कड़वा सत्य को स्वीकारने में मनुवादियो को शर्म क्यों आती है ?

कड़वा सत्य को स्वीकारने में मनुवादियो को शर्म क्यों आती है ? 

अक्सर अपराधि अपने कुकर्मो और सजा को छिपाते हैं , पर मनुवादि तो अपने बहुत से आदर्श पुर्वजो की मौत इतिहास को भी छिपाते आ रहे हैं | जिसके चलते उनके बहुत से आदर्श पुर्वजो की मौत कैसे हुई थी इसे छिपाया गया है | मनुवादि सिर्फ रावण का विनाश हुआ , कौरवो का विनाश हुआ , नंद का विनाश हुआ कहकर बार बार रावण कौरव और नंद को सबसे बड़ा अपराधी और राम पांडव चाणक्य को बहुत महान बल्कि ईश्वर बताकर अपनी झुठी शान में डुबे रहते हैं | साथ साथ ब्रेनवाश करके दुसरो को भी अपनी झुठी शान का नशा करवाने की कोशिष करते रहते हैं | जैसे की मानो रावण की हत्या करके राम अपने बिवी पच्चो और प्रजा के साथ बड़ी सुखी जिवन व्यक्तीत करते हुए अंतिम यात्रा किया था | जिस राम को अपने ही रामराज में अपने बिवी बच्चे और प्रजा के साथ जिवन यापन करने का नसीब नही हुआ था इसके बारे में सायद ही कभी कभार बतलाया जाता है | सिर्फ रामराज रामराज कहकर यह झुठ फैलाया जाता है जैसे कि मानो राम द्वारा रावण की हत्या करने के बाद रामराज में उसकी जिवन में किसी तरह की भी कोई पीड़ा नही छु सकी थी | तभी तो सिर्फ रावण की मौत कैसे हुई थी इसके बारे में सबको बतलाकर हर साल रावण का पुतला जलाकर ऐसा जस्न मनाया जाता है जैसे मानो रामराज में राम और उसकी बीवी बच्चे और प्रजा को जिवन में कभी दुःख ही नसीब नही हुआ था और राम की कृपा से ये सभी बहुत सुखी जिवन जिते हुए अंतिम यात्रा किये थे | जबकि असल में इन लोगो का अंतिम यात्रा भी बहुत ही दर्दनाक हुआ था | जिते जी राजा राम सरयू नदी में डुबा और अति दुःखी होकर रानी सीता भी जिते जी धरती में समा गयी थी | जिससे बड़ा दुःख रामराज में क्या हो सकता है ! और साथ साथ रामराज में शंभुक प्रजा को भेदभाव करके उसके द्वारा वेद ज्ञान लेने पर जो राजा राम द्वारा शंभुक की हत्या कर दिया गया था वह दुःख तो और भी अधिक दुःखी करने वाला था | जिसका उदाहरन आज भी शोषित पिड़ित प्रजा जरुर देता है जब रामराज में भेदभाव नही होता था इस तरह का झुठा प्रचार प्रसार करके झुठ फैलाया जाता है | जिन सब बातो को छिपाने के लिये रामराज का प्रचार प्रसार में सबसे अच्छा शासन रामराज कहकर झुठा प्रचार प्रसार आजतक भी किया जाता है | सायद मनुवादियो को सच से सामना करने में शर्म आती है | जैसे कि चाणक्य की मौत भी मनुवादियो के लिए सायद शर्मनाक थी | इसलिये तो उसकी मौत को विवादित करके मनुवादियो ने अबतक छिपाकर रखा हुआ है | हलांकि विवादित होने के बावजुद भी इतिहास का दुसरा पक्ष यह भी बतलाता है कि चाणक्य की मौत जिंदा जलाने से हुई थी | सम्राट अशोक धारावाहिक में भी चाणक्य को सम्राट बिंदुसार के मंत्री सुबंधु ने जिंदा जलवा दिया था यह दिखलाया गया है | लेकिन मनुवादियो का कहना है कि चाणक्य ने आत्महत्या कर लिया था | जिन दोनो तरह के विवादित बातो में यदि चाणक्य को सचमुच में जिंदा जलाया गया था यह बात सच है तो निश्चित तौर पर चाणक्य की मौत चाणक्य द्वारा पिठ पिच्छे नंद सम्राट की हत्या करवाने से भी कहीं ज्यादे दर्दनाक हुई थी | जिस चाणक्य ने शैतान सिकंदर के साथ हाथ मिलाकर मगध की सत्ता पर कब्जा करके अपनी सोच से चलाने के लिए अपने शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य को पहले तो जोर जबरजस्ती शैतान सिकंदर के सेनापति सेल्युकस की पुत्री हेलेना से विवाह करवाया , उसके बाद चंद्रगुप्त मौर्य को जहर देकर मार डालने की भी कोशिष किया था | पर गलती से जहर वाला भोजन को चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी गर्भवती पत्नी को दे दिया और  उस जहरिली भोजन को खाकर चंद्रगुप्त की गर्भवती पत्नी मर गयी थी | पर उसका बच्चा बिंदुसार बच गया था | जो आगे जाकर सम्राट बना | जिसके ही मंत्री सुबंधु ने चाणक्य को जिंदा जलवा दिया था | जो कि चाणक्य की मौत का विवादित इतिहास का दुसरा पक्ष है  | जिस चाणक्य के दबाव में चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी मन से न चाहते हुए भी शैतान सिकंदर के सेनापति सेल्युकस की बेटी हेलेना से विवाह किया था | इतना ही नही चाणक्य अपने दुश्मनो को हराने के लिए विष कन्याओ का फौज भी तैयार करता था | जो कन्याये चाणक्य के कहने पर अपनी जहरिली हवश की जाल में फंसाकर चाणक्य के आदेश से जहर देकर मार डालती थी | जिस चाणक्य की जहरिली निति को अपनाकर आज भी चाणक्य को अपना आदर्श मानने वाले बहुत से लोग अपने विरोधी को किसी विषकन्या को सुपारी देकर हवश की जाल में फंसवाकर मरवाते होंगे | जैसे की चाणक्य के समय में उसके विरोधी हवश की भुख मिटाने के लिये जैसे ही विष कन्याओ से संपर्क करते थे तो वे मारे जाते थे | बल्कि चाणक्य ने तो अपने शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य को भी जहर देकर मारने की कोशिष किया था | पर जैसा की इतिहास में बतलाया गया है कि उस भोजन को चंद्रगुप्त की गर्भवती पत्नी ने खाई और जहर की वजह से वह मारी गयी | पर उसका बच्चा बच गया जिसका नाम बिंदुसार था | जिसके पिता ने जब राजपाठ छोड़कर सन्याश ले लिया तो उसका पुत्र बिंदुसार मगध का सम्राट बना | जिसका पुत्र अशोक था | जिसे मगध की राजगद्दी पर न बैठने देने के लिए मनुवादियो ने उसकी भी हत्या की साजिश रचा था | पर उल्टे अशोक ने ही 99 ब्रह्मणो की हत्या करके राजगद्दी हासिल कर लिया था |

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