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मंगलवार, 23 जुलाई 2019

यहूदि डीएनए के मनुवादि धर्म परिवर्तन करके खुदको हिन्दु कब बनाये

यहूदि डीएनए के मनुवादि धर्म परिवर्तन करके खुदको हिन्दु कब बनाये यह जानकारी अबतक किसी को भी नही बतलाया जाता हैं 

मनुवादियो का डीएनए भले उन कबिलई यहूदियो से मिलता है , जो अपना मातृभूमि जेरुशलम को मानते हैं | पर मनुवादि इस देश को अपना मातृभूमि मानकर और वंदे मातरम् कहकर खुदको गर्व से सिंधु घाटी कृषि सभ्यता संस्कृति से जुड़ा शब्द हिन्दु कहना पसंद करते हैं | यहूदि डीएनए के मनुवादि धर्म परिवर्तन करके खुदको हिन्दु कब बनाये यह जानकारी अबतक किसी को भी नही बतलाया गया हैं | जाहिर है यदि वे दुसरे की धरती में दुसरे की हिन्दु पहचान से जाने जाते हैं , तो निश्चित तौर पर मनुवादि अपने पूर्वजो की असली पहचान को मिटाना चाहते हैं | या फिर मिटा चुके हैं ! क्योंकि यदि वाकई में मनुवादियो का डीएनए कबिलई यहूदियो से मिलता है तो मनुवादि खुदको हिन्दु कब और क्यों बनाये इसका जवाब मनुवादि खुद क्यों नही तलाशना या जानना चाहते हैं ? और यदि हिन्दु धर्म कोई धर्म नही सिंधु घाटी से जुड़ा प्राचिन कृषि सभ्यता संस्कृति है , तो भी बाहर से आए कबिलई मनुवादि इस देश की सिंधु घाटी कृषि सभ्यता संस्कृती से खुदको जोड़कर और खासकर इस देश के मुलनिवासि हिन्दुओ से छुवा छुत करके खुदको हिन्दु कहने में गर्व महसुश क्यों करते हैं | क्योंकि पुरी दुनियाँ जानती है कि हिन्दु की पहचान उस सिंधु घाटी कृषि सभ्यता संस्कृति जुड़ी हुई है , जो इस देश के मुलनिवासियो द्वारा निर्मित यहाँ की मुल प्राचिन कृषि सभ्यता संस्कृति है | जिस सिंधु के नाम से ही तो हिन्दु शब्द का उदय हुआ है | दरसल मनुवादि हिन्दु बनकर असली हिन्दुओ की पहचान पर कब्जा करना चाहते हैं | जो उनकी मूल हुनरो में से एक है कि दुसरे का को कब्जा करो | जिसके लिए किसी भी तरिके से पहले उसे अपना साबित करने की कोशिष करो | इसलिए बाहर से आए मनुवादि  खुदको कट्टर हिन्दु घोषित करके इस देश के असली हिन्दुओ को अपना धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर कर रहे हैं | जिसके लिए छुवा छुत शोषन अत्याचार और ढोंग पाखंड करके मुलनिवासियो को मनुवादि इतना टॉर्चर दे रहे हैं कि इस देश के मुलनिवासी अपना धर्म परिवर्तन यह कहकर कर रहे हैं कि हिन्दु धर्म दरसल मनुवादियो का धर्म है | जिस हिन्दु धर्म में उनकी कई पिड़ी हिन्दु पर्व त्योहार मनाकर गुजार दी उसे मनुवादियो का धर्म कहकर छोड़ रहे हैं | जो कल मनुवादियो से अति परेशान होकर यह न कह दे कि सिंधु घाटी कृषि सभ्यता संस्कृती और गणतंत्र का निर्माण हजारो साल पहले मनुवादियो ने ही किया है | जबकि सच्चाई ये है कि बाहर से आए कबिलई मनुवादियो को इस देश में प्रवेश करने से पहले परिवार समाज के बारे में भी पता नही था तो वे हजारो साल पहले उन वेद पुराणो की रचना कैसे करते जिसमे सृष्टी रचना से लेकर इस देश की प्राकृति भूगोल और कृषि सभ्यता संस्कृति समेत इस देश के मुलनिवासियो के बारे विस्तार पुर्वक ज्ञान का सागर मौजुद है | जितनी जानकारी तो मनुवादियो से बहुत बाद में सुट बुट लगाकर प्रवेश करने वाले गोरो को भी नही थी | जो आज भी वेद पुराणो में मौजुद ज्ञान के बारे में जानकारी इकठा करते रहते हैं | कम से कम धर्म परिवर्तन करने वाले इस देश के शिक्षित मुलनिवासियो को तो विज्ञान प्रमाणित विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट के बारे में जानकर जरुर पता होनी चाहिए थी कि सिंधु में बाहर से संभवता बिना कपड़ो के नंगा पुंगा प्रवेश करने वाले मनुवादि असली हिन्दु हो ही नही सकते ! इसलिए मुँह फाड़ फाड़कर यह कहना कि " मनुवादि असली हिन्दु हैं , इसलिए सिंधु घाटी से जुड़ा हिन्दु धर्म खास मनुवादियो का है , मनुवादि  ही कट्टर हिन्दु है " जिस तरह की बाते कहकर दरसल मनुवादियो को असली हिन्दु कहने वाले मुलनिवासी बाहर से आनेवाले मनुवादियो की खास मदत करके अपने ही पांव में बार बार कुल्हाड़ी मार रहे हैं | जो मनुवादियो से परेशान होकर कल ये भी न कह दे कि चूँकि सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति भी मनुवादियो का है , जहाँ पर हजारो साल पहले ही गणतंत्र स्थापित थी , जहाँ पर गोरो के जाने के बाद ही अजाद भारत का संविधान लागू करके गणतंत्र देश घोषित होकर इस देश का शासक भी चूँकि मनुवादि बन गए हैं , जो आगे भी अल्पसंख्यक होकर भी हमेशा इसी तरह बने रहेंगे , और शोषन अत्याचार करते रहेंगे , क्योंकि वे कट्टर हिन्दु हैं , इसलिए बहुसंख्यक मुलनिवासि हिन्दु धर्म बदलने के बाद भी यदि मनुवादियो के शोषन अत्याचार से छुटकारा नही पाते हैं , तो हिन्दु धर्म छोड़ने के बाद हिन्दुस्तान को ही छोड़कर किसी ऐसे देश में चले जाओ , जहाँ पर मनुवादियो का शासन मौजुद न हो | जिसे मैं बुजदिली कहूँगा ! क्योंकि इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियो जो इस समय चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , उनको अल्पसंख्यक मनुवादि यदि मानो दिन रात पिट पिटकर शारिरिक और मांसिक तौर पर शोषन अत्याचार करके उनके अपने ही देश सत्ता और धर्म से खदेड़ रहे हैं , और वे पिठ दिखाकर भाग भी रहे हैं , तो ये उनकी बुजदिली है | जो बुजदिली मैं उन्हे कह रहा हूँ जो अल्पसंख्यक मनुवादियो से दरसल डरकर अपना खुदका घर को मनुवादियो का घर बताकर खुदका घर छोड़कर दुसरे घरो की ओर भाग रहे हैं | जिस डर को छिपाने के लिए यह बहाना बना रहे हैं कि हिन्दु धर्म मनुवादियो का है | और मनुवादि असली कट्टर हिन्दु हैं | फिर इस देश में मनुवादियो के प्रवेश करने से पहले और कई धर्मो के प्रवेश करने या फिर जन्म लेने से पहले ही हजारो साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण करने वाले इस देश के मुलनिवासियो का अपना धर्म वह कौन सा था , जिसे अपना धर्म मानकर इस देश के मुलनिवासी बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार मनाते आ रहे हैं | जैसे की इस समय बारिस का मौसम सावन में सत्य शिव लिंग योनी की पुजा करके सावन का विशेष पर्व त्योहार मनाया जाता है | जिस सत्य से दुनियाँ कायम है | इसी तरह बारह माह सभी मौसम से खास जुड़ा पर्व त्योहार मनाये जाते हैं | जिसमे मनुवादि जबरजस्ती खुदको घुसेड़ने की कोशिष लंबे समय से कर रहे हैं | जैसे कि मनुवादि जिस इंद्रदेव को अपना पुर्वज बतलाकर जोर जबरजस्ती उसे हिन्दु धर्म का पुज्यनीय बताते हुए प्राकृति बारिस से यह कहकर जोड़ते हैं कि धरती पर इंद्रदेव ही बारिस कराता है | वह इंद्रदेव जिसका हवश उपर स्वर्ग की अप्सराओ से शांत नही हुआ तो निचे धरती पर किसी एलियन की तरह उतरकर विवाहित अहिल्या का बलात्कार करके अपना हवश शांत किया था | जो बलात्कारी इंद्रदेव धरती पर पाप बरसाने के लिए उतरता है , न कि बारिस बरसाने के लिए | जिस पाप की सजा भी मिला था बलात्कारी इंद्रदेव को | सजा में पिड़ित अहिल्या के पति तपस्वी गौतम ने इंद्रदेव को रंगे हाथ पकड़कर यह श्राप दिया था कि वह जिस योनी के साथ कुकर्म किया है , वह योनी हजार की संख्या में इंद्रदेव पर किसी घुंघरु की तरह टंगे रहेंगे | जिसे लटकाकर इंद्रदेव घुरता रहेगा धरती पर | जिस तरह की श्राप यदि इस समय भी वाकई में बलात्कारियो को लगती तो आज जो हजारो बलात्कार सिर्फ इस देश में ही हर साल हो रहे हैं , जिस बलात्कार को लेकर विरोध जताने के लिए दिल्ली में कैंडल मार्च भी निकलते रहती है | विश्व में तो लाखो में हो रहे होंगे | जिन सभी बलात्कारियो को निश्चित तौर पर इस तरह की श्राप देकर कि हजारो लाखो बलात्कारी अपने शरिर में हजार हजार योनी टांगकर खुद तो शर्म से चूलूभर उसी योनी के मूत में  डूब मरते , साथ साथ हजार योनी टंगाकर अपनी माँ बहन को भी शर्मिंदा कर रहे होते | जिस तरह के बलात्कारी इंद्रदेव का यह बारिस का मौसम नही है | बल्कि बलात्कारी इंद्रदेव हिन्दु धर्म में पुज्यनीय भी नही है | और वैसे भी कोई भी भला इंसान जिसमे बलात्कारी के माँ बहन भी हो सकते हैं , वे कभी भी बलात्कारी का पुजा करना पसंद नही करेंगे | जाहिर है खुदको देव का वंशज कहने वाले मनुवादियो का डीएनए से इस देश के मुलनिनिवासी जो कि असली हिन्दु हैं , जो छ्वा छुत ढोंग पाखंड नही करते हैं , बल्कि बारह माह सृष्टी के कण कण में साक्षात मौजुद प्राकृतिक से जुड़ा हुआ पर्व त्योहार मनाते हैं | उनसे अपनी पुजा कराने के लिए मनुवादि वेद पुराणो में छेड़छाड़ और मिलावट करके प्राकृतिक पुजा में जबरजस्ती मुँह मारते आ रहे हैं | बलात्कारी इंद्रदेव पुजा को हिन्दु धर्म का खास हिस्सा बनाकर आज भी हिन्दु धर्म को बदनाम किया जा रहा है | जिसके चलते ही तो करोड़ो हिन्दु यह सोचकर अपना धर्म परिवर्तन कर रहे हैं कि हिन्दू धर्म विदेशी मूल के उन मनुवादियो का है , जिनका डीएनए यहूदियो से मिलता है | खासकर मनुवादियो के ढोंग पाखंड और छुवा छुत मनुस्मृती सोच को हिन्दु सोच साबित करने की कुकर्म लंबे समय से चल रही है | जो कुकर्म मनुवादियो की सत्ता रहने तक खुलेआम चलती रहेगी | जिसके बाद जितने भी मिलावट वेद पुराणो में मनुवादियो द्वारा किए गए हैं , उसे हटाकर सही को सही और गलत को गलत बतलाकर बलात्कारियो को पुज्यनीय नही बल्कि बलात्कारी साबित करके सत्य बात पुरी दुनियाँ को बतलाना होगा | बतलाना होगा कि मनुवादि अपने जिन पुर्वजो की पुजा करने के लिए जोर जबरजस्ती और दिन रात ढोंग पाखंड करके ब्रेनवाश भी करते हैं , उन्होने क्या क्या बड़े बड़े अपराध कुकर्म किये हैं ? इंद्रदेव जैसे व्यक्ती तो पुज्यनीय कहलाने के लायक ही नही हो सकते |

