जवान जय किसान के बारे में 2014 की लोकसभा चुनाव में मर जवान मर किसान कहा गया था,अब सभी किसानो के अच्छे दिन आ गए हैं क्या?


लाल बहादुर शास्त्री द्वारा जय जवान जय किसान का नारा दिया गया था,जिसके बारे में 2014 के लोकसभा चुनाव में ये कहा गया कि कांग्रेस सरकार में मर जवान मर किसान बुरे हालात पैदा हो गयी है,जिससे की हर रोज किसान और जवानो की मौत हो रही है!जिसकी चर्चा करते हुए ये प्रचार प्रसार किया गया कि कांग्रेस के द्वारा दीये गए बुरे हालात को बदलकर किसान और जवान के साथ साथ पुरे देश के लिए अच्छे दिन लायेगी यदि भाजपा चुनाव जीतकर केन्द्र में सरकार बनाती है!साथ ही यह भी कहा गया था कि कांग्रेस ने जो 60 सालो में देश की बुरे हालात पैदा कर दी है,जो अजादी से लेकर 60 सालो तक शासन करने के बाद भी अच्छे दिन नही ला सकी है, उसे भाजपा 60 महिने में ही बदलकर अच्छे दिन ला देगी देश और प्रजा के लिए!जिसके द्वारा किये गए वादो और इरादो के बारे में जानकर कुल मिलाकर मेरी और देश के साथ साथ ज्यादेतर विश्लेशको की नजर में भी न तो कांग्रेस की 60 साल शासन करने के बाद गरिबी भुखमरी दुर हुई है,और न ही भाजपा की 60 महिना साईनिंग इंडिया शासन करने के बाद गरिबी भुखमरी मिटी है!रही बात डीजिटल इंडिया शासन की तो उसके भी 37 महिना गरिबी भुखमरी में ही गुजर गए हैं,जो बाकि के भी 23 महिना गरिबी भुखमरी में ही गुजरेंगे जिसकी नजारा हर रोज मिलती ही रहती है!बल्कि अजादी के समय जो पुरे देश की जनसंख्या चालीस करोड़ थी,जो अब अजादी के सतर साल बाद चालीस करोड़ बीपीएल भारत हो गयी है!जिसे कांग्रेस की आधुनिक भारत और गरिबी हटाओ का नारा देकर विकाश सफर तय करते करते भाजपा की साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया का नारा देकर भी वापस उसी चालीस करोड़ बीपीएल भारत पर खत्म होने को है!जिसे दोनो ही पार्टियो को जैसा कि जनता मालिक द्वारा प्रचंड बहुमत से मौका दिया गया है,दो अलग अलग पार्टी के रुप में,उसका फायदा उठाने में ये दोनो पार्टी ही असफल मानी जायेगी इतिहास के पन्नो में जब ये सवाल पुच्छा जायेगा कि अजादी के समय पुरे देश की अबादी जो चालीस करोड़ थी उतनी अजादी के सतर साल बाद चालीस करोड़ बीपीएल भारत हो गयी है,जिसके चलते हर रोज गरिबी और भुखमरी से सैकड़ो हजारो मौते हो रही है,उसे तेजी से विकसित होता भारत कैसे कहा जा सकता है?जहाँ कई कई प्रधानमंत्री अपने ही नेतृत्व में गरिबी भुखमरी अब दुर होगी,तब दुर होगी कहते कहते जवानी से बुढ़ापा तक का विकाश सफर तय करते करते अब दुनियाँ से दुर जा चुके हैं,लेकिन उनकी नई पिड़ी के भी आने पर भी गरिबी भुखमरी आजतक दुर नही हुई है!