द्वारा ही मिले हक अधिकारो की रक्षा करने वाला संविधान ही खतरे में है|जो यदि खतरे में न होती तो फिर हाल ही में जो सुप्रिम कोर्ट के फैशले आई है,वह फैशले मेरे विचार से यदि कोर्ट में शोषित पिड़ितो की भागीदारी उचित होती तो कभी भी शोषित पिड़ित अपने ही हक अधिकारो की गला घोटने के लिए ऐसे फैशले नही लिये गए होते!जिस फैशले से नाराज होकर शोषित पिड़ित ने जिस तरह पुरे देश में भारी विरोध प्रदर्शन करके भारत बंद किया और आज भी वह मामला गर्म है,उससे तो एक बात साफ हो जाता है कि इस देश में दुसरी अजादी की लड़ाई की आग भितर भितर ही सुलग रही है,जो किसी ज्वालामुखी की तरह लंबे समय से दबी हुई है|जो अब धिरे धिरे लावा बनकर बाहर निकल रही है|जो यू ही नही चारो तरफ अपनी धवक से भितर से पिघलाकर सभी शोषितो को एकजुट नही कर रही है|पुरे देश में शोषित पिड़ित दलित आदिवासी और पिछड़ी जाती जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,सभी को अब भितर से आ रही अपने पुर्वजो की दुःख की पीड़ा महसुश होने लगी है|जिसे दुर किए बगैर चाहे वे जितनी बड़ी बड़ी कागजी डिग्री ले लें जबतक इस देश में जन्म से ही खुदको विद्वान पंडित कहलाने की छुवा छुत जैसे डिग्री हासिल करके देश में भारी भेदभाव कायम रहेगी तबतक शोषित पिड़ित चाहे क्यों न किसी धर्म में चले जाएँ उनको बार बार भितर से ये आवाज आती रहेगी कि इस देश के गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भारी भेदभाव करने वाले लोगो की ही उच्च दबदबा कायम रहेगी|जिसमे अपनी उचित भागीदारी हासिल करने के लिए सभी शोषित पिड़ितो को एकजुट होकर अपने हक अधिकार को पाने के लिए कठिन संघर्ष करके उसे सही अंजाम तक पहुँचानी ही चाहिए!खासकर चूँकि सभी शोषित पिड़ितो के एक पुर्वज हैं,जो कि हजारो सालो से भारी भेदभाव का शिकार होते आ रहे हैं|क्योंकि जैसा कि मैने पहले भी बतलाया है कि धर्म परिवर्तन से किसी का भी डीएनए में परिवर्तन नही आ जाता है|और अमेरिका में हुए एक डीएनए जाँच रिपोर्ट बहुत पहले ही आ चुकि है कि इस देश की मदर इंडिया डीएनए से दलित आदिवासी और पिछड़ी जो चाहे जिस धर्म और दुनियाँ के जिस कोने में मौजुद हो,उन सभी का डीएनए मिलता है|जिस डीएनए से संवर्ण पुरुषो का डीएनए नही मिलता है|जिसके चलते ही तो संवर्ण हजारो सालो से भितर ही भितर ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी शकल ताड़न के अधिकारी ताड़ना मतलब सिखाना बतलाकर भारी भेदभाव करते आ रहे हैं|जिसके बारे में तुलसी दास ने अपने इस श्लोक में बहुत पहले तब के बुरे हालातो के बारे में भी बतला दिया है|जिसमे ताड़ना मतलब सिखाना बतलाकर मनुस्मृती की रचना करने वाले संवर्ण अजाद भारत की संविधान रचना करने वालो को शुद्र अथवा सेवक बतलाकर बुद्धी बतला रहे हैं कि सेवा कैसे की जाती है?जिनकी मनुस्मृती सेवा यदि लागू हो जाय पुरी दुनियाँ में तो मनुस्मृती की रचना करने वाले संवर्ण तो कानूनी रुप से खुदको जन्म से उच्च विद्वान पंडित,वीर क्षत्रीय और धन्ना वैश्य घोषित करके बाकियो को गले में थुक हांडी और कमर में झाड़ू लटकाकर मानवता की सेवा करने की ताड़न करने लगेंगे|जाहिर है विज्ञान द्वारा डीएनए की खोज से पहले ही ये बतला दिया गया था कि संवर्ण पुरुषो की डीएनए इस देश के शोषित पिड़ित जो इस समय चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उन सभी के साथ साथ मदर इंडिया की डीएनए से नही मिलती है|जिन