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सोमवार, 25 नवंबर 2019

ध्यान रहे बुद्धी का मतलब कोई उच्च डिग्री और खुब सारा धन हासिल करना नही है

ध्यान रहे बुद्धी का मतलब कोई उच्च डिग्री 
और खुब सारा धन हासिल करना नही है 
khoj123,बुद्धी ज्ञान धन बुद्ध कबीर


जिस कड़वा सत्य के बारे में संत कबीर ने भी कहा है कि

पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ पंडित भया न कोय |
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ||


अथवा बड़ी बड़ी डिग्री लेकर बड़ी बड़ी किताबे पढ़कर दुनियाँ में न जाने कितने ही लोग मौत के द्वार पर पहुँचकर भी सत्यबुद्धी को प्राप्त नही कर सके | लेकिन यदि ढाई अक्षर प्रेम का सत्यबुद्धी प्राप्त कर लेंगे तो बुद्धी को प्राप्त जरुर कर लेंगे | बल्कि महलो में कई शिक्षको से पढ़कर बुद्ध के पास पास भी कई उच्च डिग्री मौजुद थी | लेकिन भी उसके बारे में यह क्यों कहा जाता है कि बुद्ध को ज्ञान पेड़ के निचे खुले में बिना कोई पढ़ाई के आँख मुंदकर योग ध्यान करने मात्र से हासिल हुआ था | जो ज्ञान उसे कई शिक्षको से पढ़ने और कई डिग्री हासिल करने के बावजुद भी महल के अंदर क्यों नही मिल पाई थी ? क्योंकि बुद्धी के सरण में जाना बड़ी बड़ी डिग्री हासिल करना और खुब सारा धन हासिल करना नही बल्कि सत्य बुद्धी को प्राप्त करना होता है | क्योंकि ज्ञान डिग्री और खुब सारा धन तो बड़े बड़े आतंकवादी और किडनीचोर डॉक्टर के पास भी होती है , पर उनके पास सत्यबुद्धी नही होती है | जिसके चलते वे आतंकवादी और किडनीचोर बनते हैं | जो सत्यबुद्धी मनुवादियो को भी अबतक प्राप्त नही हो पा रही है | जिसके चलते वे बड़ी बड़ी डिग्री हासिल करके और बड़े बड़े उच्च पदो में बैठकर भी प्रेम से जिवन गुजारा करने के बजाय भेदभाव शोषण अत्याचार करना नही छोड़ पा रहे हैं | जैसे कि सत्यबुद्धी नही आने कि वजह से गोरे भी लंबे समय तक यीशु प्रेम बांटने के बजाय बाईबल धरकर भी न्यायालय का जज बनकर देश गुलाम करके अजादी संघर्ष करने वालो को सजा देते रहे और यह बोर्ड लगाते रहे कि कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है | जिस तरह का बोर्ड मनुवादि भी आजतक लगाना नही छोड़ पाये हैं | क्योंकि उन्हे भी बड़ी बड़ी उच्च डिग्री और वेद पुराणो की डिग्री प्राप्त करने के बावजुद अबतक भी सत्यबुद्धी प्राप्त नही हो पायी है | क्योंकि बुद्धी को प्राप्त करना दरसल सत्यबुद्धी को प्राप्त करना है | जैसे की बुद्ध ने प्राप्त किया था | जो सत्यबुद्धी उसे महलो में नही बल्कि खुले आसमान और पेड़ के निचे मिली थी | जहाँ पर सबसे अधिक ग्रामिण और झुगी झोपड़ी अबादी जिवन बसर करती है | जिन लोगो को बुद्धी नही है और अनपढ़ गंवार कहकर मजाक उड़ाने और अपमानित करने वालो को ही तो बुद्ध और कबिर ने भी बुद्धी के सरण में जाओ कहकर ज्यादेतर बुद्धी बांटने का प्रयाश किया है | अथवा बुद्ध और कबिर ने सबसे अधिक ज्ञान उन्ही लोगो को बांटा है , जिनके पास किसी चिज की कमी नही थी पर सत्यबुद्धी की कमी जरुर थी | जैसे की अभी भी सबसे अधिक सत्यबुद्धी बांटने की जरुरत बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को है , जिनके पास किसी भी चीज की कोई कमी नही है , बस सत्यबुद्धी की कमी है | तभी तो ऐसे लोगो द्वारा ही सबसे अधिक भ्रष्टाचार हो रहा है | और कालाधन का भी अंबार ऐसे ही लोग लगाते जा रहे हैं | जिन्हे सत्यबुद्धी की सबसे अधिक जरुरत है | जिनको सत्यबुद्धी न मिलने की वजह से ही तो यह देश सोने की चिड़ियाँ होते हुए भी यहाँ पर गरिबी भुखमरी का अंबार इसलिए लग गया है , क्योंकि ऐसे ही लोग दुसरो का हक अधिकारो को चुराकर लुटकर खुदको सबसे विद्वान समझते रहते हैं | जिन्हे सत्यबुद्धी की आवश्यकता सबसे ज्यादे है | जिन्हे बड़े बड़े कबिर जैसे महान विचारक और बुद्ध जैसे महात्मा के विचार भी सैकड़ो हजारो सालो से सत्यबुद्धी नही दे पाई है | क्योंकि ऐसे लोग कबिर और बुद्ध जैसे संत महात्माओ को भी मानो किसी चेक की तरह भंजाकर यशो आराम का जिवन गुजारते हुए उल्टे उन्ही लोगो को बुद्धीहीन अनपढ़ गंवार कहते आ रहे हैं , जिनसे न तो लोकतंत्र को ज्यादे खतरा है , और न ही पर्यावरण व मानवता को ज्यादे खतरा है | बल्कि सबसे ज्यादे खतरा उन्ही लोगो से है , जो बुद्धीहीन अनपढ़ गंवार कहकर खुदको सबसे उच्च समझकर सबसे बड़े बड़े भ्रष्टाचार में लिप्त होकर कालाधन का अंबार लगाते जा रहे हैं | ध्यान रहे बुद्धी का मतलब कोई उच्च डिग्री और खुब सारा धन हासिल करना नही है |

शनिवार, 23 नवंबर 2019

चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! और चुनाव जितते ही बगुला योगी साबित होता है !

चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! और चुनाव जितते ही बगुला योगी साबित होता है !
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जिस तरह पंचतंत्र की कथा में बगुला योगी अब मैं बुढ़ा हो गया हूँ कहकर ढोंग पाखंड करता है , उसी तरह हजारो सालो से शोषण अत्याचार करने वाला हजारो सालो का बुढ़ा मनुवादी भी बगुला योगी की तरह ढोंग पाखंड करता है कि अब वह भेदभाव शोषण अत्याचार करना छोड़ दिया है |


चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! फिर रामदेव जैसे घर के भेदियो को अपनी मनुवादि वायरस देकर बुद्धी भ्रष्ट करके इस्तेमाल करते हैं | मनुवादियो को बस किसी भी हालत में शोषण अत्याचार करने के लिए सत्ता चाहिए , जैसे कि किसी ड्रक्स का आदि हुए नशेड़ी को किसी भी हालत में ड्रक्स चाहिए होता है | मनुवादियो को इस देश के मुलनिवासियो का सेवा तो करना नही है , जबतक लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा कायम रहेगी तबतक जीभरके सिर्फ शोषन अत्याचार करते रहना है | क्योंकि सत्ता मानो ऐसी ताकत वरदान है जो जिन लोगो के लिए सेवा करने का माध्यम है , उनके लिए तो मानो सत्ता अमृत है , पर जिन लोगो के लिए शोषन अत्याचार करने का माध्यम है , उनके लिए शोषण अत्याचार करने का सबसे बड़ा ताकतवर वरदान है | जैसे की सत्ता के जरिये मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो के साथ हजारो सालो से शोषन अत्याचार करते आ रहे हैं | ताकतवर सत्ता उनके लिए ऐसा ड्रक्स बना हुआ है जो इंसानियत को मार डालता है | जो बुद्धी भ्रष्ट करके दिन रात ऐसा पाप कराता है , जिससे कि इंसानियत ऐसे पापियो से अजादी पाने का लंबा संघर्ष करता है , जिनसे अजादी मिले बगैर इंसानियत कायम कभी हो ही नही सकता | जो जबतक कायम नही हो जाती तबतक शोषण अत्याचार से अजादी पाने का संघर्ष चलता रहता है | जैसे कि मनुवादियो की शोषन अत्याचार से अजादी पाने का संघर्ष हजारो सालो से चल रहा है | जिस संघर्ष को कमजोर संघर्ष यह सोचकर नही कहा जा सकता कि चूँकि मुठिभर अबादि से भी बहुसंख्यक अबादि लंबे समय से अजादि पाने का संघर्ष कर रहा है , इसलिए वह कमजोर है | और चूँकि शोषन अत्याचार करने वाला मुठिभर होकर भी बहुसंख्यको पर राज कर रहा है इसलिए वह ताकतवर है | और ताकतवर मनुवादियो से डरकर सभी शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे सब मिलकर संघर्ष कर रहे हैं इसलिए वे कमजोर हैं | क्योंकि अजादि संघर्ष भी तो मुठिभर गोरो से अजादी पाने के लिए मिलजुलकर ही लड़ी गयी थी | तो क्या गुलाम करने वाले गोरे सभी गुलाम देशो के गुलामो से ज्यादा ताकतवर थे और मिल जुलकर अजादी संघर्ष करने वाले सभी गुलाम लोग कमजोर थे ? बिल्कुल नही बल्कि गुलाम और शोषन अत्याचार करने वाला ज्यादे कमजोर होता है , जिसके पास इतनी ताकत नही होती की वह किसी को गुलाम किये बगैर , किसी का शोषन अत्याचार किये बगैर , हक अधिकारो को बिना लुटे बगैर जिंदा रह सके ! जिसके चलते वह किसी परजिवी की तरह दुसरो का हक अधिकारो को चुसकर शोषण अत्याचार करके जिवित रह पाता है | जैसे कि इस देश के मुलनिवासियो के साथ हजारो सालो से शोषन अत्याचार करने वाले मनुवादि परजिवी मांसिकता को अबतक कायम रखकर ही खुदको सबसे अधिक ताकतवर और उच्च कहकर गुजर बसर कर रहे हैं | जिन मनुवादियो के बिच मौजुद जिनके पास भी बिना किसी को गुलाम बनाये , शोषन अत्याचार किये , हक अधिकारो को लुटे बगैर जिवन गुजारा करने कि मांसिकता शोषित पिड़ितो की संगत में आकर सचमुच में ताकत विकसित होने लगती है , वह सचमुच में शोषन अत्याचार करने कि भ्रष्ट नशा को धिरे धिरे छोड़ते हुए भेदभाव करने वालो का पापो को धोने के लिए बिना भेदभाव के शोषित पिड़ितो की सेवा करने में लग जाता है ! पर अफसोस मनुवादियो के भितर मनुस्मृति का शैतान भुत इतनी गहराई तक घुस चुका है कि उसे जलाकर भी अबतक मुठिभर मनुवादियो में भी इतनी ताकत विकसित नही हो पाई है कि उनके भितर वह ताकतवर इंसानियत जाग जाय जिससे कि भेदभाव समाप्त हो जाय | जिनको आज भी भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत भ्रष्ट नशा कराके और अधिक कमजोर करने में लगा हुआ है | जो भ्रष्ट नशा जिनके भितर भी गहराई तक चला जाता है वह व्यक्ति धर्म परिवर्तन करके भी दुसरे धर्मो में जाकर भेदभाव करने का भ्रष्ट नशा करना नही छोड़ पाता है | जिस तरह का भेदभाव नशा करने वाले लगभग सभी धर्मो में मौजुद हैं | जैसे कि कहीं सुन देख रहा था कि बौद्ध धर्म में भी भेदभाव होता है | जिसके चलते अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी एक इंसान का औसतन उम्र जितना समय हो चुका है , लेकिन भी अबतक इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भेदभाव करने वाला भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत सवार होकर हक अधिकारो को छिनने और शोषन अत्याचार करने में लगा हुआ है | लगता है अजाद भारत का संविधान लागू होने के बाद भेदभाव का नशा करते हुए अबतक शोषन अत्याचार करने में लगा हुआ मनुवादियो का बुढ़ा पिड़ी समाप्त होने के बाद ही नई पिड़ी जो बुढ़ा पिड़ी से अपने हाथो शोषन अत्याचार करने का नशा को थामेगी वही भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत को अपने भितर से उतारने के लिए शोषन अत्याचार का नशा करने से इंकार करते जायेगी | और धिरे धिरे जिस तरह गुलाम करने वाले गोरो की नई पिड़ी आज गुलाम करने के लिये माफी मांगकर इतिहास में लगे दाग को मिटाने कि कोशिष कर रहा है , उसी तरह मनुवादियो की नई पिड़ी भी सायद छुवा छुत भेदभाव दाग मिटाने की कोशिष कर पायेगी न कि पुरानी पिड़ी की तरह दाग अच्छे हैं कहकर शोषन अत्याचार करती रहेगी | और शोषन अत्याचार के खिलाफ संघर्ष और भी लंबे समय तक चलता रहेगा | गोरो को तो सैकड़ो सालो में इतनी ताकत आ गयी थी कि वे शोषन अत्याचार कराने वाले भुत से छुटकारा पाने के लिए गुलाम करना छोड़ दिये पर मनुवादियो को तो हजारो सालो के बाद भी इतनी ताकत नही जुट पा रही है कि वे शोषन अत्याचार कराने वाले भष्म मनुस्मृति का भुत से छुटकारा पा सके | हलांकि मनुवादियो की भ्रष्ट संगत में पड़ने वाले घर के भेदियो के बुद्धी को भी भष्म मनुस्मृति का शैतान भूत जकड़ लेता है , और वह बाबा रामदेव जैसा मनुवादियो का गुणगाण करके भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो का आरती उतारके शोषित पिड़ितो की अजादी संघर्ष को वैचारिक आतंक कहने लगता है | जिस तरह के घर के भेदियो को भी मनुस्मृति में मौजुद वैचारिक और शारिरिक आतंक दिखलाई नही देती है | जैसे कि जिन मनुवादियो को मनुस्मृति में मौजुद वैचारिक और शारिरिक आतंक दिखलाई नही दे रही है वह अबतक शोषण अत्याचार करने की भ्रष्ट परंपरा को आगे बड़ाने में लगा हुआ है |