जिसके बारे में ही तो गंभीर होकर जनता मालिक ने भाजपा को सायद ये सोचकर 2014 में भारी बहुमत से जीताया होगा कि सायद कांग्रेस की साठ साल का आधुनिक भारत विकाश सफर तय करते करते गरिबी और भुखमरी का जो अँधेरा छटेगा उजाला आयेगा कहकर अटल की साठ महिना साईनिंग इंडिया में भी जो गरिबी भुखमरी अँधेरा समाप्त नही हुई थी वह अब साठ महिने की डीजिटल इंडिया में सायद समाप्त हो जाय और हर रोज गरिबी भुखमरी से होने वाली मौतो के साथ साथ मर जवान मर किसान जो भाजपा कहती रही है मानो अँधेर नगरी चौपट राजा कांग्रेस शासन में वह भी रोज की सोरगुल चर्चा जल्द समाप्त हो जाय और एक भी किसान और जवान की मौत न हो,जिससे की पुरे देश में वाकई में अच्छे दिनो की उजाला आ गए हैं आस पड़ौस के साथ साथ पुरी दुनियाँ की मीडिया को भी इस देश की गरिबी भुखमरी पुरे ग्रामीण भारत के साथ साथ शहरी धारावी जैसे झुगियो में न दिखे और एक के बदले दस सर लाने का छप्पन इंच का सिना जो कहा गया था कांग्रेस सरकार के समय वह भाजपा सरकार आने के बाद छप्पन इंच का कथित सिना पाकिस्तान जाकर गले मिलकर आने के बाद सायद सबके अच्छे दिन आ गए का जस्न में डुब जाय और कोई किसान भी आत्महत्या न करे भले ही देश का दुश्मन बाहरी या भितरी जो भी हो वह आत्महत्या कर ले इस देश की सुख शांती और समृद्धी देखकर  जलन से!जो न होकर पुरे देश में क्या हालात है इसे जानने के लिए वाकई में अच्छे दिन आ गए कहकर वर्तमान की सरकार या उसके समर्थक अब ये आँकड़ा न दिखा दे कि भाजपा शासन में कहाँ किसी मंत्री और उच्च अधिकारी की भुखमरी और गरिबी से मौत हुई है इन सैंतीस महिनो में,बल्कि गरिबी जिवन जिने वाले एक चायवाला भी प्रधानमंत्री का शपथ लेकर लाखो रुपये की सुटबुटवाला प्रधानमंत्री मंत्री पद का शपथ लेते ही चंद महिनो में ही लाखो रुपयो का सुटबुट पहननेवाला नसीबवाला बन गया है,उस गरिब बीपीएल प्रजा की कृपा से जिनकी कृपा से ही कभी एक और सुटबुटवाला प्रधानमंत्री बनकर बुढ़ापा तक अच्छा खासा खा पीकर गया है!जिनके सुट विदेशो से धुलकर आते थे ये चर्चा आज भी होती है!जिस तरह की सुटबुट अमिरी,गरिब बीपीएल को भी मिले इसके लिए ही तो सायद अजादी के समय कांग्रेस द्वारा आधुनिक भारत की विकाश सफर तय की गयी होगी जो अब भाजपा द्वारा जिसे कांग्रेस ने सुटबुट की सरकार कहा है,जो कि वाकई में भी खुद भी कांग्रेस सुटबुट की सरकार रह चुकी है यदि किसी प्रधानमंत्री का सिर्फ सुटबुट पहनने से ही सुटबुट की सरकार परिभाषित हो जाती है!बल्कि मैं तो कहुँगा सुट बुट तो गाँधी भी पुरी जवानी पहने थे,जिसके कारन ही तो वे तब की गुलामी समय का लुटपाट करके खनिज संपदा को ढोने और गोरो की खास सुविधा के लिए चलाई जा रही तब की बुलेट ट्रेन से सुटबुटवाला गोरे अँग्रेज द्वारा रेल डब्बा से उठाकर बाहर फैंके गए थे ये कहकर की काला इंडियन को रेल में गोरो की बराबरी का रेल टिकट लेकर उच्च दर्जे की सफर करना नही चाहिए!जो कि गाँधी ने चुँकि गोरो की तरह ही सुटबुट लगाकर गोरो की तरह ही उच्च दर्जे की रेल टिकट लेकर सफर सायद ये सोचकर किया होगा कि जिस अदालत में गाँधी गोरे जज के सामने न्याय की लड़ाई लड़ते रहे गोरे जजो के द्वारा न्याय फैशला सुन सुनकर,वैसी न्याय शासन रेल सफर में भी सायद मिलेगी!जिसके बारे में तब कोई सुटबुटवाला वकिल गोरे जज को क्यों नही कहा कि यीशु मसीह भी अजादी प्रेम के लिए अवाज बुलंद किए थे,और गुलाम करने वालो ने ही यीशु को सुली पर चड़ाया था!