Worry about petrol costlier due to Russia Ukraine war,Why is there no concern about blood being cheap? part 7
रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 7
कहने को तो यह कृषि प्रधान देश भारत 1947 ई० में ही आजाद हो गया है , पर सच्चाई यही है की यह देश अब भी पुरी तरह से आजाद नही हुआ है | जिसके चलते इस सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने वाला देश में भी हर रोज शोषण अत्याचार और गरिबी भुखमरी से हजारो मौते होना अब भी जारी है | पर उन मौतो की खबरे सायद ही कभी ऐसी चलती है , जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध के दौरान हुई बमबारी से होनेवाली मौत की खबरे हर पल चल रही है | जबकि इस गुलामकाल में गरिब के लिए क्या बड़ा शहर और क्या गांव सभी जगह उसके जीवन में मौत का मंडराना रोजमरा जीवन का हिस्सा बना हुआ रहता है | जैसे की भारत के बड़े बड़े शहर हो या फिर गांव सभी जगह लाखो करोड़ो गरिब जो रह रहे हैं , उनके जीवन में हर रोज गरिबी भुखमरी का बमबारी होना हर पल जारी है | जिसकी वजह से हर पल मौत मंडरा रहा होता है | बल्कि अधुरी आजादी प्राप्त किया इस देश में 2013 ई० की रिपोर्ट अनुसार ही हर रोज 6000 मौते भुख से जो हो रही है, वह तबतक नही रुकेगी जबतक की गुलामी की वजह से गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार की बमबारी होती रहेगी | क्योंकि गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार की बमबारी ऐसी अधुरी आजादी मिलकर समाप्त होना नामुमकिन है | क्योंकि गुलाम करने वाले लोग देश में अपनी दबदबा कायम करके लुटपाट जारी रखते हुए कभी भी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार को समाप्त होने नही देंगे | पुरे विश्वभर में गुलाम करने वाले ही तो सैकड़ो हजारो सालो से गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार का सबसे अधिक बमबारी करते आ रहे हैं | हाँ यदि अधुरा आजाद भारत की सत्ता में इस देश के मुलनिवासी अपनी दबदबा कायम करके इस देश को गुलाम करने वालो के जीवन में भी गरिबी भुखमरी का बमबारी अपने हक अधिकारो को छिनकर करने लगे तो निश्चित तौर पर इस देश को गुलाम करने वाले भी अच्छी तरह से समझना सुरु कर देंगे की गुलाम होकर गरिब बने लोगो के खुन की किमत क्या होता है | वह भी वह गरिब जो की अपने देश की धन संपदा अनुसार तो कभी गरिब था ही नही , उसे तो गुलाम करने वालो ने उनके हक अधिकारो में कब्जा करके गरिब बनाया है ! जो उस देश का मुलनिवासि है , जहाँ गुलाम करने वाले कब्जा जमाकर मानो दुसरो के टुकड़ो में पल तो रहे होते हैं , पर खुदको राजा बनाए रहते हैं | जैसे की गोरे दो सौ सालो तक इस देश को गुलाम बनाकर राजा बनकर पलते रहे | जाहिर है गरिबी भुखमरी इस देश में गुलाम करने वालो ने खुदको इस देश का शासक बनाकर दिया है , और आज भी दी जा रही है | यू ही नही इस देश के मुलनिवासियो द्वारा शोषण अत्याचार करने वालो से पुरी आजादी की मांग उठते रहती है | जिन शोषण अत्याचार करने वालो को भी अपनी मौत की चिंता होनी चाहिए ! न कि