If World War Two is incomplete freedom, then World War III is complete freedom

 

यदि द्वितीय विश्व युद्ध अपूर्ण स्वतंत्रता है, तो तृतीय विश्व युद्ध पूर्ण स्वतंत्रता है
khoj123

If World War Two is incomplete freedom, then World War III is complete freedom.

विश्वभर के कई देशो को पिछले दो विश्वयुद्ध में अधुरी आजादी मिली थी , जिसमे से एक देश भारत भी था | जाहिर है यदि तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो इसबार पुरी आजादी मिलेगी | ऐसी आजादी जिसमे कहीं पर भी गुलाम करने वालो का भेदभाव शोषण अत्याचार शासन कायम नही रहेगा | जैसे कि इस समय भारत में जो मनुवादियो का भेदभाव शोषण अत्याचार शासन कायम है , वह समाप्त हो जाएगा | साथ साथ विश्वभर के सभी देशो से अधिक गरिबी भुखमरी भी जो इस देश में कायम है , वह भी समाप्त हो जाएगा | यह सब मुमकिन इसलिए हो पाएगा , क्योंकि भारत समेत विश्वभर के सभी अधुरे आजाद देशो को पुरी आजादी मिलने के बाद गुलाम करने वालो की दबदबा समाप्त हो जाएगी | जिसके कारन जाहिर है उनके द्वारा किए जा रहे लुटपाट और शोषण अत्याचार भी समाप्त हो जाएगा | और गुलाम करने वालो द्वारा लुटपाट शोषण अत्याचार समाप्त होने के बाद कोई धन संपदा से अमिर देश कभी भी फिर से गरिब नही होंगे | क्योंकि विश्वभर को पुरी आजादी मिलने के बाद अब इस आधुनिक सदी जिसमे की गुलाम करने वालो द्वारा किए जा रहे भेदभाव शोषण अत्याचार का इतिहास ऑडियो वीडियो के रुप में भी दर्ज हो रहा है , उस सदी में अब कोई भी देश को कोई देश पुरी तरह से गुलाम कभी भी नही बना सकेगा | चाहे वह देश कितना ही ताकतवर क्यों न हो | क्योंकि उससे भी ज्यादे ताकतवर समय है , जो अब गुलाम करने का समय पुरी तरह से समाप्त होने जा रहा है | जो समय कभी ऐसा भी था जब कोई देश कई देशो को गुलाम बनाकर लंबे समय तक लुटपाट शोषण अत्याचार करता रहता था | जो अब के समय में दुबारा करना चाहेगा तो कभी भी नही कर पाएगा | और जैसा की इतिहास गवाह है कि गुलाम करने वाले ही किसी देश को गुलाम बनाकर वहाँ की सत्ता में अपनी दबदबा कायम करके सत्ता के दम पर ही पुरे देश में लुटपाट और शोषण अत्याचार करते हैं | जो उनके हाथो से जाने के बाद उनके पास इतनी भी ताकत नही रह जाती कि वे किसी देश के छोटे से भी पंचायत या नगर वार्ड में अपनी दबदबा कायम करके लुटपाट और शोषण अत्याचार जारी रख सके | लेकिन जैसा की इतिहास गवाह है कि गुलाम करने वाले किसी देश की सत्ता में अपनी दबदबा कायम करके पंचायत और नगर वार्ड तो क्या पुरे देश में लुटपाट शोषण अत्याचार इतना अधिक करते हैं कि किसी अमिर देश को भी गरिब बना देते हैं | जैसे की इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला कृषि प्रधान देश भारत को गुलाम करने वालो ने गरिब बनाया है | जिसे कई बार गुलाम करके इतना गरिब बना दिया गया है कि 2013 ई० का रिपोर्ट अनुसार ही जो 24 हजार लोग हर रोज विश्वभर में भुख से मर रहे हैं , उसमे अकेले एक तिहाई आबादी भारत की है | यानी भारत में 2013 ई० की ही रिपोर्ट अनुसार हर रोज 6000 मौते भुख से हो रही है | क्योंकि यह देश अब भी पुरा आजाद नही है | जिसके चलते आज भी इस देश में गरिबी भुखमरी और शोषण अत्याचार से भारी तादार में मौते जारी है | जो मौते निश्चित तौर पर पुरी तरह से जरुर रुकेगी जिसदिन पुरी दुनियाँ में भारत समेत बाकि भी सभी अधुरे आजाद देशो को पुरी आजादी मिल जाएगी ! जिन देशो को ये गुलाम करने वाले ही गरिबी भुखमरी देने के लिए प्रमुख रुप से जिम्मेवार हैं | जो खुदगी जेब भरने के लिए दुसरो के हक अधिकारो को लुटकर खुद तो अमिर हो जाते हैं , पर जिन्हे ये लुटते हैं वे गरिब देश हो जाते हैं | जैसे की यह सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश भारत जो अमिर से आज गरिब देशो की लिस्ट में आता है | जहाँ पर आधी आबादी गरिबी रेखा से भी निचे का जीवन यापन कर रही है |

