समृद्ध देश की धन संपदा से सेवक को अमिरी और करोड़ो जनता मालिक को गरिबी भुखमरी !

समृद्ध देश की धन संपदा से सेवक को अमिरी और करोड़ो जनता मालिक को गरिबी भुखमरी !

सभी नागरिको को पेटभर खाने पिने और रहने की भी व्यवस्था ठीक से हो पाये , ऐसी जिम्मेवारी लाखो रुपयो की सुख सुविधा और तनख्वा लेकर भी उच्च सेवको द्वारा  नही निभाई जा रही है | 
गरिबी भुखमरी

जिसे निभाने की उम्मिद भी नही कि जा सकती है ऐसी खुनी सोच वाली मनुवादि सत्ता और उससे संक्रमित उन घर के भेदियो से जिन्हे भी मनुवादियो कि तरह करोड़ो जनता मालिक को गरिबी भुखमरी में मरते हुए छोड़कर खुद भोग विलाश करने की ऐसी नशा हो चूकि है , जो पिड़ी दर पिड़ी उन्हे मनुवादियो की तरह ही परजिवी जिवन व्यक्तित करने वाला शैतान बना रही है | या तो बना चूकि है ! जिनमे से यदि किसी के पास कोई वंशवृक्ष नही भी है , तो भी अमिरी सुख सुविधा की नशा करके ऐसे चिपके हुए हैं , जैसे कि यदि अमिरी सुख सुविधा उनसे छिना जाय तो मानो उनसे अपनी संतान से भी किमती चीज छिन जायेगी ! जबकि इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले समृद्ध देश के बहुसंख्यक जनता मालिक से जन्म लेते ही उनसे अमिरी छिनकर सोने की चिड़ियाँ की अमिरी से उनके हिस्से में पिड़ी दर पिड़ी गरिबी भुखमरी मिलती आ रही है ! जिसे दुर करने के लिए ठीक से अबतक कभी गंभिर ही नही हुए हैं घर के भेदि भी जो असल में मनुवादियो का शासन हमेशा कायम रहे और वे भी जिवनभर मनुवादियो की तरह मनुवादियो का कंधा से कंधा मिलाकर भोग विलाश करते रहे , इसके लिए मनुवादियो की दिन रात सहायता करने में लगे हुए हैं | 

नही तो यह सौ प्रतिशत सत्य है कि अबतक मनुवादियो के हाथो जो शोषन अत्याचार सत्ता कायम है , वह बिना समर्थन और राजनैतिक सहायता के कायम रहना नामुमकिन है |

और यदि बिना सहायता लिये मनुवादि सत्ता कायम रखना नामुमकिन है , तो निश्चित तौर पर यह भी सौ प्रतिशत मुमकिन है कि इस देश के बहुसंख्यक नागरिको को मनुवादि सत्ता द्वारा जो गरिबी भुखमरी और अभावग्रस्त जिवन कायम रखने के लिए गरिबी भुखमरी कमजोरी का लाभ उठाकर विभिन्न तरिके से शोषन अत्याचार करके पिठ पिच्छे मानो हत्या और प्रताड़ित किया जा रहा है , उसे रोकने के लिए तुरंत अपातकाल हालात घोषित करके अबतक तो कम से कम गरिबी भुखमरी दुर की जा सकती थी | और यदि मनुवादियो का साथ देते देते मनुवादियो के बुरी संगत से घर के भेदियो की बुद्धी काम करना बंद कर दिया है तो इसके लिए भी सत्य बुद्धी के तौर पर एक अचुक राय देता हूँ कि गरिबी भुखमरी से मर रहे सब नागरिक को एक एक लाख कैश या फिर उतनी ही किमत की कोई अन्य ऐसी सम्पत्ती दे दी जाय जिससे कि गरिबी भुखमरी जिवन में तुरंत भारी बदलाव वाली राहत मिल जायेगी | बल्कि बाकि नागरिको को भी उतनी की सहायता छुट या माफी के रुप में भी दिए जाय , जैसे की धन्ना कुबेरो को मिलती है | क्योंकि इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले कृषि प्रधान देश की अमिरी से प्रजा और सेवक दोनो को जिने का अधिकार है | जैसे की किसी