हथियार बनाने वाले उद्योग मौत के सौदागर बनते जा रहे हैं,जिसमे एक नाम कोरोना को भी जोड़ा जा रहा है
हथियार बनाने वाले उद्योग मौत के सौदागर बनते जा रहे हैं,जिसमे एक नाम कोरोना को भी जोड़ा जा रहा है
पुरी दुनियाँ में जो सबसे अधिक शक्तीशाली हथियार बनाने या रखने की होड़ लगी हुई है , उसकी चिंता मानवता और पर्यावरण की चिंता करने वाले सभी लोगो को बड़ गई है | क्योंकि जिस तरह हथियारो की होड़ पुरे विश्व में लगी हुई है , उसे जानकर सभी विद्वान ये मानने लगे हैं कि हथियारो की अति उत्पादन की वजह से पुरी मानव जाती के साथ साथ पुरा पृथ्वी ही खतरे में है | जैसे कि यदि रक्षा के नाम से बनाये जा रहे किसी हथियार उद्योग में कोरोना को भी यदि सचमुच में हथियार की तरह इंसानो द्वारा ही तैयार करके पुरी दुनियाँ में आतंक फैलाने के लिये प्रयोगशाला में तैयार किया होगा तो निश्चित तौर पर कोरोना की वजह से पुरी दुनियाँ में जितनी तेजी से मौते हुई है , उतनी मौते हर दिन किसी आतंकवादियों से भी नही होती है | और बिल्कुल मुमकिन है कोरोना को अपनी ज्ञान का गलत इस्तेमाल करने वाले शैतान सोच के इंसानो द्वारा ही तैयार किया गया हो | जिस तरह के शैतान सोच मौत का सामान बनाने वाले उद्योगो का भी गलत इस्तेमाल निश्चित तौर पर अपनी फायदे के लिए कर रहे हैं | जिनकी अबादी विलुप्ती जैसी भली होती है पर मुठीभर शैतान भी बहुसंख्यक अबादी को अपनी शैतानी दिमाक का इस्तेमाल करके भारी नुकसान पहुँचाते हैं यह इतिहास गवाह है | जिन शैतानो की वजह से खुदको धरती का सबसे उत्तम प्राणी कहने वाला पुरी मानव जाती ही अपनी खुदकी मानो ऐसा मौत का सामान का उत्पादन कर रहा है यह सोचा जाने लगेगा खासकर जब ये मुठीभर शैतान हथियारो का गलत इस्तेमाल करेंगे और इल्जाम पुरी मानव जाती में आ जायेगी | बल्कि यदि कोरोना को इंसानो ने ही बनाकर पुरी दुनियाँ में मौत का आतंक फैलाया है तो यह इतिहास दर्ज हो भी चुका है | और साथ साथ अन्य हथियारो का भी गलत इस्तेमाल करके लाखो करोड़ो निर्दोश लोगो की जो मौते इतिहास में दर्ज हुई है , और अब हो रही है उसके बारे में चर्चा करके यह इतिहास भी दर्ज हो रहा है कि मानव जाती अपने बनाये खतरनाक विनाशकारी हथियार से एकदिन खुद तो खत्म होगा ही पर धरती में रह रहे बाकि भी जिव जंतुओं को विलुप्त करेगा | बल्कि कई तो विलुप्त भी हो चुके हैं , और कई विलुप्ती की कागार में हैं | जिन जिव जंतुओं का विलुप्त होने के सबसे बड़े कारनो में कहीं न कहीं इंसान भी एकदिन विलुप्त हो जायेगा यदि वह मौत का सामानो का उत्पादन में कमी न किया ! जो इंसान अपनी उन हथियारो की उत्पादन धिरे धिरे कम करके न के बराबर उत्पादन करे जिसका इस्तेमाल से भारी तबाही होती है | जैसे की परमाणु और हाड्रोजन बम जो इंसानो द्वारा ऐसा मौत का सामान उत्पादन किया जा रहा है , जिससे की मानो इंसान बम उत्पादन करके किसी अंडे दिए मुर्गी की तरह अपने निचे रखकर उसे सेक रहा है | जिससे चुजा निकलने का मतलब है पृथ्वी अंडे की तरह फटेगी और उसमे से ऐसा मौत का चुजा निकलेगा जिससे की मानव जाती लुप्त हो जायेगी | क्योंकि पुरी दुनियाँ में जो मौत के सामान का उत्पादन हो रहा है , उसका इस्तेमाल चाहे क्यों न अमन प्रेम सुख शांती कायम करने के नाम से युद्ध की जाती है , पर युद्ध की वजह से सबसे अधिक मौते निर्दोश लोगो की ही होती है | वैसे