शनिवार, 20 जुलाई 2019

छोड़ो कल की बाते कल की बात पुरानी कहकर अपने पुर्वजो की मुल भूमि को सायद याद ही नही रखना चाहते हैं !


मनुवादि छोड़ो कल की बाते कल की बात पुरानी कहकर अपने पुर्वजो की मुल भूमि को सायद याद ही नही रखना चाहते हैं ! 

कबिलई मनुवादि अपनी कबिलई सोच की सत्ता स्थापित करके सागर जैसा स्थिर कृषि सभ्यता संस्कृति और इतिहास को और इस देश के मुलनिवासियो को  भले चाहे जितना मिटाने की कोशिष कर लें , लेकिन वे खुद ही अपने खोदे हुए गढे में गिरकर मिट जाएँगे | जैसे कि इससे पहले भी इस देश की स्थिर कृषि सभ्यता संस्कृति को खत्म करने का सपना देखने वाले कई अन्य घुमकड़ कबिले मिटाने के लिए आए और खुद ही मिट गए | उनकी मिटाने की कोशिषे हमेशा नकाम होते आई है | क्योंकि जबतक हरी भरी प्राकृतिक जल जंगल पहाड़ पर्वत नदी तलाव वगैरा की मौजुदगी इस पृथ्वी पर बनी रहेगी तबतक प्राकृति पर निर्भर इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति और प्राकृति की पुजा पर्व त्योहार कभी नही खत्म होनेवाली है | बल्कि खुद कबिलई मनुवादि भी प्राकृति से जुड़ा कृषि करना सिखकर ही तो घुमकड़ शिकारी और कबिलई लुटपाट जिवन को छोड़कर स्थिर गणतंत्र का शासक बन पाये हैं | जो इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले घुमकड़ कबिलई पशु लुटपाट या फिर शिकारी जिवन जी रहे थे | क्योंकि तब उनके पास इतने बड़े देश की कोई सत्ता तो दुर परिवारिक सत्ता भी मौजुद नही थी | जो बात एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से साबित भी हो चुका है कि मनुवादि इस देश में पुरुष झुंड बनाकर प्रवेश किये थे | जिनके साथ में कोई महिला नही थी | और पुरुष झुंड में प्रवेश करने वाले मनुवादि पुरुष पुरुष मिलकर अप्राकृतिक संभोग के जरिये कोई परिवार तो नही बसा सकते हैं | क्योंकि विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट में ये बात साबित हो चुका है कि उनके परिवार में मौजुद महिला का डीएनए इस देश के मुलनिवासियो से मिलता है | मनुवादि के परिवार में मौजुद सिर्फ पुरुषो का डीएनए विदेशियो से मिलता है | अथवा मनुवादियो का परिवारिक जिवन की सुरुवात इस देश में प्रवेश करने के बाद हुई है | जिससे पहले न तो उन्हे परिवार समाज और गणतंत्र के बारे में पता था , और न ही कृषी के बारे में पता था | हलांकि मनुवादि पुरुष ब्रह्मा के मुँह छाती जाँघ वगैरा से अप्राकृतिक रुप से पैदा लिए हैं ऐसी बाते अपने मनुस्मृति में बतलाये हैं | बल्कि मनुस्मृति में भी भले पुरुष ब्रह्मा के मुँह छाती जँघा वगैरा से पैदा होने की बाते मनुवादियो द्वारा रचना की गई है , पर फिर भी पुरुष ब्रह्मा से मनुवादियो का पैदा होते समय भी सरस्वती लक्ष्मी तुलसी और अन्य नारी की मौजुदगी उस समय भी थी यह भी बतलाई जाती है | जिन नारियो से मनुवादि जन्म ही नही लिये बल्कि पुरुष ब्रह्मा से जन्म लिये यह मनुस्मृति में बतलाया गया है | जिस मनुस्मृति को अंबेडकर ने जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना करके उसे लागू भी किया गया है | जिस अजाद भारत का संविधान से यह देश और इस देश की सरकार चलती है | और चूँकि यह देश कृषी प्रधान देश है , और यहाँ की बहुसंख्यक अबादी कृषि पर निर्भर है , साथ साथ यहाँ पर बारह माह मनाये जाने वाली प्राकृतिक पर्व त्योहार भी कृषि सभ्यता संस्कृती का ही अटूट अंग है | इसलिए इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति को मिटाने वाले बाहर से आए कबिलई खुद मिट जायेंगे पर यहाँ की कृषि सभ्यता संस्कृति नही मिटेगी | मानो कबिलई मनुवादियो के द्वारा खोदा गया गढा मनुवादियो की असल पहचान का कब्र बन जायेगी | क्योंकि मनुवादियो को यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि उनके दिमाक में दरसल दुसरो के लिए गढा खोदते खोदते अपने ही पूर्वजो की मूल कबिलई विरासत को धिरे धिरे पुरी तरह से मिटाने की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है | क्योंकि जहाँ से मनुवादियो के पूर्वज आए थे उसके बारे में मानो कोई भी जानकारी मनुवादियो के पास मौजुद नही है | या तो फिर वे अब उस जानकारी को छोड़ो कल की बाते कल की बात पुरानी कहकर अपने पुर्वजो की मुल भूमि को सायद याद ही नही रखना चाहते हैं ! 

बुधवार, 17 जुलाई 2019

मनुवादि अपना किमती समय और मेहनत को मनुस्मृति सोच को सही साबित करने में बर्बाद कर रहे हैं



मनुवादि बेहत्तर शासक बनने की काबिल बनने की कोशिष करने के बजाय झुठी शान बरकरार रखने के लिए चुनाव घोटाला जैसे सिर्फ चिटिंग करने में ही अपना किमती समय और मेहनत को बर्बाद कर रहे हैं | 

इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनके लिए मनुवादियो द्वारा खोदा गया गढा मनुवादि के लिए कब्र साबित होगी | क्योंकि मनुवादि अपनी मनुस्मृती सोच से जितना ज्यादे इस देश के कृषि सभ्यता संस्कृति और इस देश के मुलनिवासियो को मिटाने की कोशिष करेंगे उतना ही मनुवादियो के द्वारा खोदा गया गढा उनके खुदके लिए कब्र बनते जायेगी | दरसल मनुवादि असल में कभी मूल रुप से सुधरना ही नही चाहते हैं | जिसके चलते अच्छा शासन चलाने के लिए मनुवादि कभी काबिल होने की कोशिष ही नही कर रहे हैं | सिर्फ चिटिंग करने में ही अपना किमती समय और मेहनत को बर्बाद कर रहे हैं | जिसके चलते मनुवादि सरकार को प्रजा और देश सेवा करने का बेहत्तर मौका बार बार मिलने के बावजूद भी हर बार सत्ता सम्हालते ही मानो वही भारी बजट की फ्लॉप फिल्म रुप की रानी चोरो  का राजा नई कॉपी के साथ चल रही होती है | जैसे की कांग्रेस का आधुनिक भारत का नया कॉपी भाजपा का शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया नारा देकर वही गरिबी भुखमरी शोषन अत्याचार नजारा चारो तरफ मौजुद  है | जिस बात पर जिसको भी यकिन न आए उसे धारावी जैसे विश्व प्रसिद्ध झुगी झोपड़ियो या फिर किसी दुर दराज गांव जहाँ पर सड़क बिजली पहुँची ही नही है , बल्कि विश्व प्रसिद्ध दस से भी अधिक बड़ी नदियो का इस प्राकृत समृद्ध कृषि प्रधान देश में भी पिने  का पानी तक के लिए भी तरसना पड़ रहा है , वैसी जगह में ले जाकर सारी अमिरी सुख सुविधाओ में पाबंदी लगाकर किसी संघर्ष कर रहे नागरिक के घर में मानो मेहमान बनाकर कम से कम एक सप्ताह छोड़ दो | एक सप्ताह तक यदि वह अभावग्रस्त बदहाली अवस्था से संघर्ष करते हुए जिन्दा रहा तो निश्चित तौर पर अमिरी सुख सुविधाओ को भोगते हुए आधुनिक भारत डीजिटल इंडिया बड़बड़ाने वालो को वह खुद भी गाली देगा | जिन बड़बड़ाने वालो का सुख सुविधाओ से युक्त जिवन को गरिब बीपीएल तो गरिबी भुखमरी जिवन जिते हुए वर्तमान के समय में कभी भोग नही सकते पर कम से कम मनुवादि सरकार इतनी काबिल बनने की कोशिष तो करती की प्रजा को गरिबी भुखमरी दलदल से बाहर निकालती ! जो काबलियत मनुवादियो के पास कभी आयेगी ही नही | क्योंकि इसके लिए मनुवादियो को सबसे पहले अपनी मनुस्मृति सोच की कमजोरी और गुनाह को स्वीकारना होगा ! जो हिम्मत वे मूल रुप से कभी कर नही सकते | क्योंकि ऐसा करने से उनकी झुठी शान जो चली जायेगी ! जैसे की कई देशो के अजाद होने पर गोरो की झुठी शान चली गई थी | पर मेरे विचार से समझदार गोरे आज अपने किए कुकर्मो की माफी मांगकर अंदर से बहुत बड़ा बोझ कम होते महसुश करते होंगे | और साथ साथ कहीं न कहीं इंसानियत के नाते माफी मांगने पर खुदको गर्व भी महसूश करते होंगे | जिस तरह का गर्व मनुवादि भी करेंगे यदि वाकई में वे भी कभी झुठी शान को मल मुत्र की तरह त्यागकर सुधरने लगेंगे ! चंद मनुवादियो के सुधरने से मनुवादि सरकार की सोच में सुधार नही होनेवाला है | क्योंकि मेरे ख्याल से जबतक मनुस्मृती को अपना आदर्श मानकर भेदभाव करना और चिटिंग करना  ज्यादेतर मनुवादि नही छोड़ेंगे तबतक मनुवादि कभी सुधर ही नही सकते ! जिनकी मनुस्मृती सोच की वजह से इस देश के ज्यादेतर मुलनिवासि लंबे समय से कितने ज्यादे शोषन अत्याचार किये जा रहे हैं , और इससे उनकी जिवन में क्या कुछ हानि हो रही है , इसके बारे में किसी मनुवादि को बिना किसी के जाने शोषित पिड़ित बतलाकर उन मंदिरो में प्रवेश कराओ जहाँ पर शुद्रो का प्रवेश मना है बोर्ड लगा हुआ है | जिसके बावजुद भी मनुवादियो को कोई फर्क न पड़े तो उन्हे कम से कम एक सप्ताह के लिए सर में दुसरो का मैला ढोने को कहो ! सिर्फ शोषित पिड़ित परिवारो के यहाँ जाकर खाना खाने या फिर दिखावे के लिए अपना खुदकी मल मुत्र साफ करने से मनुस्मृती सोच की भ्रष्ट बुद्धी में सुधार नही होने वाला है | हलांकि मनुवादियो का अबतक न सुधरने का बहुत बड़ा ऐतिहासिक कारन भी यह है कि मनुवादियो के पुर्वज जहाँ से भी इस देश में प्रवेश किये थे , वहाँ पर अब मनुवादियो की नई पिड़ी कभी नही जाना चाहेगा | और वैसे भी अब मनुवादियो के द्वारा अपने मूल स्थान को छोड़कर भटकते हुए इस देश में प्रवेश किये इतना ज्यादे समय हो चूका है कि मनुवादियो को उनके पूर्वजो की मूल स्थान पर अब वहाँ के उनके अपने डीएनए के लोग भी एक ही डीएनए और एक ही पूर्वजो के वंसज होते हुए भी मुल रुप से कभी स्वीकार ही नही करेंगे | क्योंकि गोरो को तो उनके मूल स्थान में आसानी से इसलिए भी स्वीकार किया गया था , क्योंकि वे अपना और अपने परिवारिक पेट की जुगाड़ में समृद्ध देशो को गुलाम करने की लुट यात्रा में निकले थे , और कई देशो को गुलाम करके लुटपाट करके धन भी भेजते रहते थे | बल्कि समय समय पर लुट का माल पहुँचाने के बहाने मिल भी आते होंगे | इसलिए बाद में घर वापसी करते हुए वापस अपने डीएनए के ही परिवार के पास लौट भी गए | पर मनुवादि तो बिना परिवार के ही कबिलई पुरुष झुंड बनाकर पशु लुटपाट चोरी करते हुए इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश किये थे | जिसके बारे में जानकारी ऋग्वेद में भी मौजुद है | हलांकि इस देश में प्रवेश करने के बाद छल कपट और घर के भेदियो की सहायता से मनुवादि शासन स्थापित होने के बाद वेद पुराणो में मनुवादियो द्वारा चिटिंग करके खुदके लाभ के अनुसार भारी छेड़छाड़ और मिलावट किया गया है | जैसे कि गोरे इस देश में छल कपट और फूट डालो और राज करो की नीति से सत्ता स्थापित करने के बाद इस देश की सभ्यता संस्कृती और इतिहास के साथ भारी छेड़छाड़ और मिलावट करने की कोशिष किए हैं | जिस तरह की कोशिष मनुवादि भी हजारो सालो से करते आ रहे हैं | पर चूँकि यह विशाल सागर देश और इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , उनके रगो में वही एक डीएनए दौड़ रहा है जो गोरो के भी भ्रष्ट बुद्धी को इंसानियत का पाठ पढ़ाकर किसी के साथ शोषन अत्याचार न करने का बुद्धी दिया और मनुवादियो को भी हजारो सालो से छुवा छुत छोड़ने की बुद्धी विभिन्न माध्यमो से अबतक बांट रहा है | जिस बुद्धी बांटने वाले इस देश को यू ही विश्वगुरु नही कहा गया है | जाहिर है मनुस्मृति सोच की बुद्धी यहाँ की कृषि सभ्यता संस्कृती और प्राचिन इतिहास को चाहे जितना मिटाने या फिर छेड़छाड़ करने की कोशिष करे पर जिस तरह किसी सागर को पुरी दुनियाँ के नदि नाले कभी नही मिटा सकते , बल्कि खुद ही विशाल सागर में समाकर मिट जाते हैं , उसी तरह मनुवादि भी खुद ही इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति में समाते हुए धिरे धिरे खुदको या खुदकी कबिलई मनुवादि सोच को ही ही मिटा रहे हैं | जिस प्रक्रिया में भले हजारो साल का समय लग रहा हो पर सच्चाई यही है कि मनुवादि जितना ज्यादे इस देश के कृषि सभ्यता संस्कृति और इस देश के मुलनिवासियो को मिटाने की कोशिष करेंगे उतना ही मनुवादियो के द्वारा खोदा गया गढा उनके खुदके लिए कब्र बनते जायेगी | क्योंकि मनुवादियो को हमेशा यह बात याद रखनी चाहिए कि उनके वंशवृक्ष को बड़ा करने वाली नारी के भी रगो में किस शोषित पिड़ित का डीएनए दौड़ रहा है | और मनुवादि जिसे निच और शुद्र जाति घोषित जिसे किए हैं , जो चाहे जिस धर्म को अपनाकर संघर्ष कर रहा हो , उससे कथित उच्च जातियो के घरो में मौजूद शोषित पिड़ित डीएनए का ही नारी द्वारा किसी शोषित पिड़ित पुरुष से रिस्ता जोड़ने की प्रक्रिया में बड़ौतरी क्यों हो रही है | जो दरसल अपने ही डीएनए के घर वापसी हो रही है | क्योंकि कथित उच्च जाति के मनुवादि भले खुदको हिन्दु कहने में गर्व करके और वेद पुराणो से खुदको जोड़कर सुबह शाम भारत माता भारत माता रटा मार रहे हो , पर रटा मारते समय उसे यह बात कभी नही भुलनी चाहिए कि उस भारत माता के रगो में किसका डीएनए दौड़ रहा है ! उसी भारत माता का डीएनए दौड़ रहा है जो कि शोषित पिड़ित मुलनिवासियो के घरो में भी मौजुद है | जिसका डीएनए इस देश के मुलनिवासियो से मिलता है न कि मनुस्मृति रचना करने वाले मनुवादियो से मिलता है | जो बात एक विश्व स्तरीय डीएनए प्रयोग से साबित भी हो चूका है | जिसके बारे में 21 मई 2001 को The Times of india अंग्रेजी अखबार में खबर छपी थी | जिसे देश की राष्ट्रीय भाषा हिन्दी और किसी भी राज्य की क्षेत्रीय भाषा में इसलिए नही छापी गई थी , ताकि इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियो से इस बहुत बड़ी जानकारी को छुपाया जा सके | पर चूँकि सिर्फ मनुवादि ही अंग्रेजी नही जानते हैं , बल्कि इस देश के मुलनिवासियो ने तो मनुवादियो से भी ज्यादे उच्च डिग्री अंग्रेजी में भी हासिल कीए हुए हैं | और इस देश का अजाद भारत का संविधान तक अंबेडकर द्वारा अंग्रेजी में ही लिखा गया है | इसलिए जाहिर है मनुवादि मीडिया द्वारा सच्चाई को छुपाने का बहुत प्रयाश करने के बावजुद भी यह जानकारी मुलनिवासियो को मिलना स्वभाविक है | हलांकि अब भी ज्यादेतर मुलनिवासी इस बात से अनजान ही हैं कि मनुवादियो का डीएनए विदेशियो से मिलता है | और मनुवादियो के परिवार में मौजुद नारी का डीएनए शोषित पिड़ित इस देश के मुलनिवासियो के घरो में मौजुद नारी से ही मिलता है | जिस अनजाने में ही उच्च जाती की नारी और निच जाती का पुरुष शब्द बार बार सुनने को अक्सर मिलते रहता है | जो स्वभाविक है क्योंकि जिस तरह कोई गोरे अंग्रेजो से रिस्ता जोड़कर उसके औलाद गोरे कहलायेंगे कि काले इस तरह की चर्चा होने लगेगी , उसी तरह ही कथित उच्च जातियो से रिस्ता जोड़कर उसके औलाद निच हैं कि उच्च यह विवाद अक्सर होता रहता है | खासकर मनुवादियो और मनुस्मृति के बारे में जानकर भी उच्च जाति कहलाने वाली झुठी शान के भुखे लोगो को उच्च सुनने में अच्छा भी लगता होगा इसलिए इस देश के मुलनिवासियो जिनके साथ मनुवादियो ने खुद ही हजारो सालो से छुवा छुत शोषन अत्याचार जैसे सबसे बड़ी निच हरकत करने के बावजुद भी खुदको जन्म से उच्च होने का मानो आरक्षित घोषित किया हुआ है | हलांकि डीएनए प्रयोग से भी हजारो साल पहले यह जानकारी मौजुद कराई जा चूकि है कि मनुवादि के पुर्वज पुरुष झुंड में इस देश में प्रवेश किए थे न कि उनके साथ कोई उनके जैसा विदेशी मूल की नारी थी | जैसे कि तुलसी रामायण में ढोल , गंवार , शूद्र , पशु , नारी सकल ताड़न के अधिकारी लिखकर यह उदाहरन दिया जा चूका है कि विदेशी मुल का मनुवादि परिवार में मौजुद सिर्फ पुरुष विदेशी मुल के हैं | क्योंकि मनुवादि इस देश में पुरुष झुंड बनाकर प्रवेश किए थे | जिनके साथ कोई नारी नही थी | जिसके चलते उन्होने मनुस्मृति रचना करते समय भी खुदको नारी योनी से पैदा होने के बजाय पुरुष के अंगो से पैदा हुआ बतलाना और  ढोल , गंवार , शूद्र , पशु , नारी सकल ताड़न के अधिकारी लिखना जरुरी समझा |