संवर्ण पुरुषो की डीएनए उन विदेशी कबिलई लोगो से मिलती है,जो इस देश के निवासी नही हैं|जिस डीएनए रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट भी मानता है|जिसके बारे में ही समाजिक स्तर पर भी बहुत पहले ही इस देश के शुद्र कहे जाने वाले शोषित और मदर इंडिया से संवर्ण पुरुषो का अलग होने की मान्यता ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी श्लोक के रुप में प्राप्त हो चुकि है|जिसे छुवा छुत करने वाले भितर से मानते हैं|तभी तो वैज्ञानिक डीएनए रिपोर्ट आने से पहले भी बहुत पहले इस देश में समाजिक रिपोर्ट भी आ चुकि थी,जिसके बारे में तुलसी दास रचित श्लोक के जरिये बतलाई गई है जिसको मैने उपर लिख दिया है ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी|जिसे पढ़के कोई भी आसानी से समझ सकता है कि इस देश में लंबे समय से जब कोई डीएनए जाँच का आविष्कार अथवा खोज भी नही हुआ था उस समय से ही खुदको अलग करके किन लोगो ने खुदको जन्म से ही उच्च विद्वान पंडित,वीर क्षत्रीय और धन्ना वैश्य बनाकर रखा हुआ है!और किनके साथ लंबे समय से भारी भेदभाव होता आ रहा है?अथवा छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव करने वाले कौन लोग आज भी छुवा छुत करना नही छोड़ पा रहे हैं?बल्कि मैं तो इसके साथ साथ ये भी कहुँगा कि इस देश में नारी भ्रुन हत्या जो कि भारी संख्या में होता आ रहा है,उसका मुल कारन भी इसी भेदभाव से ही जुड़ा हुआ है|यानी मदर इंडिया का जो मडर करने की कोशिषे लंबे समय से हो रही है, उसके भी पिच्छे भारी भेदभाव ही मुल कारन है|जिसके चलते मैं तो यह भी कहुँगा कि इस देश में छुवा छुत और उच्च निच भारी भेदभाव से जिसदिन भी पुरी अजादी मिल गई, उस दिन समझो इस देश को पुरी अजादी मिल जायेगी सोने की चिड़ियाँ में मौजुद गरिबी भुखमरी से भी और हक अधिकारो की छिना झपटी करने वाली बुरे ताकतो से भी|जिस अजादी को पाने के लिए ही तो अपने हक अधिकारो को लेकर पुरे देश में आंदोलन और विरोध प्रदर्शन लगातार हो रहे हैं|जिन आंदोलन प्रदर्शन में शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो सभी एकजुट होकर अपने हक अधिकारो को वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं|जिसमे कई की तो जान भी जा रही है,जैसे की गोरो से अजादी पाने के लिए जो आंदोलन प्रदर्शन हो रहे थे उसमे भी जाने जाती थी|जिस अजादी की लड़ाई में तो गोरो के साथ सामना करना पड़ रहा था, पर इस अजादी की लड़ाई में अजाद भारत की सरकारो और कोर्ट के साथ भी सिधे सामना हो रहा है|हलांकि अपने हक अधिकारो की लड़ाई में चाहे सरकार सामने आए या फिर कोर्ट सामने आए सरकार और कोर्ट में भी अपना हक अधिकार खोने वाले शोषित पिड़ित मौजुद हैं|जैसे कि गोरो की फौज में इंडियन भी मौजुद थे|उसी तरह शोषित पिड़ित भी वर्तमान की सरकार और बहुत से सरकारी पदो में मौजुद हैं|जिन्हे भी अब अपने हक अधिकारो को लेकर एकजुट हो जानी चाहिए यदि उनको अपने आनेवाली नई पिड़ि के लिए ऐसा उज्वल भविष्य बनानी हो,जिसमे अपने हक अधिकारो को छिना झपटी से बचाने के लिए कड़ी संघर्ष करके किसी शोषित पिड़ित के नई पिड़ि को अपनी जान न देनी पड़े|जिस तरह की ऐतिहासिक घटना इन दिनो लगातार दर्ज होती चली जा रही है|जिसे आनेवाली नई शोषित पिड़ित पिड़ी सलाम तो करेगी ही पर उससे पहले मैं उन सभी शोषित पिड़ितो को सलाम करता हुँ जो लोग सभी शोषित पिड़ितो के हक अधिकारो की