परिवार के सारे सदस्यो को घर के धन संपदा से जिने का अधिकार होता है | तभी तो समृद्ध घर परिवार का कोई भी सदस्य घर में धन दौलत के रहते हुए कभी भी गरिबी भुखमरी से नही मरता | लेकिन  देश को यदि सभी नागरिको का घर माना जाय तो इस समृद्ध देश की अमिरी से सेवक के लिए तो सारी सुख सुविधा उपलब्ध है , पर करोड़ो जनता मालिको के लिए मानो इस देश की अमिरी से अपनी भुखमरी दुर करना तक मना है | भुखमरी से मर रहा नागरिक यदि सेवको की सरकारी कैंटिन से अपना पेट भरने के लिए गलती से भी यदि भोजन ग्रहन कर ले तो उसे जेल हो जायेगी | जिसके बाद भले उसे जेल में भुखमरी से मौत नही होगी पर बाहर यदि कुछ खाने पिने की व्यवस्था न हो सके और जिवित रहने के लिए मजबूरी में अति जरुरत पड़े तो वह घांस वगैरा भी न खाये तो उसकी भुखमरी से मौत होना तय है | जैसे कि हर रोज भुखमरी से मौते होना इस समय की आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल शासन के लिए आम बात हो गई है | भले मनुवादि और घर के भेदियो की नेतृत्व में देश में टनो टन भोजन और अन्न बर्बाद हो रहा हो | जो कि कभी भी नही होती यदि देश की धन संपदा से अमिरी सुख सुविधा का लाभ ले रहे सेवको द्वारा अच्छे तरिके से जिम्मेवारी निभाई जाती और करोड़ो जनता मालिको की भी अबतक कम से कम गरिबी भुखमरी देश की ही धन संपदा से तुरंत दुर कर दी जाती | या तो फिर जनता मालिक को ही कम से कम अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने तक के लिए देश की धन संपदा को खर्च करने और खुले में सड़कर बर्बाद हो रहे अन्न को खाने की छुट मिलती | जैसे की सेवको को मिली हुई है , तो निश्चित तौर पर करोड़ो जनता मालिक भी सेवक की तरह किमती गाड़ी बंगला वाले न सही पर कम से कम इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश की अमिरी से चंद समय में ही अपनी गरिबी भुखमरी को तो वैसे ही दुर कर लेते जैसे की सेवक शपथ लेते ही इस देश की अमिरी को खर्च करके चंद समय में कर लेते हैं | बल्कि शपथ लेने से पहले चाहे वह कितना ही गरिबी भुखमरी से क्यों न गुजर रहा हो , देश और जनता सेवा की शपथ लेते ही अमिर हो जाता है | हाँ कहने को यह कह दिया जाता है कि जनता ही उसका मालिक है | जो मालिक अपने सेवको को सेवा की शपथ लेते हुए देखने के बाद गरिबी भुखमरी से मरता रहता है | और सेवक उसी मालिक के हिस्से की अमिरी से सारी सुख सुविधा भोगता रहता है | जिसमे अबतक कम से कम ऐसी संतुलन तो आना चाहिए था , जिससे की देश परिवार का कोई भी सदस्य भुखा प्यासा न रहे | पर ऐसी बदलाव आए ऐसी नेतृत्व शासन अबतक नही आ पाई है | क्योंकि सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले इस कृषि प्रधान देश में आज भी करोड़ो जनता मालिक हर रोज अमिरी की गोद में भुखे पेट सो जाते हैं | और दस से भी अधिक विश्व प्रसिद्ध बड़ी नदी के होते हुए भी करोड़ो जनता मालिक बुंद बुंद पानी के लिए भी तरसते रहते हैं | ऐसी आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल सेवा चल रही है | जिस आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल सेवा के दौरान समृद्ध देश की धन संपदा से सेवक को अमिरी और करोड़ो जनता मालिक को गरिबी भुखमरी हमेशा मिलता रहे ऐसी खुनी शासन का उच्च नेतृत्व दरसल मुल रुप से मनुवादि कर रहे हैं | जाहिर है इस तरह की भ्रष्ट शासन जो दरसल खुनी शासन है , जिससे जनता मालिक के हिस्से की अमिरी से तो अबतक बने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति समेत उच्च अधिकारियो और मंत्रियो की सेवा में गाड़ी बंगला नौकर चाकर समेत तमाम तरह की सुख सुविधा मिली हुई है , जिसके मिलने के बाद गरिबी भुखमरी मुक्त होकर इन अमिर सेवको की जिवन अमिरी में गुजारा करते करते  अमिरी सुख सुविधा और अमिरी सुरक्षा में तो गुजर रहे हैं , लेकिन इनके नेतृत्व में देश परिवार के बाकि सदस्यो अथवा करोड़ो नागरिको की अबतक भी गरिबी नही गुजरी है ! बल्कि अमिर सेवको से सेवा पा रहे अनगिनत जनता मालिक हि अपने सेवको का झंडा और बैनर उठाकर और अपने अमिरी हिस्से की हक अधिकारो से अपने सेवको को गरिबी भुखमरी मुक्त करके , महंगी महंगी गाड़ी बंगला नौकर चाकर सुख सुविधा और सुरक्षा समेत हर महिने लाखो की तनख्वा देकर , खुद गरिबी भुखमरी से गुजर गए हैं | जो आगे भी अपने सेवको को अमिरी सुख सुविधा देकर गुजरते ही जा रहे हैं ! जिन्हे गरिबी भुखमरी से गुजरने से रोकने की सेवको द्वारा सेवक बनने से पहले और सेवा के दौरान भी झंडा और बैनर उठवाकर सिर्फ कस्मे वादे खाई जा रही है ! क्योंकि असल में इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले संभवता कपड़ा पहनना और परिवार समाज के बारे में भी नही जानने वाले कबिलई मनुवादि कभी सपने में भी ऐसा कदम नही उठा सकते जिससे की इस देश के सभी नागरिको की गरिबी भुखमरी दुर होना तो दुर सबको भरपेट भोजन और पिने के लिए पानी तक उपलब्ध हो सके | क्योंकि ऐसा होने से मनुवादियो के हाथो सत्ता भी रहेगी तो भी खासकर इस देश के दुःखी पिड़ित मुलनिवासी प्रजा अच्छी खासी खा पिकर एकजुट होकर मनुवादि सत्ता को उखाड़कर फैक देगी | जिसके चलते भी मनुवादि सोची समझी परजिवी नीति बनाकर बहुसंख्यक प्रजा को गरिबी भुखमरी से कमजोर करके और आपस में बांटकर इस देश में मुलता लंबे समय तक शासन नही शोषन कर रहे हैं | जैसे की कोई शिकारी मकड़ी अपने शिकार को अपनी जाल में फंसाकर विशेष प्रकार का चिपचिपा रस्सी से लपेटकर जिवन चुसती है | क्योंकि मनुवादियो को सेवा करने के बजाय चूँकि मुलता मनुस्मृती सोच से शोषन अत्याचार करने की हजारो सालो का अनुभव है , इसलिए मनुवादि चाहे भी तो उनकी भ्रष्ट बुद्धी में मुलता वह सोच ही नही जिससे की देश में सुख शांती और समृद्धी आ सके | वैसे भी जब मनुवादियो का सबसे उत्तम शासन रामराज और पांडवराज में भी शासक और प्रजा दोनो ही त्राही त्राही किये थे तो वर्तमान के मनुवादि तो खुदको पांडव और राम के चरणो का धुल भी नही मानते हैं | जिस राम और पांडव के नेतृत्व में न तो प्रजा अच्छी सेवा ले पाई और न ही शासक सुख चैन से अपना प्राण त्यागे | वर्तमान के भी नेतृत्व में ऐसी सेवा कभी नही मिल सकती जिससे