ढोंगी पाखंडियो के लिए वर्तमान का शासन रामराज कहा जाएगा कि दानवराज ?

ढोंगी पाखंडियो के लिए वर्तमान का शासन रामराज कहा जाएगा कि दानवराज ?

गोरो के शासन समाप्त होने के बाद रामराज चल रहा है कि दानवराज ये तो लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में जिनकी दबदबा कायम है , वही लोग बेहत्तर जानते होंगे | जो ये बतलायेंगे कि इतिहास में उनकी दबदबा का शासन रामराज कहलायेगा कि दानवराज | फिलहाल तो इस कृषि प्रधान देश सोने की चिड़ियाँ अमिरी में गरिबी पल रही है | जिसका सही मतलब क्या निकाला जाय कि मदर इंडिया अपने बच्चो के साथ भेदभाव करके एक को गरिबी भुखमरी देकर गोद में मरते हुए देख रही है , और दुसरे को अमिरी देकर लाड प्यार दे रही है | या फिर इसके बजाय यह कहना सही होगा की मदर इंडिया खुद उन ढोंगि पाखंडि अन्याय अत्याचारी लोगो के द्वारा गुलाम है , जो देश को गुलाम करके और गरिबी दाग लगाकर समृद्ध मदर इंडिया का भी शोषन अत्याचार कर रहे हैं | और ढोल ,गंवार ,शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़न के अधिकारी कहकर मदर इंडिया के साथ साथ उसके बच्चो का भी शोषन अत्याचार कर रहे हैं | जिस हालात के बारे में बेहत्तर जानकारी तो कोई पिड़ित माँ ही दे सकती है , जो कम से कम अपने बच्चो को एक साथ अमिरी और गरिबी का दुध न पिलाती हो , और गरिबी भुखमरी के हालत में अपने भुखे बच्चो के साथ खुद भी भुखी रहती हो | बल्कि ऐसी माँ भी होती है जो गरिबी भुखमरी के हालत में खुद आधी पेट खाकर भी अपने भुखे बच्चो का पेट भरती है | दुनियाँ में सायद ही ऐसी माँ मिलते हो जो एक को अमिरी दुध और दुसरे को गरिबी दुध पिलाकर भारी भेदभाव करके बड़ा कर रही होती है | ऐसा भेदभाव तो गुलामी अवस्था में ही होती है , जब गुलाम होने वाले शोषन अत्याचार किए जाते हैं | और गुलाम करने वाले सेवा के बजाय शोषन कर रहे होते हैं | जैसे की कुत्तो और इंडियनो का अंदर आना मना है गेट में बोर्ड लगाकर गोरे शोषन कर रहे थे | जिनके जाने के बाद अब फिर से मनुवादियो के द्वारा मंदिरो में शुद्रो का प्रवेश मना है बोर्ड लगाकर भेदभाव छुवा छुत शोषन अत्याचार दौर चल रहा है | जिसके चलते किसी इंसान का औसतन उम्र से भी ज्यादा समय इस देश को भले क्यों न गोरो से अजादी मिले हो गए हो , पर फिर भी सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस समृद्ध देश में अब भी करोड़ो नागरिक भारी भेदभाव का शिकार होने के साथ साथ  गरिबी भुखमरी जिवन जिने को मजबूर हैं | बल्कि कई तो आत्महत्या तक करने को मजबूर हैं | जिस तरह के बुरे हालात में भी यह झुठ फैलाया जा रहा है कि सबके अच्छे दिन आ गए हैं , इसलिए गरिब बीपीएल शोषित पिड़ित जनता बार बार ऐसी आधुनिक डीजिटल सरकार को चुन रही है | जो अच्छे दिन वाकई में आते तो क्या वे खुशी से नाच गाकर आत्महत्या कर रहें हैं ? जैसे की सायद रामराज में सबके अच्छे दिन आ गए थे इसलिए खुशी से नाच गाकर राजा राम जिते जी सरयू नदी में डुबे थे , और रानी सीता खुशी से जिते जी रोते हुए धरती में समाई थी | जिसे ही सायद सबके अच्छे दिन आनेवाला रामराज कहते हैं | जिस तरह का शासन भुलकर भी किसी और देश में कभी न आए ! जिस तरह की शासन में शासक द्वारा इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले समृद्ध देश में भी अच्छे दिन लाना तो दूर करोड़ो नागरिको को गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जिवन से भी बाहर निकालने में रामराज को अपना आदर्श मानने वाली आधुनिक भारत , गरिबी हटाओ और शाईनिंग इंडिया , डीजिटल