लड़ाई के लिए कड़ी संघर्ष कर रहे हैं|जिन्हे शोषित पिड़ितो की इतिहास में बल्कि इस देश और दुनियाँ की इतिहास में भी हक अधिकारो की लड़ाई में जो इतिहास दर्ज होती रही है,उसमे हमेशा के लिए जरुर दर्ज हो गई है|जैसे कि विश्व के कई देशो में जहाँ पर अपने हक अधिकारो को लेकर बड़ी बड़ी ऐतिहासिक क्रांतियाँ हुई है,उसे फाईनल अंजाम तक पहुँचाने से पहले संघर्ष की बहुत सी घटना दर्ज होती रही है इतिहास के पन्नो में|पुरे विश्व के साथ साथ हिन्दुस्तान के इतिहास में भी चूँकि हक अधिकारो को लेकर भारी भेदभाव की घटना भरी पड़ी है,इसलिए भेदभाव करने वाले चाहे जितना छिपाने की या भारी भेदभाव की चिथड़ो को सिने की कोशिष करें,जो कि इतने फटे हुए और उसपर इतने छेद है कि उसे कभी भी छिपाया या भुलाया नही जा सकता,न तो इतिहास के पन्नो में और न ही शोषित पिड़ित समाज परिवार में!और न ही विश्व समाज में भी!क्योंकि पुरी दुनियाँ को भी पता है कि हिन्दुस्तान में हजारो सालो से छुवा छुत होना अब भी जारी है|जैसे की खुदको सबसे विकसित बतलाकर भी गोरा काला का भेदभाव होना अबतक भी जारी है|जिस तरह की भेदभाव से तभी पुरी तरह से अजादी मिलेगी जब इस तरह के भेदभाव करने वालो को ये समझ में आ जायेगा कि उनके पास जो मनुष्य का लिंग योनी मौजुद है,वही लिंग योनी बाकि भी उन लोगो के पास मौजुद है, जिनके साथ वे लंबे समय से भारी भेदभाव ऐसे कर रहे हैं,जैसे कि उनके लिंग योनी कोई दुसरी दुनियाँ और दुसरे प्राणी का लिंग योनी है|जिसके साथ छुवा छुत और गोरा काला जैसे भारी भेदभाव के शिकार हुए लोग रिस्ता कभी जोड़ ही नही सकते,जिसके चलते ही लगता है भारी भेदभाव की जाती है|जो बात यदि सत्य होती तो दुनियाँ में जो कथित गोरा काला के बिच रिस्ता और उच्च निच के बिच रिस्ता भारी तादार में जोड़ी गई है,और जोड़ी जा रही है,वह कभी जोड़ी ही नई जा सकती थी|फिर तो हिन्दुस्तान में संवर्ण कभी भी मदर इंडिया से कोई भी रिस्ता नही जोड़ पाते,क्योंकि मदर इंडिया और फादर इंडिया से उनका डीएनए नही मिलता है,ये बात साबित हो चुका है|हाँ भारी भेदभाव को लेकर बार बार की भारी भेदभाव की घटना से एक बात जरुर सच साबित हो रही है कि एक ही डीएनए के लोग कभी भी एक दुसरे से छुवा छुत और गोरा काला जैसे समाजिक तौर पर भारी भेदभाव नही करते हैं|बल्कि दुसरे डीएनए के लोग छुवा छुत और गोरा काला जैसे भारी भेदभाव करते हैं|जो भेदभाव यदि समाजिक तौर पर प्रेम और शारिरिक रिस्ता जोड़ते समय भी करते तो वे सिर्फ उन्ही लोगो के साथ समाजिक और शारिरिक रिस्ता कायम कर पाते जिनका डीएनए उनके डीएनए से मिलता है|जैसे की संवर्णो का डीएनए इस देश के शोषित पिड़ित जो कि वर्तमान में चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,उन सभी का डीएनए और मदर इंडिया की डीएनए से संवर्ण पुरुषो की डीएनए नही मिलता है जिसके चलते ही ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी श्लोक बतलाई गई है बहुत पहले ही इस देश में हो रहे भारी भेदभाव के बारे में जिसके चलते ही सुप्रीम कोर्ट को माध्यम बनाकर भेदभाव को लेकर ताड़न मतलब सिखलाना होता है बतलाकर जिस तरह मनुस्मृती की रचना करने वाले अजाद भारत की रचना करने वालो को शुद्र को मानवता की सेवा किस तरह से करनी चाहिए बतलाते रहे हैं,जिसकी अब भारी अपडेट तैयारी की जा रही है|जिसके ही विरोध में इस देश के शोषित पिड़ितो ने भारत बंद करके बहुत से शोषित पिड़ितो ने