Worry about petrol costlier due to Russia Ukraine war,Why is there no concern about blood being cheap? part 1

 

रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 1

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रुस यूक्रेन युद्ध से बहुत से लोगो को पेट्रोल महंगा होने की चिंता हो रही है , पर भारत समेत विश्वभर के कई और देशो को भी अबतक पुरी आजादी न मिलने से खुन सस्ता कितना होते जा रहा है , इसकी चिंता क्यों नही हो रही है ? क्योंकि इतिहास गवाह है कि ऐसे युद्ध से जितने लोग नही मरे उससे कहीं ज्यादे लोग गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मरे हैं ! और ऐसी मौत हर रोज भारी तादार में हो रही है | जिसके बारे में गुगल सर्च करके भी पता किया जा सकता है कि इस 21वीं सदी में भी विश्वभर में हर रोज कितनी मौते हो रही है | पर इन मौतो के बारे में कहीं क्या कोई खबर चल रही है ? दिनभर रातभर सिर्फ रुस यूक्रेन युद्ध की खबरे ऐसी चल रही है , जैसे और कोई जरुरी खबर है ही नही ! जबकि 2013 ई० का ही रिपोर्ट अनुसार हर दिन विश्वभर में 24000 लोगो की मौत युद्ध से नही भुख से हो रही है | जिसमे एक तिहाई तो सिर्फ सोने की चिड़ियां कहलाने वाले इस कृषि प्रधान देश भारत में हो रही है | और यदि भारत पाकिस्तान बंगलादेश में भुख से होनेवाली मौतो को जोड़ा जाए तो विश्वभर में जितनी मौते हर रोज भुख से हो रही है , उसमे से आधी आबादी अकेले इन तीनो देशो में हो रही है | वह भी ऐसे हालात में जब इस भारत देश में ही हर साल इतने खाने की चीजे अन्न फल भोजन वगैरा बर्बाद कर दी जाती है , जितना की ब्रिटेन देश के लोग सालभर में खाते हैं | जितना खाना यदि बर्बाद न करके उसे गरिबी भुखमरी से हर रोज संघर्ष कर रहे लोगो को विशेष सुविधा अनुसार उपलब्ध करा दिया जाता तो हर साल हजारो लाखो जाने बचाई जा सकती थी | खासकर यदि हर साल लाखो टन सरकारी अन्नाज बर्बाद न करके उसे भूख से मर रहे लोगो को भरपेट जरुरत के हिसाब से दे दिया जाता | क्योंकि वैसे भी उस अन्नाज को सुरक्षित रखने की काबलियत जब सरकार को नही है , तो उसे अपने काबलियत के अनुसार अन्नाज रखकर बाकि सबको जरुरतमंदो को बांट देना चाहिए था | चाहे क्यों न एक एक गरिब को पुरे सालभर का अन्नाज देना पड़े ! वैसे भी उन्हे हर महिने देने की योजना सरकार चलाती आ रही है | उसी योजना को अपडेट करके सरकारी राशन सालभर के लिए दे दिया जाता | कम से कम अन्न की बर्बादी तो नही होती | क्योंकि सौ प्रतिशत यह माना जा सकता है कि भले सरकार के पास अन्नाज को सुरक्षित रखने की काबलियत नही है , पर गरिब जनता के पास अन्नाज को सुरक्षित रखने की काबलियत जरुर है | वह भी बिना खास खर्च के | जबकि सरकार अन्नाज को सुरक्षित रखने के लिए करोड़ो अरबो रुपये तो खर्च करती ही है , पर जिस अन्नाज को सुरक्षित रखने में फेल हो जाती है , उसे ठिकाना लगाने के लिए भी करोड़ो खर्च करती है | मसलन जनवरी 2008 में उड़ीसा के एक RTI कार्यकर्ता देवाशीष ने गृह मंत्रालय