इंडिया की बाते करने वाली दोनो ही भारी बहुमत से चुनी जाने वाली मनुवादि सरकार नकाम रही है | जबकि एक दसक से भी अधिक समय तक शासन आधुनिक भारत गरिबी हटाओ और शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया की बाते करने वाली ये मनुवादि सरकार शासन कर चुकी है | बल्कि डीजिटल इंडिया सरकार तो अब भी शासन कर रही है | जिसे सायद अपने शासन के दौरान लग रहा हो कि सभी नागरिक बुलेट ट्रेन और स्मार्ट सिटी के लिए अब बिल्कुल तैयार हो गए हैं | जबकि सच्चाई यह है कि बुलेट ट्रेन और स्मार्ट सिटी तो दुर मनुवादि सरकार करोड़ो नागरिको के रोजमरा जिवन में अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान सड़क बिजली जैसी मूल जरुरत भी पहुँच जाय ऐसी सेवा नही दे पा रही है | जो दे भी नही सकती क्योंकि मनुवादी सोच सेवा देने के बजाय सेवा लेने में ज्यादे विश्वास करती है | जैसे की इस कृषि प्रधान देश में जब मनुस्मृति लागू थी तो शोषन अत्याचार करने वाला मनुवादि शासक अपनी प्रजा को दास बनाकर सेवा लेते थे | बल्कि रामराज में तो राजा राम मैं तुम्हारा भगवान हूँ कहकर अपनी शंभुक प्रजा से आरती भी उतरवाता था | जिस रामराज को अपना आदर्श मानने वाले मनुवादी आज भी तो शंभुक के वंशजो से राम के नाम का माला दिन रात यह कहकर जपवाते रहते हैं कि राम ही सबका बेड़ा पार लगायेंगे | जिस राम का खुद ही अपने ही रामराज में कबका सरयू नदी में बेड़ा पार हो गया था | जो सायद न होता यदि अपनी पत्नी सीता की अग्नि परीक्षा लेकर गर्भवती अवस्था में जंगल न भेजता | बल्कि शंभुक और रावण बालि वगैरा की भी हत्या न करता | जो सब करने के बाद ही राम को इतने बड़े दुःखो का पहाड़ एक साथ टूट पड़ा कि उसे जीते जी सरयू नदी में डूबना पड़ा | राम के दुश्मन तो अपने दुश्मन से लड़ते हुए मरे थे , पर राम तो अपने दुश्मन से लड़ते समय भी अधमरा करके छोड़ दिए गए थे | जो अपने ही रामराज में अपनी रामलीला खुद ही समाप्त किये थे | जिसके बाद राम की काल्पनिक मुर्ती और फोटो जिसमे जो शक्ल सुरत राम की है , वैसा ही राम दिखते होंगे यह सिर्फ कल्पना है , उस काल्पनिक चेहरे के सामने दिन रात आरती उतारी जाती है | काल्पनिक तस्विर इसलिए क्योंकि तब न कोई तस्वीर खिचने और विडियो लेने वाली कैमरा थी , और न ही कोई मोबाईल टी०वी० कम्प्यूटर वगैरा इलेक्ट्रॉनिक्स सामान हुआ करती थी | हाँ बिना ऑक्सिजन और पंख के भी देवी देवता बल्कि असुर दानव भी अंतरिक्ष बल्कि स्वर्ग नर्क का भी दौरा आसानी से बिना कोई इलेक्ट्रॉनिक मशिन और साधन के जिवित रहकर भी करते थे ऐसी बाते आज भी मनुवादियो द्वारा अपने अँधभक्तो को ब्रेनवाश करके बतलाई जाती है | जैसे की मनुवादि ब्रेनवाश करके अपनी और अपने पुर्वजो का आरती भी दिन रात उतरवाकर राम नाम का माला जपवा रहे हैं | बल्कि राम के नाम से खुब सारा धन भी बटोर रहे हैं | जिसके बारे में जानना हो तो मनुवादि मीडिया जिसमे भक्ति चैनल भी खुब सारे चल रहे हैं , उसे कम से कम एक सप्ताह तक अपना किमती समय निकालकर देखकर इस बारे में मंथन करो कि मनुवादि जो दिखलाते सुनाते पढ़ाते और बड़बड़ाते भी हैं , उससे उनको कितनी आमदनी हो रही होगी और साथ साथ इस देश के मुलनिवासियो का धन कितना सारा हर रोज कम हो रहा होगा और सुबह शाम ब्रेनवाश होकर बुद्धी भी कितनी भ्रष्ट हो रही होगी ? मनुवादियो की बुद्धी तो वैसे भी हजारो सालो से अबतक भ्रष्ट ही है , जिसकी वजह से ही तो वे अबतक ढोंग पाखंड भेदभाव शोषन अत्याचार करना नही छोड़े हैं | 

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