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गुरुवार, 10 मार्च 2022

If World War Two is incomplete freedom, then World War III is complete freedom

 

यदि द्वितीय विश्व युद्ध अपूर्ण स्वतंत्रता है, तो तृतीय विश्व युद्ध पूर्ण स्वतंत्रता है
khoj123

If World War Two is incomplete freedom, then World War III is complete freedom.

विश्वभर के कई देशो को पिछले दो विश्वयुद्ध में अधुरी आजादी मिली थी , जिसमे से एक देश भारत भी था | जाहिर है यदि तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो इसबार पुरी आजादी मिलेगी | ऐसी आजादी जिसमे कहीं पर भी गुलाम करने वालो का भेदभाव शोषण अत्याचार शासन कायम नही रहेगा | जैसे कि इस समय भारत में जो मनुवादियो का भेदभाव शोषण अत्याचार शासन कायम है , वह समाप्त हो जाएगा | साथ साथ विश्वभर के सभी देशो से अधिक गरिबी भुखमरी भी जो इस देश में कायम है , वह भी समाप्त हो जाएगा | यह सब मुमकिन इसलिए हो पाएगा , क्योंकि भारत समेत विश्वभर के सभी अधुरे आजाद देशो को पुरी आजादी मिलने के बाद गुलाम करने वालो की दबदबा समाप्त हो जाएगी | जिसके कारन जाहिर है उनके द्वारा किए जा रहे लुटपाट और शोषण अत्याचार भी समाप्त हो जाएगा | और गुलाम करने वालो द्वारा लुटपाट शोषण अत्याचार समाप्त होने के बाद कोई धन संपदा से अमिर देश कभी भी फिर से गरिब नही होंगे | क्योंकि विश्वभर को पुरी आजादी मिलने के बाद अब इस आधुनिक सदी जिसमे की गुलाम करने वालो द्वारा किए जा रहे भेदभाव शोषण अत्याचार का इतिहास ऑडियो वीडियो के रुप में भी दर्ज हो रहा है , उस सदी में अब कोई भी देश को कोई देश पुरी तरह से गुलाम कभी भी नही बना सकेगा | चाहे वह देश कितना ही ताकतवर क्यों न हो | क्योंकि उससे भी ज्यादे ताकतवर समय है , जो अब गुलाम करने का समय पुरी तरह से समाप्त होने जा रहा है | जो समय कभी ऐसा भी था जब कोई देश कई देशो को गुलाम बनाकर लंबे समय तक लुटपाट शोषण अत्याचार करता रहता था | जो अब के समय में दुबारा करना चाहेगा तो कभी भी नही कर पाएगा | और जैसा की इतिहास गवाह है कि गुलाम करने वाले ही किसी देश को गुलाम बनाकर वहाँ की सत्ता में अपनी दबदबा कायम करके सत्ता के दम पर ही पुरे देश में लुटपाट और शोषण अत्याचार करते हैं | जो उनके हाथो से जाने के बाद उनके पास इतनी भी ताकत नही रह जाती कि वे किसी देश के छोटे से भी पंचायत या नगर वार्ड में अपनी दबदबा कायम करके लुटपाट और शोषण अत्याचार जारी रख सके | लेकिन जैसा की इतिहास गवाह है कि गुलाम करने वाले किसी देश की सत्ता में अपनी दबदबा कायम करके पंचायत और नगर वार्ड तो क्या पुरे देश में लुटपाट शोषण अत्याचार इतना अधिक करते हैं कि किसी अमिर देश को भी गरिब बना देते हैं | जैसे की इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला कृषि प्रधान देश भारत को गुलाम करने वालो ने गरिब बनाया है | जिसे कई बार गुलाम करके इतना गरिब बना दिया गया है कि 2013 ई० का रिपोर्ट अनुसार ही जो 24 हजार लोग हर रोज विश्वभर में भुख से मर रहे हैं , उसमे अकेले एक तिहाई आबादी भारत की है | यानी भारत में 2013 ई० की ही रिपोर्ट अनुसार हर रोज 6000 मौते भुख से हो रही है | क्योंकि यह देश अब भी पुरा आजाद नही है | जिसके चलते आज भी इस देश में गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से भारी तादार में मौते जारी है | जो मौते निश्चित तौर पर पुरी तरह से जरुर रुकेगी जिसदिन पुरी दुनियाँ में भारत समेत बाकि भी सभी अधुरे आजाद देशो को पुरी आजादी मिल जाएगी ! जिन देशो को ये गुलाम करने वाले ही गरिबी भुखमरी देने के लिए प्रमुख रुप से जिम्मेवार हैं | जो खुदगी जेब भरने के लिए दुसरो के हक अधिकारो को लुटकर खुद तो अमिर हो जाते हैं , पर जिन्हे ये लुटते हैं वे गरिब देश हो जाते हैं | जैसे की यह सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश भारत जो अमिर से आज गरिब देशो की लिस्ट में आता है | जहाँ पर आधी आबादी गरिबी रेखा से भी निचे का जीवन यापन कर रही है |

जिन सब बातो को समझाने से गुलाम करने वाले कभी भी नही समझने वाले हैं | क्योंकि समझने के लिए इंसानियत चाहिए होती है जो की उनमे ज्यादेतर तो होती ही नही है | जिसके चलते ये युद्ध जैसे लातो से ही जल्दी समझते हैं | जिसके चलते ही तो बातचीत से हल न होकर रुस यूक्रेन युद्ध जैसी नौबत आती है | मुमकिन है रुस यूक्रेन युद्ध समस्या बातचीत से हल नही हुआ तो युद्ध से ही हल हो जाएगा | क्योंकि रुस बार बार बातचीत करके युद्ध विराम करने की बात तो कर रहा है , पर अबतक बातचीत हो ऐसा कोई हल नही निकल रहा है | सायद युद्ध समाप्ती हार और जीत से ही तय होगा | जिसके बाद ही समझ में आएगा की रुस जो बातचीत करना चाहता है वही सही था | जैसे की पिछले विश्वयुद्ध में गुलाम करने वाले समझकर कई देशो को आजाद कर दिए थे | जो स्वभाविक भी था , क्योंकि गुलाम करने वाले गुलाम करके मारने पीटने के लिए ही जाने जाते हैं | जिनकी सोच ही होती है की गुलाम लोग पशुओ की तरह मारने पिटने के लिए ही होते हैं | जाहिर है क्योंकि ये मारने पिटने वाले लोग मारपीट की ही भाषा अच्छी तरह से समझते हैं , इसलिए जब कभी भी इनसे बातचीत करके आजादी मांगी जाती है , या फिर इन्हे समझाया जाता है कि शोषण अत्याचार करना गलत है , तो ये आजादी के लिए संघर्ष कर रहे गुलामो के बातो को ठीक से नही समझ पाते हैं | इसलिए भी इनसे आजादी मांगने से नही बल्कि छिनने से मिलती है | क्योंकि ये आजादी मांगने से तो नही देते पर आजादी छिनने के लिए विश्वयुद्ध जैसा लात जब चलने लगता है तो ये तुरंत लात की भाषा समझकर आजादी देने लगते हैं ! जिस बात में यदि सच्चाई नही है तो जितने भी देश अभी अधुरे आजाद हैं , जिसमे भारत भी एक है , उसे बातचीत करके आजादी क्यों नही अबतक मिल रही है ? क्यों अब भी बहुसंख्यक मुलनिवासियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में न के बराबर है ? जबकि गुलामी झेल रहे लोग लंबे समय से कह रहे हैं की देश में जो भेदभाव शोषण अत्याचार हो रहा है , उसे बंद किया जाय और भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो से आजादी प्रदान किया जाय ! फिर भी क्यों भेदभाव बहाली करके अल्प संख्यक गुलाम करने वालो का कब्जा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में है ! क्यों बार बार बहुसंख्यको के साथ भेदभाव करके उन्हे बहाल होने से रोका जाता रहा है | मुमकिन है जब तीसरा विश्वयुद्ध सुरु होगा तो भारत में भी बातचीत के बजाय युद्ध जैसे लातो की बातो से ही पुरी आजादी का हल निकलेगा | जब गुलाम करके शोषण अत्याचार मारपीट करने वालो की भी युद्ध जैसी हालात कायम होने पर पिटाई होने लगेगी ! जिससे पहले ये गुलामो के साथ भेदभाव शोषण अत्याचार और पिटाई भी करते रहेंगे | जो पुरी आजादी मिलने के बाद ये भेदभाव शोषण अत्याचार करने और कराने वाले पिटेंगे नही खुद पिटाएंगे | जैसे की यूक्रेन में जो भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो द्वारा मारने पिटने का ऑडियो वीडियो सामने आ रहा है , उस शोषण अत्याचार को बड़ावा देने और प्रेरित करने वाले आकाओ का भी पिटाई हालात पैदा हो रहे हैं | क्योंकि यदि युद्ध का फाईनल नतीजा बिना बातचीत के निकलकर यूक्रेन में पुरी आजादी कायम हुई तो निश्चित तौर पर बातचीत से दुर भागने वाले आकाओ की भी पिटाई होगी | जिस बात से ही तो खासकर वे लोग डरे हुए हैं , जिन्हे भेदभाव शोषण अत्याचार करने में अलग से आनंद आता है | जो आनंद पुरी आजादी के बाद उनकी पिटाई वाला दर्द में बदल जाता है | जिससे बचने के लिए ही गुलाम करने वाले पुरी आजादी मिलने पर दुर भागने लगते हैं , खासकर उन आजादी के वीरो से जो की इनसे आजादी के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं | मुमकिन है जिसदिन भारत को भी पुरी आजादी मिलेगी उसदिन भेदभाव शोषण अत्याचार करने वाले खुदकी पिटाई होने की डर से यह देश छोड़कर भागने लगेंगे | जो अभी खुलेआम भेदभाव शोषण अत्याचार मारपीट करके भी नही भागने वाले हैं , क्योंकि अभी उनको बड़ावा और संरक्षण देनेवाली सत्ता कायम है | जैसे की जबतक गोरो की सत्ता कायम थी तबतक शोषण अत्याचार करने वाले कोई भी गोरा नही भागे थे ! मैं यह बात उन गोरो और मनुवादियो के बारे में बता रहा हूँ जो की सायद कभी भी नही सुधरने वाले हैं | अथवा कभी भी वे भेदभाव शोषण अत्याचार करने की सोच को नही बदलने वाले हैं | जो सोच रखने वालो की ही तो दबदबा गुलाम सत्ता में होती है | जैसे की गोरो के समय भी थी और अभी मनुवादियो के समय भी है | दोनो के समय भेदभाव शोषण अत्याचार कायम रहा है | जिस तरह के लोग पुरी दुनियाँ में चाहे अमिर देश हो या फिर गरिब देश हो सभी जगह फैले हुए हैं | यू ही नही अमेरिका में भी गोरा काला भेदभाव अब भी कायम है | और यह देश भारत में भी भेदभाव कायम है | जो कि विश्वभर के सभी अधुरे आजाद देशो को पुरी आजादी मिलने के बाद समाप्त हो जाएगी | रही बात फिर इसके बाद जो लोग गुलाम बनाने भेदभाव शोषण अत्याचार करने वाले परिवार में ही पैदा लेकर अपनी सोच को बदलकर अपने ही लोगो का विरोध करते आ रहे हैं , उनका क्या होगा तो वे नागरिक बनकर खासकर इस देश में तो हमेशा रह सकते हैं , जैसा की बहुत से गोरे भी अबतक रह रहे हैं | बल्कि गुलाम करने वालो के नई पीड़ी अपने गुलाम करने वाले पूर्वजो की गंदी सोच को मल मूत्र की तरह पुरी तरह वाकई में त्याग दिए या देंगे तो पुरी आजादी मिलने के बाद भी सच्चा हुनर के आधार पर वे सीमित पदो पर बैठ भी सकते हैं | 


बुधवार, 9 मार्च 2022

If Russia kills it is a predator and if America kills it is a protector


अगर रूस मारता है तो वह भक्षक है और अगर अमेरिका मारता है तो वह रक्षक है

khoj123


If Russia kills it is a predator and if America kills it is a protector


चूँकि यह दौर सिर्फ गुलाम करने वालो का नही है कि जो वे कहेंगे उसी को ही सच मान लिया जाएगा | बल्कि यह दौर ऐसा दौर है , जिसमे खुद  शोषण अत्याचार का शिकार होने वालो के हाथो भी सत्य ऑडियो वीडियो के रुप में दर्ज हो रहा है | जो कि गुलाम करने वालो के पाप कुकर्म को प्रमाणित करने के लिए काफी है की इस 21वीं सदी में भी खुदको सबसे आधुनिक कहने वालो द्वारा कैसा भेदभाव शोषण अत्याचार किया जा रहा है |  जिस तरह की ऑडियो वीडियो रुस यूक्रेन युद्ध में भी लगातार सामने आ रही है | जो की यह बताने के लिए काफी है कि यूक्रेन की सत्ता में गुलाम करने वालो का दबदबा कायम है | जिसके चलते रुस अपनी तरफ से जो बात कह रहा था कि यूक्रेन की सरकार शोषण अत्याचार कर रही है , वह सत्य साबित हो रहा है | रुस बार बार यह भी कह रहा है कि यूक्रेन में आजादी संघर्ष करने वाले रुस से मदत मांग रहे थे , जिसके चलते भी उसे यह सैनिक कारवाई करनी पड़ रही है | क्योंकि सोवियत संघ से अलग होकर यूक्रेन में रुसी भाषा जानने वालो के साथ भी गुलामो जैसा व्यवहार हो रहा है | जो बाते अब सच साबित भी हो रही है , जब रुस यूक्रेन युद्ध के समय बाहर दुसरे देशो से आने वालो के साथ भी भेदभाव और शोषण अत्याचार की वीडियो सामने खुद शिकार हुए लोग ला रहे हैं | जो की गुलाम करने वालो के हाथो बिकी या फिर नाचने वाली मीडिया नही दिखायेगी अपने कैमरा से रिकॉर्ड करके , और न ही वह यूक्रेन के खिलाफ ऐसी खबरे चलायेगी की यूक्रेन में बाहर से आए लोगो के साथ कैसा गुलामो जैसा व्यवहार हो रहा है | जिस तरह का व्यवहार यूक्रेन में भारत पाकिस्तान ही नही बल्कि एशिया अफ्रीका के कई देशो के नागरिको के साथ भी हो रहा है | जबकि रुस न तो गुलाम बनाने के लिए यह युद्ध कर रहा है , और न ही रुस की सेना युद्ध करते हुए लुटपाट शोषण अत्याचार करते आगे बड़ रही है | जैसे की गुलाम करने वाले बड़ते हैं | जो की गुलाम करने वालो का इतिहास रहा है | जिस इतिहास में गोरे और शैतान  सिकंदर का नाम विश्वविख्यात है | जो की गुलाम बनाने और लुटपाट शोषण अत्याचार करने के लिए युद्ध करते थे | जैसा की रुस नही कर रहा है तो भी उसके बारे में गुलाम करने वालो की हाथो बिकी और नाचने वाली मीडिया रुस के बारे में ऐसी ऐसी खबरे चला रही है , जिससे की यह बताया जा रहा है कि रुस पुरी दुनियाँ को गुलाम करने के लिए युद्ध कर रहा है |


