प्रकृति भगवान की सजा से राम पांडव और चाणक्य भी नही बच सके तो वर्तमाण के मनुवादि क्या बचेंगे
प्रकृति भगवान की सजा से राम पांडव और चाणक्य भी नही बच सके तो वर्तमाण के मनुवादि क्या बचेंगे
जाहिर है मनुवादि शासन में जिसमे की कथित उच्च जातियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मौजुद है |
गरिबी भुखमरी शोषन अत्याचार से हर रोज अनगिनत मुलनिवासियो की असमय मौत हो रही है | मनुवादि शासन में मुलनिवासियो की असमय मौत की तादार अति हो गयी है | जिसमे कितने मनुवादियो की मौत गरिबी भुखमरी से हो रही है ?
जाहिर है मनुवादि शासन में जिसमे की कथित उच्च जातियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मौजुद है |
जिस तरह के भारी भेदभाव हालात में इस देश के मुलनिवासी मनुवादियो की शोषन अत्याचार से छुटकारा पा लेंगे यह उम्मीद करना मानो गोरो के शासन में गोरो द्वारा न्यायपुर्ण सेवा की उम्मीद करने से भी ज्यादा झुठी उम्मीद करना है | क्योंकि गोरो की शासन में अजाद भारत का संविधान लागू नही था | पर वर्तमान के मनुवादि शासन में तो अजाद भारत का संविधान लागू है | जिसके लागू होने के बावजुद भी ये सब हो रहा है | जिसे रोकने के लिए मनुवादियो की सत्ता जाने के लिए सभी मुलनिवासियो जो चाहे जिश धर्म में मौजुद हो वे सब एकजुट होकर ऐतिहासिक भारी बदलाव का भागिदारी बने , और मनुवादियो के द्वारा किये जा रहे शोषन अन्याय अत्याचार का जमकर विरोध करें | मनुवादियो का विरोध करने के लिए मैं उन चाटुकारो या घर के भेदियो से नही कह रहा हूँ जो मनुवादियो का कंधा से कंधा मिलाकर अपने ही डीएनए के लोगो का शोषन अत्याचार करने में मदत इसलिए कर रहे हैं , क्योंकि उन्हे भी मनुवादियो का भोग विलाश और झुठी शान में खाश हिस्सेदारी चाहिए | चाहे मानो जुठन के रुप में हो या फिर घुस के रुप में हो | जिन्हे अपनो को दुःख देने में वैसा ही आनंद आता है , जैसे की विभिषन को अपने भाई रावण की हत्या कराने में मदत करके और अपनो के लंका का विनाश कराने में आनंद आया था | पर चाटुकार और घर के भेदियो को यह बात भी नही भुलनी चाहिए कि जब घर के भेदि की सहायता से लंका का शासन पुरी तरह से अपने कब्जे में आ जाती है तो घर के भेदि विभिषण का क्या हाल होता है ? वैसे जब मुलनिवासियो की सत्ता भी वापस अपने हाथ आ जाती है तो मनुवादि वापस या तो हाथ में कटोरा लेकर जिवन गुजारा की भिख मांगते हैं या फिर सजा काटते हैं | जैसे की वामन ने देवो के कहने पर जिवन गुजारा के लिए मांगा था , जब बलि दानव ने देवो को हराकर अपनी सत्ता उनसे वापस छिन लिया था | क्योंकि देव सड़क में आ गए थे और वामन से भिख मंगवाये थे | जैसे कि देव के वंसज मनुवादि हजारो साल पहले इस देश में प्रवेश करने से पहले संभवता बिन कपड़ो के पुरुष झुंड बनाकर सड़को पर घुमा करते थे तो अपनी जिवन गुजारा के लिए घुमते घुमते इस देश में प्रवेश करके घर के भेदियो की सहायता से इस देश के मुलनिवासियो की हक अधिकारो को छिनकर शोषन अत्याचार करना सुरु कर दिया | जिन मनुवादियो के हाथो जब सत्ता चली जायेगी तो हाथ न फैलाने की स्थिति में निश्चित तौर पर शोषण अत्याचार करने वाले मनुवादियो और उन्हे भ्रष्ट बुद्धी देने वाले ढोंगी पाखंडी भी शोषण अत्याचार गुनाह की सजा भविष्य में जरुर काटेंगे | जो सजा उन्हे प्राकृति भगवान देगा | जिस सजा से राम पांडव और चाणक्य भी नही बच सके तो वर्तमाण के मनुवादि क्या बचेंगे | हाँ मुलनिवासी सत्ता आने से पहले ही जो मनुवादि भरपेट खा पीकर झुठी शान में डुबकर निकल लेंगे अथवा मर जायेंगे उन्हे क्या सजा मिलेगी ये तो इतिहास ही तय करेगा , जिसे शोषित पिड़ितो की नई पिड़ी पढ़कर मंथन करके शोषन अत्याचार करने वालो की झुठी शान और झुठी महानता को वैसे ही जलाकर नई इतिहास अपडेट करेंगे जैसे की अंबेडकर ने मनुवादियो का संविधान मनुस्मृति को जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना किया था | मनुस्मृति को जलाने वाली सोच को वैचारिक आतंक कहने वाले रामदेव जैसे घर के भेदियो को तो भविष्य में मनुवादियो का विरोध करने वाली नई पिड़ी भी वैसे ही नजरो से देखेगी जैसे की वर्तमान की पिड़ी विभिषण को देखता है |
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