युद्ध में मारे गए रक्षक चाहे जिस देश का होता है , वह अपने देश के लिये वीर रक्षक ही होता है , जिसकी मौत भी किसी देश के लिए निर्दोश की मौत ही कहलाती है | जिससे अच्छा तो युद्ध ही नही होती और चारो तरफ सिर्फ अमन प्रेम सुख शांती होती | जिससे की आपसी लड़ाई के लिए रक्षा के लिए हथियारो पर खर्च किया गया धन की बचत से गरिबी भुखमरी भी छु मंतर हो जाती , क्योंकि युद्ध के सामानो पर जितना धन पुरी दुनियाँ में हो रही है उतने में सिर्फ आधा धन भी यदि गरिबी भुखमरी दुर करने के लिए हर साल सिधे गरिबो के खाते में पहुँचाकर उनकी अपनी अपनी सबसे अधिक जरुरत के मुताबिक खर्च की जाती तो निश्चित तौर पर तब भी पुरी दुनियाँ से अबतक गरिबी भुखमरी कबका दुर हो गई होती | पर नही हो रहा है , क्योंकि युद्ध के सामानो का उत्पादन में भी बड़ौतरी हो रही है , और किसके पास कितना आधुनिक हथियार है , इसकी प्रतियोगिता में भी बड़ौतरी हो रहा है | जैसे की परमाणु बम बनाकर रखने का प्रतियोगिता हो रहा है कि किसके पास कितना परमाणु बम है ? जिसका परिणाम सामने है किसी देश के पास तो हजारो परमाणु बम मौजुद है जिसकी किमत इतनी होगी कि पुरी दुनियाँ के कई देशो की बजट बन जाय |बजाय इसके कि गरिबी भुखमरी दुर करने की प्रतियोगिता युद्ध स्तर पर चलती | दुसरी तरफ युद्ध के सामानो का गलत उपयोग करके हथियारो का अवैध व्यापार में भी इतनी बड़ौतरी हो रही है कि गोली बारुद का अवैध बाजार मानो अन्न साग सब्जी की बाजारो की तरह बड़ते जा रही है | जिन बाजारो से गोली बारुद खरिदने वाले पैसे वाले लोग हैं जिनके पास भले गरिबो को दान करने के लिए धन नही है पर मौत के सामानो को खरिदने के लिए भरपुर धन है | जाहिर है कोई गरिब मौत का सामान खरिदने के बारे में कभी सोचता नही है , और न ही वह आतंकवाद को बड़ावा देने जैसी कोई हरकत करता है , क्योंकि उसके पास अन्न रोटी के पैसे नही है तो वे इतने महंगे महंगे मौत का वह सामान कहाँ से खरिदेगा जिसका कि एक एक गोली इतना महंगा होता है कि सिर्फ एक गोली की किमत से किसी गरिब मजदूर का एकदिन का अच्छा खासा खाने पिने का इंतजाम हो जाय ! जितनी महंगी गोलियाँ और बंदुको का उद्योग भंडार पुरी दुनियाँ में इतनी ज्यादे हो रही है कि यदि उसके जगह अन्न धन रोटी होती तो पुरी दुनियाँ से गरिबी भुखमरी रातो रात गायब हो जाती | हलांकि मौत का आधुनिक सामान रक्षको के लिये सबसे अधिक बनाई जा रही है , पर रक्षको को जो मौत का सामान दिया जाता है , वह खुनी अपराधियों का मौत का घाट उतारने के लिये दिया जाता है | लेकिन मुझे पुरा विश्वास है उन मौत का सामानो से सबसे अधिक मौते निर्दोश लोगो की हो रही है | जिसके कारन अन्याय अत्याचार में बड़ौतरी हो रही है | जिसके साथ साथ भ्रष्टाचारियो द्वारा सुपारी देकर हथियारो का इस्तेमाल कराकर कालाधन का अंबार में भी बड़ौतरी हो रहा है | जिस कालाधन की वजह से अपराधो में भी बड़ौतरी हो रहा है | क्योंकि यदि खाली दिमाक शैतान का घर होता है तो भरा कालाधन शैतान का अवैध हथियार होता है | और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि अगर पुरी दुनियाँ का कालाधन को कभी बरामद किया जाय और उसके जमाखोरो मुफ्तखोरो जिनका उस धन में कोई हक अधिकार नही है , लेकिन भी उसे दबाकर रखे हुए हैं , और उससे भोग विलाश भी कर रहे हैं और उसका गलत व खतरनाक इस्तेमाल भी कर