जबकि देखा जाय तो अमेरिका यूरोप में गोरा काला भेदभाव करने वाले यूक्रेन में कठपुतली सरकार और यहूदि राष्ट्रपति बनाकर इस तरह के बुरे हालात पैदा करवाये हैं ! जो रुस पर बहुत से प्रतिबंध लगाकर कमजोर करने में लगे हुए हैं | खासकर रुस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर जो रुस के लोगो का धन को लुटा जा रहा है , यह भी घटना साफ दर्शाता है कि रुस के साथ लुटपाट कौन कर रहा है ? जिन लुटपाट करने वाली मांशिकता रखने वालो के खिलाफ ही तो रुस लड़ रहा है | जो लोग अबतक पुरी दुनियाँ के कई देशो को गुलाम करके जो गरिबी भुखमरी दिए हैं , वैसी ही गरिबी भुखमरी भविष्य में रुस ही नही कई और देशो पर भी आर्थिक प्रतिबंध लगाकर और अधिक देना चाहते हैं | ये गुलाम करने वाले गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से ही तो लाखो करोड़ो लोगो की जान लेने में खास भूमिका अबतक अदा करते आ रहे हैं | जो युद्ध से कम और भुखमरी गरिबी शोषण अत्याचार से ज्यादे मारते हैं | जिसकी खास वजह यह भी है कि युद्ध में ऐसे गुलाम करने वालो की भी मौते होती है , जबकि गरिबी भुखमरी से इनकी मौते सायद ही अब कभी होती है | कई देशो को गुलाम करने से पहले भले ये लोग पुरी दुनियाँ में सबसे अधिक गरिब थे | जो अब सबसे अमिर कहलाते हैं | क्योंकि खनिज धन संपदा से संपन्न भारत जैसे कई देशो को गुलाम करके जो इन्होने लंबे समय तक लुटपाट किया है , उससे उनके पास खुल जा सिमशिम कहकर इतना दौलत जमा हो गया है कि उससे ये गरिबी भुखमरी के दौर से तबतक नही गुजर सकते , जबतक की दुनियाँ के सभी अधुरे आजाद देशो को भी पुरी आजादी नही मिल जाती | जिन अधुरे देशो से इनको अब भी खुल जा शिमशिम कहकर सबसे अधिक धन जमा होता ही जा रहा है | इसलिए ये अबतक तो गरिबी भुखमरी को ही सबसे बड़ा हथियार बनाते आ रहे हैं | ये देखा जाय तो युद्ध उन्ही से  ज्यादेतर करते हैं जो इन्हे बराबरी का टक्कर नही दे सकते | उनसे ये युद्ध करना जल्दी नही चाहते जो की इन्हे बराबरी का टक्कर दे सकते हैं | जैसे की इस समय रुस दे रहा है | जिससे आमने सामने की लड़ाई ये न करके पिछे से कर रहे हैं | क्योंकि उनको पता है कि रुस से यदि आमने सामने की लड़ाई किए तो तीसरा विश्वयुद्ध सुरु हो सकता है | जिससे उनकी भी बुरी हालत हो सकती है | जैसा कि पिछला दो विश्वयुद्ध में हुए थे | और इनके कैद से कई गुलाम देश आजाद होकर इनके हाथ से निकल चुके थे | जो विश्वयुद्ध हालात फिर से पैदा होने पर जाहिर है विश्वभर में जो गरिबी भुखमरी से भारी तादार में मौते हो रही है , उसके अलावे युद्ध से भारी तादार में अमिरो की भी मौते सुरु हो जाएगी | क्योंकि यदि तीसरा विश्वयुद्ध सुरु हुआ तो गरिबी भुखमरी को कभी नही जीने वाले लोग भी हर रोज भारी तादार में मारे जाएंगे युद्ध से होनेवाली बमबारी से | क्योंकि युद्ध की बमबारी गरिब अमिर और बड़ी बड़ी हवा हवाई इमारत नही देखता है | और जैसा कि पुरी दुनियाँ जानती है कि कई देशो को गुलाम करने वाले ही अभी विश्वभर में सबसे अमिर बने हुए हैं | और गुलाम होने वाले सबसे गरिब | जिन गुलाम होने वाले देशो में ही तो गरिबी भुखमरी से सबसे अधिक मौते हो रही है | जैसे की अफ्रीका एशिया के जितने देश भी कभी पुरी तरह गुलाम हुए थे इन गुलाम करने वालो से , वही गुलाम होने वाले देशो में तो हर रोज हजारो की संख्या में गरिबी भुखमरी से मौते हो रही है | जिसकी जानकारी सायद ही कभी देती है ये रुस को सबसे बड़ा बिलेन बनाकर खबरे दिखाने वाली वह मीडिया जो की गुलाम करने वालो के हाथ की कठपुतली बनी रहती है | जिसे गुलाम करने वाले अपनी मर्जी से नचा रहे होते हैं | जिस मीडिया को अभी रुस ही सबसे अधिक मौत देनेवाला भक्षक दिख रहा है | जिनके लिए तो पुरी दुनियाँ के कई देशो को गुलाम करने वाले रक्षक बने हुए हैं | जिनके द्वारा विश्वभर के कई देशो को लंबे समय तक गुलाम और लुटपाट करके जो गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार से मौते लाखो करोड़ो में हुई है , वह तो इनके लिए कोई मायने ही नही रखती है | 2013 ई० का ही रिपोर्ट अनुसार विश्वभार में हर रोज 24000 लोग भुख से मर रहे हैं | अथवा सिर्फ भुख से ही हर रोज इतनी मौते है तो निश्चित तौर पर सालभर में लगभग एक करोड़ मौते गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार से जरुर हो रही है | या उससे भी ज्यादे हो रही है | जिनमे एक तीहाई आबादी भारत की है | अथवा भारत में 2013ई० के रिपोर्ट अनुसार ही हर रोज 6000 लोग सिर्फ भुख से मारे जा रहे हैं | जिन मौतो में कितने लोग गुलाम करने वालो के परिवार से हैं ? जिस तरह की ही मौतो में बड़ोतरी करने के लिए एशिया अफ्रीका और अरब के कई देशो के साथ रुस यूक्रेन जैसा हालात पैदा करके फिर से लाखो करोड़ो लोगो को युद्ध से नही बल्कि भुख से मारने की तैयारी हो रही है | क्योंकि जहाँ जहाँ भी पूँजीवाद फैलाने के लिए यूक्रेन रुस युद्ध जैसे हालात पैदा किए जाते हैं वहाँ वहाँ गुलाम करने वाले लुटपाट करके गरिबी भुखमरी को और अधिक बड़ाते हैं | जिसे रुस असफल करने के लिए इस समय खास भूमिका इसलिए भी अदा कर रहा है , क्योंकि रुसी क्रांती होने के बाद रुस इन गुलाम करने वालो से पुरी तरह से आजाद हो गया है ! जिसके कारन पश्चिम देशो के गुलाम करने वाले ताकते इस बात पर रुस से सबसे अधिक डरते हैं कि कहीं रुस उनके पूँजीवाद के सारे प्लान को फेल न कर दे ! इसलिए पहले रुस को ही बांटो और कमजोर करो ! रुस ये बांटने और गुलाम करने वालो के खिलाफ ही तो लड़ रहा है | उनके खिलाफ जो की गुलाम बनाकर भेदभाव शोषण अत्याचार और लुटपाट करने के लिए विश्वविख्यात हैं | और जैसा की पुरी दुनियाँ को पता है कि भेदभाव करने वालो का बिरादरी भारत में भी मौजुद हैं | 1947 ई० की अधुरी आजादी तो सिर्फ झांकी है ! जिनसे भारत को भी अभी पुरी आजादी बाकि है !

रविवार, 6 मार्च 2022

Worry about petrol costlier due to Russia Ukraine war,Why is there no concern about blood being cheap? part 7


रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 7

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कहने को तो यह कृषि प्रधान देश भारत 1947 ई० में ही आजाद हो गया है , पर सच्चाई यही है की यह देश अब भी पुरी तरह से आजाद नही हुआ है | जिसके चलते इस सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने वाला देश में भी हर रोज शोषण अत्याचार और गरिबी भुखमरी से हजारो मौते होना अब भी जारी है | पर उन मौतो की खबरे सायद ही कभी ऐसी चलती है , जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध के दौरान हुई बमबारी से होनेवाली मौत की खबरे हर पल चल रही है | जबकि इस गुलामकाल में गरिब के लिए क्या बड़ा शहर और क्या गांव सभी जगह उसके जीवन में मौत का मंडराना रोजमरा जीवन का हिस्सा बना हुआ रहता है | जैसे की भारत के बड़े बड़े शहर हो या फिर गांव सभी जगह लाखो करोड़ो गरिब जो रह रहे हैं , उनके जीवन में हर रोज गरिबी भुखमरी का बमबारी होना हर पल जारी है | जिसकी वजह से हर पल मौत मंडरा रहा होता है | बल्कि अधुरी आजादी प्राप्त किया इस देश में 2013 ई० की रिपोर्ट अनुसार ही हर रोज 6000 मौते भुख से जो हो रही है,  वह तबतक नही रुकेगी जबतक की गुलामी की वजह से गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार की बमबारी होती रहेगी | क्योंकि गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार की बमबारी ऐसी अधुरी आजादी मिलकर समाप्त होना नामुमकिन है | क्योंकि गुलाम करने वाले लोग देश में अपनी दबदबा कायम करके लुटपाट जारी रखते हुए कभी भी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार को समाप्त होने नही देंगे | पुरे विश्वभर में गुलाम करने वाले ही तो सैकड़ो हजारो सालो से गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार का सबसे अधिक बमबारी करते आ रहे हैं | हाँ यदि अधुरा आजाद भारत की सत्ता में इस देश के मुलनिवासी अपनी दबदबा कायम करके इस देश को गुलाम करने वालो के जीवन में भी गरिबी भुखमरी का बमबारी अपने हक अधिकारो को छिनकर करने लगे तो निश्चित तौर पर इस देश को गुलाम करने वाले भी अच्छी तरह से समझना सुरु कर देंगे की गुलाम होकर गरिब बने लोगो के खुन की किमत क्या होता है | वह भी वह गरिब जो की अपने देश की धन संपदा अनुसार तो कभी गरिब था ही नही , उसे तो गुलाम करने वालो ने उनके हक अधिकारो में कब्जा करके गरिब बनाया है ! जो उस देश का मुलनिवासि है , जहाँ गुलाम करने वाले कब्जा जमाकर मानो दुसरो के टुकड़ो में पल तो रहे होते हैं , पर खुदको राजा बनाए रहते हैं | जैसे की गोरे दो सौ सालो तक इस देश को गुलाम बनाकर राजा बनकर पलते रहे | जाहिर है गरिबी भुखमरी इस देश में गुलाम करने वालो ने खुदको इस देश का शासक बनाकर दिया है , और आज भी दी जा रही है | यू ही नही इस देश के मुलनिवासियो द्वारा शोषण अत्याचार करने वालो से पुरी आजादी की मांग उठते रहती है | जिन शोषण अत्याचार करने वालो को भी अपनी मौत की चिंता होनी चाहिए ! न कि ये लोग अमर हैं , इसलिए इन्हे मौत की चिंता कभी नही करनी चाहिए ! बल्कि गुलाम देश में जो लोग भी गरिबी भुखमरी से होनेवाली मौतो की चिंता नही करते और दिन रात AC गाड़ी में घुमते हुए पैट्रोल महंगा हो जाएगा इसकी चिंता ज्यादे करते हैं , उनको भी कभी ऐसी युद्ध के बाद अपनी मौत के साथ साथ गरिबो की भी मौत की चिंता जरुर होनी चाहिए ! न की सिर्फ युद्ध के बाद पेट्रोल महंगा हो जाएगा ऐसी चिंता दिन रात करके दरसल गरिब का खुन सस्ता है , यह यहशास दिलाते रहे | जो यहशास खासकर उन लोगो को दिलाते रहते हैं जो कि हर रोज गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से होनेवाली मौत के कारनो से अपने ही देश में संघर्ष कर रहे होते हैं | जिन्हे उनके अपने ही देश में भी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मरते हुए सरकार नही रोक पाती है | क्योंकि अधुरा आजाद देश की सत्ता गुलाम करने वालो के कब्जे में होती है | जैसे की इस कृषि प्रधान देश की सत्ता गुलाम करने वाले मनुवादियो के कब्जे में है | जिसके चलते लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो का ही दबदबा कायम है | जो दबदबा कभी भी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार को समाप्त नही होने देगी | जबतक की यह देश पुरी तरह से आजाद नही हो जाता | और किसी भी देश के लिए किसी युद्ध से ज्यादे खतरनाक गुलामी होती है | जिसकी चिंता सबसे अधिक होनी चाहिए | गुलाम करने वाले लोग देश गुलाम करके बिना गोला बारुद बमबारी किए भी गरिबी भुखमरी का बमबारी करके हर रोज सबसे अधिक लोगो को मारते पिटते रहते हैं | जो गरिबी भुखमरी देकर सबसे अधिक मौते देते हैं | जिन्हे मैं किसी आतंकवादियो से भी ज्यादे मौते देनेवाले लोग मानता हूँ ! जो कि सबसे अधिक मौत वाकई में देते भी हैं , जिसे इतिहास पलटकर देखा जा सकता है की गुलामी जिस देश में भी कायम जबतक रहता है , तबतक वहाँ कितने लोगो की मौते गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से हुई रहती है ? जैसे की उदाहरन के तौर पर जिसदिन यह देश पुरी तरह से आजाद हो जाएगा उसदिन पुरा पुराना इतिहास पलटकर आंकड़ा जुटाया जा सकता है कि यह देश गुलाम होने के बाद पुरी तरह से आजाद होने तक कितने लोग यहाँ पर गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मरे ? उसके बाद उस आंकड़े को कितने लोग कसाब जैसे आतंकवादियो से मरे उससे तुलना करके पता किया जा सकता है कि सबसे अधिक मौत देनेवालो में आतंकवादी ज्यादे खतरनाक होते हैं कि गुलाम करने वाले लोग ज्यादे खतरनाक होते हैं ? बल्कि मैं तो कहूँगा ये आतंकवाद भी गुलाम करने वाले ही पैदा करते हैं | ताकि आतंकवाद का डर पैदा करके गरिबी भुखमरी से होनेवाली मौतो से ध्यान हटाया जा सके ! क्योंकि गरिबी भुखमरी की मूल जड़ो को जैसे जैसे लोग जानने लगेंगे वैसे वैसे उन्हे पता चलने लगेगा की सबसे ज्यादे मौते गुलाम करने वाले लोग देते हैं | इसलिए सबसे अधिक जान बचाने के लिए सबसे जरुरी गुलामी से पुरी आजादी पाना होता है | जो आजादी यदि न हो तो गुलामी में आतंकवाद से भी ज्यादे खतरनाक गरिबी भुखमरी से सबसे अधिक मौते होनेवाली बुरे हालात पैदा होते हैं | जो की आतंकवादियो से भी ज्यादे मौते गुलामी देती है | विश्वभर में यू ही नही 2013 ई० की ही रिपोर्ट अनुसार हर रोज 24000 मौते सिर्फ भूख से हो रही है | जिनमे अकेले 6000 मौते तो सिर्फ भारत में हर रोज हो रही है | क्योंकि यह देश अब भी पुरी तरह से आजाद नही है | जिन आंकड़ो से भी साफ पता चलता है कि कसाब जैसे आतंकवादियो द्वारा दिए गए मौत का आतंक से बड़ा आतंक गुलामी देने वाले पैदा करते हैं | वैसे कहीं पर देख सुन रहा था कि बहुत से आतंकवादी भी खुदको बुराई के खिलाफ लड़ाई करने वाले वीर रक्षक ही समझते हैं | जैसे की आजादी के लिए संघर्ष कर रहा व्यक्ती खुदको आजादी का वीर रक्षक समझता है | मसलन यदि गोरो या मनुवादियो से आजादी पाने के लिए संघर्ष कर रहा व्यक्ती खुदको वीर रक्षक समझता है तो अरब में जिन्हे आतंकवादी या फिर भारत में जिन्हे नक्सलवादी कहा जाता है , वे लोग भी खुदको पुरी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा वीर रक्षक ही समझते हैं | जिन दोनो ही संगठनो को मैं ऐसा मानता हूँ की यदि अरब या भारत में भी पुरी आजादी मिली होती और गरिबी भुखमरी का कहीं पर भी नामो निशान नही रहता तो यह आतंकवाद नक्शलवाद कभी रहता ही नही ! आतंकवाद और नक्सलवाद को ये गुलाम करने वाले ही अपने द्वारा गरिबी भुखमरी और अन्याय अत्याचार स्थापित करके पैदा कराते हैं | ताकि आतंकवाद और नक्सलवाद पैदा करके प्रकृति खनिज संपदा को बेहत्तर तरिके से लुट सके | क्योंकि आतंकवाद और नक्सलवाद से इन्हे अपनी लुट करते समय कोई खास परेशानी नही होती | चाहे अरब में तेल की लुट करते समय हो या फिर भारत और अफ्रीका में खनिज संपदा की लूट करते समय हो | जिसका सबसे प्रमुख वजह यह भी है कि ये आतंकवादी या नक्सलवादी खुदको तो ऐसे धन संपदा की लुट करने वालो के खिलाफ लड़ाई करने वाले वीर रक्षक ही बताते हैं , पर उनकी लड़ाई से ऐसे प्रकृति धन संपदा की लूट करने वालो की सत्ता को कोई खास खतरा नही होता है | बल्कि गुलाम करने वाले लोग आतंकवाद और नक्सलवाद को अपने लुटपाट की काली कमाई से खुल जा शिमशिम कहकर कुछ हिस्सा खर्च करके धन संपदा की लुटपाट करते समय ये उन्हे अपनी ढाल की तरह विशेष इस्तेमाल भी करते आ रहे हैं | और आतंकवाद और नक्सलवाद को अपनी हथियार भारी तादार में उपलब्ध कराकर मौत का व्यापार भी करते रहे हैं | जो हथियार ऐसे लुट करने वालो की जान का दुश्मन नही बनता , बल्कि उस हथियार से निर्दोश लोगो की ही मौत भारी तादार में होती रही है | जिससे भी ज्यादे मौते लुटपाट करने वालो के द्वारा शोषण अत्याचार करने और प्रकृति धन संपदा की लुट से जो भुख और गरिबी पैदा होती है , उससे मौते होती है | जैसे की चाहे अफ्रीका हो या फिर भारत दोनो ही देशो में प्रकृति खनिज संपदा का अंबार होते हुए भी गरिबी भुखमरी से सबसे अधिक मौते हो रही है | यही हाल अरब में भी है , वहाँ भी प्रकृति तेल का अंबार होते हुए भी भारी तादार में वहाँ के मुलनिवासि गरिबी भुखमरी से मारे जा रहे हैं | जो मौते नही होती यदि ये लुटपाट करने वालो की गंदी नजर ऐसे प्रकृति धन संपदा वाले देशो में नही होती ! जिनकी नजर रुस और चीन में भी सुरु से इसलिए रहा है  , क्योंकि वहाँ भी प्रकृति खनिज संपदा का अंबार है | जाहिर है रुस यूक्रेन युद्ध और आतंकवाद नक्सलवाद जैसे बुरे हालात जहाँ भी कायम है , समझो वहाँ पर पुरी आजादी कायम नही है | और गुलाम करने वालो के द्वारा या तो वहाँ के धन संपदा की लुट होना जारी है , या फिर लुटपाट की विशेष तैयारी चल रही है | जिसकी वजह से जाहिर है जहाँ जहाँ भी गुलाम करने वालो की गंदी नजर पड़कर लुटपाट सुरु हो जाता है , वहाँ पर गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार बड़ना जारी रहता है | साथ ही आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी समस्या भी जारी रहता है | भारत में भी नक्सलवाद इसलिए अबतक कायम है , क्योंकि यहाँ पर लुटपाट अन्याय अत्याचार अथवा गुलामी भी अबतक कायम है | पुरी आजादी अब भी नही मिली है इस देश को उन विदेशी मूल के लोगो से जो अबतक भी इस देश के धन संपदा इस देश के मुलनिवासियो के हक अधिकारो को लुटते हुए शोषण अत्याचार कर रहे हैं | यू ही नही यूक्रेन रुस युद्ध जैसे हालात पुरी दुनियाँ के कई देशो में मंडराते रहते हैं | जिस तरह का युद्ध होता है तो गुलाम करने वालो के भितर भी मौत का डर मंडराने लगता है | जिन गुलाम करने वालो के लिए किसी गरिब का खुन सस्ता होता है | जिसकी वजह से वे हर रोज गरिबो को मरते हुए देखकर भी वैसी चिंता नही करते जैसे की इस तरह के युद्ध कभी कभार भी यदि होने की वजह से कुछ मौते रोज होने लगती है तो दिन रात चिंता बड़ जाती है | क्योंकि उन कुछ मौतो में उन लोगो की भी मौते होने की बराबर संभावना होती है , जिनके लिए गरिब का खुन सस्ता रहता है | हलांकि मैं यह भी मानता हूँ कि ऐसे युद्ध की नौबत कभी कोई देश में आए ही नही ! क्योंकि आजादी के लिए लड़ी जा रही ऐसे युद्धो में भी निर्दोश लोग ही ज्यादे मारे जाते हैं | जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध में चाहे यूक्रेन के मुलनिवासि मर रहे हैं , या फिर रुस के मुलनिवासि , आखिर दोनो का देश तो पहले एक ही था | जैसे की कभी भारत पाकिस्तान एक था | इस तरह के युद्ध की नौबत तो सोवियत संघ को गुलाम करने वालो द्वारा लगभग पंद्रह टुकड़ो में बांटे जाने के बाद आई है | जिससे पहले यूक्रेन नाम का कोई देश दुनियाँ के नक्से में था ही नही ! जैसे की अखंड भारत गुलाम होने से पहले पाकिस्तान नाम का कोई देश दुनियाँ के नक्से में था ही नही ! अभी जो पाकिस्तान देश कहलाता है उसको भी विश्वभर में भारत के नाम से जाना जाता था | यू ही नही भारत पाकिस्तान बंटवारा के समय दोनो ही जगह लाखो करोड़ो लोग दुःखी थे | जो कभी भी भारत पाकिस्तान बंटवारा करना नही चाहते थे पर फिर भी बंटवारा कर दिया गया | क्योंकि देश जब गुलाम रहता है तो उस समय गुलामो के फैशले ज्यादे महत्व नही दिए जाते हैं | बल्कि उनके फैशले को ज्यादे महत्व दिए जाते हैं जिनसे देश गुलाम किए जाते हैं | जाहिर सी बात है कि रुस यूक्रेन के मुलनिवासि एक ही पूर्वज के वंसज होंगे , जो भी सोवियत रुस को इतने टुकड़ो में बंटते हुए देखना नही चाहे होंगे | जैसे की भारत पाकिस्तान के मुलनिवासि जो कि एक ही पूर्वज के वंसज हैं वे चाहे जिस धर्म में भी भारत पाकिस्तान का बंटवारा के समय होंगे वे नही चाहे होंगे कि भारत पाकिस्तान बंटवारा हो | और न ही वे कभी ये चाहते होंगे कि देश बंटने के बाद भारत पाकिस्तान युद्ध होता रहे | क्योंकि ऐसे युद्धो में मुलनिवासियो की मौत ही सबसे अधिक हो रही होती है | न की बाहर से आए यहूदि और गोरो या फिर मनुवादियो की मौते हो रही होती है | ऐसे लोग तो ज्यादेतर दुर में भी बैठकर अपना कठपुतली बैठाकर उसे युद्ध का सामान बेचकर या फिर सहायता के नाम से फ्री देकर मानो मौत का व्यापार कर रहे होते हैं | जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध में भी कर रहे होंगे | जिस युद्ध में उनकी तो मौत नही होगी पर रुस यूक्रेन के मुलनिवासि लोगो की मौते हर रोज जरुर हो रही है | चाहे सेना बनकर लड़ते हुए हो रही है या फिर बिना लड़े हो रही है | यूक्रेन रुस दोनो ही जो दावा कर रहे हैं कि उन्होने इतने हजार सैनिक मारे हैं , उन सैनिको में ज्यादेतर रुस यूक्रेन के मुलनिवासि ही होंगे ! और बाकि मरने वालो में भी ज्यादेतर वहाँ के मुलनिवासि ही होंगे | रुस यूक्रेन युद्ध में बहुत कम ऐसे लोगो की मौते हुई होगी जो की रुस यूक्रेन के मुलनिवासि नही बल्कि दुसरे देशो के मुलनिवासि होंगे | जिनमे से भी यूक्रेन में बाहर से आए ज्यादेतर लोग तो जल्दी से जल्दी यूक्रेन छोड़कर जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं | क्योंकि उनको रुस यूक्रेन युद्ध विवाद से कोई खास लेना देना नही है | बल्कि रुस यूक्रेन युद्ध विवाद तो कभी था ही नही जबतक कि ये यूरोप अमेरिका में बैठे गुलाम करने वाले कबिलई चुड़ैलो द्वारा अपने पैरो में पुँजीवाद का पायल पहनकर घुम घुमकर आपस में फूट डालकर रुस को कई टुकड़ो में बांटा नही गया | जिसके बाद यूक्रेन में अपनी कठपुतली सरकार बनाकर युद्ध के हालात पैदा किए गए | जिस तरह के हालात एशिया ही नही अरब और अफ्रीका के भी कई देशो में इन कबिलई चुड़ैलो द्वारा पैदा किए जाते रहे हैं | इतिहास रहा है कि गुलाम करने वाले चुड़ैल लुटेरो द्वारा ऐसे हालात पैदा करके युद्ध जबरजस्ती थोपा जाता है | जिन चुड़ैलो के खिलाफ ही आजादी की लड़ाई चल रही होती है | जिस आजादी को प्राप्त करने के लिए न चाहते हुए भी युद्ध करने पड़ते हैं | क्योंकि ये चुड़ैले जिन्हे अपना कठपुतली बनाकर अपनी दबदबा कायम किए होते हैं , उस कठपुतली की खास सहायता से ही गुलामी कायम हो जाती है | जिस गुलामी से आजादी दिलाने के लिए जंग भी लड़ी जाती है | इसलिए यदि रुस यूक्रेन युद्ध आजादी के लिए लड़ी जा रही है तो वह गलत नही है | पर सर्त है आजादी के लिए जिस सरकार के खिलाफ युद्ध किया जा रहा हो वह सचमुच में आपस में फूट डालकर गुलाम करनेवाले विदेशी ताकतो के हाथो कठपुतली बनकर इस्तेमाल हो रहा हो | जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध में यदि बात आजादी की है कि गुलाम करने वाले विदेशी कबिलई लुटेरे चुड़ैलो ने दुर विदेशो में बैठे बैठे फूट डालो राज करो की नीति से यूक्रेन को रुस से अलग थलग कर दिया है | जिसके चलते यदि यह युद्ध हो रहा है तो यह युद्ध पुरी आजादी के लिए आपसी फाईनल बातचीत करके ही रुके | बल्कि यदि बातचीत से आजादी कायम होता है तो युद्ध समाप्त होनी चाहिए | और रुस यूक्रेन यदि कभी एक थे जो की सोवियत संघ थे भी , जिसे गुलाम करने वाले चुड़ैलो ने फूट डालो राज करो की नीति के तहत उकसाकर कई टुकड़ो में बांटा है | जिसके बाद यूक्रेन में अपनी कठपुतली सरकार बनाकर आपस में लड़ाकर दुर कहीं बैठकर या तो यूक्रेन को अपने हाथो से जाते हुए देख रहे हैं , या फिर इस तरह के युद्ध होने के बाद कई और कठपुतली सरकार बनाने की सपने देख रहे हैं | इसलिए रुस यूक्रेन को तो वापस एक होकर शांती स्थापित करके पहले से भी और बड़ी महाशक्ति बनना चाहिए | ऐसी महाशक्ती जो गुलाम करने वालो से पुरी दुनियाँ के ऐसे देशो को पूर्ण रुप से आजाद कराये जहाँ की सत्ता पर अब भी विदेशी कबिलई लुटेरे चुड़ैलो का ही कब्जा है | जहाँ पर कठपुतली सरकार बनाकर दुर बैठकर फूट डालकर राज किया जा रहा है | क्योंकि ये गुलाम करने वाले लोग अपनी कठपुतली सरकार बनाने की सोच को तबतक नही बदल सकते , जबतक कि उन्हे यह गलतफेमी रहेगी कि उनकी ऐसी सोच ही पुरी दुनियाँ में सबसे विकसित सोच है | ऐसी विकसित सोच जिससे की किसी देश को गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार किया जाता है | क्या ऐसी गुलाम बनाने वाली सोच वाकई में सबसे विकसित सोच होती है ? फिर आखिर क्यों विश्वभर में ऐसी सोच से पुरी आजादी के लिए कई देश आज भी संघर्ष कर रहे हैं | जिनमे से एक देश भारत भी है | जिसे भी अबतक ऐसी गुलाम करने वाली मनुवादि सोच से पुरी आजादी नही मिली है | हलांकि ऐसी सोच से आजादी पाने के लिए संघर्ष करते समय जान माल की बहुत हानी तो होती ही है , पर गुलाम करने वालो द्वारा आपस में फूट डालकर अलग थलग अथवा खंड खंड रहने से गुलाम बनाने वालो की दबदबा में तो सबसे अधिक जान माल की हानि होती रहती है | क्योंकि आपस में फुट डालकर गुलाम करने वालो द्वारा कहीं दुर बैठकर भी देश गुलाम करके देश के मुलनिवासियो को गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार देकर हर रोज मारा जाता है | और हर रोज हक अधिकार लुट लुटकर खुदके लिए सारी सुख सुविधाओ का इंतजाम करके झुठी शान की जीवन जीया जाता है | जैसे की इस कृषि प्रधान देश में विदेशी मुल के कबिलई लुटेरे चुड़ैलो द्वारा गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार देकर हर रोज अनगिनत लोगो को मारते हुए फूट डालकर राज किया जा रहा है | जिन गुलाम करने वालो से पुरी आजादी ही सबसे बड़ी क्रांतीकारी परिवर्तन है | जैसे की जो जो देश भी पुरी तरह से आजाद हुए हैं , वहाँ पर भारी क्रांतीकारी परिवर्तन हुए हैं | इस कृषि प्रधान देश भारत में भी ऐसे भारी क्रांतीकारी परिवर्तन तब आएंगे जब यह देश पुरी तरह से आजाद हो जाएगा |