से एक सवाल पुछा था , जिसके जवाब में यह जानकारी दी गई थी की दस सालो में दस लाख टन अन्नाज बर्बाद हो गया , जिसे सुरक्षित रखने के लिए 2430000000/₹ खर्च किया गया था | और तो और खराब हुआ अन्नाज को नष्ट करने के लिए भी 20000000/₹ खर्च किया गया था | जाहिर है भले क्यों न सुप्रीम कोर्ट से भी इन्हे राय मशवरा या फिर आदेश मिले जैसा की सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा था कि सरकार यदि अन्नाज सुरक्षित नही रख पा रही है तो उसे जरुरतमंदो को बांट दे | लेकिन अबतक भी सरकार सभी जरुरतमंदो को ऐसी अन्नाज को बांट तो नही रही है , उल्टे या तो सड़ाकर बर्बाद कर रही है या फिर कालाबाजारी करा रही है | एक रिपोर्ट अनुसार 50% सरकारी अन्नाज को दो टांगवाले सरकारी डीलर अधिकारी मंत्री बंदरबांट करते आ रहे हैं | जो कि अभी हर साल इस भारत में ही लाखो टन अन्नाज बर्बाद हो जाता है | कांग्रेस सरकार के शासन के समय ही करीब 60 लाख टन अन्नाज हर साल बर्बाद होता रहा है | जितने अन्नाज से 10 करोड़ बच्चो को पुरा साल पेटभर खिलाकर भुख से होनेवाली बहुत सी मौते रोकी जा सकती है | लेकिन ऐसा नही हो रहा है | भले मासुम बच्चे तक भी भुख से हर रोज हजारो की संख्या में तड़प तड़पकर मरता रहे , दुनियाँ देखने से पहले भुख से मर जाए , पर सरकार गरिबो को वह अन्नाज कभी नही देगी | भले क्यों न वह सड़ जाय या फिर उसे चूहा खा चाए चाहे चार टांगोवाले चूहे हो या फिर दो टांगोवाले चूहे हो |


हलांकि चूँकि यह कृषि प्रधान देश अभी गुलाम है , इसलिए गुलामी के समय ऐसी बुरी परिस्थिति स्वभाविक भी है | क्योंकि इतिहास गवाह है की गुलाम करने वाले लोग अपने गुलामो को भुख दुःख अन्याय शोषण अत्याचार से भारी तादार में मौते देते हैं | जैसे की अफ्रीका एशिया अरब के जिन देशो में भी गरिबी भुखमरी अबतक भारी तादार में कायम है , वह गुलाम करने वाले लुटेरो के द्वारा ही दिया गया है | जिसमे यदि थोड़ी बहुत कमी आई है , तो उसकी मुख्य वजह पिछला विश्वयुद्ध के समय ही विश्वभर को अधुरी आजादी मिल गयी है | पर चूँकि विश्वभर को पुरी आजादी अभी बाकि है , इसलिए अब भी जहाँ जहाँ भी पुरी आजादी बाकी है , वहाँ वहाँ अब भी गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार सबसे अधिक मौजुद है | जहाँ पर गुलाम करने वालो का ही प्रभाव ज्यादे हावी है | जैसे की भारत में बहुत ज्यादे गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार अब भी मौजुद है | क्योंकि इस देश को पुरी आजादी अभी नही मिली है | एक गुलाम करने वाले कबिलई गोरो से आजादी मिली तो दुसरे गुलाम करने वाले कबिलई मनुवादियो के हाथो इस कृषि प्रधान देश की सत्ता आ गयी है | जिन मनुवादियो को गुलाम बनाने का अनुभव ज्यादे समय का है | क्योंकि गोरे यदि सौ दो सौ साल इस देश को गुलाम बनाये हैं , तो मनुवादियो ने हजारो सालो से इस देश को गुलाम बनाया है | जिन कबिलई मनुवादियो के हाथो में ही इस समय इस कृषि प्रधान देश की सत्ता है | इसलिए स्वभाविक भी है कि इस कृषि