कि सबकि गरिबी भुखमरी दुर होगी | और न ही मनुवादियो की भ्रष्ट बुद्धी से भेदभाव की गंदगी भी कभी दुर होगी | लेकिन भी चूँकि अजाद भारत का संविधान लागू होकर मनुवादियो के हाथो जो देश की सत्ता मौजुद है , वह उनकी अकेले के दम पर कभी भी कायम नही हो सकती है , इसलिए बाकि जिनकी भी सहायता से कायम है , वे सभी तो कम से कम मिलकर दबाव बनाकर मनुवादियो से इतना तो करवा सकते थे कि गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो की जिवन से गरिबी भुखमरी दुर हो जाय | जिसके लिए जैसा कि बतलाया कि उन्हे तत्काल सोने की चिड़ियाँ की अमिरी से कम से कम इतना धन तो मिल जाय की उनकी गरिबी भुखमरी तुरंत दुर होने की मजबूत नीव खोदी जा सके | जो न खोदकर क्यों मनुवादियो द्वारा घर के भेदियो से विशेष राजनैतिक सहायता लेकर सहायता कर रहे घर के भेदियो के नजरो के सामने ही अनगिनत नागरिको की हर रोज गरिबी भुखमरी से  कब्र खोदी जा रही है ? देश की अमिरी से गरिबी भुखमरी दुर करने की मजबूत निव क्यों अबतक नही खोदी जा रही है ? जिसके लिए गरिबी भुखमरी से मर रहे नागरिको को सिधे एक एक लाख धन या फिर उतनी की संपत्ती क्यों नही दी जा रही है ? जो देने से क्या मनुवादियो और घर के भेदियो की गांड़ फटकर उससे उनकी सारी अमिरी सेखी निकल जायेगी ! 


क्योंकि यहाँ संपत्ती देश के खजाने से देने की बात हो रही है न कि मनुवादियो और घर के भेदियो की खजाने से देने की बात हो रही है ! क्योंकि गरिबी भुखमरी से मर रहे नागरिको की जिवन भी किमती है , न कि सिर्फ मनुवादि और घर के भेदियो की जिवन किमती है , जिसे ही सिर्फ इस देश की अमिरी से सारी सुख सुविधा मिलती रहे , और इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश में करोड़ो नागरिक गरिबी भुखमरी से संघर्ष करता रहे | बल्कि अनगिनत हर रोज मरता भी रहे | जिन्हे यदि देश की अमिरी से एक एक लाख की सहायता मिल जाय तो वह धन उन्हे गरिबी भुखमरी से मरने से तत्काल रोकेगी ! यकिन न आए तो प्रयोग के तौर पर किसी ग्राम या झुगी झोपड़ी मोहल्ले के गरिब बीपीएल परिवार के सभी सदस्यो को एक एक लाख देकर देख लिया जाय कि ऐसा करने से उनके घरो में किसी की मौत गरिबी भुखमरी से होती है कि अचानक से उनके जिवन में ऐसी भारी बदलाव आ जाती है , जिससे कि वे अपने जिवन को गरिबी भुखमरी मुक्त करने की मजबूत निव खुद ही खोदना सुरु कर देंगे , जैसे कि यदि गरिबी भुखमरी से मर रहे लोगो को देश की खनिज संपदा को एक एक लाख रुपये तक कि खर्च करने की छुट मिल जाय तो भी वे कोयला सोने चाँदी हिरा वगैरा की खान से खुद ही अपनी अमिरी खोद निकालेंगे | जिसे अभी धन्ना कुबेरो को खुदवाने की छुट के साथ साथ हजारो करोड़ तक की छुट और माफी मिली हुई है | देश की अमिरी खर्च तो आखिर किसी न किसी तरिके से हो ही रही है | जिस अमिरी को खर्च मैं यदि देश का नेतृत्व करता तो सबसे पहले सबको एक एक लाख की सहायता देकर गरिबी भुखमरी को दुर करने की मजबूत नीव डालकर सबके जिवन को संतुलन करता , न कि सिर्फ खुद तो देश की अमिरी से सारी सुख सुविधा भोगता रहता