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सोमवार, 5 नवंबर 2018

अब मनुवादी मीडिया तेज प्रताप की तलाक खबर पीपली लाईव करेगी

मनुवादी मीडिया तेज प्रताप की खबरे अब ऐसी चलायेगी जैसे तलाक हो चुका है|
जो यदि नही भी होने वाला होगा तो भी ये मनुवादी मीडिया पीपली लाईव कराकर जिस तरह जीतन मांझी को बिहार सरकार की मुख्यमंत्री कुर्सी से तलाक दिलवा दिया था उसी तरह तेज प्रताप का तलाक भी पीपली लाईव करके जल्द दिलवा देगी|मनुवादी मीडिया उन मूल खबरो को मुलता ज्यादेतर नही चलायेगी,जिसके समाधान न होने से हर रोज हजारो लोगो की मौत हो रही है|पर तेज प्रताप यादव द्वारा तलाक की खबरो को पीपली लाईव जरुर करेगी,जिससे की ऐसी खबरो को छिपाया जा सके जो यदि सबतक पहुँच जाय तो मनुवादियो की कुर्सी जाने में तलाक होने से भी कम समय लग जाएगी|जैसे कि कांग्रेस सरकार की दावत थाली 7721 रु,आप पार्टी की दावत थाली 9355 रु.भाजपा सरकार प्रचार प्रसार थाली  4343 करोड़,सोने से जड़ा प्रधान सेवक सुट निलाम 43100000 रु.के बावजुद भी मनुवादी आखिर गरिबी हटाओ और सबके अच्छे दिन आयेंगे वादा करके अबतक क्या कुछ खास किया और नही किया है?जिसकी पीपली लाईव जनता को नही दिखलायेगी|जबकि उसी मनुवादी मीडिया के पास जुमलो और झुठे वादो का भंडार है|जो मनुवादी मीडिया तेज प्रताप की खबरे अब ऐसी चलायेगी जैसे तलाक हो चुका है|जो यदि नही भी होने वाला होगा तो भी ये मनुवादी मीडिया पीपली लाईव कराकर जिस तरह जीतन मांझी को बिहार सरकार की मुख्यमंत्री कुर्सी से तलाक दिलवा दिया था उसी तरह तेज प्रताप को भी पीपली लाईव करके तलाक जल्द दिलवा देगी|क्योंकि विधान सभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस का जो पिछली कुकर्म बदबु मार रही है,उसे ढकने के लिए तेज प्रताप तलाक खबर का इस्तेमाल करने की कोशिष हो रही है|जिसके बारे में गंभीर होकर तेज प्रताप को भी जरुर सोचनी चाहिए|और कुछ समय और इस बारे में मंथन करके उसका उचित हल अपने परिवार के साथ मिल जुलकर निकालनी चाहिए|क्योंकि मनुवादी लालू परिवार में वैसे भी खास नजर रखकर आपस में फूट डालो राज करो का फंदा लगाकर लार टपका रहा है|जिसका ही नतिजा लालू का जेल जाना है|क्योंकि लालू जिस पशु का चारा घोटाला में जेल सजा काट रहे हैं उस पशु का गैर कानूनी तरिके से पिंक क्रांती लाने वाले और हजारो लाखो करोड़ का चुना लगाने से लेकर विदेशो में कालाधन रखने और विदेशी डॉलर में हजारो करोड़ का दलाली खाने वाले अजाद घुम रहे हैं|क्योंकि वे सभी मनुवादियो का डीएनए हैं|और विदेशो से जो काला लिस्ट आया है,उसमे भी विदेशी डीएनए वाले ही मौजुद होंगे,चाहे तो RTI लगाकर पुछ लिया जाय विरले ही इस देश के मुलनिवासी निकलेंगे|जिन मनुवादियो की दबदबा इस देश के लोकतंत्र का चारो प्रमुख स्तंभो में कायम है|जिसके चलते ही तो इस कृषी प्रधान देश भारत में  गरिबी भुखमरी से हर रोज हजारो लोगो की मौत होते हुए भी प्रतिदिन 244 करोड़ का खाना बर्बाद होता है|जो सालाना करिब 890000 करोड़ का होता है|वहीं भारत में ही 19 करोड़ 40 लाख लोग हर रोज