सोमवार, 15 जुलाई 2019

मनुवादि यू ही झुठी शान के भुखे हजारो सालो से नही हैं

मनुवादि यू ही झुठी शान के भुखे हजारो सालो से नही हैं !
क्योंकि असल में उनमे काबलियत ही नही है कि वे कभी अच्छे शासक बन सके |
अक्सर चुनाव परिणाम के बाद भाजपा सरकार बनती है तो कांग्रेस सरकार जाती है , और कांग्रेस सरकार बनती है तो भाजपा सरकार जाती है | जिन दोनो पार्टी को एक ही मनुवादि सिक्के का अलग अलक दो पहलू माना जाता है | जिन दोनो पार्टियो की सरकार देश के सबसे अधिक राज्यो में भी मौजुद है | जिन दोनो पार्टियो को यदि सचमुच में इस देश के मुलनिवासियो द्वारा जो कि किसी भी धर्म में मौजुद हो सकते हैं , उनके द्वारा यदि भारी तादार में वोट करके जिताया जा रहा है , तो निश्चित तौर पर वे खुद तो अपनी बर्बादी का दलदल में डुब ही रहे हैं , और जो मुलनिवासी कांग्रेस भाजपा को वोट नही कर रहे हैं , उनको भी अपने साथ डुबो रहे हैं | हलांकि कांग्रेस भाजपा अदला बदली करके सरकार बनाने की चुनाव परिणामो के बारे में मेरा तो साफ तौर पर मानना है कि चूँकि ये दोनो पार्टि मनुवादियो की पार्टी है , जिसमे कथित उच्च जातियो का कब्जा है , जैसे की भाजपा में आरएसए की चलती है , जिसके अध्यक्ष बार बार उच्च जाति के चुने जाते हैं , और कांग्रेस जिसमे भी उच्च जाति के ही परिवार की चलती है | और साथ साथ लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भी कथित उच्च जातियो का ही कब्जा हैं | जिसके चलते भी कथित उच्च जाति के लोग अल्पसंख्यक होते हुए भी बहुसंख्यक मुलनिवासि जो किसी भी धर्म में हो सकते हैं , उनका शोषन अन्याय अत्याचार करके भी फर्जी तरिके से चुनाव जितकर राज कर रहे हैं | क्योंकि मनुवादि मिल जुलकर लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मिली ताकतो का गलत उपयोग करके अपनी शासन इस देश में किसी भी हालत में कायम रखना चाहते हैं | क्योंकि उन्हे अपनी झुठी शान को किसी भी हालत में बरकरार रखनी है | जिसके लिए उनके द्वारा चुनाव घोटाला हो रहा है इस बात पर पुरी तरह से विश्वास कभी भी न किया जा सके इसके लिए थोड़ी बहुत चुनाव परिणाम कांग्रेस भाजपा के विरोध में भी निकाले जा रहे हैं | बल्कि इस देश में यदि अजाद भारत का संविधान लागू न रहता तो मनुवादि शासन में चुनाव कभी होते ही नही ! क्योंकि मनुवादि मनुस्मृती को ही अपडेट करके और उसे लागू करके राजा बनकर शासन कर रहे होते | पर चूँकि गोरो की गुलामी से अजादी मिलने के बाद मनुस्मृती को जलाकर अंबेडकर ने अजाद भारत का संविधान रचना करके गणतंत्र देश घोषित किया गया है | जो की इस कृषि प्रधान देश का मूल शासन प्रणाली भी है | जिसके चलते इस देश में हजारो साल पहले भी ग्राम पंचायत और गणतंत्र मौजुद थी | जिस ग्राम पंचायत और गणतंत्र में मनुस्मृती विधि से शासन मुमकिन ही नही है | इसलिए मनुवादि चाहकर भी खुलकर ये नही कह सकते की उनकी मनुस्मृती विधि से ही इस देश का राजा चुने जाय | हलांकि वे चुनाव घोटाला करके चुना तो मनुस्मृती सोच से ही रहे हैं , पर डर के मारे ये झुठ बार बार दोहरा रहे हैं की इस देश में कानून और संविधान का राज है | जिस नियम कानून विधि से ही भारी बहुमत की सरकार प्रजा द्वारा चुनी जा रही है | क्योंकि उन्हे भी पता है कि अब वह गुलामी का दौर नही रहा कि मनुवादि अपने आदर्श नियम कानून मनुस्मृति लागू करके मनुस्मृती विधि से शासक बनकर इस देश के मुलनिवासियो का शोषन अन्याय अत्याचार जैसे अपराधिक घटनाओ को विधि पूर्वक अंजाम देते रहेंगे और इस देश के शोषित पिड़ित प्रजा समेत पुरी दुनियाँ हाथ में हाथ धरे चुप बैठेगी | बल्कि वह आंदोलन संघर्ष करके ऐसी शासक को उखाड़ फैकेगी | जो उखाड़ फैंकने के लिए आंदोलन संघर्ष कर भी रहे हैं | जिस डर की वजह से ही तो वर्तमान समय में मनुवादि तो क्या किसी भी देश का कोई भी शासक प्रजा को अब विधि पूर्वक गुलाम नही बना सकता | और न ही अब विधि पूर्वक किसी देश को उस तरह से गुलाम बनाया जा सकता है , जैसे कि गोरे नियम कानून बनाकर जज बनकर विधि पूर्वक कई देशो को लंबे समय तक गुलाम बनाये हुए थे | जो अब कई देश तो क्या किसी एक देश को भी विधि पूर्वक गुलाम नही बना सकते | जैसे की अब मनुवादि भी डर के मारे विधि पूर्वक कभी नही खुदको इस देश का राजा बना सकते | जिसके चलते ही तो उन्हे संविधान और नियम कानून के साथ छेड़छाड़ करके चुनाव घोटाला करना पड़ रहा है | जिसके लिए मनुवादियो को दिन रात न जाने कितने पापड़ बेलने पड़ रहे होंगे | बल्कि चुनाव घोटाला करके भी विरोध होने पर उन्हे बार बार कई झुठ बोलकर यह सफाई देना पड़  रहा है कि चुनाव संविधान और नियम कानून के दायरे में रहकर न्याय पूर्वक किया जा रहा है | पर चूँकि जिस तरह गोरे इस देश में न्यायालय बनाकर जज बनकर भी सबकुछ नियम कानून के दायरे में रहकर देश गुलाम बनाकर शोषन अत्याचार कर रहे थे , जिसके बारे में जागरुकता आते ही गुलाम प्रजा जज बनकर गुलाम करके नियम कानून सिखाने वाले गोरो के खिलाफ अजादी संघर्ष करके देश को अजाद कराया , उसी तरह मनुवादि भी जो भारी भेदभाव करके लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कब्जा करके शोषन अन्याय अत्याचार कर रहे हैं , उसके बारे में भी जागरुकता जैसे जैसे बड़ते जायेगी वैसे वैसे मनुवादियो के खिलाफ शोषित पिड़ित प्रजा एकजुट होकर खुदको मनुवादि शासन से भी अजाद करायेगी | जो अजादी जबतक नही मिलेगी तबतक मनुवादि शोषन अन्याय अत्याचार करके भी खुदको सबसे अधिक काबिल घोषित करके लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कब्जा जमाये रहेंगे | जैसे की जिस रामराज में शंभुक प्रजा को वेद ज्ञान लेने पर राजा राम ने उसकी हत्या करके और अपनी पत्नी को भी अग्नि परीक्षा लेकर गर्भवती अवस्था में भी जंगल भेजकर अन्याय अत्याचार करके भी रामराज को सबसे श्रेष्ट शासन बतलाया जाता आ रहा है , जिस रामराज में खुद राजा रानी ही इतने दुःखी हुए की एक जीते जी सरयू नदी में डूबा तो दुसरा जीते जी धरती में समा गई | जिस तरह का शासन को सबसे काबिल शासन बतलाया जाता है | पर जिसदिन भी मनुवादियो का शासन समाप्त होगी उसदिन से मनुवादियो का मनुस्मृति काबलियत के बारे में भंडाफोड़ प्रयोगिक रुप से पुरी दुनियाँ के सामने उजागर होने लगेगी | जिसे अभी मनुवादि शासन के चलते मानो बार बार एक झुठ को हजार बार सत्य बताकर ब्रेनवाश किया जा रहा है | लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में विधि पूर्वक फर्जी तरिके से भारी संख्या में उच्च जातियो का बहाल करके मनुवादियो को सबसे अधिक काबिल साबित किया जा रहा है | जिस काबलियत को मनुवादि शासन समाप्त होने के बाद हजार बार पुरी दुनियाँ के सामने फर्जी साबित करके मनुवादियो की मनुस्मृती काबलियत का प्रयोगिक भंडाफोड़ होगी | हलांकि समझदारो के लिए तो अब भी मनुवादियो की फर्जी काबलियत के बारे में अच्छी तरह से पता है कि मनुवादि इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी किस तरह की काबलियत की वजह से कब्जा जमाये हुए हैं | जिसके बारे में झांकी के तौर पर सिर्फ दो उदाहरन देना चाहुँगा कि क्या वाकई में मनुवादि सबसे अधिक काबिलियत की वजह से ही लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कब्जा जमाये हुए हैं ? एक मनुस्मृती सुझ बुझ बनाम अजाद भारत का संविधान रचना , और दुसरा एकलव्य और द्रोणाचार्य कथा | बल्कि कुबेर के द्वारा धन्ना कुबेर बनने की भी कथा |

