Worry about petrol costlier due to Russia Ukraine war,Why is there no concern about blood being cheap? part 5
रूस यूक्रेन युद्ध से पेट्रोल महंगा होने की चिंता, खून सस्ता होने की चिंता क्यों नहीं ? भाग 5
रुस यूक्रेन युद्ध से यदि आर्थिक नुकसान के बारे में चिंता पेट्रोल महंगा होने को लेकर किया जा रहा है तो फिर ऐसे में तो धन्ना कुबेरो को सबसे अधिक आर्थिक नुकसान हो रहा है | क्योंकि कहीं पर जानकारी बांटी जा रही थी की रुस यूक्रेन युद्ध से सिर्फ दो तीन दिनो में ही पुरी दुनियाँ के धन्ना कुबेरो जिसमे की भारत के भी धन्ना कुबेर शामिल है , उनके संपत्तियो को भारी नुकसान हुआ है | कितना नुकसान हुआ है , इसकी झांकी इस एक उदाहरन से ही पता चल जाता है कि एक धन्ना कुबेर को तो सिधे एक लाख करोड़ का नुकसान दो तीन दिनो में ही हो गया है | जितनी दौलत से किसी राज्य में सालभर का बजट बन सकता है | पर फिर भी धन्ना कुबेर चूँकि इस गुलामकाल में जब कई देश अब भी पुरी तरह आजाद नही हैं , जिसके चलते गलत आर्थिक नीति बनकर गरिब और अधिक गरिब होते जा रहा है , और अमिर और अधिक अमिर होते जा रहा है , इस दौरान मुठीभर लोग इतने अधिक दौलत बटोरकर रखे हुए हैं कि उनके जीवन में कभी भी ऐसे युद्ध से उनकी जान को गरिबी भुखमरी से खतरा नही होनेवाले हैं | फिर भी उन्हे ऐसे युद्ध से भारी खतरा इसलिए भी होने लगता है , क्योंकि ऐसे युद्ध में भले गरिबी भुखमरी की बमबारी नही होती है , लेकिन ऐसी बमबारी जरुर होती है , जिससे की धन्ना कुबेरो की भी जान को खतरा बड़ जाता है | रही बात गरिबो की जान की तो बिना युद्ध हुए भी गरिब की जान 2013 ई० की रिपोर्ट अनुसार ही हर रोज विश्वभर में सिर्फ भुख से ही 24000 जा रही है | और गरिबो के लिए इससे बड़ा नुकसान और क्या हो सकता है ! जिस नुकसान के बारे में उसे ज्यादे चिंता करनी चाहिए की पेट्रोल महंगा होने की चिंता ज्यादे करनी चाहिए ? जिनकी गरिबी भुखमरी से हर रोज होने वाली मौत की खबरे सायद ही कभी दिखलाई जाती है | रुस यूक्रेन युद्ध से मरने वालो की खबरे तो 24 घंटे कई बार लाईव भी दिखलाई जाती रही है | पर क्या रुस यूक्रेन युद्ध के दौरान गरिबी भुखमरी से कितने लोगो की मौत बिना युद्ध के भी हुआ और हर रोज हो रहा है यह खबर कभी दिखाई सुनाई दिया ? क्योंकि गरिबो की मौत की चिंता गुलाम करने वालो को न तो पहले कभी होता था और न ही आज भी होता है | जिन गुलाम करने वालो के ही इसारे से विश्वभर की ज्यादेतर मीडिया काम करती है | तभी तो आज भी गुलाम करके गरिब बनाए गए लोग जो कि और अधिक गरिब होते जा रहे हैं , उन्हे गरिब बनाने वालो के बारे में कोई खास खबरे कभी दिखाई ही नही जाती है | और गुलाम करने वालो की दबदबा युक्त शासन में खास अमिर बने लोग और अधिक अमिर कैसे होते जा रहे हैं , उसके बारे में भी कुछ खास खबरे नही चलती है | क्योंकि गुलाम करने वाले दुर में बैठकर भी पुरी दुनियाँ के ज्यादेतर मीडिया को अपने इसारे पर चला रहे होते हैं | बल्कि फूट डालो और राज करो की नीति से किसी देश को बांटकर या बंटने की बुरे हालात पैदा करके अपना