रहे हैं | जिसके बारे में जड़ से पता लगाया जाय तो निश्चित तौर पर अपनी ईमानदारी को पानी की तरह बहाने वाले उन अमिरो का ही नाम आयेगा जो कि भले उस कालाधन को अपनी पुरी जिवन खर्च नही कर पाते हैं , और चुराकर जमा करके मर जाते हैं , पर फिर भी मरते दम तक उन्हे धन कमाई का ऐसा भ्रष्ठ नशा रहता है कि हर रोज चुराते और लुटते समय उन्हे सायद ही यह पता रहता है कि आखिर वे इतना सारा धन को मरने के बाद क्या करेंगे ? जो उनकी मौत के बाद न तो उनके साथ जाने वाली है , और न ही उनके पिच्छे छुटे उनके वसियतदार उन्हे खत्म करने वाले हैं | क्योंकि अक्सर कालाधन इकठा करने वालो के वसियतदार भी कालाधन से भोग विलाश जिवन जिनेवाले ऐसे लोग होते हैं जिन्हे भी कालाधन जमा करने का भ्रष्ट हुनर बचपन से ही सिखलाई जाती है , जिसके चलते वे अपने पिच्छे छुटे कालाधन का भंडार को खर्च करने के साथ साथ वे भी अपने विरासत में मिली भ्रष्ठ आचरण का इस्तमाल करते हुए उसमे बड़ौतरी करना जारी रखते हैं | और कालाधन का भंडारन करने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो चोर लुटेरो में जिनका कोई वसियतदार ही नही होते हैं उनका धन तो उनके मरने के बाद मानो गुप्त खजाने को लेकर भागते समय डुबा हुआ पानी जहाज की तरह ऐसे सागर में पड़ा रह जाता है जिसे या तो खोजनेवाली सरकार में मौजुद भ्रष्टाचारी सबसे अधिक मिल बांटकर खाते हैं या फिर जिसे मिल जाय वह खाता है | इससे अच्छा तो ऐसे बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों चोर लुटेरे जो अपनी कमाई का धन पुरी जिवन खर्च ही नही कर पाते हैं , और न ही उनके वसियतदार उनकी कमाई को खर्च कर पाते हैं , उनके अंदर यदि जरा सी भी सुधरने का मन अपनी भ्रष्ट जिवन में करता है तो अपनी लुटपाट चोरी का कालाधन काली गुफा को खुल जा सिमशिम कहते हुए गरिब मजदूरो को ज्यादे से ज्यादे लाभ हो ऐसी किसी क्षेत्र में अपनी अवैध कमाई को निवेश करके ही मरना चाहिये ताकि यदि उन्होने बड़े बड़े पाप किये हो जिससे की मरते समय भी उन्हे बहुत बड़ा बोझ लेकर अँतिम शांस लेने का अंदेशा उन्हे बार बार होता है उसमे थोड़ी बहुत कमी आ सके और गरिब मजदूर उन्हे इस बात के लिये उनके मरने के बाद याद करे कि कोई तो बड़ा भ्रष्टाचारी चोर लुटेरा था जिसे गरिब मजदूर भी नाम करते हैं ! नही तो फिर ज्यादेतर तो गरिब मजदूर किसी बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों को गरिबो का खुन चुसने वाला मानते हैं | जिनका मानना है कि बड़े बड़े भ्रष्टाचारी गरिबो का खुन चुसकर अमिर से और अमिर बनते चले जाते हैं | और बहुत से बड़े बड़े भ्रष्टाचारी तो अपनी रोजमरा जिवन में गरिबो को मानो कुड़ा कचड़ा की तरह ही समझकर व्यवहार करते हैं | जो गरिबो को अपने आस पास नही देखना चाहते हैं | जिसकी वजह से सायद ही बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों की सम्हारोह में कोई गरिब नजर आता है | जैसे की इस डीजिटल इंडिया सरकार की भी जितने भी Ac मंच वाले अथवा डीजिटल सम्हारोह वाली विडियो यूट्यूब या फिर कहीं और पर भी मौजुद है उसमे कितने ऐसे विडियो मौजुद है जिसमे सरकार के भ्रष्ट मंत्री और भ्रष्ट अधिकारी किसी गरिब मजदूरो का हाल समाचार लेते हुए या उनसे मिलते हुए कतार लगात नजर आ रहे होते हैं ? ज्यादेतर तो धन्ना कुबेर या फिर मनुवादी मीडिया के लोग ही देश विदेश की