प्रधान देश को गोरो से आजादी मिलने के 75 सालो बाद भी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार भारी तादार में अबतक कायम है | लेकिन विश्वभर में खासकर जो देश पुरी तरह से आजाद हैं , वहाँ की सरकार तो कम से कम अपने आजाद नागरिको को भुख से न मरने देने के लिए पेटभर खाने पीने और रहने की व्यवस्था कर सकती थी | बल्कि पुरी दुनियाँ में किसी की भी मौत गरिबी भुखमरी से न हो ऐसी व्यवस्था विश्वस्तर का कोई संगठन बनाकर सारे देशो के लिए ऐसी व्यवस्था सौ प्रतिशत गारंटी अथवा जमानत के साथ होनी चाहिए थी की किसी की भी मौत गरिबी भुखमरी से न हो | जो की अभी भले क्यों न देश को लुटकर भागने वाले बड़े बड़े भगोड़ो के लिए उनको पनाह देने वाले देशो द्वारा कारवाई के समय भगोड़ो को लाने के लिए दुसरे देशो द्वारा खासकर गोरो का देश ब्रिटेन द्वारा गारंटी अथवा जमानत मांगी जाती है कि भगोड़ो को देश वापस ले जाकर उनकी मौत गरिबी भुखमरी से नही होनी चाहिए , और न ही उसके साथ मारपीट होनी चाहिए , बल्कि उनके रहने के लिए मानो ताज होटल जैसी व्यवस्था होनी चाहिए , तब जाकर उन्हे भारत को सौंपा जाएगा | जिस तरह की जमानत देश लुटने वाले बड़े बड़े भगोड़ो की तो ले ली जाती है , पर देश में मौजुद गरिबो की जमानत अथवा गारंटी कोई भी सरकार नही लेती है कि उसे भुख और शोषण अत्याचार से पुरी तरह सुरक्षा प्रदान करेगी | हलांकि 2013 ई० के रिपोर्ट अनुसार ही हर रोज जो 24000 लोग विश्वभर में भुख से मर रहे हैं , उनकी जान की सुरक्षा गारंटी के साथ इसलिए भी नही हो पा रही है , क्योंकि अभी भी विश्वभर में कई देशो को गुलाम करने वालो से पुरी आजादी नही मिली है | जिसके चलते किसी की भी मौत गरिबी भुखमरी से न हो ऐसी गारंटी देनेवाला कोई विश्वस्तर का संगठन न बनकर गरिबी भुखमरी की गारंटी देनेवाली गुलामी को फिर से पुरी दुनियाँ में कायम करने की योजना चल रही है | जिसके लिए कभी पुरी दुनियाँ के दर्जनो देशो को गुलाम करके लुटपाट शोषण अत्याचार करने वाले गोरे अब के समय में भी विश्वभर के देशो को आजादी और सुरक्षा की गारंटी देने की सर्तो पर NATO जैसे विश्वस्तर का संगठन बनाकर दरसल फिर से पुरी दुनियाँ को नए अपडेट के साथ गुलामी की ओर ले जाना चाहते हैं | जो पूँजीवाद से अपना जेब भरने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह ही लुट कंपनी बनाकर विश्वभर में अपना ब्राच फैला रहे हैं | जिस लुट कंपनी का ब्रांच बड़ाने के लिए यह प्रचार प्रसार कर रहे हैं कि जो भी देश उस कंपनी से जुड़ेगा उसे सुरक्षा और आजादी की गारंटी दी जाएगी | जो यह नही बता रहे हैं की लंबे समय से गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार कौन लोग करते आ रहे हैं , जिनसे की पुरी दुनियाँ अब भी पुरी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा है | क्या गुलाम बनाने वाले देश रुस चीन भारत वगैरा ऐसे देश हैं , जिन्हे की गुलाम बनाने वालो ने लंबे समय तक गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार किया है ? बल्कि गुलाम करने वाले तो गोरे और मनुवादि जैसे कबिलई लुटेरे हैं , जिन्हे विश्वभर में कौन इतिहासकार उनके बड़े बड़े कुकर्मो के लिए नही जानता | मनुवादि मनुस्मृति लागू करके बोर्ड लगाते रहे हैं की अंदर शूद्रो का प्रवेश मना है , तो गोरे इस देश को गुलाम करके बोर्ड लगाते थे कि अंदर कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है | जो गोरे ही तो आज के समय में NATO जैसे संगठन का नेतृत्व करके अपनी नई अपडेट लुट कंपनी का ब्रांच स्थापित करने के लिए जिन जिन देशो को भी NATO से जोड़ने के लिए विशेष नजर रखा जा रहा है , वहाँ वहाँ ही रुस यूक्रेन जैसे युद्ध हो रहे हैं | दरसल ये विश्वस्तर का NATO संगठन विश्वभर में फिर से गुलाम बनाकर लुटपाट अन्याय शोषण अत्याचार करने के लिए प्राचिन कबिलई लुटेरो द्वारा गुलाम बनाने वाला संगठन का ही अपडेट वर्जन लाया गया है | जिसे आजादी और सुरक्षा देनेवाला संगठन बताकर पुरे विश्वभर के देशो को गुलाम बनाने का नया अपडेट लुटपाट गुलाम बनाने का अभियान चल रहा है | क्योंकि आजादी और सुरक्षा प्रदान करने की गारंटी देकर रुस यूक्रेन युद्ध बुरे हालात पैदा करके यह NATO संगठन आजादी और सुरक्षा देने का भूमिका अदा कर रहा है कि गुलामी और असुरक्षा देने का भूमिका अदा कर रहा है ? हलांकि गुलाम करने वाले किसी देश को आजादी और सुरक्षा प्रदान करेंगे यह सोचना भी मूर्खता है | खासकर जबतक कि उनके भितर का वह शैतान जिन्दा रहेगा जो कि उन्हे गुलाम बनाकर शैतान सिकंदर की तरह महान बनने के लिए प्रेरित करता रहता है | जैसा की अभी शैतान सिकंदर की तरह महान बनने के लिए NATO को प्रेरित कर रहा है | जाहिर है " NATO संगठन आजादी और सुरक्षा की गारंटी देता है " समझकर जो जो देश भी उसे शैतान सिकंदर की तरह महान समझकर उसके आगे झुकते जाएंगे वह सभी देश NATO का सदस्य बनकर वैसा ही सहयोगी बनेंगे जैसा कि कभी सिकंदर के आगे झुकने वाले सहयोगी बनकर शैतान सिकंदर को विश्व लुटेरा बनने में सहयोग किए थे | जिनका सहयोग लेकर शैतान सिकंदर जिन जिन देशो में भी हमला किया वहाँ वहाँ भारी लुटमार हुई थी | जिसे जो लोग आजादी और सुरक्षा देनेवाला महान सिकंदर था यह बताकर खुद भी सिकंदर की तरह महान बनने की सपने देख रहे हैं , वे दरसल शैतान सिकंदर की तरह खुद भी विश्व लुटेरा शैतान बनने की सपने देख रहे हैं | क्योंकि सत्य यही है कि लुटपाट करना और गुलाम बनाना महानता नही है | बल्कि अपने हक अधिकारो और आजादी के लिए संघर्ष करना महानता है | जिसके लिए ही तो रुस संघर्ष कर रहा है , न कि NATO संघर्ष कर रहा है ? बजाय इसके कि शैतान सिकंदर से शबक लेकर विश्व लुटेरा शैतान सिकंदर को महान न समझकर वाकई में महान बनना चाहते हैं तो उस के लिए उन्हे किसी गुलाम देश को आजाद कराकर वहाँ की गुलाम जनता की जीवन को सुरक्षा प्रदान करें | जो न करके महान बनने की बाते करके जो देश आजाद हैं , या तो फिर अधुरा आजाद हैं , उसे फिर से पुरी तरह गुलाम करने की शैतानी भूमिका NATO अदा कर रहा है | यू ही नही अबतक जहाँ जहाँ भी रुस यूक्रेन युद्ध के हालात पैदा हुए हैं , वहाँ वहाँ इन कथित महान NATO जैसे संगठन से ही आजादी और सुरक्षा को खतरा पैदा होता आ रहा है |  बजाय इसके की जो देश जिनसे गुलाम हैं , उनसे आजादी दिलाकर सुरक्षा प्रदान कराने की महान सोच रखनी चाहिए थी | जैसे की इस कृषि प्रधान देश भारत को आजाद कराओ मनुवादियो से , न कि मनुवादियो से मिलकर और मनुवादियो को अपने संगठन में शामिल करके मिल बांटकर पुरी तरह से गुलाम बनाने और लुटपाट करने की सपने देखकर फूट डालकर भारत पाकिस्तान बंटवारा कराकर रुस यूक्रेन जैसा ही युद्ध के हालात पैदा कराओ  | रुस यूक्रेन का युद्ध हालात भी तो सोवियत रुस को बांटकर पैदा किया गया है | असल में ये कबिलई लुटेरे अब भी अपने पूर्वजो के लुटपाट गुलाम बनाने वाली खास हुनर को ही अपडेट करके आगे बड़ाना नही छोड़ पाए हैं | जबकि उनके भितर समय के साथ इंसानियत का विकाश होकर अपने पूर्वजो की लुटपाट गुलाम बनाने वाली सोच को किसी मल मूत्र की तरह त्यागकर नई ऐसी सोच को अपना लेना चाहिए था , जो कि किसी को गुलाम और लुटपाट करने की न सोचता हो | पर ये गुलाम करने वाले गोरो के नए वंशज भी अपने पूर्वजो की तरह ही अब भी पुरी दुनियाँ में लुटपाट करने की गंदी सोच को ही पकड़कर रखे हुए हैं | जिसके चलते ही तो आज रुस यूक्रेन युद्ध हो रहा है | क्योंकि ये लुटपाट और गुलाम करने की गंदी सोच को यूक्रेन में अपनी कठपुतली सरकार बनाकर जो गंदगी फैला रहे हैं , उस गंदगी को ही तो रुस किसी मल मूत्र की तरह वापस पश्चिम की ओर बहा देना चाहता है | जो गंदगी यूक्रेन में घुसकर सोवियत संघ से अलग हुए सारे देशो में फैल सकती है | खैर ये गुलामी गंदगी फैलाने वाले तो पहले से ही ऐसे रहे हैं , जो की अबतक नही सुधरे हैं , पर जो देश किसी को कभी भी गुलाम नही किए हैं , जो कि गोरो के प्राचिन लुटपाट बिरादरी से भी नही आते हैं , वे भी इनके झांसे में आकर यदि गोरो की तरह ही बनना चाहते हैं तो उन्हे अपने पूर्वजो का इतिहास और अपने भितर मौजुद इंसानियत सोच के बारे में सोचते हुए दुबारा से विचार करना चाहिए ! खासकर उन्हे जरुर यह सोचना चाहिए की गोरे बेहत्तर इंसान बनने की रास्तो में चल रहे हैं कि जिन्हे गोरो ने कभी गुलाम बनाया था वे बेहत्तर इंसान बनने की रास्तो में चल रहे हैं ! हलांकि जिसदिन भी पुरी दुनियाँ को पुरी आजादी मिल जाएगी ऐसे विचार करने की उतनी जरुरत भी नही पड़ेगी | क्योंकि अधुरा आजाद सभी देश पुरी तरह से आजाद होने के बाद विश्वभर के सभी आजाद देश जो की खासकर कभी पुरी तरह गुलाम थे , वे सभी मिलकर ऐसा संगठन जरुर बनाएंगे जो की मानवता कायम करने के लिए ऐसा क्रांतीकारी कार्य करेगा जो की विश्वभर को गरिबी भुखमरी प्रदान करने के बजाय विश्वभर से गरिबी भुखमरी समाप्त करेगा | जिसके लिए भले क्यों न विश्वभर के धन्ना कुबेर जिनके पास इस गुलामीकाल के दौरान असंतुलित विकाश का दौर में इतना दौलत जमा हो गया है , जितना की विश्वभर के 99% आबादी के पास भी नही है , उस दौलत