कठपुतली सरकार बैठाकर झाड़ में चड़ाकर उकसा रहे होते हैं कि हम साथ हैं | जैसे कि यूक्रेन में भी कठपुतली सरकार बनाकर झाड़ में चड़ाकर उकसाया गया और इससे पहले भी कई देशो को ऐसे ही उकसाया गया है | भारत को भी गुलाम बनाने वाले इसे उकसाकर इस देश को कई टुकड़ो में बांटकर आपस में फूट डालकर अबतक भी राज कर रहे हैं | जिस तरह यूक्रेन को झाड़ में चड़ाकर हम तुम्हारे साथ हैं कहकर कठपुतली सरकार बनाकर उकसाया जाता रहा है , उसी तरह भारत से अलग हुए कई देशो को भी झाड़ में चड़ाकर उकसाया जाता रहा है , ताकि आपस में लड़ाकर अपने मौत देनेवाली हथियारो की खेती को भी बेचकर खुब दौलत बटोरा जा सके , और भितर भितर देश को गुलाम बनाकर मिल बांटकर मुठीभर लोग सारी सुख सुविधाओ की जीवन जीया जा सके | बाकि भारी आबादी गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार में जीवन जीता रहे , जिससे ऐसे उकसाने और गुलाम करने वाले लोगो का कोई खास लेना देना नही रहता है | उन्हे तो किसी देश की धन संपदा से खास लेना देना रहता है | जिसे ही तो प्राप्त करने के लिए आपस में फूट डालकर अपनी कठपुतली सरकार बनाकर इस तरह के रुस यूक्रेन युद्ध हालात पैदा किया जाता है | जैसे की इस कृषि प्रधान देश भारत में भी आपस में फूट डालकर भारत पाकिस्तान युद्ध हालात पैदा किया गया है | क्योंकि ऐसे हालात पैदा करने वालो को इस देश की धन संपदा में खास नजर है | न की इस देश की गरिबी भुखमरी में उनकी खास नजर है | हलांकि पुरी दुनियाँ से गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार समाप्त करने की कई ठग संस्थाये खोलकर भी ये उकसाने वाले लोग बैठे रहते हैं | जहाँ पर बैठकर ये गुलाम करने वाले लोग इंसानियत कायम करने का पाठ पढ़ाते रहते हैं | जो कि पुरी दुनियाँ के कई देशो को गुलाम बनाकर लंबे समय से धन संपदा मान सम्मान को लुटते रहने वाले लोग इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं | जो इंसानियत भी ज्यादेतर दिखावे के लिए ही रहता है कि अब वे किसी को गुलाम नही बनाते , शोषण अत्याचार नही करते , लुटपाट नही करते , गरिबी भुखमरी का बमबारी नही करते | क्योंकि यदि ये दिखावे के लिए नही रहता तो पुरी दुनियाँ में कहीं भी न तो लोग शोषण अत्याचार का सामना करके गुलामी जीवन को महसुश कर रहे होते , और न ही गरिबी भुखमरी जीवन जी रहे होते | ये पुरी दुनियाँ में इंसानियत कायम करने की बाते करनेवाली ठग संस्थायें गुलामी शोषण अत्याचार गरिबी भुखमरी से तो आजादी दिलाते नही , सिर्फ दुर बैठकर गुलाम शोषण अत्याचार और गरिबी भुखमरी से आजादी संघर्ष कर रहे देशो में फूट डालो राज करो की नीति से मानो गुलाम करने वाला अपना ब्रांच खोलकर अपनी कठपुतली सरकार और मीडिया वगैरा बैठाकर यह कहकर राज करते रहते हैं कि हम पुरी दुनियाँ में इंसानियत कायम कर रहे हैं | इन्हे यदि इंसानियत ही कायम करनी है तो इस गुलाम देश भारत को पुरी तरह से आजाद कराया जाए उन विदेशी मुल के लोगो से जो इस देश को खंड खंड करके आपस में फूट डालकर आज भी राज कर रहे हैं | जो पुरी आजादी दिलाने का इंसानियत कायम