साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा हिन्दु धर्म में की जाती है , न कि मनुवादियो के पूर्वज देवो की पुजा की जाती है

साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा हिन्दु धर्म में की जाती है , न कि मनुवादियो के पूर्वज देवो की पुजा की जाती है 


दरसल मनुवादियो द्वारा हिन्दु धर्म के वेद पुराणो में ढोंग पाखंड का मिलावट करके खतरनाक नशे की व्यापार की तरह ही ढोंग पाखंड का व्यापार चल रहा हैं | जिसके चलते मनुवादियो के द्वारा बुरी तरह से शिकार होने वाले अँधविश्वास में डुबे पिड़ित लोग , ढोंग पाखंड नशा को अपने नश नश में इतनी गहराई तक उतार चुके हैं , कि वे इस कृषि प्रधान देश की प्राचिन सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति के नाम से ही जुड़ा हिन्दु धर्म को , इस देश के मुलनिवासियो का धर्म न बताकर , ढोंगी पाखंडियो का असली धर्म कहकर , कट्टर मनुवादियो को कट्टर हिन्दु बताकर ,  तेज बुखार में बार बार बड़बड़ाने के जैसा , अंड संड बड़बड़ाते हुए यह चर्चा कर रहे हैं , कि दुसरो के देश में गोद लिए गए मनुवादि ही असली कट्टर हिन्दु हैं | मनुवादियो के पुर्वज देव ही हिन्दु धर्म में सारी सृष्टी की रचना करने वाले भगवान , अथवा सबके पालनहार हैं | बल्कि ढोंग पाखंड का नशा मुक्त होने के लिए दुसरे धर्मो में जाने वालो द्वारा भी यहूदि डीएनए के मनुवादियो को असली कट्टर हिन्दु कहकर हिन्दु धर्म का पालनहार उन देवताओ को कहना अब भी जारी हैं , जो दरसल दुसरो के देश में गोद लिए गए विदेशी मुल के घुमकड़ कबिलई हैं | जिनका डीएनए इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियो के डीएनए से नही मिलता है | बल्कि उन कबिलई विदेशियो से मिलता है जो अपना मातृभूमि इस देश को नही , बल्कि कोई और देश को मानते हैं | जो स्वभाविक भी है , क्योंकि इस देश के मुलनिवासियो के साथ छुवा छुत शोषन अत्याचार करने वाला इस देश का मुल निवासी हो ही नही सकता | वैसे चूँकि इस देश के द्वारा गोद लिए गए मनुवादियो के परिवार में मौजुद नारी और इस देश के मुलनिवासियो के घर में मौजुद नारी का पुर्वज एक है , जो कि एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से साबित भी हो चूका है , इसलिए यदि हजारो सालो तक इस देश के मुलनिवासियो का शोषन अत्याचार करने वाले मनुवादियो की मातृभूमि यह देश है यह मान भी लिया जाय , तो भी मनुवादियो की पितृभूमि कौन है इसकी जानकारी भी तो मनुवादियो को देनी चाहिए थी | जैसे की इस देश को गुलाम करके सैकड़ो सालो तक शोषन अत्याचार करने वाले गोरे यदि इस देश को छोड़कर जाने के बजाय आज इस देश में ही बसे होते तो भी अपने मुल देश के बारे में जरुर बतलाते और स्वीकारते भी कि वे इस देश में प्रवेश करने से पहले न तो मुल रुप से हिन्दु थे , और न ही यहाँ पर उनका पहले शासन व अधिकार था | जो न बताकर मनुवादि सिर्फ बार बार एक ही रट्ट लगाये हुए हैं कि यहाँ पर राम जन्मभूमि है | राम का जन्म इस देश में ही हुआ था | वैसे में तो राम ही नही बल्कि कई गोरे भी इस देश में ही जन्म लिये होंगे या ले रहे होंगे , जिनका जन्मभूमि भी यह देश ही है | यकिन न आए तो इतिहास पलटकर जानकारी इकठा कर लिया जाय कि देश गुलाम करने वाले गोरो में कौन कौन इस देश में जन्मे थे या जन्मे हैं , जिनका डीएनए विदेशी मुल का है ? कई गोरो की जन्मभूमि इस देश की भूमि ही निकलेगी | वैसे इस देश के अनगिनत मुलवासि भी विदेशी भूमि में जन्म लिये हैं या ले रहे हैं , तो