यहूदि डीएनए के मनुवादि धर्म परिवर्तन करके खुदको हिन्दु कब बनाये
यहूदि डीएनए के मनुवादि धर्म परिवर्तन करके खुदको हिन्दु कब बनाये यह जानकारी अबतक किसी को भी नही बतलाया जाता हैं
मनुवादियो का डीएनए भले उन कबिलई यहूदियो से मिलता है , जो अपना मातृभूमि जेरुशलम को मानते हैं | पर मनुवादि इस देश को अपना मातृभूमि मानकर और वंदे मातरम् कहकर खुदको गर्व से सिंधु घाटी कृषि सभ्यता संस्कृति से जुड़ा शब्द हिन्दु कहना पसंद करते हैं | यहूदि डीएनए के मनुवादि धर्म परिवर्तन करके खुदको हिन्दु कब बनाये यह जानकारी अबतक किसी को भी नही बतलाया गया हैं | जाहिर है यदि वे दुसरे की धरती में दुसरे की हिन्दु पहचान से जाने जाते हैं , तो निश्चित तौर पर मनुवादि अपने पूर्वजो की असली पहचान को मिटाना चाहते हैं | या फिर मिटा चुके हैं ! क्योंकि यदि वाकई में मनुवादियो का डीएनए कबिलई यहूदियो से मिलता है तो मनुवादि खुदको हिन्दु कब और क्यों बनाये इसका जवाब मनुवादि खुद क्यों नही तलाशना या जानना चाहते हैं ? और यदि हिन्दु धर्म कोई धर्म नही सिंधु घाटी से जुड़ा प्राचिन कृषि सभ्यता संस्कृति है , तो भी बाहर से आए कबिलई मनुवादि इस देश की सिंधु घाटी कृषि सभ्यता संस्कृती से खुदको जोड़कर और खासकर इस देश के मुलनिवासि हिन्दुओ से छुवा छुत करके खुदको हिन्दु कहने में गर्व महसुश क्यों करते हैं | क्योंकि पुरी दुनियाँ जानती है कि हिन्दु की पहचान उस सिंधु घाटी कृषि सभ्यता संस्कृति जुड़ी हुई है , जो इस देश के मुलनिवासियो द्वारा निर्मित यहाँ की मुल प्राचिन कृषि सभ्यता संस्कृति है | जिस सिंधु के नाम से ही तो हिन्दु शब्द का उदय हुआ है | दरसल मनुवादि हिन्दु बनकर असली हिन्दुओ की पहचान पर कब्जा करना चाहते हैं | जो उनकी मूल हुनरो में से एक है कि दुसरे का को कब्जा करो | जिसके लिए किसी भी तरिके से पहले उसे अपना साबित करने की कोशिष करो | इसलिए बाहर से आए मनुवादि खुदको कट्टर हिन्दु घोषित करके इस देश के असली हिन्दुओ को अपना धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर कर रहे हैं | जिसके लिए छुवा छुत शोषन अत्याचार और ढोंग पाखंड करके मुलनिवासियो को मनुवादि इतना टॉर्चर दे रहे हैं कि इस देश के मुलनिवासी अपना धर्म परिवर्तन यह कहकर कर रहे हैं कि हिन्दु धर्म दरसल मनुवादियो का धर्म है | जिस हिन्दु धर्म में उनकी कई पिड़ी हिन्दु पर्व त्योहार मनाकर गुजार दी उसे मनुवादियो का धर्म कहकर छोड़ रहे हैं | जो कल मनुवादियो से अति परेशान होकर यह न कह दे कि सिंधु घाटी कृषि सभ्यता संस्कृती और गणतंत्र का निर्माण हजारो साल पहले मनुवादियो ने ही किया है | जबकि सच्चाई ये है कि बाहर से आए कबिलई मनुवादियो को इस देश में प्रवेश करने से पहले परिवार समाज के बारे में भी पता नही था तो वे हजारो साल पहले उन वेद पुराणो की रचना कैसे करते जिसमे सृष्टी रचना से लेकर इस देश की प्राकृति भूगोल और कृषि सभ्यता संस्कृति समेत इस देश के मुलनिवासियो के बारे विस्तार पुर्वक ज्ञान का सागर मौजुद है | जितनी जानकारी तो मनुवादियो से बहुत बाद में सुट बुट लगाकर प्रवेश करने वाले गोरो को भी नही थी | जो आज भी वेद पुराणो में मौजुद