कड़वा सत्य को स्वीकारने में मनुवादियो को शर्म क्यों आती है ?

कड़वा सत्य को स्वीकारने में मनुवादियो को शर्म क्यों आती है ? 

अक्सर अपराधि अपने कुकर्मो और सजा को छिपाते हैं , पर मनुवादि तो अपने बहुत से आदर्श पुर्वजो की मौत इतिहास को भी छिपाते आ रहे हैं | जिसके चलते उनके बहुत से आदर्श पुर्वजो की मौत कैसे हुई थी इसे छिपाया गया है | मनुवादि सिर्फ रावण का विनाश हुआ , कौरवो का विनाश हुआ , नंद का विनाश हुआ कहकर बार बार रावण कौरव और नंद को सबसे बड़ा अपराधी और राम पांडव चाणक्य को बहुत महान बल्कि ईश्वर बताकर अपनी झुठी शान में डुबे रहते हैं | साथ साथ ब्रेनवाश करके दुसरो को भी अपनी झुठी शान का नशा करवाने की कोशिष करते रहते हैं | जैसे की मानो रावण की हत्या करके राम अपने बिवी पच्चो और प्रजा के साथ बड़ी सुखी जिवन व्यक्तीत करते हुए अंतिम यात्रा किया था | जिस राम को अपने ही रामराज में अपने बिवी बच्चे और प्रजा के साथ जिवन यापन करने का नसीब नही हुआ था इसके बारे में सायद ही कभी कभार बतलाया जाता है | सिर्फ रामराज रामराज कहकर यह झुठ फैलाया जाता है जैसे कि मानो राम द्वारा रावण की हत्या करने के बाद रामराज में उसकी जिवन में किसी तरह की भी कोई पीड़ा नही छु सकी थी | तभी तो सिर्फ रावण की मौत कैसे हुई थी इसके बारे में सबको बतलाकर हर साल रावण का पुतला जलाकर ऐसा जस्न मनाया जाता है जैसे मानो रामराज में राम और उसकी बीवी बच्चे और प्रजा को जिवन में कभी दुःख ही नसीब नही हुआ था और राम की कृपा से ये सभी बहुत सुखी जिवन जिते हुए अंतिम यात्रा किये थे | जबकि असल में इन लोगो का अंतिम यात्रा भी बहुत ही दर्दनाक हुआ था | जिते जी राजा राम सरयू नदी में डुबा और अति दुःखी होकर रानी सीता भी जिते जी धरती में समा गयी थी | जिससे बड़ा दुःख रामराज में क्या हो सकता है ! और साथ साथ रामराज में शंभुक प्रजा को भेदभाव करके उसके द्वारा वेद ज्ञान लेने पर जो राजा राम द्वारा शंभुक की हत्या कर दिया गया था वह दुःख तो और भी अधिक दुःखी करने वाला था | जिसका उदाहरन आज भी शोषित पिड़ित प्रजा जरुर देता है जब रामराज में भेदभाव नही होता था इस तरह का झुठा प्रचार प्रसार करके झुठ फैलाया जाता है | जिन सब बातो को छिपाने के लिये रामराज का प्रचार प्रसार में सबसे अच्छा शासन रामराज कहकर झुठा प्रचार प्रसार आजतक भी किया जाता है | सायद मनुवादियो को सच से सामना करने में शर्म आती है | जैसे कि चाणक्य की मौत भी मनुवादियो के लिए सायद शर्मनाक थी | इसलिये तो उसकी मौत को विवादित करके मनुवादियो ने अबतक छिपाकर रखा हुआ है | हलांकि विवादित होने के बावजुद भी इतिहास का दुसरा पक्ष यह भी बतलाता है कि चाणक्य की मौत जिंदा जलाने से हुई थी | सम्राट अशोक धारावाहिक में भी चाणक्य को सम्राट बिंदुसार के मंत्री सुबंधु ने जिंदा जलवा दिया था यह दिखलाया गया है | लेकिन मनुवादियो का कहना है कि चाणक्य ने आत्महत्या कर लिया था | जिन दोनो तरह के विवादित बातो में यदि चाणक्य को सचमुच में जिंदा जलाया गया था यह बात सच है तो निश्चित तौर पर चाणक्य की मौत चाणक्य द्वारा पिठ पिच्छे नंद सम्राट की हत्या करवाने से भी कहीं ज्यादे दर्दनाक हुई थी | जिस चाणक्य ने शैतान सिकंदर के साथ हाथ मिलाकर मगध की सत्ता पर कब्जा करके अपनी सोच से चलाने के लिए अपने शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य को पहले तो जोर जबरजस्ती शैतान सिकंदर के सेनापति सेल्युकस की पुत्री हेलेना से विवाह करवाया , उसके बाद चंद्रगुप्त मौर्य को जहर देकर मार डालने की भी कोशिष किया था | पर गलती से जहर वाला भोजन को चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी गर्भवती पत्नी को दे दिया और  उस जहरिली भोजन को खाकर चंद्रगुप्त की गर्भवती पत्नी मर गयी थी | पर उसका बच्चा बिंदुसार बच गया था | जो आगे जाकर सम्राट बना | जिसके ही मंत्री सुबंधु ने चाणक्य को जिंदा जलवा दिया था | जो कि चाणक्य की मौत का विवादित इतिहास का दुसरा पक्ष है  | जिस चाणक्य के दबाव में चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी मन से न चाहते हुए भी शैतान सिकंदर के सेनापति सेल्युकस की बेटी हेलेना से विवाह किया था | इतना ही नही चाणक्य अपने दुश्मनो को हराने के लिए विष कन्याओ का फौज भी तैयार करता था | जो कन्याये चाणक्य के कहने पर अपनी जहरिली हवश की जाल में फंसाकर चाणक्य के आदेश से जहर देकर मार डालती थी | जिस चाणक्य की जहरिली निति को अपनाकर आज भी चाणक्य को अपना आदर्श मानने वाले बहुत से लोग अपने विरोधी को किसी विषकन्या को सुपारी देकर हवश की जाल में फंसवाकर मरवाते होंगे | जैसे की चाणक्य के समय में उसके विरोधी हवश की भुख मिटाने के लिये जैसे ही विष कन्याओ से संपर्क करते थे तो वे मारे जाते थे | बल्कि चाणक्य ने तो अपने शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य को भी जहर देकर मारने की कोशिष किया था | पर जैसा की इतिहास में बतलाया गया है कि उस भोजन को चंद्रगुप्त की गर्भवती पत्नी ने खाई और जहर की वजह से वह मारी गयी | पर उसका बच्चा बच गया जिसका नाम बिंदुसार था | जिसके पिता ने जब राजपाठ छोड़कर सन्याश ले लिया तो उसका पुत्र बिंदुसार मगध का सम्राट बना | जिसका पुत्र अशोक था | जिसे मगध की राजगद्दी पर न बैठने देने के लिए मनुवादियो ने उसकी भी हत्या की साजिश रचा था | पर उल्टे अशोक ने ही 99 ब्रह्मणो की हत्या करके राजगद्दी हासिल कर लिया था |

शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

प्रकृति भगवान की सजा से राम पांडव और चाणक्य भी नही बच सके तो वर्तमाण के मनुवादि क्या बचेंगे

प्रकृति भगवान की सजा से राम पांडव और चाणक्य भी नही बच सके तो वर्तमाण के मनुवादि क्या बचेंगे

गरिबी भुखमरी शोषन अत्याचार से हर रोज अनगिनत मुलनिवासियो की असमय मौत हो रही है | मनुवादि शासन में मुलनिवासियो की असमय मौत की तादार अति हो गयी है | जिसमे कितने मनुवादियो की मौत गरिबी भुखमरी से हो रही है ? 
भेदभाव

