ध्यान रहे बुद्धी का मतलब कोई उच्च डिग्री और खुब सारा धन हासिल करना नही है
ध्यान रहे बुद्धी का मतलब कोई उच्च डिग्री
और खुब सारा धन हासिल करना नही है
जिस कड़वा सत्य के बारे में संत कबीर ने भी कहा है कि
पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ पंडित भया न कोय |
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ||
और खुब सारा धन हासिल करना नही है
जिस कड़वा सत्य के बारे में संत कबीर ने भी कहा है कि
पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ पंडित भया न कोय |
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ||
अथवा बड़ी बड़ी डिग्री लेकर बड़ी बड़ी किताबे पढ़कर दुनियाँ में न जाने कितने ही लोग मौत के द्वार पर पहुँचकर भी सत्यबुद्धी को प्राप्त नही कर सके | लेकिन यदि ढाई अक्षर प्रेम का सत्यबुद्धी प्राप्त कर लेंगे तो बुद्धी को प्राप्त जरुर कर लेंगे | बल्कि महलो में कई शिक्षको से पढ़कर बुद्ध के पास पास भी कई उच्च डिग्री मौजुद थी | लेकिन भी उसके बारे में यह क्यों कहा जाता है कि बुद्ध को ज्ञान पेड़ के निचे खुले में बिना कोई पढ़ाई के आँख मुंदकर योग ध्यान करने मात्र से हासिल हुआ था | जो ज्ञान उसे कई शिक्षको से पढ़ने और कई डिग्री हासिल करने के बावजुद भी महल के अंदर क्यों नही मिल पाई थी ? क्योंकि बुद्धी के सरण में जाना बड़ी बड़ी डिग्री हासिल करना और खुब सारा धन हासिल करना नही बल्कि सत्य बुद्धी को प्राप्त करना होता है | क्योंकि ज्ञान डिग्री और खुब सारा धन तो बड़े बड़े आतंकवादी और किडनीचोर डॉक्टर के पास भी होती है , पर उनके पास सत्यबुद्धी नही होती है | जिसके चलते वे आतंकवादी और किडनीचोर बनते हैं | जो सत्यबुद्धी मनुवादियो को भी अबतक प्राप्त नही हो पा रही है | जिसके चलते वे बड़ी बड़ी डिग्री हासिल करके और बड़े बड़े उच्च पदो में बैठकर भी प्रेम से जिवन गुजारा करने के बजाय भेदभाव शोषण अत्याचार करना नही छोड़ पा रहे हैं | जैसे कि सत्यबुद्धी नही आने कि वजह से गोरे भी लंबे समय तक यीशु प्रेम बांटने के बजाय बाईबल धरकर भी न्यायालय का जज बनकर देश गुलाम करके अजादी संघर्ष करने वालो को सजा देते रहे और यह बोर्ड लगाते रहे कि कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है | जिस तरह का बोर्ड मनुवादि भी आजतक लगाना नही छोड़ पाये हैं | क्योंकि उन्हे भी बड़ी बड़ी उच्च डिग्री और वेद पुराणो की डिग्री प्राप्त करने के बावजुद अबतक भी सत्यबुद्धी प्राप्त नही हो पायी है | क्योंकि बुद्धी को प्राप्त करना दरसल सत्यबुद्धी को प्राप्त करना है | जैसे की बुद्ध ने प्राप्त किया था | जो सत्यबुद्धी उसे महलो में नही बल्कि खुले आसमान और पेड़ के निचे मिली थी | जहाँ पर सबसे अधिक ग्रामिण और झुगी झोपड़ी अबादी जिवन बसर करती है | जिन लोगो को बुद्धी नही है और अनपढ़ गंवार कहकर मजाक उड़ाने और अपमानित करने वालो को ही तो बुद्ध और कबिर ने भी बुद्धी के सरण में जाओ कहकर ज्यादेतर बुद्धी बांटने का प्रयाश किया है | अथवा बुद्ध और कबिर ने सबसे अधिक ज्ञान उन्ही लोगो को बांटा है , जिनके पास किसी चिज की कमी नही थी पर सत्यबुद्धी की कमी जरुर थी | जैसे की अभी भी सबसे अधिक सत्यबुद्धी बांटने की जरुरत बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को है , जिनके पास किसी भी चीज की कोई कमी नही है , बस सत्यबुद्धी की कमी है | तभी तो ऐसे लोगो द्वारा ही सबसे अधिक भ्रष्टाचार हो रहा है | और कालाधन का भी अंबार ऐसे ही लोग लगाते जा रहे हैं | जिन्हे सत्यबुद्धी की सबसे अधिक जरुरत है | जिनको सत्यबुद्धी न मिलने की वजह से ही तो यह देश सोने की चिड़ियाँ होते हुए भी यहाँ पर गरिबी भुखमरी का अंबार इसलिए लग गया है , क्योंकि ऐसे ही लोग दुसरो का हक अधिकारो को चुराकर लुटकर खुदको सबसे विद्वान समझते रहते हैं | जिन्हे सत्यबुद्धी की आवश्यकता सबसे ज्यादे है | जिन्हे बड़े बड़े कबिर जैसे महान विचारक और बुद्ध जैसे महात्मा के विचार भी सैकड़ो हजारो सालो से सत्यबुद्धी नही दे पाई है | क्योंकि ऐसे लोग कबिर और बुद्ध जैसे संत महात्माओ को भी मानो किसी चेक की तरह भंजाकर यशो आराम का जिवन गुजारते हुए उल्टे उन्ही लोगो को बुद्धीहीन अनपढ़ गंवार कहते आ रहे हैं , जिनसे न तो लोकतंत्र को ज्यादे खतरा है , और न ही पर्यावरण व मानवता को ज्यादे खतरा है | बल्कि सबसे ज्यादे खतरा उन्ही लोगो से है , जो बुद्धीहीन अनपढ़ गंवार कहकर खुदको सबसे उच्च समझकर सबसे बड़े बड़े भ्रष्टाचार में लिप्त होकर कालाधन का अंबार लगाते जा रहे हैं | ध्यान रहे बुद्धी का मतलब कोई उच्च डिग्री और खुब सारा धन हासिल करना नही है |
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