जो कि इस देश में गोरे जजो द्वारा गुलामी को न्यायपुर्ण शासन कहकर अजादी के लिए अवाज उठाने वालो को फांसी पर चड़ाना किस तरह का न्याय है?जबकि असल में तो गुलाम करने वालो को बाईबल पढ़कर खुदको ही सजा भले ही सुना न सके पर उन्हे तो यीशु से जरुर क्षमा मांगनी चाहिए थी किसी देश को गुलाम करने और अजादी के वीरो को फांसी पर चड़ाने और जेल यातना समेत कालापानी जैसे और भी कई तरह की क्रुरतापुर्ण सजा देने के लिए!जिससे गाँधी और तमाम वकिल अपने तर्क में क्यों नही गोरे जजो के सामने दलिल पेश किए कि गोरे जजो को भी जज की कुर्सी छोड़कर और गुलाम करके न्याय करने वाली अदालत को बंद करके तमाम गोरो को अपना बोरिया बिस्तर बांधकर वापस चले जाना चाहिए,क्योंकि किसी देश को गुलाम करना इतनी बड़ी गुनाह है कि इसके खिलाफ खुद यीशु मसीह भी अजादी की आवाज बुलंद करके गुलाम करने वालो के द्वारा सुली पर चड़ाये गए थे!जिस बात से क्या गोरे जज अनजान थे जो गुलाम करनेवालो को हौसला बड़ाते रहे?बल्कि अजादी के लिए अवाज बुलंद करने वालो को सजा सुनाकर कौन सा न्यायपुर्ण शासन चलवा रहे थे अजादी के लिए अवाज बुलंद करने वालो को सजा सुनाकर?खैर आखिरकार आगे गाँधी को भी इसका यहसास हुआ गोरो द्वारा रेल डब्बे से उठाकर फैके जाने के बाद,जिसके बाद ही तो गाँधी ने जिन गोरो की सुटबुट को पुरी जवानी पहने थे उसे बहिष्कार करो बहिष्कार करो कहकर सुटबुट भष्म करना सुरु कर दिया और बाकियो को भी ये कहे कि तुम भी जिसे अबतक पकड़कर रखे हो उसे भष्म करो, जिसने हमे जकड़कर रखा है!उसके बाद तो गाँधी द्वारा सुटबुट का बहिष्कार ऐसे हुआ कि आज गाँधी का जितने भी मुर्ती बनती है उनमे सायद ही कोई सुटबुटवाला गाँधी की मुर्ती बनाई जाती है!क्योंकि गाँधी के तमाम मुर्ती ग्रामीण धोती पहने हाथ में बुढ़ापा का लाठी लिए होती है!जबकि जवान गाँधी ने सुटबुट लगाकर हाथ में गोरो की नियम कानून की किताब पकड़े भी आधा जिवन जीया है!जिसके बारे में सायद गाँधी की मुर्ती पर किसी तरह की छाप नही छोड़ने की सोच के साथ ही गाँधी की मुर्ती तैयार की जाती है!पर चुँकि गाँधी की बहुत सारी फोटो भी मौजुद है इतिहास के पन्नो में,जिसे तब ज्यादेतर गोरे ही खिचते होंगे,इसलिए गाँधी सुटबुट लगाते हुए कई फोटो में तो नजर आते हैं पर किसी मुर्ती में सुट बुट पहने नजर नही आते हैं!जबकि सुटबुटवाला गाँधी का इतिहास भी तो कई पन्नो में दर्ज की गयी है!जो स्वभाविक भी है क्योंकि गाँधी सिर्फ बुढ़ापा में मौजुद नही रहे हैं दुनियाँ के सामने बल्कि उनकी जन्म से बुढ़ापा तक कि पुरी जिवन मौजुद रही हैं!जिसकी पुरी तस्वीर पेश करनी चाहिए न की सिर्फ बुढ़ापा वाली मुर्ती बननी चाहिए!जिसके साथ साथ सुटबुटवाला गाँधी की भी मुर्ती बननी चाहिए यदि पुरा गाँधी के बारे में दुनियाँ को बतलाने का मन हो कांग्रेस या अन्य भी पार्टी के साथ साथ किसी भी समाज सुधारक के द्वारा!अथवा जिस तरह धोती पहने हाथ में डंडा लिये बुढ़े गाँधी जगह जगह मुर्तियो और तस्वीरो में दिखते हैं,उसी तरह जवान सुट बुटवाला गाँधी भी सभी जगह जरुर दिखे,न कि सुटबुटवाला प्रधानमंत्री कहकर सिर्फ भाजपा के ही प्रधानमंत्री के बारे में ये बतलाया जाय की वे क्या क्या पहनते हैं!