रविवार, 14 जुलाई 2019

ढोंगी पाखंडियो के लिए वर्तमान का शासन रामराज कहा जाएगा कि दानवराज ?

ढोंगी पाखंडियो के लिए वर्तमान का शासन रामराज कहा जाएगा कि दानवराज ?

गोरो के शासन समाप्त होने के बाद रामराज चल रहा है कि दानवराज ये तो लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में जिनकी दबदबा कायम है , वही लोग बेहत्तर जानते होंगे | जो ये बतलायेंगे कि इतिहास में उनकी दबदबा का शासन रामराज कहलायेगा कि दानवराज | फिलहाल तो इस कृषि प्रधान देश सोने की चिड़ियाँ अमिरी में गरिबी पल रही है | जिसका सही मतलब क्या निकाला जाय कि मदर इंडिया अपने बच्चो के साथ भेदभाव करके एक को गरिबी भुखमरी देकर गोद में मरते हुए देख रही है , और दुसरे को अमिरी देकर लाड प्यार दे रही है | या फिर इसके बजाय यह कहना सही होगा की मदर इंडिया खुद उन ढोंगि पाखंडि अन्याय अत्याचारी लोगो के द्वारा गुलाम है , जो देश को गुलाम करके और गरिबी दाग लगाकर समृद्ध मदर इंडिया का भी शोषन अत्याचार कर रहे हैं | और ढोल ,गंवार ,शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़न के अधिकारी कहकर मदर इंडिया के साथ साथ उसके बच्चो का भी शोषन अत्याचार कर रहे हैं | जिस हालात के बारे में बेहत्तर जानकारी तो कोई पिड़ित माँ ही दे सकती है , जो कम से कम अपने बच्चो को एक साथ अमिरी और गरिबी का दुध न पिलाती हो , और गरिबी भुखमरी के हालत में अपने भुखे बच्चो के साथ खुद भी भुखी रहती हो | बल्कि ऐसी माँ भी होती है जो गरिबी भुखमरी के हालत में खुद आधी पेट खाकर भी अपने भुखे बच्चो का पेट भरती है | दुनियाँ में सायद ही ऐसी माँ मिलते हो जो एक को अमिरी दुध और दुसरे को गरिबी दुध पिलाकर भारी भेदभाव करके बड़ा कर रही होती है | ऐसा भेदभाव तो गुलामी अवस्था में ही होती है , जब गुलाम होने वाले शोषन अत्याचार किए जाते हैं | और गुलाम करने वाले सेवा के बजाय शोषन कर रहे होते हैं | जैसे की कुत्तो और इंडियनो का अंदर आना मना है गेट में बोर्ड लगाकर गोरे शोषन कर रहे थे | जिनके जाने के बाद अब फिर से मनुवादियो के द्वारा मंदिरो में शुद्रो का प्रवेश मना है बोर्ड लगाकर भेदभाव छुवा छुत शोषन अत्याचार दौर चल रहा है | जिसके चलते किसी इंसान का औसतन उम्र से भी ज्यादा समय इस देश को भले क्यों न गोरो से अजादी मिले हो गए हो , पर फिर भी सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस समृद्ध देश में अब भी करोड़ो नागरिक भारी भेदभाव का शिकार होने के साथ साथ  गरिबी भुखमरी जिवन जिने को मजबूर हैं | बल्कि कई तो आत्महत्या तक करने को मजबूर हैं | जिस तरह के बुरे हालात में भी यह झुठ फैलाया जा रहा है कि सबके अच्छे दिन आ गए हैं , इसलिए गरिब बीपीएल शोषित पिड़ित जनता बार बार ऐसी आधुनिक डीजिटल सरकार को चुन रही है | जो अच्छे दिन वाकई में आते तो क्या वे खुशी से नाच गाकर आत्महत्या कर रहें हैं ? जैसे की सायद रामराज में सबके अच्छे दिन आ गए थे इसलिए खुशी से नाच गाकर राजा राम जिते जी सरयू नदी में डुबे थे , और रानी सीता खुशी से जिते जी रोते हुए धरती में समाई थी | जिसे ही सायद सबके अच्छे दिन आनेवाला रामराज कहते हैं | जिस तरह का शासन भुलकर भी किसी और देश में कभी न आए ! जिस तरह की शासन में शासक द्वारा इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले समृद्ध देश में भी अच्छे दिन लाना तो दूर करोड़ो नागरिको को गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जिवन से भी बाहर निकालने में रामराज को अपना आदर्श मानने वाली आधुनिक भारत , गरिबी हटाओ और शाईनिंग इंडिया , डीजिटल इंडिया की बाते करने वाली दोनो ही भारी बहुमत से चुनी जाने वाली मनुवादि सरकार नकाम रही है | जबकि एक दसक से भी अधिक समय तक शासन आधुनिक भारत गरिबी हटाओ और शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया की बाते करने वाली ये मनुवादि सरकार शासन कर चुकी है | बल्कि डीजिटल इंडिया सरकार तो अब भी शासन कर रही है | जिसे सायद अपने शासन के दौरान लग रहा हो कि सभी नागरिक बुलेट ट्रेन और स्मार्ट सिटी के लिए अब बिल्कुल तैयार हो गए हैं | जबकि सच्चाई यह है कि बुलेट ट्रेन और स्मार्ट सिटी तो दुर मनुवादि सरकार करोड़ो नागरिको के रोजमरा जिवन में अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान सड़क बिजली जैसी मूल जरुरत भी पहुँच जाय ऐसी सेवा नही दे पा रही है | जो दे भी नही सकती क्योंकि मनुवादी सोच सेवा देने के बजाय सेवा लेने में ज्यादे विश्वास करती है | जैसे की इस कृषि प्रधान देश में जब मनुस्मृति लागू थी तो शोषन अत्याचार करने वाला मनुवादि शासक अपनी प्रजा को दास बनाकर सेवा लेते थे | बल्कि रामराज में तो राजा राम मैं तुम्हारा भगवान हूँ कहकर अपनी शंभुक प्रजा से आरती भी उतरवाता था | जिस रामराज को अपना आदर्श मानने वाले मनुवादी आज भी तो शंभुक के वंशजो से राम के नाम का माला दिन रात यह कहकर जपवाते रहते हैं कि राम ही सबका बेड़ा पार लगायेंगे | जिस राम का खुद ही अपने ही रामराज में कबका सरयू नदी में बेड़ा पार हो गया था | जो सायद न होता यदि अपनी पत्नी सीता की अग्नि परीक्षा लेकर गर्भवती अवस्था में जंगल न भेजता | बल्कि शंभुक और रावण बालि वगैरा की भी हत्या न करता | जो सब करने के बाद ही राम को इतने बड़े दुःखो का पहाड़ एक साथ टूट पड़ा कि उसे जीते जी सरयू नदी में डूबना पड़ा | राम के दुश्मन तो अपने दुश्मन से लड़ते हुए मरे थे , पर राम तो अपने दुश्मन से लड़ते समय भी अधमरा करके छोड़ दिए गए थे | जो अपने ही रामराज में अपनी रामलीला खुद ही समाप्त किये थे | जिसके बाद राम की काल्पनिक मुर्ती और फोटो जिसमे जो शक्ल सुरत राम की है , वैसा ही राम दिखते होंगे यह सिर्फ कल्पना है , उस काल्पनिक चेहरे के सामने दिन रात आरती उतारी जाती है | काल्पनिक तस्विर इसलिए क्योंकि तब न कोई तस्वीर खिचने और विडियो लेने वाली कैमरा थी , और न ही कोई मोबाईल टी०वी० कम्प्यूटर वगैरा इलेक्ट्रॉनिक्स सामान हुआ करती थी | हाँ बिना ऑक्सिजन और पंख के भी देवी देवता बल्कि असुर दानव भी अंतरिक्ष बल्कि स्वर्ग नर्क का भी दौरा आसानी से बिना कोई इलेक्ट्रॉनिक मशिन और साधन के जिवित रहकर भी करते थे ऐसी बाते आज भी मनुवादियो द्वारा अपने अँधभक्तो को ब्रेनवाश करके बतलाई जाती है | जैसे की मनुवादि ब्रेनवाश करके अपनी और अपने पुर्वजो का आरती भी दिन रात उतरवाकर राम नाम का माला जपवा रहे हैं | बल्कि राम के नाम से खुब सारा धन भी बटोर रहे हैं | जिसके बारे में जानना हो तो मनुवादि मीडिया जिसमे भक्ति चैनल भी खुब सारे चल रहे हैं , उसे कम से कम एक सप्ताह तक अपना किमती समय निकालकर देखकर इस बारे में मंथन करो कि मनुवादि जो दिखलाते सुनाते पढ़ाते और बड़बड़ाते भी हैं , उससे उनको कितनी आमदनी हो रही होगी और साथ साथ इस देश के मुलनिवासियो का धन कितना सारा हर रोज कम हो रहा होगा और सुबह शाम ब्रेनवाश होकर बुद्धी भी कितनी भ्रष्ट हो रही होगी ? मनुवादियो की बुद्धी तो वैसे भी हजारो सालो से अबतक भ्रष्ट ही है , जिसकी वजह से ही तो वे अबतक ढोंग पाखंड भेदभाव शोषन अत्याचार करना नही छोड़े हैं | 