जाहिर है मनुवादि शासन में जिसमे की कथित उच्च जातियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मौजुद है | 


जिस तरह के भारी भेदभाव हालात में इस देश के मुलनिवासी मनुवादियो की शोषन अत्याचार से छुटकारा पा लेंगे यह उम्मीद करना मानो गोरो के शासन  में गोरो द्वारा न्यायपुर्ण सेवा की उम्मीद करने से भी ज्यादा झुठी उम्मीद करना है | क्योंकि गोरो की शासन में अजाद भारत का संविधान लागू नही था | पर वर्तमान के मनुवादि शासन में तो अजाद भारत का संविधान लागू है | जिसके लागू होने के बावजुद भी ये सब हो रहा है | जिसे रोकने के लिए मनुवादियो की सत्ता जाने के लिए सभी मुलनिवासियो जो चाहे जिश धर्म में मौजुद हो वे सब एकजुट होकर ऐतिहासिक भारी बदलाव का भागिदारी बने , और मनुवादियो के द्वारा किये जा रहे शोषन अन्याय अत्याचार का जमकर विरोध करें | मनुवादियो का विरोध करने के लिए मैं उन चाटुकारो या घर के भेदियो से नही कह रहा हूँ जो मनुवादियो का कंधा से कंधा मिलाकर अपने ही डीएनए के लोगो का शोषन अत्याचार करने में मदत इसलिए कर रहे हैं , क्योंकि उन्हे भी मनुवादियो का भोग विलाश और झुठी शान में खाश हिस्सेदारी चाहिए | चाहे मानो जुठन के रुप में हो या फिर घुस के रुप में हो | जिन्हे अपनो को दुःख देने में वैसा ही आनंद आता है , जैसे की विभिषन को अपने भाई रावण की हत्या कराने में मदत करके और अपनो के लंका का विनाश कराने में आनंद आया था | पर चाटुकार और घर के भेदियो को यह बात भी नही भुलनी चाहिए कि जब घर के भेदि की सहायता से लंका का शासन पुरी तरह से अपने कब्जे में आ जाती है तो घर के भेदि विभिषण का क्या हाल होता है ? वैसे जब मुलनिवासियो की सत्ता भी वापस अपने हाथ आ जाती है तो मनुवादि वापस या तो हाथ में कटोरा लेकर जिवन गुजारा की भिख मांगते हैं या फिर सजा काटते हैं | जैसे की वामन ने देवो के कहने पर जिवन गुजारा के लिए मांगा था , जब बलि दानव ने देवो को हराकर अपनी सत्ता उनसे वापस छिन लिया था | क्योंकि देव सड़क में आ गए थे और वामन से भिख मंगवाये थे | जैसे कि देव के वंसज मनुवादि हजारो साल पहले इस देश में प्रवेश करने से पहले संभवता बिन कपड़ो के पुरुष झुंड बनाकर सड़को पर घुमा करते थे  तो अपनी जिवन गुजारा के लिए घुमते घुमते इस देश में प्रवेश करके घर के भेदियो की सहायता से इस देश के मुलनिवासियो की हक अधिकारो को छिनकर शोषन अत्याचार करना सुरु कर दिया | जिन मनुवादियो के हाथो जब सत्ता चली जायेगी तो हाथ न फैलाने की स्थिति में निश्चित तौर पर शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादियो और उन्हे  भ्रष्ट बुद्धी देने वाले ढोंगी पाखंडी भी शोषण अत्याचार गुनाह की सजा भविष्य में जरुर काटेंगे | जो सजा उन्हे प्राकृति भगवान देगा | जिस सजा से राम पांडव और चाणक्य भी नही बच सके तो वर्तमाण के मनुवादि क्या बचेंगे | हाँ मुलनिवासी सत्ता आने से पहले ही जो मनुवादि भरपेट खा पीकर झुठी शान में डुबकर निकल लेंगे अथवा मर जायेंगे उन्हे क्या सजा मिलेगी ये तो इतिहास ही तय करेगा , जिसे शोषित पिड़ितो की नई पिड़ी पढ़कर मंथन करके शोषन अत्याचार करने वालो की झुठी शान और झुठी महानता को वैसे ही जलाकर नई इतिहास अपडेट करेंगे जैसे की अंबेडकर ने मनुवादियो का संविधान मनुस्मृति को जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना किया था | मनुस्मृति को जलाने वाली सोच को वैचारिक आतंक कहने वाले रामदेव जैसे घर के भेदियो को तो भविष्य में मनुवादियो का विरोध करने वाली नई पिड़ी भी वैसे ही नजरो से देखेगी जैसे की वर्तमान की पिड़ी विभिषण को देखता है |

सोमवार, 18 नवंबर 2019

मनुस्मृति को जलाकर भारत का संविधान रचना करना वैचारिक आतंक है कि मनुस्मृति रचना करना वैचारिक आतंक है ?

मनुस्मृति को जलाकर भारत का संविधान रचना करना वैचारिक आतंक है कि मनुस्मृति रचना करना वैचारिक आतंक है ?

रामदेव ने जिन शोषित पिड़ितो के लिए वैचारिक आतंक जैसे विवादित बयान दिया है , उन लोगो का डीएनए और रामदेव का डीएनए एक है |



जो प्रमाणित बात रामदेव को जरुर पता होनी चाहिए | क्योंकि रामदेव ने अपने आगे राम और देव जोड़कर सायद यह सोच लिया हो कि उसका डीएनए राम और देव से मिलता है | इसलिए सायद बार बार राम और देव को अपना पुर्वज कहते रहता है | जबकि उसे यह पता होना चाहिए की अपना और अपने पुर्वजो का डीएनए एक होता है | और जैसा कि विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से यह बात साबित हो चुका है कि दलित आदिवासी और पिछड़ी जाति का डीएनए और ब्रह्मण वैश्य क्षत्रिय जाति का डीएनए अलग है | और रामदेव पिछड़ि जाति से आता है | 



राम पिछड़ी जाति का नही था कि रामदेव राम को अपना पुर्वज मानकर अपने ही डीएनए के लोगो को वैचारिक आतंकी कहे |



जबकि वैचारिक आतंक असल में छुवा छुत उच्च निच भेदभाव करके वेद सुनने पर कान में गर्म पिघला लोहा डालना , वेद का उच्चारण करने पर जिभ काटना , गले में थुक हांडी टांगना , कमर में झाड़ू टांगना , अँगुठा काटना जैसे मनुवादि विचार है | जिस अन्याय अत्याचार से अजादी पाने का संघर्ष रामदेव के लिए आतंक है | बल्कि रामराज में तो शंभुक की हत्या तक राम द्वारा इसलिए कर दिया गया था , क्योंकि मनुस्मृति अनुसार शंभुक शुद्र जाति का था | जिसके लिए रामराज में वेद ज्ञान लेना ऐसा अपराध था जिसकी सजा मौत थी | जिस रामराज को सबसे श्रेष्ट शासन माना जाता है | जिस समय यदि रामदेव भी वर्तमान की तरह शुद्र जाति का होकर वेद ज्ञान लेता तो निश्चित तौर पर उसे भी शुद्र होते हुए भी वेद ज्ञान लेने की सजा दी जाती | क्योंकि वह उच्च जाति का नही है | रामराज में शंभुक प्रजा के साथ अन्याय अत्याचार तो होता ही था , पर राजा राम ने तो अपनी पत्नी रानी सीता को भी बिना गलती के सजा देना नही छोड़ा और अग्नि परीक्षा पास करने के बावजुद भी उसे गर्भवती अवस्था में ही घने जंगल में भेज दिया गया था | जहाँ पर रानी सीता ने लव कुश को जन्म दी थी | जिस सीता का दुःख यही नही थमा और वह आगे रामराज में ही इतनी दुःखी हुई की रोते रोते जीते जी धरती में समा गयी | 



हलांकि राजा राम भी बाद में अपनी प्रजा को छोड़कर जीते जी सरयू नदी में समा गया था | जिस तरह से कथित सबसे श्रेष्ट रामलीला का समापन हुआ था | राम का महल में खुद राम सीता लव कुश भी कभी परिवार समेत रह नही सके और न ही सुखी रह सके तो भव्य राम मंदिर बनाने के बाद राम को अपना आदर्श मानने वाले वे लोग क्या सुखी रह पायेंगे जिन्हे वैचारिक आतंक कहकर आतंकित किया जा रहा है | 



जिसके बजाय रामदेव को अपने ही डीएनए के शोषित पिड़ित गरिबो के लिए , बल्कि सबके लिए अन्न जल रोटी कपड़ा मकान बिजली सड़क विद्यालय अस्पताल वगैरा मूल जरुरत को पुरा कराने का बयान देनी चाहिए | जिन जरुरतो को पुरा किया जा सके ऐसे सेवा का निर्माण करने से प्रजा सचमुच में सुखी होगी न कि भव्य मंदिर निर्माण करने और वैचारिक आतंक जैसे विवादित बयान देने से होगी | 



क्योंकि आखिर इन मूल जरुरत का इंतजाम कब होगी ? दरसल ऐसे ही सवालो का जवाब प्रजा अपने शासक से न पुछ सके इसलिए रामदेव जैसे लोगो को विवादित बयान दिलवाकर दुःखी प्रजा का ध्यान भटकाया जा रहा है |



जिससे शोषित पिड़ित प्रजा का ध्यान और अधिक भटकाया न जा सके इसके लिए मेरी इस पोस्ट को ज्यादे से ज्यादे लोगो को शेयर जरुर करें | खासकर दलित आदिवासी पिछड़ी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , चूँकि धर्म बदलने से डीएनए नही बदलता , और जैसा कि सबको पता है कि जिनके लिए वैचारिक आतंक बयान दिया गया है उन सबका डीएनए एक है | चाहे वे जिस धर्म को अपनाये हुए हैं | बल्कि रामदेव का भी डीएनए उन लोगो से मिलता है जिनके लिए रामदेव ने वैचारिक आतंक विवादित बयान दिया है | जो बयान दरसल मनुवादियो द्वारा रामदेव को ब्रेनवाश करके दिलवाया गया है |



इसलिए सबको एकजुट होकर रामदेव के विवादित बयानो का विरोध करना जरुरी है ! और हाँ अगर यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसके बदले कुछ नही सिर्फ मुमकिन हो तो अपने दोस्त और करिबियो में से दस लोगो को शेयर जरुर करें ! क्योंकि ज्ञान बांटने से बड़ता है , और छिपाने से घटता है | और अगर इस ज्ञान को बांटने के बजाय छिपा दीया गया तो समझो मनुवादियो का वैचारिक आतंक उन लोगो की नजरो से जरुर छिप जायेगी जिन्हे मनुस्मृति वैचारिक आतंक के बारे में नही पता  | जबकि शोषित पिड़ितो को वैचारिक आतंक विवादित बयान को फैलाकर शोषित पिड़ित समाज में चारो तरफ पीड़ा और अपमान और अधिक फैल जायेगी | "धन्यवाद " !