मैने तो उस लाखो रुपयो की सुटबुट खराब हालात का विरोध किया है,जिसमे कोई खुदको जनता का नौकर कहकर मंत्री पद और उच्च अधिकारी पद पर बैठता है और पावर में आने के बाद कई दसक बित जाने के बाद भी जनता मालिक की गरिबी भुखमरी कायम रहती है और उसी तरह की ही गरिबी भुखमरी से मौत होना जारी रहता है जैसे की लाखो रुपये की सुटबुट पहनने से पहले भी जारी थी!जबकि मंत्री पद की शपथ लेने या उच्च अधिकारी पद पर बैठने से पहले चाहे कोई क्यों न कितना ही गरिब हो उसकी गरिबी रातो रात समाप्त होकर महंगी सुरक्षा और महंगी बंगला गाड़ी और अन्य तमाम तरह की सरकारी सुख सुविधा प्राप्त तो होती ही होती है,पर चंद महिनो में ही रोजमरा जिवन में कितनी भारी बदलाव आ जाती है,इसके बारे में गरिब बीपीएल की कृपा से लाखो रुपयो की सुटबुटवाला प्रधानमंत्री को लाखो रुपये की सुटबुट पहनकर एक चायवाला से दुनियाँ की सबसे अमिर और ताकतवर कहलाने वाले देशो के मुखिया को चाय पर बुलाकर साथ बैठकर चाय पीने का नसीब प्रदान करना तो सिर्फ एक झांकी है,अजादी से लेकर सतर सालो तक गरिब बीपीएल को इस तरह की सुटबुटवाला नसीब प्राप्त करके अजादी के समय पुरे देश की जो चालीस करोड़ अबादी थी उतनी ही चालीस करोड़ अबादी बीपीएल भारत का नसीब बदलने की कृपा कितनी हुई है ऐसे लाखो रुपये की सुटबुट पहननकर इसकी पीड़ा बतानी तो बाकि है इतिहास के उस पन्नो में जिसे आनेवाली नई पिड़ी जब पढ़ेगी तो अपनी समय की सरकार चुनने से पहले जान पायेगी की 1947 से लेकर 2019 तक का 21वीं सदी का विकाश सफर भारी बहुमत से जिती कांग्रेस सरकार की आधुनिक भारत और गरिबी हटाओ से लेकर भाजपा की साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया विकाश सफर में किसके अच्छे दिन बहुत तेज गति से आते रहे हैं और किसके अबतक और साठ महिना और साठ महिना चाहिए कहते हुए कई चुनाव आए और सरकार बनाकर गरिबी भुखमरी उसी तरह बरकरार रखकर चले गए!जैसा की साठ साल बनाम साठ महिना भाषन अश्वासन देकर 2014 में भारी बहुमत से चुनकर आई भाजपा सरकार बनकर 60 महिना डीजिटल इंडिया विकाश सफर में 37 महिना बित चुके हैं,लेकिन फिर भी आजतक न तो चालीस करोड़ बीपीएल भारत के अच्छे दिन आ गए हैं,और न ही मर जवान मर किसान बुरे हालात बदलकर अच्छे दिन हो गए हैं आत्महत्या करने वाले किसानो और हर रोज दुःखी होने वाले उन जवानो के परिवारो की जिनकी घरो में जवानो की लाश जाना बंद नही हो रही है!जिसे सुख शांती और समृद्धी अच्छे दिन आ गए हैं कैसे मान लिया जाय ये कहकर कि 2019 में भी इसी तरह की ही सुख लानेवाली सरकार बननी चाहिए!जो भाजपा और कांग्रेस सरकार 2019 आते आते कहीं ये कहना न सुरु कर दे कि कांग्रेस भाजपा की सरकार आई तो आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ,साईनिंग इंडिया से भी और आगे की विकाश सफर तय करके वर्तमान में जो गरिब बीपीएल को चंद सौ रुपये या हजार रुपये की सरकारी राशन सब्सिडी मिल रही है उसे प्राप्त करनेवाला वाली सारे बीपीएल कार्ड बदलकर एक एक धन्ना कुबेरो को जो हर साल छोटे मोटे राज्यो की बजट जितनी