Worry about petrol costlier due to Russia Ukraine war,Why is there no concern about blood being cheap? part 3

 

रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 3

khoj123


यूक्रेन में भारत के 20000 बच्चे फंसे हुए हैं , ऐसी रुस यूक्रेन युद्ध की खबरे दिनभर चलाते हुए कभी उन बच्चो की भी खबरे चलाओ जो की भुख से मर रहे हैं | जिनके युद्ध में फंसे होने नही बल्कि भुख से मरने की भी खबरे सायद ही कभी इस तरह दिनभर दिखाई जाती है | जबकि जैसा की बतलाया कि विश्वभर में हर रोज भुख से मरने वालो की संख्या इतनी है , जितना की इस समय रुस यूक्रेन युद्ध में फंसे हुए भारतीयो की हैं | और 2013 ई० की ही रिपोर्ट अनुसार विश्वभर में हर रोज जो 24000 लोग मर रहे हैं , उनमे 18000 तो सिर्फ बच्चे हैं | जिसकी मौत की चिंता खासकर हवा हवाई महलो में रहकर हवा हवाई सवारी करने वालो को उतनी कभी नही होती है , जितनी की अभी युद्ध देखकर उन्हे तेल महंगे होने और यूक्रेन में निर्दोश लोगो के मरने और फंसने की चिंता होने लगी है ! पर क्या गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मरने वाले लोग निर्दोश नही हैं ? जिनकी भारी आबादी ऐसे लोगो के आस पास भी हर रोज गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार जीवन जी रही होती है | जिनकी ऐसी जीवन से इन लोगो को कोई खास लेना देना नही रहता है | जो गरिब सरकारी अस्पतालो में भी सिर्फ चंद हजार रुपये न रहने की वजह से अपने इलाज के दौरान या फिर दवा न ले पाने और सुविधाओ के अभाव में कम खर्चिली बिमारी से भी तड़प तड़पकर मर रहे होते हैं , लेकिन उन्हे मदत करने के लिए ऐसे अभियान तब कभी फ्री में नही चलती , जैसे की अभी रुस यूक्रेन युद्ध के समय जान बचाने के लिए महंगा से महंगा खर्च करके भी ऐसे जान बचाने का अभियान चलाई जा रही है | जिसके बारे में मीडिया में न्यूज चलाकर ऐसी भावना उत्पन्न की जा रही है , जैसे की मानो गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से हर रोज मर रहे लोगो के लिए भी फ्री में हवाई एंबुलेंश के जरिये भी किसी गरिब की जान बचाने के लिए ऐसे एक एक गरिब की जान बचाने का अभियान चलाई जाती है | जबकि किसी एक गरिब के जीवन में फ्री का चंद हजार रुपये खर्च करने वह भी सालभर का भेदभाव बजट बनाकर अभियान चलाई जाती है | मसलन एक तरफ एक एक धन्ना कुबेरो को हजारो करोड़ की छुट और माफी और दुसरी तरफ आधा पेट सरकारी राशन बांटने का अभियान , बेघरो को काम चलाउ घर देने का अभियान चलाई जाती है | जिस अभियान का भी लाभ सभी गरिबो को नही मिल पाता है | क्योंकि दरसल ऐसे लोगो को तो ज्यादेतर उन लोगो की जीवन में खतरा मंडराने लगे तो खास चिंता और खास लेना देना रहता है , जो लोग भी कहीं न कहीं इनकी तरह की असंतुलित विकाश को बेहत्तर समझकर मुठीभर आबादी के लिए झुठी शान की जीवन को अपना आदर्श मानकर वैसी ही जीवन प्राप्त करने के लिए जी रहे होते हैं | जिनके जीवन में भी ऐसे युद्ध होने पर खतरा मंडराने लगता है | हलांकि मैं भी मानता हूँ कि युद्ध से होनेवाली मौते और युद्ध से जो पेट्रोल महंगा हो जाएगा , उससे गरिब के भी जीवन में बहुत