जिन सब बातो को समझाने से गुलाम करने वाले कभी भी नही समझने वाले हैं | क्योंकि समझने के लिए इंसानियत चाहिए होती है जो की उनमे ज्यादेतर तो होती ही नही है | जिसके चलते ये युद्ध जैसे लातो से ही जल्दी समझते हैं | जिसके चलते ही तो बातचीत से हल न होकर रुस यूक्रेन युद्ध जैसी नौबत आती है | मुमकिन है रुस यूक्रेन युद्ध समस्या बातचीत से हल नही हुआ तो युद्ध से ही हल हो जाएगा | क्योंकि रुस बार बार बातचीत करके युद्ध विराम करने की बात तो कर रहा है , पर अबतक बातचीत हो ऐसा कोई हल नही निकल रहा है | सायद युद्ध समाप्ती हार और जीत से ही तय होगा | जिसके बाद ही समझ में आएगा की रुस जो बातचीत करना चाहता है वही सही था | जैसे की पिछले विश्वयुद्ध में गुलाम करने वाले समझकर कई देशो को आजाद कर दिए थे | जो स्वभाविक भी था , क्योंकि गुलाम करने वाले गुलाम करके मारने पीटने के लिए ही जाने जाते हैं | जिनकी सोच ही होती है की गुलाम लोग पशुओ की तरह मारने पिटने के लिए ही होते हैं | जाहिर है क्योंकि ये मारने पिटने वाले लोग मारपीट की ही भाषा अच्छी तरह से समझते हैं , इसलिए जब कभी भी इनसे बातचीत करके आजादी मांगी जाती है , या फिर इन्हे समझाया जाता है कि शोषण अत्याचार करना गलत है , तो ये आजादी के लिए संघर्ष कर रहे गुलामो के बातो को ठीक से नही समझ पाते हैं | इसलिए भी इनसे आजादी मांगने से नही बल्कि छिनने से मिलती है | क्योंकि ये आजादी मांगने से तो नही देते पर आजादी छिनने के लिए विश्वयुद्ध जैसा लात जब चलने लगता है तो ये तुरंत लात की भाषा समझकर आजादी देने लगते हैं ! जिस बात में यदि सच्चाई नही है तो जितने भी देश अभी अधुरे आजाद हैं , जिसमे भारत भी एक है , उसे बातचीत करके आजादी क्यों नही अबतक मिल रही है ? क्यों अब भी बहुसंख्यक मुलनिवासियो की दबदबा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में न के बराबर है ? जबकि गुलामी झेल रहे लोग लंबे समय से कह रहे हैं की देश में जो भेदभाव शोषण अत्याचार हो रहा है , उसे बंद किया जाय और भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो से आजादी प्रदान किया जाय ! फिर भी क्यों भेदभाव बहाली करके अल्प संख्यक गुलाम करने वालो का कब्जा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में है ! क्यों बार बार बहुसंख्यको के साथ भेदभाव करके उन्हे बहाल होने से रोका जाता रहा है | मुमकिन है जब तीसरा विश्वयुद्ध सुरु होगा तो भारत में भी बातचीत के बजाय युद्ध जैसे लातो की बातो से ही पुरी आजादी का हल निकलेगा | जब गुलाम करके शोषण अत्याचार मारपीट करने वालो की भी युद्ध जैसी हालात कायम होने पर पिटाई होने लगेगी ! जिससे पहले ये गुलामो के साथ भेदभाव शोषण अत्याचार और पिटाई भी करते रहेंगे | जो पुरी आजादी