There was a lot of discrimination in Ramaraja with the civilian Shambhuk, and in Pandavaraj too, injustice and oppression was done to the people, so God punished Rama and the Pandavas as well

There was a lot of discrimination in Ramaraja with the civilian Shambhuk, and in Pandavaraj too, injustice and oppression was done to the people, so God punished Rama and the Pandavas as well.
नागरिक शंभुक के साथ रामराज में बहुत भेदभाव किया गया था, और पांडवराज में भी लोगों के साथ अन्याय और उत्पीड़न किया गया था, इसलिए भगवान ने राम और पांडवों को भी दंडित किया।

naagarik shambhuk ke saath raamaraaj mein bahut bhedabhaav kiya gaya tha, aur paandavaraaj mein bhee logon ke saath anyaay aur utpeedan kiya gaya tha, isalie bhagavaan ne raam aur paandavon ko bhee dandit kiya.

रामराज और पांडवराज के बारे में लंबे समय से यह झुठ बांटा जा रहा है कि रामराज और पांडवराज का नेतृत्व करने वाले शासको ने इतना सुख शांती और समृद्धी कायम किया था कि उनके ही आदर्शो में चलकर उन्ही की तरह प्रजा सेवा करते हुए उनकी पूजा करनी चाहिए | जो यदि महान शासक थे तो निश्चित तौर पर वर्तमान में भी जो मनुवादी शासन चल रहा है , उसका भी नेतृत्व करने वाले शासको को उनके जैसा ही महान शासक बनने के लिए उन्हे अपना पुज्यनीय मानकर राम की तरह जिते जी सरयू नदी में डुबना चाहिए या फिर पांडवो की तरह पहाड़ो से कुद जाना चाहिए | क्योंकि राम और पांडवो ने अपनी शासन के दौरान प्रजा को छोड़कर यही किया था | जिन्हे अपना आदर्श मानने वाले पांडवो की तरह मिल जुलकर एक पत्नी का रिवाज को आगे बड़ाने के बारे में ही सोचते होंगे | और साथ ही कई कई पत्नियों को रखने का रिवाज को भी आगे बड़ा रहे होंगे | जैसा कि रामायण महाभारत में मनुवादीयों के पुर्वज कई कई पत्नियाँ और पति रखते हुए नजर आते हैं | मसलन रामायण में राम के पिता के कई पत्नीयाँ थी और महाभारत में भी पांडवो के कई कई पत्नियाँ थी व पांडव के पिता के भी दो पत्नी थी | बल्कि पांडव तो कई अलग अलग बाप के औलाद थे | युधिष्ठिर धर्मदेव से जन्मा था , भीम वायुदेव से जन्मा था , अर्जुन इंद्रदेव से जन्मा था , और नकुल सहदेव अश्विनी और कुमार से जन्मे थे | क्योंकि इन सबके पिता पांडु अपनी पत्नी कुंती और माधुरी के साथ संभोग करने में सक्षम नही थे | क्योंकि उन्हे यह श्राप लगा था कि यदि वे किसी के साथ संभोग करेंगे तो संभोग अथवा सेक्स करते ही मर जायेंगे | जबकि कुंती को यह वरदान प्राप्त था कि वह किसी भी मर्द को बुलाकर उसके साथ सेक्स कर सकती है | जिस वरदान का प्रयोग कुंती ने कुंवारी समय में ही किया और सुर्यदेव को बुलाकर उसके साथ संभोग करके कर्ण को जन्म दी थी | पर कुंवारी गर्भवती बनने के बाद बदनामी से बचने के लिए वह कर्ण को जन्म देकर उसे नाव जैसा तैरने वाली टोकरी में डालकर नदी में बहा दी थी | हलांकि इस तरह के घटनाओं को मैं ज्यादेतर बलात्कारी मनुवादीयों द्वारा अपने पापो को