बड़ा फर्क पड़ता है | और युद्ध से गरिबो की भी जान जाती है | पर वह फर्क उतना बड़ा दुःख नही है , जितना की कोई गरिब हर रोज इतनी भारी तादार में गरिबी की वजह से मर रहा होता है | जिसे भी मैं हत्या मानता हूँ उन लोगो के द्वारा जो कि किसी देश को गुलाम करके गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार को अपनी शैतानी सोच से पैदा करते हैं | जो गरिबी यदि किसी के जीवन में न हो तो पेट्रोल चाहे जितना महंगा हो जाए , वह कम से कम गरिबी भुखमरी से तो नही मरेगा ! जैसे की कोई गाड़ी में पेट्रोल भराकर दिन रात चलनेवाला व्यक्ती चाहे जितना पेट्रोल महंगा हो जाए सायद ही वह गरिबी भुखमरी से मरता है | और चाहे कितना भी महंगा पेट्रोल हो जाए वह गाड़ी में तेल भराकर ही रहता है | जिनको भी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से हर रोज होनेवाली मौतो से कोई खास लेना देना नही रहता है | भले क्यों न 2013 ई० के रिपोर्च अनुसार ही हर रोज 24000 लोगो की मौत भूख से हो रहा हो ! हाँ ऐसे युद्ध यदि होने लगते हैं तो उसे भी अपनी मौत की चिंता बहुत अधिक होने जरुर लगती है | क्योंकि ऐसे युद्ध में जब शहरो में बमबारी होने लगती है तो क्या गरिब क्या अमिर सबकी जीवन में मौत मंडराने लगती है | जैसे की किसी गरिब के रोजमरा जीवन में गरिबी भुखमरी की बमबारी से हर रोज मौत मंडराते रहती है | कब किस गरिब परिवार में किसी की मौते हो जाए गरिबी भुखमरी से यह दुःख प्रत्येक गरिब को पिछा नही छोड़ता है | क्योंकि इतिहास गवाह है की ऐसे युद्ध तो क्या दो विश्वयुद्ध में भी हर रोज उतनी मौते नही हो रही थी जितनी की गरिबी भुखमरी से हर रोज होती थी और आजतक भी हो रही है | क्योंकि आज भी विश्व के कई देश पुरी तरह से आजाद नही है | जिसके कारन गुलाम करने वालो द्वारा गरिबी भुखमरी का बमबारी करके विश्वभर में हर रोज हजारो लोगो की हत्या करना जारी है | जिसे अनदेखा करके अभी यूक्रेन रुस युद्ध से तेल महंगा हो जाएगा ऐसी चिंता दिनभर की जा रही है | जो भी चिंता ज्यादेतर तो सिर्फ दिखावे के लिए हो रही है , क्योंकि दरसल ऐसे समय तेल महंगा होने की चिंता बताकर असल में उन लोगो के महंगे जानो की खास चिंता हो रही हैं , जिन्हे गुलामी की वजह से जो गरिबी भुखमरी से मौते हर रोज हजारो में हो रही है , उसके बारे में वे कभी चिंता करते ही नही ! लेकिन जब इस तरह के युद्ध में विदेशी धरती में जाकर पाँच दस भी मारे जाते हैं , या फिर विदेशियो द्वारा पिटाते हैं तो उन्हे ऐसी चिंता होने लगती है , जैसे उनका खुन बहुत महंगा है , और अपनी धरती में हर रोज सैकड़ो हजारो की संख्या में मर रहा , पिट रहा गरिब का खुन सस्ता है | जिनके लिए ऐसे युद्ध से होनेवाली मौत बहुत महंगा है , और गरिबी भुखमरी में होनेवाली मौत बहुत सस्ता है | क्योंकि देश गुलाम है और गुलामी की वजह से गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार कायम आखिर क्यों है , इन बातो से उन्हे कोई खास लेना देना नही होता है | हाँ उनको तो ऐसे युद्ध होने से मौते होने लगती है तब खास लेना देना होता है | 

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