Worry about petrol costlier due to Russia Ukraine war,Why is there no concern about blood being cheap? part 4


रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 4

khoj123


रुस यूक्रेन युद्ध के बारे में बहुत से लोग यह भी चिंता जता रहे हैं की यह युद्ध तीसरा विश्वयुद्ध की सुरुवात है  | जिसके बारे में तो मैं यही कहना चाहूँगा की पिछले दो विश्वयुद्ध ही नही बल्कि रुस यूक्रेन युद्ध जैसे तमाम युद्धो में भी उतनी मौते नही हुई है , जितनी की उस समय गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से सिर्फ चंद सालो में हुई है | क्योंकि तब कई दर्जन देश गुलाम थे , जिसकी वजह से जो लुटपाट शोषण अत्याचार हुई थी , उससे गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से भारी तादार में बड़कर इतने लोगो की मौते हुई थी की उसे यदि दो विश्वयुद्ध ही नही बल्कि तमाम ऐसे युद्धो में हुई मौतो से तुलना किया जाय तो भी उतनी मौते नही हुई थी जितनी की कई देश गुलाम किए जाने के बाद वहाँ पर सिर्फ चंद सालो में ही गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से हुई थी | और यदि सभी गुलाम देशो में जो गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मौते हुई है , उसे यदि जोड़ा जाय तो इतने लोगो की गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मौत हुई है , जितने की अभी कई गुलाम करने वाले सारे देशो की पुरी आबादी जोड़ने पर भी कम पड़ जाएंगे | जिस तरह की मौते पुरी दुनियाँ में आज भी जारी है | जो मौते कितनी हो रही है , इसका अनुमान जैसा कि सिर्फ एक उदाहरन से पता किया जा सकता है की 2013 ई० की एक रिपोर्ट अनुसार अधुरा आजाद भारत में ही सिर्फ हर रोज 6000 लोगो की मौत सिर्फ भुख से हो रही है | इस देश की आधी से अधिक आबादी गरिबी भुखमरी जीवन जीते हुए हर पल मौत से संघर्ष कर रहा है | जिन भूख से मरने वालो में बच्चे बुढ़े और महिलाओ की आबादी सबसे अधिक है | रुस यूक्रेन युद्ध में बच्चे महिलाओ की दुःखभरी चेहरे को हर पल खबरो में दिखाकर जो दर्द लोगो के दिलो में महसुश कराया जाता है , वह दर्द ऐसे न्यूज चलाने वाले कभी गरिबी भुखमरी से मरने वाले बच्चे महिलाओ की दुःखभरी चेहरे को भी दिखाकर पुरी दुनियाँ को यह महसुश कराया जाय कि हर रोज लाखो करोड़ो बच्चे महिलायें और बुढ़े भी भुखा पेट सोकर मानो आँख में आँसू और पेट में दर्द लिए सोने की कोशिष कैसे कर रहे होते हैं | जो महसुश यदि किसी खाते पिते परिवार को नही होता हो तो भुखा पेट कभी पुरा परिवार दो चार रात खुद भी सोकर देखे कि उन्हे ठीक से नींद आती है कि नही आती है ! वह भी वैसी नींद जिसमे यह भी संभावना बना रहता है कि लंबे समय से भुख और कुपोषण से सोने के बाद सुबह सुरक्षित आँख खुलेगी भी की नही ! जिस तरह की मौते नही होती यदि यह देश पुरा आजाद होकर गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से पुरी तरह आजाद होता | जिन मौतो के लिए गुलाम बनाकर हक अधिकारो को लुटकर शोषण अत्याचार करने वाले लोग प्रमुख जिम्मेवार हैं | जिन्हे तो मैं रुस यूक्रेन जैसे युद्ध को भी कराने में प्रमुख जिम्मेवार मानता हूँ | जिनके द्वारा दी गयी गुलामी से आजादी पाने के लिए भी युद्धे होती रही है | जैसे कि गोरो ने कई देशो को जो गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार किया था , उस समय भी आजादी पाने के लिए बहुत से युद्ध लड़ी जा रही थी | क्योंकि पुरी दुनियाँ में घुम घुमकर कबिलई लुटेरे बहुत सारे देशो को गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार कर रहे थे | जिन गुलाम देशो में बहुत से देश तो विश्वयुद्ध होने के बाद ही पुरी तरह से आजाद हो पाए थे | विश्वयुद्ध नही होता तो सायद वे लंबे समय तक आजाद नही हो पाते | पर चूँकि विश्वयुद्ध होने के बाद गुलाम करने वालो की कमर टुट चुकी थी , इसलिए कई गुलाम देश विशेष मौका का फायदा उठाते हुए विश्वयुद्ध होने के बाद आजाद हो गए थे | जहाँ पर अब मुलनिवासियो की सत्ता कायम हो चूका है | जिस तरह के देशो में आजादी मिलने के बाद गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से होनेवाली मौतो में भारी कमी होते हुए क्रांतीकारी परिवर्तन हुए हैं | क्योंकि देश आजाद होने के बाद गुलाम करने वालो द्वारा धन संपदा की लूट रुक जाती है , जिससे की गरिबी भुखमरी दुर होने में रफ्तार आती है | क्योंकि गुलाम करने वाले लोग देश को लुटकर गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मौत भी देते हैं | जैसे की अब भी विश्वभर के जिन जिन देशो में भी पुरी आजादी नही मिली है , वहाँ वहाँ की धन संपदा को लुटकर गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार देकर मौते देना जारी है | वह भी इतनी ज्यादे तादार में की यूक्रेन रुस युद्ध में होनेवाली मौते उसके सामने बहुत कम है | बल्कि विश्वयुद्ध यदि नही होता तो गोरे और भी लंबे समय तक कई देशो को गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार करते हुए और भी लाखो करोड़ो लोगो को गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से मारते ! जैसे की अब भी जिन देशो को अधुरी आजादी मिली है , वहाँ के मुलनिवासियो के साथ शोषण अत्याचार जारी है | क्योंकि वहाँ पर पुरी आजादी अभी बाकि है | खासकर एशिया अफ्रीका और अरब के कई देशो में अब भी गुलामी कायम है | बल्कि मैं तो यह मानता हूँ कि अमेरिका को भी अबतक पुरी आजादी नही मिली है | वह भी देश अब भी गुलाम करने वालो की जकड़ में है | और अमेरिका को जकड़ने वाले लोगो की वजह से ही अमेरिका को पुरी दुनियाँ में दादागिरी करने के लिए भी जाना जाता है | जो दादागिरी पहचान अमेरिका के माया सभ्यता वाले लोगो की पहचान कभी नही रही है | बल्कि दादागिरी करने वाले ही अमेरिका की माया सभ्यता का विनाश करके और अमेरिका में अपनी दबदबा कायम करके आज पुरी दुनियाँ में दादागिरी करने के लिए जाने जाते हैं |  यू ही नही वहाँ पर भी गोरा काला रंगभेद विवाद समय समय पर चलते रहते हैं | ये दादागिरी करने वाले ही भेदभाव शोषण अत्याचार करते रहे हैं | क्योंकि आजाद घोषित होते हुए भी उस देश को इनकी दादागिरी से पुरी आजादी नही मिली है | जैसे की यह कृषि प्रधान देश भारत जहाँ के मुलनिवासियो को अब भी मनुवादियो की दादागिरी से पुरी आजादी मिलना बाकी है | जिन लोगो की दादागिरी को ही रुस यूक्रेन जैसे युद्ध जब होते हैं , तो सबसे अधिक खतरा मंडराने लगता है | जैसे की जब विश्वयुद्ध हुआ था तो इनकी दादागिरी को सबसे अधिक खतरा मंडराया था , और कई गुलाम देश आजाद हो गए थे | जाहिर है यदि