रविवार, 17 नवंबर 2019

मनुवादियो की मनुस्मृति को जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना करने वाले मुलनिवासियो के विचारो को वैचारिक आतंकवाद कहने वाले रामदेव

 मनुवादियो की मनुस्मृति को जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना करने वाले मुलनिवासियो के विचारो को वैचारिक आतंकवाद कहने वाले रामदेव
वैचारिक आतंक रामदेव
वैचारिक आतंक रामदेव
रामदेव

मनुवादियो की मनुस्मृति को जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना करने वाले मुलनिवासियो के विचारो को वैचारिक आतंकवाद कहने वाले रामदेव को क्या यह पता है कि इस सुख शांती और समृद्धी कायम कृषि प्रधान देश में छुवा छुत उच्च निच का वैचारिक आतंक किन लोगो ने फैला रखा है ? और अगर नही पता तो दलित आदिवासी पिछड़ी डीएनए के ही होने के नाते उन्हे भी यह बात जरुर पता होनी चाहिए कि इस देश में बाहर से आकर मनुवादियो ने मनुस्मृति रचना करके हजारो सालो से छुवा छुत शोषन अत्याचार का वैचारिक आतंक किस तरह से कायम किया हुआ है | किस तरह जन्म से ही उच्च निच विचारो से हजारो सालो से वैचारिक आतंक कायम किया हुआ है ? जिस वैचारिक आतंक का ही तो विरोध करके अंबेडकर ने मनुस्मृती को जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना किया है |
रामदेव
रामदेव


जिस अजाद भारत का संविधान को रामदेव सही मानता है कि मनुस्मृति को सही मानता है ? हलांकि मनुवादियो के भितर जबतक भष्म मनुस्मृति का भुत वैचारिक आतंक के रुप में कायम रहेगी तबतक अजाद भारत का संविधान लागू होकर भी इस देश और इस देश के मुलनिवासियो को पुरी अजादी नही मिलने वाली है | जिसके चलते मनुवादि आज भी छुवा छुत का वैचारिक आतंक कायम किये हुए हैं | बल्कि वैचारिक आतंक के साथ साथ मनुस्मृति लागू करके वेद सुनने पर गर्म पिघला लोहा कान में डालना , वेद उच्चारण करने पर जीभ काटना , अँगुठा काटना जैसे हिंसक आतंक भी कायम थी | जिस मनुस्मृति को लागू करने की सपने मनुवादि आज भी देखता रहता है , जिसके चलते कभी वह संविधान को जलाता है तो कभी अंबेडकर की मूर्ति को तोड़ता है | बल्कि कहीं कहीं यह भी देखने सुनने और पढ़ने को मिलता है कि मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो को निच शुद्र अच्छुत कहकर मार पिटकर आज भी किस तरह से लहू लुहान कर रहे हैं | 

जिन मनुवादियो का डीएनए से बाबा रामदेव का और साथ साथ दलित आदिवासियो और मदर इंडिया का भी डीएनए नही मिलता है | जो बात विश्व स्तरीय डीएनए प्रयोग से साबित भी हो चुका है | फिर भी बाबा रामदेव इस देश के मुलनिवासियो के विचारो को वैचारिक आतंकवाद और खुदको बाहर से आनेवाले देवो का वंशज और राम का वंशज कहकर कैसे गर्व कर रहे हैं ? क्या वे खुदको राम और देवो का वंशज कहकर यह साबित करना चाहते हैं कि उनके पिता का डीएनए उस ब्रह्मण क्षत्रीय या वैश्य लोगो के डीएनए से मिलता है , जिन्होने इस देश में प्रवेश करके हजारो सालो से छुवा छुत का वैचारिक आतंकवाद कायम किया हुआ है ? या फिर उस मुलनिवासी दलित आदिवासी या पिछड़ी से मिलता है जो कि छुवा छुत आतंक से अजादी पाने का संघर्ष हजारो सालो से कर रहे हैं ? जिस संघर्ष को वैचारिक आतंक कहने वाला बाबा रामदेव का डीएनए ब्रह्मण क्षत्रिय और वैश्य से नही बल्कि दलित आदिवासी पिछड़ी से मिलता है | जिस बात को बाबा रामदेव माने या न माने पर विज्ञान द्वारा भी अब जग जाहिर हो चुका है कि मनुवादियो का डीएनए और इस देश के मुलनिवासियो का डीएनए अलग है , जैसा कि गोरो का डीएनए और इस देश के मुलनिवासियो का डीएनए अलग है | जाहिर है यदि रामदेव पिछड़ी जाती से आते हैं तो निश्चित तौर पर रामदेव का डीएनए भी पिछड़ी से ही मिलता है | 

न कि शंभुक के साथ भेदभाव करने वाले क्षत्रिय राम और भेदभाव करके एकलव्य से अँगुठा मांगने वाले द्रोणाचार्य से मिलता है | और जब राम और द्रोणाचार्य के डीएनए  से नही मिलता है तो निश्चित तौर पर राम का आधुनिक वंशज रामदेव नही बल्कि वे लोग हैं जिनको मनुस्मृति में उच्च जाति घोषित किया गया है | जिन ब्रह्मण वैश्य और क्षत्रियो के पुर्वज उन देवो को कहा जाता है जिनका राजा वह इंद्रदेव है जो उपर स्वर्ग से निचे धरती में उतरकर अहिल्या का बलात्कार किया था |

जिसे अहिल्या के पति गौतम ने इंद्रदेव को हजार योनी घुंघरु की तरह टांगकर जिवन बसर करने का श्राप दिया था | जिन देवो को रामदेव बार बार अपना पुर्वज और इस देश के मुलनिवासियो के विचारो को वैचारिक आतंक इसलिए भी सायद कह रहा है , क्योंकि उसने अपने नाम से राम और देव को जोड़ रखा है | जिस नाम के साथ यादव भी जोड़कर बाबा रामदेव को हमेशा यह याद करने की कोशिष करते रहना चाहिए कि बाबा रामदेव के भी रगो में उन लोगो का ही डीएनए दौड़ रहा है जिनके साथ आज भी मनुवादि भारी भेदभाव शोषन अत्याचार करते हैं |

मनुवादि गोरो की तरह विदेशी मुल के हैं लेकिन भी चूँकि उनकी दबदबा इस देश की सत्ता समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम है , इसलिए अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजूद भी निश्चित होकर शोषन अत्याचार कर रहे हैं | क्योंकि उन्हे पता है कि मनुवादि सत्ता कायम की वजह से उनके डीएनए के लोग लोकतंत्र के बाकि भी प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम किये हुए हैं | जिसकी झांकी भी देख लिया जाय |

नही तो मनुवादियो को यह भी पता है कि सत्ता छिनाने के बाद मनुवादियो की स्थिति क्या होनेवाली है ! जिसे छिने जाने से बचाने के लिए ही तो रामदेव जैसे लोगो को मानो बलि का बकरा बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है | जिन लोगो को इस्तेमाल करने के बावजुद भी कभी न कभी तो मनुवादियो की सत्ता भविष्य में निश्चित तौर पर चली जायेगी | जैसे की गोरो की सत्ता चली गई | हलांकि मनुवादि विचारो से आतंक फैलाकर इतने गिरे हुए लोग हैं कि दान देने वालो को ही कंगाल बनाने के लिए फिर से दुसरो के हक अधिकारो को जिस थाली में खा रहे हैं उसी में छेद करके सबकुछ फिर से लुट लेने की कोशिष फिर से करेंगे | जैसे की वेद पुराणो में भी बतलाया गया है कि जब देवो के हाथो से बलि दानव ने अपनी सत्ता वापस ले लिया तो अपनी झुठी शान को वापस बरकरार रखने के लिए किस तरह  देवो ने वामन के माध्यम से कटोरा लेकर उस बलि दानव से दान मांगकर बलि दानव को कैद करके सत्ता वापस लुट लिया था |

देवो का दानवो से एक दर्जन से अधिक बार संग्राम हो चूका है | और साथ साथ देव दानवो के बिच सागर मंथन भी हुआ है | जिसे फिलहाल सत्य इतिहास मानने पर विवाद है | क्योंकि इस देश में हजारो साल पहले मनुवादि सत्ता स्थापित होने के बाद वेद पुराणो के साथ छेड़छाड़ करके मनुवादियो द्वारा ढोंग पाखंड और अँधविश्वास की मिलावट करके वेद पुराणो को इतना विवादित बना दिया गया है कि वेद पुराणो में बतलाई गई बातो को ढोंग पाखंड तक कह दिया जाता है  | हलांकि फिर भी उसी वेद पुराण में मौजुद योग प्रकृति विज्ञान ज्ञान तो विवादित नही है |

 जिसको रामदेव वाकई में प्रमाणित सत्य मानता हैं तो रामदेव को यह बात माननी ही होगी कि बाबा रामदेव के पुर्वज ब्रह्मण क्षत्रिय और वैश्य से नही बल्कि दलित आदिवासी और पिछड़ी से आते हैं | जो कि इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासी हैं , न कि बाहर से आने वाले ब्रह्मण क्षत्रिय और वैश्य , जिन्होने खुदको उच्च जाति और इस देश के मुलनिवासियो को निच जाति शुद्र अच्छुत घोषित कर रखा है | रामदेव को क्या यह कहते हुए वाकई में सत्य वचन लगेगा कि उनके पुर्वज ही इस देश के मुलनिवासियो के साथ छुवा छुत करते आ रहे हैं ?