Worry about petrol costlier due to Russia Ukraine war,Why is there no concern about blood being cheap? part 6


रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 6


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रुस यूक्रेन , भारत पाकिस्तान जैसे युद्ध  जहाँ जहाँ भी होते रहते हैं , जो की फूट डालकर मानो एक ही परिवार को विदेशी मूल के कबिलई लुटेरे चुड़ैलो द्वारा बांटकर लड़ाया जाता रहा है , वहाँ वहाँ ऐसे चुड़ैल कबिलई लुटेरो का प्रवेश होने के बाद ही ऐसी लड़ाई होने की संभावना सुरु हो जाता है | जो लड़ाई इसलिए भी जरुरी हो जाता है , ताकि आपस में लड़कर इस विवाद को साफ करे कि चुड़ैल कबिलई लुटेरे किसके साथ हैं , और कौन मानो चुड़ैल से उसे प्यार होकर उसके साथ मिलकर घर बसाकर किसी चुड़ैल के साथ जीवन जीने की सोचकर देश गुलाम और लुटवाकर खुदको देश परिवार का सबसे भला करने वाला साबित करना चाहता है | जबकि सबसे भला पुरी आजादी जीवन होता है , जो बात पुरी दुनियाँ को पता है | वह आजादी जो कि किसी विदेशी मुल के कबिलई लुटेरे चुड़ैलो से आजाद होकर प्राप्त किया जाता है | जो गुलाम करने वाले विदेशी मुल के कबिलई लुटेरे चुड़ैल ही तो आपस में फूट डालकर राज करने वाली ऐसी चुड़ैले होते हैं , जो किसी देश परिवार को बर्बाद करने में सबसे प्रमुख भूमिका अदा करते हैं | जिस तरह की चुड़ैलो की झांकी हिंदी फिल्मो में भी थोड़ी बहुत देखने को मिलती है | जो कबिलई लुटेरे चुड़ैलें किसी सुख शांती समृद्धी परिवार में प्रवेश करके फूट डालकर राज करना सुरु कर देते हैं | किसी देश परिवार में ये चुड़ैले अपनी कठपुतली सरकार और मीडिया बनाकर फूट डालो राज करो की नीति से किसी देश परिवार को कई टुकड़ो में बांटकर आपस में लड़ाकर चुड़ैल चुड़ैल मिलकर मिल जुलकर राज कर रहे होते हैं | ऐसा राज जिसमे बहुसंख्यक आबादी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से हर रोज संघर्ष कर रहा होता है | और संघर्ष करते करते अनगिनत लोगो की हर रोज मौते भी हो रही होती है | जिन मौतो के लिए सबसे प्रमुख कारन ऐसे चुड़ैलो द्वारा प्रवेश करके मिली गुलामी ही है | जैसे की अबतक भी यह कृषि प्रधान देश पुरी तरह से आजाद नही हुआ है विदेशी मुल के कबिलई लुटेरे लोगो और उनके उन चुड़ैल आकाओ से जो अपनी कठपुतली सरकार बनवाकर दुर बैठकर भी राज करते रहते हैं | जो इस देश भारत को भी खंड खंड करके गुलाम बनाकर राज कर रहे हैं | जिन लोगो की वजह से ही यहाँ पर गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार अब भी कायम है | क्योंकि गुलाम करने वालो के लिए अपने गुलामो का खुन सस्ता होता है | और यदि उनके लिए गुलामी के बाद गरिब होने वालो का खुन भी महंगा होता है तो जिस तरह युद्ध की वजह से हमले में इतने लोग मारे गए खबरे दिनभर चलती रहती है , उसी तरह देश में गुलाम करने वालो द्वारा गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार बड़ने की वजह से इतने लोग जीवन संघर्ष करते करते मरे , या गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार जैसे बुरे हालात में कैसे जिते जी मरने वाला दर्दनाक जीवन जी रहे हैं , ऐसी भी खबरे तबतक चलाई जाए जबतक की गरिबी भुखमरी और गुलाम करने वालो द्वारा शोषण अत्याचार से मौते जारी है | क्योंकि पृथ्वी में मौजुद सभी इंसानो की खुन की किमत महंगा होना चाहिए , न की सिर्फ इस तरह के युद्ध होने पर जो मौते होती है , उनकी खुन की किमत बहुत महंगा है | जिस बात का यहशास गरिब की खुन की किमत सस्ता समझने वालो को रुस यूक्रेन जैसा युद्ध होते समय खुन की किमत ज्यादे बेहत्तर समझ आने लगता है , जब ऐसे युद्ध में गुलामी की वजह से आई असंतुलित विकाश के कारन बने खास अमिरो की भी जान बन आती है | जैसे की यदि अधुरा आजाद भारत में भी पुरी आजादी की मांग उठकर ऐसी युद्ध की नौबत आ जाए और रुस जैसे ताकतवर देश भारत को भी पुरी आजादी के लिए साथ देकर यहाँ के मुलनिवासियो को गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से भारी तादार में मरने से रोकने में मदत करे तो बड़े बड़े शहरो में इस गुलामीकाल में धन्ना कुबेर बनकर हर रोज इस देश में अनगिनत लोगो को गरिबी भुखमरी से मरते देखते हुए सैकड़ो हजारो करोड़ की महलो में रहने वालो को भी किसी गरिब की खुन की किमत अच्छी तरह से समझ में आने लगती | खासकर बड़े बड़े शहरो में युद्ध की वजह से जब अमिरो के भी जीवन में खतरा मंडराने लगती | उनके बड़े बड़े महलो में तो खतरा जरुर मंडराती | क्योंकि युद्ध होने के बाद जब बमबारी होती है तो सैकड़ो हजारो करोड़ के बड़े बड़े इमारत भी तास के पत्तो की तरह ढहने लगते हैं | जिससे जाहिर है बमबारी के समय अमिरो के भी जीवन में हर रोज मौत मंडराने लगते हैं | गरिब के जीवन में तो गरिबी भुखमरी की बमबारी हर पल जारी ही रहता है | जिनके छोटे छोटे घरो को हर रोज भारी तादार में तहस नहस किया जाता है , सैकड़ो हजारो करोड़ के बड़े बड़े महल खड़ा करने के लिए | क्योंकि गरिब के बेघर और भुखमरी जीवन से इन खास अमिर लोगो को कोई खाश लेना देना नही रहता है | वे तो महलो में एसी कमरो में बैठकर गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार से होनेवाली मौत के बारे चिंता नही बल्कि सिर्फ महंगी मौत के बारे में चिंता करते हैं | जैसे की अभी रुस यूक्रेन युद्ध के समय हो रही होगी | जबकि युद्ध में जितने लोग अबतक मरे हैं , उससे कई गुणा लोग लिर्फ भारत में ही गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से हर रोज मर रहे हैं | विश्वभर में तो जैसा की बतलाया कि 2013 ई० की रिपोर्ट अनुसार ही हर रोज 24000 लोगो की मौत भुख से हो रही है | जिनकी भी जान किमती है , न की गरिबी भुखमरी से मरने वालो की जान सस्ती है , और युद्ध में मरने वालो की जान सबसे किमती है |

Worry about petrol costlier due to Russia Ukraine war,Why is there no concern about blood being cheap? part 5


रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 5

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रुस यूक्रेन युद्ध से यदि आर्थिक नुकसान के बारे में चिंता पेट्रोल महंगा होने को लेकर किया जा रहा है तो फिर ऐसे में तो धन्ना कुबेरो को सबसे अधिक आर्थिक नुकसान हो रहा है | क्योंकि कहीं पर जानकारी बांटी जा रही थी की रुस यूक्रेन युद्ध से सिर्फ दो तीन दिनो में ही पुरी दुनियाँ के धन्ना कुबेरो जिसमे की भारत के भी धन्ना कुबेर शामिल है , उनके संपत्तियो को भारी नुकसान हुआ है | कितना नुकसान हुआ है , इसकी झांकी इस एक उदाहरन से ही पता चल जाता है कि एक धन्ना कुबेर को तो सिधे एक लाख करोड़ का नुकसान दो तीन दिनो में ही हो गया है | जितनी दौलत से किसी राज्य में सालभर का बजट बन सकता है | पर फिर भी धन्ना कुबेर चूँकि इस गुलामकाल में जब कई देश अब भी पुरी तरह आजाद नही हैं , जिसके चलते गलत आर्थिक नीति बनकर गरिब और अधिक गरिब होते जा रहा है , और अमिर और अधिक अमिर होते जा रहा है , इस दौरान मुठीभर लोग इतने अधिक दौलत बटोरकर रखे हुए हैं कि उनके जीवन में कभी भी ऐसे युद्ध से उनकी जान को गरिबी भुखमरी से खतरा नही होनेवाले हैं | फिर भी उन्हे ऐसे युद्ध से भारी खतरा इसलिए भी होने लगता है , क्योंकि ऐसे युद्ध में भले गरिबी भुखमरी की बमबारी नही होती है , लेकिन ऐसी बमबारी जरुर होती है , जिससे की धन्ना कुबेरो की भी जान को खतरा बड़ जाता है | रही बात गरिबो की जान की तो बिना युद्ध हुए भी गरिब की जान 2013 ई० की रिपोर्ट अनुसार ही हर रोज विश्वभर में सिर्फ भुख से ही 24000 जा रही है | और गरिबो के लिए इससे बड़ा नुकसान और क्या हो सकता है ! जिस नुकसान के बारे में उसे ज्यादे चिंता करनी चाहिए की पेट्रोल महंगा होने की चिंता ज्यादे करनी चाहिए ? जिनकी गरिबी भुखमरी से हर रोज होने वाली मौत की खबरे सायद ही कभी दिखलाई जाती है | रुस यूक्रेन युद्ध से मरने वालो की खबरे तो 24 घंटे कई बार लाईव भी दिखलाई जाती रही है | पर क्या रुस यूक्रेन युद्ध के दौरान गरिबी भुखमरी से कितने लोगो की मौत बिना युद्ध के भी हुआ और हर रोज हो रहा है यह खबर कभी दिखाई सुनाई दिया ? क्योंकि गरिबो की मौत की चिंता गुलाम करने वालो को न तो पहले कभी होता था और न ही आज भी होता है | जिन गुलाम करने वालो के ही इसारे से विश्वभर की ज्यादेतर मीडिया काम करती है | तभी तो आज भी गुलाम करके गरिब बनाए गए लोग जो कि और अधिक गरिब होते जा रहे हैं , उन्हे गरिब बनाने वालो के बारे में कोई खास खबरे कभी दिखाई ही नही जाती है | और गुलाम करने वालो की दबदबा युक्त शासन में खास अमिर बने लोग और अधिक अमिर कैसे होते जा रहे हैं , उसके बारे में भी कुछ खास खबरे नही चलती है | क्योंकि गुलाम करने वाले दुर में बैठकर भी पुरी दुनियाँ के ज्यादेतर मीडिया को अपने इसारे पर चला रहे होते हैं | बल्कि फूट डालो और राज करो की नीति से किसी देश को बांटकर या बंटने की बुरे हालात पैदा करके अपना कठपुतली सरकार बैठाकर झाड़ में चड़ाकर उकसा रहे होते हैं कि हम साथ हैं | जैसे कि यूक्रेन में भी कठपुतली सरकार बनाकर झाड़ में चड़ाकर उकसाया गया और इससे पहले भी कई देशो को ऐसे ही उकसाया गया है | भारत को भी गुलाम बनाने वाले इसे उकसाकर इस देश को कई टुकड़ो में बांटकर आपस में फूट डालकर अबतक भी राज कर रहे हैं | जिस तरह यूक्रेन को झाड़ में चड़ाकर हम तुम्हारे साथ हैं कहकर कठपुतली सरकार बनाकर उकसाया जाता रहा है , उसी तरह भारत से अलग हुए कई देशो को भी झाड़ में चड़ाकर उकसाया जाता रहा है , ताकि आपस में लड़ाकर अपने मौत देनेवाली हथियारो की खेती को भी बेचकर खुब दौलत बटोरा जा सके , और भितर भितर देश को गुलाम बनाकर मिल बांटकर मुठीभर लोग सारी सुख सुविधाओ की जीवन जीया जा सके | बाकि भारी आबादी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार में जीवन जीता रहे , जिससे ऐसे उकसाने और गुलाम करने वाले लोगो का कोई खास लेना देना नही रहता है | उन्हे तो किसी देश की धन संपदा से खास लेना देना रहता है | जिसे ही तो प्राप्त करने के लिए आपस में फूट डालकर अपनी कठपुतली सरकार बनाकर इस तरह के रुस यूक्रेन युद्ध हालात पैदा किया जाता है | जैसे की इस कृषि प्रधान देश भारत में भी आपस में फूट डालकर भारत पाकिस्तान युद्ध हालात पैदा किया गया है | क्योंकि ऐसे हालात पैदा करने वालो को इस देश की धन संपदा में खास नजर है | न की इस देश की गरिबी भुखमरी में उनकी खास नजर है | हलांकि पुरी दुनियाँ से गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार समाप्त करने की कई ठग संस्थाये खोलकर भी ये उकसाने वाले लोग बैठे रहते हैं | जहाँ पर बैठकर ये गुलाम करने वाले लोग इंसानियत कायम करने का पाठ पढ़ाते रहते हैं | जो कि पुरी दुनियाँ के कई देशो को गुलाम बनाकर लंबे समय से धन संपदा मान सम्मान को लुटते रहने वाले लोग इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं | जो इंसानियत  भी ज्यादेतर दिखावे के लिए ही रहता है कि अब वे किसी को गुलाम नही बनाते , शोषण अत्याचार नही करते , लुटपाट नही करते , गरिबी भुखमरी का बमबारी नही करते | क्योंकि यदि ये दिखावे के लिए नही रहता तो पुरी दुनियाँ में कहीं भी न तो लोग शोषण अत्याचार का सामना करके गुलामी जीवन को महसुश कर रहे होते , और न ही गरिबी भुखमरी जीवन जी रहे होते | ये पुरी दुनियाँ में इंसानियत कायम करने की बाते करनेवाली ठग संस्थायें गुलामी शोषण अत्याचार गरिबी भुखमरी से तो आजादी दिलाते नही , सिर्फ दुर बैठकर गुलाम शोषण अत्याचार और गरिबी भुखमरी से आजादी संघर्ष कर रहे देशो में फूट डालो राज करो की नीति से मानो गुलाम करने वाला अपना ब्रांच खोलकर अपनी कठपुतली सरकार और मीडिया वगैरा बैठाकर यह कहकर राज करते रहते हैं कि हम पुरी दुनियाँ में इंसानियत कायम कर रहे हैं | इन्हे यदि इंसानियत ही कायम करनी है तो इस गुलाम देश भारत को पुरी तरह से आजाद कराया जाए उन विदेशी मुल के लोगो से जो इस देश को खंड खंड करके आपस में फूट डालकर आज भी राज कर रहे हैं | जो पुरी आजादी दिलाने का इंसानियत कायम तो ये कराऐंगे नही , क्योंकि ये दरसल खुद भी गुलाम करने वालो का ही आका लोग हैं , जो इस कृषि प्रधान देश में भी अपनी कठपुतली मनुवादी सरकार बैठाकर राज कर रहे हैं | जिसे वे पुरी दुनियाँ में यह झुठ बांटते रहते हैं कि इंसानियत कायम कर रहे हैं | जबकि इतिहास दर्ज है कि गुलाम करने वाले लोग भले क्यों न दिखावे के लिए थोड़ी बहुत भलाई काम भी करते हो , पर असल में वे गुलाम बनाकर सबसे बड़ा शैतानियत कायम करते रहते हैं | भारी आबादी को गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार जीवन देकर शैतानियत को ही बड़ावा देते हैं | जैसे की इस देश में गुलाम कायम करके गुलाम करने वालो द्वारा अब भी शैतानियत कायम है | क्योंकि यह देश और इससे अलग हुए देशो में भी भारी तादार में गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार कायम रहकर दरसल गुलामी कायम है | पुरी आजादी अबतक भी नही मिली है | विदेशी मुल के कबिलई लुटेरे अपनी गुलाम बनाने की नीति और सोच को अपडेट करके अब भी गुलाम बनाकर राज कर रहे हैं | जो कबिलई लुटेरे पुरी दुनियाँ में अब भी लुटमार करना नही छोड़े हैं | बस उनकी गुलाम करने की नीति और सोच अपडेट होते जा रही है | ये गुलाम करने वाले कबिलई लुटेरे लोग तबतक नही सुधर सकते जबतक की ये कबुल नही कर लेते की विभिन्न प्रकार की लुट नीति बनाकर दुसरो के हक अधिकारो को लुटना , गुलाम बनाकर शोषण अत्याचार करना बहुत बड़ा शैतानी सोच है , जिसे किसी मल मूत्र की तरह त्याग देना चाहिए | जिसे ये अबतक भी त्यागने के पक्ष में भितर से नही हैं | तभी तो मुख्य रुप में इनकी ही वजह से अबतक भी कई देशो में गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार कायम है | पुरी दुनियाँ में कालाधन का अंबार यू ही नही बड़ता जा रहा है | क्योंकि पुरी दुनियाँ में अब भी गुलाम बनाने वाले कबिलई लुटेरो का ही लुटपाट दबदबा कायम है | जो लोग ही पुरी दुनियाँ में गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार को बड़ावा देते रहे हैं | हलांकि ये पुरी दुनियाँ को यह बताते रहते हैं कि वे पुरी दुनियाँ से गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार समाप्त करने के लिए काम कर रहे हैं | पर असल में यही लोग ही गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार को बड़ाते रहे हैं | जिन लोगो को मैं ऐसे लोगो से भी तुलना करता हूँ जो कि अपने भ्रष्ट आचरन की वजह से इतिहास गवाह है कि खुद तो कभी शांती जीवन नही जी पाते हैं , जिसके चलते उनके पूर्वज भी घुम घुमकर लुटपाट गुलाम बनाने का काम करते आए हैं | सिर्फ ज्यादेतर तो इनका सैकड़ो हजारो सालो का समय घुम घुमकर कबिलई लुटेरे अशांत जीवन जीना रहा है | साथ साथ दुसरो को भी जो की शांती जीवन विकसित कृषि सभ्यता संस्कृती में किसी सागर की तरह स्थिर शांत होकर जी रहे होते हैं , उनकी शांती जीवन में मानो ये चुड़ैल कबिलई लुटेरा बनकर जबरजस्ती या फिर छल कपट से प्रवेश करके दुसरो की जीवन को भी बर्बाद अथवा अशांत किए रहते हैं |

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रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 4

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रुस यूक्रेन युद्ध के बारे में बहुत से लोग यह भी चिंता जता रहे हैं की यह युद्ध तीसरा विश्वयुद्ध की सुरुवात है  | जिसके बारे में तो मैं यही कहना चाहूँगा की पिछले दो विश्वयुद्ध ही नही बल्कि रुस यूक्रेन युद्ध जैसे तमाम युद्धो में भी उतनी मौते नही हुई है , जितनी की उस समय गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से सिर्फ चंद सालो में हुई है | क्योंकि तब कई दर्जन देश गुलाम थे , जिसकी वजह से जो लुटपाट शोषण अत्याचार हुई थी , उससे गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से भारी तादार में बड़कर इतने लोगो की मौते हुई थी की उसे यदि दो विश्वयुद्ध ही नही बल्कि तमाम ऐसे युद्धो में हुई मौतो से तुलना किया जाय तो भी उतनी मौते नही हुई थी जितनी की कई देश गुलाम किए जाने के बाद वहाँ पर सिर्फ चंद सालो में ही गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से हुई थी | और यदि सभी गुलाम देशो में जो गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मौते हुई है , उसे यदि जोड़ा जाय तो इतने लोगो की गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मौत हुई है , जितने की अभी कई गुलाम करने वाले सारे देशो की पुरी आबादी जोड़ने पर भी कम पड़ जाएंगे | जिस तरह की मौते पुरी दुनियाँ में आज भी जारी है | जो मौते कितनी हो रही है , इसका अनुमान जैसा कि सिर्फ एक उदाहरन से पता किया जा सकता है की 2013 ई० की एक रिपोर्ट अनुसार अधुरा आजाद भारत में ही सिर्फ हर रोज 6000 लोगो की मौत सिर्फ भुख से हो रही है | इस देश की आधी से अधिक आबादी गरिबी भुखमरी जीवन जीते हुए हर पल मौत से संघर्ष कर रहा है | जिन भूख से मरने वालो में बच्चे बुढ़े और महिलाओ की आबादी सबसे अधिक है | रुस यूक्रेन युद्ध में बच्चे महिलाओ की दुःखभरी चेहरे को हर पल खबरो में दिखाकर जो दर्द लोगो के दिलो में महसुश कराया जाता है , वह दर्द ऐसे न्यूज चलाने वाले कभी गरिबी भुखमरी से मरने वाले बच्चे महिलाओ की दुःखभरी चेहरे को भी दिखाकर पुरी दुनियाँ को यह महसुश कराया जाय कि हर रोज लाखो करोड़ो बच्चे महिलायें और बुढ़े भी भुखा पेट सोकर मानो आँख में आँसू और पेट में दर्द लिए सोने की कोशिष कैसे कर रहे होते हैं | जो महसुश यदि किसी खाते पिते परिवार को नही होता हो तो भुखा पेट कभी पुरा परिवार दो चार रात खुद भी सोकर देखे कि उन्हे ठीक से नींद आती है कि नही आती है ! वह भी वैसी नींद जिसमे यह भी संभावना बना रहता है कि लंबे समय से भुख और कुपोषण से सोने के बाद सुबह सुरक्षित आँख खुलेगी भी की नही ! जिस तरह की मौते नही होती यदि यह देश पुरा आजाद होकर गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से पुरी तरह आजाद होता | जिन मौतो के लिए गुलाम बनाकर हक अधिकारो को लुटकर शोषण अत्याचार करने वाले लोग प्रमुख जिम्मेवार हैं | जिन्हे तो मैं रुस यूक्रेन जैसे युद्ध को भी कराने में प्रमुख जिम्मेवार मानता हूँ | जिनके द्वारा दी गयी गुलामी से आजादी पाने के लिए भी युद्धे होती रही है | जैसे कि गोरो ने कई देशो को जो गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार किया था , उस समय भी आजादी पाने के लिए बहुत से युद्ध लड़ी जा रही थी | क्योंकि पुरी दुनियाँ में घुम घुमकर कबिलई लुटेरे बहुत सारे देशो को गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार कर रहे थे | जिन गुलाम देशो में बहुत से देश तो विश्वयुद्ध होने के बाद ही पुरी तरह से आजाद हो पाए थे | विश्वयुद्ध नही होता तो सायद वे लंबे समय तक आजाद नही हो पाते | पर चूँकि विश्वयुद्ध होने के बाद गुलाम करने वालो की कमर टुट चुकी थी , इसलिए कई गुलाम देश विशेष मौका का फायदा उठाते हुए विश्वयुद्ध होने के बाद आजाद हो गए थे | जहाँ पर अब मुलनिवासियो की सत्ता कायम हो चूका है | जिस तरह के देशो में आजादी मिलने के बाद गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से होनेवाली मौतो में भारी कमी होते हुए क्रांतीकारी परिवर्तन हुए हैं | क्योंकि देश आजाद होने के बाद गुलाम करने वालो द्वारा धन संपदा की लूट रुक जाती है , जिससे की गरिबी भुखमरी दुर होने में रफ्तार आती है | क्योंकि गुलाम करने वाले लोग देश को लुटकर गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मौत भी देते हैं | जैसे की अब भी विश्वभर के जिन जिन देशो में भी पुरी आजादी नही मिली है , वहाँ वहाँ की धन संपदा को लुटकर गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार देकर मौते देना जारी है | वह भी इतनी ज्यादे तादार में की यूक्रेन रुस युद्ध में होनेवाली मौते उसके सामने बहुत कम है | बल्कि विश्वयुद्ध यदि नही होता तो गोरे और भी लंबे समय तक कई देशो को गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार करते हुए और भी लाखो करोड़ो लोगो को गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मारते ! जैसे की अब भी जिन देशो को अधुरी आजादी मिली है , वहाँ के मुलनिवासियो के साथ शोषण अत्याचार जारी है | क्योंकि वहाँ पर पुरी आजादी अभी बाकि है | खासकर एशिया अफ्रीका और अरब के कई देशो में अब भी गुलामी कायम है | बल्कि मैं तो यह मानता हूँ कि अमेरिका को भी अबतक पुरी आजादी नही मिली है | वह भी देश अब भी गुलाम करने वालो की जकड़ में है | और अमेरिका को जकड़ने वाले लोगो की वजह से ही अमेरिका को पुरी दुनियाँ में दादागिरी करने के लिए भी जाना जाता है | जो दादागिरी पहचान अमेरिका के माया सभ्यता वाले लोगो की पहचान कभी नही रही है | बल्कि दादागिरी करने वाले ही अमेरिका की माया सभ्यता का विनाश करके और अमेरिका में अपनी दबदबा कायम करके आज पुरी दुनियाँ में दादागिरी करने के लिए जाने जाते हैं |  यू ही नही वहाँ पर भी गोरा काला रंगभेद विवाद समय समय पर चलते रहते हैं | ये दादागिरी करने वाले ही भेदभाव शोषण अत्याचार करते रहे हैं | क्योंकि आजाद घोषित होते हुए भी उस देश को इनकी दादागिरी से पुरी आजादी नही मिली है | जैसे की यह कृषि प्रधान देश भारत जहाँ के मुलनिवासियो को अब भी मनुवादियो की दादागिरी से पुरी आजादी मिलना बाकी है | जिन लोगो की दादागिरी को ही रुस यूक्रेन जैसे युद्ध जब होते हैं , तो सबसे अधिक खतरा मंडराने लगता है | जैसे की जब विश्वयुद्ध हुआ था तो इनकी दादागिरी को सबसे अधिक खतरा मंडराया था , और कई गुलाम देश आजाद हो गए थे | जाहिर है यदि दो विश्वयुद्ध अधुरी आजादी के लिए झांकी थी तो तीसरा विश्वयुद्ध के बाद पुरे विश्व में जो भी देश अबतक भी पुरी तरह से आजाद नही हुए हैं , वे सभी तीसरा विश्वयुद्ध के बाद पुरी तरह से आजाद हो जाएंगे | क्योंकि दो विश्वयुद्ध के बाद गुलाम करने वालो की कमर टुटकर कई देश जिन्हे वे गुलाम बनाए हुए थे वे उनके हाथ से निकल गए थे | जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध के बाद मुमकिन है गुलाम करने वालो के हाथो से गुलाम किए कई क्षेत्र निकलने वाले हैं | इसलिए भी मैं कहता हूँ ऐसी युद्ध विश्वभर के उन देशो में लगातार होते ही रहना चाहिए जहाँ पर विदेशी कबिलई लुटेरो की शैतानी सोच से अब भी गुलामी कायम है | और जहाँ पर अब भी आजादी का आंदोलन चल रहा हो ! जिन देशो में अब भी विदेशी मूल के गुलाम करने वाले फूट डालो राज करो की नीति अपनाकर देश को कई टुकड़ो में बांटकर दुर में भी बैठकर राज कर रहे होते हैं | जहाँ पर पुरी आजादी आंदोलन चलते रहनी चाहिए जबतक की देश को पुरी तरह से आजादी न मिल जाए | यूक्रेन में भी आजादी का ही तो आंदोलन चल रहा था , जिसके बाद यह नौबत आई है | यूक्रेन की सत्ता गुलाम करने वाले विदेशी मुल के इसारो पर चल रहा है | जिस बात का एक खास उदाहरन कहीं पर देख सुन रहा था की यूक्रेन की सत्ता अमेरिका में बैठे यहूदियो और गोरो के इसारो पर चलकर ही यह युद्ध वाली नौबत आई है | यूक्रेन का राष्ट्रपति भी यहूदि परिवार से है | इसलिए भी सायद पुतिन को आधुनिक हिटलर बताया जा रहा है | क्योंकि हिटलर ने यहूदियो का भारी विनाश किया था | जबकि यूक्रेन न तो यहूदि राष्ट्र है , और न ही गोरो का राष्ट्र है , फिर यूक्रेन में वहाँ के मुलनिवासियो की खास दबदबा क्यों नही है ? क्यों यूक्रेन में यहूदि राष्ट्रपति के खिलाफ आजादी आंदोलन चल रहे हैं ? जिसके चलते रुस को यह कदम आजादी को मान्यता देने के लिए यह कहकर उठाना पड़ रहा है कि यूक्रेन की सेना सत्ता पल्टी करे | जाहिर है रुस को भी चूँकि कई टूकड़ो में बंटते हुए इतिहास दर्ज है | जिसके बारे में कहीं पर बताया गया की अखंड रुस को भी बांटकर लगभग पंद्रह देश बनाया गया है | इसलिए जाहिर सी बात भी है कि रुस और उससे अलग हुए उसके अपने अंग भी गुलाम करने वालो से पुरी तरह सुरक्षित नही है | क्योंकि अखंड रुस को भी पश्चिमी कबिलई लुटेरे जिनका की लंबा इतिहास रहा है पुरी दुनियाँ में घुम घुमकर रुस , भारत , चीन , अफ्रीका और अरब जैसे देशो को गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार करते रहने का | और साथ में ये गुलाम करने वाले कबिलई लुटेरे लंबे समय से फूट डालो राज करो की नीति के तहत अपने द्वारा किए गुलाम देशो को कई टुकड़ो में बांटकर या बंटने का बुरे हालात पैदा करके अपने जैसा ही कबिलई लुटेरा सभ्यता संस्कृति देने का प्रयाश भी किया है | ऐसी लुटपाट सभ्यता संस्कृति जिसमे की कबिलई कई टुकड़ो में बंटकर आपस में लगातार लड़ते झगड़ते रहे | जैसे की गुलाम करने वालो ने जिन जिन देशो को भी गुलाम बनाकर कई टुकड़ो में बांटा या बंटने की बुरे हालात पैदा किया है , वहाँ पर भी अब कबिलई लुटेरे सभ्यता संस्कृति की तरह बंटे हुए देश लड़ते झगड़ते रहने जैसा ही बुरे हालात पैदा होता रहता है | जो बुरे हालात गुलाम करने वालो ने पैदा कराया है | जिसका ही नतीजा है रुस यूक्रेन युद्ध ! जिस तरह के बुरे हालात कबिलई लुटेरो द्वारा एशिया के कई देश ही नही बल्कि अफ्रीका और अरब के कई देशो में भी पैदा किया है | क्योंकि ये देश भी कबिलई लुटेरो द्वारा लंबे समय तक गुलाम बनाये जाने के बाद कई टुकड़ो में बंट गए हैं | जैसे कि इस देश भारत को भी विदेशी मुल के कबिलई लुटेरो द्वारा गुलाम बनाने के बाद कई टुकड़ो में बांटा गया है | और यहाँ पर भी कबिलई लुटेरो की तरह आपस में लड़ते झगड़ते रहने का भारत पाकिस्तान युद्ध जैसे बुरे हालात पैदा होता रहता है | और इस देश में भी लाखो करोड़ो लोगो के दिल दिमाक में आजादी का आंदोलन अब भी चल रहा है | क्योंकि यह देश भी पुरी तरह से आजाद नही है | पुरी तरह से आजाद होता तो फिर कई टुकड़ो में बंटा भी नही रहता | यहाँ भी गुलाम करने वालो के लिए किसी गरिब का खुन सस्ता है | जिन गुलाम करने वालो को भी यहशास होनी चाहिए की सभी इंसान का खुन महंगा होता है | लेकिन वे देश गुलाम करके हर रोज गरिबी भुखमरी से मौते देकर गरिबो का खुन सस्ता सोचकर गरिबी भुखमरी को अनदेखा करके हम तो सबसे विकसित लोग हैं कहकर झुठी शान की जीवन जी रहे होते हैं | लेकिन जब ऐसे युद्ध होते हैं तो पेट्रोल महंगा होगा युद्ध से कहकर दरसल ऐसे लोगो को भी अपनी खुन और संपत्ती की चिंता बड़ जाती है | जिस समय जिन्हे भले गरिबी भुखमरी से मरने वालो की गिनती नही आती पर युद्ध में मरने वालो की एक एक गिनती अच्छी तरह से आने लगती है कि युद्ध में कितने लोग मरे और कितना का नुकसान होना सुरु हो गया है ! पर गरिबी भुखमरी से कितने लोग आज मरे या फिर कितने लोग गुलाम करने वालो द्वारा अपना धन संपदा लुटाकर बीपीएल बने हुए हैं , यह याद नही आती ! वे गरिबो की दर्दनाक मौत की तस्वीर वीडियो सायद ही दिखवाते हैं , पर युद्ध में हुई मौत की तस्वीर वीडियो जरुर दिखवाते हैं | क्योंकि उनके लिए गरिबो का खुन सस्ता होता है | जिसकी खास वजह यह भी है कि गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार का बुरे हालात गुलाम करने वाले जो पैदा करते हैं किसी देश को गुलाम करके , उन गुलाम करने वालो के हाथो में ही गुलाम देश के मीडिया और देश के बड़े बड़े संस्थायें काम करती है | जिन संस्थाओ के मुख्य पदो में गुलाम करने वाले लोगो का ही दबदबा कायम रहता है | जिनके अनुसार ही ज्यादेतर खबरे प्रसारित होती है | और उनके अनुसार ही आर्थिक संस्थायें भी विश्व स्तर में काम करती है | जो की पुरे विश्व में कई देशो को आर्थिक प्रतिबंध लगाकर बिना युद्ध किए भी भारी आबादी को और अधिक गरिबी भुखमरी देकर भुखो मारने का भी योजना बनाती रहती है | जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध के बाद जो रुस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाया गया है , उससे क्या पुतिन के जीवन को गरिबी भुखमरी जीवन में तब्दील करने के लिए लगाया गया है ? बल्कि रुस में आर्थिक प्रतिबंध लगाने वाले देशो के भी बहुत से नागरिक बुरे आर्थिक हालात से गुजरेंगे या गुजरने वाले हैं | क्योंकि इस तरह के प्रतिबंध जब लगाई जाती है तो प्रतिबंध लगाने वाले देश पर भी खुदके द्वारा बहुत सारे प्रतिबंध खुद ही लग जाते हैं | जिससे प्रतिबंध लगाने वालो को भी भारी आर्थिक नुकसान होना सुरु हो जाता है | 