दो विश्वयुद्ध अधुरी आजादी के लिए झांकी थी तो तीसरा विश्वयुद्ध के बाद पुरे विश्व में जो भी देश अबतक भी पुरी तरह से आजाद नही हुए हैं , वे सभी तीसरा विश्वयुद्ध के बाद पुरी तरह से आजाद हो जाएंगे | क्योंकि दो विश्वयुद्ध के बाद गुलाम करने वालो की कमर टुटकर कई देश जिन्हे वे गुलाम बनाए हुए थे वे उनके हाथ से निकल गए थे | जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध के बाद मुमकिन है गुलाम करने वालो के हाथो से गुलाम किए कई क्षेत्र निकलने वाले हैं | इसलिए भी मैं कहता हूँ ऐसी युद्ध विश्वभर के उन देशो में लगातार होते ही रहना चाहिए जहाँ पर विदेशी कबिलई लुटेरो की शैतानी सोच से अब भी गुलामी कायम है | और जहाँ पर अब भी आजादी का आंदोलन चल रहा हो ! जिन देशो में अब भी विदेशी मूल के गुलाम करने वाले फूट डालो राज करो की नीति अपनाकर देश को कई टुकड़ो में बांटकर दुर में भी बैठकर राज कर रहे होते हैं | जहाँ पर पुरी आजादी आंदोलन चलते रहनी चाहिए जबतक की देश को पुरी तरह से आजादी न मिल जाए | यूक्रेन में भी आजादी का ही तो आंदोलन चल रहा था , जिसके बाद यह नौबत आई है | यूक्रेन की सत्ता गुलाम करने वाले विदेशी मुल के इसारो पर चल रहा है | जिस बात का एक खास उदाहरन कहीं पर देख सुन रहा था की यूक्रेन की सत्ता अमेरिका में बैठे यहूदियो और गोरो के इसारो पर चलकर ही यह युद्ध वाली नौबत आई है | यूक्रेन का राष्ट्रपति भी यहूदि परिवार से है | इसलिए भी सायद पुतिन को आधुनिक हिटलर बताया जा रहा है | क्योंकि हिटलर ने यहूदियो का भारी विनाश किया था | जबकि यूक्रेन न तो यहूदि राष्ट्र है , और न ही गोरो का राष्ट्र है , फिर यूक्रेन में वहाँ के मुलनिवासियो की खास दबदबा क्यों नही है ? क्यों यूक्रेन में यहूदि राष्ट्रपति के खिलाफ आजादी आंदोलन चल रहे हैं ? जिसके चलते रुस को यह कदम आजादी को मान्यता देने के लिए यह कहकर उठाना पड़ रहा है कि यूक्रेन की सेना सत्ता पल्टी करे | जाहिर है रुस को भी चूँकि कई टूकड़ो में बंटते हुए इतिहास दर्ज है | जिसके बारे में कहीं पर बताया गया की अखंड रुस को भी बांटकर लगभग पंद्रह देश बनाया गया है | इसलिए जाहिर सी बात भी है कि रुस और उससे अलग हुए उसके अपने अंग भी गुलाम करने वालो से पुरी तरह सुरक्षित नही है | क्योंकि अखंड रुस को भी पश्चिमी कबिलई लुटेरे जिनका की लंबा इतिहास रहा है पुरी दुनियाँ में घुम घुमकर रुस , भारत , चीन , अफ्रीका और अरब जैसे देशो को गुलाम बनाकर लुटपाट शोषण अत्याचार करते रहने का | और साथ में ये गुलाम करने वाले कबिलई लुटेरे लंबे समय से फूट डालो राज करो की नीति के तहत अपने द्वारा किए गुलाम देशो को कई टुकड़ो में बांटकर या बंटने का बुरे हालात पैदा करके अपने जैसा ही कबिलई लुटेरा सभ्यता संस्कृति देने का प्रयाश भी किया है | ऐसी लुटपाट सभ्यता संस्कृति जिसमे की कबिलई कई टुकड़ो में बंटकर आपस में लगातार लड़ते झगड़ते रहे | जैसे की गुलाम करने वालो ने जिन जिन देशो को भी गुलाम बनाकर कई टुकड़ो में बांटा या बंटने की बुरे हालात पैदा किया है , वहाँ पर भी अब कबिलई लुटेरे सभ्यता संस्कृति की तरह बंटे हुए देश लड़ते झगड़ते रहने जैसा ही बुरे हालात पैदा होता रहता है | जो बुरे हालात गुलाम करने वालो ने पैदा कराया है | जिसका ही नतीजा है रुस यूक्रेन