को संतुलित रुप से खर्च करके पुरे विश्व की गरिबी भुखमरी को दुर करना पड़े | क्योंकि भुख से जो विश्वभर में हर साल पोने एक करोड़ से अधिक मौते हो रही है , उनकी जान की किमत भी इंसान की जान की किमत है | न कि सिर्फ जो लोग अमिर हैं वही सिर्फ इंसान हैं | और किसी की जान की किमत से ज्यादा किमत इस असंतुलित विकाश का दौर में किसी धन्ना कुबेर के पास अति जमा धन की किमत नही है | जो अतिरिक्त धन किसी धन्ना कुबेर को उसे दुबारा जीवन जीने का उम्र तो कभी प्रदान नही कर सकता , पर अनगिनत लोगो को भुख से मरने से जरुर रोका जा सकता है | क्योंकि दुनियाँ का कोई भी इंसान चाहे वह गरिब हो या फिर कोई धन्ना कुबेर हो इस दुनियाँ में अपनी माँ की पेट से न एक पैसा लेकर आया था , और न ही एक पैसा लेकर वापस जाएगा | पर यदि किसी का अतिरिक्त धन सही हाथो से सही तरिके से खर्च हो जाय तो पुरी दुनियाँ से गरिबी भुखमरी समाप्त हो जाएगी | जिसके बाद हर रोज जो हजारो मौते भुख से हो रही है , वह हजारो जान बच सकती है | जैसे की यदि कोई व्यक्ती कतार में बैठकर भोजन करते समय अपनी थाली में इतना सारा खाना ले रखा हो कि उसे वह खा नही सकता , और यदि जोर जबरजस्ती भी खाएगा तो अति खा खाकर उसकी पेट फटकर उसकी मौत होने की पुरी संभावना है , तो फिर ऐसी हालत में वह व्यक्ती भुख से मर रहा किसी दुसरे व्यक्ती को क्यों नही अपना अतिरिक्त खाना को बांटकर उसका भी पेट भर सकता है | भूख से किसी की जान जाने से रोकने में कम से कम इंसानियत के नाते तो कोई ऐसा फैशला कर सकता है , यदि उसे लगता हो कि उसके अंदर भी इंसानियत मौजुद है ! जिससे उसके साथ ऐसा क्या हो जाएगा कि उसके लिए किसी की जान की किमत से भी ज्यादे किमत उसका अतिरिक्त खाना साबित हो जाएगा , जिसे वह खा नही सकता | और न ही वह जब मरेगा तो उसे अपने साथ ले जाएगा | गरिब को दान करने की विचार तो चोर लुटेरे भी करते रहते हैं ,पर ऐसा विचार आजतक पुरी दुनियाँ में किसी के भी द्वारा इसलिए नही किया गया , क्योंकि पुरी दुनियाँ में अबतक किसी गरिब इंसान की जान की किमत से ज्यादा किमत किसी धन्ना कुबेर की अति धन या फिर अपनी झुठी शान को समझा जाता रहा है | बल्कि धन्ना कुबेरो के धन में जरा सी भी कमी आने पर किसी धन्ना कुबेर का दिवाला निकल गया या फिर उसकी शान में कमी आई है कहकर खबरो में ऐसी चिंता होने लगती है , जैसे की अब वह धन्ना कुबेर सरकार से अपना गरिब बीपीएल कार्ड बनाकर गरिबी भुखमरी जीवन जिनेवाला है | पर पहले से ही हर रोज विश्वभर में 2013 ई० की रिपोर्ट अनुसार ही 24000 लोग भूख से मर रहे हैं , उसकी चिंता ऐसी खबरो में सायद ही कभी होती है | क्या ये भुख से मरने वाले लोग इंसान नही हैं | और तो और विश्वभर में हर रोज 24000 लोग जो भुख से मर रहे हैं , उनमे 18000 तो सिर्फ बच्चे हैं , जिन्हे दुनियाँ देखने से पहले ही गरिबी भुखमरी देकर मार दिया जा रहा है | जिन बच्चो में सबसे अधिक बच्चे भारत में मर रहे हैं | 

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