मिलने के बाद ये भेदभाव शोषण अत्याचार करने और कराने वाले पिटेंगे नही खुद पिटाएंगे | जैसे की यूक्रेन में जो भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो द्वारा मारने पिटने का ऑडियो वीडियो सामने आ रहा है , उस शोषण अत्याचार को बड़ावा देने और प्रेरित करने वाले आकाओ का भी पिटाई हालात पैदा हो रहे हैं | क्योंकि यदि युद्ध का फाईनल नतीजा बिना बातचीत के निकलकर यूक्रेन में पुरी आजादी कायम हुई तो निश्चित तौर पर बातचीत से दुर भागने वाले आकाओ की भी पिटाई होगी | जिस बात से ही तो खासकर वे लोग डरे हुए हैं , जिन्हे भेदभाव शोषण अत्याचार करने में अलग से आनंद आता है | जो आनंद पुरी आजादी के बाद उनकी पिटाई वाला दर्द में बदल जाता है | जिससे बचने के लिए ही गुलाम करने वाले पुरी आजादी मिलने पर दुर भागने लगते हैं , खासकर उन आजादी के वीरो से जो की इनसे आजादी के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं | मुमकिन है जिसदिन भारत को भी पुरी आजादी मिलेगी उसदिन भेदभाव शोषण अत्याचार करने वाले खुदकी पिटाई होने की डर से यह देश छोड़कर भागने लगेंगे | जो अभी खुलेआम भेदभाव शोषण अत्याचार मारपीट करके भी नही भागने वाले हैं , क्योंकि अभी उनको बड़ावा और संरक्षण देनेवाली सत्ता कायम है | जैसे की जबतक गोरो की सत्ता कायम थी तबतक शोषण अत्याचार करने वाले कोई भी गोरा नही भागे थे ! मैं यह बात उन गोरो और मनुवादियो के बारे में बता रहा हूँ जो की सायद कभी भी नही सुधरने वाले हैं | अथवा कभी भी वे भेदभाव शोषण अत्याचार करने की सोच को नही बदलने वाले हैं | जो सोच रखने वालो की ही तो दबदबा गुलाम सत्ता में होती है | जैसे की गोरो के समय भी थी और अभी मनुवादियो के समय भी है | दोनो के समय भेदभाव शोषण अत्याचार कायम रहा है | जिस तरह के लोग पुरी दुनियाँ में चाहे अमिर देश हो या फिर गरिब देश हो सभी जगह फैले हुए हैं | यू ही नही अमेरिका में भी गोरा काला भेदभाव अब भी कायम है | और यह देश भारत में भी भेदभाव कायम है | जो कि विश्वभर के सभी अधुरे आजाद देशो को पुरी आजादी मिलने के बाद समाप्त हो जाएगी | रही बात फिर इसके बाद जो लोग गुलाम बनाने भेदभाव शोषण अत्याचार करने वाले परिवार में ही पैदा लेकर अपनी सोच को बदलकर अपने ही लोगो का विरोध करते आ रहे हैं , उनका क्या होगा तो वे नागरिक बनकर खासकर इस देश में तो हमेशा रह सकते हैं , जैसा की बहुत से गोरे भी अबतक रह रहे हैं | बल्कि गुलाम करने वालो के नई पीड़ी अपने गुलाम करने वाले पूर्वजो की गंदी सोच को मल मूत्र की तरह पुरी तरह वाकई में त्याग दिए या देंगे तो पुरी आजादी मिलने के बाद भी सच्चा हुनर के आधार पर वे सीमित पदो पर बैठ भी सकते हैं | 


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