अपना जान तक भी गवा दिया है|जिनको सलाम है उन तमाम लोगो की तरफ से जो सुप्रीम कोर्ट में बैठे हुए जजो के द्वारा लिये गए हाल के एससी एसटी एक्ट में बदलाव के फैशले का विरोध करते हैं|जिसमे बदलाव करके ये तर्क दी जा रही है कि निर्दोश को सजा न हो इसके लिए एससी एसटी कानून में बदलाव करके संतुलन कायम किया गया है|जबकि होना तो ये चाहिए था कि एससी एसटी कानून में और अधिक मजबुती प्रदान करने के लिए उसमे बदलाव करके एससी एसटी और ओबीसी समेत इस देश की मदर इंडिया नारी सभी शोषित पिड़ित जिनके बारे में कभी ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी जैसे श्लोक रचना करके बतलाया गया है कि इस देश में संवर्ण जाती किस तरह से शोषित पिड़ित जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनके साथ भारी भेदभाव और शोषन अत्याचार लंबे समय से करते आ रहे हैं,उन सभी एससी एसटी और ओबीसी समेत इस देश की मदर इंडिया को भी इस कानून के जरिये एफ आई आर करने का हक अधिकार प्राप्त हो,ऐसी मजबूत बदलाव कानून में होनी चाहिए थी,ताकि एससी एसटी ओबीसी और मदर इंडिया एक्ट के रुप में ऐसा कानून बन सके जिसके जरिये ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी,शकल ताड़न के अधिकारी सोच रखकर भारी भेदभाव करने वालो को सुधार घर में डालकर उनकी भ्रष्ट बुद्धी को ठीक करनी चाहिए|जैसे की बाबा अंबेडकर ने मनुस्मृती को भष्म करके मनुस्मृती को अपना सबसे आदर्श बेहत्तर संविधान मानने वाले लोगो की भ्रष्ट बुद्धी को समझाने की कोशिष किया था कि मनुस्मृती जैसे संविधान से ताड़न करके सिर्फ रोमराज कायम कि जा सकता है,जिसे पुरी दुनियाँ कभी भी अपने अजाद देश में कायम करना भुलकर भी नही चाहेगी|जिस रोमराज को वापस लाने की कोशिष हो रही है एससी एसटी एक्ट जैसे कानून को कमजोर करके,जैसे की शैतान सिकंदर को महान सिकंदर कहकर ये बतलाने की कोशिष होती रही है कि सिकंदर कई देशो को जबरजस्ती लुटपाट करके ही महान बन रहा था|जैसे की मनुस्मृती को अपना आदर्श मानने वाले भी भारी भेदभाव करके जन्म से उच्च विद्वान पंडित वीर क्षत्रीय और धन्ना वैश्य बनने की कोशिष करना अब भी नही छोड़ पा रहे हैं|जिनको ही असल में संरक्षण चाहिए एससी एसटी एक्ट में बदलाव करके|क्योंकि उन्हे पता है कि वही लोग ही इस देश में छुवा छुत करते हैं|न तो ओबीसी मंदिरो में छुवा छुत करते है,और न ही दुसरे धर्म के लोग ही इस देश के शोषित पिड़ितो के साथ छुवा छुत करते हैं|बल्कि अब तो अंग्रेज भी इस देश में आकर शोषित पिड़ितो के साथ गले मिलते हैं,उनके साथ नाचते गाते खाते पिते उठते बैठते हैं|बल्कि इस देश के शोषित पिड़ितो की हक अधिकारो के लिए भी कई गोरे आज संघर्ष करते हुए मिल जाते हैं|लेकिन इस अजाद देश में आज भी छुवा छुत संवर्ण करते हैं|जो मंदिरो में भी ये बोर्ड लगाकर कि अंदर शुद्रो का प्रवेश मना है,इस देश के शोषित पिड़ितो को गुलामी का यहसाश कराना सायद तबतक चाहते हैं, जबतक की उनकी इस देश के गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा कायम रहेगी|जिसके चलते ही तो एससी एसटी एक्ट को कमजोर करके खुलकर छुवा छुत शोषन अत्याचार करना चाहते हैं|जैसा कि इस देश की मदर इंडिया को भी शनि मंदिर जैसे कई जगहो में प्रवेश मना नियम कानून ये संवर्ण ही बनाते आ रहे हैं|जिस तरह की ही नियम कानून बनाने की कोशिष में नकाम होने पर अब भारी भेदभाव करने वालो को दबोचने वाली कानून को कमजोर करके बचने की कोशिषे की जा रही है!