गुरुवार, 11 जुलाई 2019

जिनकी फर्जी महानता को तो चुलूभर मूत में डूब मरना चाहिए

मेरे विचार से मुलनिवासियो के शासन के बजाय मनुवादियो के शासन में सुख शांती और समृद्धी तेजी से आयेगी इस बात पर विश्वास करना दरसल बहुत बड़ा अँधविश्वासी होना है |

 मनुस्मृती को भष्म करके अजाद भारत का संविधान रचना करने वाले अंबेडकर ने तो अपने विचार में यह तक कहा है कि अपने दुश्मन को नही पहचानने वाले लोग असल अज्ञानी होते हैं | और मेरे विचार से मनुवादियो से बड़ा दुश्मन इस देश के मुलनिवासियो के लिए फिलहाल कोई हो ही नही सकता | जिन मनुवादियो की दबदबा में भारी भेदभाव के जरिए लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो का गलत इस्तेमाल जिस तरह से हो रहा है , उसे अच्छी तरह से जान बुझकर भी मनुवादियो के पार्टी में शामिल होना या फिर उसे वोट देना मेरे विचार से बहुत बड़ा अँधविश्वासी और अज्ञानी होना ही है | जो बात सत्य साबित भी हो जायेगी जिसदिन मनुवादियो की सत्ता समाप्त होकर इस देश में मुलनिवासियो की सत्ता पुरी तरह से कायम हो जायेगी | फिलहाल मनुवादि शासन कायम रखने में कंधे से कंधा मिलाकर साथ देना कितना बड़ा अँधभक्ति और अज्ञानी होना है , इसकी सच्चाई हर रोज इस देश के मुलनिवासियो का चाहे वे जिस धर्म में मौजुद हैं उनका शोषन अत्याचार के रुप में इतिहास के पन्नो में दर्ज हो रहा है | जिन पन्नो में मनुवादियो का साथ देने वाले मुलनिवासी घर का भेदि साबित होंगे | जो अभी मनुवादियो के शासन का आरती उतारने में लगे हुए हैं |  यू ही मनुवादि इतने लंबे समय से शासन नही कर रहे हैं | जिन मनुवादियो की शासन समाप्त होने के बाद लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भी मनुवादियो की दबदबा समाप्त हो जायेगी |  क्योंकि मनुवादि शासन रहने तक ही मनुवादि लोकतंत्र के चारो स्तंभो में खुदको सबसे अधिक निपुन घोषित करके सबसे अधिक चुने जा रहे हैं  | जिनकी निपुनता मनुवादि शासन में इस देश को कितनी आगे ले गई है , ये तो मुलनिवासियो की सत्ता कायम होने के बाद ही पुरी तरह से उजागर होकर इतिहास में ठीक से दर्ज होगी | हलांकि वर्तमान में भी मनुवादियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम करके जिस तरह की देश और प्रजा सेवा करने की इतिहास दर्ज की जा रही है , उसे देखकर तो यही लगता है , बल्कि सच्चाई भी है कि मनुवादि शासन में सभी मंत्री और बड़े बड़े अधिकारी गरिबी और भुखमरी को दुर करने का सिर्फ वादा करते करते और किमती किमती सारी सरकारी सुख सुविधा  लेते हुए भरपेट खा खाकर हर रोज अनगिनत मुलनिवासियो को गरिबी भुखमरी से मरते देखते हुए एकदिन खुद भी मिट्टी में मिल जायेंगे पर जिते जी अपने शासनकाल में गरिबी भुखमरी कभी दुर नही कर पायेंगे | क्योंकि मिट्टी में मिलना तो एकदिन सबको है चाहे क्यों न वह पुरी दुनियाँ का धन इकठा किये हुए अनगिनत लोगो को गरिबी भुखमरी से मरते हुए  देखकर अमिरी का जस्न हर रोज मना रहा हो | जैसे की मनुवादी सरकार आधुनिक साईनिंग और डीजिटल जस्न देश विदेश में मनाकर खुब सारा धन भले खर्च कर रही हो , पर उसे भी एकदिन गोरो की सरकार की तरह निश्चित जाना है | हाँ मनुवादि शासन जबतक नही जायेगी तबतक गोरो की तरह बल्कि गोरो से भी ज्यादे पीड़ा इस देश के मुलनिवासियो को तब भी देती रहेगी जबकि इस देश में किसी पिड़ित द्वारा अजाद भारत का संविधान रचना करके उसे लागू भी किया गया है | जिस अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागू करने की जिम्मेवारी मानो भष्म मनुस्मृती का भूत को मिली हुई है | क्योंकि अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागू करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को मिली हुई है वहाँ पर भी मनुवादियो का ही दबदबा कायम है | जिसके चलते भी तो इस देश में अजाद भारत का संविधान लागू होते हुए भी अँधेरा कायम है | जाहिर है मनुवादि सरकार की सेवा से इस देश में मुठीभर लोग विश्व के सबसे अमिर लोगो की लिस्ट में कैसे आ गए हैं , और कौन लोग आए हैं , इसका जवाब समझदारो को अबतक आसानी से मिल गई होगी | क्योंकि पुरी दुनियाँ जानती है कि यह सोने की चिड़ियाँ जड़ से गरिब देश नही है , बल्कि इसे हजारो सालो से लुट लुटकर गरिब बनाया गया है | खासकर उन लोगो के द्वारा जिनके पूर्वजो को इस देश के जैसा अमिर बनना मानो सपना लगता था | जिस सपना को वे इस देश में प्रवेश करके इस देश की अमिरी से पुरा किये हैं | पर अमिर बनने के बाद मानो वे अपनी भुखड़ घुमकड़ गरिबी इस देश को दे दिये हैं | जिसके कारन यह देश आज सोने की चिड़ियाँ होते हुए भी गरिब देश कहलाता है | जिस देश में गोरो का शासन समाप्त होने के बाद कई कई बार चुनाकर सत्ता सुख भोग रही मनुवादियो की कांग्रेस और भाजपा पार्टी सबसे अधिक धन खर्च करने वाली पार्टी के रुप में इतिहास दर्ज कर चुकि है | जिन दोनो पार्टी के सबसे अमिर बनने और धन्ना कुबेर बनने से इस देश में गरिबी भुखमरी कभी भी समाप्त नही होनेवाली है | जबतक कि मनुवादि सोच से चलनेवाली भाजपा कांग्रेस शासन  इस देश में समाप्त नही हो जाती | जिस मनुवादी सोच की शासन में विकाश के नाम से इस देश की सरकार को अदला बदली करके चाहे जितनी बार मौका दिया जाय , गरिबी भुखमरी कायम रहेगी | कांग्रेस भाजपा को बार बार मौका मिलने के बावजुद भी गरिबी भुखमरी कभी नही समाप्त होगी | बल्कि मनुवादि और अधिक अमिर होते चले जायेंगे और इस देश के मुलनिवासि चाहे वे जिस धर्म से जुड़े हुए हो , उनकी ही हालत सबसे अधिक गरिबी भुखमरी की दलदल में फँसती चली जायेगी जबतक की इस देश में मुलनिवासियो की शासन स्थापित नही होगी | जिसे मनुवादि किसी भी हालत में स्थापित नही होने देने वाले हैं , जैसे की गोरे न्यायालय में जज बनकर भी न्याय के रुप में अजादी देना कभी नही चाह रहे थे | जो गुलाम करने वाले गोरो को सजा देने के बजाय अजादी के लिए संघर्ष करने वालो को सजा सुना रहे थे | मनुवादी भी न्यायालय में सबसे अधिक जज और जज प्रमुख भी बनकर शोषन अत्याचार करने वालो को सजा देने के बजाय मनुवादि सरकार हमेशा कायम रहे इसके लिए जमकर न्यायालय का उपयोग हो रहा है | जिसका यदि सही उपयोग होता तो आज मनुवादी सत्ता चुनाव घोटाला करके गलत तरिके से चुने जाने के बाद सभी चुनाव घोटाला करने वाले सुधार घर में होते ! जो अब इतिहास में फर्जी तरिके से खुदको महान सेवक घोषित करने में लगे हुए होंगे | जिनकी फर्जी महानता को तो चुलूभर मूत में डूब मरना चाहिए !