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रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 3

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यूक्रेन में भारत के 20000 बच्चे फंसे हुए हैं , ऐसी रुस यूक्रेन युद्ध की खबरे दिनभर चलाते हुए कभी उन बच्चो की भी खबरे चलाओ जो की भुख से मर रहे हैं | जिनके युद्ध में फंसे होने नही बल्कि भुख से मरने की भी खबरे सायद ही कभी इस तरह दिनभर दिखाई जाती है | जबकि जैसा की बतलाया कि विश्वभर में हर रोज भुख से मरने वालो की संख्या इतनी है , जितना की इस समय रुस यूक्रेन युद्ध में फंसे हुए भारतीयो की हैं | और 2013 ई० की ही रिपोर्ट अनुसार विश्वभर में हर रोज जो 24000 लोग मर रहे हैं , उनमे 18000 तो सिर्फ बच्चे हैं | जिसकी मौत की चिंता खासकर हवा हवाई महलो में रहकर हवा हवाई सवारी करने वालो को उतनी कभी नही होती है , जितनी की अभी युद्ध देखकर उन्हे तेल महंगे होने और यूक्रेन में निर्दोश लोगो के मरने और फंसने की चिंता होने लगी है ! पर क्या गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मरने वाले लोग निर्दोश नही हैं ? जिनकी भारी आबादी ऐसे लोगो के आस पास भी हर रोज गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार जीवन जी रही होती है | जिनकी ऐसी जीवन से इन लोगो को कोई खास लेना देना नही रहता है | जो गरिब सरकारी अस्पतालो में भी सिर्फ चंद हजार रुपये न रहने की वजह से अपने इलाज के दौरान या फिर दवा न ले पाने और सुविधाओ के अभाव में कम खर्चिली बिमारी से भी तड़प तड़पकर मर रहे होते हैं , लेकिन उन्हे मदत करने के लिए ऐसे अभियान तब कभी फ्री में नही चलती , जैसे की अभी रुस यूक्रेन युद्ध के समय जान बचाने के लिए महंगा से महंगा खर्च करके भी ऐसे जान बचाने का अभियान चलाई जा रही है | जिसके बारे में मीडिया में न्यूज चलाकर ऐसी भावना उत्पन्न की जा रही है , जैसे की मानो गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से हर रोज मर रहे लोगो के लिए भी फ्री में हवाई एंबुलेंश के जरिये भी किसी गरिब की जान बचाने के लिए ऐसे एक एक गरिब की जान बचाने का अभियान चलाई जाती है | जबकि किसी एक गरिब के जीवन में फ्री का चंद हजार रुपये खर्च करने वह भी सालभर का भेदभाव बजट बनाकर अभियान चलाई जाती है | मसलन एक तरफ एक एक धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ की छुट और माफी और दुसरी तरफ आधा पेट सरकारी राशन बांटने का अभियान , बेघरो को काम चलाउ घर देने का अभियान चलाई जाती है | जिस अभियान का भी लाभ सभी गरिबो को नही मिल पाता है | क्योंकि दरसल ऐसे लोगो को तो ज्यादेतर उन लोगो की जीवन में खतरा मंडराने लगे तो खास चिंता और खास लेना देना रहता है , जो लोग भी कहीं न कहीं इनकी तरह की असंतुलित विकाश को बेहत्तर समझकर मुठीभर आबादी के लिए झुठी शान की जीवन को अपना आदर्श मानकर वैसी ही जीवन प्राप्त करने के लिए जी रहे होते हैं | जिनके जीवन में भी ऐसे युद्ध होने पर खतरा मंडराने लगता है | हलांकि मैं भी मानता हूँ कि युद्ध से होनेवाली मौते और युद्ध से जो पेट्रोल महंगा हो जाएगा , उससे गरिब के भी जीवन में बहुत बड़ा फर्क पड़ता है | और युद्ध से गरिबो की भी जान जाती है | पर वह फर्क उतना बड़ा दुःख नही है , जितना की कोई गरिब हर रोज इतनी भारी तादार में गरिबी की वजह से मर रहा होता है | जिसे भी मैं हत्या मानता हूँ उन लोगो के द्वारा जो कि किसी देश को गुलाम करके गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार को अपनी शैतानी सोच से पैदा करते हैं | जो गरिबी यदि किसी के जीवन में न हो तो पेट्रोल चाहे जितना महंगा हो जाए , वह कम से कम गरिबी भुखमरी से तो नही मरेगा ! जैसे की कोई गाड़ी में पेट्रोल भराकर दिन रात चलनेवाला व्यक्ती चाहे जितना पेट्रोल महंगा हो जाए सायद ही वह गरिबी भुखमरी से मरता है | और चाहे कितना भी महंगा पेट्रोल हो जाए वह गाड़ी में तेल भराकर ही रहता है | जिनको भी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से हर रोज होनेवाली मौतो से कोई खास लेना देना नही रहता है | भले क्यों न 2013 ई० के रिपोर्च अनुसार ही हर रोज 24000 लोगो की मौत भूख से हो रहा हो ! हाँ ऐसे युद्ध यदि होने लगते हैं तो उसे भी अपनी मौत की चिंता बहुत अधिक होने जरुर लगती है | क्योंकि ऐसे युद्ध में जब शहरो में बमबारी होने लगती है तो क्या गरिब क्या अमिर सबकी जीवन में मौत मंडराने लगती है | जैसे की किसी गरिब के रोजमरा जीवन में गरिबी भुखमरी की बमबारी से हर रोज मौत मंडराते रहती है | कब किस गरिब परिवार में किसी की मौते हो जाए गरिबी भुखमरी से यह दुःख प्रत्येक गरिब को पिछा नही छोड़ता है | क्योंकि इतिहास गवाह है की ऐसे युद्ध तो क्या दो विश्वयुद्ध में भी हर रोज उतनी मौते नही हो रही थी जितनी की गरिबी भुखमरी से हर रोज होती थी और आजतक भी हो रही है | क्योंकि आज भी विश्व के कई देश पुरी तरह से आजाद नही है | जिसके कारन गुलाम करने वालो द्वारा गरिबी भुखमरी का बमबारी करके विश्वभर में हर रोज हजारो लोगो की हत्या करना जारी है | जिसे अनदेखा करके अभी यूक्रेन रुस युद्ध से तेल महंगा हो जाएगा ऐसी चिंता दिनभर की जा रही है | जो भी चिंता ज्यादेतर तो सिर्फ दिखावे के लिए हो रही है , क्योंकि दरसल ऐसे समय तेल महंगा होने की चिंता बताकर असल में उन लोगो के महंगे जानो की खास चिंता हो रही हैं , जिन्हे गुलामी की वजह से जो गरिबी भुखमरी से मौते हर रोज हजारो में हो रही है , उसके बारे में वे कभी चिंता करते ही नही ! लेकिन जब इस तरह के युद्ध में विदेशी धरती में जाकर पाँच दस भी मारे जाते हैं , या फिर विदेशियो द्वारा पिटाते हैं तो उन्हे ऐसी चिंता होने लगती है , जैसे उनका खुन बहुत महंगा है , और अपनी धरती में हर रोज सैकड़ो हजारो की संख्या में मर रहा , पिट रहा गरिब का खुन सस्ता है | जिनके लिए ऐसे युद्ध से होनेवाली मौत बहुत महंगा है , और गरिबी भुखमरी में होनेवाली मौत बहुत सस्ता है | क्योंकि देश गुलाम है और गुलामी की वजह से गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार कायम आखिर क्यों है , इन बातो से उन्हे कोई खास लेना देना नही होता है | हाँ उनको तो ऐसे युद्ध होने से मौते होने लगती है तब खास लेना देना होता है | 