लेकिन करोड़ो नागरिक की गरिबी भुखमरी दुर करने की इंतजाम भी न कर पाता सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले इस देश की अमिरी से ! जिसकी चाभी शासक के पास होती है | जो इस समय मनुवादि बने हुए हैं | जो बनने के बाद देश के धन संपदा को ऐसा खर्च किया जा रहा है जिससे की किसी को हजारो करोड़ तक की छुट और माफी दी जा रही है , तो किसी को गरिबी भुखमरी से मौत दी जा रही है | क्योंकि जाहिर है अभी मनुवादि शासन में मनुवादि सोच अनुसार ही देश की धन संपदा से भारी भेदभाव सहायता मिल रही है | जिसमे संतुलन लाने के लिए सभी नागरिको को उचित सहायता मिलनी चाहिए थी | क्योंकि यदि देश की धन संपदा से एक एक नागरिक को बराबर बराबर सहायता की बात की जाय तो धन्ना कुबेरो को तो हजारो करोड़ तक की सहायता दी जा रही है | जो सहायता उन्हे उनकी कौन सी गुप्त गरिबी भुखमरी दुर करने के लिए दी जा रही है , यह बात क्या गरिबी भुखमरी से मर रहे नागरिको के शव यात्रा में शामिल होकर समझाने कि हिम्मत कर पायेगी भोग विलाशी सरकार के मंत्री और उच्च पदो में बैठे अधिकारी , जिनके लिए जिते जी तो सारी जिवन सुख सुविधा उपलब्ध होती ही है पर शव यात्रा निकालने की भी खास सहायता उपलब्ध रहती है | जिनकी मर्जी से ही तो एक एक धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ की छुट और माफी सहायता मिलती आ रही है , न कि गरिबी भुखमरी से मर रही उस जनता मालिक की मर्जी से मिलती है , जिनको उतनी की सहायता मिलना तो दुर अन्न जल की भी सहायता ठीक से नही दी जा रही है | सिर्फ गरिबी हटाओ और पंद्रह बिस लाख सबके खाते में कहकर खुदकी अमिरी सेवा कराने की विशेष इंतजाम की जा रही है | जिस तरह की भ्रष्ट सेवा का नेतृत्व कर रहे अमिर सेवको के घरो में या उनके सबसे खास करिबियो में भी जब कोई सदस्य गरिबी भुखमरी से मरने लगेंगे तो भी क्या वे खुद किमती गाड़ी बंगला अमिरी सुख सुविधा और सुरक्षा लेकर जिवन गुजारा करेंगे और गरिबी भुखमरी से मर रहे सदस्यो या खास करिबियो की बुरी हालत में सुधार हो इसके लिए जिम्मेवारी के तौर पर गरिब बीपीएल कार्ड थमाकर खुद अमिरी सुख सुविधा युक्त होकर मरने तक सिर्फ यह ढोंग पाखंड होती रहेगी की बाकि सदस्यो और सबसे अधिक करिबियो की गरिबी भुखमरी से होने वाली मौत को रोकने का भारी बस्ता आधुनिक शाईनिंग और डीजिटल योजनायें बनाकर प्रयाश चल रहा है ! और अगर वाकई में ऐसा भी हो रहा होगा तो फिर मनुवादि शासन में तो ये भोग विलाश करने वाले अपने खास करिबियो और अपने घर के सदस्यो को भी खास ध्यान नही दे रहे हैं , इतने भोग विलाशी नशे की आदि हो चुके हैं मनुवादि और घर के भेदि भी | क्योंकि मनुवादि शासन में मनुवादियो की बुरी संगत से घर के भेदि भी भोग विलाशी नशे का आदि हो चुके हैं | नही तो फिर क्यों अबतक गरिबी भुखमरी और अभावग्रस्त जिवन संघर्ष करते हुए मर रहे जनता मालिको की मौत का नजारा सबकुछ अपनी आँखो के सामने देखते जानते हुए हर साल कितनी हत्या हुई इसपर रिपोर्ट बनाकर चर्चा करते हुए सिर्फ जनता मालिक जनता मालिक कहकर खुदको अमिरी