मांसिक बिमारी भी अनुवांसिक हो सकती है

मांसिक बिमारी भी अनुवांसिक हो सकती है इसका ऐतिहासिक प्रमाण मनुवादियो की छुवा छुत करने की बिमारी ने साबित कर दिया है

जिस छुवा छुत बिमारी को छुड़वाने के लिए हजारो सालो से मानो किसी खतरनाक ड्रक्स नशा छुड़वाने की तरह मनुवादियो का मांसिक इलाज चल रहा है | छुवा छुत करने वाले मनुवादियो को इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियो ने हजारो सालो से अपने सर पर गू तक ढोना स्वीकार करके मानो किसी गंभिर से भी गंभिर बिमारी से ग्रसित मरिज की सेवा करके उसके ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं | अपने सर में गू तक ढोकर  इस देश के मुलनिवासियो ने छुवा छुत करने वाले मनुवादियो के सर में देश का ताज भी पहनाकर छुवा छुत को छोड़ने का अवसर दिया है | लेकिन भी मनुवादि अवसर का सही लाभ आजतक नही उठा पाये हैं | जितना अवसर गोरो को भी नही मिला था |  इस सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने वाला सागर जैसा विशाल कृषि प्रधान देश में लंबे समय तक  शासन करके भी मनुवादि आजतक छुवा छुवा छुत मांसिकता से ग्रसित हैं | क्योंकि किसी ड्रक्स से भी खतरनाक नशा छुवा छुत बिमारी का इलाज अबतक नही निकल पाई हैं | जिस बिमारी से ग्रसित होने की वजह से आज भी मनुवादियो को जब भी मौका मिलता है तो वे उच्च से उच्च पदो में भी बैठकर भेदभाव शोषन अत्याचार करना नही छोड़ पाते हैं | जिसे प्रकृति द्वारा जन्म से ही मिली छुवा छुत की अनुवांसिक मांसिक बिमारी कहा जा सकता है | जो प्राकृतिक तौर पर पिड़ि दर पिड़ी बहुत लंबे समय तक कायम रहती है | जिसकी वजह से ऐसे अनुवांसिक छुवा छुत करने की बिमारी से ग्रसित बच्चो का जन्म होना मनुवादियो के घरो में हजारो सालो बाद भी अबतक नही रुका है | जन्म से ही उच्च जाति होने की गंदी मांसिकता मनुवादियो के दिमाक में जबतक रहेगी तबतक मनुवादियो के परिवार में सायद ही कोई बच्चा जन्म लेगा जिसे छुवा छुत करने की अनुवांसिक बिमारी होने की कोई संभावना ही नही होगी | मांसिक बिमारी भी अनुवांसिक हो सकती है इसका ऐतिहासिक प्रमाण मनुवादियो की छुवा छुत करने की बिमारी ने साबित कर दिया है | जो मांसिक बिमारी हजारो साल बाद भी आजतक ठीक नही हुआ है | मनुवादियो के द्वारा सिर्फ भेदभाव शोषन अत्याचार करने की इतिहास पिड़ि दर पिड़ी अपडेट होती चली जा रही है  | जो दरसल मनुवादियो की अनुवांसिक छुवा छुत की बिमारी पिड़ी दर पिड़ी सिर्फ ट्रांसफर हो रही है | जिस छुवा छुत बिमारी का इतिहास को प्रयोगिक तौर पर अपडेट करने वाले मनुवादी सोच ही हैं | 
जिस गंदी सोच को समाप्त करने के लिए आजतक कोई पोलियो टीका जैसी कोई ऐसी खोज नही हो पाई है की छुवा छुत करने की अनुवांसिक बिमारी को समाप्त करने का टिकाकरन अभियान चलाया जा सके | जिसके चलते मनुवादियो के शासन में आज भी छुवा छुत शोषन अत्याचार अपडेट होना जारी है  | जिन मनुवादियो की भेदभाव शासन की वजह से ही इस देश के करोड़ो मुलनिवासी चाहे वे जिस धर्म से जुड़े हुए हो , ज्यादेतर गरिब बीपीएल और बेघर जिवन जिने को मजबूर हैं | जो स्वभाविक है , क्योंकि  मनुस्मृति में शोषन अत्याचार करने की विधि जिस तरह से रची गई है , उसके अनुसार कथित उच्च जातियो को ही जन्म से धनवान होने का खास अधिकार प्राप्त है | और साथ साथ कथित उच्च जातियो द्वारा अपनी प्रजा को दास बनाकर और छुवा छुत विधि का पालन करके अपनी खास सेवा कराने के लिए विधिमंडल में शोषन करने वाला शासक बने रहना है | जिसे मनुवादि अपना जन्मसिद्ध अधिकार भी मानते हैं | जैसे कि वे जन्म से उच्च जाति कहलाते हैं | और चूँकि मनुवादि अबतक मनुस्मृति को पुरी तरह से नही त्याग पाये हैं , इसलिए मनुस्मृती भष्म होकर भी उसका भुत मनुवादियो के भितर समाया हुआ है | जिसके चलते मनुवादियो के शासन में कथित उच्च जातियो द्वारा सबसे अधिक धनवान बने रहना , और इस देश के मुलनिवासियो के घरो में गरिबी भुखमरी कायम रहना स्वभाविक है | नही तो फिर इतिहास गवाह है कि इस देश के मुलनिवासियो के पुर्वज हजारो साल पहले भी सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती जैसी विकसित गणतंत्र और ग्राम में रहा करते थे | और अपनी हजारो हुनर जिसे मनुवादियो ने हजारो जाति के रुप में बांटा है , उस हुनर के जरिये इस कृषि प्रधान देश की गणतंत्र व्यवस्था में सुख शांती और समृद्धी कायम थी | जिस  समृद्धी से न जाने कितने देशो के विकसित सभ्यताएँ और अनगिनत कबिलई लुटेरो की टोलियाँ भी आर्कषित हुआ करते थे | बल्कि आज भी यदि इस देश में थोड़ी बहुत आर्कषन है तो उन्ही हजारो हुनरो द्वारा विकसित की गई कृषि सभ्यता संस्कृति और देश की प्राकृति समृद्धी की वजह से है | न कि मनुवादियो की छुवा छुत हुनरो की वजह से विदेशी पर्यटन आर्कषित होते हैं |  हलांकि आर्कषित होने वाले पर्यटन के साथ साथ  चूँकि कुछ कबिलई लुटेरे भी रुप बदलकर ढोंगी पाखंटी और ठग वगैरा बनकर किसी गंदे नाले की तरह इस विशाल सागर देश में समाते रहे हैं |  क्योंकि इतिहास गवाह है कि हजारो सालो से यह कृषि प्रधान देश बहुत से कबिलई लुटेरो को मानो किसी सागर कि तरह निगलते आ रहा है | लेकिन भी इस देश की स्थिर कृषि सभ्यता संस्कृती अबतक कायम है | वैसे कबिलई लुटेरो की लुटपाट भी विभिन्न अपडेट के बाद आज भी पुरी दुनियाँ में कायम है | यू ही इस प्राकृति समृद्ध देश के साथ साथ अन्य भी कई प्राकृति समृद्ध देशो में गरिबी भुखमरी पिड़ि दर पिड़ी अबतक समाप्त होने का नाम नही ले रहा है | क्योंकि ऐसे प्राकृति समृद्ध देश कबिलई लुटेरो की नजर में हजारो सालो से किसी लॉट्री से कम नही है | जिसकी वजह से दुनियाँ की तमाम प्राचिन कृषि सभ्यता संस्कृति कबिलई लुटेरो की वजह से ही बर्बाद होती रही है | जैसे की इस देश की प्राचिन सिंधु घाटी सभ्यता की बर्बादी भी कबिलई लुटेरो द्वारा ही हुआ होगा | जिसके बारे में सिंधु घाटी की खुदाई में मिली एक योग मुदरा में बैठे योगी को शिकारी जानवर का हमला होते मूर्ति बनाकर बतलाया गया है | जिसे देखकर साफ पता चलता है कि इस देश और इस देश के मुलनिवासियो की सुख शांती और समृद्धी तप योग को कबिलई लुटेरो ने भंग किया है | जिन कबिलई लुटेरो ने ही इस देश और इस देश के मुलनिवासियो को गरिबी भुखमरी का संक्रमण दिया है | जाहिर है इस कृषि प्रधान देश को बाहर से ज्यादेतर बर्बादी ही मिली है | जैसे की बाहर से आए मनुवादियो ने इस देश और इस देश के मुलनिवासियो को सबसे अधिक बर्बाद किया है | जो मनुवादि इस देश में प्रवेश करने से पहले दरसल कृषि सभ्यता संस्कृति सुख शांती और समृद्धी के बारे में कुछ जानते ही नही थे | जिन्होने ही इस देश में प्रवेश करके छुवा छुत करना सुरु किया | या क्या पता यहाँ पर प्रवेश से पहले भी कहीं और भी छुवा छुत मुँह मारकर आ रहे होंगे | हलांकि यहाँ पर प्रवेश करने से पहले उनकी जिस तरह की भुखड़ घुमकड़ हालत रही होगी वैसी हालत में वे छुवा छुत शासन चलाना तो दुर कपड़ा पहनना भी नही जानते होंगे | पर चूँकि जो इंसान शिकारी और लुटेरी परजिवी मांसिकता से कभी बाहर नही निकल पाया है , दरसल वैसा इंसान ही सबसे अधिक अन्याय अत्याचारी बना रहता है | जिसके भितर ही शोषन अत्याचार करने की कबिलई लुटेरी हुनर सबसे अधिक भरी हुई होती है | क्योंकि रोजमरा जिवन में वह मूल रुप से समाजिक प्राणी के बजाय उस परजिवी प्राणी का गुण को ही अपना आदर्श मानकर पलता है , जो ज्यादेतर दुसरो का खुन चुसना सिखाता है | जैसे की परजिवी मच्छड़ खटमल और जू दुसरे का खुन चुसकर पल रहे होते हैं | जाहिर है इस कृषि प्रधान देश में कृषि सभ्यता सुख शांती और समृद्धी कायम फिर से कैसे होगी इस बारे में जानकारी अपना हक अधिकारो को चुसवाने वाले इस देश के मुलनिवासियो से बेहत्तर हक अधिकार को चुसने वाले परजिवी सोच के प्राणी कभी जान ही नही सकते | सिवाय इसके कि उन्हे इस बात की जानकारी ज्यादे है कि दुसरो की हक अधिकारो को चुसकर शोषन अत्याचार कैसे किया जा सकता है ? जिस शोषण अत्याचार करने की हुनर में सबसे बड़ी उदाहरन मनुस्मृती मास्टर डिग्री है | जिस डिग्री को अपना आदर्श मानने वाले गरिब बीपीएल की सेवा करने की जिम्मेवारी ठीक से कभी निभा ही नही सकते |

मंगलवार, 9 जुलाई 2019

कांग्रेस भाजपा दोनो ही पार्टी !