या फिर वाकई में रामदेव को पता ही नही कि मनुवादियो द्वारा छुवा छुत वाकई में कभी हुआ या हो रहा है ! जिस छुवा छुत के चलते ही तो आज भी मंदिरो में कहीं कहीं शुद्रो अच्छुतो निचो का प्रवेश मना है लिखा मिल जाता है | जो वे लिख सकते हैं क्योंकि उनके रगो में उन लोगो का डीएनए दौड़ रहा है जिन्होने इस देश में बाहर से आकर इस देश के मुलनिवासियो का शोषन अत्याचार किया और कर रहे हैं | जैसे कि कभी गोरे बाहर से आकर किये थे , जो गेट में ये लिखते थे कि अंदर कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है | जो आज कुत्तो और इंडियनो को गोद में लेकर चाटते रहते हैं | जैसा कि कभी आनेवाला समय में जब मनुवादियो को भी सत्यबुद्धी प्राप्त होगी और यह देश पुरी तरह से आजाद हो जायेगा तो मनुवादि भी छुवा छुत जिससे करते हैं , उसका तलवा चाटेंगे उनके जैसे ऐसी सत्यबुद्धी प्राप्त करने के लिए जिससे की मनुस्मृति के बजाय अजाद भारत का संविधान रचना कर सके | जो सत्यबुद्धी अबतक इस देश के मुलनिवासियो द्वारा अपने सर में मैला ढोकर लंबे समय तक मनुवादियो के सर में देश का ताज तक देकर अथवा बार बार देश का शासक बनाने के बावजुद भी अबतक सत्यबुद्धी नही आई है | वैसे हजारो साल पहले भी इस देश के मुलनिवासियो ने मनुवादियो को उस समय अपने सर से तख्तो ताज तक दे दिया था जब मनुवादि हाथ में कटोरा लेकर रहने के लिए आसरा मांग रहे थे | जिस समय इस देश के मुलनिवासी शासक बलि राजा ने मनुवादियो को अपने सर से तख्तो ताज तक दान में दे दिया था |

जिसके बारे में वेद पुराणो में अप्रमाणित तरिके से चर्चा है | चूँकि मनुवादियो द्वारा तख्तो ताज हासिल होते ही अपने बुद्धी के हिसाब से वेद पुराणो में अप्रकृति रुप से छेड़छाड़ करके भगवान पुजा का मतलब देवो की पुजा बतलाकर मनुवादियो ने खुदको वामन अवतार बताकर और मनुस्मृति रचना करके खुदको जन्म से ही ताकतवर बुद्धीमान और धनवान घोषित करने की कोशिष किया है | जिसमे वे खुदकी पुजा कराने में कामयाब भी रहे हैं | जो कि स्वभाविक भी है | क्योंकि ताकतवर सत्ता के बल पर गुलाम करने वाले जोर जबरजस्ती और ब्रेनवाश करके अपने गुलामो से अपनी पुजा करा सकते हैं | जैसे की रोमराज के समय में भी हुआ करता था | पर मुल रुप से असल में छुवा छुत करने वाले जन्म से विद्वान पंडित अँगुठा काटकर शोषन अत्याचार करने वाले जन्म से रक्षक दुसरो के हक अधिकारो को लुटकर धनवान बनने वाले जन्म से धन्ना क्या वाकई में कहलाने के लायक हो सकते हैं ? यह तो वे लोग ही अच्छी तरह से बतला सकते हैं जिनके पुर्वज और खुद भी छुवा छुत और गुलाम बनाने वालो का कभी शिकार हुए हैं | जिनके साथ छुवा छुत करने वाले मनुवादियो को कभी भी विद्वान रक्षक और धनवान बनने के लायक मुल रुप से माना ही नही जा सकता जबतक कि वे सचमुच में छुवा छुत करना शोषन अत्याचार करना हक अधिकार लुटना बंद नही कर देते | जिसे मनुवादि पुरी तरह से कभी बंद ही नही कर सकते जबतक की सायद उनके हाथो से सत्ता नही चली जाती | क्योंकि मनुवादियो की दबदबा कायम सत्ता मनुवादियो के हाथो जबतक रहेगी तबतक उन्हे झुठी उच्च शान की नशा उनकी भ्रष्टबुद्धी में सत्यबुद्धी आने नही देगी | जैसे की जबतक गोरो के हाथो सत्ता थी तबतक गोरे न्यायालय में जज बनकर भी गुलाम बनाकर अपनी भ्रष्टबुद्धी द्वारा न्याय कायम कर रहे थे | मनुवादि भी छुवा छुत शोषन अत्याचार करके लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कब्जा जमाकर अपनी भ्रष्टबुद्धी अनुसार न्याय ही कायम किये हुए हैं | इसलिए तो झुठी शान के लिए अथवा अपनी झुठी शान की नशा इच्छापुर्ति कायम रखने के लिए खुदको जबरजस्ती उच्च घोषित करके अबतक भी कायम किए हुए हैं | क्योंकि मनुवादि झुठी उच्च शान की नशा करते हुए छुवा छुत शोषन अत्याचार और दुसरो का हक अधिकारो को लुटते हुए कभी नही इस लायक बन सकते कि उन्हे पुर्ण अजादी मिलने पर ज्ञान का रक्षक पुजारी , जान का रक्षक क्षत्रिय , और धन का रक्षक धन्ना वैश्य बनाया जा सकेगा | हाँ रामदेव जैसे लोग जिन्हे ये गलतफेमी है कि मनुवादि रामराज लाकर शंभुक प्रजा का भला करनेवाले वंशज हैं | वैसे लोग जरुर ज्ञान का रक्षक जान का रक्षक धन का रक्षक मनुवादियो को बनायेंगे | जाहिर है रामराज को अपना आदर्श मानने वाले शासको द्वारा शंभुक प्रजा का मान सम्मान जान शान को हर रोज खतरा पैदा होना स्वभाविक है | दरसल ऐसे लोग ही मनुवादियो का सबसे बड़ा ऐसे वैचारिक गुलाम हैं जिन्हे पता ही नही कि छुवा छुत शोषन अत्याचार करने वालो से अजादी पाने के लिए वैचारिक संघर्ष करना क्या होता है ! क्योंकि ऐसे लोग मनुवादियो द्वारा वैचारिक गुलाम करके अति ब्रेनवाश कर दिये जाते हैं | जिनको बलि का बकरा बनाकर इतनी ब्रेनवाश की जाती है कि वे सारी जिवन भी यदि अपने भ्रष्ट बुद्धी से मनुवादियो की छुवा छुत शोषन अत्याचार वैचारिक आतंकवाद को समझने की कोशिष करें तो भी अंतिम तक उनकी जय श्री राम कहकर आरती ही उतारते रहेंगे !

शनिवार, 9 नवंबर 2019

करोड़ो लोगो के लिए रहने को घर नही और बड़े बड़े देवालय और शौचालय बनाने पर खुब ध्यान दी जा रही है !

करोड़ो लोगो के लिए रहने को घर नही और बड़े बड़े देवालय और शौचालय बनाने पर खुब ध्यान दी जा रही है !
बेघर फुटपाथ


पहले से ही लाखो मंदिर मौजुद हैं , और उनमे धन का भंडार भी मौजुद है , लेकिन फिर भी एक और ऐसा मंदिर का निर्माण होगा जिसमे बोरी भर भरकर धन खर्च होंगे , बल्कि बनने से पहले भी हो चुके हैं , क्योंकि बेघरो के लिए घर से ज्यादा जरुरी ऐसा मंदिर बनना सरकार और कोर्ट के लिए भी ज्यादा जरुरी है! जरुरी होते तो अबतक करोड़ो लोग बेघर जिवन जिने को मजबूर नही होते बल्कि उनके लिए भी घर मौजुद होता भले प्रधान सेवक और उच्च अधिकारियो की तरह बड़े बड़े बंगले नही होते पर फुटपाथो में तो सोने को मजबूर नही सोते ! लेकिन करोड़ो देवी देवता जो मर चूके हैं उनके लिए तो घर की तो आवश्यकता कोर्ट और सरकार को है पर जिवित लोगो के लिए नही है | जिनको खुले में जिवन गुजारा और खुले में मरते हुए सरकार और कोर्ट भी अबतक देखती ही तो आ रही है | करोड़ो लोगो के लिए रहने को घर नही और बड़े बड़े देवालय और शौचालय बनाने पर खुब ध्यान दी जा रही है !

गुरुवार, 7 नवंबर 2019

समृद्ध देश की धन संपदा से सेवक को अमिरी और करोड़ो जनता मालिक को गरिबी भुखमरी !

समृद्ध देश की धन संपदा से सेवक को अमिरी और करोड़ो जनता मालिक को गरिबी भुखमरी !

सभी नागरिको को पेटभर खाने पिने और रहने की भी व्यवस्था ठीक से हो पाये , ऐसी जिम्मेवारी लाखो रुपयो की सुख सुविधा और तनख्वा लेकर भी उच्च सेवको द्वारा  नही निभाई जा रही है | 
गरिबी भुखमरी

जिसे निभाने की उम्मिद भी नही कि जा सकती है ऐसी खुनी सोच वाली मनुवादि सत्ता और उससे संक्रमित उन घर के भेदियो से जिन्हे भी मनुवादियो कि तरह करोड़ो जनता मालिक को गरिबी भुखमरी में मरते हुए छोड़कर खुद भोग विलाश करने की ऐसी नशा हो चूकि है , जो पिड़ी दर पिड़ी उन्हे मनुवादियो की तरह ही परजिवी जिवन व्यक्तित करने वाला शैतान बना रही है | या तो बना चूकि है ! जिनमे से यदि किसी के पास कोई वंशवृक्ष नही भी है , तो भी अमिरी सुख सुविधा की नशा करके ऐसे चिपके हुए हैं , जैसे कि यदि अमिरी सुख सुविधा उनसे छिना जाय तो मानो उनसे अपनी संतान से भी किमती चीज छिन जायेगी ! जबकि इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले समृद्ध देश के बहुसंख्यक जनता मालिक से जन्म लेते ही उनसे अमिरी छिनकर सोने की चिड़ियाँ की अमिरी से उनके हिस्से में पिड़ी दर पिड़ी गरिबी भुखमरी मिलती आ रही है ! जिसे दुर करने के लिए ठीक से अबतक कभी गंभिर ही नही हुए हैं घर के भेदि भी जो असल में मनुवादियो का शासन हमेशा कायम रहे और वे भी जिवनभर मनुवादियो की तरह मनुवादियो का कंधा से कंधा मिलाकर भोग विलाश करते रहे , इसके लिए मनुवादियो की दिन रात सहायता करने में लगे हुए हैं | 

नही तो यह सौ प्रतिशत सत्य है कि अबतक मनुवादियो के हाथो जो शोषन अत्याचार सत्ता कायम है , वह बिना समर्थन और राजनैतिक सहायता के कायम रहना नामुमकिन है |