छिपाने के लिए वेद पुराणो में ऐसी अपरिपक्त छेड़छाड़ करना मानता हूँ , जिसे बुद्धी का विकाश होने के बाद कोई भी इंसान तुरंत पकड़ लेगा कि कहाँ पर मुल गलती हुआ है | और कहाँ पर किसकी गलती को छिपाया जा रहा है ? जैसे की रावण की बहन सुर्पनखा को बिलेन बताकर लक्ष्मण के अपराध को छिपाने का प्रयाश किया गया है | पर चूँकि सत्य को करिब से जानने समझने से आसानी से पता चल जाता है कि सच क्या और झुठ क्या है , इसलिए कोई भी जानकार व्यक्ती मनुवादीयों के द्वारा किये गए मिलावट और छेड़छाड़ के बारे में ठीक से जानकारी इकठा करे तो झुठ को तुरंत पकड़ सकता है | जैसे कि ठीक से जानकारी सुर्पनखा के बारे में यदि जाने समझे तो सत्य सामने आ जायेगा | मसलन सुर्पनखा के बारे में यह जानना जरुरी है कि वह  रावण की एकलौती बहन और लंका सुंदरी थी , जिसके लिए कुँवारे राजकुमारो की लाईन लग जाती यदि वह विवाह के लिये राजी होती | पर चूँकि उसे किसी से प्रेम हो गया था , जिससे वह विवाह करना चाहती थी , जिसके लिये रावण तैयार नही था , इसलिये सुर्पनखा ने अपने पहले प्यार के साथ भागकर विवाह कर ली थी | पर वह उसके साथ ज्यादे दिनो तक पारिवारिक जिवन नही जी सकी और भरी जवानी में ही विधवा हो गयी थी | रावण उसकी विधवा विवाह के लिये भी उसे राजी करने की कोशिष किया पर वह अपने पहले प्यार के अलावे और किसी गैर पुरुष के बारे में सोच नही सकती कहकर वह अपने पति के चीता में सती होने जा रही थी , पर रावण और उसके बाकि भाईयो ने भी उसे रोका और समझाया कि अपने लिये न सही पर अपने भाईयो और अपने पति के प्रजा के लिए जियो कहकर उसे सती होने से रोककर विधवा हुई सुर्पनखा को एक समृद्ध क्षेत्र रावण ने दिया जहाँ पर सुर्पनखा अपनी प्रजा के साथ जिवन यापन कर रही थी | जिस विधवा सुर्पनखा के बारे में ढोंगी पाखंडी मनुवादियों ने यह कहानी बनाया है कि विधवा सुर्पनखा विवाहित और गुशैल लक्ष्मण जिसका गुस्सा हमेशा नाक में रहती थी , जिसके चलते राम ने भी और सीता ने उसको फटकार लगाया था उस लक्ष्मण के साथ विधवा सुर्पनखा अपनी हवश मिटाने के लिए रेप करने की कोशिष कर रही थी , जिसके चलते गुशैल लक्ष्मण ने अपनी इज्जत बचाने के लिए सुर्पनखा का नाक काटकर उसे लहु लुहान कर दिया था | जाहिर है ऐसी मिलावट और छेड़छाड़ करने की मनुवादीयों ने रिवाज सा बना लिया है , जिसे वे आज भी अपडेट करते रहते हैं | जिस तरह की गलती करने वाली रिवाजो को मनुवादीयों को और आगे नही बड़ानी चाहिए | और यदि बड़ाते रहना चाहिए इस जिद्द में मनुवादी अड़े हुए हैं , तो रामराज रामराज करने वाले संवर्ण क्या राम की तरह ही अपनी अपनी पत्नी के बारे में जरा सा भी शिकायत मिलने पर अग्नी परीक्षा सार्वजनिक तौर पर लेने की रिवाज को आगे बड़ा रहे हैं ? जिससे भी मन न भरे तो अपनी पत्नियों की शिकायत होने पर उसे गर्भवती अवस्था में मायके या अस्पताल के जगह राम की तरह घने जंगलो में भेज देते ताकि वे भी अपने अपने परिवारो के साथ राम की तरह रामराज कायम करके खुद तो जीते जी सरयू नदी में डुबते ही पर अपनी पत्नी को भी