सेवा कराते कराते सिर्फ जनता मालिक की ही गरिबी भुखमरी द्वारा ऐसी ऐतिहासिक कब्र खोदी जा रही है , जिसमे गरिबी भुखमरी और भ्रष्टाचार का इतिहास हर बार के चुनाव के बाद सरकार के कार्यकाल पुरा हो या फिर सरकारी अधिकारियो की महंगी महंगी सेवा कार्यकाल पुरा हो , गरिबी भुखमरी से जनता मालिको की मौत का आंकड़ा हर साल भारी तादार में दर्ज हो रहा है ! जिस तरह की गरिबी भुखमरी से अमिरी सुख सुविधा और सुरक्षा पा रहे सेवको की मौते यदि एकबार भी हो जाय और संसद में दो मिनट का मौन व्रत के समय गरिबी भुखमरी की वजह से किसी प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति मंत्री या उच्च अधिकारी की मौत हुई लाईव दिखलाया जाय तो मानो अजुबा मौत का इतिहास रच जायेगा ! क्योंकि अमिरी सुख सुविधा पा रहे सेवको की गरिबी भुखमरी से कभी मौते न हो इसके लिए सेवको के लिए सेवा करने की शपथ लेते ही सारी अमिरी सुख सुविधा और सुरक्षा मिलने लग जाती है | बल्कि मन में सेवा भावना हो या न हो बस किसी भी तरिके से सिर्फ एकबार चुने जाने के बाद उनके लिए सारी जिवन इतने की पेंशन भी मिलती है , जितना सिर्फ मैं एकबार सभी नागरिक को देने की बुद्धी बांटा हूँ ! तो भी इनके द्वारा मुझे पता है ये देंगे भी तो अजुबा इतिहास रच जायेगा | लेकिन फिलहाल तो करोड़ो जनता मालिक को सारी जिवन उन्ही सेवको से अबतक पानी तक ठीक से नही मिल पा रही है | जिस तरह की शासन को सत्य की तराजू में तौलकर काला इतिहास ही माना जायेगा ! जिस खुनी शासन का नेतृत्व मनुवादि कर रहे हैं ! क्योंकि सोने की चिड़ियाँ के जनता मालिको की गरिबी भुखमरी से मौत हो यह तभी मुमकिन है जब देश और जनता के हक अधिकारो से शासक खुद तो अमिरी सुख सुविधा भोग विलाश कर रहा हो , और साथ साथ एक एक धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ भी लुटाई जा रही हो , पर गरिबी भुखमरी से हर रोज मर नागरिको के लिए गरिबी भुखमरी दुर करने की बाते की जाय तो इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश की सरकार के पास धन न होने की सिर्फ मानो ढोंग पाखंड रचा जा रहा हो ! जबकि वही गरिब सरकार एक एक धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ की सहायता और छुट कैसे दे रही है ? जिस तरह की ढोंग पाखंड खुनी शासन का नेतृत्व मनुवादि कर रहे हैं ! जैसे कि गुलाम सोने की चिड़ियाँ का नेतृत्व गोरे कर रहे थे ! जिस समय भी गोरे इस देश की धन संपदा से खुद अमिरी सुख सुविधा और सुरक्षा पाकर जस्न मना रहे थे , और करोड़ो जनता मालिक गरिबी भुखमरी से अजादी पाने की संघर्ष करने के साथ साथ गोरो से भी अजादी पाने की संघर्ष कर रही थी | जैसे कि वर्तमान में भी करोड़ो जनता मालिक गरिबी भुखमरी और मनुवादि शोषन अत्याचार से भी अजादी पाने की संघर्ष कर रही है | क्योंकि शासन में जिनकी दबदबा ज्यादे होती है उसका नेतृत्व ही माना जाता है | जैसे की गुलाम भारत में गोरो की दबदबा कायम थी ! जिनकी दबदबा देश के शासन में कायम थी | जिस समय भी इस देश के लोग सरकारी सेवा में मौजुद थे ! जैसे की इस समय भी