और यदि बिना सहायता लिये मनुवादि सत्ता कायम रखना नामुमकिन है , तो निश्चित तौर पर यह भी सौ प्रतिशत मुमकिन है कि इस देश के बहुसंख्यक नागरिको को मनुवादि सत्ता द्वारा जो गरिबी भुखमरी और अभावग्रस्त जिवन कायम रखने के लिए गरिबी भुखमरी कमजोरी का लाभ उठाकर विभिन्न तरिके से शोषन अत्याचार करके पिठ पिच्छे मानो हत्या और प्रताड़ित किया जा रहा है , उसे रोकने के लिए तुरंत अपातकाल हालात घोषित करके अबतक तो कम से कम गरिबी भुखमरी दुर की जा सकती थी | और यदि मनुवादियो का साथ देते देते मनुवादियो के बुरी संगत से घर के भेदियो की बुद्धी काम करना बंद कर दिया है तो इसके लिए भी सत्य बुद्धी के तौर पर एक अचुक राय देता हूँ कि गरिबी भुखमरी से मर रहे सब नागरिक को एक एक लाख कैश या फिर उतनी ही किमत की कोई अन्य ऐसी सम्पत्ती दे दी जाय जिससे कि गरिबी भुखमरी जिवन में तुरंत भारी बदलाव वाली राहत मिल जायेगी | बल्कि बाकि नागरिको को भी उतनी की सहायता छुट या माफी के रुप में भी दिए जाय , जैसे की धन्ना कुबेरो को मिलती है | क्योंकि इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले कृषि प्रधान देश की अमिरी से प्रजा और सेवक दोनो को जिने का अधिकार है | जैसे की किसी परिवार के सारे सदस्यो को घर के धन संपदा से जिने का अधिकार होता है | तभी तो समृद्ध घर परिवार का कोई भी सदस्य घर में धन दौलत के रहते हुए कभी भी गरिबी भुखमरी से नही मरता | लेकिन  देश को यदि सभी नागरिको का घर माना जाय तो इस समृद्ध देश की अमिरी से सेवक के लिए तो सारी सुख सुविधा उपलब्ध है , पर करोड़ो जनता मालिको के लिए मानो इस देश की अमिरी से अपनी भुखमरी दुर करना तक मना है | भुखमरी से मर रहा नागरिक यदि सेवको की सरकारी कैंटिन से अपना पेट भरने के लिए गलती से भी यदि भोजन ग्रहन कर ले तो उसे जेल हो जायेगी | जिसके बाद भले उसे जेल में भुखमरी से मौत नही होगी पर बाहर यदि कुछ खाने पिने की व्यवस्था न हो सके और जिवित रहने के लिए मजबूरी में अति जरुरत पड़े तो वह घांस वगैरा भी न खाये तो उसकी भुखमरी से मौत होना तय है | जैसे कि हर रोज भुखमरी से मौते होना इस समय की आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल शासन के लिए आम बात हो गई है | भले मनुवादि और घर के भेदियो की नेतृत्व में देश में टनो टन भोजन और अन्न बर्बाद हो रहा हो | जो कि कभी भी नही होती यदि देश की धन संपदा से अमिरी सुख सुविधा का लाभ ले रहे सेवको द्वारा अच्छे तरिके से जिम्मेवारी निभाई जाती और करोड़ो जनता मालिको की भी अबतक कम से कम गरिबी भुखमरी देश की ही धन संपदा से तुरंत दुर कर दी जाती | या तो फिर जनता मालिक को ही कम से कम अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने तक के लिए देश की धन संपदा को खर्च करने और खुले में सड़कर बर्बाद हो रहे अन्न को खाने की छुट मिलती | जैसे की सेवको को मिली हुई है , तो निश्चित तौर पर करोड़ो जनता मालिक भी सेवक की तरह किमती गाड़ी बंगला वाले न सही पर कम से कम इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश की अमिरी से चंद समय में ही अपनी गरिबी भुखमरी को तो वैसे ही दुर कर लेते जैसे की सेवक शपथ लेते ही इस देश की अमिरी को खर्च करके चंद समय में कर लेते हैं | बल्कि शपथ लेने से पहले चाहे वह कितना ही गरिबी भुखमरी से क्यों न गुजर रहा हो , देश और जनता सेवा की शपथ लेते ही अमिर हो जाता है | हाँ कहने को यह कह दिया जाता है कि जनता ही उसका मालिक है | जो मालिक अपने सेवको को सेवा की शपथ लेते हुए देखने के बाद गरिबी भुखमरी से मरता रहता है | और सेवक उसी मालिक के हिस्से की अमिरी से सारी सुख सुविधा भोगता रहता है | जिसमे अबतक कम से कम ऐसी संतुलन तो आना चाहिए था , जिससे की देश परिवार का कोई भी सदस्य भुखा प्यासा न रहे | पर ऐसी बदलाव आए ऐसी नेतृत्व शासन अबतक नही आ पाई है | क्योंकि सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले इस कृषि प्रधान देश में आज भी करोड़ो जनता मालिक हर रोज अमिरी की गोद में भुखे पेट सो जाते हैं | और दस से भी अधिक विश्व प्रसिद्ध बड़ी नदी के होते हुए भी करोड़ो जनता मालिक बुंद बुंद पानी के लिए भी तरसते रहते हैं | ऐसी आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल सेवा चल रही है | जिस आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल सेवा के दौरान समृद्ध देश की धन संपदा से सेवक को अमिरी और करोड़ो जनता मालिक को गरिबी भुखमरी हमेशा मिलता रहे ऐसी खुनी शासन का उच्च नेतृत्व दरसल मुल रुप से मनुवादि कर रहे हैं | जाहिर है इस तरह की भ्रष्ट शासन जो दरसल खुनी शासन है , जिससे जनता मालिक के हिस्से की अमिरी से तो अबतक बने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति समेत उच्च अधिकारियो और मंत्रियो की सेवा में गाड़ी बंगला नौकर चाकर समेत तमाम तरह की सुख सुविधा मिली हुई है , जिसके मिलने के बाद गरिबी भुखमरी मुक्त होकर इन अमिर सेवको की जिवन अमिरी में गुजारा करते करते  अमिरी सुख सुविधा और अमिरी सुरक्षा में तो गुजर रहे हैं , लेकिन इनके नेतृत्व में देश परिवार के बाकि सदस्यो अथवा करोड़ो नागरिको की अबतक भी गरिबी नही गुजरी है ! बल्कि अमिर सेवको से सेवा पा रहे अनगिनत जनता मालिक हि अपने सेवको का झंडा और बैनर उठाकर और अपने अमिरी हिस्से की हक अधिकारो से अपने सेवको को गरिबी भुखमरी मुक्त करके , महंगी महंगी गाड़ी बंगला नौकर चाकर सुख सुविधा और सुरक्षा समेत हर महिने लाखो की तनख्वा देकर , खुद गरिबी भुखमरी से गुजर गए हैं | जो आगे भी अपने सेवको को अमिरी सुख सुविधा देकर गुजरते ही जा रहे हैं ! जिन्हे गरिबी भुखमरी से गुजरने से रोकने की सेवको द्वारा सेवक बनने से पहले और सेवा के दौरान भी झंडा और बैनर उठवाकर सिर्फ कस्मे वादे खाई जा रही है ! क्योंकि असल में इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले संभवता कपड़ा पहनना और परिवार समाज के बारे में भी नही जानने वाले कबिलई मनुवादि कभी सपने में भी ऐसा कदम नही उठा सकते जिससे की इस देश के सभी नागरिको की गरिबी भुखमरी दुर होना तो दुर सबको भरपेट भोजन और पिने के लिए पानी तक उपलब्ध हो सके | क्योंकि ऐसा होने से मनुवादियो के हाथो सत्ता भी रहेगी तो भी खासकर इस देश के दुःखी पिड़ित मुलनिवासी प्रजा अच्छी खासी खा पिकर एकजुट होकर मनुवादि सत्ता को उखाड़कर फैक देगी | जिसके चलते भी मनुवादि सोची समझी परजिवी नीति बनाकर बहुसंख्यक प्रजा को गरिबी भुखमरी से कमजोर करके और आपस में बांटकर इस देश में मुलता लंबे समय तक शासन नही शोषन कर रहे हैं | जैसे की कोई शिकारी मकड़ी अपने शिकार को अपनी जाल में फंसाकर विशेष प्रकार का चिपचिपा रस्सी से लपेटकर जिवन चुसती है | क्योंकि मनुवादियो को सेवा करने के बजाय चूँकि मुलता मनुस्मृती सोच से शोषन अत्याचार करने की हजारो सालो का अनुभव है , इसलिए मनुवादि चाहे भी तो उनकी भ्रष्ट बुद्धी में मुलता वह सोच ही नही जिससे की देश में सुख शांती और समृद्धी आ सके | वैसे भी जब मनुवादियो का सबसे उत्तम शासन रामराज और पांडवराज में भी शासक और प्रजा दोनो ही त्राही त्राही किये थे तो वर्तमान के मनुवादि तो खुदको पांडव और राम के चरणो का धुल भी नही मानते हैं | जिस राम और पांडव के नेतृत्व में न तो प्रजा अच्छी सेवा ले पाई और न ही शासक सुख चैन से अपना प्राण त्यागे | वर्तमान के भी नेतृत्व में ऐसी सेवा कभी नही मिल सकती जिससे कि सबकि गरिबी भुखमरी दुर होगी | और न ही मनुवादियो की भ्रष्ट बुद्धी से भेदभाव की गंदगी भी कभी दुर होगी | लेकिन भी चूँकि अजाद भारत का संविधान लागू होकर मनुवादियो के हाथो जो देश की सत्ता मौजुद है , वह उनकी अकेले के दम पर कभी भी कायम नही हो सकती है , इसलिए बाकि जिनकी भी सहायता से कायम है , वे सभी तो कम से कम मिलकर दबाव बनाकर मनुवादियो से इतना तो करवा सकते थे कि गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो की जिवन से गरिबी भुखमरी दुर हो जाय | जिसके लिए जैसा कि बतलाया कि उन्हे तत्काल सोने की चिड़ियाँ की अमिरी से कम से कम इतना धन तो मिल जाय की उनकी गरिबी भुखमरी तुरंत दुर होने की मजबूत नीव खोदी जा सके | जो न खोदकर क्यों मनुवादियो द्वारा घर के भेदियो से विशेष राजनैतिक सहायता लेकर सहायता कर रहे घर के भेदियो के नजरो के सामने ही अनगिनत नागरिको की हर रोज गरिबी भुखमरी से  कब्र खोदी जा रही है ? देश की अमिरी से गरिबी भुखमरी दुर करने की मजबूत निव क्यों अबतक नही खोदी जा रही है ? जिसके लिए गरिबी भुखमरी से मर रहे नागरिको को सिधे एक एक लाख धन या फिर उतनी की संपत्ती क्यों नही दी जा रही है ? जो देने से क्या मनुवादियो और घर के भेदियो की गांड़ फटकर उससे उनकी सारी अमिरी सेखी निकल जायेगी ! 