इतनी अधिक दुःख पीड़ा देते की वह भी जीते जी धरती में समा जाती | जिस तरह की जिवन रामराज और पांडवराज में मिलती है | जिनके शासन में प्रजा नर्कीय जिवन जीती है , और शासक भी नर्कीय जिवन जिते हैं | जैसे की पांडवराज में पांडव इतने अधिक पाप के भागीदार बनते हैं कि खुद भी जिते जी हिमालय से छलांग लगाकर नर्क चले जाते हैं | जिनका तो वल्ड रिकॉर्ड बनना चाहिए कि वे ऐसे पहले लोग थे जिन्होने हिमालय से छलांग लगाकर आत्महत्या किये थे | जो अपने कुकर्मो के चलते नर्क गये यह भी महाभारत में दर्ज है , जिसे न के बराबर बतलाया जाता है | जबकि जिन्हे सबसे बड़ा खलनायक बतलाया जाता है वे कौरव और रावण स्वर्ग जाने के बारे में जाने जाते है | जिसके चलते भी मनुवादी जिसे नायक बतलाते हैं उनकी तरह की जिवन जिने से उन्हे मानो साँप सुंघ जाता है |  क्योंकि उन्हे पता है कि यदि वे राम और पांडवो की तरह जिवन जिये तो उनकी पुजा होना तो दुर प्रजा द्वारा उनसे बातचीत भी नही किया जायेगा बल्कि अपराधी माने जायेंगे |  हलांकि शंभुक प्रजा का शोषण अत्याचार करने का अपराध तो पांडवराज और रामराज को अपना आदर्श मानकर वर्तमान के भी अपडेट मनुवादी राज में जरुर हो रहा है | जिस अपडेट मनुवादी राज के भी शासको की पुजा होगी भविष्य में ऐसी उमिद लगाकर यदि मनुवादीयों के द्वारा पाप दोहराया जा रहा है तो वर्तमान के मनुवादीयों को यह बात अपने मन में बैठा लेनी चाहिए की वर्तमान का इतिहास ऑडियो विडियो रिकॉर्ड होकर भी दर्ज हो रहा है | जिसे बदलकर उसके जगह कोई दुसरा ऑडियो विडियो दर्ज नही किया जा सकता |  जिसे आनेवाली नई पिड़ी देख सुनकर जरुर तय करेगी कि वर्तमान का मनुवादी शासन में मनुवादीयों द्वारा क्या क्या पाप हो रहा था | बाकि लिखावट और पिड़ी दर पिड़ी आगे बड़ने वाली अपडेट वेद पुराण की जानकारी तो है ही ! जिसके जरिये मनुवादीयों की कुकर्मो के बारे में जानकारी हमेशा के लिए मौजुद रहेगी | जो जानकारी रामायण महाभारत वेद पुराणो में भी दर्ज है , बस उसमे जो जानकारी मिलावट और छेड़छाड़ करके दर्ज की गई है , उसे समझने की जरुरत है | जैसे की वर्तमान में भी मनुवादी मीडिया द्वारा छेड़छाड़ तरके जो आधुनिक भारत और डीजिटल इंडिया के बारे में जानकारी दर्ज हो रही है , उसे भी अपनी सत्यबुद्धी का इस्तेमाल करके समझने की जरुरत है | जिसे न समझने वाले बहुत सारे शंभुक भी जिस तरह राम और पांडव भक्त बने हुए हैं , उसी तरह वर्तमान के भी शासको के भक्त बने रहेंगे और क्या पता वर्तमान के भी मनुवादी शासको का भविष्य में राम मंदिर की तरह ही उनकी भी मंदिर निर्माण होगा यदि और भी लंबे समय तक मनुवादी शासन समाप्प्त नही होगा | इसलिए अभी भी अँधभक्त बनने वाले शंभुक छोड़ दें अँधभक्ती करना और लग जायं अपने पुर्वजो के सुख शांती और समृद्धी कायम शासन को वापस लाने में ! जो तबतक नही आयेगी जबतक की अँधभक्ती होती रहेगी | और मनुवादी शासन को कायम रखने में विशेष सहयोग करने वाले घर का भेदी भी पैदा होते रहेंगे | 

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