राशि सरकारी माफी और छुट के रुप में मिलती है,उसी तरह की राशि सरकारी कार्ड के रुप में सभी गरिब बीपीएल को भी छुट और माफी मिलने की कार्ड अपडेट की जायेगी,ताकि इस देश के गरिब भी हजारो करोड़ रुपयो की कर्ज लेकर उसे सरकारी माफी मिलने के बाद विदेश जाकर सरकारी छुट के रुप में कर्ज लेकर भी धन्ना कुबेरो की तरह हर साल छोटे मोटे राज्यो की बजट जितनी राशि पाकर अपनी आर्थिक कुपोषन दुर करने के लिए मदर इंडिया का दुध का कर्ज लेकर घी पी सके!जबकि चंद धन्ना कुबेरो को कर्ज में हजारो करोड़ की छुट और माफी के रुप में घी पिलानेवाली ये सरकार गरिबी भुखमरी से हर रोज मर रहे बहुसंख्यक नागरिको को ठीक से पानी तक भी नही पीला पा रही है तो क्या सबको सुख शांती और समृद्धी पिलायेगी!जिन दोनो ही पार्टी की सरकार को तो अब कभी कम से कम सत्तर साल के लिये केन्द्र की राजनिती में मौका ही नही देनी चाहिए जबतक की बाकि सबको मौका न मिल जाय कम से कम एक एक बार!और जिनमे से भी यदि कोई पार्टी इन दोनो ही भाजपा कांग्रेस पार्टी से बेहत्तर प्रदर्शन करते हुए देश की गरिबी भुखमरी दुर करके बेहत्तर विकाश पाँच साल में ही बीपीएल दाग को यदि मिटाकर करती है तो उसे तो बार बार मौका देते हुए कम से कम एक दो दशक तो जरुर केन्द्र में चुनते रहना चाहिए जो कि अभी चालीस करोड़ बीपीएल दाग अबतक नही मिटा पानेवाली भाजपा कांग्रेस को क्यों अबतक एकबार से अधिक मौका दी जाती रही है इसे तो मैं गरिबी भुखमरी समाप्त करके तेज विकाश करने की नाम से बार बार एक दो को ही मौका देकर चालीस करोड़ बीपीएल भारत इतिहास दर्ज करना सबसे बड़ी गलत चयन करने की भुल मानता हुँ खासकर उन लोगो की जिन्हे अब भी लगता है कि वे जीते जी भाजपा कांग्रेस के ही नेतृत्व में गरिबी भुखमरी दुर होते देखेंगे!जो सपना कई मंत्री और प्रधानमंत्री समेत कई उच्च अधिकारियो की सपना भी पुरा नही कर सके और चले गये गरिब बीपीएल भारत देखकर, तो आगे ये लोग क्या कहना चाहते हैं कि भाजपा कांग्रेस चालीस करोड़ बीपीएल की गरिबी दुर करने के लिये आगे सबको पंद्रह से बीस लाख की सुट बुट न सही पर पंद्रह से बीस लाख कैश देनेवाली है क्या रामदेव द्वारा सुराग निकलवाकर देश विदेश में जमा 1000 लाख मुल्य का गुप्त कालाधन जब्ती करके!जो करना होता तो कांग्रेस अपने साठ साल की शासन में कबका करती और भाजपा भी साठ महिना साईनिंग इंडिया करने के बाद अब सैंतीस महिना डीजिटल इंडिया करते हुए जरुर करती!जो दोनो ही कुछ भी ऐसा नही करने वाले हैं और न ही इन दोनो ही पार्टियो के नेतृत्व में इस देश में अच्छे दिन आनेवाले हैं गरिबी भुखमरी दुर करके!इसलिये बार बार मैं कहता रहा हुँ कि इन दोनो ही पार्टियो को केन्द्र से बाहर का रास्ता दिखलाये बहुसंख्यक जनता कम से कम गरिब बीपीएल और गरिबो के समर्थक लोग इन दोनो ही पार्टी को भारी वोटो से हाराकर सचमुच का अच्छे दिन लाने की सुरुवात करें!ताकि ये नकली अच्छे दिन लानेवाले कम से कम सत्तर सालो तक ये मंथन करते रहे कि इनसे कौन सी भारी भुल हो गयी है?   "धन्यवाद"

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