ये लोग अमर हैं , इसलिए इन्हे मौत की चिंता कभी नही करनी चाहिए ! बल्कि गुलाम देश में जो लोग भी गरिबी भुखमरी से होनेवाली मौतो की चिंता नही करते और दिन रात AC गाड़ी में घुमते हुए पैट्रोल महंगा हो जाएगा इसकी चिंता ज्यादे करते हैं , उनको भी कभी ऐसी युद्ध के बाद अपनी मौत के साथ साथ गरिबो की भी मौत की चिंता जरुर होनी चाहिए ! न की सिर्फ युद्ध के बाद पेट्रोल महंगा हो जाएगा ऐसी चिंता दिन रात करके दरसल गरिब का खुन सस्ता है , यह यहशास दिलाते रहे | जो यहशास खासकर उन लोगो को दिलाते रहते हैं जो कि हर रोज गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से होनेवाली मौत के कारनो से अपने ही देश में संघर्ष कर रहे होते हैं | जिन्हे उनके अपने ही देश में भी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मरते हुए सरकार नही रोक पाती है | क्योंकि अधुरा आजाद देश की सत्ता गुलाम करने वालो के कब्जे में होती है | जैसे की इस कृषि प्रधान देश की सत्ता गुलाम करने वाले मनुवादियो के कब्जे में है | जिसके चलते लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो का ही दबदबा कायम है | जो दबदबा कभी भी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार को समाप्त नही होने देगी | जबतक की यह देश पुरी तरह से आजाद नही हो जाता | और किसी भी देश के लिए किसी युद्ध से ज्यादे खतरनाक गुलामी होती है | जिसकी चिंता सबसे अधिक होनी चाहिए | गुलाम करने वाले लोग देश गुलाम करके बिना गोला बारुद बमबारी किए भी गरिबी भुखमरी का बमबारी करके हर रोज सबसे अधिक लोगो को मारते पिटते रहते हैं | जो गरिबी भुखमरी देकर सबसे अधिक मौते देते हैं | जिन्हे मैं किसी आतंकवादियो से भी ज्यादे मौते देनेवाले लोग मानता हूँ ! जो कि सबसे अधिक मौत वाकई में देते भी हैं , जिसे इतिहास पलटकर देखा जा सकता है की गुलामी जिस देश में भी कायम जबतक रहता है , तबतक वहाँ कितने लोगो की मौते गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से हुई रहती है ? जैसे की उदाहरन के तौर पर जिसदिन यह देश पुरी तरह से आजाद हो जाएगा उसदिन पुरा पुराना इतिहास पलटकर आंकड़ा जुटाया जा सकता है कि यह देश गुलाम होने के बाद पुरी तरह से आजाद होने तक कितने लोग यहाँ पर गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मरे ? उसके बाद उस आंकड़े को कितने लोग कसाब जैसे आतंकवादियो से मरे उससे तुलना करके पता किया जा सकता है कि सबसे अधिक मौत देनेवालो में आतंकवादी ज्यादे खतरनाक होते हैं कि गुलाम करने वाले लोग ज्यादे खतरनाक होते हैं ? बल्कि मैं तो कहूँगा ये आतंकवाद भी गुलाम करने वाले ही पैदा करते हैं | ताकि आतंकवाद का डर पैदा करके गरिबी भुखमरी से होनेवाली मौतो से ध्यान हटाया जा सके ! क्योंकि गरिबी भुखमरी की मूल जड़ो को जैसे जैसे लोग जानने लगेंगे वैसे वैसे उन्हे पता चलने लगेगा की सबसे ज्यादे मौते गुलाम करने वाले लोग देते हैं | इसलिए सबसे अधिक जान बचाने के लिए सबसे जरुरी गुलामी से पुरी आजादी पाना होता है | जो आजादी यदि न हो तो गुलामी में आतंकवाद