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रविवार, 20 अगस्त 2017

विकाश का पैमाना डॉलर और रुपये की मोल है तो फिर अजादी के समय एक डॉलर और एक रुपये का मुल्य बराबर थी,जिसके हिसाब से हम पिच्छे जा रहे हैं की आगे?


"वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए उच्च डिग्री और सारी हुनर गरिबी भुखमरी से होनेवाली हर रोज होनेवाली मौत को अबतक अजादी के सत्तर सालो में भी रोक न  पाने के मामले में फेल डिग्री ही साबित हुई है!खासकर इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाली देश परिवार में हर रोज हजारो लोगो को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरते हुए भी अबतक अनगिनत नागरिको को गरिबी और भुखमरी से मरते हुए न बचाकर!क्योंकि एक प्रतिशत भी मैं इस बात पर यकिन नही कर सकता कि इन तमाम उच्च पदो में बैठकर और शपथ लेकर ऐ तमाम लोग अपने अपने परिवार में भुखमरी और कुपोषन से मर रहे एक भी लोगो को मरने के लिए छोड़कर ये भाषन और अश्वासन कभी देते रहे हो कि जल्द सब ठीक हो जायेगा अभी पेटभर अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था हम सबके लिए करेंगे!जाहिर है जब सेवक होकर भी एक भी मंत्री पद की सपथ लेने के बाद और उच्च अधिकारी बनने के बाद इस देश में उनकी गरिबी और भुख से मौत नही हुई तो फिर जनता मालिक की मौत वह भी हर रोज कैसे सैकड़ो हजारो की तादार में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से हो रही है अजादी के सत्तर साल हो जाने के बावजुद भी?जिसका तो मैं एक ही जवाब दुँगा कि इस देश को अभी पुर्ण अजादी नही मिली है उन विदेशी डीएनए के कबिलई लुटेरो के वंसजो से जिनकी लुट वायरस अब भी देश को गुलामी की जंजिरो में जकड़े हुए है घर के मुठीभर भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर उनके द्वारा सबसे कमजोरी भेद बताकर छल कपट से पिठ पिच्छे वार करना जारी है!क्योंकि इतिहास साक्षी है कि सिर्फ कबिलई गोरे नही आए थे इस सोने की चिड़ियाँ में लुटपाट शोषन अत्याचार करने बल्कि लुटेरा कबिला में कई कबिला अपनी गे गैंग बनाकर हजारो सालो से प्रवेश करते रहे हैं अपनी लंगटई लुचई अपनी असली गरिबी और भुखमरी दुर करने के लिए इस देश के मुलवासियो की अमिरी को चुसकर उन्हे गरिबी और भुखमरी कुपोषन देकर किसी खटमल मच्छड़ और जू की तरह चुसते रहने की खास अन्याय अत्याचार परजिवी निति बनाकर!जिन सबसे पुर्ण अजादी जबतक इस देश के उन तमाम लोगो को नही मिल जाती जिनके भितर मदर और फादर इंडिया की डीएनए दौड़ रही है, जिनके पुर्वज कहीं बाहर से आकर इस देश में नही बसे हैं,चाहे वे किसी भी धर्म जात में मौजुद हो,क्योंकि तमाम धर्म जात इस देश में समृद्ध सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की स्थापना और आधुनिक कृषि विकाश होने से पहले मौजुद नही थी,बल्कि ऐ सब बाद में बनी और तब कई विवाद बनी है!