the dead skeleton of a male and female can live on earth and live in a family नर और मादा के मृत कंकाल धरती पर रह सकते हैं
the dead skeleton of a male and female can live on earth and live in a family
नर और मादा के मृत कंकाल धरती पर रह सकते हैं
If he wishes, the person who worships him can live without air and water. Rather, the dead skeleton of a male and female can live on earth and live in a family! The full article is available at the following link.
अगर वह चाहे तो उसकी पूजा करने वाला व्यक्ति बिना हवा और पानी के रह सकता है। बल्कि, नर और मादा के मृत कंकाल धरती पर रह सकते हैं और एक परिवार में रह सकते हैं! पूरा लेख निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है।
agar vah chaahe to usakee pooja karane vaala vyakti bina hava aur paanee ke rah sakata hai. balki, nar aur maada ke mrt kankaal dharatee par rah sakate hain aur ek parivaar mein rah sakate hain! poora lekh nimnalikhit link par upalabdh hai.
स्वर्ग नरक आत्मा परमात्मा पर विश्वास करने वालो को यह भी विश्वास है कि परमात्मा यदि चाह ले तो कुछ भी कर सकता है ! जैसे कि उदाहरन के तौर पर यदि वह चाह ले तो उसकी पुजा करने वाला इंसान बिना हवा पानी का भी जिवित रह सकता है | बल्कि नर नारी का मुर्दा कंकाल भी धरती पर जिवित रहकर परिवार बसा सकता है | जिस तरह की बातो में विश्वास करने वाले अक्सर यह कहते मिल जायेंगे कि वे जिसकी पुजा करते हैं , वह शक्ती चाहे तो कुछ भी करके दिखला सकता है | हलांकि आजतक उस शक्ति ने खुदको नही दिखलाया है | जिसके द्वारा दिखने और सुनने की घटना सिर्फ विश्वास पर अधारित है | जैसे कि धर्म के नाम से अपनी दबदबा कायम करने वाले यहूदि मुस्लिम ईसाई और मनुवादि वगैरा इन सब धर्मो को मानने वालो का एक ही विचारधारा है कि उनको मरने के बाद इस धरती में नही रहना है | बल्कि शरिर छोड़कर स्वर्ग नरक जनत चले जाना है | जो बात सिर्फ धार्मिक विश्वास पर आधारित है | न कि अदृश्य आत्मा परमात्मा स्वर्ग नर्क की बातो पर सभी इंसान विश्वास करते हैं | क्योंकि आत्मा यदि शरिर से बाहर ही न निकले तो शरिर मरेगा नही बल्कि जिन्दा रहेगा , इस तरह की बातो में विश्वास करने के बजाय बहुत से इंसान इस बात पर विश्वास करते हैं कि शरिर में जबतक कार्य करने की क्षमता रहती है तबतक वह जिवित कहलाता है | जो कार्य क्षमता जैसे समाप्त हो जाती है वह मर जाता है | जैसे की इस पृथ्वी या फिर सुर्य तारा चाँद वगैरा निर्जिव माने जानेवाले भी अपनी कार्य क्षमता की वजह से ही अपने जगह मौजुद हैं |जिनकी कार्य क्षमता समाप्त होते ही वे भी समाप्त हो जायेंगे , अथवा मर जायेंगे कहा जा सकता है | क्योंकि कार्य क्षमता के अनुसार जिव निर्जिव सभी अमर हैं , सिर्फ अपना रुप रंग बदलते रहते हैं | जैसे की पृथ्वी चाँद तारे और सुर्य की कार्य क्षमता समाप्त हो जायेगी तो वह अपना रुप रंग बदल लेंगे | इंसान का शरिर भी अपनी कार्य क्षमता खो देने के बाद अपना पुराना रुप बदलकर नया रुप धारन कर लेगा | क्योंकि उसके अंदर मौजुद पंचतत्व कहीं कथित आत्मा की तरह कहीं कोई अदृश्य स्वर्ग नरक नही जायेगा बल्कि इसी साक्षात मौजुद प्रमाणित दुनियाँ में ही नया रुप धारन करेगा | जैसे की कोई वाहन या बर्तन भी पुराना होने के बाद यदि उसे कोई नया रुप रंग दिया जाय तो वह कोई नया रंग रुप को प्राप्त कर लेगा | बर्तन कोई वाहन का हिस्सा बन सकता है और वाहन बर्तन बन सकता है | दोनो का सिर्फ रंग रुप बदलता है | कथित कोई आत्मा बनकर स्वर्ग नरक नही जाता है | उसी तरह इंसान का भी शरिर कथित स्वर्ग नरक नही जाता है | बल्कि इसी दुनियाँ में रहकर सिर्फ अपना नया रंग रुप धारन करता है | जिस तरह की साक्षात प्राकृति विज्ञान मान्यताओं को मानने वाले लोग स्वर्ग जनत अथवा अदृश्य दुनियाँ की मान्यताओं को नही मानते हैं | जिस तरह के लोगो की तादार भी करोड़ो में है | जो आत्मा परमात्मा और स्वर्ग नरक जनत जैसी बातो को झुठ ढोंग पाखंड और काल्पनिक मानते हैं |
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क्योंकि मुझे आपलोगो से फिलहाल ऐसा कुछ दान धन नही चाहिए जिससे की आपको लगे फिजूल में जेब हल्की हो गयी | करम अथवा किस्मत में लिखा होगा तो किसी के द्वारा बिना दिए भी मुझे वह सबकुछ खुशियाँ और सुख मिल जायेगा जिसका इंतजार सायद धन्ना कुबेर बने इंसानो को भी रहता है | जिन इंसानो को यदि नही मिल रहा है तो निश्चित तौर पर मुझे और आपलोगो को क्या मिलेगा | पर आपलोग चाहे तो मेरे द्वारा लिखे आर्टिकल को कम से कम इतने लोगो तक तो जरुर पहुँचा सकते हैं की मेरे द्वारा मेहनत करके लिखा गया आर्टिकल धिरे धिरे सैकड़ो हजारो तक जरुर पहुँच सके | जिसके न पहुँचने से मुझे चिंता इस बात की नही होती है कि मेरी आर्टिकल न पढ़ने से मुझे कोई कमाई नही हो रही है , बल्कि प्रत्येक आर्टिकल लिखते समय चिंता इस बात की सबसे अधिक होती है कि मेरे द्वारा बांटा गया ज्ञान को चंद लोग भी नही पढ़ पा रहे हैं | कहा जाता है ज्ञान बांटने से बड़ता है और छिपाने से घटता है | और अगर वाकई में बड़ता है तो इस ज्ञान को आगे बड़ाने के लिए कम से कम अपने करिबियों रिस्तेदारो तक जरुर बड़ायें | क्योंकि जहाँ न पहुँचे रवि अथवा सूर्य वहाँ पहुँचे कवि जैसी कहावते यदि सत्य है तो यह ज्ञान प्रकाश उन लोगो तक भी पहुँचनी चाहिए जहाँ पर अज्ञान का अँधेरा इतना जकड़ चूका है कि अनगिनत लोग सचमुच में अँधविश्वास में डुबकर उस मौत का दलदल में डुबते जा रहे हैं जिससे निकालने में यह ज्ञान मदत करेगा | पुरा आर्टिकल पढ़े इसके लिए
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