से भी ज्यादे खतरनाक गरिबी भुखमरी से सबसे अधिक मौते होनेवाली बुरे हालात पैदा होते हैं | जो की आतंकवादियो से भी ज्यादे मौते गुलामी देती है | विश्वभर में यू ही नही 2013 ई० की ही रिपोर्ट अनुसार हर रोज 24000 मौते सिर्फ भूख से हो रही है | जिनमे अकेले 6000 मौते तो सिर्फ भारत में हर रोज हो रही है | क्योंकि यह देश अब भी पुरी तरह से आजाद नही है | जिन आंकड़ो से भी साफ पता चलता है कि कसाब जैसे आतंकवादियो द्वारा दिए गए मौत का आतंक से बड़ा आतंक गुलामी देने वाले पैदा करते हैं | वैसे कहीं पर देख सुन रहा था कि बहुत से आतंकवादी भी खुदको बुराई के खिलाफ लड़ाई करने वाले वीर रक्षक ही समझते हैं | जैसे की आजादी के लिए संघर्ष कर रहा व्यक्ती खुदको आजादी का वीर रक्षक समझता है | मसलन यदि गोरो या मनुवादियो से आजादी पाने के लिए संघर्ष कर रहा व्यक्ती खुदको वीर रक्षक समझता है तो अरब में जिन्हे आतंकवादी या फिर भारत में जिन्हे नक्सलवादी कहा जाता है , वे लोग भी खुदको पुरी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा वीर रक्षक ही समझते हैं | जिन दोनो ही संगठनो को मैं ऐसा मानता हूँ की यदि अरब या भारत में भी पुरी आजादी मिली होती और गरिबी भुखमरी का कहीं पर भी नामो निशान नही रहता तो यह आतंकवाद नक्शलवाद कभी रहता ही नही ! आतंकवाद और नक्सलवाद को ये गुलाम करने वाले ही अपने द्वारा गरिबी भुखमरी और अन्याय अत्याचार स्थापित करके पैदा कराते हैं | ताकि आतंकवाद और नक्सलवाद पैदा करके प्रकृति खनिज संपदा को बेहत्तर तरिके से लुट सके | क्योंकि आतंकवाद और नक्सलवाद से इन्हे अपनी लुट करते समय कोई खास परेशानी नही होती | चाहे अरब में तेल की लुट करते समय हो या फिर भारत और अफ्रीका में खनिज संपदा की लूट करते समय हो | जिसका सबसे प्रमुख वजह यह भी है कि ये आतंकवादी या नक्सलवादी खुदको तो ऐसे धन संपदा की लुट करने वालो के खिलाफ लड़ाई करने वाले वीर रक्षक ही बताते हैं , पर उनकी लड़ाई से ऐसे प्रकृति धन संपदा की लूट करने वालो की सत्ता को कोई खास खतरा नही होता है | बल्कि गुलाम करने वाले लोग आतंकवाद और नक्सलवाद को अपने लुटपाट की काली कमाई से खुल जा शिमशिम कहकर कुछ हिस्सा खर्च करके धन संपदा की लुटपाट करते समय ये उन्हे अपनी ढाल की तरह विशेष इस्तेमाल भी करते आ रहे हैं | और आतंकवाद और नक्सलवाद को अपनी हथियार भारी तादार में उपलब्ध कराकर मौत का व्यापार भी करते रहे हैं | जो हथियार ऐसे लुट करने वालो की जान का दुश्मन नही बनता , बल्कि उस हथियार से निर्दोश लोगो की ही मौत भारी तादार में होती रही है | जिससे भी ज्यादे मौते लुटपाट करने वालो के द्वारा शोषण अत्याचार करने और प्रकृति धन संपदा की लुट से जो भुख और गरिबी पैदा होती है , उससे मौते होती है | जैसे की चाहे अफ्रीका हो या फिर भारत दोनो ही देशो में प्रकृति खनिज संपदा का अंबार होते हुए भी गरिबी भुखमरी से सबसे अधिक मौते हो रही है | यही हाल अरब में भी है , वहाँ भी प्रकृति तेल का अंबार होते हुए भी भारी तादार में वहाँ के मुलनिवासि गरिबी भुखमरी से मारे जा रहे हैं | जो मौते नही होती यदि ये लुटपाट करने वालो की गंदी नजर ऐसे प्रकृति धन संपदा वाले देशो में नही होती ! जिनकी नजर रुस और चीन में भी सुरु से इसलिए रहा है , क्योंकि वहाँ भी प्रकृति खनिज संपदा का अंबार है | जाहिर है रुस यूक्रेन युद्ध और आतंकवाद नक्सलवाद जैसे बुरे हालात जहाँ भी कायम है , समझो वहाँ पर पुरी आजादी कायम नही है | और गुलाम करने वालो के द्वारा या तो वहाँ के धन संपदा की लुट होना जारी है , या फिर लुटपाट की विशेष तैयारी चल रही है | जिसकी वजह से जाहिर है जहाँ जहाँ भी गुलाम करने वालो की गंदी नजर पड़कर लुटपाट सुरु हो जाता है , वहाँ पर गरिबी भुखमरी शोषण अत्याचार बड़ना जारी रहता है | साथ ही आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी समस्या भी जारी रहता है | भारत में भी नक्सलवाद इसलिए अबतक कायम है , क्योंकि यहाँ पर लुटपाट अन्याय अत्याचार अथवा गुलामी भी अबतक कायम है | पुरी आजादी अब भी नही मिली है इस देश को उन विदेशी मूल के लोगो से जो अबतक भी इस देश के धन संपदा इस देश के मुलनिवासियो के हक अधिकारो को लुटते हुए शोषण अत्याचार कर रहे हैं | यू ही नही यूक्रेन रुस युद्ध जैसे हालात पुरी दुनियाँ के कई देशो में मंडराते रहते हैं | जिस तरह का युद्ध होता है तो गुलाम करने वालो के भितर भी मौत का डर मंडराने लगता है | जिन गुलाम करने वालो के लिए किसी गरिब का खुन सस्ता होता है | जिसकी वजह से वे हर रोज गरिबो को मरते हुए देखकर भी वैसी चिंता नही करते जैसे की इस तरह के युद्ध कभी कभार भी यदि होने की वजह से कुछ मौते रोज होने लगती है तो दिन रात चिंता बड़ जाती है | क्योंकि उन कुछ मौतो में उन लोगो की भी मौते होने की बराबर संभावना होती है , जिनके लिए गरिब का खुन सस्ता रहता है | हलांकि मैं यह भी मानता हूँ कि ऐसे युद्ध की नौबत कभी कोई देश में आए ही नही ! क्योंकि आजादी के लिए लड़ी जा रही ऐसे युद्धो में भी निर्दोश लोग ही ज्यादे मारे जाते हैं | जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध में चाहे यूक्रेन के मुलनिवासि मर रहे हैं , या फिर रुस के मुलनिवासि , आखिर दोनो का देश तो पहले एक ही था | जैसे की कभी भारत पाकिस्तान एक था | इस तरह के युद्ध की नौबत तो सोवियत संघ को गुलाम करने वालो द्वारा लगभग पंद्रह टुकड़ो में बांटे जाने के बाद आई है | जिससे पहले यूक्रेन नाम का कोई देश दुनियाँ के नक्से में था ही नही ! जैसे की अखंड भारत गुलाम होने से पहले पाकिस्तान नाम का कोई देश दुनियाँ के नक्से में था ही नही ! अभी जो पाकिस्तान देश कहलाता है उसको भी विश्वभर में भारत के नाम से जाना जाता था | यू ही नही भारत पाकिस्तान बंटवारा के समय दोनो ही जगह लाखो करोड़ो लोग दुःखी थे | जो कभी भी भारत पाकिस्तान बंटवारा करना नही चाहते थे पर फिर भी बंटवारा कर दिया गया | क्योंकि देश जब गुलाम रहता है तो उस समय गुलामो के फैशले ज्यादे महत्व नही दिए जाते हैं | बल्कि उनके फैशले को ज्यादे महत्व दिए जाते हैं जिनसे देश गुलाम किए जाते हैं | जाहिर सी बात है कि रुस यूक्रेन के मुलनिवासि एक ही पूर्वज