जिनकी फर्जी महानता को तो चुलूभर मूत में डूब मरना चाहिए
मेरे विचार से मुलनिवासियो के शासन के बजाय मनुवादियो के शासन में सुख शांती और समृद्धी तेजी से आयेगी इस बात पर विश्वास करना दरसल बहुत बड़ा अँधविश्वासी होना है |
मनुस्मृती को भष्म करके अजाद भारत का संविधान रचना करने वाले अंबेडकर ने तो अपने विचार में यह तक कहा है कि अपने दुश्मन को नही पहचानने वाले लोग असल अज्ञानी होते हैं | और मेरे विचार से मनुवादियो से बड़ा दुश्मन इस देश के मुलनिवासियो के लिए फिलहाल कोई हो ही नही सकता | जिन मनुवादियो की दबदबा में भारी भेदभाव के जरिए लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो का गलत इस्तेमाल जिस तरह से हो रहा है , उसे अच्छी तरह से जान बुझकर भी मनुवादियो के पार्टी में शामिल होना या फिर उसे वोट देना मेरे विचार से बहुत बड़ा अँधविश्वासी और अज्ञानी होना ही है | जो बात सत्य साबित भी हो जायेगी जिसदिन मनुवादियो की सत्ता समाप्त होकर इस देश में मुलनिवासियो की सत्ता पुरी तरह से कायम हो जायेगी | फिलहाल मनुवादि शासन कायम रखने में कंधे से कंधा मिलाकर साथ देना कितना बड़ा अँधभक्ति और अज्ञानी होना है , इसकी सच्चाई हर रोज इस देश के मुलनिवासियो का चाहे वे जिस धर्म में मौजुद हैं उनका शोषन अत्याचार के रुप में इतिहास के पन्नो में दर्ज हो रहा है | जिन पन्नो में मनुवादियो का साथ देने वाले मुलनिवासी घर का भेदि साबित होंगे | जो अभी मनुवादियो के शासन का आरती उतारने में लगे हुए हैं | यू ही मनुवादि इतने लंबे समय से शासन नही कर रहे हैं | जिन मनुवादियो की शासन समाप्त होने के बाद लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भी मनुवादियो की दबदबा समाप्त हो जायेगी | क्योंकि मनुवादि शासन रहने तक ही मनुवादि लोकतंत्र के चारो स्तंभो में खुदको सबसे अधिक निपुन घोषित करके सबसे अधिक चुने जा रहे हैं | जिनकी निपुनता मनुवादि शासन में इस देश को कितनी आगे ले गई है , ये तो मुलनिवासियो की सत्ता कायम होने के बाद ही पुरी तरह से उजागर होकर इतिहास में ठीक से दर्ज होगी | हलांकि वर्तमान में भी मनुवादियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम करके जिस तरह की देश और प्रजा सेवा करने की इतिहास दर्ज की जा रही है , उसे देखकर तो यही लगता है , बल्कि सच्चाई भी है कि मनुवादि शासन में सभी मंत्री और बड़े बड़े अधिकारी गरिबी और भुखमरी को दुर करने का सिर्फ वादा करते करते और किमती किमती सारी सरकारी सुख सुविधा लेते हुए भरपेट खा खाकर हर रोज अनगिनत मुलनिवासियो को गरिबी भुखमरी से मरते देखते हुए एकदिन खुद भी मिट्टी में मिल जायेंगे पर जिते जी अपने शासनकाल में गरिबी भुखमरी कभी दुर नही कर पायेंगे | क्योंकि मिट्टी में मिलना तो एकदिन सबको है चाहे क्यों न वह पुरी दुनियाँ का धन इकठा किये हुए अनगिनत लोगो को गरिबी भुखमरी से मरते हुए देखकर अमिरी का जस्न हर रोज मना रहा हो | जैसे की मनुवादी सरकार आधुनिक साईनिंग और डीजिटल जस्न देश विदेश में मनाकर खुब सारा धन भले खर्च कर रही हो , पर उसे भी एकदिन गोरो की सरकार की तरह निश्चित जाना है | हाँ मनुवादि शासन जबतक नही जायेगी तबतक गोरो की तरह बल्कि गोरो से भी ज्यादे पीड़ा इस देश के