जाहिर है इससे पहले इस सुख शांती और समृद्धी कायम अखंड देश में न तो धर्म के नाम से दंगा फसाद होती थी और न ही जात पात के नाम से छुवा छुत और उच निच जैसे शोषन अत्याचार होती थी इस कृषि प्रधान देश में,,क्योंकि छुवा छुत करने वाले तब थे ही नही इस देश में जो बहुत बाद में आयें हैं उस विकसित सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती में छुवा छुत का गंदगी फैलाने जहाँ कभी इस देश के मुल निवासी सभी मिल जुलकर अनगिनत भाषा और हजारो विकसित हुनर जो की अभी हजारो शुद्र जात बना दी गयी है वे सभी सालोभर प्राकृतिक पर्व त्योहार और उत्सव मनाकर सुख शांती और समृद्धी से इस देश को सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान दिलवाने में अपनी प्रमुख भुमिका निभाये हैं,जो बाद में धर्म के नाम से दंगा फसाद अशांती और उच निच छुवा छुत मनुस्मृती सुझ बुझ से न तो विश्वगुरु पहचान मिली है और न ही ये देश सोने की चिड़ियाँ कहलाई है!जो की फिर से सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान वापस अपडेट होगी,जिसदिन इस पहचान को मिटाने वालो से पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलेगी,जिनके पुर्वजो ने ही इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया है न कि बाहर से आए कबिलई लुटेरो ने की है,जो अपनी गे गैंग का कृषि विकाश एक छोटा सा देश बना नही सके और किसी परजिवी की तरह दुसरे किसी कृषि देशो की समृद्धी को चुसकर मच्छड़ खटमल और जू की तरह निर्भर रहे हैं वे क्या इतनी बड़ी कृषि प्रधान देश और इतनी बड़ी लोकतंत्र को सम्हाल पायेंगे,जिसके चलते भी अखंड सोने की चिड़ियाँ धर्म के नाम से खंड खंड कर दी गयी है! जो सायद तब नही होती यदि इस देश में न तो छुवा छुत प्रवेश करती और न ही धर्म के नाम से खुन खराबा होते रहने की विवाद ही प्रवेश करती!जिनसे पुर्ण अजादी ही इस देश और मुलवासी तमाम प्रजा को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से अजादी भी दिला सकती है!जो जबतक नही मिल जाती दुनियाँ का सबसे समृद्ध देश प्राकृतिक खनिज सम्पदा,इंसानी बल,उपजाउ भुमि और दस से अधिक बड़ी नदियो का जल भंडार होते हुए भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन का अबतक कायम रहना स्वभाविक है!जिससे अगर पुर्ण अजादी जल्द चाहिए तो इस देश में किन लोगो के पुर्वज बाहर से इस देश में प्रवेश किये हैं,इसके बारे में मदर इंडिया और फादर इंडिया की डीएनए से मेल कराकर,जिन जिन लोगो की भी डीएनए गोरो की तरह विदेशी डीएनए साबित होगी उनको एक तरफ करके बाकि तमाम मुलवासियो को जिनकी डीएनए मदर इंडिया और फादर इंडिया से मिलती है,उन्हे चिन्हित करने के बाद दुसरी तरफ करके इस देश की लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो की उच्च पदो समेत तमाम सरकारी क्षेत्रो के उच्च पदो में 90%इस देश के उन लोगो को बिठाया जाय जिनकी डीएनए मदर और फादर इंडिया की डीएनए से मिलती है!बाकि 10%पदो में उन विदेशी डीएनए के लोगो को छोड़ दिया जाय,जो नियम संविधान संसोधन करके सबसे पहला नियम में रखा जाय!और जो गोरो के अपने देश जाने के बाद भी अबतक अपने मुल पुर्वजो का देश नही गए हैं और यहीं की नागरिकता लेकर यहीं पर बस गए हैं!जो या तो इसी देश को ही अपने पुर्वजो की भुमि से बेहत्तर बताकर रुके हुए हैं,जो कि स्वभाविक है या फिर उन्हे ये पता ही नही कि उनके पुर्वज किस देश के मुलवासी थे जिन्होने यहाँ पर लाकर मानो किसी लावारिस शिशु की तरह फैंककर चले गए हैं!