चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! और चुनाव जितते ही बगुला योगी साबित होता है !
चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! और चुनाव जितते ही बगुला योगी साबित होता है !
जिस तरह पंचतंत्र की कथा में बगुला योगी अब मैं बुढ़ा हो गया हूँ कहकर ढोंग पाखंड करता है , उसी तरह हजारो सालो से शोषण अत्याचार करने वाला हजारो सालो का बुढ़ा मनुवादी भी बगुला योगी की तरह ढोंग पाखंड करता है कि अब वह भेदभाव शोषण अत्याचार करना छोड़ दिया है |
चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! फिर रामदेव जैसे घर के भेदियो को अपनी मनुवादि वायरस देकर बुद्धी भ्रष्ट करके इस्तेमाल करते हैं | मनुवादियो को बस किसी भी हालत में शोषण अत्याचार करने के लिए सत्ता चाहिए , जैसे कि किसी ड्रक्स का आदि हुए नशेड़ी को किसी भी हालत में ड्रक्स चाहिए होता है | मनुवादियो को इस देश के मुलनिवासियो का सेवा तो करना नही है , जबतक लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा कायम रहेगी तबतक जीभरके सिर्फ शोषन अत्याचार करते रहना है | क्योंकि सत्ता मानो ऐसी ताकत वरदान है जो जिन लोगो के लिए सेवा करने का माध्यम है , उनके लिए तो मानो सत्ता अमृत है , पर जिन लोगो के लिए शोषन अत्याचार करने का माध्यम है , उनके लिए शोषण अत्याचार करने का सबसे बड़ा ताकतवर वरदान है | जैसे की सत्ता के जरिये मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो के साथ हजारो सालो से शोषन अत्याचार करते आ रहे हैं | ताकतवर सत्ता उनके लिए ऐसा ड्रक्स बना हुआ है जो इंसानियत को मार डालता है | जो बुद्धी भ्रष्ट करके दिन रात ऐसा पाप कराता है , जिससे कि इंसानियत ऐसे पापियो से अजादी पाने का लंबा संघर्ष करता है , जिनसे अजादी मिले बगैर इंसानियत कायम कभी हो ही नही सकता | जो जबतक कायम नही हो जाती तबतक शोषण अत्याचार से अजादी पाने का संघर्ष चलता रहता है | जैसे कि मनुवादियो की शोषन अत्याचार से अजादी पाने का संघर्ष हजारो सालो से चल रहा है | जिस संघर्ष को कमजोर संघर्ष यह सोचकर नही कहा जा सकता कि चूँकि मुठिभर अबादि से भी बहुसंख्यक अबादि लंबे समय से अजादि पाने का संघर्ष कर रहा है , इसलिए वह कमजोर है | और चूँकि शोषन अत्याचार करने वाला मुठिभर होकर भी बहुसंख्यको पर राज कर रहा है इसलिए वह ताकतवर है | और ताकतवर मनुवादियो से डरकर सभी शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे सब मिलकर संघर्ष कर रहे हैं इसलिए वे कमजोर हैं | क्योंकि अजादि संघर्ष भी तो मुठिभर गोरो से अजादी पाने के लिए मिलजुलकर ही लड़ी गयी थी | तो क्या गुलाम करने वाले गोरे सभी गुलाम देशो के गुलामो से ज्यादा ताकतवर थे और मिल जुलकर अजादी संघर्ष करने वाले सभी गुलाम लोग कमजोर थे ? बिल्कुल नही बल्कि गुलाम और शोषन अत्याचार करने वाला ज्यादे कमजोर होता है , जिसके पास इतनी ताकत नही होती की वह किसी को गुलाम किये बगैर , किसी का शोषन अत्याचार किये बगैर , हक अधिकारो को बिना लुटे बगैर जिंदा रह सके ! जिसके चलते वह किसी परजिवी की तरह दुसरो का हक अधिकारो को चुसकर शोषण अत्याचार करके जिवित रह पाता है | जैसे कि इस देश के मुलनिवासियो के साथ हजारो सालो से शोषन अत्याचार करने वाले मनुवादि परजिवी मांसिकता को