क्या उनकी नई पिड़ी सभी कल को यह हमारी जन्मभूमि है कहकर वहाँ के मुलनिवासियो के हक अधिकारो को छिनकर उनका शोषन अत्याचार करेंगे | यह इतिहास पढ़ते हुए कि उनके अपने खुदके पुर्वजो और उनके ही डीएनए के लोगो के साथ इस कृषि प्रधान देश में गोरो और मनुवादियो ने किस तरह का शोषन अत्याचार किया है ! जिस तरह का शोषन अत्याचार को कभी भी इतिहास नही भुलेगी | हलांकि गोरो के नई पिड़ी द्वारा अब यह स्वीकार करके माफी भी मांगी जा रही है कि उनके पुर्वजो द्वारा इस देश को गुलाम करके शोषन अत्याचार और लुटपाट करके बहुत बड़ी ऐतिहासिक गलती की गयी थी | जिस तरह की ऐतिहासिक गलती गोरो से भी पहले मनुवादियो ने हजारो साल पहले ही इस देश के मुलनिवासियो को दास दासी बनाकर छुवा छुत शोषन अत्याचार करके किया है | जिसके बारे में वेद पुराण सहित लिखित इतिहास भी भरे पड़े हैं जो सभी साक्षी है कि मनुवादि बाहर से आकर इस देश में प्रवेश करके किस तरह से छल कपट और घर के भेदियो की सहायता से सत्ता में कब्जा करके संभवता सबसे पहले शोषन अत्याचार सुरु किये हैं | जो विदेशी मुल के मनुवादि इस देश के हिन्दु धर्म में प्रवेश करने के बाद अपने पुर्वज देवो की मुर्ति पुजा कराकर दरसल खुदकी पुजा कराने की ढोंग पाखंड की सुरुवात भी संभवता सबसे पहले ही किए हैं | जो अपने पुर्वज देवो को सृष्टी का पालनहार और रचनाकार बताकर हिन्दु धर्म में ढोंग पाखंड नशे का मिलावट करके और मुल हिन्दुओ के पिठ पिच्छे छुरा घोंपकर अपने पुर्वजो की पुजा कराकर नशे की व्यापार की तरह ढोंग पाखंड का व्यापार फल फुल रहा है | जिस व्यापार में दिन प्रतिदिन बड़ौतरी भी हुई है | अहिल्या का बलात्कार करने वाले इंद्रदेव और तुलसी का भी मान सम्मान लुटने वाले विष्णुदेव व सरस्वती का मान सम्मान लुटने वाले ब्रह्मादेव की मुर्ती पुजा यह कहकर कराई जा रही है कि हिन्दु धर्म में देव पुजा होती है | जिन देवो को अपना मुल पुर्वज मानने वाले मनुवादियो की मूल भुमि इस देश में प्रवेश करने से पहले कहाँ थी यह सवाल पुछने पर ये बतलाई जाती है कि उनके मुल पुर्वज देव जिन्हे वे सृष्टी के रचनाकार और पालनहार बतलाते हैं , वे मुलता उपर उस अदृश्य स्वर्ग का वासी हैं , जहाँ का वासी होना सायद ही कोई मनुवादी खुद चाहेगा | भले कथित स्वर्ग का देवता पुजा करके बार बार स्वर्ग की कामना की जा रही हो | क्योंकि वाकई में देवो का मुल देश के बारे में आजतक पता नही चला है कि इस देश में प्रवेश करने से पहले वे किस देश की प्रजा का पालनहार थे ? और वे कबसे सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति के कट्टर हिन्दु हुए ? क्योंकि वेद पुराणो में भी देवो के बारे में मुलता दुसरो के राज्यो को कब्जा करके प्रजा से अपनी पुजा करवाने और लुटपाट करने के बारे में जानकारी भरे पड़े हैं | हो सकता है देव वाकई में किसी एलियन की तरह इस पृथ्वी में उतरकर इस देश में प्रवेश करके मनुवादियो को जन्म दिए हो ! क्योंकि खुद मनुवादि ही हजारो सालो से पिड़ी दर पिड़ी यह ज्ञान बांटते आ रहे हैं कि देवो का राजा इंद्रदेव मुलता निचे धरती पर नही बल्कि उपर स्वर्ग में शासन करते हैं | धरती में तो दानव राक्षस और असुरो के राज्यो पर कब्जा करने आते हैं | बल्कि राक्षस दानव और असुर भी राजा इंद्रदेव के सिंघासन को हिलाने उपर स्वर्ग में जाते हैं | और सारे देवो के साथ साथ इंद्रदेव भी त्राहीमान त्राहीमान करते हुए सबसे सुखमई कहलाने वाला स्वर्ग वासी जिवन को छोड़कर भागते हुए जाने जाते हैं | हलांकि