मनुवादियो के अलावे जिनका डीएनए मनुवादियो से नही मिलता है , वे भी सरकारी सेवा में उच्च पदो पर मौजुद हैं | पर चूँकि इस समय के बुरे हालात में सरकार और न्यायालय समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादि सबसे अधिक हावि हैं , जिनके रगो में भी विदेशी डीएनए मौजुद है , अथवा इस देश में गोरो की दबदबा समाप्त होने के बाद एक और विदेशी डीएनए के शासक अथवा मनुवादियो की दबदबा कायम है , इसलिए स्वभाविक भी है कि 1947 ई० से पहले का गुलाम भारत का बर्बादी का जिम्मेवार विदेशी मुल के गोरे और वर्तमान में भी मौजुद खुनी शासन का जिम्मेवार विदेशी मुल के मनुवादि हैं | और साथ साथ इनका विशेष सहायता कर रहे घर के भेदि भी शोषन अत्याचार करने वाले प्रमुख बिलेन का मानो दाहिना हाथ बने हुए हैं | इसलिए कुकर्म इतिहास में घर के भेदियो का भी कुकर्म इतिहास दर्ज हो रहा है कि ये मनुवादियो से कंधा से कंधा मिलाकर खुद भी अमिरी सुख सुविधा और सुरक्षा लेकर गरिबी भुखमरी से मर रहे करोड़ो प्रजा की और देश की कैसी खुनी सेवा कर रहे थे ! जिस कुकर्मो की प्राश्चित करने के लिए या तो ये तत्काल मनुवादियो का साथ देना सिधे बंद कर दे और मनुवादि सरकार गिराकर कोई भी घर का भेदि मनुवादियो की पार्टी से दुबारा से चुनाव न लड़ें | बल्कि बाकि भी अलग अलग बंटकर आपस में न लड़े और एकजुट होकर एक झटके में मनुवादि सत्ता को उखाड़ फैंके | क्योंकि मनुवादियो कि पार्टी से कोई भी घर का भेदि चुनाव न लड़े तो मनुवादियो के द्वारा चुनाव घोटाला करके भी सरकार नही चुनी जा सकेगी | खासकर आरक्षित सीट को ईवीएम मशीन से भी छेड़छाड़ करके कैसे जीत पायेंगे मनुवादि जब वे वहाँ से चुनाव ही नही लड़ सकते | जिन सीटो के बिना मनुवादि सरकार कभी बना ही नही सकते ! जिसपर अभी पुतला बनाकर उम्मिदवार खड़ा किया जाता है | जो पुतला उम्मिदवार यदि मनुवादियो की पार्टी से कभी खड़े ही न हो तो मनुवादि शासन का अंत चुनाव द्वारा भी हो सकती है | पर चूँकि मनुवादियो द्वारा संक्रमण देकर अपने लिए पुतला उम्मिदवार खड़ा करना कभी समाप्त ही नही हो सकता , इसलिए चुनाव से मनुवादि शासन का अंत हो जायेगा इसका साफ मतलब मनुवादियो की भ्रष्ट बुद्धी में चमत्कारी सुधार होना भी है | जो कि नामुमकिन है सिवाय वाकई में कोई ऐसी चमत्कार होने की जिससे की सचमुच में मनुवादियो को सत्य बुद्धी आकर भेदभाव करना और साथ साथ झुठी शान की नशा करना बंद कर दे | जिसके बाद जाहिर है मनुवादियो की सत्ता जाने का मतलब है झुठी शान के लिए भेदभाव करके हक अधिकार का छिना झपटी जो लंबे समय से हो रहा है , उसमे तो लगाम लगेगी ही लगेगी पर गरिबी भुखमरी द्वारा  मारे जा रहे सभी नागरिको कि जिवन में जिने की ऐसी उर्जा मिलेगी जिससे की आगे यदि मनुवादियो कि यदि मनुवादियो की बुद्धी फिर से भ्रष्ट होकर फिर से शोषन अत्याचार करने की कोशिष भी करेगी तो भी मनुवादि दुबारा शोषन अत्याचार करने से पहले बार बार ये बात एकबार जरुर सोचेंगे कि अपनी सत्ता कायम रहने पर कभी जिनको पिटा और पिटवाया करते थे उन्हे अब पिटे या पिटवाये