अबतक कायम रखकर ही खुदको सबसे अधिक ताकतवर और उच्च कहकर गुजर बसर कर रहे हैं | जिन मनुवादियो के बिच मौजुद जिनके पास भी बिना किसी को गुलाम बनाये , शोषन अत्याचार किये , हक अधिकारो को लुटे बगैर जिवन गुजारा करने कि मांसिकता शोषित पिड़ितो की संगत में आकर सचमुच में ताकत विकसित होने लगती है , वह सचमुच में शोषन अत्याचार करने कि भ्रष्ट नशा को धिरे धिरे छोड़ते हुए भेदभाव करने वालो का पापो को धोने के लिए बिना भेदभाव के शोषित पिड़ितो की सेवा करने में लग जाता है ! पर अफसोस मनुवादियो के भितर मनुस्मृति का शैतान भुत इतनी गहराई तक घुस चुका है कि उसे जलाकर भी अबतक मुठिभर मनुवादियो में भी इतनी ताकत विकसित नही हो पाई है कि उनके भितर वह ताकतवर इंसानियत जाग जाय जिससे कि भेदभाव समाप्त हो जाय | जिनको आज भी भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत भ्रष्ट नशा कराके और अधिक कमजोर करने में लगा हुआ है | जो भ्रष्ट नशा जिनके भितर भी गहराई तक चला जाता है वह व्यक्ति धर्म परिवर्तन करके भी दुसरे धर्मो में जाकर भेदभाव करने का भ्रष्ट नशा करना नही छोड़ पाता है | जिस तरह का भेदभाव नशा करने वाले लगभग सभी धर्मो में मौजुद हैं | जैसे कि कहीं सुन देख रहा था कि बौद्ध धर्म में भी भेदभाव होता है | जिसके चलते अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी एक इंसान का औसतन उम्र जितना समय हो चुका है , लेकिन भी अबतक इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भेदभाव करने वाला भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत सवार होकर हक अधिकारो को छिनने और शोषन अत्याचार करने में लगा हुआ है | लगता है अजाद भारत का संविधान लागू होने के बाद भेदभाव का नशा करते हुए अबतक शोषन अत्याचार करने में लगा हुआ मनुवादियो का बुढ़ा पिड़ी समाप्त होने के बाद ही नई पिड़ी जो बुढ़ा पिड़ी से अपने हाथो शोषन अत्याचार करने का नशा को थामेगी वही भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत को अपने भितर से उतारने के लिए शोषन अत्याचार का नशा करने से इंकार करते जायेगी | और धिरे धिरे जिस तरह गुलाम करने वाले गोरो की नई पिड़ी आज गुलाम करने के लिये माफी मांगकर इतिहास में लगे दाग को मिटाने कि कोशिष कर रहा है , उसी तरह मनुवादियो की नई पिड़ी भी सायद छुवा छुत भेदभाव दाग मिटाने की कोशिष कर पायेगी न कि पुरानी पिड़ी की तरह दाग अच्छे हैं कहकर शोषन अत्याचार करती रहेगी | और शोषन अत्याचार के खिलाफ संघर्ष और भी लंबे समय तक चलता रहेगा | गोरो को तो सैकड़ो सालो में इतनी ताकत आ गयी थी कि वे शोषन अत्याचार कराने वाले भुत से छुटकारा पाने के लिए गुलाम करना छोड़ दिये पर मनुवादियो को तो हजारो सालो के बाद भी इतनी ताकत नही जुट पा रही है कि वे शोषन अत्याचार कराने वाले भष्म मनुस्मृति का भुत से छुटकारा पा सके | हलांकि मनुवादियो की भ्रष्ट संगत में पड़ने वाले घर के भेदियो के बुद्धी को भी भष्म मनुस्मृति का शैतान भूत जकड़ लेता है , और वह बाबा रामदेव जैसा मनुवादियो का गुणगाण करके भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो का आरती उतारके शोषित पिड़ितो की अजादी संघर्ष को वैचारिक आतंक कहने लगता है | जिस तरह के घर के भेदियो को भी मनुस्मृति में मौजुद वैचारिक और शारिरिक आतंक दिखलाई नही देती है | जैसे कि जिन मनुवादियो को मनुस्मृति में मौजुद वैचारिक और शारिरिक आतंक दिखलाई नही दे रही है वह अबतक शोषण अत्याचार करने की भ्रष्ट परंपरा को आगे बड़ाने में लगा हुआ है |
चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! फिर रामदेव जैसे घर के भेदियो को अपनी मनुवादि वायरस देकर बुद्धी भ्रष्ट करके इस्तेमाल करते हैं | मनुवादियो को बस किसी भी हालत में शोषण अत्याचार करने के लिए सत्ता चाहिए , जैसे कि किसी ड्रक्स का आदि हुए नशेड़ी को किसी भी हालत में ड्रक्स चाहिए होता है | मनुवादियो को इस देश के मुलनिवासियो का सेवा तो करना नही है , जबतक लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा कायम रहेगी तबतक जीभरके सिर्फ शोषन अत्याचार करते रहना है | क्योंकि सत्ता मानो ऐसी ताकत वरदान है जो जिन लोगो के लिए सेवा करने का माध्यम है , उनके लिए तो मानो सत्ता अमृत है , पर जिन लोगो के लिए शोषन अत्याचार करने का माध्यम है , उनके लिए शोषण अत्याचार करने का सबसे बड़ा ताकतवर वरदान है | जैसे की सत्ता के जरिये मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो के साथ हजारो सालो से शोषन अत्याचार करते आ रहे हैं | ताकतवर सत्ता उनके लिए ऐसा ड्रक्स बना हुआ है जो इंसानियत को मार डालता है | जो बुद्धी भ्रष्ट करके दिन रात ऐसा पाप कराता है , जिससे कि इंसानियत ऐसे पापियो से अजादी पाने का लंबा संघर्ष करता है , जिनसे अजादी मिले बगैर इंसानियत कायम कभी हो ही नही सकता | जो जबतक कायम नही हो जाती तबतक शोषण अत्याचार से अजादी पाने का संघर्ष चलता रहता है | जैसे कि मनुवादियो की शोषन अत्याचार से अजादी पाने का संघर्ष हजारो सालो से चल रहा है | जिस संघर्ष को कमजोर संघर्ष यह सोचकर नही कहा जा सकता कि चूँकि मुठिभर अबादि से भी बहुसंख्यक अबादि लंबे समय से अजादि पाने का संघर्ष कर रहा है , इसलिए वह कमजोर है | और चूँकि शोषन अत्याचार करने वाला मुठिभर होकर भी बहुसंख्यको पर राज कर रहा है इसलिए वह ताकतवर है | और ताकतवर मनुवादियो से डरकर सभी शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे सब मिलकर संघर्ष कर रहे हैं इसलिए वे कमजोर हैं | क्योंकि अजादि संघर्ष भी तो मुठिभर गोरो से अजादी पाने के लिए मिलजुलकर ही लड़ी गयी थी | तो क्या गुलाम करने वाले गोरे सभी गुलाम देशो के गुलामो से ज्यादा ताकतवर थे और मिल जुलकर अजादी संघर्ष करने वाले सभी गुलाम लोग कमजोर थे ? बिल्कुल नही बल्कि गुलाम और शोषन अत्याचार करने वाला ज्यादे कमजोर होता है , जिसके पास इतनी ताकत नही होती की वह किसी को गुलाम किये बगैर , किसी का शोषन अत्याचार किये बगैर , हक अधिकारो को बिना लुटे बगैर जिंदा रह सके ! जिसके चलते वह किसी परजिवी की तरह दुसरो का हक अधिकारो को चुसकर शोषण अत्याचार करके जिवित रह पाता है | जैसे कि इस देश के मुलनिवासियो के साथ हजारो सालो से शोषन अत्याचार करने वाले मनुवादि परजिवी मांसिकता को अबतक कायम रखकर ही खुदको सबसे अधिक ताकतवर और उच्च कहकर गुजर बसर कर रहे हैं | जिन मनुवादियो के बिच मौजुद जिनके पास भी बिना किसी को गुलाम बनाये , शोषन अत्याचार किये , हक अधिकारो को लुटे बगैर जिवन गुजारा करने कि मांसिकता शोषित पिड़ितो की संगत में आकर सचमुच में