और वह लावारिस शिशु अब बड़ा होकर दुसरे की माता पिता की सम्पत्ती को अपना बाप का माल समझकर पाप का मोटामाल जमा करने में लगा हुआ है!जिसकी पाप वसियत अथवा उसकी लावारिस कमाई को कोई भी देश के मुलवासी मुखिया ये स्वीकारने वाला नही है कि उन्होने ही उस बच्चे को बड़े होकर लुटपाट करने के लिए इस सोने की चिड़ियाँ में आकर फैंककर वापस अपने देश चले जाने की ऐसा लुट प्लान बनाया था जिसके जरिये सोने की चिड़ियाँ की सुख शांती और समृद्धी को बाल्टी भर भरकर अपने देश में चोरी छुपे लम्बे समय तक तस्करी किया जा सके!क्योंकि यदि स्वीकार कर लिया तो फिर सारी लुटपोल खुल जायेगी उन लुटेरो की जिन्होने ही अबतक इस देश और इस देश के मुलवासियो को पुर्ण अजादी सांस लेने नही दिया है सुख शांती और समृद्धी जिवन जिने के लिए!जिनसे भी एकदिन गोरे अंग्रेजो की तरह ही अजादी मिलेगी और हो सकता है गोरो की तरह वह भी अपने मुल पुर्वजो की भुमि में जाकर अब किसी भी देश को गुलाम न करने और लुटपाट न करने की कान धरकर उठक बैठक करे और इस देश के शोषित पिड़ित के सामने भी मुर्गा बने!जो यदि गोरो ने नही भी किया होगा तो इसबार पुर्ण अजादी पर इस देश को पुर्ण अजादी न मिलने देने के लिए जिन दुसरे गे गैंग कबिला ने भी अबतक इस देश के मुलवासियो के साथ लुटपाट और अन्याय अत्याचार किया है,उनको तो कान धरके उठक बैठक और मुर्गा जरुर बनानी चाहिए!क्योंकि उनकी वजह से ये सोने की चिड़ियाँ कृषि प्रधान समृद्ध देश अबतक गरिबी और भुखमरी का दाग लिये विश्व में गरिब देश कहलाकर हर रोज अपने हजारो मासुम निर्दोश नागरिको को गरिबी और भुख से खोने को मजबुर है,जबकि इसी देश में न जाने कितने कबिलई गे गैंग लुटेरो की पुर्वज फ्री में हजारो सालो से पलते रहे हैं,जो कि किसी गरिब के घर हजारो सालो तक तो दुर हजार दिन तक भी पलके दिखला दे कोई कबिलई गे गैंग बनाकर लुटपाट करने वाले लंगटा लुचा वैसे लोग जिन्हे अपनी कमाई का खाने में मानो शर्म महसुस होती है और दुसरो का चुसते रहते हैं किसी मच्छड़ खटमल और जू की तरह!जिनकी परजिवी हुनर की वजह से ही तो अबतक इस देश को पुर्ण अजादी नही मिली है,जो मुठीभर घर के भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर दिन रात इस देश और इस देश के मुलवासियो की सुख शांती और समृद्धी चुसने में लगे हुए हैं!जिनसे बिना अजादी के पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलना कठिन संघर्ष का वह रास्ता है जहाँ पर इन्ही परजिवियो द्वारा गरिबी और भुखमरी कुपोषन दर्द चुभोने के लिए बड़ी बड़ी भ्रष्टाचार कांटे बिछाये जाते रहे हैं!जिन्हे फिलहाल सजा भी नही मिलने वाली है पुर्ण रुप से,और यदि मिलेगी भी तो सिर्फ उँट के मुँह में जीरा न्याय मिलेगी,जैसे कि नशा बेचनेवालो को कैंसर जैसे बड़ी बड़ी बिमारी के साथ साथ पुरे समाज परिवार को बर्बाद करने की उद्योग लाईसेंस देकर करोड़ो नर नारी जवान बुढ़े बच्चे सभी लोगो को नशे की लत में डुबोकर दो चार कैंसर का अस्पताल का भी लाईसेंस दे दी जा रही है!