तो खुद भी पिट जायेंगे | हलांकि चूँकि मनुस्मृति को अपना आदर्श मानने वाले मनुवादियो के पास शोषन अत्याचार सेवा करने का हजारो सालो का अनुभव है , जो गोरो से भी पहले से इस देश में प्रवेश करके अपने शोषन अत्याचार करने की और उच्च बनने की हुनर को अपडेट करते आ रहे हैं | जैसा कि इस समय भी मनुवादि अपने शोषन अत्यचार मनुस्मृति बुद्धी और उच्च हुनर को अपडेट कर रहे हैं | इसलिए मुमकिन है मनुवादि सत्ता जाने के बाद भी मनुवादि आसानी से नही सुधरने वाले हैं , क्योंकि ये उस छुवा छुत शोषण को अपना आदर्श मानने वाले ढोंगी पाखंडी और अन्याय अत्याचारी हैं , जब सजा में कान में गर्म पिघला लोहा डाला जाता था , जीभ अँगुठा काटा जाता था , गले में थुक हांडी और कमर में झाड़ू टांगा जाता था | वह भी ऐसी सजा जिसको बिना कोई अपराध के शोषन अन्याय अत्याचार नियम कानून बनाकर दिया जाता था | जिसे आज भी मनुस्मृति के जलाये जाने के बाद भी मनुस्मृति को मनुवादि अपना पवित्र ग्रंथ मानकर रखे हुए हैं | जिसको अपना आदर्श मानने वाले मनुवादियो का शासन में लोकतंत्र की जीत वाली चुनाव हो ये उम्मीद करना गोरो के समय चुनाव होकर गुलाम भारत में लोकतंत्र की जीत होने की उम्मीद और विश्वाश करने से भी बड़ी मुर्खता है | जिसे जानते हुए मैं तो कम से कम इस बात पर विश्वास और उम्मिद अब कभी भी नही करुँगा कि मनुवादियो के शासन में चुनाव द्वारा लोकतंत्र की जीत कभी हो भी सकती है | बल्कि यह मानकर चलुँगा कि इस देश को अभी पुरी अजादी नही मिली है | जिसे पुरी अजादी मिलने से पहले जो कुछ भी सेवा मिल रही है वह समझो गुलामी में मिल रही है | जैसे की गोरो के शासन में मिल रही थी | और वैसे भी अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे ठिक से लागू करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को मिली हुई है , उसकी रक्षा भी उस मनुस्मृती का भूत कर रहा है जिसे जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना किया गया था |

 बल्कि अबतक बार बार मनुस्मृति सोच द्वारा ही तो मनुवादियो की जीत होती आ रही है | जिनके दबदबा में मनुवादियो की हार चुनाव से नही बल्कि इनके शोषन अत्याचार से अजादी पाने की ऐसी संघर्ष से होनी चाहिए जैसे कि गोरो से अजादि पाने की संघर्ष या फिर दुनियाँभर में जो बड़ी बड़ी क्रांती के बाद बड़े बड़े क्रुर शासको के हाथो से सत्ता छिनकर ऐसी ऐतिहासिक बदलाव हुए हैं , जिन्हे इतिहास कभी नही भुला सकती | जैसे कि जिसदिन मनुवादियो की दबदबा वाली शासन का अंत होगा वह दिन इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश के लिए सबसे अधिक खास ऐतिहासिक दिन होगा | जिस खास दिन का इतिहास को कभी नही बुलाया जा सकेगा | जो मेरे विचार से विश्व की ऐसी ऐतिहासिक घटना होगी जिससे पुरे विश्वभर में जहाँ जहाँ अब भी गुलामी और भेदभाव का संक्रमित अंश अब भी मौजुद है , उसका भी खात्मा होने का रास्ता खुल जायेगा और यह देश फिर से खुदको विश्वगुरु के रुप में अपडेट करेगा | 

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