Worry about petrol costlier due to Russia Ukraine war,Why is there no concern about blood being cheap? part 2

 

रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 2

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2013 ई० की ही रिपोर्ट अनुसार विश्वभर में जो हर दिन 24000 लोग भुख से मर रहे हैं , उसके लिए प्रमुख जिम्मेवार इस पृथ्वी में अपनी शैतानी सोच से गुलाम करने वाले इंसान ही हैं | जो की इंसान के रुप में सबसे बड़ा शैतान जीवन जी रहे होते हैं | जिन शैतानो की वजह से ही इस हरी भरी पृथ्वी में आजतक भी हर रोज हजारो लोगो की मौत गरिबी भुखमरी से हो रही है | क्योंकि ऐसे शैतानी सोच रखने वालो के लिए सबसे विकसित मानव वह है , जो अपने जीवन में गरिबी भुखमरी न होने देने के लिए चाहे किसी को गुलाम बनाए , चाहे किसी का शोषण अत्याचार करे , दुसरो के हक अधिकारो को कब्जा करे , धन संपदा की लुटपाट जैसे बड़े बड़े अपराध करे ! उनके लिए जबतक कोई यह सब अपराध करते पकड़ा न जाए तबतक इंसान यह सब अपराध गरिबी भुखमरी से दुर रहने के लिए कर सकता है | जिसके चलते ऐसे लोग अक्सर धन प्राप्त करने के लिए दुसरो को ही नही अपने परिवार के सदस्यो को भी यह विचार थोपते रहते हैं कि चाहे चोरी करके लाओ या फिर डाका डालकर लाओ पर कहीं से भी धन लाओ ! क्योंकि गरिबी भुखमरी जीवन इनके लिए देखा जाए तो सबसे निच लोगो का जीवन होता है , और अमिरी जीवन उच्च लोगो का जीवन होता है | भले क्यों न वह अमिरी उनके द्वारा बड़े बड़े लुटपाट चोरी भ्रष्टाचार करके खुल जा शिमशिम कहकर काली गुफा में जमा होता रहा हो |ऐसे लोगो के लिए तो बस धन का बारिस किसी तरह भी होता रहे चाहे क्यों न किसी देश को गुलाम बनाकर हो ! जिस तरह के लोगो को अपना आदर्श मानकर जो भी लोग इस धरती का सबसे विकसित इंसान बनने के लिए विचार कर रहे होते हैं , वही लोग ही तो दुनियाँ में सबसे बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके सबसे अधिक धन बटोरकर झुठी शान की जीवन जी रहे होते हैं | वह भी यह सोचते हुए कि वे ही इस धरती का सबसे विकसित लोग हैं | जैसे की कई देशो को गुलाम करने वाले गोरे लोग पुरी दुनियाँ में सबसे विकसित लोग हैं | जिनके ऐतिहासिक बड़े बड़े कुकर्मो के बारे में जानने वाले जानवर भी यदि किसी विकसित परिवार समाज के लिए कैसी विकसित सोच होनी चाहिए यह विचार करते होंगे तो निश्चित तौर पर वे भी ऐसे इंसानो को इस पृथ्वी का सबसे बड़ा शैतान ही समझते होंगे | ऐसा शैतान जिनकी वजह से मानवता तो खतरे में सैकड़ो हजारो सालो से पड़ता ही रहा है , पर अब पर्यावरण में भी सबसे बड़ा खतरा ऐसे लोगो की वजह से ही हो रहा है | क्योंकि ऐसे लोग सिर्फ अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने के लिए बड़े बड़े लुटपाट गलाम करने जैसे कुकर्म नही करते , बल्कि इनकी सोच ही ऐसे कुकर्म करने की रही है | जिसे ये सबसे विकसित सोच मानकर अपडेट करते रहते हैं | क्योंकि यदि इनकी सोच ही ऐसी नही होती और ये अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने के लिए लुटपाट गुलाम बनाने जैसा बड़े बड़े कुकर्म किए होते तो गुलाम करके लुटपाट करते हुए अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने के बाद खुदको अपडेट करके फूट डालो और राज करो सोच को बदलकर पुरी दुनियाँ में इंसानियत कायम करने की सोच लाते | लेकिन सैकड़ो हजारो सालो बाद भी इनकी सोच वैसी ही है जैसे कि उनके पूर्वजो की थी | जिसे सिर्फ वे समय समय पर अपडेट करके गुलाम करने और लुटपाट करने की तरिके को बदलते रहते हैं | लेकिन सोच तो अब भी वही कायम है , गुलाम बनाने और लुटपाट करने की | जिनकी गुलाम और लुटपाट करने जैसी सोच से इंसान ही नही बल्कि पृथ्वी में मौजुद सभी प्राणियो को खतरा है | जिस खतरा में गरिबी भुखमरी जैसा खतरा सबसे प्रमुख खतरो में एक है | जो खतरा इंसान के अलावे भी अन्य बहुत से प्राणियो के जीवन में मंडरा रहा है | इंसानो में तो जैसा की बतलाया कि 2013 ई० की रिपोर्ट अनुसार ही हर रोज 24000 लोगो की मौत भुख से हो रही है | जिनमे 18000 तो सिर्फ बच्चो की हो रही है | 

Worry about petrol costlier due to Russia Ukraine war,Why is there no concern about blood being cheap? part 1

 

रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 1

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रुस यूक्रेन युद्ध से बहुत से लोगो को पेट्रोल महंगा होने की चिंता हो रही है , पर भारत समेत विश्वभर के कई और देशो को भी अबतक पुरी आजादी न मिलने से खुन सस्ता कितना होते जा रहा है , इसकी चिंता क्यों नही हो रही है ? क्योंकि इतिहास गवाह है कि ऐसे युद्ध से जितने लोग नही मरे उससे कहीं ज्यादे लोग गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मरे हैं ! और ऐसी मौत हर रोज भारी तादार में हो रही है | जिसके बारे में गुगल सर्च करके भी पता किया जा सकता है कि इस 21वीं सदी में भी विश्वभर में हर रोज कितनी मौते हो रही है | पर इन मौतो के बारे में कहीं क्या कोई खबर चल रही है ? दिनभर रातभर सिर्फ रुस यूक्रेन युद्ध की खबरे ऐसी चल रही है , जैसे और कोई जरुरी खबर है ही नही ! जबकि 2013 ई० का ही रिपोर्ट अनुसार हर दिन विश्वभर में 24000 लोगो की मौत युद्ध से नही भुख से हो रही है | जिसमे एक तिहाई तो सिर्फ सोने की चिड़ियां कहलाने वाले इस कृषि प्रधान देश भारत में हो रही है | और यदि भारत पाकिस्तान बंगलादेश में भुख से होनेवाली मौतो को जोड़ा जाए तो विश्वभर में जितनी मौते हर रोज भुख से हो रही है , उसमे से आधी आबादी अकेले इन तीनो देशो में हो रही है | वह भी ऐसे हालात में जब इस भारत देश में ही हर साल इतने खाने की चीजे अन्न फल भोजन वगैरा बर्बाद कर दी जाती है , जितना की ब्रिटेन देश के लोग सालभर में खाते हैं | जितना खाना यदि बर्बाद न करके उसे गरिबी भुखमरी से हर रोज संघर्ष कर रहे लोगो को विशेष सुविधा अनुसार उपलब्ध करा दिया जाता तो हर साल हजारो लाखो जाने बचाई जा सकती थी | खासकर यदि हर साल लाखो टन सरकारी अन्नाज बर्बाद न करके उसे भूख से मर रहे लोगो को भरपेट जरुरत के हिसाब से दे दिया जाता | क्योंकि वैसे भी उस अन्नाज को सुरक्षित रखने की काबलियत जब सरकार को नही है , तो उसे अपने काबलियत के अनुसार अन्नाज रखकर बाकि सबको जरुरतमंदो को बांट देना चाहिए था | चाहे क्यों न एक एक गरिब को पुरे सालभर का अन्नाज देना पड़े ! वैसे भी उन्हे हर महिने देने की योजना सरकार चलाती आ रही है | उसी योजना को अपडेट करके सरकारी राशन सालभर के लिए दे दिया जाता | कम से कम अन्न की बर्बादी तो नही होती | क्योंकि सौ प्रतिशत यह माना जा सकता है कि भले सरकार के पास अन्नाज को सुरक्षित रखने की काबलियत नही है , पर गरिब जनता के पास अन्नाज को सुरक्षित रखने की काबलियत जरुर है | वह भी बिना खास खर्च के | जबकि सरकार अन्नाज को सुरक्षित रखने के लिए करोड़ो अरबो रुपये तो खर्च करती ही है , पर जिस अन्नाज को सुरक्षित रखने में फेल हो जाती है , उसे ठिकाना लगाने के लिए भी करोड़ो खर्च करती है | मसलन जनवरी 2008 में उड़ीसा के एक RTI कार्यकर्ता देवाशीष ने गृह मंत्रालय से एक सवाल पुछा था , जिसके जवाब में यह जानकारी दी गई थी की दस सालो में दस लाख टन अन्नाज बर्बाद हो गया , जिसे सुरक्षित रखने के लिए 2430000000/₹ खर्च किया गया था | और तो और खराब हुआ अन्नाज को नष्ट करने के लिए भी 20000000/₹ खर्च किया गया था | जाहिर है भले क्यों न सुप्रीम कोर्ट से भी इन्हे राय मशवरा या फिर आदेश मिले जैसा की सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा था कि सरकार यदि अन्नाज सुरक्षित नही रख पा रही है तो उसे जरुरतमंदो को बांट दे | लेकिन अबतक भी सरकार सभी जरुरतमंदो को ऐसी अन्नाज को बांट तो नही रही है , उल्टे या तो सड़ाकर बर्बाद कर रही है या फिर कालाबाजारी करा रही है | एक रिपोर्ट अनुसार 50% सरकारी अन्नाज को दो टांगवाले सरकारी डीलर अधिकारी मंत्री बंदरबांट करते आ रहे हैं | जो कि अभी हर साल इस भारत में ही लाखो टन अन्नाज बर्बाद हो जाता है | कांग्रेस सरकार के शासन के समय ही करीब 60 लाख टन अन्नाज हर साल बर्बाद होता रहा है | जितने अन्नाज से 10 करोड़ बच्चो को पुरा साल पेटभर खिलाकर भुख से होनेवाली बहुत सी मौते रोकी जा सकती है | लेकिन ऐसा नही हो रहा है | भले मासुम बच्चे तक भी भुख से हर रोज हजारो की संख्या में तड़प तड़पकर मरता रहे , दुनियाँ देखने से पहले भुख से मर जाए , पर सरकार गरिबो को वह अन्नाज कभी नही देगी | भले क्यों न वह सड़ जाय या फिर उसे चूहा खा चाए चाहे चार टांगोवाले चूहे हो या फिर दो टांगोवाले चूहे हो |