इस बात पर एक प्रतिशत भी सच्चाई नही है कि देव और दानव कभी बिना हवा पानी के इंतजाम किए ही उपर स्वर्ग में आना जाना करते थे | जो सारे देवता अब इस देश ही नही पुरी दुनियाँ से लापता हो चुके हैं | जबकि इस समय का इंसान भी जो की बिजली बल्ब , मोबाईल , टी० वी० , रेडियो कम्प्यूटर वगैरा से युक्त होकर भी चाँद छोड़ आजतक एक भी ग्रह का यात्रा नही कर सका है , उस इंसान से भी हजारो साल पहले जन्मे उस समय के देव दानव उपर आना जाना बिना हवा पानी के करते थे ऐसी खोज हो चुकि थी यह बिल्कुल बकवास बात है | जिस बकवास अनुसार भी चूँकि वर्तमान में लापता देव कभी उस समय स्वर्ग के वासी हुआ करते थे जब इस धरती पर विचरन किया करते थे , इसलिए वेद पुराणो में मिलाई गई ढोंग पाखंड अनुसार भी मनुवादियो के पुर्वजो का मुलनिवासी भुमि यह देश हो ही नही सकती | जिन देवो को मनुवादि ही अपना मुल पुर्वज मानते हैं , जिन्होने मनुस्मृति की रचना करके हजारो सालो तक इस देश के मुलनिवासियो के साथ छुवा छुत शोषन अत्याचार किया है | न कि इस देश के मुलनिवासि छुवा छुत शोषन अत्याचार करने वालो को अपना पुर्वज मानते हैं | जिन कट्टर मनुवादियो को आखिर हिन्दुओ का पालनहार कहकर कट्टर हिन्दु कहने का नशा गंभिर रुप से शिकार हुए पिड़ितो के तन मन से कब उतरेगी | जबकि आज भी यदि मुल रुप से हिन्दु पर्व त्योहार मनाते समय प्रयोगिक तौर पर देखा जाय तो हिन्दु धर्म का असली भगवान वह देवता नही हैं जिनको मनुवादि अपना पुर्वज मानते हैं | क्योंकि आज भी मुल हिन्दु बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार मनाकर साक्षात भगवान की पुजा प्रकृति की पुजा करता है | भले मनुवादियो के द्वारा वेद पुराणो में मिलावट करके अपने गुमनाम लापता पुर्वजो का नाम से प्रकृति सुर्यदेव बारिसदेव हवादेव वगैरा वगैरा जोड़कर खुदको पालनहार घोषित करने की कोषिश किया गया है , जो कि आज भी जारी है | जो दरसल ढोंग पाखंड है , न कि पुज्यनीय है | जैसे कि वर्तमान में यदि कोई मनुवादि बिजली और इंटरनेट के नाम से भी बिजलीदेव और इंटरनेटदेव नाम का नया देवता जोड़कर वेद पुराणो में मिलावट कर देगा तो क्या उसे हिन्दु पुजा के साक्षात भगवान कही जायेगी ? बल्कि यदि मनुवादि ढोंग पाखंड नशे में डुबोकर ब्रेनवाश करके कही भी जायेगी तो भी मुल हिन्दु धर्म और मुल वेद पुराणो को समझने वाले समझ जायेंगे की प्रकृति से ही विज्ञान द्वारा निर्मित साक्षात इंटरनेट और बिजली का जन्म हुआ है , न कि इंटरनेट और बिजली किसी देव या मनुवादियो के वीर्य से पैदा हुई है | और अगर भविष्य में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करके जिस छेड़छाड़ के बारे में विस्तार पुर्वक जानकारी मनुस्मृति में भरे पड़े हैं , जिनकी मिलावट हिन्दु वेद पुराणो में भी मनुवादियो द्वारा की गई है , उस तरह के ही  कोई अप्रकृति चमत्कार से यदि होगी भी तो वह भी प्रकृति से ही निर्मित वीर्य से होगी | न कि किसी दुसरी अदृश्य गुमनाम अप्रकृति दुनियाँ से आई किसी अदृष्य वीर्य से होगी | क्योंकि साक्षात प्रकृति भगवान के सिवा कोई दुसरी ऐसी ताकत विज्ञान और सभी धार्मिक मान्यता अनुसार भी मौजुद नही है जो बिना प्रकृति के इंसान तो क्या किसी भी प्राणी या निर्जिव को भी पैदा कर दे जिसमे प्रकृति का कोई अंश ही मौजुद न हो ! जाहिर है साक्षात प्रकृति भगवान की पुजा हिन्दु धर्म में की जाती है न कि लापता गुमनाम देवो की पुजा की जाती है |

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