के वंसज होंगे , जो भी सोवियत रुस को इतने टुकड़ो में बंटते हुए देखना नही चाहे होंगे | जैसे की भारत पाकिस्तान के मुलनिवासि जो कि एक ही पूर्वज के वंसज हैं वे चाहे जिस धर्म में भी भारत पाकिस्तान का बंटवारा के समय होंगे वे नही चाहे होंगे कि भारत पाकिस्तान बंटवारा हो | और न ही वे कभी ये चाहते होंगे कि देश बंटने के बाद भारत पाकिस्तान युद्ध होता रहे | क्योंकि ऐसे युद्धो में मुलनिवासियो की मौत ही सबसे अधिक हो रही होती है | न की बाहर से आए यहूदि और गोरो या फिर मनुवादियो की मौते हो रही होती है | ऐसे लोग तो ज्यादेतर दुर में भी बैठकर अपना कठपुतली बैठाकर उसे युद्ध का सामान बेचकर या फिर सहायता के नाम से फ्री देकर मानो मौत का व्यापार कर रहे होते हैं | जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध में भी कर रहे होंगे | जिस युद्ध में उनकी तो मौत नही होगी पर रुस यूक्रेन के मुलनिवासि लोगो की मौते हर रोज जरुर हो रही है | चाहे सेना बनकर लड़ते हुए हो रही है या फिर बिना लड़े हो रही है | यूक्रेन रुस दोनो ही जो दावा कर रहे हैं कि उन्होने इतने हजार सैनिक मारे हैं , उन सैनिको में ज्यादेतर रुस यूक्रेन के मुलनिवासि ही होंगे ! और बाकि मरने वालो में भी ज्यादेतर वहाँ के मुलनिवासि ही होंगे | रुस यूक्रेन युद्ध में बहुत कम ऐसे लोगो की मौते हुई होगी जो की रुस यूक्रेन के मुलनिवासि नही बल्कि दुसरे देशो के मुलनिवासि होंगे | जिनमे से भी यूक्रेन में बाहर से आए ज्यादेतर लोग तो जल्दी से जल्दी यूक्रेन छोड़कर जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं | क्योंकि उनको रुस यूक्रेन युद्ध विवाद से कोई खास लेना देना नही है | बल्कि रुस यूक्रेन युद्ध विवाद तो कभी था ही नही जबतक कि ये यूरोप अमेरिका में बैठे गुलाम करने वाले कबिलई चुड़ैलो द्वारा अपने पैरो में पुँजीवाद का पायल पहनकर घुम घुमकर आपस में फूट डालकर रुस को कई टुकड़ो में बांटा नही गया | जिसके बाद यूक्रेन में अपनी कठपुतली सरकार बनाकर युद्ध के हालात पैदा किए गए | जिस तरह के हालात एशिया ही नही अरब और अफ्रीका के भी कई देशो में इन कबिलई चुड़ैलो द्वारा पैदा किए जाते रहे हैं | इतिहास रहा है कि गुलाम करने वाले चुड़ैल लुटेरो द्वारा ऐसे हालात पैदा करके युद्ध जबरजस्ती थोपा जाता है | जिन चुड़ैलो के खिलाफ ही आजादी की लड़ाई चल रही होती है | जिस आजादी को प्राप्त करने के लिए न चाहते हुए भी युद्ध करने पड़ते हैं | क्योंकि ये चुड़ैले जिन्हे अपना कठपुतली बनाकर अपनी दबदबा कायम किए होते हैं , उस कठपुतली की खास सहायता से ही गुलामी कायम हो जाती है | जिस गुलामी से आजादी दिलाने के लिए जंग भी लड़ी जाती है | इसलिए यदि रुस यूक्रेन युद्ध आजादी के लिए लड़ी जा रही है तो वह गलत नही है | पर सर्त है आजादी के लिए जिस सरकार के खिलाफ युद्ध किया जा रहा हो वह सचमुच में आपस में फूट डालकर गुलाम करनेवाले विदेशी ताकतो के हाथो कठपुतली बनकर इस्तेमाल हो रहा हो | जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध में यदि बात आजादी की है कि गुलाम