हलांकि चूँकि यह कृषि प्रधान देश अभी गुलाम है , इसलिए गुलामी के समय ऐसी बुरी परिस्थिति स्वभाविक भी है | क्योंकि इतिहास गवाह है की गुलाम करने वाले लोग अपने गुलामो को भुख दुःख अन्याय शोषण अत्याचार से भारी तादार में मौते देते हैं | जैसे की अफ्रीका एशिया अरब के जिन देशो में भी गरिबी भुखमरी अबतक भारी तादार में कायम है , वह गुलाम करने वाले लुटेरो के द्वारा ही दिया गया है | जिसमे यदि थोड़ी बहुत कमी आई है , तो उसकी मुख्य वजह पिछला विश्वयुद्ध के समय ही विश्वभर को अधुरी आजादी मिल गयी है | पर चूँकि विश्वभर को पुरी आजादी अभी बाकि है , इसलिए अब भी जहाँ जहाँ भी पुरी आजादी बाकी है , वहाँ वहाँ अब भी गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार सबसे अधिक मौजुद है | जहाँ पर गुलाम करने वालो का ही प्रभाव ज्यादे हावी है | जैसे की भारत में बहुत ज्यादे गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार अब भी मौजुद है | क्योंकि इस देश को पुरी आजादी अभी नही मिली है | एक गुलाम करने वाले कबिलई गोरो से आजादी मिली तो दुसरे गुलाम करने वाले कबिलई मनुवादियो के हाथो इस कृषि प्रधान देश की सत्ता आ गयी है | जिन मनुवादियो को गुलाम बनाने का अनुभव ज्यादे समय का है | क्योंकि गोरे यदि सौ दो सौ साल इस देश को गुलाम बनाये हैं , तो मनुवादियो ने हजारो सालो से इस देश को गुलाम बनाया है | जिन कबिलई मनुवादियो के हाथो में ही इस समय इस कृषि प्रधान देश की सत्ता है | इसलिए स्वभाविक भी है कि इस कृषि प्रधान देश को गोरो से आजादी मिलने के 75 सालो बाद भी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार भारी तादार में अबतक कायम है | लेकिन विश्वभर में खासकर जो देश पुरी तरह से आजाद हैं , वहाँ की सरकार तो कम से कम अपने आजाद नागरिको को भुख से न मरने देने के लिए पेटभर खाने पीने और रहने की व्यवस्था कर सकती थी | बल्कि पुरी दुनियाँ में किसी की भी मौत गरिबी भुखमरी से न हो ऐसी व्यवस्था विश्वस्तर का कोई संगठन बनाकर सारे देशो के लिए ऐसी व्यवस्था सौ प्रतिशत गारंटी अथवा जमानत के साथ होनी चाहिए थी की किसी की भी मौत गरिबी भुखमरी से न हो | जो की अभी भले क्यों न देश को लुटकर भागने वाले बड़े बड़े भगोड़ो के लिए उनको पनाह देने वाले देशो द्वारा कारवाई के समय भगोड़ो को लाने के लिए दुसरे देशो द्वारा खासकर गोरो का देश ब्रिटेन द्वारा गारंटी अथवा जमानत मांगी जाती है कि भगोड़ो को देश वापस ले जाकर उनकी मौत गरिबी भुखमरी से नही होनी चाहिए , और न ही उसके साथ मारपीट होनी चाहिए , बल्कि उनके रहने के लिए मानो ताज होटल जैसी व्यवस्था होनी चाहिए , तब जाकर उन्हे भारत को सौंपा जाएगा | जिस तरह की जमानत देश लुटने वाले बड़े बड़े भगोड़ो की तो ले ली जाती है , पर देश में मौजुद गरिबो की जमानत अथवा गारंटी कोई भी सरकार नही लेती है कि उसे भुख और शोषण अत्याचार से पुरी तरह सुरक्षा प्रदान करेगी | हलांकि 2013 ई० के रिपोर्ट अनुसार ही हर रोज जो 24000 लोग विश्वभर में भुख से मर रहे हैं , उनकी जान की सुरक्षा गारंटी के साथ इसलिए भी नही हो पा रही है , क्योंकि अभी भी विश्वभर में कई देशो को गुलाम करने वालो से पुरी आजादी नही मिली है | जिसके चलते किसी की भी मौत गरिबी भुखमरी से न हो ऐसी गारंटी देनेवाला कोई विश्वस्तर का संगठन न बनकर गरिबी भुखमरी की गारंटी देनेवाली गुलामी को फिर से पुरी दुनियाँ में कायम करने की योजना चल रही है | जिसके लिए कभी पुरी दुनियाँ के दर्जनो देशो को गुलाम करके लुटपाट शोषण अत्याचार करने वाले गोरे अब के समय में भी विश्वभर के देशो को आजादी और सुरक्षा की गारंटी देने की सर्तो पर NATO जैसे विश्वस्तर का संगठन बनाकर दरसल फिर से पुरी दुनियाँ को नए अपडेट के साथ गुलामी की ओर ले जाना चाहते हैं | जो पूँजीवाद से अपना जेब भरने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह ही लुट कंपनी बनाकर विश्वभर में अपना ब्राच फैला रहे हैं | जिस लुट कंपनी का ब्रांच बड़ाने के लिए यह प्रचार प्रसार कर रहे हैं कि जो भी देश उस कंपनी से जुड़ेगा उसे सुरक्षा और आजादी की गारंटी दी जाएगी | जो यह नही बता रहे हैं की लंबे समय से गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार कौन लोग करते आ रहे हैं , जिनसे की पुरी दुनियाँ अब भी पुरी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा है | क्या गुलाम बनाने वाले देश रुस चीन भारत वगैरा ऐसे देश हैं , जिन्हे की गुलाम बनाने वालो ने लंबे समय तक गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार किया है ? बल्कि गुलाम करने वाले तो गोरे और मनुवादि जैसे कबिलई लुटेरे हैं , जिन्हे विश्वभर में कौन इतिहासकार उनके बड़े बड़े कुकर्मो के लिए नही जानता | मनुवादि मनुस्मृति लागू करके बोर्ड लगाते रहे हैं की अंदर शूद्रो का प्रवेश मना है , तो गोरे इस देश को गुलाम करके बोर्ड लगाते थे कि अंदर कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है | जो गोरे ही तो आज के समय में NATO जैसे संगठन का नेतृत्व करके अपनी नई अपडेट लुट कंपनी का ब्रांच स्थापित करने के लिए जिन जिन देशो को भी NATO से जोड़ने के लिए विशेष नजर रखा जा रहा है , वहाँ वहाँ ही रुस यूक्रेन जैसे युद्ध हो रहे हैं | दरसल ये विश्वस्तर का NATO संगठन विश्वभर में फिर से गुलाम बनाकर लुटपाट अन्याय शोषण अत्याचार करने के लिए प्राचिन कबिलई लुटेरो द्वारा गुलाम बनाने वाला संगठन का ही अपडेट वर्जन लाया गया है | जिसे आजादी और सुरक्षा देनेवाला संगठन बताकर पुरे विश्वभर के देशो को गुलाम बनाने का नया अपडेट लुटपाट गुलाम बनाने का अभियान चल रहा है | क्योंकि आजादी और सुरक्षा प्रदान करने की गारंटी देकर रुस यूक्रेन युद्ध बुरे हालात पैदा करके यह NATO संगठन आजादी और सुरक्षा देने का भूमिका अदा कर रहा है कि गुलामी और असुरक्षा देने का भूमिका अदा कर रहा है ? हलांकि गुलाम करने वाले किसी देश को आजादी और सुरक्षा प्रदान करेंगे यह सोचना भी मूर्खता है | खासकर जबतक कि उनके भितर का वह शैतान जिन्दा रहेगा जो कि उन्हे गुलाम बनाकर शैतान सिकंदर की तरह महान बनने के लिए प्रेरित करता रहता है | जैसा की अभी शैतान सिकंदर की तरह महान बनने के लिए NATO को प्रेरित कर रहा है | जाहिर है " NATO संगठन आजादी और सुरक्षा की गारंटी देता है " समझकर जो जो देश भी उसे शैतान सिकंदर की तरह महान समझकर उसके आगे झुकते जाएंगे वह सभी देश NATO का सदस्य बनकर वैसा ही सहयोगी बनेंगे जैसा कि कभी सिकंदर के आगे झुकने वाले सहयोगी बनकर शैतान सिकंदर को विश्व लुटेरा बनने में सहयोग किए थे | जिनका सहयोग लेकर शैतान सिकंदर जिन जिन देशो में भी हमला किया वहाँ वहाँ भारी लुटमार हुई थी | जिसे जो लोग आजादी और सुरक्षा देनेवाला महान सिकंदर था यह बताकर खुद भी सिकंदर की तरह महान बनने की सपने देख रहे हैं , वे दरसल शैतान सिकंदर की तरह खुद भी विश्व लुटेरा शैतान बनने की सपने देख रहे हैं | क्योंकि सत्य यही है कि लुटपाट करना और गुलाम बनाना महानता नही है | बल्कि अपने हक अधिकारो और आजादी के लिए संघर्ष करना महानता है | जिसके लिए ही तो रुस संघर्ष कर रहा है , न कि NATO संघर्ष कर रहा है ? बजाय इसके कि शैतान सिकंदर से शबक लेकर विश्व लुटेरा शैतान सिकंदर को महान न समझकर वाकई में महान बनना चाहते हैं तो उस के लिए उन्हे किसी गुलाम देश को आजाद कराकर वहाँ की गुलाम जनता की जीवन को सुरक्षा प्रदान करें | जो न करके महान बनने की बाते करके जो देश आजाद हैं , या तो फिर अधुरा आजाद हैं , उसे फिर से पुरी तरह गुलाम करने की शैतानी भूमिका NATO अदा कर रहा है | यू ही नही अबतक जहाँ जहाँ भी रुस यूक्रेन युद्ध के हालात पैदा हुए हैं , वहाँ वहाँ इन कथित महान NATO जैसे संगठन से ही आजादी और सुरक्षा को खतरा पैदा होता आ रहा है |  बजाय इसके की जो देश जिनसे गुलाम हैं , उनसे आजादी दिलाकर सुरक्षा प्रदान कराने की महान सोच रखनी चाहिए थी | जैसे की इस कृषि प्रधान देश भारत को आजाद कराओ मनुवादियो से , न कि मनुवादियो से मिलकर और मनुवादियो को अपने संगठन में शामिल करके मिल बांटकर पुरी तरह से गुलाम बनाने और लुटपाट करने की सपने देखकर फूट डालकर भारत पाकिस्तान बंटवारा कराकर रुस यूक्रेन जैसा ही युद्ध के हालात पैदा कराओ  | रुस यूक्रेन का युद्ध हालात भी तो सोवियत रुस को बांटकर पैदा किया गया है | असल में ये कबिलई लुटेरे अब भी अपने पूर्वजो के लुटपाट गुलाम बनाने वाली खास हुनर को ही अपडेट करके आगे बड़ाना नही छोड़ पाए हैं | जबकि उनके भितर समय के साथ इंसानियत का विकाश होकर अपने पूर्वजो की लुटपाट गुलाम बनाने वाली सोच को किसी मल मूत्र की तरह त्यागकर नई ऐसी सोच को अपना लेना चाहिए था , जो कि किसी को गुलाम और लुटपाट करने की न सोचता हो | पर ये गुलाम करने वाले गोरो के नए वंशज भी अपने पूर्वजो की तरह ही अब भी पुरी दुनियाँ में लुटपाट करने की गंदी सोच को ही पकड़कर रखे हुए हैं | जिसके चलते ही तो आज रुस यूक्रेन युद्ध हो रहा है | क्योंकि ये लुटपाट और गुलाम करने की गंदी सोच को यूक्रेन में अपनी कठपुतली सरकार बनाकर जो गंदगी फैला रहे हैं , उस गंदगी को ही तो रुस किसी मल मूत्र की तरह वापस पश्चिम की ओर बहा देना चाहता है | जो गंदगी यूक्रेन में घुसकर सोवियत संघ से अलग हुए सारे देशो में फैल सकती है | खैर ये गुलामी गंदगी फैलाने वाले तो पहले से ही ऐसे रहे हैं , जो की अबतक नही सुधरे हैं , पर जो देश किसी को कभी भी गुलाम नही किए हैं , जो कि गोरो के प्राचिन लुटपाट बिरादरी से भी नही आते हैं , वे भी इनके झांसे में आकर यदि गोरो की तरह ही बनना चाहते हैं तो उन्हे अपने पूर्वजो का इतिहास और अपने भितर मौजुद इंसानियत सोच के बारे में सोचते हुए दुबारा से विचार करना चाहिए ! खासकर उन्हे जरुर यह सोचना चाहिए की गोरे बेहत्तर इंसान बनने की रास्तो में चल रहे हैं कि जिन्हे गोरो ने कभी गुलाम बनाया था वे बेहत्तर इंसान बनने की रास्तो में चल रहे हैं ! हलांकि जिसदिन भी पुरी दुनियाँ को पुरी आजादी मिल जाएगी ऐसे विचार करने की उतनी जरुरत भी नही पड़ेगी | क्योंकि अधुरा आजाद सभी देश पुरी तरह से आजाद होने के बाद विश्वभर के सभी आजाद देश जो की खासकर कभी पुरी तरह गुलाम थे , वे सभी मिलकर ऐसा संगठन जरुर बनाएंगे जो की मानवता कायम करने के लिए ऐसा क्रांतीकारी कार्य करेगा जो की विश्वभर को गरिबी भुखमरी प्रदान करने के बजाय विश्वभर से गरिबी भुखमरी समाप्त करेगा | जिसके लिए भले क्यों न विश्वभर के धन्ना कुबेर जिनके पास इस गुलामीकाल के दौरान असंतुलित विकाश का दौर में इतना दौलत जमा हो गया है , जितना की विश्वभर के 99% आबादी के पास भी नही है , उस दौलत को संतुलित रुप से खर्च करके पुरे विश्व की गरिबी भुखमरी को दुर करना पड़े | क्योंकि भुख से जो विश्वभर में हर साल पोने एक करोड़ से अधिक मौते हो रही है , उनकी जान की किमत भी इंसान की जान की किमत है | न कि सिर्फ जो लोग अमिर हैं वही सिर्फ इंसान हैं | और किसी की जान की किमत से ज्यादा किमत इस असंतुलित विकाश का दौर में किसी धन्ना कुबेर के पास अति जमा धन की किमत नही है | जो अतिरिक्त धन किसी धन्ना कुबेर को उसे दुबारा जीवन जीने का उम्र तो कभी प्रदान नही कर सकता , पर अनगिनत लोगो को भुख से मरने से जरुर रोका जा सकता है | क्योंकि दुनियाँ का कोई भी इंसान चाहे वह गरिब हो या फिर कोई धन्ना कुबेर हो इस दुनियाँ में अपनी माँ की पेट से न एक पैसा लेकर आया था , और न ही एक पैसा लेकर वापस जाएगा | पर यदि किसी का अतिरिक्त धन सही हाथो से सही तरिके से खर्च हो जाय तो पुरी दुनियाँ से गरिबी भुखमरी समाप्त हो जाएगी | जिसके बाद हर रोज जो हजारो मौते भुख से हो रही है , वह हजारो जान बच सकती है | जैसे की यदि कोई व्यक्ती कतार में बैठकर भोजन करते समय अपनी थाली में इतना सारा खाना ले रखा हो कि उसे वह खा नही सकता , और यदि जोर जबरजस्ती भी खाएगा तो अति खा खाकर उसकी पेट फटकर उसकी मौत होने की पुरी संभावना है , तो फिर ऐसी हालत में वह व्यक्ती भुख से मर रहा किसी दुसरे व्यक्ती को क्यों नही अपना अतिरिक्त खाना को बांटकर उसका भी पेट भर सकता है | भूख से किसी की जान जाने से रोकने में कम से कम इंसानियत के नाते तो कोई ऐसा फैशला कर सकता है , यदि उसे लगता हो कि उसके अंदर भी इंसानियत मौजुद है ! जिससे उसके साथ ऐसा क्या हो जाएगा कि उसके लिए किसी की जान की किमत से भी ज्यादे किमत उसका अतिरिक्त खाना साबित हो जाएगा , जिसे वह खा नही सकता | और न ही वह जब मरेगा तो उसे अपने साथ ले जाएगा | गरिब को दान करने की विचार तो चोर लुटेरे भी करते रहते हैं ,पर ऐसा विचार आजतक पुरी दुनियाँ में किसी के भी द्वारा इसलिए नही किया गया , क्योंकि पुरी दुनियाँ में अबतक किसी गरिब इंसान की जान की किमत से ज्यादा किमत किसी धन्ना कुबेर की अति धन या फिर अपनी झुठी शान को समझा जाता रहा है | बल्कि धन्ना कुबेरो के धन में जरा सी भी कमी आने पर किसी धन्ना कुबेर का दिवाला निकल गया या फिर उसकी शान में कमी आई है कहकर खबरो में ऐसी चिंता होने लगती है , जैसे की अब वह धन्ना कुबेर सरकार से अपना गरिब बीपीएल कार्ड बनाकर गरिबी भुखमरी जीवन जिनेवाला है | पर पहले से ही हर रोज विश्वभर में 2013 ई० की रिपोर्ट अनुसार ही 24000 लोग भूख से मर रहे हैं , उसकी चिंता ऐसी खबरो में सायद ही कभी होती है | क्या ये भुख से मरने वाले लोग इंसान नही हैं | और तो और विश्वभर में हर रोज 24000 लोग जो भुख से मर रहे हैं , उनमे 18000 तो सिर्फ बच्चे हैं , जिन्हे दुनियाँ देखने से पहले ही गरिबी भुखमरी देकर मार दिया जा रहा है | जिन बच्चो में सबसे अधिक बच्चे भारत में मर रहे हैं | 

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...