क्योंकि यहाँ संपत्ती देश के खजाने से देने की बात हो रही है न कि मनुवादियो और घर के भेदियो की खजाने से देने की बात हो रही है ! क्योंकि गरिबी भुखमरी से मर रहे नागरिको की जिवन भी किमती है , न कि सिर्फ मनुवादि और घर के भेदियो की जिवन किमती है , जिसे ही सिर्फ इस देश की अमिरी से सारी सुख सुविधा मिलती रहे , और इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश में करोड़ो नागरिक गरिबी भुखमरी से संघर्ष करता रहे | बल्कि अनगिनत हर रोज मरता भी रहे | जिन्हे यदि देश की अमिरी से एक एक लाख की सहायता मिल जाय तो वह धन उन्हे गरिबी भुखमरी से मरने से तत्काल रोकेगी ! यकिन न आए तो प्रयोग के तौर पर किसी ग्राम या झुगी झोपड़ी मोहल्ले के गरिब बीपीएल परिवार के सभी सदस्यो को एक एक लाख देकर देख लिया जाय कि ऐसा करने से उनके घरो में किसी की मौत गरिबी भुखमरी से होती है कि अचानक से उनके जिवन में ऐसी भारी बदलाव आ जाती है , जिससे कि वे अपने जिवन को गरिबी भुखमरी मुक्त करने की मजबूत निव खुद ही खोदना सुरु कर देंगे , जैसे कि यदि गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो को देश की खनिज संपदा को एक एक लाख रुपये तक कि खर्च करने की छुट मिल जाय तो भी वे कोयला सोने चाँदी हिरा वगैरा की खान से खुद ही अपनी अमिरी खोद निकालेंगे | जिसे अभी धन्ना कुबेरो को खुदवाने की छुट के साथ साथ हजारो करोड़ तक की छुट और माफी मिली हुई है | देश की अमिरी खर्च तो आखिर किसी न किसी तरिके से हो ही रही है | जिस अमिरी को खर्च मैं यदि देश का नेतृत्व करता तो सबसे पहले सबको एक एक लाख की सहायता देकर गरिबी भुखमरी को दुर करने की मजबूत नीव डालकर सबके जिवन को संतुलन करता , न कि सिर्फ खुद तो देश की अमिरी से सारी सुख सुविधा भोगता रहता लेकिन करोड़ो नागरिक की गरिबी भुखमरी दुर करने की इंतजाम भी न कर पाता सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले इस देश की अमिरी से ! जिसकी चाभी शासक के पास होती है | जो इस समय मनुवादि बने हुए हैं | जो बनने के बाद देश के धन संपदा को ऐसा खर्च किया जा रहा है जिससे की किसी को हजारो करोड़ तक की छुट और माफी दी जा रही है , तो किसी को गरिबी भुखमरी से मौत दी जा रही है | क्योंकि जाहिर है अभी मनुवादि शासन में मनुवादि सोच अनुसार ही देश की धन संपदा से भारी भेदभाव सहायता मिल रही है | जिसमे संतुलन लाने के लिए सभी नागरिको को उचित सहायता मिलनी चाहिए थी | क्योंकि यदि देश की धन संपदा से एक एक नागरिक को बराबर बराबर सहायता की बात की जाय तो धन्ना कुबेरो को तो हजारो करोड़ तक की सहायता दी जा रही है | जो सहायता उन्हे उनकी कौन सी गुप्त गरिबी भुखमरी दुर करने के लिए दी जा रही है , यह बात क्या गरिबी भुखमरी से मर रहे नागरिको के शव यात्रा में शामिल होकर समझाने कि हिम्मत कर पायेगी भोग विलाशी सरकार के मंत्री और उच्च पदो में बैठे अधिकारी , जिनके लिए जिते जी तो सारी जिवन सुख सुविधा उपलब्ध होती ही है पर शव यात्रा निकालने की भी खास सहायता उपलब्ध रहती है | जिनकी मर्जी से ही तो एक एक धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ की छुट और माफी सहायता मिलती आ रही है , न कि गरिबी भुखमरी से मर रही उस जनता मालिक की मर्जी से मिलती है , जिनको उतनी की सहायता मिलना तो दुर अन्न जल की भी सहायता ठीक से नही दी जा रही है | सिर्फ गरिबी हटाओ और पंद्रह बिस लाख सबके खाते में कहकर खुदकी अमिरी सेवा कराने की विशेष इंतजाम की जा रही है | जिस तरह की भ्रष्ट सेवा का नेतृत्व कर रहे अमिर सेवको के घरो में या उनके सबसे खास करिबियो में भी जब कोई सदस्य गरिबी भुखमरी से मरने लगेंगे तो भी क्या वे खुद किमती गाड़ी बंगला अमिरी सुख सुविधा और सुरक्षा लेकर जिवन गुजारा करेंगे और गरिबी भुखमरी से मर रहे सदस्यो या खास करिबियो की बुरी हालत में सुधार हो इसके लिए जिम्मेवारी के तौर पर गरिब बीपीएल कार्ड थमाकर खुद अमिरी सुख सुविधा युक्त होकर मरने तक सिर्फ यह ढोंग पाखंड होती रहेगी की बाकि सदस्यो और सबसे अधिक करिबियो की गरिबी भुखमरी से होने वाली मौत को रोकने का भारी बस्ता आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल योजनायें बनाकर प्रयाश चल रहा है ! और अगर वाकई में ऐसा भी हो रहा होगा तो फिर मनुवादि शासन में तो ये भोग विलाश करने वाले अपने खास करिबियो और अपने घर के सदस्यो को भी खास ध्यान नही दे रहे हैं , इतने भोग विलाशी नशे की आदि हो चुके हैं मनुवादि और घर के भेदि भी | क्योंकि मनुवादि शासन में मनुवादियो की बुरी संगत से घर के भेदि भी भोग विलाशी नशे का आदि हो चुके हैं | नही तो फिर क्यों अबतक गरिबी भुखमरी और अभावग्रस्त जिवन संघर्ष करते हुए मर रहे जनता मालिको की मौत का नजारा सबकुछ अपनी आँखो के सामने देखते जानते हुए हर साल कितनी हत्या हुई इसपर रिपोर्ट बनाकर चर्चा करते हुए सिर्फ जनता मालिक जनता मालिक कहकर खुदको अमिरी सेवा कराते कराते सिर्फ जनता मालिक की ही गरिबी भुखमरी द्वारा ऐसी ऐतिहासिक कब्र खोदी जा रही है , जिसमे गरिबी भुखमरी और भ्रष्टाचार का इतिहास हर बार के चुनाव के बाद सरकार के कार्यकाल पुरा हो या फिर सरकारी अधिकारियो की महंगी महंगी सेवा कार्यकाल पुरा हो , गरिबी भुखमरी से जनता मालिको की मौत का आंकड़ा हर साल भारी तादार में दर्ज हो रहा है ! जिस तरह की गरिबी भुखमरी से अमिरी सुख सुविधा और सुरक्षा पा रहे सेवको की मौते यदि एकबार भी हो जाय और संसद में दो मिनट का मौन व्रत के समय गरिबी भुखमरी की वजह से किसी प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति मंत्री या उच्च अधिकारी की मौत हुई लाईव दिखलाया जाय तो मानो अजुबा मौत का इतिहास रच जायेगा ! क्योंकि अमिरी सुख सुविधा पा रहे सेवको की गरिबी भुखमरी से कभी मौते न हो इसके लिए सेवको के लिए सेवा करने की शपथ लेते ही सारी अमिरी सुख सुविधा और सुरक्षा मिलने लग जाती है | बल्कि मन में सेवा भावना हो या न हो बस किसी भी तरिके से सिर्फ एकबार चुने जाने के बाद उनके लिए सारी जिवन इतने की पेंशन भी मिलती है , जितना सिर्फ मैं एकबार सभी नागरिक को देने की बुद्धी बांटा हूँ ! तो भी इनके द्वारा मुझे पता है ये देंगे भी तो अजुबा इतिहास रच जायेगा | लेकिन फिलहाल तो करोड़ो जनता मालिक को सारी जिवन उन्ही सेवको से अबतक पानी तक ठीक से नही मिल पा रही है | जिस तरह की शासन को सत्य की तराजू में तौलकर काला इतिहास ही माना जायेगा ! जिस खुनी शासन का नेतृत्व मनुवादि कर रहे हैं ! क्योंकि सोने की चिड़ियाँ के जनता मालिको की गरिबी भुखमरी से मौत हो यह तभी मुमकिन है जब देश और जनता के हक अधिकारो से शासक खुद तो अमिरी सुख सुविधा भोग विलाश कर रहा हो , और साथ साथ एक एक धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ भी लुटाई जा रही हो , पर गरिबी भुखमरी से हर रोज मर नागरिको के लिए गरिबी भुखमरी दुर करने की बाते की जाय तो इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश की सरकार के पास धन न होने की सिर्फ मानो ढोंग पाखंड रचा जा रहा हो ! जबकि वही गरिब सरकार एक एक धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ की सहायता और छुट कैसे दे रही है ? जिस तरह की ढोंग पाखंड खुनी शासन का नेतृत्व मनुवादि कर रहे हैं ! जैसे कि गुलाम सोने की चिड़ियाँ का नेतृत्व गोरे कर रहे थे ! जिस समय भी गोरे इस देश की धन संपदा से खुद अमिरी सुख सुविधा और सुरक्षा पाकर जस्न मना रहे थे , और करोड़ो जनता मालिक गरिबी भुखमरी से अजादी पाने की संघर्ष करने के साथ साथ गोरो से भी अजादी पाने की संघर्ष कर रही थी | जैसे कि वर्तमान में भी करोड़ो जनता मालिक गरिबी भुखमरी और मनुवादि शोषन अत्याचार से भी अजादी पाने की संघर्ष कर रही है | क्योंकि शासन में जिनकी दबदबा ज्यादे होती है उसका नेतृत्व ही माना जाता है | जैसे की गुलाम भारत में गोरो की दबदबा कायम थी ! जिनकी दबदबा देश के शासन में कायम थी | जिस समय भी इस देश के लोग सरकारी सेवा में मौजुद थे ! जैसे की इस समय भी मनुवादियो के अलावे जिनका डीएनए मनुवादियो से नही मिलता है , वे भी सरकारी सेवा में उच्च पदो पर मौजुद हैं | पर चूँकि इस समय के बुरे हालात में सरकार और न्यायालय समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादि सबसे अधिक हावि हैं , जिनके रगो में भी विदेशी डीएनए मौजुद है , अथवा इस देश में गोरो की दबदबा समाप्त होने के बाद एक और विदेशी डीएनए के शासक अथवा मनुवादियो की दबदबा कायम है , इसलिए स्वभाविक भी है कि 1947 ई० से पहले का गुलाम भारत का बर्बादी का जिम्मेवार विदेशी मुल के गोरे और वर्तमान में भी मौजुद खुनी शासन का जिम्मेवार विदेशी मुल के मनुवादि हैं | और साथ साथ इनका विशेष सहायता कर रहे घर के भेदि भी शोषन अत्याचार करने वाले प्रमुख बिलेन का मानो दाहिना हाथ बने हुए हैं | इसलिए कुकर्म इतिहास में घर के भेदियो का भी कुकर्म इतिहास दर्ज हो रहा है कि ये मनुवादियो से कंधा से कंधा मिलाकर खुद भी अमिरी सुख सुविधा और सुरक्षा लेकर गरिबी भुखमरी से मर रहे करोड़ो प्रजा की और देश की कैसी खुनी सेवा कर रहे थे ! जिस कुकर्मो की प्राश्चित करने के लिए या तो ये तत्काल मनुवादियो का साथ देना सिधे बंद कर दे और मनुवादि सरकार गिराकर कोई भी घर का भेदि मनुवादियो की पार्टी से दुबारा से चुनाव न लड़ें | बल्कि बाकि भी अलग अलग बंटकर आपस में न लड़े और एकजुट होकर एक झटके में मनुवादि सत्ता को उखाड़ फैंके | क्योंकि मनुवादियो कि पार्टी से कोई भी घर का भेदि चुनाव न लड़े तो मनुवादियो के द्वारा चुनाव घोटाला करके भी सरकार नही चुनी जा सकेगी | खासकर आरक्षित सीट को ईवीएम मशीन से भी छेड़छाड़ करके कैसे जीत पायेंगे मनुवादि जब वे वहाँ से चुनाव ही नही लड़ सकते | जिन सीटो के बिना मनुवादि सरकार कभी बना ही नही सकते ! जिसपर अभी पुतला बनाकर उम्मिदवार खड़ा किया जाता है | जो पुतला उम्मिदवार यदि मनुवादियो की पार्टी से कभी खड़े ही न हो तो मनुवादि शासन का अंत चुनाव द्वारा भी हो सकती है | पर चूँकि मनुवादियो द्वारा संक्रमण देकर अपने लिए पुतला उम्मिदवार खड़ा करना कभी समाप्त ही नही हो सकता , इसलिए चुनाव से मनुवादि शासन का अंत हो जायेगा इसका साफ मतलब मनुवादियो की भ्रष्ट बुद्धी में चमत्कारी सुधार होना भी है | जो कि नामुमकिन है सिवाय वाकई में कोई ऐसी चमत्कार होने की जिससे की सचमुच में मनुवादियो को सत्य बुद्धी आकर भेदभाव करना और साथ साथ झुठी शान की नशा करना बंद कर दे | जिसके बाद जाहिर है मनुवादियो की सत्ता जाने का मतलब है झुठी शान के लिए भेदभाव करके हक अधिकार का छिना झपटी जो लंबे समय से हो रहा है , उसमे तो लगाम लगेगी ही लगेगी पर गरिबी भुखमरी द्वारा  मारे जा रहे सभी नागरिको कि जिवन में जिने की ऐसी उर्जा मिलेगी जिससे की आगे यदि मनुवादियो कि यदि मनुवादियो की बुद्धी फिर से भ्रष्ट होकर फिर से शोषन अत्याचार करने की कोशिष भी करेगी तो भी मनुवादि दुबारा शोषन अत्याचार करने से पहले बार बार ये बात एकबार जरुर सोचेंगे कि अपनी सत्ता कायम रहने पर कभी जिनको पिटा और पिटवाया करते थे उन्हे अब पिटे या पिटवाये तो खुद भी पिट जायेंगे | हलांकि चूँकि मनुस्मृति को अपना आदर्श मानने वाले मनुवादियो के पास शोषन अत्याचार सेवा करने का हजारो सालो का अनुभव है , जो गोरो से भी पहले से इस देश में प्रवेश करके अपने शोषन अत्याचार करने की और उच्च बनने की हुनर को अपडेट करते आ रहे हैं | जैसा कि इस समय भी मनुवादि अपने शोषन अत्यचार मनुस्मृति बुद्धी और उच्च हुनर को अपडेट कर रहे हैं | इसलिए मुमकिन है मनुवादि सत्ता जाने के बाद भी मनुवादि आसानी से नही सुधरने वाले हैं , क्योंकि ये उस छुवा छुत शोषण को अपना आदर्श मानने वाले ढोंगी पाखंडी और अन्याय अत्याचारी हैं , जब सजा में कान में गर्म पिघला लोहा डाला जाता था , जीभ अँगुठा काटा जाता था , गले में थुक हांडी और कमर में झाड़ू टांगा जाता था | वह भी ऐसी सजा जिसको बिना कोई अपराध के शोषन अन्याय अत्याचार नियम कानून बनाकर दिया जाता था | जिसे आज भी मनुस्मृति के जलाये जाने के बाद भी मनुस्मृति को मनुवादि अपना पवित्र ग्रंथ मानकर रखे हुए हैं | जिसको अपना आदर्श मानने वाले मनुवादियो का शासन में लोकतंत्र की जीत वाली चुनाव हो ये उम्मीद करना गोरो के समय चुनाव होकर गुलाम भारत में लोकतंत्र की जीत होने की उम्मीद और विश्वाश करने से भी बड़ी मुर्खता है | जिसे जानते हुए मैं तो कम से कम इस बात पर विश्वास और उम्मिद अब कभी भी नही करुँगा कि मनुवादियो के शासन में चुनाव द्वारा लोकतंत्र की जीत कभी हो भी सकती है | बल्कि यह मानकर चलुँगा कि इस देश को अभी पुरी अजादी नही मिली है | जिसे पुरी अजादी मिलने से पहले जो कुछ भी सेवा मिल रही है वह समझो गुलामी में मिल रही है | जैसे की गोरो के शासन में मिल रही थी | और वैसे भी अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे ठिक से लागू करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को मिली हुई है , उसकी रक्षा भी उस मनुस्मृती का भूत कर रहा है जिसे जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना किया गया था |