करने वाले विदेशी कबिलई लुटेरे चुड़ैलो ने दुर विदेशो में बैठे बैठे फूट डालो राज करो की नीति से यूक्रेन को रुस से अलग थलग कर दिया है | जिसके चलते यदि यह युद्ध हो रहा है तो यह युद्ध पुरी आजादी के लिए आपसी फाईनल बातचीत करके ही रुके | बल्कि यदि बातचीत से आजादी कायम होता है तो युद्ध समाप्त होनी चाहिए | और रुस यूक्रेन यदि कभी एक थे जो की सोवियत संघ थे भी , जिसे गुलाम करने वाले चुड़ैलो ने फूट डालो राज करो की नीति के तहत उकसाकर कई टुकड़ो में बांटा है | जिसके बाद यूक्रेन में अपनी कठपुतली सरकार बनाकर आपस में लड़ाकर दुर कहीं बैठकर या तो यूक्रेन को अपने हाथो से जाते हुए देख रहे हैं , या फिर इस तरह के युद्ध होने के बाद कई और कठपुतली सरकार बनाने की सपने देख रहे हैं | इसलिए रुस यूक्रेन को तो वापस एक होकर शांती स्थापित करके पहले से भी और बड़ी महाशक्ति बनना चाहिए | ऐसी महाशक्ती जो गुलाम करने वालो से पुरी दुनियाँ के ऐसे देशो को पूर्ण रुप से आजाद कराये जहाँ की सत्ता पर अब भी विदेशी कबिलई लुटेरे चुड़ैलो का ही कब्जा है | जहाँ पर कठपुतली सरकार बनाकर दुर बैठकर फूट डालकर राज किया जा रहा है | क्योंकि ये गुलाम करने वाले लोग अपनी कठपुतली सरकार बनाने की सोच को तबतक नही बदल सकते , जबतक कि उन्हे यह गलतफेमी रहेगी कि उनकी ऐसी सोच ही पुरी दुनियाँ में सबसे विकसित सोच है | ऐसी विकसित सोच जिससे की किसी देश को गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार किया जाता है | क्या ऐसी गुलाम बनाने वाली सोच वाकई में सबसे विकसित सोच होती है ? फिर आखिर क्यों विश्वभर में ऐसी सोच से पुरी आजादी के लिए कई देश आज भी संघर्ष कर रहे हैं | जिनमे से एक देश भारत भी है | जिसे भी अबतक ऐसी गुलाम करने वाली मनुवादि सोच से पुरी आजादी नही मिली है | हलांकि ऐसी सोच से आजादी पाने के लिए संघर्ष करते समय जान माल की बहुत हानी तो होती ही है , पर गुलाम करने वालो द्वारा आपस में फूट डालकर अलग थलग अथवा खंड खंड रहने से गुलाम बनाने वालो की दबदबा में तो सबसे अधिक जान माल की हानि होती रहती है | क्योंकि आपस में फुट डालकर गुलाम करने वालो द्वारा कहीं दुर बैठकर भी देश गुलाम करके देश के मुलनिवासियो को गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार देकर हर रोज मारा जाता है | और हर रोज हक अधिकार लुट लुटकर खुदके लिए सारी सुख सुविधाओ का इंतजाम करके झुठी शान की जीवन जीया जाता है | जैसे की इस कृषि प्रधान देश में विदेशी मुल के कबिलई लुटेरे चुड़ैलो द्वारा गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार देकर हर रोज अनगिनत लोगो को मारते हुए फूट डालकर राज किया जा रहा है | जिन गुलाम करने वालो से पुरी आजादी ही सबसे बड़ी क्रांतीकारी परिवर्तन है | जैसे की जो जो देश भी पुरी तरह से आजाद हुए हैं , वहाँ पर भारी क्रांतीकारी परिवर्तन हुए हैं | इस कृषि प्रधान देश भारत में भी ऐसे भारी क्रांतीकारी परिवर्तन तब आएंगे जब यह देश पुरी तरह से आजाद हो जाएगा |
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