साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा को ढोंग पाखंड कहने वाले दरसल असली ढोंगी पाखंडी हैं
साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा को ढोंग पाखंड कहने वाले दरसल असली ढोंगी पाखंडी हैं
प्रकृति में साक्षात मौजुद सत्य का प्रतिक पत्थर शिव लिंग योनी पूजा के बारे में कुछ ढोंगी पाखंडी लोग यह गलत ज्ञान बांटने में लगे हुए हैं कि सत्य शिव लिंग योनी की पुजा ढोंग पाखंड अथवा गलत है | जो अपने माता पिता की लिंग योनी को भी सायद ढोंग पाखंड मानते होंगे | जिनके लिए तो सिर्फ अदृश्य माय बाप जैसे की मनुवादियो के पुर्वज लापता देवो का पुजा पाठ करना सही है | जो किसी को न दिखाई देते हैं , न सुनाई देते हैं , और न ही सभी इंसानो को उसके साक्षात मौजुद होने पर विश्वास है | जिसकी प्रमाणिकता विद्यालय में सायद ही किसी विषय पर पढ़ाई जाती है | जिस तरह कि अदृश्य अप्रकृति शक्ती द्वारा सृष्टी का सृजन और संचालन मान्यता को न मानने वाले करोड़ो लोग हैं , जिन्हे नास्तिक भी कहा जाता है | और साथ साथ आस्तिक कहे जाने वाले इंसानो द्वारा भी पैदा किया गया इतने सारे आपस में वाद विवाद करते अलग अलग बने कई धर्म भी हैं , जो दुसरे धर्मो के मान्यताओ को पुर्ण रुप से स्वीकार नही करते हैं | जिसके चलते सभी धर्मो के धर्मग्रंथो की सत्यता पर विवाद होता रहता है | क्योंकि अलग अलग धर्मो के आस्तिक भक्त अपने धर्म ग्रंथो में लिखी गयी बातो को तो सौ प्रतिशत सत्य मानते हैं , लेकिन दुसरे धर्मो के धर्मग्रंथो में अनगिनत गलतियाँ निकालते रहते हैं | जिसके चलते धर्म ग्रंथो में लिखी गई सत्यता को लेकर आपस में इतने सारे वाद विवाद होती रहती है कि आये दिन खुन खराबा दंगा फसाद की भी नौबत आती रहती है | जो खुन खराबा कभी भी समाप्त नही होनेवाली है , जबतक की सभी इंसान एक धर्म और एक पुजा स्थल को एक साथ अपना न लें | जो कि सभी धर्मो का विलय होना नामुमकिन है | क्योंकि एक दुसरे को पसंद नापंद करके धर्म परिवर्तन करने का सिलसिला आये दिन वाद विवाद की वजह से बड़ते ही जा रही है | बल्कि वाद विवादो और अलग अलग कई मान्यताओ के द्वारा आपस में खुब सारी मतभेद होने के कारन धर्म के नाम से कितने सारे देश भी बंटते और बनते जा रहे हैं | क्योंकि सभी धर्म खुदको दुसरे धर्म से अलग समझते हैं | जिसके चलते सबका पुजा स्थल भी अलग अलग होता है | मानो सबके पुजा स्थलो में कोई अलग अलग अदृश्य ताकत अपने अपने भक्तो में कृपा बरसाने आते हैं | चर्च में जाकर अदृश्य खुदा की पुजा नही हो सकती , और मस्जिद में जाकर अदृश्य गॉड और मनुवादियो के पुर्वज कहे जानेवाले अदृश्य देवताओ की पुजा नही हो सकती | जबकि साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा पत्थर के रुप में खुले आसमान या जंगल झाड़ वगैरा में भी हो सकती है | जो पत्थर मंदिर मस्जिद चर्च ही नही बल्कि पुरे सृष्टि में साक्षात मौजुद है | जिसकी पुजा एलियन भी कर सकते हैं , चाहे वे सृष्टी के जिस कोने में मौजुद हो | क्योंकि प्रकृति भगवान सब जगह मौजुद है , और सबके लिए एक हैं | जैसे की प्रकृति हवा पानी सबके लिए एक है | जिस प्रकृति भगवान का ही एक रुप सत्य का प्रतिक शिव लिंग योनी पत्थर के रुप में पुजा होती है | जिस सत्य शिव लिंग योनी की पुजा को ढोंग पाखंड कहने वालो के लिए अदृश्य ताकत की पुजा ढोंग पाखंड नही लगती है | जिनके लिए तो मानो प्रकृति भगवान द्वारा किसी की रचना करना ही ढोंग पाखंड अथवा गलत है |वैसे में तो प्रकृति भगवान द्वारा रचित इंसान ही नही बल्कि जिव निर्जिव सभी की रचना ढोंग पाखंड है ! जिस प्रकृति भगवान की रचना के बारे में सत्य जानकारी जुटाने के लिए नई नई खोज करने में विज्ञान भी दिन रात लगा हुआ है | जिसमे प्रकृति में मौजुद रहस्यो के बारे में नई नई खोज के