तो ये कराऐंगे नही , क्योंकि ये दरसल खुद भी गुलाम करने वालो का ही आका लोग हैं , जो इस कृषि प्रधान देश में भी अपनी कठपुतली मनुवादी सरकार बैठाकर राज कर रहे हैं | जिसे वे पुरी दुनियाँ में यह झुठ बांटते रहते हैं कि इंसानियत कायम कर रहे हैं | जबकि इतिहास दर्ज है कि गुलाम करने वाले लोग भले क्यों न दिखावे के लिए थोड़ी बहुत भलाई काम भी करते हो , पर असल में वे गुलाम बनाकर सबसे बड़ा शैतानियत कायम करते रहते हैं | भारी आबादी को गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार जीवन देकर शैतानियत को ही बड़ावा देते हैं | जैसे की इस देश में गुलाम कायम करके गुलाम करने वालो द्वारा अब भी शैतानियत कायम है | क्योंकि यह देश और इससे अलग हुए देशो में भी भारी तादार में गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार कायम रहकर दरसल गुलामी कायम है | पुरी आजादी अबतक भी नही मिली है | विदेशी मुल के कबिलई लुटेरे अपनी गुलाम बनाने की नीति और सोच को अपडेट करके अब भी गुलाम बनाकर राज कर रहे हैं | जो कबिलई लुटेरे पुरी दुनियाँ में अब भी लुटमार करना नही छोड़े हैं | बस उनकी गुलाम करने की नीति और सोच अपडेट होते जा रही है | ये गुलाम करने वाले कबिलई लुटेरे लोग तबतक नही सुधर सकते जबतक की ये कबुल नही कर लेते की विभिन्न प्रकार की लुट नीति बनाकर दुसरो के हक अधिकारो को लुटना , गुलाम बनाकर शोषण अत्याचार करना बहुत बड़ा शैतानी सोच है , जिसे किसी मल मूत्र की तरह त्याग देना चाहिए | जिसे ये अबतक भी त्यागने के पक्ष में भितर से नही हैं | तभी तो मुख्य रुप में इनकी ही वजह से अबतक भी कई देशो में गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार कायम है | पुरी दुनियाँ में कालाधन का अंबार यू ही नही बड़ता जा रहा है | क्योंकि पुरी दुनियाँ में अब भी गुलाम बनाने वाले कबिलई लुटेरो का ही लुटपाट दबदबा कायम है | जो लोग ही पुरी दुनियाँ में गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार को बड़ावा देते रहे हैं | हलांकि ये पुरी दुनियाँ को यह बताते रहते हैं कि वे पुरी दुनियाँ से गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार समाप्त करने के लिए काम कर रहे हैं | पर असल में यही लोग ही गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार को बड़ाते रहे हैं | जिन लोगो को मैं ऐसे लोगो से भी तुलना करता हूँ जो कि अपने भ्रष्ट आचरन की वजह से इतिहास गवाह है कि खुद तो कभी शांती जीवन नही जी पाते हैं , जिसके चलते उनके पूर्वज भी घुम घुमकर लुटपाट गुलाम बनाने का काम करते आए हैं | सिर्फ ज्यादेतर तो इनका सैकड़ो हजारो सालो का समय घुम घुमकर कबिलई लुटेरे अशांत जीवन जीना रहा है | साथ साथ दुसरो को भी जो की शांती जीवन विकसित कृषि सभ्यता संस्कृती में किसी सागर की तरह स्थिर शांत होकर जी रहे होते हैं , उनकी शांती जीवन में मानो ये चुड़ैल कबिलई लुटेरा बनकर जबरजस्ती या फिर छल कपट से प्रवेश करके दुसरो की जीवन को भी बर्बाद अथवा अशांत किए रहते हैं |
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