Why do Manuvadiyas feel ashamed to accept the bitter truth?

Why do Manuvadiyas feel ashamed to accept the bitter truth?

मनुवादियों को कड़वे सच को स्वीकार करने में शर्म क्यों आती है?

(manuvaadiyon ko kadave sach ko sveekaar karane mein sharm kyon aatee hai?)


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