 बल्कि अबतक बार बार मनुस्मृति सोच द्वारा ही तो मनुवादियो की जीत होती आ रही है | जिनके दबदबा में मनुवादियो की हार चुनाव से नही बल्कि इनके शोषन अत्याचार से अजादी पाने की ऐसी संघर्ष से होनी चाहिए जैसे कि गोरो से अजादि पाने की संघर्ष या फिर दुनियाँभर में जो बड़ी बड़ी क्रांती के बाद बड़े बड़े क्रुर शासको के हाथो से सत्ता छिनकर ऐसी ऐतिहासिक बदलाव हुए हैं , जिन्हे इतिहास कभी नही भुला सकती | जैसे कि जिसदिन मनुवादियो की दबदबा वाली शासन का अंत होगा वह दिन इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश के लिए सबसे अधिक खास ऐतिहासिक दिन होगा | जिस खास दिन का इतिहास को कभी नही बुलाया जा सकेगा | जो मेरे विचार से विश्व की ऐसी ऐतिहासिक घटना होगी जिससे पुरे विश्वभर में जहाँ जहाँ अब भी गुलामी और भेदभाव का संक्रमित अंश अब भी मौजुद है , उसका भी खात्मा होने का रास्ता खुल जायेगा और यह देश फिर से खुदको विश्वगुरु के रुप में अपडेट करेगा | 

युनिसेफ की रिपोर्ट अनुसार भारत में गरिबी भुखमरी पाकिस्तान बंग्लादेश नेपाल श्रीलंका से भी ज्यादे बड़ी है | क्योंकि लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो के उच्च टैलेंट से उच्च दबदबा कायम है

युनिसेफ की रिपोर्ट अनुसार भारत में गरिबी भुखमरी पाकिस्तान बंग्लादेश नेपाल श्रीलंका से भी ज्यादे बड़ी है | क्योंकि लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो के उच्च टैलेंट से उच्च दबदबा कायम है
भारत में गरिबी भुखमरी



सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले इस देश में जो जितना गरिब है , उसके हक अधिकार उतने अधिक छिने गए हैं , और छिने जा रहे हैं | जैसे कि धन संपदा जिन राज्यो के निचे सबसे अधिक दबे हुए हैं , वहाँ के लोग ही सबसे अधिक गरिबी भुखमरी से इसलिए जुझ रहे हैं , क्योंकि उनके हक अधिकार सबसे अधिक छिने गए हैं | बल्कि मेरे विचार से तो गरिबी भुखमरी पैदा ही हुआ है हक अधिकारो के छिने जाने से | जिससे जितना ज्यादा छिना गया है वह उतना ही गरिब हुआ है | जैसे कि गोरो द्वारा कई देशो को गुलाम करके कई पिड़ी तक हक अधिकार छिने गए थे | और अब मनुवादियो द्वारा भी इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम करके मनुस्मृति सोच द्वारा छिने जा रहे हैं | हलांकि मनुवादियो द्वारा गोरो से भी अधिक समय से इस देश के मुलनिवासियो से हक अधिकार छिने गए हैं | जो कि आज भी छिनने में लगे हुए हैं | जो यदि छिनी नही जाती तो आज भी इस देश के करोड़ो नागरिक गरिबी भुखमरी से नही जुझ रहे होते | बल्कि गोरो के शासन समाप्ती के बाद आई मनुवादि शासन में युनिसेफ की रिपोर्ट अनुसार भारत में गरिबी भुखमरी पाकिस्तान बंग्लादेश नेपाल श्रीलंका से भी ज्यादे बड़ी है | जिसका मतलब साफ है कि गोरो से अजादी मिलने के बाद मनुवादियो द्वारा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम करके उनके नेतृत्व में भारत में गरिबी भुखमरी पाकिस्तान , बंग्लादेश , नेपाल , श्रीलंका से भी ज्यादे बड़ी है | और चूँकि भारत में मनुवादि शासन अबतक भी कायम है , इसलिए जाहिर है गरिबी भुखमरी कम करने में मनुवादि शासन पाकिस्तान , बंग्लादेश , नेपाल श्रीलंका में मौजुद शासक से भी खराब नेतृत्व कर रहे हैं | जो स्वभाविक भी है , क्योंकि मनुवादि वैसे भी पुरी दुनियाँ में मनुस्मृति सोच से शासन करने के लिए बदनाम हैं | जो मनुस्मृति सोच चूँकि आज भी जारी है , इसलिए निश्चित तौर पर मनुवादि अपनी दबदबा कायम करके इस सोने की चिड़ियाँ को गरिबी भुखमरी दुर करना तो दुर गरिबी रेखा से निचे जिवन बसर कर रहे लोगो की बीपीएल जिवन को भी पुरी तरह से बीपीएल मुक्त नही कर सकते | और जाहिर है करोड़ो बीपीएल कार्ड को एपीएल कार्ड में परिवर्तित किया जा सके ऐसी भारी परिवर्तन गरिबी भुखमरी में लाये बगैर नही लाई जा सकती | जिसके बगैर आधुनिक भारत , शाईनिंग इंडिया , डीजिटल इंडिया का नारा देकर विकाश करने का मनुवादि आधुनिक शाईनिंग डीजिटल शासन नेतृत्व वैसा ही है , जैसे कि छुवा छुत की गंदगी को मन से दुर किए बगैर ही मन की बात करके स्वच्छ भारत अभियान चलाकर स्वच्छ भारत बनाना है | चूँकि तन की गंदगी से मन कि गंदगी ज्यादे खराब और खतरनाक होती है | मन की गंदगी से उपजने वाला छुवा छुत कीड़ा को मारने का दवा अबतक नही खोजा जा सका है , जबकि तन की गंदगी मल मूत्र से उपजने वाला कीड़ा को मारने वाला दवा की खोज कबका हो चुका है | जो दवा बाजार में उलब्ध है , पर मन की गंदगी से उपजने वाला छुवा छुत कीड़ा को मारने वाला दवा बाजार में उपलब्ध नही है | और चूँकि मनुवादियो की मन को मन की गंदगी से उपजने वाला छुवा छुत कीड़ा और भी अधिक भ्रष्ट करता जा रहा है , इसलिए मनुवादियो के नेतृत्व में इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश में गरिबी भुखमरी बड़ना स्वभाविक है | जिसे दुर करने का सबसे सरल उपाय है कि मनुवादियो के हाथो सत्ता छिनकर उनके हाथो सत्ता नेतृत्व होनी चाहिए जिनके बुद्धी में मन की गंदगी से उपजने वाली छुवा छुत कीड़ा मौजुद नही है | बल्कि मनुवादियो की बुरी संगत में पड़ने वालो के नेतृत्व में भी मनुवादि सत्ता कभी नही देनी चाहिए |

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