मुलनिवासियो को तब भी देती रहेगी जबकि इस देश में किसी पिड़ित द्वारा अजाद भारत का संविधान रचना करके उसे लागू भी किया गया है | जिस अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागू करने की जिम्मेवारी मानो भष्म मनुस्मृती का भूत को मिली हुई है | क्योंकि अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागू करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को मिली हुई है वहाँ पर भी मनुवादियो का ही दबदबा कायम है | जिसके चलते भी तो इस देश में अजाद भारत का संविधान लागू होते हुए भी अँधेरा कायम है | जाहिर है मनुवादि सरकार की सेवा से इस देश में मुठीभर लोग विश्व के सबसे अमिर लोगो की लिस्ट में कैसे आ गए हैं , और कौन लोग आए हैं , इसका जवाब समझदारो को अबतक आसानी से मिल गई होगी | क्योंकि पुरी दुनियाँ जानती है कि यह सोने की चिड़ियाँ जड़ से गरिब देश नही है , बल्कि इसे हजारो सालो से लुट लुटकर गरिब बनाया गया है | खासकर उन लोगो के द्वारा जिनके पूर्वजो को इस देश के जैसा अमिर बनना मानो सपना लगता था | जिस सपना को वे इस देश में प्रवेश करके इस देश की अमिरी से पुरा किये हैं | पर अमिर बनने के बाद मानो वे अपनी भुखड़ घुमकड़ गरिबी इस देश को दे दिये हैं | जिसके कारन यह देश आज सोने की चिड़ियाँ होते हुए भी गरिब देश कहलाता है | जिस देश में गोरो का शासन समाप्त होने के बाद कई कई बार चुनाकर सत्ता सुख भोग रही मनुवादियो की कांग्रेस और भाजपा पार्टी सबसे अधिक धन खर्च करने वाली पार्टी के रुप में इतिहास दर्ज कर चुकि है | जिन दोनो पार्टी के सबसे अमिर बनने और धन्ना कुबेर बनने से इस देश में गरिबी भुखमरी कभी भी समाप्त नही होनेवाली है | जबतक कि मनुवादि सोच से चलनेवाली भाजपा कांग्रेस शासन इस देश में समाप्त नही हो जाती | जिस मनुवादी सोच की शासन में विकाश के नाम से इस देश की सरकार को अदला बदली करके चाहे जितनी बार मौका दिया जाय , गरिबी भुखमरी कायम रहेगी | कांग्रेस भाजपा को बार बार मौका मिलने के बावजुद भी गरिबी भुखमरी कभी नही समाप्त होगी | बल्कि मनुवादि और अधिक अमिर होते चले जायेंगे और इस देश के मुलनिवासि चाहे वे जिस धर्म से जुड़े हुए हो , उनकी ही हालत सबसे अधिक गरिबी भुखमरी की दलदल में फँसती चली जायेगी जबतक की इस देश में मुलनिवासियो की शासन स्थापित नही होगी | जिसे मनुवादि किसी भी हालत में स्थापित नही होने देने वाले हैं , जैसे की गोरे न्यायालय में जज बनकर भी न्याय के रुप में अजादी देना कभी नही चाह रहे थे | जो गुलाम करने वाले गोरो को सजा देने के बजाय अजादी के लिए संघर्ष करने वालो को सजा सुना रहे थे | मनुवादी भी न्यायालय में सबसे अधिक जज और जज प्रमुख भी बनकर शोषन अत्याचार करने वालो को सजा देने के बजाय मनुवादि सरकार हमेशा कायम रहे इसके लिए जमकर न्यायालय का उपयोग हो रहा है | जिसका यदि सही उपयोग होता तो आज मनुवादी सत्ता चुनाव घोटाला करके गलत तरिके से चुने जाने के बाद सभी चुनाव घोटाला करने वाले सुधार घर में होते ! जो अब इतिहास में फर्जी तरिके से खुदको महान सेवक घोषित करने में लगे हुए होंगे | जिनकी फर्जी महानता को तो चुलूभर मूत में डूब मरना चाहिए !
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