जिस न्याय में भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत मजबुत जकड़न कायम है,जिससे भी पुर्ण अजादी तब मिलेगी जब अजाद भारत का संविधान जिसकी रचना से पहले मनुस्मृती को भष्म किया गया था,ताकि संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागु करने की जिम्मेवारी ठीक से न्यायालय निभा सके,पर उस न्यायालय में भी अजाद भारत का संविधान की रक्षा भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत हावि होकर हो रही है,जिसके बारे में किसी भी उन शोषितो को शक नही होनी चाहिए जिन्हे देश में भी मनुस्मृती का बैताल भुत समाज परिवार में चारो ओर अब भी उच निच का छुवा छुत मांसिकता मंडराते हुए नजर आती है!जो भष्म मनुस्मृती सुझ बुझ बैताल भुत की मांसिकता मेरे ख्याल से कभी भी छुवा छुत करने वालो के भितर से इतनी जल्दी हजारो सालो की विकाश सफर मात्र से जानेवाली नही है,जैसे की जेनेटिक बिमारी को जड़ से दुर करने की प्राकृतिक विकाश सफर लम्बी प्रक्रिया से होकर गुजरती है!उसी तरह मेरे ख्याल से छुवा छुत करने वालो की भी मनुस्मृती मांसिकता मनुस्मृती को भष्म करो या फिर कुछ और करो लाखो साल बाद भी इसी तरह कायम रहेगी जबतक की किसी बिमारी से लड़ने की प्राकृतिक तौर पर कार्य क्षमता बड़ाने की तरह मनुस्मृती सुझ बुझ वाले लोग भी अपने भितर ही मनुस्मृती से छुटकारा पाने की क्षमता न बड़ाने लगे!फिलहाल तो इनसे शोषन अन्याय अत्याचार का शिकार हुए पिड़ित लोगो को न्यायालय में अपनी तादार बड़ाकर अपनी दबदबा कायम करनी होगी,नही तो मनुस्मृती सुझ बुझ वाले वेद सुनो तो कान में गर्म लोहा डालो,वेद पढ़ो तो चीभ काटो और अँगुठा काटो,गले में थुक दानी टांगो,कमर में झाड़ु टांगो की मांसिकता खुद रखकर खुदको उच्च विद्वान पंडित जन्म से बतलाकर पिड़ित लोगो का ही मांसिक जाँच कराकर मांसिक रुप से कमजोर साबित करते रहेंगे,क्योंकि इनकी दबदबा अजाद भारत के संविधान को भी जकड़े हुए है तो देश के पिड़ित नागरिको को तो जकड़ना इनके लिए कोई मुश्किल काम नही है,जैसे की सत्य शिव द्वारा जब भष्मासुर को वरदान दे दिया गया था तो भष्मासुर के द्वारा किसी को भी उस सत्य शिव के द्वारा दिए गए किसी को भी छुकर भष्म करने की वरदान ताकत द्वारा सजा देने के लिए कोई बड़ी कठिन काम नही थी,बल्कि उस वरदान ताकत से तो स्वंय सत्य शिव भी अपना पिछा छुड़ाकर अपने गणो से दुर किसी गुप्त गुफा में तप योग में लिन हो गए थे,जबतक की किसी मोहिनी के द्वारा मोहित होकर नचवा नचवाकर भष्मासुर स्वयं ही भष्म नही हो गया!जिस तरह की गलती मनुस्मृती सुझ बुझ छुवा छुत करने की खुदको सजा देकर भष्म नही होनेवाले हैं,जैसे की गोरे अँग्रेज जज बनकर खुदको गुलाम करने की अपराध में सजा देनेवाले नही थे,चाहे जितने सालो तक वे न्यायालय में जज बने रहते!इसलिए ही तो मैं बार बार यह कह रहा हुँ की छुवा छुत का शिकार होनेवाले पिड़ित न्यायालय में अपनी बहुसंख्यक जज दबदबा कायम करके इस देश की अजाद भारत के संविधान को भी पुर्ण अजादी दिलाओ भष्म मनुस्मृती के बैताल भुत से और खुदको भी पुर्ण अजादी दिलाओ उच निच छुवा छुत की शोषन अत्याचार से,जिसकी जकड़न से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत समाज परिवार के तमाम प्रमुख क्षेत्र जकड़े हुए है गुलामी से,जिससे पुर्ण अजादी ही सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु की मुल सुख शांती और समृद्धी को अपडेट करना है!जिसके बगैर अधुरी अजादी कायम है! "धन्यवाद"

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