ताकत विकसित होने लगती है , वह सचमुच में शोषन अत्याचार करने कि भ्रष्ट नशा को धिरे धिरे छोड़ते हुए भेदभाव करने वालो का पापो को धोने के लिए बिना भेदभाव के शोषित पिड़ितो की सेवा करने में लग जाता है ! पर अफसोस मनुवादियो के भितर मनुस्मृति का शैतान भुत इतनी गहराई तक घुस चुका है कि उसे जलाकर भी अबतक मुठिभर मनुवादियो में भी इतनी ताकत विकसित नही हो पाई है कि उनके भितर वह ताकतवर इंसानियत जाग जाय जिससे कि भेदभाव समाप्त हो जाय | जिनको आज भी भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत भ्रष्ट नशा कराके और अधिक कमजोर करने में लगा हुआ है | जो भ्रष्ट नशा जिनके भितर भी गहराई तक चला जाता है वह व्यक्ति धर्म परिवर्तन करके भी दुसरे धर्मो में जाकर भेदभाव करने का भ्रष्ट नशा करना नही छोड़ पाता है | जिस तरह का भेदभाव नशा करने वाले लगभग सभी धर्मो में मौजुद हैं | जैसे कि कहीं सुन देख रहा था कि बौद्ध धर्म में भी भेदभाव होता है | जिसके चलते अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी एक इंसान का औसतन उम्र जितना समय हो चुका है , लेकिन भी अबतक इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भेदभाव करने वाला भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत सवार होकर हक अधिकारो को छिनने और शोषन अत्याचार करने में लगा हुआ है | लगता है अजाद भारत का संविधान लागू होने के बाद भेदभाव का नशा करते हुए अबतक शोषन अत्याचार करने में लगा हुआ मनुवादियो का बुढ़ा पिड़ी समाप्त होने के बाद ही नई पिड़ी जो बुढ़ा पिड़ी से अपने हाथो शोषन अत्याचार करने का नशा को थामेगी वही भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत को अपने भितर से उतारने के लिए शोषन अत्याचार का नशा करने से इंकार करते जायेगी | और धिरे धिरे जिस तरह गुलाम करने वाले गोरो की नई पिड़ी आज गुलाम करने के लिये माफी मांगकर इतिहास में लगे दाग को मिटाने कि कोशिष कर रहा है , उसी तरह मनुवादियो की नई पिड़ी भी सायद छुवा छुत भेदभाव दाग मिटाने की कोशिष कर पायेगी न कि पुरानी पिड़ी की तरह दाग अच्छे हैं कहकर शोषन अत्याचार करती रहेगी | और शोषन अत्याचार के खिलाफ संघर्ष और भी लंबे समय तक चलता रहेगा | गोरो को तो सैकड़ो सालो में इतनी ताकत आ गयी थी कि वे शोषन अत्याचार कराने वाले भुत से छुटकारा पाने के लिए गुलाम करना छोड़ दिये पर मनुवादियो को तो हजारो सालो के बाद भी इतनी ताकत नही जुट पा रही है कि वे शोषन अत्याचार कराने वाले भष्म मनुस्मृति का भुत से छुटकारा पा सके | हलांकि मनुवादियो की भ्रष्ट संगत में पड़ने वाले घर के भेदियो के बुद्धी को भी भष्म मनुस्मृति का शैतान भूत जकड़ लेता है , और वह बाबा रामदेव जैसा मनुवादियो का गुणगाण करके भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो का आरती उतारके शोषित पिड़ितो की अजादी संघर्ष को वैचारिक आतंक कहने लगता है | जिस तरह के घर के भेदियो को भी मनुस्मृति में मौजुद वैचारिक और शारिरिक आतंक दिखलाई नही देती है | जैसे कि जिन मनुवादियो को मनुस्मृति में मौजुद वैचारिक और शारिरिक आतंक दिखलाई नही दे रही है वह अबतक शोषण अत्याचार करने की भ्रष्ट परंपरा को आगे बड़ाने में लगा हुआ है |
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