भुखे पेट सो जाते हैं|क्योंकि उनतक सरकार अन्न जल नही पहुँचा पा रही है|छत्तीसगढ़ के नेता अजीत जोगी जो कलेक्टर और मुख्यमंत्री रह चुके हैं,उन्होने एक राष्ट्रीय चैनल में अन्न भोजन के बारे में बातें करते हुए ये बताया कि सिर्फ छत्तीसगढ़ इतना अन्न पैदा करता है कि वह चाहे तो 1 साल के लिए पूरा देश को अकेले ही भरपेट खिला सकता है|जिसके चलते छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है| जहिर है छत्तीसगढ़ से भी ज्यादे अन्न पैदा करने वाले कई राज्य इस कृषी प्रधान देश में मौजूद है|लेकिन भी आज तक कोई भी ऐसी सरकार पैदा ही नहीं हुई,जो कि उस किसान द्वारा पैदा किए अन्नाज को सरकार अपने जनता मालिक अथवा जरुरतमंदो तक पहुँचा सके|यानी देश का नेतृत्व कर रही मनुवादी सरकार आजतक अन्न जल तक भी नहीं पहुँचा पाई है|जिसके बारे में जानकारी संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) कि एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर दिन 244 करोड़ रुपये का खाना बर्बाद होता है,जो सालाना 89 हजार करोड़ रुपया होता है| 2016 में एक रिपोर्ट आई थी,जिसमे बताया गया था कि अमीर कहलाने वाले देश ब्रिटेन के लोग जितना खाना खाते हैं,उतना खाना गरीब कहलाने वाला ये सोने की चिड़ियां देश बर्बाद करता है|जहाँ पर कुल उत्पादन खाद्य सामग्री का करीब 40 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है|इस देश के नागरिको को 225-230 मिलियन टन खाने की जरुरत होती है,जिसमे भारत का किसान 2015 से 2016 ई. में 270 मिलियन टन उत्पादन किया था,वह भी तब जब वह कर्ज में भी डुबा हुआ है|जो किसान सरकार की नकामी के चलते आत्महत्या भी कर रहा है|जिस किसान का अन्न का अपमान किस तरह से हो रहा है इसकी झांकी एक वैश्विक भूख सूचकांक पर जारी एक ताजा रिपोर्ट से दिख जाता है|जिसमे बतलाया गया है कि दुनिया के 119 विकासशील देशों में भूख के मामले में भारत 100 वें स्थान पर है|जो इससे पहले बीते साल भारत 97 वें स्थान पर था|यानी किसान द्वारा जरुरत से अधिक अन्न का उत्पादन करने के बावजुद भी इस कृषी प्रधान देश की भुखमरी और भी अधिक बड़ते जा रही है|जिस भुखमरी से निपटने में भारत की मनुवादी सरकार बांग्लादेश की सरकार से भी पीछे है|क्योंकि मनुवादी मुलता कृषी के बारे में प्रयोगिक रुप से जानता ही नही था इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले|जिसके चलते वह इस कृषी प्रधान देश भारत का शासक तो बना हुआ है,पर उसके अंदर असल में कृषी सोच है ही नही,इसलिए भारत में अन्न जल और खनिज संपदा का भंडार होते हुए भी गरिबी भुखमरी है|इस समय भारत विश्व में अन्न उत्पादन देश में दूसरा स्थान पर है,और आबादी अनुसार कुपोषण में भी भारत दूसरा स्थान है|जिस भुखमरी कुपोषण से निपटने के लिए सरकार द्वारा बनी तमाम योजनाएं फेल साबित हो रही है|क्योंकि वह मनुवादी दबदबा द्वारा चलाई जा रही है|जिसके बारे में मनुवादी मीडिया सायद ही कभी मनुवादी सरकार को घेरते हुए पीपली लाईव करेगी|

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