युद्ध ! जिस तरह के बुरे हालात कबिलई लुटेरो द्वारा एशिया के कई देश ही नही बल्कि अफ्रीका और अरब के कई देशो में भी पैदा किया है | क्योंकि ये देश भी कबिलई लुटेरो द्वारा लंबे समय तक गुलाम बनाये जाने के बाद कई टुकड़ो में बंट गए हैं | जैसे कि इस देश भारत को भी विदेशी मुल के कबिलई लुटेरो द्वारा गुलाम बनाने के बाद कई टुकड़ो में बांटा गया है | और यहाँ पर भी कबिलई लुटेरो की तरह आपस में लड़ते झगड़ते रहने का भारत पाकिस्तान युद्ध जैसे बुरे हालात पैदा होता रहता है | और इस देश में भी लाखो करोड़ो लोगो के दिल दिमाक में आजादी का आंदोलन अब भी चल रहा है | क्योंकि यह देश भी पुरी तरह से आजाद नही है | पुरी तरह से आजाद होता तो फिर कई टुकड़ो में बंटा भी नही रहता | यहाँ भी गुलाम करने वालो के लिए किसी गरिब का खुन सस्ता है | जिन गुलाम करने वालो को भी यहशास होनी चाहिए की सभी इंसान का खुन महंगा होता है | लेकिन वे देश गुलाम करके हर रोज गरिबी भुखमरी से मौते देकर गरिबो का खुन सस्ता सोचकर गरिबी भुखमरी को अनदेखा करके हम तो सबसे विकसित लोग हैं कहकर झुठी शान की जीवन जी रहे होते हैं | लेकिन जब ऐसे युद्ध होते हैं तो पेट्रोल महंगा होगा युद्ध से कहकर दरसल ऐसे लोगो को भी अपनी खुन और संपत्ती की चिंता बड़ जाती है | जिस समय जिन्हे भले गरिबी भुखमरी से मरने वालो की गिनती नही आती पर युद्ध में मरने वालो की एक एक गिनती अच्छी तरह से आने लगती है कि युद्ध में कितने लोग मरे और कितना का नुकसान होना सुरु हो गया है ! पर गरिबी भुखमरी से कितने लोग आज मरे या फिर कितने लोग गुलाम करने वालो द्वारा अपना धन संपदा लुटाकर बीपीएल बने हुए हैं , यह याद नही आती ! वे गरिबो की दर्दनाक मौत की तस्वीर वीडियो सायद ही दिखवाते हैं , पर युद्ध में हुई मौत की तस्वीर वीडियो जरुर दिखवाते हैं | क्योंकि उनके लिए गरिबो का खुन सस्ता होता है | जिसकी खास वजह यह भी है कि गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार का बुरे हालात गुलाम करने वाले जो पैदा करते हैं किसी देश को गुलाम करके , उन गुलाम करने वालो के हाथो में ही गुलाम देश के मीडिया और देश के बड़े बड़े संस्थायें काम करती है | जिन संस्थाओ के मुख्य पदो में गुलाम करने वाले लोगो का ही दबदबा कायम रहता है | जिनके अनुसार ही ज्यादेतर खबरे प्रसारित होती है | और उनके अनुसार ही आर्थिक संस्थायें भी विश्व स्तर में काम करती है | जो की पुरे विश्व में कई देशो को आर्थिक प्रतिबंध लगाकर बिना युद्ध किए भी भारी आबादी को और अधिक गरिबी भुखमरी देकर भुखो मारने का भी योजना बनाती रहती है | जैसे की रुस यूक्रेन युद्ध के बाद जो रुस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाया गया है , उससे क्या पुतिन के जीवन को गरिबी भुखमरी जीवन में तब्दील करने के लिए लगाया गया है ? बल्कि रुस में आर्थिक प्रतिबंध लगाने वाले देशो के भी बहुत से नागरिक बुरे आर्थिक हालात से गुजरेंगे या गुजरने वाले हैं | क्योंकि इस तरह के प्रतिबंध जब लगाई जाती है तो प्रतिबंध लगाने वाले देश पर भी खुदके द्वारा बहुत सारे प्रतिबंध खुद ही लग जाते हैं | जिससे प्रतिबंध लगाने वालो को भी भारी आर्थिक नुकसान होना सुरु हो जाता है | 

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