यात्रा सम्हारोह में नजर आते हैं | जो की इतिहास में दर्ज हो रहा है बल्कि हो चुका है चाहे गरिबी हटाओ सरकार हो या फिर डीजिटल इंडिया सरकार हो ये दोनो ही विदेश यात्रा करते हुए और उन यात्राओ में हर साल जमकर खर्च करते हुए ज्यादेतर तो अमिरी माहौल में ही घुमते फिरते उठते बैठते नजर आयेंगे जो विडियो और फोटो इतिहास के रुप में दर्ज हो चूकि है उन रहिसी माहौल में बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों का भी नाम दर्ज हो रहा है | जिसे आने वाली नई पिड़ी हर बार पिछली इतिहास को पलटते समय यह जानकारी लेगी कि जब गरिब बीपीएल भारत में करोड़ो लोग गरिबी रेखा से भी निचे स्तर का जिवन जी रहे थे उस समय ये अमिर आधुनिक डीजिटल सरकार किस तरह के लोगो से ज्यादेतर कतार लगाकर खड़ी नजर आती थी ? जिनके साथ गले मिलकर अपनी कैसी ऐतिहासिक विकाश कर रही थी ? ऐसा विकाश जिसमे आधुनिक भारत गरिबी हटाओ शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया जैसे नारा देकर गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी दुर करने की बाते करके सरकार बनाकर मंत्री और प्रधानमंत्री सिर्फ अपनी अमिरी फोटो और विडियो ही सबसे अधिक सुट करते गए और अपना समय पुरा होने पर दुनियाँ से भी निकलते गए पर करोड़ो गरिबो की जिवन में उनकी बुरे हालात को वहीं का वहीं छोड़ गए | आज भी करोड़ो लोग गरिबी रेखा से भी निचे का जिवन स्तर में गुजारा कर रहे हैं | जिस बिच कई सरकार आई और चली गई कई मंत्री और प्रधानमंत्री आए और चले गए , बल्कि कई गुजर भी गए पर वे अपनी पुरे कार्यकाल में गरिबी भुखमरी का मंजर को देखते हुए सिर्फ ज्यादेतर तो अमिरो के बिच फोटो और विडियो सुट करके सायद यह सोचकर गुजर गए कि उनकी अमिरी फोटो या विडियो को देखकर आने वाली नई पिड़ी यह सोचेगी कि अमिरी फोटो में मंत्री और प्रधानमंत्री को देखकर नई पिड़ी ये सोचेगी कि बहुत विकाश हो रहा था | पर जैसा की हमे पता है कि सच्चाई कड़वी होती है जैसे कि आधुनिक भारत गरिबी हटाओ शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया को विकसित मनुवादी सरकार का कार्यकाल गलतफेमी में रहने वालो के लिए यह बात कड़वा लगेगी कि इस विकसित कार्यकाल में गरिबी रेखा से भी निचे का जिवन स्तर जिन करोड़ो लोगो के नाम इतिहास दर्ज हो चुका है | जिनके फोटो और विडियो भी यह साबित कर देंगे की इस समय किस तरह का विकाश हो रहा था ? वर्तमान के सरकार में मौजुद मंत्री प्रधानमंत्री और तमाम अधिकारी समेत तमाम नागरिक तो कई दसक बाद मर जायेंगे पर जो नई पिड़ी आयेगी वह तय करेगी की मनुवादी शासन में मरने वाले सेवक और जनता मालिक के बिच किस तरह का विकसित तालमेल चल रहा था ! ऐसा तालमेल जो कि सायद सबसे अमिरी और सबसे गरिबी के बिच रहता है ! जिस तालमेल के बारे में चर्चा जरुर होगी भविष्य में खासकर तब जब गरिबी और अमिरी के बिच जो बड़ी खाई बनते चली गई है उसके बारे में चर्चा होगी | फिलहाल तो इस बात पर भी चर्चा मुलनिवासियों की नई पिड़ी ठीक से नही कर पा रही है कि मनुवादी शासन में इस कृषि प्रधान देश और इस देश के मुलनिवासियों को सबसे अधिक नुकसान जो मनुवादी शासन में हो रहा है उसके बारे में पुरी दुनियाँ की मीडिया क्या सोचती है ? क्योंकि इस देश की मीडिया में भी मनुवादीयों का कब्जा है |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें