मनुवादी के भितर मौजुद भेदभाव शोषण अत्याचार करने का जो लाईलाज बिमारी मौजुद है उसका इलाज में सबसे बड़ा रुकावट घर का भेदी है

मनुवादी के भितर मौजुद भेदभाव शोषण अत्याचार करने का जो लाईलाज बिमारी मौजुद है उसका इलाज में सबसे बड़ा रुकावट घर का भेदी है

वैसे तो मैने पहले ही अपने ट्वीट में अपना विचार रखा है कि सबसे बड़ा गुण्डा न०1,आतंकवादी न०1 कहो या फिर किसी भी बड़े अपराधी न० 1 कहो वह सब गुण किसी घर के भेदी में मौजुद होता है , जो यदि अन्याय अत्याचार करने वालो का साथ न दे तो अन्याय अत्याचार करने वाले किसी का शोषण करने के लिए शासन करना तो दुर एक झांठ (योनी लिंग में उगा बाल) भी नही उखाड़ सकते ! जिनसे निपटो विरोधी यू ही घुटने टेक देगा शोषित पिड़ितो के आगे !  क्योंकि घर का भेदी चूँकि घर का ही होता है , इसलिए उसे घर का सारा भेद मालुम रहता है | लेकिन चूँकि वह खोटा सिक्का अथवा मनुवादीयों की तरह कहीं न कहीं बुद्धी से भ्रष्ट होता है , इसलिए उनकी संगत उसी तरह के कमजोरी वालो से होने में कोई दिक्कत नही होती है | खोटा होने की वजह से उन्हे भी झुठी शान की जिवन जीना ही पसंद होता है | क्योंकि मन मुताबिक असली शान की जिवन के लायक न होने की वजह से उन्हे हमेशा शान में कमी महसुश होती है | जिसके चलते वे ताक में रहते हैं कि कोई उनके जैसा ही नालायक भेट हो जाय जिससे की संगत लगाकर अपनी झुठी शान की जिवन को प्रवान चड़ा दें | सायद इसलिए मनुवादी मानो इस देश में अपने लाईलाज बिमारी का इलाज करने आकर झुठी शान का भुखड़ घर के भेदियों से ही हाथ मिलकर मानो दो भ्रष्ट बुद्धी मिलकर भ्रष्ट बुद्धी का इलाज करने वाले डॉक्टरो को ही अपना गुलाम बना लिये हैं | और चूँकि घर के भेदि भी खोटे सिक्के होने की वजह से एक तरह से वे भी बिमार ही होते हैं , इसलिए घर का भेदि के साथ मिलकर मनुवादीयों की सत्ता इस देश में जबतक कायम रहेगी तबतक मनुवादीयों का इलाज होना नामुमकिन सा लगता है | क्योंकि दुश्मन सिर्फ कोई बाहरी होता है तो घर के लोग मिलकर उसका विनाश आसानी से कर सकते हैं , लेकिन दुश्मन यदि घर का भेदी हो तो उसका भी विनाश करने के बारे में सोचना पुरे घर के लिए बहुत कठिन हो जाता है | क्योंकि लड़ाई करते समय अपना खुन अपना होता है यह सिद्धांत काम करने लगता है | जिसके चलते मनुवादीयों में भी ऐसे बहुत से लोग मिल जायेंगे जिनके भितर इंसानियत जाग तो रही है , पर उनके भितर भी अपना खुन अपना होता है यह सिद्धांत काम करने की वजह से छुवा छुत शोषण अत्याचार करने वाले उनके अपने ही खुन के लोगो के खिलाफ आवाज मजबुती से नही उठा पाते हैं | जबकि शोषित पिड़ितो की तरह उन्हे भी पता है कि इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादी भेदभाव करके अन्याय अत्याचार कर रहे हैं , जो सबकुछ जानते हुए भी वे अपने ही खुन के खिलाफ मजबुत आवाज अपने परिवारो में कभी नही उठा पाते हैं | जो स्वभाविक है क्योंकि उनका जेनेटिक रिस्ता उन्हे ये सब कमजोरी प्रदान करता है | जो कमजोरी उन्हे अपने ही डीएनए के मनुवादीयों के खिलाफ मजबुती से विरोध करने में रोकता है | जिस रोक कि वजह से न तो वे मनुवादी सत्ता को उखाड़ फैकने में ज्यादे कुछ कर पायेंगे और न ही वे कोई संवर्ण बलात्कारी को फांसी दिलवा पायेंगे जैसे की कई मुलनिवासी को सजा दिलवाने में वे खास भुमिका अदा किये हैं | जिनके द्वारा मजबुती से अवाज उठाने में खास भूमिका अदा करने की वजह से बेरहमी से बलात्कार करने की जुर्म में सजा के तौर पर फांसी मिल चुकि है | जिन्हे फांसी हुआ और ऐसे बलात्कारियों को आगे भी फांसी हो इसका मैं भी पक्षधर हूँ | जिन अपराधियों के बारे में आयेदिन चर्चा जरुर होती रहती है , खासकर रांगा बिल्ला बलात्कारी और दिल्ली में हुए गंभीर बलात्कार को अंजाम देने वाले बलात्कारियों के बारे में  | क्योंकि वे संवर्ण नही थे इसलिए मनुवादी मीडिया भी इनके पापो को अच्छी तरह से चर्चा करके दिखाती रहती है |  पर मनुवादीयों के परिवार में जन्मे बलात्कारियों के बारे में खासकर मनुवादीयों के खास पुर्वज इंद्रदेव विष्णुदेव और ब्रह्मादेव जिन्होने भी बलात्कार किया था , उनके बारे में मनुवादी मीडिया में बहस क्यों नही चलती है ? जिनकी पुजा तक क्यों करते और करवाते हैं ये मनुवादीयों के बलात्कारी पुर्वज हिंदू भगवान हैं कहकर इसके बारे में बहस क्यों नही होती है ? और बलात्कारी कब से हिंदू भगवान बन गये इसपर भी बहस होनी चाहिए थी मनुवादी मीडिया में ? या फिर ये बहस इसलिए भी नही करते हैं क्योंकि इंद्रदेव ब्रह्मदेव और विष्णुदेव ने मासुम महिलाओ की इज्जत लुटा था उसे वे सायद चरित्रवान कर्म मानते हैं | जो यदि वाकई में मानते हैं जिसके चलते वे इन तीनो बलात्कारियों की पुजा करते हैं तो फिर शिव ने ब्रह्मा का सर क्यों काटा था , वृत्तासुर की पत्नी तुलसी ने विष्णुदेव को पत्थर बन जाने का श्राप क्यों दी थी , और अहिल्या के पति गौतम  ने इंद्रदेव को हजार योनी को घुँघरु की तरह अपने शरिर में टांगकर घुमने का श्राप क्यों दिया था ? जाहिर है ब्रह्मदेव विष्णुदेव और इंद्रदेव ने किसी महिला का इज्जत लुटने का अपराध किया था जिसकी सजा उन्हे भगवान से मिली थी | मनुवादी भी इस देश के मुलनिवासियों को गुलाम बनाकर भेदभाव शोषण अत्याचार और दुसरो के हक अधिकार को लुटने का अपराध कर रहे हैं , जिसकी भी सजा उन्हे भगवान से जरुर मिलेगा | क्योंकि जिन्हे वे भगवान कहकर पुजा करते और करवाते हैं , उन्हे भी अपराध करने पर सजा मिला है तो ये मनुवादी तो उनके अलग अलग रुप का काल्पनिक मूर्ति और तस्वीरो के सामने रोज नर मस्तक होते हैं |

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