बजाय इसके कि एससी एसटी कानून को और अधिक मजबुत करने के लिए उसका लाभ ओबीसी और इस देश की मदर इंडिया भी लाभ उठा सके ऐसी बदलाव होनी चाहिए थी|बल्कि मेरे ख्याल से तो उन सभी को इस कानून के जरिये लाभ मिले ऐसी बदलाव होनी चाहिए थी जिनके पुर्वज कभी दलित आदिवासी और पिछड़ी जाती थे जो अब धर्म परिवर्तन करके खुदको अलग महसुश करते होंगे जिनको अलग महशुष बिल्कुल भी नही करना चाहिए,क्योंकि धर्म परिवर्तन से उनके पुर्वजो की डीएनए में परिवर्तन नही हुआ है|सुप्रीम कोर्ट में बैठे जजो के द्वारा एससी एसटी एक्ट को लेकर लिए गए फैशले को अनुच्छेद 21 का उलंघन भी बतलाया जा रहा है!जिस अनुच्छेद 21 अनुसार मानवीय सम्मान और उससे जुड़े हुए शिक्षा और स्वस्थ जिवन का अधिकार जैसे अन्य पहलुओ पर भी विचार किया गया है|जिसे प्राकृतिक के द्वारा दिया गया अधिकार भी माना गया है|जिसका उलंघन करके फिर से अप्राकृतिक फैशले लिये जा रहे हैं|जैसे की मनुस्मृती में अप्राकृतिक फैशले लिये गए थे ये बतलाकर कि किसी नारी की योनी से पैदा न होकर पुरुष ब्रह्मा के मुँह से ब्रह्मण और क्षत्रीय छाती से और वैश्य जंघा से और शुद्र चरणो से पैदा हुआ है|साथ साथ उस समय चूँकि लिखा पढ़ी करके शिक्षा नही बल्कि मुँह से अथवा वेद ध्वनी से ज्ञान बांटने की प्रचलन थी|जो वैसे तो आज भी ज्ञान मंदिरो में लिखा पढ़ी के साथ साथ वेद ज्ञान अथवा मुँह से ज्ञान जरुर बांटी जाती है|जिसके बगैर सारे विद्यालय और ज्ञान बांटने की अनगिनत क्षेत्र जहाँ पर मुँह से ज्ञान जरुर बांटी जाती है,वह सब अधुरा है|सिवाय गुंगा स्कूलो के जिसमे भी मेरे ख्याल से गुँगा छात्र और शिक्षक भी थोड़ा बहुत अपने मुँह से अवाज अथवा वेद जरुर निकालते होंगे ज्ञान बांटने और लेते समय|जिस तरह के गुँगा और बहरा बनाने के लिए ही तो शुद्र वेद सुने तो उसके कान में गर्म पिघला लोहा डाल दिया जाय,वेद बोले तो उसका जिभ काट दिया जाय जैसे नियम कानून बनाते थे मनुस्मृती की रचना करने वाले खुदको जन्म से उच्च विद्वान पंडित बतलाने वाले ऐसे ताड़ने वाले जो कि अजाद भारत का संविधान रचना करने वालो को शुद्र बतलाकर उन्हे मानवता की सेवा करने के लिए बेहत्तर सेवक कैसे बना जाता है इसके लिए मनुस्मृती के जरिये ताड़कर बतलाते थे|जिसके बारे में तुलसी दास के द्वारा रचित एक श्लोक ढोल,गंवार,शूद्र,पशु,नारी शकल ताड़न के अधिकारी के बारे में जानकर पता चल जाता है कि किनको किनको संवर्ण लंबे समय से ताड़ते रहे हैं,खुदको जन्म से ही उच्च बतलाकर!जिनके ताड़ने की विद्या ऐसी कि कोई शोषित पिड़ित वीर रक्षक बनने के लिए धनुष विद्या सिखे तो उसका अँगुठा कटवा दिया जाय|जिस तरह की अमानवीय कार्य को बढ़ावा देने के लिए और मनुस्मृती को अपना आदर्श मानने वालो को ही दरसल संरक्षित करके कोर्ट की आड़ लेकर अमानवीय कुकर्म को बड़ावा देने की अपडेट प्रक्रिया चल रही है|जिस कोर्ट में किस तरह से जजो की बहाली होती आ रही है,जिसमे कि उच्च न्याय करने वाली हुनर किनके पास सबसे अधिक मौजुद है,इसकी रिपोर्ट की झांकी भी देख पढ़ लिया जाय,जो कि पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा जो कि एसटी से आते हैं उनकी रिपोर्ट 2000 ई०की है,जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमेब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं!
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