कांग्रेस भाजपा दोनो ही पार्टी !
सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस कृषि प्रधान देश को 1947 ई० में गोरो से अजादी मिलने के बाद नेहरु को देश का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया था | जिसके बाद आधुनिक भारत गरिबी हटाओ का नारा देकर कांग्रेस सरकार साठ सालो से भी अधिक समय तक शासन की | जिसके बाद कांग्रेस का ही अपडेट भाजपा पार्टी शाईनिंग इंडिया , डीजिटल इंडिया का नारा देकर एक दशक से भी अधिक समय तक शासन कर चुकी है | बल्कि अब भी शासन कर रही है | जिन दोनो ही पार्टियो का देश के सबसे अधिक राज्यो में भी शासन है | पर दोनो ही पार्टी अपने शासन के दौरान ऐसा कोई कार्य अबतक करके नही दिखला सकी है , जिससे की इस देश की गरिबी भुखमरी मिट सके | फिर भी मीडिया के सामने भाषन अश्वाशन बड़बड़ाते समय दोनो ही पार्टियो को सायद यही लगता होगा कि मानो उनके शासनकाल में सभी नागरिक गरिब बीपीएल कार्ड से कंकड़ पत्थर मिला अन्नाज खाना छोड़कर अब हर रोज बासमती खाना सुरु कर दिए हैं | मानो आधुनिक शाईनिंग डीजिटल इंडिया की मनुवादि सरकार आने के बाद गरिबी भुखमरी सचमुच में हटाई जा चूकि है | और सभी के पास प्रधान सेवको की तरह ही सरकारी गाड़ी बंगला जैसी डीजिटल सुख सुविधा और महंगी महंगी सुट बुट उपलब्ध हो गई हैं | तभी तो दुनियाँ के नजर में अपनी झुठी शान दिखाने के लिए झुगी झोपड़ी और फुटपाथो में अपना जिवन बसर कर रही जनता की गरिबी भुखमरी को अपने प्रचार बैनरो और अन्य माध्यम से छिपाने की बार बार कोशिष होती रहती है | बल्कि गरिबी हटाओ भाषन अश्वाशन देकर गरिबो का घर उजाड़कर गरिबो को ही हटाने की खतरनाक प्रक्रिया  चल रही है | जिसके चलते हर रोज अनगिनत मौते गरिबी भुखमरी से लगातार हो रही है | जिसे नजरअंदाज करके सिर्फ भाषन अश्वासन दिया जा रहा है | गरिबी भुखमरी हटाने की दिखावटी योजनायें चल रही है | मानो बिड़ी सिगरेट का उद्योग लगाकर  सिर्फ दिखावे के लिए एक दो कैंसर का अस्पताल खोला जा रहा है | क्योंकि असल में इस प्राकृति समृद्ध कृषि प्रधान देश की धन संपदा और जनता के पैसो से देश के प्रधान सेवक , उनके मंत्रियो और उच्च अधिकारियो वगैरा सेवको के लिए मानो मजदुरी के रुप में हजारो लाखो की अमिरी तनख्वा समेत गाड़ी बंगला और अन्य भी कई सरकारी सुख सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है , पर उसी देश की धन संपदा से करोड़ो जनता मालिको के लिए सेवा के नाम से रोजमरा जिवन की मुलभुत जरुरी चीजे जैसे अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान वगैरा भी जरुरत के मुताबिक सरकार द्वारा उपलब्ध नही कराई जा रही है | भले वर्तमान के प्रधान सेवक शपथ लेने के बाद दिनभर में एक दर्जन नये कपड़े बदल रहे हो , और खास सरकारी सुख सुविधा समेत एक दर्जन से अधिक गाड़ी और रक्षको की किमती सुरक्षा ले रहे हो , पर गोरो के शासन जाने के बाद आई साठ साल से भी अधिक समय तक आधुनिक भारत गरिबी हटाओ का नारा देनेवाली कांग्रेस शासन और फिर शाईनिंग डीजिटल इंडिया नारा देनेवाली भाजपा के भी एक दशक से भी अधिक का शासन में आज भी करोड़ो ऐसे मुलनिवासी जनता मालिक हैं , जिनके लिए कांग्रेस भाजपा दोनो ही एक सिक्के के अलग अलग दो पहलू दरसल मनुवादि शासन में एक जोड़ा नया कपड़ा  और एक साईकल खरिदते समय भी अपने भुखे पेट की तरफ देखकर सोचना पड़ता है | भले क्यों न वे उस सोने की चिड़ियाँ के जनता मालिक कहलाते हो जहाँ पर हजारो सालो से न जाने कितने भुखे नंगे कबिलई टोलियाँ इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके खुदको समृद्ध किये हैं | जिसमे लंगटा लुचा से सबसे उच्चा बनने वाले वह मनुवादि कबिला भी एक हैं , जिनके पूर्वज संभवता हजारो साल पहले भुखे नंगे बिना कपड़ो के इस कृषि प्रधान देश में पुरुष झुंड बनाकर प्रवेश करके कपड़ा पहनना भी सिखे होंगे और कृषि करना भी ! बल्कि इस देश में प्रवेश करने से पहले उन्हे परिवार समाज और लोकतंत्र के बारे में भी पता नही होगा | तभी तो एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट अनुसार इस देश में रह रहे मनुवादियो के परिवार में मौजुद महिलाओ का डीएनए भी इस देश के मुलनिवासियो के डीएनए से मिलता है | यानी मनुवादि अपन परिवारिक वंशवृक्ष बड़ा करना भी इस देश में आकर सिखे हैं | नही तो फिर उससे पहले का वंश इतिहास कौन किसका औलाद था वेद पुराण में भी जिक्र नही है | जिस कड़वी सच्चाई को छिपाने के लिए मनुवादि बाद में यह ढोंग पाखंड रचे होंगे कि उनके पुर्वज नारी योनी के बजाय पुरुष मुँह छाती जाँघ नाक कान वगैरा से पैदा हुए हैं | क्योंकि मनुवादियो के पास परिवारिक और समाजिक इतिहास इस देश में प्रवेश करने के बाद ही दर्ज हुआ है |  जिससे पहले का इतिहास मनुवादियो को नही पता | जिनके पास आज इस कृषि प्रधान देश की सबसे अधिक दौलत मौजुद है | जिनकी उधार की अमिरी भी यहीं पर पैदा हुई है | जिनमे से ज्यादेतर मनुवादि तो आज भी न के बराबर खेतो में दिखते हैं | क्योंकि कृषि के बजाय उनके भितर कबिलई मनुवादि सोच जो मौजुद है | जिसकी वजह से ब्रह्मण बाल गंगाधर तिलक ने कभी अपनी मनुवादि सोच को जग जाहिर करते हुए गोरो के शासन में ही अपना विचार व्यक्त किया था कि तेली, तंबोली, कुंभट, खाती, कूर्मी , पाटीदार, ये सब विधिमंडल में जाकर क्या हल चलायेंगे ? जिसे सायद लगता होगा कि  मनुस्मृति रचना करके विधि द्वारा छुवा छुत करने वाले मनुवादियो के लिए ही विधिमंडल में रहने से प्रजा की बेहत्तर सेवा होती है | जबकी यदि मनुस्मृती विधि से बेहत्तर सेवा होती तो फिर बाबा अंबेडकर को मनुस्मृती को जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना करने की क्या आवश्यकता पड़ती ? गोरो से अजादी मिलने के बाद मनुस्मृती को ही लागू कर दी जाती ! पर ऐसा नही हुआ क्योंकि गोरो से भी पहले इस देश के मुलनिवासी जिन मनुवादियो द्वारा शोषन अत्याचार किये जा रहे हैं उनसे यह देश ज्यादे समय से शोषित पिड़ित है | जिन छुवा छुत करने वाले कबिलई मनुवादियो का दबदबा वर्तमान में भी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम है | जिसके चलते इस कृषि प्रधान देश और इस देश के ज्यादेतर मुलनिवासियो की बुरी हालत  होना स्वभाविक है | क्योंकि सच्चाई तो यही है कि छुवा छुत करने वाले आजतक भी अपनी मनुस्मृती सोच को मल मूत्र की तरह पुरी तरह से त्याग नही पाये हैं | और न कभी पुरी तरह से त्याग पायेंगे | जैसे की एक काल्पनिक फिल्म पिकू में , फिल्म का पात्र अपने पुरी जिवन में खुलकर मल मूत्र त्याग नही पाया था | और पुरी जिवन उस बिमारी का इलाज खोजता रहा | जिसका इलाज फिल्म समाप्ती तक भी कोई नही कर सका था | और अँतिम में जब उसे खुलकर मल मुत्र हुआ तो वह आगे कि जिवन नही जी सका | क्योंकि खुलकर मल मूत्र होने के बाद वह मर चूका था | जो मनोरंजन करने वाली एक काल्पनिक फिल्म थी , पर मनुवादियो की छुवा छुत बिमारी का असली इतिहास मनोरंजन नही भेदभाव का दर्शन करा रही है | जिस छुवा छुत बिमारी का इलाज करने अबतक न जाने कितने डॉक्टर आए और चले गए पर आजतक मनुवादि छुवा छुत बिमारी दुर नही हुई है |

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...