रुप में सफलता भी मिल रही है | फिर भी इंसान तो क्या सृष्टी में मौजुद कोई भी प्राणी प्रकृति के सारे रहस्यो को पुरी तरह से जान सके ऐसा चमत्कार चाहे जितने धर्मो का उदय हो जाय , कभी नही होनेवाला है | क्योंकि प्रकृति भगवान के सारे चमत्कारी रहस्यो को जानने वाला प्राणी आजतक न तो कोई जन्म लिया है , और न ही कभी लेगा | जो प्रकृति भगवान साक्षात हर पल ढोंगि पाखंडियो को भी बिना कोई बातचीत किए ही हवा पानी वगैरा देकर पाल पोस रहा है | जिस सत्य की पुजा को ढोंग पाखंड कहना दरसल जिस थाली में प्रकृति भगवान का खाया जा रहा है , उसी पर छेद करना है | क्योंकि हिन्दु धर्म में सत्य शिव लिंग योनी की पुजा दरसल साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा है | जो कि पत्थर के अलावे पेड़ पौधा अन्न जल मिट्टी के रुप में भी होती है | जिसकी सच्चाई साक्षात चारो ओर मौजुद है | जिसके बारे में जिन लोगो द्वारा यह कहा जाता है कि पत्थर मिट्टी पेड़ पौधा न बोल सकता है , और न सुन सकता है , उसकी पुजा अँधविश्वास और ढोंग पाखंड के सिवा कुछ नही , उनको तो जो बोल सुन बल्कि दिखाई भी नही देता है , उसकी पुजा ज्यादे ढोंग पाखंड और अँधविश्वास लगनी चाहिए थी ! या फिर वैसे लोग अपने पुजा स्थल मंदिर मस्जिद चर्च वगैरा में आँख मुँदकर जिसे बिना देखे बिना सुने और बातचीत किए सर झुकाकर आशीर्वाद मांगने जाते हैं , वह क्या वहाँ पर अपने भक्तो पर कृपा बरसाते समय बोल सुन और दिखता भी है ? दरसल ऐसे लोग प्राकृति की कृपा से जन्म लेकर और हवा पानी भोजन वगैरा लेकर उसी प्राकृति भगवान जो की साक्षात मौजुद सत्य का प्रतिक पत्थर शिव लिंग योनी के रुप में भी पुजा जाता है , उसको तो ढोंग पाखंड कहते हैं , पर उसी प्रकृति भगवान के द्वारा होनेवाली जन्म मरन प्रक्रिया को सत्य जरुर स्वीकारते हैं | और जो लोग नही स्वीकारते हैं , ऐसे लोगो को तो प्रकृति भगवान द्वारा रचना की गई किसी भी चीज को सत्य स्वीकार नही करनी चाहिए थी | जैसे कि उन्हे तो यह भी स्वीकार नही करनी चाहिए थी कि उनके भितर मौजुद सारे अंग और सृष्टी में मौजुद ग्रह तारे चाँद पृथ्वी वगैरा प्रकृति भगवान के द्वारा निर्मित की गई है | बल्कि उन्हे तो अपनी जन्म को भी प्रकृति भगवान की कृपा न मानकर ये स्वीकार करनी चाहिए कि उनका जन्म बिना प्रकृति भगवान की कृपा लिए अथवा बिना माता पिता के प्रकृति निर्मित लिंग योनी के ही अचानक से किसी अदृश्य माता पिता द्वारा अप्रकृति विधि द्वारा हुआ हैं | जैसे की मनुस्मृति में अप्रकृतिक जन्म के बारे में लिखा गया है | बल्कि उन्हे तो यह भी मान लेनी चाहिए कि उनके अंदर प्रकृति भगवान द्वारा रचना की हुई कोई अंग मौजुद है ही नही | जबकि सारी दुनियाँ जानती है की प्रकृति भगवान की रचना इंसान के भितर हर अंग में मौजुद है | बल्कि प्रकृति भगवान सृष्टी के कण कण में मौजुद हैं | सृष्टी में ऐसा कोई जगह नही जहाँ पर भगवान की पहुँच नही है | जिसके चलते ही तो हिन्दु मान्यता अनुसार यह ज्ञान बांटा जाता है कि भगवान की मौजुदगी सबके अंदर होती है | जिस प्रकृति भगवान की मौजुदगी पत्थर के रुप में भी साक्षात मौजुद है | जो विज्ञान द्वारा प्रमाणित भी है कि बिना पत्थर के न तो पृथ्वी का वजूद एक पल भी कायम रह पायेगी , और न ही बिना पत्थर के सृष्टी की कल्पना करना भी मुमकिन हो पायेगी | यकिन न आए तो विज्ञान और कोई अन्य प्रमाणित सत्य ज्ञान माध्यम से पता करके कोई देख ले | बल्कि प्रकृति भगवान की प्रमाणिकता पर नास्तिक भी विश्वास करते हैं कि प्रकृति की वजह से ही वे जिवित हैं | भले वे साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा नही करते हैं | और फिर विश्वास पर तो सारी दुनियाँ और सारे धर्म भी कायम है |
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