ज्ञान के बारे में जानकारी इकठा करते रहते हैं | कम से कम धर्म परिवर्तन करने वाले इस देश के शिक्षित मुलनिवासियो को तो विज्ञान प्रमाणित विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट के बारे में जानकर जरुर पता होनी चाहिए थी कि सिंधु में बाहर से संभवता बिना कपड़ो के नंगा पुंगा प्रवेश करने वाले मनुवादि असली हिन्दु हो ही नही सकते ! इसलिए मुँह फाड़ फाड़कर यह कहना कि " मनुवादि असली हिन्दु हैं , इसलिए सिंधु घाटी से जुड़ा हिन्दु धर्म खास मनुवादियो का है , मनुवादि ही कट्टर हिन्दु है " जिस तरह की बाते कहकर दरसल मनुवादियो को असली हिन्दु कहने वाले मुलनिवासी बाहर से आनेवाले मनुवादियो की खास मदत करके अपने ही पांव में बार बार कुल्हाड़ी मार रहे हैं | जो मनुवादियो से परेशान होकर कल ये भी न कह दे कि चूँकि सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति भी मनुवादियो का है , जहाँ पर हजारो साल पहले ही गणतंत्र स्थापित थी , जहाँ पर गोरो के जाने के बाद ही अजाद भारत का संविधान लागू करके गणतंत्र देश घोषित होकर इस देश का शासक भी चूँकि मनुवादि बन गए हैं , जो आगे भी अल्पसंख्यक होकर भी हमेशा इसी तरह बने रहेंगे , और शोषन अत्याचार करते रहेंगे , क्योंकि वे कट्टर हिन्दु हैं , इसलिए बहुसंख्यक मुलनिवासि हिन्दु धर्म बदलने के बाद भी यदि मनुवादियो के शोषन अत्याचार से छुटकारा नही पाते हैं , तो हिन्दु धर्म छोड़ने के बाद हिन्दुस्तान को ही छोड़कर किसी ऐसे देश में चले जाओ , जहाँ पर मनुवादियो का शासन मौजुद न हो | जिसे मैं बुजदिली कहूँगा ! क्योंकि इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियो जो इस समय चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , उनको अल्पसंख्यक मनुवादि यदि मानो दिन रात पिट पिटकर शारिरिक और मांसिक तौर पर शोषन अत्याचार करके उनके अपने ही देश सत्ता और धर्म से खदेड़ रहे हैं , और वे पिठ दिखाकर भाग भी रहे हैं , तो ये उनकी बुजदिली है | जो बुजदिली मैं उन्हे कह रहा हूँ जो अल्पसंख्यक मनुवादियो से दरसल डरकर अपना खुदका घर को मनुवादियो का घर बताकर खुदका घर छोड़कर दुसरे घरो की ओर भाग रहे हैं | जिस डर को छिपाने के लिए यह बहाना बना रहे हैं कि हिन्दु धर्म मनुवादियो का है | और मनुवादि असली कट्टर हिन्दु हैं | फिर इस देश में मनुवादियो के प्रवेश करने से पहले और कई धर्मो के प्रवेश करने या फिर जन्म लेने से पहले ही हजारो साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण करने वाले इस देश के मुलनिवासियो का अपना धर्म वह कौन सा था , जिसे अपना धर्म मानकर इस देश के मुलनिवासी बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार मनाते आ रहे हैं | जैसे की इस समय बारिस का मौसम सावन में सत्य शिव लिंग योनी की पुजा करके सावन का विशेष पर्व त्योहार मनाया जाता है | जिस सत्य से दुनियाँ कायम है | इसी तरह बारह माह सभी मौसम से खास जुड़ा पर्व त्योहार मनाये जाते हैं | जिसमे मनुवादि जबरजस्ती खुदको घुसेड़ने की कोशिष लंबे समय से कर रहे हैं | जैसे कि मनुवादि जिस इंद्रदेव को अपना पुर्वज बतलाकर जोर जबरजस्ती उसे हिन्दु धर्म का पुज्यनीय बताते हुए प्राकृति बारिस से यह कहकर जोड़ते हैं कि धरती पर इंद्रदेव ही बारिस कराता है | वह इंद्रदेव जिसका हवश उपर स्वर्ग की अप्सराओ से शांत नही हुआ तो निचे धरती पर किसी एलियन की तरह उतरकर विवाहित अहिल्या का बलात्कार करके अपना हवश शांत किया था | जो बलात्कारी इंद्रदेव धरती पर पाप बरसाने के लिए उतरता है , न कि बारिस बरसाने के लिए | जिस पाप की सजा भी मिला था बलात्कारी इंद्रदेव को | सजा में पिड़ित अहिल्या के पति तपस्वी गौतम ने इंद्रदेव को रंगे हाथ पकड़कर यह श्राप दिया था कि वह जिस योनी के साथ कुकर्म किया है , वह योनी हजार की संख्या में इंद्रदेव पर किसी घुंघरु की तरह टंगे रहेंगे | जिसे लटकाकर इंद्रदेव घुरता रहेगा धरती पर | जिस तरह की श्राप यदि इस समय भी वाकई में बलात्कारियो को लगती तो आज जो हजारो बलात्कार सिर्फ इस देश में ही हर साल हो रहे हैं , जिस बलात्कार को लेकर विरोध जताने के लिए दिल्ली में कैंडल मार्च भी निकलते रहती है | विश्व में तो लाखो में हो रहे होंगे | जिन सभी बलात्कारियो को निश्चित तौर पर इस तरह की श्राप देकर कि हजारो लाखो बलात्कारी अपने शरिर में हजार हजार योनी टांगकर खुद तो शर्म से चूलूभर उसी योनी के मूत में डूब मरते , साथ साथ हजार योनी टंगाकर अपनी माँ बहन को भी शर्मिंदा कर रहे होते | जिस तरह के बलात्कारी इंद्रदेव का यह बारिस का मौसम नही है | बल्कि बलात्कारी इंद्रदेव हिन्दु धर्म में पुज्यनीय भी नही है | और वैसे भी कोई भी भला इंसान जिसमे बलात्कारी के माँ बहन भी हो सकते हैं , वे कभी भी बलात्कारी का पुजा करना पसंद नही करेंगे | जाहिर है खुदको देव का वंशज कहने वाले मनुवादियो का डीएनए से इस देश के मुलनिनिवासी जो कि असली हिन्दु हैं , जो छ्वा छुत ढोंग पाखंड नही करते हैं , बल्कि बारह माह सृष्टी के कण कण में साक्षात मौजुद प्राकृतिक से जुड़ा हुआ पर्व त्योहार मनाते हैं | उनसे अपनी पुजा कराने के लिए मनुवादि वेद पुराणो में छेड़छाड़ और मिलावट करके प्राकृतिक पुजा में जबरजस्ती मुँह मारते आ रहे हैं | बलात्कारी इंद्रदेव पुजा को हिन्दु धर्म का खास हिस्सा बनाकर आज भी हिन्दु धर्म को बदनाम किया जा रहा है | जिसके चलते ही तो करोड़ो हिन्दु यह सोचकर अपना धर्म परिवर्तन कर रहे हैं कि हिन्दू धर्म विदेशी मूल के उन मनुवादियो का है , जिनका डीएनए यहूदियो से मिलता है | खासकर मनुवादियो के ढोंग पाखंड और छुवा छुत मनुस्मृती सोच को हिन्दु सोच साबित करने की कुकर्म लंबे समय से चल रही है | जो कुकर्म मनुवादियो की सत्ता रहने तक खुलेआम चलती रहेगी | जिसके बाद जितने भी मिलावट वेद पुराणो में मनुवादियो द्वारा किए गए हैं , उसे हटाकर सही को सही और गलत को गलत बतलाकर बलात्कारियो को पुज्यनीय नही बल्कि बलात्कारी साबित करके सत्य बात पुरी दुनियाँ को बतलाना होगा | बतलाना होगा कि मनुवादि अपने जिन पुर्वजो की पुजा करने के लिए जोर जबरजस्ती और दिन रात ढोंग पाखंड करके ब्रेनवाश भी करते हैं , उन्होने क्या क्या बड़े बड़े अपराध कुकर्म किये हैं ? इंद्रदेव जैसे व्यक्ती तो पुज्यनीय कहलाने के लायक ही नही हो सकते |
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